UP TGT Hindi Question Paper 2005

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टीजीटी हिंदी प्रश्न-पत्र

UP TGT Hindi 2005 के question paper को यहाँ दिया जा रहा है। TGT, PGT Hindi की तैयारी कर रहे प्रतियोगी छात्रों को इसे एक बार जरूर पढ़ना चाहिए। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, प्रयागराज (UPSESSB) द्वारा आयोजित प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक चयन परीक्षा (TGT Hindi) 2005 के question paper का व्याख्यात्मक हल को पढ़कर आप अपना मूल्यांकन कर सकते हैं। up tgt hindi previous year question paper के अंतर्गत यह छठवाँ प्रश्न-पत्र है।

टीजीटी हिंदी- 2005

1. ‘नौ दो ग्‍यारह होना’ का अर्थ है:
गणित में निष्णात होना
अधिक हो जाना
भाग जाना
‘नौ दो ग्‍यारह होना’ मुहावरे का अर्थ ‘भाग जाना’ है।
साथ-साथ रहना
2. ‘गीतिका’ के रचनाकार का नाम है:
प्रसाद
पंत
निराला
‘गीतिका’ के रचनाकार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं। उनकी अन्य रचनाएँ- अनामिका, परिमल, तुलसीदास, जूही की कली, अधिवास, पंचवटी प्रसंग, भिक्षुक, विधवा, राम की शक्तिपूजा आदि हैं।
मुकुटधर पाण्‍डेय
3. निम्‍नांकित में से किस कृति के लेखक नामवर सिंह हैं?
आलोचना और काव्‍य
दूसरी परम्परा की खोज
‘दूसरी परम्परा की खोज’ के लेखक नामवर सिंह हैं। उनकी अन्य रचनाएँ- हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग, कहानी और नयी कहानी, छायावाद, इतिहास और आलोचना, आधुनिक साहित्य की प्रवृतियाँ आदि हैं।
आस्था और सौन्दर्य
भाषा और समाज
4. ‘सुंदर हैं विहग सुमन सुंदर मानव तुम सबसे सुदरतम’- में कौन-सा काव्‍यदोष है?
अधिक पदत्‍व
उपर्युक्त काव्य पंक्ति में ‘अधिक पदत्‍व’ काव्य दोष है।
अप्रतीतत्‍व
दुष्‍क्रमत्‍व
क्लिष्‍टत्‍व
5. ‘तुच्छ मनुष्य की मित्रता शीघ्र ही समाप्त हो सकती हैं’- भाव को व्यक्त करने वाली लोकोक्ति है:
अधजल गगरी छलकत जाय
थोथा चना बाजे घना
कबहुँ निरामिष होय न कागा
ओछे की प्रीत बालू की भीत
‘ओछे की प्रीत बालू की भीत’ लोकोक्ति का अर्थ है, ‘तुच्छ मनुष्य की मित्रता शीघ्र समाप्त हो सकती है।’
6. ‘निशा-निमंत्रण’ के रचनाकार हैं:
सुमित्रानंदन पंत
हरिवंश राय बच्‍चन
‘निशा-निमंत्रण’ के रचनाकार हरिवंश राय बच्‍चन हैं। उनकी अन्य रचनाएँ- मधुशाला, मधुबाला, मधुकलस, एकांत संगीत, मिलन यामिनी, आरती और अंगारे, धार के इधर उधर, बंगाल का काल, बुद्ध और नाचघर आदि हैं।
बालकृष्‍ण शर्मा ‘नवीन’
वीरेन्‍द्र मिश्र
7. ‘वयं रक्षाम:’ है:
निबंध-संग्रह
काव्‍यग्रंथ
संस्‍कृत नाटक
उपन्‍यास
‘वयं रक्षाम:’ चतुरसेन शास्त्री का उपन्‍यास है। उनकी अन्य रचनाएँ- वैशाली की नगर वधू, मंदिर की नर्तकी, आलमगीर, अभिलाषा आदि हैं।
8. ‘प्रत्‍यक्ष’ का विलोम है:
समक्ष
विपक्ष
परोक्ष
‘प्रत्‍यक्ष’ का विलोम शब्द ‘परोक्ष’ है।
अदृश्‍य
9. निम्न पंक्तियों में कौन-सा स्थायी भाव है:
‘फाड़ि नखन शव आंतड़िन, रुधिर मवाद निकारि।
लेपति अपने मुखनि पै, ह‍रसि प्रेतगन नारि॥’
भय
जुगुप्सा
उपर्युक्त पंक्तियों में ‘जुगुप्सा’ स्थायी भाव है।
विस्‍मय
निर्वेद
10. ‘अजौं तरयोना ही रह्यो श्रुति सेवत इक रंग’ मे अलंकार है:
श्‍लेष
उपर्युक्त पंक्तियों में ‘श्लेष अलंकार’ है।
रूपक
उपमा
उत्‍प्रेक्षा
11. ‘नाट्य शास्‍त्र’ के प्रणेता हैं:
भट्ट लोल्‍लट
भरत मुनि
‘नाट्य शास्‍त्र’ के प्रणेता ‘भरत मुनि’ हैं।
भट्ट नायक
अभिनय गुप्‍त
12. ‘नासिकेतोपाख्‍यान’ के लेखक हैं:
लल्‍लू लाल
सदासुख राय
इंशा अल्‍ला खां
सदल मिश्र
‘नासिकेतोपाख्‍यान’ के लेखक सदल मिश्र हैं।
13. इनमें से वर्तनी की दृष्‍टि से शुद्ध शब्‍द है:
उज्‍जवल
उज्‍ज्‍वल
शुद्ध शब्‍द- उज्‍ज्‍वल।
उज्‍वल
उजवल
14. ‘अरे यायावर रहेगा याद’- किस विधा की रचना है?
जीवनी
आत्‍मकथा
यात्रा-साहित्‍य
‘अरे यायावर रहेगा याद’- यात्रा-साहित्‍य विधा की रचना है। इसके लेखक अज्ञेय हैं। अज्ञेय के अन्य यात्रा वृतांत- एक बूँद सहसा उछली, बहता पानी निर्मल है।
डायरी
15. निम्नलिखित में से कौन-सा रेखाचित्र महादेवी वर्मा का नहीं है?
