राजस्थान सहायक आचार्य हिंदी परीक्षा 2020 की द्वितीय प्रश्न पत्र की परीक्षा 23-09-2021 द्वितीय पाली में आयोजित हुई थी। rpsc colleges lecture hindi का 2nd question peper यहाँ व्याख्यात्मक हल के साथ दिया जा रहा है। RPSC Assistant Professor hindi का 1st Papers इसके ठीक पहले दिया जा चुका है।
RPSC colleges lecture Hindi question papers
1. निम्न स्थापना किसकी है?
“‘सूरसागर’ किसी चली आती हुई गीत काव्य-परंपरा का- भले ही वह मौखिक हो,- विकास प्रतीत होता है।” रामचंद्र शुक्ल
उक्त स्थापना ‘रामचंद्र शुक्ल’ की है।
रामकुमार वर्मा
दीनदयाल गुप्त
मुंशीराम शर्मा
2. सरहपा विषयक यह कथन किसका हैं?
“चौपाई-दोहे का सबसे पुराना प्रयोग शायद यही है। जो कृछ पुराना साहित्य उपलब्ध है उससे लगता है कि पूर्वी प्रदेश के बौद्ध-सिद्धों ने ही इस शैली में लिखना शुरू किया था।” राहुल सांकृत्यायन
रामकुमार वर्मा
रामचंद्र शुक्ल
हजारी प्रसाद द्विवेदी
सरहपा विषयक यह कथन ‘हजारी प्रसाद द्विवेदी’ का हैं।
3. सुमेलित नहीं है:
चंदनबालारास- आसगु
स्थूलिभद्ररास- विजयसेनसूरि
जिनधर्मसूरि ने स्थूलिभद्ररास 1209 ई. में की थी।
उक्तिव्यक्ति प्रकरण- दामोदर पंडित
वर्णरत्नाकर- ज्योतिरीश्वर ठाकुर
4. आचार्य रामचंद्र शुक्ल की दृष्टि से कौन-सा कथन सही नहीं है?
‘अखरावट’ में वर्णमाला के एक-एक अक्षर को लेकर सिद्धांत संबंधी चौपाइयाँ कही गई हैं।
‘आखिरी कलाम’ में कयामत का वर्णन है।
‘पदमावत’ में प्रेमगाथा की परंपरा पूर्ण प्रौढ़ता को प्राप्त मिलती है।
‘पदमावत’ पूर्णतया ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘पदमावत’ के पूर्वार्ध को बिल्कुल काल्पनिक और उत्तरार्ध को ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित माना है।
5. मंझन कृत ‘मधुमालती’ के विषय में कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
इसकी कथा पूर्ण रूप से ऐतिहासिक है।
मंझन कृत ‘मधुमालती’ ही क्या कोई भी सूफी ग्रंथ पूर्ण रूप से ऐतिहासिक नहीं है।
इसमें भारतीय काव्य-रूढ़ियों का प्रयोग किया गया है।
अन्य सूफी काव्यों के समान ही इसमें भी प्रेम को ही सब कुछ माना गया है।
इसमें पाँच अर्धाली/चौपाइयों के बाद दोहे का प्रयोग है।
6. कबीर विषयक उक्त मान्यता किसकी है?
“कबीरदास ऐसे ही मिलनबिंद पर खड़े थे। जहाँ से एक ओर हिंदुत्व निकल जाता है और दूसरी ओर मुसलमानत्व,…..।” रामचंद्र शुक्ल
श्यामसुंदर दास
हजारी प्रसाद द्विवेदी
कबीर विषयक उक्त मान्यता ‘हजारी प्रसाद द्विवेदी’ की है।
सरनामसिंह शर्मा
7. हिंदी प्रेमाख्यान काव्य-परम्परा से संबंधित असंगत कथन है-
निर्विवाद रूप से सभी प्रेमाख्यान तत्सम शब्दावली प्रधान अवधी भाषा में रचित हैं।
अधिकांश प्रेमाख्यान ठेठ अवधी भाषा में रचित हैं।
ये काव्य प्रबंधात्मक शैली में रचित हैं।
इनके पात्र मुख्यतः दो श्रेणियों- मानवीय और मानवेतर के है।
इन काव्यों की मूलभावना प्रेम है।
8. निम्नलिखित के आधार पर सही विकल्प चुनिए:
(a) कबीर जो कुछ कहते थे शास्त्रीय ज्ञान के आधार पर कहते थे।(b) उसकी उक्तियाँ बेधने वाली और व्यंग्य चोट करने वाले होते थे।
(a) और (b) दोनों सही
(a) गलत और (b) सही
(a) गलत और (b) सही
(a) और (b) दोनों गलत
(a) सही और (b) गलत
9. कौन-सा कथन असंगत है?
कृष्णगढ़ नरेश महाराज सावंतसिंह ही प्रसिद्ध भक्त कवि नागरीदास हैं।
गागरौनगढ़ के राजा संत पीपा ने स्वामी रामानंद से दीक्षा ली थी।
जंभनाथ ने अपने आदर्शों के प्रचारार्थ ‘ब्रह्म संप्रदाय’ की स्थापना की।
जंभनाथ ने विश्नोई संप्रदाय की स्थापना की थी। वहीं ‘ब्रह्म संप्रदाय’ की स्थापना मध्वाचार्य ने किया था जिनका द्वैतवाद सिद्धांत है।
सहजोबाई ने ब्रम्हतत्व का निर्गुण-सगुण निरपेक्ष अनिवर्चनीय स्थिति का अनुभूतिपरक वर्णन किया है।
10. सूरदास की मृत्यु को सन्निकट जानकर ये शोकार्त्ता वचन किसके हैं?
“पुष्टिमार्ग को जहाज जात है सो जाको कछु लेना होय सो लेउ।” गोकुलनाथ
विट्ठलनाथ
सूरदास की मृत्यु को सन्निकट जानकर ये शोकार्त्ता वचन ‘विट्ठलनाथ’ के हैं।
कुंभनदास
नंददास
11. शुक्लजी का यह कथन किस कवि के विषय में है?
“उन्होंने रचना-नैपुण्य का भद्दा प्रदर्शन कहीं नहीं किया है और ना शब्द-चमत्कार आदि के खेल खेलवाड़ों में वह फंसे हैं। उनकी सी भाषा की सफाई और किसी कवि में नहीं।” तुलसीदास
शुक्लजी का यह कथन ‘तुलसीदास’ के विषय में है।
जायसी
बिहारी
घनआनंद
12. यह विन्योक्ति किस कवि की है?
“कवित्त विवेक एक नहिं मोरें, सत्य कहहुँ लिख कागद कोरें।” कबीर
सूरदास
रहीम
तुलसीदास
यह विन्योक्ति कवि ‘तुलसीदास’ की है।
13. ‘भाषाभूषण’ के रचनाकार हैं?
भूषण
मतिराम
जसवंतसिंह
‘भाषाभूषण’ के रचनाकार जोधपुर के महराजा ‘जसवंत सिंह’ का हैं। यह एक अलंकार ग्रंथ है।
पद्माकर
14. निम्नलिखित के आधार पर सही विकल्प चुनिए:
(a) निर्गुण भक्ति में गुरु को वही महत्व प्राप्त है, जो साधना के अन्य रूपों- ज्ञान मार्ग, सगुण भक्ति या रहस्यवाद में प्राप्त है।(b) निर्गुण भक्ति का आलंबन निराकार और अगोचर है तथा सगुण भक्ति का आलंबन साकार और गोचर है।
(a) और (b) दोनों गलत
(a) सही और (b) गलत
(a) और (b) दोनों सही
(a) और (b) दोनों सही
(a) गलत और (b) सही
15. ‘मूल गोसाईं चरित’ के रचनाकार हैं-
नाभादास
प्रियादास
बेनीमाधवदास
‘मूल गोसाईं चरित’ के रचनाकार ‘बेनीमाधव दास’ हैं।
नरहरिदास
16. राजस्थान से संबंधित संत-भक्त संप्रदाय नहीं है?