अतीत के चलचित्र
स्मृति की रेखाएं
पथ के साथी
मंटो मेरा दुश्मन
‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएं’, और ‘पथ के साथी’ रेखाचित्र महादेवी वर्मा के हैं। जबकि ‘मंटो मेरा दुश्मन’, रेखाएँ और चित्र और ज्यादा अपनी कम परायी रेखाचित्र उपेन्द्र नाथ ‘अश्क’ का है।
16. ‘कलई खुलना’ मुहावरे का सही अर्थ है:
रंग उतर जाना
सच्‍चाई का पता लगना
भेद प्रकट होना
‘कलई खुलना’ मुहावरे का सही अर्थ ‘भेद प्रकट होना’ है।
चमक का गायब होना
17. निम्‍नलिखित में से कौन-सी रचना महाकाव्‍य नहीं है?
कामायनी
प्रिय-प्रवास
साकेत
पल्‍लव
जयशंकर प्रसाद कृत ‘कामायनी’, अयोध्या सिंह उपाध्याय कृत ‘प्रिय-प्रवास’ और मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘साकेत’ महाकाव्य हैं। ‘पल्‍लव’ महाकाव्य नहीं है।
18. ‘फूल नहीं रंग बोलते हैं’ के रचनाकार हैं:
केदारनाथ अग्रवाल
‘फूल नहीं रंग बोलते हैं’ के रचनाकार केदारनाथ अग्रवाल हैं। इनकी अन्य रचनाएँ- युग की गंगा, आग का आईना, अपूर्वा आदि हैं। केदारनाथ अग्रवाल को ‘अपूर्वा’ काव्य संग्रह पर वर्ष 1986 में ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ तथा ‘फूल नहीं रंग बोलते हैं’ काव्य संग्रह पर ‘सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
नागार्जुन
त्रिलोचन
नरेश मेहता
19. निम्‍नलिखित में से कौन-सा युग्‍म सही नहीं है?
भट्ट लोल्‍लट– उत्‍पत्तिवाद
शंकुक– अनुमितिवाद
आचार्य मम्‍मट– भुक्‍तिवाद
भुक्‍तिवाद के प्रवर्तक भट्ट नायक भरत मुनि के नाट्य सूत्र की व्याख्याएं भट्ट लोल्लट (9वीं शती), शंकुक (9वीं शती), भट्ट नायक (11वीं शती) और अभिनय गुप्‍त (11वीं शती) के द्वारा क्रमश: मीमांसा, न्याय, सांख्य और शिव दर्शन के आलोक में की गयी जो उत्‍पत्तिवाद, अनुमितिवाद, भुक्‍तिवाद और अभिव्‍यक्‍तिवाद के नाम से जानी जाती हैं।
अभिनय गुप्‍त– अभिव्‍यक्‍तिवाद
20. ‘जगत्’ शब्‍द के चतुर्थी एकवचन का रूप है:
जगते
‘जगत्’ शब्‍द के चतुर्थी एकवचन का रूप ‘जगते’ है।
जगत:
जगतो:
जगदभ्‍य:
21. प्रेमाख्‍यान काव्‍य-परम्‍परा (सूफी कवियों) का मुख्‍य दर्शन है:
तसव्‍वुफ
प्रेमाख्‍यान काव्‍य-परम्‍परा (सूफी कवियों) का मुख्‍य दर्शन ‘तसव्‍वुफ’ है।
हनफी
अहले हदीस
अहमदिया
22. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्‍य है?
रीतिबद्ध धारा के कवियों ने लक्षण ग्रंथों की रचना की है।
रीतिबद्ध धारा के कवियों को आचार्य कवि कहा जाता है।
बिहारी रीतिसिद्ध धारा के प्रतिनिधि कवि हैं।
केशव रीतिमुक्‍त धारा के कवि हैं।
केशव रीतिबद्ध धारा के कवि थे।
23. हिंदी का प्रथम पत्र ‘उदन्‍त मार्तण्‍ड’ प्रकाशित होता था:
दैनिक
साप्‍ताहिक
हिंदी का प्रथम पत्र ‘उदन्‍त मार्तण्‍ड’ (सं. जुगल किशोर) साप्ताहिक था। यह 1826 में कलकत्ता से प्रकाशित हुआ।
मासिक
त्रैमासिक
24. निराला की कविता ‘राम की शक्‍ति-पूजा’ पर किस रचना का सर्वाधिक प्रभाव है?
राम‍चरित मानस
बाल्‍मीकि-रामायण
साकेत
कृत्तिवास-रामायण
निराला की कविता ‘राम की शक्‍तिपूजा’ पर ‘कृत्तिवास-रामायण’ (बंगला) का सर्वाधिक प्रभाव है। मुख्य कथानक वहीं से लिया गया है।
25. निम्‍नलिखित में से कौन-सा कवि ‘दूसरा सप्‍तक’ में सम्मिलित नहीं था?
भवानी प्रसाद मिश्र
शकुन्‍त माथुर
शमशेर बहादुर सिंह
मुक्‍तिबोध
अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक (1951) में भवानी प्रसाद मिश्र, शकुन्त माथुर, शमशेर बहादुर हरिनारायण व्यास, नरेश मेहता, रघुवीर सहाय और धर्मवीर भारती शामिल थे।
26. निम्‍नांकित में से कौन-सा काव्‍यग्रंथ नहीं है?
वैदेही वनवास
पथिक
रसज्ञ-रंजन
‘रसज्ञ-रंजन’ काव्यग्रंथ नहीं है; यह महावीर प्रसाद द्विवेदी का निबंध संग्रह है।
भारत-भारती
27. निम्‍नांकित में से किस पत्रिका के संपादक भारतेंदु हरिश्चंद्र थे?
सरस्‍वती
कविवचन-सुधा
‘कविवचन सुधा’ (1868 ई.) मासिक पत्रिका के संपादक भारतेंदु हरिश्चंद्र थे।
नागरी-प्रचारिणी पत्रिका
सुकवि
28. ‘जयमयंक जस-चंद्रिका’ के रचयिता का नाम है:
भट्ट केदार
नरपति नाल्‍ह
नल्‍ल सिंह
मधुकर कवि
‘जयमयंक जस-चंद्रिका’ (1186) के रचयिता मधुकर कवि हैं।
29. ‘संतन को कहा सीकरी सो काम’- यह अभिकथन किसका है?
संत कबीरदास
संत रैदास
कुम्‍भनदास
‘संतन को कहा सीकरी सो काम’ कुम्भनदास का अभिकथन है। वे अष्टछाप के कवि और ‘बल्लभाचार्य’ के शिष्य थे।
मलूकदास
30. गोस्‍वामी तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ की रचना किस संवत् में की थी?
संवत् 1631
गोस्‍वामी तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ की रचना संवत् 1631 में की थी।
संवत् 1637
संवत् 1649
इनमें से कोई नहीं

31. आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल ने रीतिकाल का ‘प्रवर्त्तक आचार्य’ किसे माना है?
आचार्य केशवदास को
मतिराम को
चिंतामणि
आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल ने रीतिकाल का ‘प्रवर्त्तक आचार्य’ चिंतामणि को माना है।
बिहारी को
32. निम्‍नलिखित शब्‍दों में से पुल्लिंग शब्‍द का चयन कीजिए:
सूची-पत्र
‘सूची-पत्र’ पुल्लिंग शब्द है, जबकि किताब, गंगा, और संसद स्त्रीलिंग शब्द हैं।
किताब
गंगा
संसद
33. ‘सु + आगतम्’ में कौन-सी संधि है?
गुण संधि
अयादि संधि
वृद्धि संधि
यण संधि
‘सु + आगतम्’ में यण संधि है। इसमें इ, ई, उ, ऊ, ऋ के बाद भिन्न स्वर आने पर क्रमशः य्, व्, र् में परिवर्तन होता है।
34. ‘जय-पराजय’ मे कौन-सा समास है?
अव्‍ययी भाव
बहुब्रीहि
द्वन्‍द्व
‘जय-पराजय’ में द्वन्‍द्व समास है, जहाँ दोनों पद समान रूप से प्रधान होते हैं।
द्विगु
35. निम्‍नलिखित में से सही शब्‍द छाँटिए:
कवियित्री
क‍वयित्री
सही शब्द ‘क‍वयित्री’ है। शेष शब्द गलत वर्तनी के उदाहरण हैं।
कवियत्री
कविइत्री
36. निम्‍नलिखित में से सही वाक्‍य चुनिए:
श्रीकृष्‍ण के अनेकों नाम हैं।
आपका पत्र सधन्‍यवाद मिला।
श्रीकृष्‍ण के अनेक नाम हैं।
सही वाक्य है- ‘श्रीकृष्‍ण के अनेक नाम हैं।’ अन्य वाक्य व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध हैं।
बन्‍दूक एक बहुत ही उपयोगी शस्‍त्र है।
37. ‘अन्‍धे की लकड़ी’ से तात्‍पर्य है:
बैसाखी का सहारा
अंधे की विशेष छड़ी
कुमार्ग पर चलना
एक ही सहारा
‘अन्‍धे की लकड़ी’ मुहावरे का अर्थ है- एक ही सहारा।
38. निम्‍नलिखित में से लोकोक्‍ति चुनिये:
अंक भरना
आस्तीन का साँप
कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली
‘कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली’ लोकोक्ति है, जबकि अन्य सभी मुहावरे हैं।
तूती बोलना
39. निम्‍नलिखित में से किस उपन्‍यास का कथानक भारत-पाकिस्‍तान विभाजन पर आधारित नहीं है?
झूठा-सच
तमस
आधा गाँव
कर्मभूमि
यशपाल का ‘झूठा-सच’, भीष्म साहनी का ‘तमस’, और राही मासूम रजा का ‘आधा गाँव’ विभाजन पर आधारित हैं। प्रेमचंद का ‘कर्मभूमि’ काशी और गाँवों से जुड़ा राजनैतिक उपन्यास है।
40. आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल द्वारा लिखित ‘ग्‍यारह वर्ष का समय’ किस विधा की रचना है?
कहानी
आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल की ‘ग्‍यारह वर्ष का समय’ एक कहानी है, जो 1903 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।
उपन्‍यास
डायरी
संस्‍मरण
41. यशपाल की आत्‍मकथा है:
नीड़ का निर्माण फिर
सिंहावलोकन
यशपाल की आत्‍मकथा ‘सिंहावलोकन’ तीन खंडों में प्रकाशित हुई थी। ये क्रमशः 1951, 1952, और 1955 में प्रकाशित हुए।
मेरी जीवन-यात्रा
मेरा जीवन-प्रवाह
42. ‘रीतिकाल’ की विशेषताओं के संदर्भ में निम्‍नलिखित में से एक विशेषता गलत है। उस विशेषता का चयन कीजिए:
रीतिकाल में अलंकरण की प्रधानता है।
रीतिकाल की प्रमुख भाषा ब्रजभाषा है।
रीतिकाल में प्रकृ‍ति का आलम्‍बन-रूप में वर्णन हुआ है।
‘रीतिकाल’ में प्रकृ‍ति का आलम्‍बन-रूप में वर्णन इसकी विशेषता नहीं है।
रीतिकाल में लक्षण ग्रंथों की प्रमुखता है।
43. ‘सैय्यद इब्राहीम’ का कविनाम है:
जान कवि
आलम
रसखान
रसखान का पूरा नाम ‘सैय्यद इब्राहीम’ था। उनकी प्रमुख रचनाएँ- सुजान रसखान, प्रेमवाटिका, दानलीला, अष्टयाम आदि हैं।
इनमें से कोई नहीं
44. निम्न काव्‍यपंक्‍ति के रचयिता का नाम है:
‘लोग हैं लागि कवित्त बनावत,
मोहि तौ मेरे कवित्त बनावत।’
आलम
द्विजदेव
घनानंद
उपरोक्त काव्‍यपंक्‍ति के रचयिता घनानंद हैं।
इनमें से कोई नहीं
45. ‘जुही की कली’ कविता को किस संपादक ने अपने पत्र में बिना प्रकाशित किये वापस कर दिया था?
गोपालदास गहमरी
बालकृष्‍ण भट्ट
महावीर प्रसाद द्विवेदी
सरस्वती पत्रिका के संपादक महावीर प्रसाद द्विवेदी ने ‘जुही की कली’ कविता को बिना प्रकाशित किये वापस कर दिया था।
बनारसीदास चतुर्वेदी
46. ‘चौथा सप्‍तक’ में संकलित कवयित्री हैं:
शकुन्‍त माथुर
सुमन राजे
‘चौथा सप्‍तक’ में सुमन राजे संकलित कवयित्री हैं।
मणिकामोहिनी
कीर्ति चौधरी
47. कलकत्ता में स्‍थापित ‘फोर्ट विलियम कॉलेज’ के संस्‍थापक थे:
जॉन गिलक्राइस्‍ट
कलकत्ता में स्‍थापित ‘फोर्ट विलियम कॉलेज’ (1800 ई.) के संस्‍थापक जॉन गिलक्राइस्‍ट थे। उन्होंने हिंदी शिक्षण के लिए लल्लू लाल और सदल मिश्र को नियुक्त किया था।
सदल मिश्र
राजा शिवप्रसाद ‘सितारे हिन्‍द’
रवीन्‍द्रनाथ टैगोर
48. किशोरीलाल गोस्‍वामी कृत ‘इन्‍दुमती’ नामक कहानी सर्वप्रथम कब और कहाँ प्रकाशित हुर्इं थी?