निरंजनी संप्रदाय
जसनाथी संप्रदाय
लालदासी संप्रदाय
बावरी संप्रदाय
बावरी संत-भक्त संप्रदाय ‘उत्तर प्रदेश’ से संबंधित है।
17. भक्तमाल (नाभादासकृत) के टीकाकार हैं-
प्रियादास
नाभादास कृत भक्तमाल के टीकाकार ‘प्रियादास’ (1645 ई.) हैं।
विट्ठलनाथ
अग्रदास
कील्हा
18. रामभक्ति-काव्यधारा से संबद्ध कवि नहीं है-
स्वामी अग्रदास
प्राणचंद चौहान
गदाधर भट्ट
‘गदाधर भट्ट’ गौड़ीय संप्रदाय के कवि हैं।
हृदय राम
19. इनमें से कौन-सा कवि ज्ञानमार्गी विचारधारा से संबद्ध नहीं माना जाता है?
जंभनाथ
ध्रुवदास
‘ध्रुवदास’ कृष्ण भक्तिधारा के कवि हैं।
मलूकदास
सुंदरदास
20. ‘राधाबल्लभ’ नामक वैष्णव भक्ति संप्रदाय के प्रवर्तक हैं?
बल्लभाचार्य
हित हरिवंश
‘राधाबल्लभ’ नामक वैष्णव भक्ति संप्रदाय के प्रवर्तक ‘हित हरिवंश’ हैं।
स्वामी हरिदास
चैतन्य महाप्रभु
21. कौन-सा विकल्प सुसंगत नहीं है?
कबीर परचई- अनंतदास
ज्ञान समुद्र- सुंदरदास
ज्ञानदीपक- दरिया साहब
ज्ञानबोध- रामानंद
‘ज्ञानबोध’ के रचनाकार मलूकदास हैं।
22. संत दादूदयाल की शिष्य परंपरा से असंबद्ध संत है-
पीपा
‘पीपा’ रामानंद के शिष्य हैं।
सुंदरदास
रज्जब
गरीबदास
23. उक्त कथन किसका है?
“हिंदी की रीतिग्रंथों की अविरल और अखंडित परंपरा का प्रवाह केशव की ‘कविप्रिया’ के प्रायः 50 वर्ष पीछे चला और वह भी एक भिन्न आदर्श को लेकर…।” आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
डॉ. नगेंद्र
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
उक्त कथन ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ का है।
24. निम्नलिखित कथनों से संबंधित सही विकल्प चुनिए:
(a) रीति कविता राजाओं और रईसों के आश्रम में पली है।(b) उसकी अंत:प्रेरणा और स्वरूप को कवियों और उसके आश्रयदाता दोनों के संबंध से ही समझा जा सकता है।
(a) और (b) दोनों सही
(a) और (b) दोनों सही
(a) सही (b) गलत
(a) गलत (b) सही
(a) और (b) दोनों गलत
25. असंगत विकल्प चुनिए:
देव और बिहारी- पद्मसिंह शर्मा
‘देव और बिहारी’ कृष्ण बिहारी मिश्र की रचना है। वहीं ‘बिहारी सतसई की भूमिका’, ‘बिहारी सतसई संजीवन भाष्य’, ‘पद्मपुराण’ और ‘हिंदी उर्दू हिन्दुस्तानी’ आदि पद्मसिंह शर्मा की रचनाएँ हैं। इन्होंने बिहारी और शादी की तुलना करके हिंदी में तुलनात्मक आलोचना का आरम्भ किया।
बिहारी और देव- लाला भगवानदीन
कविवर बिहारी- जगन्नाथदास रत्नाकर
बिहारी की वाग्विभूति- विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
26. इस काव्यांश के रचयिता हैं-
“डेल सो बनाय आय मेलत सभा के बीच/ लोगन कवित्त कीबो खेल करि जानो है।” घनआनंद
बोधा
ठाकुर
इस काव्यांश के रचयिता ‘ठाकुर’ हैं।
आलम
27. ‘विज्ञानगीता’ के रचनाकार हैं?
भिखारीदास
ग्वाल
पद्माकर
केशवदास
‘विज्ञानगीता’ के रचनाकार केशवदास हैं।
28. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रंथ मात्र अलंकार निरूपक नहीं है?
कविकुलकंठाभरण
शिवराजभूषण
कविकुलकल्पतरु
चिंतामणि त्रिपाठी कृत ‘कविकुलकल्पतरु’ सर्वांग निरूपक ग्रंथ है।
ललितललाम
29. कौन-सी रचना मात्र पिंगल / छंद निरूपक है?
भाषाभूषण
वृत्तविचार
‘वृत्तविचार’ रचना मात्र पिंगल / छंद निरूपक है।
काव्यरसायन
काव्यनिर्णय
30. कौन-सी रचना रस / नायक-नायिका भेद निरूपक नहीं है?
जगद्विनोद
सुधानिधि
सुखसागर तरंग
पद्माभरण
पद्माकर कृत पद्माभरण एक अलंकार ग्रंथ है। वहीं जगद्विनोद रस निरूपक, सुधानिधि नायक-नायिका भेद और सुखसागर तरंग नायिका भेद और रस निरूपक ग्रंथ हैं।
31. सर्वांग / विविध काव्यांग विवेचक आचार्य नहीं हैं?
तोष
तोष सर्वांग विवेचक आचार्य नहीं हैं। उनके ग्रंथ सुधानिधि में नायक-नायिका भेद मिलता है।
प्रतापसाहि
सोमनाथ
भिखारीदास
32. रीतिकाल के विषय में कौन-सा कथन सही नहीं हैं?
सजीव श्रृंगार की एक अदम्य लिप्सा इस युग के साहित्य में प्रतिबिंबित है।
कुछ रचनाओं में मुख्यत: काव्यशास्त्र-सिद्वांतों को छंदोबद्व किया गया है तो कुछ रचनाएँ लक्षण मुक्त हैं।
इस काल के रीतिग्रंथ / लक्षणग्रंथ संस्कृत लक्षण ग्रंथों की छाया से पूर्णतया मुक्त हैं।
रीतिग्रंथ एवं लक्षणग्रंथ संस्कृत लक्षण ग्रंथों की छाया से पूर्णतया मुक्त नहीं हैं।
रीतिकाव्य के विकास में तत्कालीन राजनैतिक-सामाजिक परिस्थितियों का महत्वपूर्ण योग रहा है।
33. निम्न कथन किसका है-
“आचार्य लोग जो कविता करने की रीत सिखलाते हैं मानो वह संसार से यह कहते हैं कि अमुकामुक विषयों के वर्णनों में अमुक प्रकार के कथन उपयोगी है और अमुक प्रकार के अनुपयोगी।” डॉ. रामकुमार वर्मा
मिश्रबंधु
उक्त कथन ‘मिश्रबंधु’ का है।
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
डॉ. नगेंद्र
34. शुक्ल जी का यह कथन पद्माकर की किस रचना के संदर्भ में है?
मतिरामजी के ‘रसराज’ के समान पद्माकरजी का…. भी काव्य रसिको और अभ्यासियों दोनों का कंठहार रहा है। वास्तव में यह श्रृंगार रस का सार-ग्रंथ सा प्रतीत होता है।” पदमाभरण
हिम्मतबहादुर विरुदावली
जगद्विनोद
शुक्ल जी का यह कथन पद्माकर की रचना ‘जगद्विनोद’ के संदर्भ में है।
गंगालहरी
35. भक्तिकालीन रामकाव्य-धारा के विषय में असंगत कथन है?