सन् 1900 ई. में, सरस्‍वती में
किशोरीलाल गोस्‍वामी कृत ‘इन्‍दुमती’ हिंदी की पहली कहानी मानी जाती है। यह सन् 1900 ई. में सरस्‍वती पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।
सन् 1900 ई. में, विशालभारत में
सन् 1903 ई. में, सरस्‍वती में
इनमें से किसी में भी नहीं
49. भारवि द्वारा रचित ‘किरातार्जुनीयम्’ का प्रधान रस है:
वीर रस
भारवि द्वारा रचित ‘किरातार्जुनीयम्’ का प्रधान रस वीर रस है।
श्रृंगार रस
करुण रस
शान्‍त रस
50. ‘श्रीहर्ष’ द्वारा रचित ‘नैषधीयचरित’ में किस रीति की प्रधानता है?
पांचाली रीति
वैदर्भी रीति
‘श्रीहर्ष’ द्वारा रचित ‘नैषधीयचरित’ में वैदर्भी रीति की प्रधानता है।
गौडी रीति
प्रसाद रीति
51. बृहत्त्रयी में कौन-सा महाकाव्‍य नहीं आता है?
किरातार्जुनीयम्
शिशुपालवधम्
नैषधीयचरितम्
रघुवंशम्
भारवि कृत ‘किरातार्जुनीयम्’, माघ कृत ‘शिशुपालवधम्’, और श्रीहर्ष कृत ‘नैषधीयचरितम्’ महाकाव्यों की बृहत्त्रयी में आते हैं। ‘रघुवंशम्’ इसमें शामिल नहीं है।
52. ‘निर्वेद’ स्‍थायीभाव है:
रौद्र रस का
शांत रस का
‘निर्वेद’ शांत रस का स्‍थायीभाव है। शांत रस की अनुभूतियाँ मोक्ष और शांति से जुड़ी होती हैं।
करुण रस का
भयानक रस का
53. ‘उज्‍ज्‍वल’ शब्‍द का सही संधि-विच्‍छेद चुनिये-
उज् + ज्‍वल
उज्‍ज + वल
उत् + ज्‍वल
‘उज्‍ज्‍वल’ शब्‍द का सही संधि-विच्‍छेद उत् + ज्‍वल है। यह व्यंजन संधि का उदहारण है।
उज + वल
54. ‘पंचवटी’ शब्‍द में प्रयुक्‍त समास का नाम बताइये:
द्विगु समास
‘पंचवटी’ शब्‍द में द्विगु समास है, जिसमें संख्या और विशेष्य का संबंध होता है।
तत्‍पुरूष समास
बहुब्रीहि समास
अव्‍ययीभाव समास
55. ‘राजा निरबंशिया’ कहानी के लेखक हैं:
पानू खोलिया
कमलेश्‍वर
‘राजा निरबंशिया’ कहानी के लेखक कमलेश्‍वर हैं। उनकी अन्य महत्वपूर्ण कहानियाँ- तलाश, बयान, नीली झील, मांस का दरिया आदि हैं।
हरिशंकर परसाई
रवीन्‍द्र कालिया
56. ‘अब लौं नसानी अब न नसैहों’ पद के रचयिता हैं:
सूरदास
कुंभनदास
तुलसीदास
यह पद तुलसीदास का है।
गोविन्‍दस्‍वामी
57. निम्‍नांकित में से कौन-सा शब्‍द ‘सूर्य’ का पर्यायवाची नहीं है?
दिनकर
दिवाकर
भास्‍वर
दिनकर, दिवाकर और अंशुमाली ‘सूर्य’ के पर्यायवाची शब्द हैं, लेकिन भास्वर नहीं है।
अंशुमाली
58. ‘करुण’ के रस राजत्‍व की प्रतिष्‍ठापना किस ग्रंथ द्वारा की गई?
रघुवंशम्
उत्तररामचरितम्
‘करुण’ के रस राजत्‍व की प्रतिष्‍ठापना भवभूति के उत्तररामचरितम् नाटक द्वारा की गई। उनके दो अन्य नाटक मालतीमाधव श्रृंगार रस प्रधान और महावीर चरित वीर रस प्रधान हैं।
प्रतिमा नाटकम्
किरातार्जुनीयम्
59. ‘न कांतमपि निर्भूषं विभाति वनितामुखम्’- यह अभिमत है:
आचार्य रुद्रट का
पीयूषवर्षी जयदेव का
आचार्य भामह का
आचार्य भामह के अनुसार, अलंकार विहीन काव्य उसी तरह शोभित नहीं होता जैसे किसी कामिनी का मुख बिना भूषण के।
आचार्य मम्‍मट का
60. ‘अभिज्ञ’ शब्‍द का विलोम है:
भिज्ञ
सभिज्ञ
अनभिज्ञ
‘अभिज्ञ’ शब्‍द का विलोम ‘अनभिज्ञ’ है।
सुभिज्ञ

61. ‘द्विज’ शब्‍द का अर्थ है:
ब्राह्मण
दाँत
पक्षी
इनमें से सभी
‘द्विज’ शब्‍द का अर्थ ब्राह्मण, दाँत और पक्षी होता है। यह अनेकार्थक शब्द है।
62. ‘अकरो:’ रूप है:
‘कृ’ धातु लोट् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन
‘कृ’ धातु लङ् लकार, मध्‍यम पुरुष, एकवचन
‘अकरो:’ रूप ‘कृ’ धातु का लङ् लकार, मध्‍यम पुरुष, एकवचन में है।
‘कृ’ धातु लट् लकार, प्रथम पुरुष, बहुवचन
‘कृ’ धातु लृट् लकार, उत्तम पुरुष, द्विवचन
63. ‘मार्ग के दोनों तरु वृक्ष हैं’ का संस्‍कृत में अनुवाद होगा:
मार्गम् उभयत: वृक्षा: सन्ति
‘मार्ग के दोनों तरु वृक्ष हैं’ का संस्‍कृत में अनुवाद ‘मार्गम् उभयत: वृक्षा: सन्ति’ है।
मार्गस्‍य उभयत: वृक्ष: सन्ति
मार्गस्‍य उभयत: वृक्षा: सन्ति
मार्गे वृक्षा: सन्ति
64. ‘भविष्‍यत कहा’ के रचनाकार हैं:
पुष्‍पदन्‍त
स्‍वयंभू
धनपाल
‘भविष्‍यत कहा’ के रचनाकार धनपाल हैं।
सरहपा
65. आचार्य भिखारीदास कृत प्रमुख काव्‍यशास्‍त्रीय ग्रंथ है:
काव्‍यप्रकाश
काव्‍यनिर्णय
आचार्य भिखारीदास कृत प्रमुख काव्‍यशास्‍त्रीय ग्रंथ ‘काव्‍यनिर्णय’ है। उनके अन्य ग्रंथ- रस-सारांश, श्रृंगार निर्णय, शब्दनाम कोश आदि हैं।
काव्‍यांगप्रकाश
रस-सारांश
66. ‘कामायनी’ को ‘छायावाद का उपनिषद्’ किसने कहा है?
डॉ. नगेंद्र ने
मुक्‍तिबोध ने
डॉ. इन्‍द्रनाथ मदान ने
शान्तिप्रिय द्विवेदी
‘कामायनी’ को ‘छायावाद का उपनिषद्’ शान्तिप्रिय द्विवेदी ने कहा है।
67. हिंदी-साहित्‍य के इतिहास-ग्रंथ ‘हिंदी साहित्‍य विमर्श’ के लेखक हैं:
वियोगी हरि
सूर्यकांत शास्‍त्री
डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी
पदुमलाल पुन्‍नालाल बख्‍शी
‘हिंदी साहित्‍य विमर्श’ के लेखक पदुमलाल पुन्‍नालाल बख्‍शी हैं।
68. ‘धुमिल’ को किस काव्‍यकृति पर ‘साहित्‍य अकादमी’ पुरस्‍कार मिला था?
कल सुनना मुझे
‘धुमिल’ को ‘कल सुनना मुझे’ काव्‍यकृति पर 1979 में ‘साहित्‍य अकादमी’ पुरस्‍कार मिला था।
सुदामा पाण्‍डे का प्रजातन्‍त्र
संसद से सड़क तक
किसी पर नहीं
69. ‘निठल्ले की डायरी’ नामक हास्‍य-व्‍यंग्‍य निबंध-संग्रह के लेखक हैं:
श्रीलाल शुक्‍ल
गोपाल प्रसाद व्‍यास
रवीन्‍द्रनाथ त्‍यागी
हरिशंकर परसाई
‘निठल्ले की डायरी’ हास्य-व्यंग्य निबंध-संग्रह हरिशंकर परसाई का है। उनके अन्य व्यंग्यात्मक निबन्ध- हँसते हैं रोते हैं, तब की बात और थी, जैसे उनके दिन फिरे, सदाचार की ताबीज, पगडंडियों का जबाना, वैष्णव की फिसलन, शिकायत मुझे भीं है, तुलसीदास चंदन घिसै, ठिठुरता हुआ गणतंत्र आदि हैं।
70. निम्‍नलिखित में से कौन-सा नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नहीं है?
स्‍कन्‍दगुप्‍त
चंद्रगुप्‍त
कर्बला
‘कर्बला’ नाटक प्रेमचंद का है। स्‍कन्‍दगुप्‍त, चंद्रगुप्‍त, ध्रुवस्‍वामिनी, सज्जन, कल्याणी परिणय, करुणालय, प्रायश्चित, राज्य श्री, विशाख, अजातशत्रु, कामना, जनमेजय का नाग यज्ञ, एक घूँट आदि नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित हैं।
ध्रुवस्‍वामिनी
71. ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ के प्रथम अधिवेशन की अध्‍यक्षता की थी:
प्रेमचंद
‘प्रगतिशील लेखक संघ’ के प्रथम अधिवेशन (1936 ई.) की अध्‍यक्षता प्रेमचंद ने की थी। सन् 1935 ई. में एम. फार्स्टर के सभापतित्व में पेरिस में ‘प्रोग्रेसिव रायटर्स एसोसिएशन’ नामक अंतर्राष्ट्रीय संस्था का प्रथम अधिवेशन हुआ था। सन् 1936 ई. में सज्जाद जहीर और मुल्कराज आनंद ने भारत में इसकी शाखा खोली और प्रेमचंद की अध्यक्षता में लखनऊ में इसका प्रथम अधिवेशन हुआ।
नागार्जुन
राही मासूम रजा
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
72. ‘छायावाद’ शब्‍द का सर्वप्रथम प्रयोग किस आलोचक ने किया था?
मुकुटधर पाण्‍डेय
‘छायावाद’ शब्‍द का सर्वप्रथम प्रयोग मुकुटधर पाण्‍डेय ने किया था।
आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल
हजारीप्रसाद द्विवेदी
नामवर सिंह
73. ‘केशव! कहि न जाई का कहिये’- यह पंक्‍ति किस रचनाकार की है?
कबीर
रहीम
केशव
तुलसी
उपरोक्त पंक्‍ति के रचनाकार तुलसीदास हैं।
74. निम्‍नलिखित में से ‘संत काव्‍य परम्‍परा’ के अन्‍तर्गत न आने वाले कवि का नाम है:
कबीर
दादू दयाल
नानक
नंद दास
कबीर, दादू दयाल और नानक संत काव्‍य परम्‍परा के कवि हैं, जबकि ‘नंद दास’ कृष्ण भक्ति शाखा के कवि हैं।
75. गद्य-पद्य मिश्रित काव्‍य को कहते हैं:
खण्‍डकाव्‍य
नाट्यकाव्‍य
चम्‍पूकाव्‍य
गद्य-पद्य मिश्रित काव्‍य को ‘चम्‍पूकाव्‍य’ कहा जाता है।
मुक्‍तककाव्‍य
76. ‘इत्‍यादि’ शब्‍द का सही संधि-विच्‍छेद होगा:
इति + आदि
‘इत्‍यादि’ शब्‍द का सही संधि-विच्‍छेद इति + आदि है। यह यण संधि का उदाहरण है। जब ह्रस्व या दीर्घ इ, उ, ऋ, ऌ के बाद कोई असमान स्वर आये तो क्रमश: य्, व्, र्, ल् हो जाता है।
इत्‍य + आदि
इति + यादि
इत + आदि
77. ‘मति’ शब्‍द के षष्‍ठी एकवचन का रूप है:
मत्‍या
मत्‍या:
‘मति’ शब्‍द के षष्‍ठी एकवचन का रूप ‘मत्‍या:’ है।
मतय:
नतये
78. अवधी किस उपभाषा वर्ग की बोली है?
पश्‍चिमी हिंदी
पूर्वी हिंदी
अवधी पूर्वी हिंदी उपभाषा वर्ग की बोली है। पूर्वी हिंदी की अन्य बोलियाँ- बघेली और छत्तीसगढ़ी हैं।
बिहार हिंदी
राजस्‍थानी हिंदी
79. निम्‍नलिखित में से कौन वीरगाथा काल की रचना नहीं है?