इस साहित्य में तुलसीदास का प्रमुख स्थान है।
इसमें लोकसंग्रह की भावना है।
यह काव्य अवधी और ब्रज दोनों में रचित है।
यह कृष्ण-काव्य के प्रभाव से पूर्णता मुक्त है।
भक्तिकालीन रामकाव्य-धारा कृष्ण-काव्य के प्रभाव से पूर्णता मुक्त नहीं है।
36. केशवदास के कृतित्व विषयक कौन-सा कथन सही नहीं है?
‘रामचंद्रिका’ में कथा के क्रमबद्ध रूप और अवसर के अनुकूल विस्तार-संकोच का विशेष ध्यान रखा गया है।
‘रामचंद्रिका’ में कथा के क्रमबद्ध रूप और अवसर के अनुकूल विस्तार-संकोच का विशेष ध्यान नहीं रखा गया है।
इनकी सबसे अधिक कल्पना अलंकार संबंधी है।
चमत्कार प्रदर्शन के कारण इनकी रचनाओं में भावपक्ष की अपेक्षा कलापक्ष प्रधान हो गया है।
कविप्रिया, रसिकप्रिया और छंदमाला लक्षण ग्रंथ हैं।
37. किस विकल्प में सभी रचनाएँ भिखारीदास की हैं?
श्रृंगार निर्णय, रसराज, वृत्तविचार
काव्यनिर्णय, शब्दरसायन, काव्यविकास
रस रत्नाकर, रस सारांश, रसपीयूषनिधि
काव्यनिर्णय, रस सारांश, छंदोंर्णवपिंगल
काव्यनिर्णय, रस सारांश, छंदोंर्णवपिंगल आदि रचनाएँ भिखारीदास की हैं।
38. मतिराम से संबंधित कौन-सा कथन सही नहीं है?
‘रसराज’ और ‘ललितललाम’ इनकी विशिष्ट ख्यात के मुख्य आधार हैं।
‘रसराज’ श्रृंगार रस और नायिका-भेद का ग्रंथ है।
‘रसराज’ के नायक-नायिका अत्यधिक चतुर और क्रियाविदग्ध हैं।
मतिराम के यहाँ सहज, निष्कपट और निरीह अभिव्यक्ति मिलता है।
‘ललितललाम’ में अलंकारों के लक्षण और उदाहरण दिए गए हैं।
39. कौन-सा कथन भूषण के व्यक्तित्व और कृतित्व के संदर्भ में सही नहीं है?
इनकी कविता वीर रस प्रधान है।
‘शिवराजभूषण’ और ‘छत्रसालदशक’ इनके प्रबंधकाव्य हैं।
‘शिवराजभूषण’ और ‘छत्रसालदशक’ भूषण के मुक्तक काव्य हैं।
रूद्र सोलंकी (सुलंकी) ने इन्हें ‘भूषण’ उपाधि से विभूषित किया।
गीतकार के रूप में इन्हें अधिक सफलता नहीं मिली।
40. निम्न कथन किस विद्वान का है?
“देव कृत ‘सुखसागरतरंग’ को ‘नायिका-भेद का एक विश्वकोश’ समझना चाहिए।” डॉ. नगेंद्र
उक्त कथन डॉ. नगेंद्र का है।
मिश्रबंधु
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
41. शुक्लजी का उक्त कथन किस रचना के संदर्भ में है?
“इसका एक-एक दोहा हिंदी साहित्य में एक-एक रत्न माना जाता है।” मतिराम सतसई
वृंद सतसई
दोहावली (तुलसीदास)
बिहारी सतसई
शुक्लजी का उक्त कथन ‘बिहारी सतसई’ के संदर्भ में है।
42. स्थापना (A): जिस कवि में कल्पना की समाहार-शक्ति के साथ भाषा की समास-शक्ति जितनी ही अधिक होगी उतना ही वह मुक्तक की रचना में सफल होगा।
तर्क (R): यह क्षमता बिहारी में पूर्ण रूप से वर्तमान थी। A और R दोनों गलत
A और R दोनों सही
A और R दोनों सही
A सही, R गलत
A गलत, R सही
43. स्थापना (A): जिसकी रचना को जनता का हृदय स्वीकार करेगा उस कवि की कीर्ति तब तक बराबर बनी रहेगी जब तक स्वीकृत बनी रहेगी।
तर्क (R) क्या संस्कृत-साहित्य में, क्या हिंदी-साहित्य में सहस्रों कवियों ने अपने आश्रयदाता राजाओं की प्रशंसा में ग्रंथ रचे जिनका आज पता तक नहीं है। A सही R गलत
A गलत R सही
A और R दोनों सही
A और R दोनों सही
A और R दोनों गलत
44. आचार्य शुक्ल का उक्त कथन किसके संदर्भ में है?
“प्रेम की पीर या ‘इश्क का दर्द’ इनके एक-एक वाक्य में भरा पाया जाता है।” घनआनंद
ठाकुर
रसखान
आलम
आचार्य शुक्ल का उक्त कथन ‘आलम’ के संदर्भ में है।
45. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के अनुसार घनआनंद की यह काव्य-प्रशस्ति किसके द्वारा की गई है?
“नेही महा, ब्रजभाषा-प्रवीण औ सुंदरतानि के भेद को जानै।” भारतेंदु हरिश्चंद्र
जगन्नाथदास रत्नाकर
ब्रजनाथ
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के अनुसार घनआनंद की यह काव्य-प्रशस्ति ‘ब्रजनाथ’ के द्वारा की गई है।
मिश्रबंधु
46. उक्त मत किसका है?
“अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लक्षणा लीन।अधम व्यंजना रस-विरस उलटी कहत नवीन॥”
मतिराम
देव
उक्त मत ‘देव’ का है।
चिंतामणि
भिखारीदास
47. शुक्लजी का उक्त मत किस कवि के विषय में है?
“इनका सा अर्थ-सौष्ठव और नवोन्मेष बिरले ही कवियों में मिलता है। रीतिकाल के कवियों में ये बड़े ही प्रगल्भ और प्रतिभासंपन्न कवि थे।” बिहारी
मतिराम
भूषण
देव
शुक्लजी का उक्त मत ‘देव’ के विषय में है।
48. सेनापति के काव्य / कौशल के विषय में कौन-सा विवरण सही नहीं है?
‘कवित्त रत्नाकर’ इनकी प्रसिद्ध रचना है।
‘कवित्त रत्नाकर’ आद्यंत राम-चरित और रामभक्ति-भावना से ओत-प्रोत है।
सेनापति के ‘कवित्त रत्नाकर’ में कुल 5 तरंग हैं जिसमें चौथा और पांचवां तरंग ही रामभक्ति भावना से ओत-प्रोत है। बाकी तीन तरंग श्रृंगार, अलंकार और ऋतु से संबंधित हैं। इसलिए आद्यंत (शुरू से अंत तक) नहीं कहा जा सकता कि यह ग्रंथ रामभक्ति भावना से ओत-प्रोत है।
इनकी अप्रतिम सफलता उत्कृष्ट ऋतुवर्णन में है।
श्लेष इनका प्रिय अलंकार है।
49. इस काव्यांश के रचनाकार हैं?