संदेश रासक
जयमयंक जस चन्द्रिका
आल्हखंड
भक्‍तमाल
अब्दुल रहमान कृत संदेश रासक, मधुकर कवि कृत जयमयंक जस चन्द्रिका, जगनिक कृत आल्हखंड वीरगाथा काल की रचनाएँ हैं। स्वामी अग्रदास के शिष्य नाभादास (भक्‍तमाल) भक्तिकालीन कवि हैं।
80. कृष्‍ण काव्‍यधारा के प्रवर्त्तक हैं:
सूरदास
स्‍वामी बल्‍लभाचार्य
कृष्‍ण काव्‍यधारा के प्रवर्त्तक स्‍वामी बल्‍लभाचार्य माने जाते हैं।
नाभादास
चैतन्‍य महाप्रभु
81. ‘तार सप्‍तक’ का प्रकाशन वर्ष है:
सन् 1940 ई.
सन् 1943 ई.
‘तार सप्‍तक’ का प्रकाशन 1943 ई. में हुआ था। इसे प्रयोगवाद का आरंभ माना जाता है। अज्ञेय जी ने इसके साथ-साथ ‘दूसरा सप्तक’-1951 ई., ‘तीसरा सप्तक’- 1959 ई. और ‘चौथा सप्तक’- 1979 ई. का भी संपादन किया।
सन् 1955 ई.
सन् 1958 ई.
82. ‘अज्ञेय’ की रचना है:
कुरुक्षेत्र
हरी घास पर क्षण भर
‘हरी घास पर क्षण भर’ अज्ञेय की रचना है। इनकी अन्य रचनाएँ- बावरा अहेरी, इंद्र धनुष रौंदे हुए, अरी ओ करुणा प्रभामय, आंगन के पार द्वार, कितनी नावों पर कितनी बार, सागर मुद्रा, महावृक्ष के नीचे, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, नदी की बांक पर छाया, असाध्य वीणा आदि हैं। वहीं कुरुक्षेत्र और हुंकार दिनकर की और पवनदूत धोयी / धोयिन की रचना है।
हुंकार
पवनदूत
83. अयोध्‍यासिंह उपाध्‍याय ‘हरिऔध’ द्वारा लिखित काव्‍य ग्रंथ है:
पथिक
कनुप्रिया
चोखे-चौपदे
अयोध्‍यासिंह उपाध्‍याय ‘हरिऔध’ द्वारा लिखित काव्‍य ग्रंथ चोखे-चौपदे है। इनकी अन्य रचनाएँ- प्रियप्रवास, पद्य प्रसून, चुभते-चौपदे, रस कलस, वैदेही बनवास आदि हैं।
वासवदत्ता
84. ‘नयी कहानी’ पत्रिका का संपादक कौन था?
प्रेमचंद
मोहन राकेश
कमलेश्‍वर
भैरव प्रसाद गुप्‍त
‘नयी कहानी’ पत्रिका के संपादक भैरव प्रसाद गुप्‍त थे।
85. रामचरित मानस में कुल कितने काण्‍ड हैं?
15
10
7
रामचरित मानस में कुल 7 काण्‍ड हैं- बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किन्धाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड। छंदों की संख्या के हिसाब से बालकांड सबसे बड़ा और किष्किन्धाकांड सबसे छोटा कांड है।
8
86. ‘नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्‍वास रजत नग पग पल में’- किस रचनाकार की पंक्‍ति है?
जयशंकर प्रसाद
यह प्रसिद्ध पंक्ति जयशंकर प्रसाद की है।
सुमित्रानंदन पंत
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
महादेवी वर्मा
87. ‘विभावानुभावव्‍यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पति:’ को प्रतिपादित किया है:
दण्‍डी
भरत मुनि
यह प्रसिद्ध रस सूत्र भरत मुनि द्वारा नाट्यशास्त्र में प्रतिपादित है।
वामन
अभिनवगुप्‍त
88. ‘कुवलयानंद’ के रचयिता हैं:
भामह
दण्‍डी
पण्डितराज जगन्‍नाथ
अप्‍पय दीक्षित
‘कुवलयानंद’ के रचयिता अप्‍पय दीक्षित हैं।
89. निम्न पंक्ति में कौन-सा अलंकार है-
‘दृग अरुझत, टूटत कुटुम, जुरत चतुर चित प्रीति
परति गाँठ दुरजन हिए, दई नयी यह रीति।’
निदर्शना
दृष्‍टान्‍त
असंगति
उपरोक्त पंक्तियों में असंगति अलंकार है।
विभावना
90. आचार्य मम्‍मट ने काव्‍य गुण माने हैं:
10
3
आचार्य मम्‍मट ने 3 काव्‍य गुण माना है। आनंद वर्द्धन, हेमचंद्र, विश्वनाथ, जगन्नाथ आदि प्रभृति आचार्यों ने भी काव्य के 3 गुण माना है। वहीं भरत मुनि, दंडी एवं वामन ने काव्य के 10 गुण माना है।
15
8

91. हिंदी भाषा के उद्भव और विकास का सही क्रम चुनिए:
संस्‍कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, शौरसेनी, पश्चिमी हिंदी, खड़ी बोली
हिंदी भाषा का विकास क्रम संस्कृत से शुरू होकर पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, शौरसेनी, पश्चिमी हिंदी और अंततः खड़ी बोली तक पहुँचता है।
संस्‍कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, पालि, शौरसेनी, पश्‍चिमी हिंदी, खड़ी बोली
संस्‍कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, खड़ी बोली, शौरसेनी, पश्‍चिमी हिंदी
पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, संस्‍कृत, शौरसेनी, पश्‍चिमी हिंदी, खड़ी बोली
92. निम्‍नलिखित में से कौन-सा शब्‍द तत्‍सम रूप है?
अंधकार
‘अंधकार’ तत्सम शब्द है। ‘अंधियारा’ और ‘अंधेरा’ तद्भव शब्द हैं।
अंधियारा
अंधेरा
रात
93. निम्‍नलिखित में से किस शब्‍द में ‘उपसर्ग’ है?
लालिमा
पराजय
पराजय में ‘परा’ उपसर्ग है। परा + जय = पराजय।
दशक
कारीगर
94. देवनागरी लिपि का विकास हुआ है:
खरोष्‍ठी से
फारसी से
मराठी से
ब्राह्मी से
देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्मी से हुआ है। 400 ई. में ब्राह्मी लिपि से गुप्त लिपि का विकास हुआ जिससे 600 ई. में कुटिल लिपि विकसित हुई। उसी से 8-9वीं शताब्दी में नागरी लिपि का विकास हुआ।
95. निम्‍नलिखित में से कौन-सा शब्‍द ‘कमल’ का पर्यायवाची नहीं है?
अरविन्‍द
शतदल
सरसिज
अमिय
‘कमल’ का पर्यायवाची शब्द- अरविंद, शतदल और सरसिज है। जबकि अमिय ‘अमृत’ का पर्यायवाची शब्द है।
96. ‘आचार’ का विलोम शब्‍द है:
अनाचार
‘आचार’ का विलोम शब्द ‘अनाचार’ है।
आनाचार
अत्‍याचार
विचार
97. ‘जिसकी आशा न की गयी हो’- उसे कहा जाता है:
निराशा
अप्रत्‍याशित
‘अप्रत्‍याशित’ का अर्थ है ‘जिसकी आशा न की गयी हो’।
उपेक्षा
असम्‍भव
98. ‘जिस पर अनुग्रह किया गया हो’ वाक्‍यांश के लिए प्रयुक्‍त शुद्ध एक शब्‍द है:
अनुग्रहीत
अनुगृहीत
‘अनुगृहीत’ का अर्थ है ‘जिस पर अनुग्रह किया गया हो’।
अनुग्रही
अनुग्रहित
99. निम्‍नलिखित में से कौन-सा शब्‍द ‘पताका’ का पर्यायवाची नहीं है?
निशान
ध्‍वज
झण्‍डा
प्रस्‍तर
‘पताका’ का पर्यायवाची शब्द- निशान, ध्वज और झंडा हैं। वहीं प्रस्तर ‘पत्थर’ का पर्यायवाची शब्द है।
100. ‘मुझे चाँद चाहिए’ उपन्‍यास के लेखक हैं:
विक्रम सेठ
सुरेन्‍द्र वर्मा
‘मुझे चाँद चाहिए’ उपन्‍यास के लेखक सुरेन्‍द्र वर्मा हैं।
रांगेय राघव
अरुन्‍धती राय
101. ‘टोपी शुक्‍ला’ के लेखक हैं-
श्रीलाल शुक्‍ल
राही मासूम रजा
‘टोपी शुक्‍ला’ उपन्यास के लेखक राही मासूम रजा हैं।
मन्‍नू भंडारी
मोहन राकेश
102. ‘अरुण यह मधुमय देश हमारा’- गीत ‘प्रसाद’ जी की किस कृति में है?
झरना
लहर
ध्रुवस्‍वामिनी
चंद्रगुप्‍त
‘अरुण यह मधुमय देश हमारा’- गीत ‘प्रसाद’ जी के चंद्रगुप्‍त नाटक में है।
103. ‘कवित्त रत्‍नाकर’ के रचनाकार हैं:
जगन्‍नाथ दास ‘रत्‍नाकार’
सेनापति
‘कवित्त रत्‍नाकर’ के रचनाकार सेनापति हैं।
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
घनानंद
104. ‘अष्‍टछाप’ के प्रमुख कवि ‘नंददास’ किसके शिष्‍य थे?
बल्‍लभाचार्य
विट्ठलनाथ
‘अष्‍टछाप’ के प्रमुख कवि ‘नंददास’ विट्ठलनाथ के शिष्‍य थे।
निम्‍बार्काचार्य
रामानंद
105. ‘कबीर वाणी के डिक्‍टेटर थे’- यह अभिमत किस आलोचक का है?
डॉ. रामकुमार वर्मा
डॉ. परशुराम चतुर्वेदी
डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी
‘कबीर वाणी के डिक्‍टेटर थे’- यह अभिमत डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी का है।
आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल
106. इनमें से कौन-सा कवि ‘अभिनय जयदेव’ की उपाधि से विभूषित हैं?
विद्यापति
‘अभिनय जयदेव’ की उपाधि से विभूषित कवि विद्यापति हैं।
कुंभनदास
सूरदास
नंददास
107. मुक्‍त छंद के प्रणेता हैं:
निराला
मुक्‍त छंद के प्रणेता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हैं।
महादेवी वर्मा
नागार्जुन
जयशंकर प्रसाद
108. निम्‍नलिखित में से कौन-सा कथन असत्‍य है?
पंत को प्र‍कृति का सुकुमार कवि कहा जाता है
‘पल्‍लव’ पंत की रचना है
लोकायतन महाकाव्‍य की श्रेणी में आता है
पंत भारतेंदु युग के कवि हैं
पंत जी छायावाद के प्रमुख कवि हैं।
109. ‘राम’ शब्‍द का तृतीया द्विवचन रूप है
रामाभ्‍याम्
‘राम’ शब्‍द का तृतीया द्विवचन रूप ‘रामाभ्‍याम्’ है।
रामेभ्‍य:
रामान्
रामै:
110. महाकवि कालिदास किस अलंकार के लिए प्रसिद्ध हैं?
उपमा
महाकवि कालिदास उपमा अलंकार के लिए प्रसिद्ध हैं। उपमा कालिदासस्य कहा भी गया है।
रूपक
श्‍लेष
उत्‍प्रेक्षा
111. ‘सूरदास’ किस उपन्‍यास का पात्र है?
रंगभूमि
‘सूरदास’ रंगभूमि (प्रेमचंद) उपन्‍यास का पात्र है। सूरदास इस उपन्यास का मुख्य पात्र है जो गाँधी जी के आदर्शों पर चलता है। इस उपन्यास में त्याग, प्रेम, बलिदान के आदर्श को दर्शाया गया है।
मानस का हंस
कर्मभूमि
गबन
112. ‘त्रिवेणी’ में किन तीन महान् कवियों की समीक्षा प्रस्‍तुत की गयी है?
कबीर, सूर, तुलसी
जायसी, सूर, तुलसी
आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखित ‘त्रिवेणी’ में जायसी, सूरदास और तुलसीदास की समीक्षा प्रस्‍तुत की गयी है।
केशव, बिहारी, घनानंद
पंत, प्रसाद, निराला
113. रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा लिखित ‘गेहूँ और गुलाब’ में गुलाब किसका प्रतीक है?
सुगन्‍ध
कला और संस्‍कृति
रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा लिखित ‘गेहूँ और गुलाब’ में गेहूँ ‘भूख’ और गुलाब ‘कला और संस्‍कृति’ का प्रतीक है।
पूंजीवाद
राजतन्‍त्र
114. जिस छंद के प्रथम तथा तृतीय चरण में 12-12 मात्राएँ एवं द्वितीय तथा चतुर्थ चरण में 7-7 मात्राएँ होती हैं, साथ ही सम चरणों के अन्‍त में जगण (ISI) होता है, वह छंद है-
मालिनी
बरवै
बरवै छंद होता है।
रोला
इन्‍द्रवज्रा
115. ‘हानूश’ नाटक के रचनाकार हैं-
कुसुम कुमार
रमेश बख्‍शी
भीष्‍म साहनी
‘हानूश’ नाटक के रचनाकार भीष्‍म साहनी हैं। उनके अन्य नाटक- माधवी, कबीरा खड़ा बाजार में, मुआवजे हैं।
मोहन राकेश
116. ‘आदिकाल’ के लिए ‘बीज-वपनकाल’ नामंकरण किसने किया है?