“आगे के कवि रीझिहैं, तो कविताई,न तौ राधिका कन्हाई सुमिरन कौ बहानौ है।”
भिखारीदास
इस काव्यांश के रचनाकार ‘भिखारी दास’ हैं।
केशवदास
पद्माकर
द्विजदेव
50. निम्नलिखित में प्रबंधात्मक रचना है:
शिवाबावनी
हिम्मतबहादुर-विरुदावली
पद्माकर कृत ‘हिम्मत बहादुर-विरुदावली’ वीर रस प्रधान रचना है।
भवानीविलास
जगद्विनोद
51. भक्तिकालीन कृष्ण-काव्य-धारा के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है?
इसकी एक सामान्य प्रकृति यह है कि यह अधिकतर प्रबंध रूप में रचा गया है।
भक्तिकालीन कृष्ण-काव्य-धारा के अधिकतर ग्रंथ मुक्तक रूप में रचा गया है।
पुष्टिमार्गीय कृष्ण-काव्य में गोपाल कृष्ण की बाललीला को विशेष महत्व दिया गया है।
काव्य-कृष्ण का सर्वाधिक प्रिय विषय राधा-कृष्ण की प्रेमलीला है।
अधिकांश कृष्ण-काव्य गीतपदों में रचा गया है।
52. कौन-सा विकल्प सुसंगत नहीं है?
काव्य विवेक- चिंतामणि
शिवाबावनी- भूषण
वित्त कौमुदी- मतिराम
प्रतापसिंह विरुदावली- सेनापति
प्रतापसिंह विरुदावली पद्माकर की रचना है।
53. भारतेंदुयुगीन काव्य के संदर्भ में कौन-सा विवरण सही नहीं है?
यह युग प्राचीन ब्रजभाषा-काव्य और नवीन खड़ीबोली-काव्य का मिलन-बिंदु रहा।
इसमें प्राचीन परंपरानुसार रस-अलंकार, नायक-नायिका भेद आदि से संबंधित रचनाएँ भी लिखी गईं।
इसमें देशभक्ति, लोकहित, सामाजिक पुनर्निर्माण आदि नवीन विषयों पर भी रचनाएँ प्रस्तुत की गईं।
इस युग में खड़ीबोली की नवीन काव्य-शैली का प्राधान्य रहा।
इस युग में ब्रजभाषा की प्रधानता रही न की खड़ीबोली की नवीन काव्य-शैली।
54. कौन-सी प्रवृत्ति द्विवेदीयुगीन काव्यधारा में लक्षित नहीं होती?
प्रबंध, मुक्तक, प्रगीत प्रभृति सभी काव्य-रूपों का प्रचलन
हास्य-व्यंगपूर्ण कविता की प्रचुरता
भारतेंदुयुगीन काव्यधारा में हास्य-व्यंगपूर्ण कविता की प्रचुरता मिलती है न कि द्विवेदीयुगीन काव्यधारा में।
काव्य भाषा के रूप में खड़ी बोली का अधिकाधिक प्रयोग
आदर्शवादिता और नैतिकता पर बल
55. मैथिलीशरण गुप्त के कृतित्व के विषय में कौन-सा कथन सही नहीं है?
‘उर्मिला-उत्ताप’ रचना ही रामकथा के रूप में परिवर्द्धित होकर ‘साकेत’ के नाम से प्रकाशित की गई।
उर्मिला, यशोधरा, विष्णुप्रिया आदि इनकी अपूर्व चरित्र-सृष्टियाँ हैं।
‘भारत भारती’ में आद्यंत भारत का गौरवगान वर्णित है।
‘भारत भारती’ में भारत का गौरवगान वर्णित है परन्तु आद्यंत (शुरू से अंत तक) नहीं मिलता।
‘पंचवटी’ का कथानक शूर्पणखा प्रसंग पर आधारित है।
56. निम्न कथन किसका है?
“छायावाद स्थूल के विरुद्ध सूक्ष्म का विद्रोह है।” डॉ. नगेंद्र
उक्त कथन ‘डॉ. नगेंद्र’ का है।
नंददुलारे वाजपेई
मुकुटधर पांडेय
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
57. निम्न कथन किसका है?
“हिंदी की रीत का प्रयोग साधारणत: लक्षण-ग्रंथों के लिए होता है। जिन ग्रंथों में काव्य के विभिन्न अंगों का लक्षण-उदाहरण सहित विवेचन होता है, उन्हें रीति-ग्रंथ कहते हैं।” आचार्य रामचंद्र शुक्ल
डॉ. नगेंद्र
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
उक्त कथन ‘विश्वनाथ प्रसाद मिश्र’ का है।
58. ‘रीतिकाल’ को ‘श्रृंगारकाल’ किसने कहा है?
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
‘रीतिकाल’ को ‘श्रृंगारकाल’ विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने कहा है।
मिश्रबंधु
हजारी प्रसाद द्विवेदी
डॉ. नगेंद्र
59. इन कविता पंक्तियों के रचनाकार हैं?
“दुःख सब को माँजता है औरचाहे स्वयं सब को मुक्ति कर देना वह न जाने,
किंतु जिनको माँजता है
उन्हें यह सीख देता है कि सब को मुक्त रखें।”
धर्मवीर भारती
अज्ञेय
इन कविता पंक्तियों के रचनाकार ‘अज्ञेय’ हैं।
गजानन माधव मुक्तिबोध
शमशेर बहादुर सिंह
60. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए:
(a) वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा ज्ञान। – (i) निराला(b) प्रकृतिक के यौवन का श्रृंगार करेंगे कभी न बासी फूल। – (ii) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
(c) कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए।- (iii) प्रसाद
(d) धन्ये, मैं पिता निर्थक था, कुछ भी तेरे हित ना कर सका। – (iv) पंत
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iv), (iii), (i), (ii)
(iii), (ii), (i), (iv)
(iv), (iii), (ii), (i)
वियोगी होगा पहला कवि- पंत, प्रकृतिक के यौवन का श्रृंगार- प्रसाद, कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ- बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’, धन्ये, मैं पिता निर्थक था- निराला
(ii), (iv), (iii), (i)
61. निराला की काव्य-कृतियों से संबंधित कौन-सा कथन सही नहीं है?
‘अनामिका’ में संग्रहीत अधिकांश रचनाएँ उत्कृष्ट भावव्यंजना तथा कलात्मक प्रौढ़ता की घोतक हैं।
‘सरोजस्मृति’ हिंदी का श्रेष्ठ शोक-गीत है।
‘राम की शक्ति पूजा’ में कवि का पौरुष और ओज चरमोत्कर्ष के साथ अभिव्यक्त हुआ है।
‘तुलसीदास’ में चिंतन की अपेक्षा कथा-विस्तार अधिक है।
निराला के ‘तुलसीदास’ कविता में सांस्कृतिक चेतना का चिंतन अधिक है।
62. ‘कामायनी’ की कथासृष्टि के विषय में यह विचार किसका है?
“यदि श्रद्धा और मनु अर्थात् मनन के सहयोग से मानवता का विकास रूपक है, तो भी बड़ा ही भावमय और श्लाघ्य है।” नंददुलारे वाजपेई
मुक्तिबोध
जयशंकर प्रसाद
‘कामायनी’ की कथासृष्टि के विषय में यह विचार ‘जयशंकर प्रसाद’ का है।
अज्ञेय
63. छायावाद की यह परिभाषा किसने दी है?
“जब वेदना के आधार पर स्वानुभूतिमयी अभिव्यक्ति होने लगी तब हिंदी में उसे छायावाद नाम से अभिहित किया गया।” मुकुटधर पांडेय
जयशंकर प्रसाद
छायावाद की यह परिभाषा ‘जयशंकर प्रसाद’ ने दी है।
सुमित्रानंदन पंत
महादेवी वर्मा
64. कौन-सा विकल्प सुमेलित नहीं है?
बुध और नाचघर- हरिवंशराय ‘बच्चन’
हिमकिरीटिनी- रामधारीसिंह ‘दिनकर’
हिमकिरीटिनी माखनलाल चतुर्वेदी की रचना है।
हम विषपाई जनम के- बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
प्रवासी के गीत- नरेंद्र शर्मा
65. निम्नलिखित में दिनकर की रचनाएँ कौन-सी हैं?
(a) उर्वशी; (b) जयभारत; (c) सामधेनी; (d) रश्मिरेखा; (e) रसवंती (a) और (b)
(b) और (c)
(c), (d) और (e)
(a), (c) और (e)
उर्वशी, सामधेनी और रसवंती ‘दिनकर’ की रचनाएँ कौन-सी हैं।
66. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए:
(a) वैदेही वनवास – (i) मैथिलीशरण गुप्त(b) पथिक – (ii) गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’
(c) द्वापर – (iii) अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
(d) राष्ट्रीय वीणा – (iv) रामनरेश त्रिपाठी
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iii), (iv), (i), (ii)
वैदेही वनवास- अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’, पथिक- रामनरेश त्रिपाठी, द्वापर- मैथिलीशरण गुप्त, राष्ट्रीय वीणा- गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’
(i), (ii), (iv), (iii)
(ii), (i), (iii), (iv)
(iii), (i), (iv), (ii)
67. कौन-सा विकल्प सही नहीं है?
‘संशय की एक रात’ में राम के मन का संसय चित्रित है।
‘उर्वशी’ का दर्शन पक्ष है- प्रेम और ईश्वर, जैव और आत्म धरातल को मिलाना।
‘कुरुक्षेत्र’ में गाँधीवादी अहिंसा का समर्थन किया गया है।
‘कुरुक्षेत्र’ में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद है न कि गाँधीवादी अहिंसा का समर्थन।
‘लोकायतन’ में स्वाधीनता पूर्व से लेकर उत्तर स्वप्न तक का विशाल भारती परिवेश चित्रित है।
68. स्थापना (A): प्रगतिवाद सामाजिक यथार्थवाद के नाम पर चलाया गया एक सामाजिक आंदोलन था।
तर्क (R): वर्ग-संघर्ष की साम्यवादी विचारधारा और उस संदर्भ में नये मानव, ‘नये हीरो’ की कल्पना इसका उद्देश्य था। A और R दोनों सही
A और R दोनों सही
A गलत R सही
A सही R गलत
A और R दोनों गलत
69. कौन-सा कथन सही नहीं है?
शिवमंगल सिंह सुमन प्रमुख प्रगतिशील कवि हैं।
प्रगतिशील कविता में पूँजीवाद तथा पूँजीपतियों के प्रति प्रबल आक्रोश है।
वर्ग-संघर्ष को प्रगतिशील कवियों ने हानिकारक बताया है।
वर्ग-संघर्ष को प्रगतिशील महत्वपूर्ण मानता है और उसका भरपूर प्रयोग अपने साहित्य में किया है।
सर्वहारा के प्रति प्रगतिशील कवियों की पूर्ण सहानुभूति है।
70. अज्ञेय की काव्य-रचना के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है?
इन्होंने छायावादी कविताओं से अपनी काव्ययात्रा प्रारंभ की।
‘तार सप्तक’ द्वारा इनकी नई काव्ययात्रा प्रारंभ होती है।
प्रयोगवादी धारा के कवियों में उनका स्वर सबसे अधिक वैविध्यपूर्ण है।
संवेदनाएँ सर्वत्र उनकी बौद्धिकता को नियंत्रित रखती हैं।
अज्ञेय की बौद्धिकता उनकी संवेदना को नियंत्रित रखती हैं।
71. धर्मवीर भारती से संबंधित कौन-सा कथन सही नहीं है?
इनकी ‘कनुप्रिया’ और ‘अंधायुग’ महाकाव्यात्मक रचनाएँ हैं।
‘अंधायुग’ अंधों के माध्यम से ज्योति की कथा है, जिसमें विजय केवल अंधेपन की होती है।
‘अंधायुग’ अंधों के माध्यम से ज्योति की कथा है, परन्तु इसमें विजय केवल अंधेपन की नहीं होती है।
‘कनुप्रिया’ में राधा-कृष्ण प्रेम की तन्मयता का प्रश्नाकुलता के साथ मनोहर संयोग मिलता है।
ये आधुनिक संवेदना के कवि हैं।
72. निम्नलिखित में नई कविता की प्रवृत्ति नहीं है-
जीवन के प्रति आस्था
अनुभूति की सच्चाई और बुद्धिमूलक यथार्थवादी दृष्टि
जीवनमूल्यों का पुनर्परीक्षण
व्यक्ति चित्रण वर्गीय चेतना के दायरे में
वर्गीय चेतना के दायरे में व्यक्ति चित्रण प्रगतिवाद की प्रवृत्ति है न कि नई कविता की।
73. निम्नलिखित में ‘तीसरा सप्तक’ के कवि हैं:
(a) मदन वात्सायन; (b) स्वदेश भारती; (c) कुंवर नारायण; (d) शकुंत माथुर; (e) कीर्ति चौधरी (a) और (b)
(b), (c) और (d)
(d) और (e)
(a), (c) और (e)
मदन वात्सायन, कुंवर नारायण और कीर्ति चौधरी ‘तीसरा सप्तक’ के कवि हैं। वहीं स्वदेश भारती ‘चौथा सप्तक’ और शकुंत माथुर ‘दूसरा सप्तक’ के कवि हैं।
74. निम्नलिखित रचनाओं और कवियों को सुमेलित कीजिए:
(a) काल तुझसे होड़ है मेरी – (i) गजानन माधव मुक्तिबोध(b) ब्रह्मराक्षस – (ii) शमशेर बहादुर सिंह
(c) युग की गंगा – (iii) नागार्जुन
(d) बादल को घिरते देखा है – (iv) केदारनाथ अग्रवाल
कूट:(a), (b), (c), (d)
(ii), (i), (iv), (iii)
काल तुझसे होड़ है मेरी- शमशेर बहादुर सिंह, ब्रह्मराक्षस- मुक्तिबोध, युग की गंगा- केदारनाथ अग्रवाल, बादल को घिरते देखा है- नागार्जुन
(iv), (ii), (i), (iii)
(iii), (i), (ii), (iv)
(ii), (iv), (iii), (i)
75. नई कविता की प्रवृत्तियों में सम्मिलित नहीं है-
जीवन के प्रति इसमें आस्था है।
इसमें दो तत्व प्रमुख हैं- अनुभूति की सच्चाई और बुद्धिमूलक यथार्थवादी दृष्टि।
इसमें व्यक्ति का चित्रण वर्गीयचेतना के दायरे में किया गया है।
प्रगतिवादी काव्य धारा में व्यक्ति का चित्रण वर्गीय चेतना के दायरे में किया गया है, नई कविता में नहीं।
यह जीवन-मूल्यों की पुनः परीक्षा करती है।
76. कौन-सी रचना अशोक बाजपेयी की नहीं है?
एक पतंग अनंत में
समय देवता
‘समय देवता’ नरेश मेहता की रचना है।
शहर अब भी संभावना है
कहीं नहीं वहीं
77. माखनलाल चतुर्वेदी की कविताओं के संबंध में कौन-सा कथन असंगत है?