राहुल सांकृत्‍यायन
डॉ. नगेंद्र
महावीरप्रसाद द्विवेदी
‘आदिकाल’ के लिए ‘बीज-वपनकाल’ नामंकरण महावीरप्रसाद द्विवेदी ने किया है।
हजारीप्रसाद द्विवेदी
117. ‘संसद से सड़क तक’ के रचनाकार हैं-
मुक्‍तिबोध
धूमिल
‘संसद से सड़क तक’ के रचनाकार धूमिल हैं।
सर्वेश्‍वरदयाल सक्‍सेना
लीलाधर जगूड़ी
118. ‘शिवाबावनी’ के रचनाकार हैं-
रत्‍नाकर
भूषण
‘शिवाबावनी’ के रचनाकार भूषण हैं। इनकी अन्य रचनाएँ- शिवराज भूषण, छत्रसाल दशक, भूषण उल्लास, दूषण उल्लास तथा भूषण हजारा हैं।
ठाकुर
आलम
119. निम्‍नांकित में से कौन कथाकार नहीं है?
कृष्‍णा सोबती
ममता कालिया
निर्मला जैन
निर्मला जैन मुलत: आलोचक हैं जबकि कृष्‍णा सोबती, ममता कालिया और मृणाल पाण्‍डेय कथाकार हैं।
मृणाल पाण्‍डेय

120. सूची- I का मिलान सूची- II से कीजिए तथा नीचे दिये गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) क्‍या भूलूँ क्‍या याद करूँ – (i) रेखाचित्र
(b) आवारा मसीहा – (ii) यात्रा-साहित्‍य
(c) तन्‍त्रालोक से यन्‍त्रालोक तक – (iii) आत्मकथा
(d) मेरा परिवार – (iv) जीवनी
कूट:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iii), (iv)
(iii), (iv), (ii), (i)
‘क्‍या भूलूँ क्‍या याद करूँ’ हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा है, ‘आवारा मसीहा’ विष्णु प्रभाकर की शरत चंद्र पर लिखी जीवनी है, ‘तन्‍त्रालोक से यन्‍त्रालोक’ तक नगेंद्र का यात्रा-साहित्य है और ‘मेरा परिवार’ महादेवी का रेखाचित्र है।
(iv), (iii), (i), (ii)
(ii), (i), (iv), (iii)
121. सूची- I का मिलान सूची- II से कीजिए और दिये गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) शुद्धा द्वैतवाद – (i) बल्‍लभाचार्य
(b) अद्वैतवाद – (ii) शंकराचार्य
(c) विशिष्‍ट‍ाद्वैतवाद – (iii) रामानुजाचार्य
(d) द्वैतवाद – (iv) मध्‍वाचार्य
कूट:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iii), (i), (iv)
(iii), (ii), (iv), (i)
(i), (ii), (iii), (iv)
शुद्धा द्वैतवाद के प्रवर्तक आचार्य विष्णुस्वामी हैं, इनके शिष्य बल्‍लभाचार्य थे जिन्होंने विष्णुस्वामी सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया। अद्वैतवाद का प्रवर्तन शंकराचार्य, विशिष्‍ट‍ाद्वैतवाद का प्रवर्तन रामानुजाचार्य और द्वैतवाद का प्रवर्तन मध्‍वाचार्य ने किया।
(iv), (i), (ii), (iii)
122. सूची- I का मिलान सूची- II से कीजिए और दिये गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) कालिदास – (i) दशकुमारचरितम्
(b) माघ – (ii) अभिज्ञानशाकुन्‍तलम्
(c) भवभूति – (iii) शिशुपालवधम्
(d) दण्‍डी – (iv) उत्तररामचरितम्
कूट:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iii), (iv)
(ii), (iii), (iv), (i)
कालिदास की अभिज्ञानशाकुन्‍तलम्, माघ की शिशुपालवधम्, भवभूति की उत्तररामचरितम् और दण्‍डी की दशकुमारचरितम् रचना है।
(iii), (i), (ii), (iv)
(iv), (ii), (iii), (i)
123. सूची- I का मिलान सूची- II से कीजिए और दिये गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) लट्लकार – (i) भविष्‍य काल
(b) लोटलकार – (ii) वर्तमान काल
(c) लङ्लकार – (iii) आज्ञार्थक
(d) लृट्लकार – (iv) भूत काल
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iii), (iv), (i), (ii)
(iii), (i), (ii), (iv)
(i), (ii), (iii), (iv)
(ii), (iii), (iv), (i)
लट्लकार को वर्तमान काल, लोटलकार को आज्ञार्थक, लङ्लकार को भूतकाल और लृट्लकार को भविष्यकाल कहते हैं।
124. सूची- I की मिलान सूची- II से कीजिए और दिये गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल – (i) प्रारम्भिक काल
(b) डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी – (ii) वीर गाथा काल
(c) राहुल सांकृत्‍यायन – (iii) सिद्ध-सामन्‍त काल
(d) मिश्र बंधु – (iv) आदि काल
कूट:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iii), (iv)
(iv), (iii), (ii), (i)
(iii), (i), (ii), (iv)
(ii), (iv), (iii), (i)
आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल ने आदिकाल को वीरगाथा काल, डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने आदिकाल, राहुल सांकृत्‍यायन ने सिद्ध सामंत काल और मिश्र बंधुओं ने प्रारम्भिक काल नाम दिया है।
125. सूची- I का मिलान सूची- II से कीजिए तथा नीचे दिये गए कूट का उपयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) बीसलदेव रासो – (i) जगनिक
(b) पृथ्‍वीराज रासो – (ii) नरपति नाल्‍ह
(c) परमाल रासो – (iii) दलपति विजय
(d) खुमाण रासो – (iv) चंदवरदायी
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iii), (i), (iv), (ii)
(ii), (iv), (i), (iii)
बीसलदेव रासो ग्रंथ नरपति नाल्‍ह का, पृथ्‍वीराज रासो ग्रंथ चंदवरदायी का, परमाल रासो ग्रंथ जगनिक का और खुमाण रासो ग्रंथ दलपति विजय का है।
(i), (ii), (iii), (iv)
(iv), (iii), (ii), (i)

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