साहित्य देवता हिमतरंगिनी आदि इनकी काव्य-कृतियाँ हैं।
राष्ट्रीयता उनके काव्य का कलेवर है तो भक्ति और रहस्यात्मक प्रेम उनकी रचनाओं की आत्मा है।
उनकी कविताओं में छायावादी रहस्यात्मकथा का सगुण मधुरा भक्ति के साथ एक अजीब समन्वय दिखाई पड़ता है।
उनकी राष्ट्रीय कविताओं में आदर्श की थोथी उड़ानें भर हैं।
उनकी राष्ट्रीय कविताओं में आदर्श की थोथी उड़ानें भर नहीं हैं।
78. सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य-रचना के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है?
उनमें गंभीर से गंभीर विषय को भी सरल रूप में प्रस्तुत करने की अदम्य क्षमता थी।
उनकी राष्ट्रीय कविताओं में समसामयिक देशप्रेम और भारतीय इतिहास एवं संस्कृति की गहरी छाप है।
उनकी कविताओं की एकमात्र प्रवृत्ति है- राष्ट्रीय भावना का चित्रण।
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख प्रवृत्ति राष्ट्रीय भावना का चित्रण है परन्तु एकमात्र नहीं।
उनकी कविताएँ ‘त्रिधारा’ और ‘मुकुल’ शीर्षक से प्रकाशित हैं।
79. श्याम नारायण पांडेय के व्यक्तित्व और कृतित्व से संबंधित कौन-सा कथन असंगत है?
महाराणा प्रताप और अकबर के मध्य हुए ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित- ‘हल्दीघाटी’ एक खंडकाव्य है।
महाराणा प्रताप और अकबर के मध्य हुए ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित- ‘हल्दीघाटी’ एक महाकाव्य है।
‘जौहर’ राजस्थान के इतिहास के लोमहर्षक आत्मबलिदान पर आधारित महाकाव्य है।
उन्होंने आधुनिक युग में वीर काव्य की परंपरा को खड़ीबोली में प्रतिष्ठित किया है।
उनके संस्कार द्विवेदीयुगीन, दृष्टिकोण उपयोगितावादी और भाव-विस्तार मर्यादावादी है।
80. महादेवी वर्मा के ‘यामा’ में कौन-सी रचना संकलित नहीं है?
निहार
दीपशिखा
महादेवी वर्मा के ‘यामा’ में ‘दीपशिखा’ रचना संकलित नहीं है। दरअसल यामा के दो साल बाद दीपशिखा का प्रकाशन हुआ था।
रश्मि
सांध्यगीत
81. निम्नलिखित को सुसंगत कीजिए:
(a) ऋतुराज – (i) यह समय मामूली नहीं(b) रामदेव आचार्य – (ii) रोटी नाम सत है
(c) हरीश भादानी – (iii) एकमरणधर्मा और अन्य
(d) नंद चतुर्वेदी – (iv) रेगिस्तान से महासागर तक
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iii), (iv), (i), (ii)
(i), (iii), (i), (iv)
(iv), (i), (iii), (ii)
(iii), (iv), (ii), (i)
ऋतुराज- एकमरणधर्मा और अन्य, रामदेव आचार्य- रेगिस्तान से महासागर तक, हरीश भादानी- रोटी नाम सत है, नंद चतुर्वेदी- यह समय मामूली नहीं
82. कविता एवं कवि सुमेलित कीजिए:
(a) इस यात्रा में – (i) वेणुगोपाल(b) अपनी केवल धार – (ii) लीलाधर जगूड़ी
(c) दुनिया रोज बनती है – (iii) अरुण कमल
(d) हवाएँ चुप नहीं रहतीं – (iv) आलोक धन्वा
कूट:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iii), (iv), (i)
इस यात्रा में- लीलाधर जगूड़ी, अपनी केवल धार- अरुण कमल, दुनिया रोज बनती है- आलोक धन्वा, हवाएँ चुप नहीं रहतीं- वेणुगोपाल
(iii), (ii), (i), (iv)
(iv), (i), (iii), (ii)
(ii), (i), (iv), (iii)
83. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए:
(a) हजार हजार बाँहों वाली – (i) शमशेर बहादुर सिंह(b) चुका भी नहीं हूँ मैं – (ii) गजानन माधव मुक्तिबोध
(c) रात अभी भी मौजूद है – (iii) नागार्जुन
(d) भूरी भूरी खाक – (iv) धूल लीलाधर जगूड़ी
कूट:(a), (b), (c), (d)
(ii), (i), (iii), (iv)
(iii), (i), (iv), (ii)
हजार हजार बाँहों वाली- नागार्जुन, चुका भी नहीं हूँ मैं- शमशेर बहादुर सिंह, रात अभी भी मौजूद है- धूल लीलाधर जगूड़ी, भूरी भूरी खाक- मुक्तिबोध
(iv), (iii), (i), (ii)
(iii), (ii), (iv), (i)
84. प्रयोगवाद के संबंध में कौन-सा कथन असंगत है?
इसका मंतव्य समस्त परंपराओं का खंडन करके नये तत्वों का अन्वेषण करना है।
यह व्यक्ति अनुभूति और समष्टि अनुभूति को एक ही सत्य के दो रूप मानता है।
प्रयोगवाद व्यक्ति अनुभूति और समष्टि अनुभूति को एक ही सत्य के दो रूप नहीं मानता है।
यह मानता है कि बौद्धिकता को काव्यानुभूति से पृथक करके नहीं देखा जा सकता।
यह मानता है कि विषयवस्तु की नवीनता ही उसके शिल्प को नया आकार देने के लिए बाध्य करेगी।
85. इसके रचयिता हैं-
“तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।झुके कूल सों जल परसन हित मनहुँ सुहाए॥”
भारतेंदु हरिश्चंद्र
इसके रचयिता ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र’ हैं।
सुमित्रानंदन पंत
जयशंकर प्रसाद
मैथिलीशरण गुप्त
86. भारतेंदु हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के संदर्भ में कौन-सा विवरण सही नहीं है?
वे साहित्यानुरागी और कोमल हृदय व्यक्ति थे।
उन्होंने वैष्णव धर्म के प्रचारार्थ ‘तदीय समाज’ की स्थापना की।
उनका साहित्य कार्य गद्य-पद्य की अनेक विधाओं तक फैला हुआ था।
उन्होंने प्राचीन की पूर्ण उपेक्षा करके नवीन को पूर्णत: अंगीकार किया।
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने नवीन को अंगीकार किया परन्तु प्राचीन की पूर्ण उपेक्षा नहीं की।
87. आचार्य शुक्ल के अनुसार अंग्रेजी ढंग का हिंदी का पहला मौलिक उपन्यास है-
भाग्यवती
परीक्षा गुरु
आचार्य शुक्ल के अनुसार अंग्रेजी ढंग का हिंदी का पहला मौलिक उपन्यास ‘परीक्षा गुरु’ है।
नूतन ब्रह्मचारी
निस्सहाय हिंदू
88. उक्त कथन किसका है?
“भारतेंदुजी जिस प्रकार वर्तमान गद्यभाषा के स्वरूप प्रतिस्थापक थे, उसी प्रकार वर्तमान साहित्य परंपरा के प्रवर्तक।” हजारी प्रसाद द्विवेदी
बाबू गुलाब राय
रामचंद्र शुक्ल
उक्त कथन ‘रामचंद्र शुक्ल’ का है।
महावीर प्रसाद द्विवेदी
89. प्रकाशन स्थान की दृष्टि से असंगत विकल्प चुनिए:
भारतमित्र- कलकत्ता
हिंदी प्रदीप- प्रयाग
उदंत मार्तंड- कोलकाता
कविवचन सुधा- प्रयाग
भारतेंदु की कविवचन सुधा काशी से निकलती थी, प्रयाग से नहीं।
90. निम्नलिखित में भारतेंदु की मौलिक नाट्यकृति नहीं है:
अंधेर नगरी
कर्पूरमंजरी
‘कर्पूरमंजरी’ भारतेंदु की मौलिक नाट्यकृति नहीं है।
भारतदुर्दशा
वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति
91. ‘रंग दर्शन’ के रचनाकार हैं?
मोहन राकेश
लक्ष्मी नारायणलाल
नेमीचंद्र जैन
‘रंग दर्शन’ के रचनाकार ‘नेमीचंद्र जैन’ हैं।
जयदेव तनेजा
92. यह कथन किसका है?
“पं. प्रतापनारायण मिश्र पं. बालकृष्ण भट्ट ने हिंदी गद्य साहित्य में वही काम किया है जो अंग्रेजी गद्य साहित्य में एडीशन और स्टील ने किया।” रामचंद्र शुक्ल
यह कथन ‘रामचंद्र शुक्ल’ का है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
नंददुलारे वाजपेई
रामकुमार वर्मा
93. इनमें से कौन-से निबंध संग्रह विद्यानिवास मिश्र के हैं?
(a) छितवन की छाँह; (b) गँवई गंध; (c) तुम चंदन हम पानी; (d) निषाद बाँसुरी (e) कदम की फूली की डाल (a) और (b)
(d) और (e)
(a), (c) और (d)
(a), (c) और (e)
छितवन की छाँह, तुम चंदन हम पानी, कदम की फूली की डाल निबंध संग्रह विद्यानिवास मिश्र के हैं।
94. ‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका’ से संबंधित कौन-सा विवरण सही नहीं है?
1896 ई. में इसका प्रकाशन त्रैमासिक रूप में प्रारंभ हुआ।
प्रारंभ में इसके संपादक मंडल में श्यामसुंदर दास, सुधाकर द्विवेदी, कालीदास और राधाकृष्ण दास सम्मिलित थे।
1920 ई. में यह मासिक रूप में प्रकाशित होने लगी।
‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका’ 1907 ई. से ही मासिक रूप में प्रकाशित होने लगी थी।
यह मुख्यत: शोध पत्रिका है।
95. उक्त कथन किसका है?
“हिंदी साहित्य पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी का सदा ऋणी रहेगा। व्याकरण की शुद्धता और भाषा की सफाई के प्रवर्तक द्विवेदीजी ही थे।” डॉ. नगेंद्र
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
उक्त कथन ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ का है।
पं. नंददुलारे वाजपेई
96. पत्रिका और संपादक / प्रकाशक संबंधी असंगत विकल्प है-
नटरंग- मोहन राकेश
नटरंग पत्रिका के संपादक नेमिचंद्र जैन थे।
सारिका- अवधनारायण मुद्गल
नयी कविता- जगदीश गुप्त
आलोचना- नामवर सिंह
97. हिंदी पत्रकारिता के संदर्भ में कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
सुमित्रानंदन पंत ने ‘रूपाभ’ का प्रकाशन किया।
‘सरस्वती’ के प्रकाशन का कार्य पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने 1900 ई. में संभाला।
‘सरस्वती’ के प्रकाशन का कार्य पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने 1903 ई. में संभाला और 1920 तक इसका संपादन लगातार करते रहे।
‘हंस’ का प्रकाशन प्रेमचंद ने प्रारंभ किया।
‘इंदु’ का प्रकाशन जयशंकर प्रसाद ने किया।
98. कहानी आंदोलन और उनके प्रवक्ता / पुरोधा को सुमेलित कीजिए:
(a) समांतर कहानी – (i) महीप सिंह(b) सक्रिय कहानी – (ii) गंगा प्रसाद विमल एवं अन्य
(c) सचेतन कहानी – (iii) कमलेश्वर
(d) अकहानी – (iv) राकेश वत्स
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iii), (iv), (i), (ii)
समांतर कहानी- कमलेश्वर, सक्रिय कहानी- राकेश वत्स, सचेतन कहानी- महीप सिंह, अकहानी- गंगा प्रसाद विमल
(iii), (i), (iv), (ii)
(iv), (iii), (ii), (i)
(ii), (i), (iii), (iv)
99. संस्मरणात्मक रचना और रचनाकारों की दृष्टि से कौन-सा विकल्प असंगत है?
वसंत से पतझर तक- रवींद्रनाथ त्यागी
सृजन के सहयात्री- रवींद्र कालिया
कुछ यादें कुछ बातें- अमृतराय
‘कुछ यादें कुछ बातें’ संस्मरणात्मक रचना के रचनाकार अमरकांत हैं।
चिड़िया रैन बसेरा- विद्यानिवास मिश्र
100. कृत और कृतिकार को सुमेलित कीजिए:
(a) नयी कविता के प्रतिमान – (i) नामवर सिंह(b) कविता के नये प्रतिमान – (ii) लक्ष्मीकांत वर्मा
(c) नया साहित्य: नये प्रश्न – (iii) गजानन माधव मुक्तिबोध
(d) नये साहित्य का सौंदर्य-शास्त्र – (iv) नंददुलारे वाजपेई
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iii), (ii), (i), (iv)
(ii), (iv), (i), (iii)
(iv), (iii), (ii), (i)
(ii), (i), (iv), (iii)
नयी कविता के प्रतिमान- लक्ष्मीकांत वर्मा, कविता के नये प्रतिमान- नामवर सिंह, नया साहित्य: नये प्रश्न- नंददुलारे वाजपेई, नये साहित्य का सौंदर्य-शास्त्र- मुक्तिबोध
101. कौन-सा निबंध संग्रह हजारी प्रसाद द्विवेदी का नहीं है?
विषाद योग
‘विषाद योग’ (1973) निबंध संग्रह कुबेरनाथ राय का है।
कल्पलता
आलोक पर्व
कुटज
102. ‘पोस्ट बॉक्स नं. 203- नाला सोपारा’ किसकी रचना है?
अलका सरावगी
मैत्रेयी पुष्पा
प्रभा खेतान
चित्रा मुद्गल
‘पोस्ट बॉक्स नं. 203- नाला सोपारा’ चित्रा मुद्गल की रचना है।
103. औपनिवेशिक कृतियों का रचनाकारों से मिलान कीजिए:
(a) कुरु-कुरु स्वाहा – (i) राजकमल चौधरी(b) मछली मरी हुई – (ii) अब्दुल बिस्मिल्लाह
(c) काला जल – (iii) मनोहरश्याम जोशी
(d) झीनी-झीनी बीनी चदरिया – (iv) शानी
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iii), (iv), (ii), (i)
(i), (iii), (ii), (iv)
(iii), (i), (iv), (ii)
कुरु-कुरु स्वाहा- मनोहरश्याम जोशी, मछली मरी हुई- राजकमल चौधरी, काला जल- शानी, झीनी-झीनी बीनी चदरिया- अब्दुल बिस्मिल्लाह
(i), (iv), (iii), (ii)
104. निम्नलिखित को सुसंगत कीजिए:
(a) कुछ कही कुछ अनकही – (i) मोहनदास नैमिशराय(b) मुड़-मुड़ के देखता हूँ – (ii) मैत्रेयी पुष्पा
(c) अपने-अपने पिंजरे – (iii) राजेंद्र यादव
(d) कस्तूरी कुंडल बसै – (iv) शीला झुनझुनवाला
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iii), (ii), (iv), (i)
(iv), (iii), (i), (ii)
कुछ कही कुछ अनकही- शीला झुनझुनवाला, मुड़-मुड़ के देखता हूँ- राजेंद्र यादव, अपने-अपने पिंजरे- मोहनदास नैमिशराय, कस्तूरी कुंडल बसै- मैत्रेयी पुष्पा
(ii), (iv), (iii), (i)
(iv), (i), (ii), (iii)
105. आचार्य शुक्ल का उक्त कथन किस संपादित रचना के संदर्भ में है?
“जितने श्रम और जितनी सावधानी से यह संपादित हुआ है, आज तक हिंदी का और कोई ग्रंथ नहीं हुआ!” विनय पत्रिका
लाल चंद्रिका
बिहार रत्नाकर
आचार्य शुक्ल का उक्त कथन ‘बिहार रत्नाकर’ के संदर्भ में है।
कबीर ग्रंथावली
106. किस विकल्प में रचना और उसमें वर्णित चरित्र-नायक असंगत है?
स्मृति के झरोखे से- भारतभूषण अग्रवाल
महामानव महापंडित- मदनमोहन मालवीय
महामानव महापंडित जीवनी राहुल सांकृत्यायन पर लिखा गया है, जिसके लेखक कमला सांकृत्यायन हैं।
बट वृक्ष की छाया में- अमृतलाल नागर
मरूभूमि का वह मेघ- घनश्यामदास बिड़ला
107. ‘एक बूँद सहसा उछली’ यात्रावृत्त के लेखक हैं?
निर्मल वर्मा
विष्णु प्रभाकर
सच्चिदानंद वात्सायन
‘एक बूँद सहसा उछली’ यात्रावृत्त के लेखक ‘सच्चिदानंद वात्सायन’ (अज्ञेय) हैं।
मोहन राकेश
108. इनमें से कौन-सा कथन सही नहीं है?
‘पहला गिरमिटिया’ में गाँधीजी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में चलाए गए सत्याग्रह आंदोलन का चित्रण है।
‘खंजन नयन’ (अमृतलाल नागर) में सूरदास की जीवन-वृत्त चित्रित है।
‘अपने-अपने अजनबी’ की मुख्य समस्या स्वतंत्रता के वरण की है।
अर्धनारीश्वर (विष्णु प्रभाकर) में स्त्रियों का महिमामंडन किया गया है।
अर्धनारीश्वर में स्त्रियों का दुर्दशा का वर्णन किया गया है।
109. नाट्यकृतियों और नाटककारों को सुसंगत कीजिए:
(a) खजुराहो का शिल्पी – (i) हमीदुल्ला(b) करफ्यू – (ii) मणिमधुकर
(c) दुलारीबाई – (iii) लक्ष्मी नारायण लाल
(d) ख्यालभारमली – (iv) शंकर शेष
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iv), (ii), (i), (iii)
(iii), (iv), (ii), (i)
(iv), (iii), (ii), (i)
खजुराहो का शिल्पी- शंकर शेष, करफ्यू- लक्ष्मी नारायण लाल, दुलारीबाई- मणिमधुकर, ख्यालभारमली- हमीदुल्ला
(ii), (iii), (i), (iv)
110. कहानी और कहानीकार का जोड़ा सुमेलित कीजिए:
(a) छोटे-छोटे ताजमहल – (i) कमलेश्वर(b) मलबे का मालिक – (ii) निर्मल वर्मा
(c) लंदन की एक रात – (iii) मोहन राकेश
(d) खोई हुई दिशाएँ – (iv) राजेंद्र यादव
कूट:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iv), (i), (iii)
(iv), (ii), (iii), (i)
(iii), (i), (iv), (ii)
(iv), (iii), (ii), (i)
छोटे-छोटे ताजमहल- राजेंद्र यादव, मलबे का मालिक- मोहन राकेश, लंदन की एक रात- निर्मल वर्मा, खोई हुई दिशाएँ- कमलेश्वर
111. निम्नलिखित रचनाओं को तक तत्संबंधी विधा के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) चेतना के बिंब – (i) जीवनी(b) अरे यायावर रहेगा याद – (ii) आत्मकथा
(c) प्रेमचंद घर में – (iii) संस्मरण
(d) मेरी जीवन यात्रा – (iv) यात्रा साहित्य
कूट:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iv), (iii), (i)
(iii), (iv), (i), (ii)
चेतना के बिंब- संस्मरण, अरे यायावर रहेगा याद- यात्रा साहित्य, प्रेमचंद घर में- जीवनी, मेरी जीवन यात्रा- आत्मकथा
(i), (iii), (ii), (iv)
(iii), (ii), (iv), (i)
112 निम्नलिखित को सुसंगत कीजिए:
(a) मंजुल भगत – (i) जलधार(b) सूर्यबाला – (ii) धुएं की इमानदारी
(c) कुसुम अंसल – (iii) अंतिम बयान
(d) उषा किरण खान – (iv) यामिनीकथा
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iii), (ii), (iv), (i)
(ii), (iii), (i), (iv)
(iii), (iv), (ii), (i)
मंजुल भगत- अंतिम बयान, सूर्यबाला- यामिनीकथा, कुसुम अंसल- धुएं की इमानदारी, उषा किरण खान- जलधार
(iv), (i), (iii), (ii)
113. कौन-सा कथन सही नहीं है?
‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ पूर्णतया कल्पनाश्रित उपन्यास है।
हजारीप्रसाद द्विवेदी के उपन्यास ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ में इतिहास और कल्पना का सुंदर समन्वय हुआ है। हर्ष कालीन पृष्ठभूमि को आधार बनाकर यह उपन्यास लिखा गया है।
‘चारुचंद्रलेख’ में गहरबार नरेश जयचंद की पराजय के बाद का समय चित्रित है।
‘पुनर्नवा’ में समुद्रगुप्त के समय को उपन्यास का विषय बनाया है।
‘अनामदास का पोथा’ उपनिषद् काल का काल्पनिक वर्णन करता
114 प्रकाशन वर्ष की दृष्टि से प्रेमचंद की उपन्यासिक कृतियों का सही अनुक्रम है:
रंगभूमि, सेवासदन, कर्मभूमि, गोदान
कर्मभूमि, रंगभूमि, गोदान, सेवासदन
सेवासदन, कर्मभूमि, गोदान, रंगभूमि
सेवासदन, रंगभूमि, कर्मभूमि, गोदान
सेवासदन (1918), रंगभूमि (1925), कर्मभूमि (1932), गोदान (1936)
115. नाभादास की ‘भक्तमाल’ से संबंधित कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
यह भक्तिकालीन भक्तों के संबंध में प्रमाणिक रचना मानी जाती है।
इसके पूर्वार्द्ध में कलयुग से पहले के भक्तों का उल्लेख है।
इतिहास की दृष्टि से इसका उत्तरार्द्ध अधिक महत्वपूर्ण है।
उत्तरार्द्ध में मध्यकालीन भक्तों-संतों का विस्तृत जीवन-वृत्त दिया गया है।
नाभादास की ‘भक्तमाल’ में मध्यकालीन भक्तों-संतों का विस्तृत जीवन-वृत्त नहीं दिया गया है। बल्कि चमत्कारिक, रोचक और महत्वपूर्ण अंशों को दिया गया है।
116. कौन-सा विवरण सही नहीं है?
गार्सा द तासी ने अपने इतिहास ग्रंथ में कवियों को कालक्रमानुसार प्रस्तुत किया।
गार्सा द तासी ने अपने इतिहास ग्रंथ में कवियों को ‘वर्णानुक्रमानुसार’ प्रस्तुत किया। सर्वप्रथम जॉर्ज ग्रियर्सन ने कवियों और लेखकों को कालक्रमानुसार वर्गीकृत किया।
‘शिवसिंह सरोज’ में लगभग एक हजार कवियों का जीवन-चरित्र उनके कविताओं के उदाहरण सहित प्रस्तुत किया गया है।
जॉर्ज ग्रियर्सन के इतिहास-ग्रंथ का हिंदी अनुवाद- ‘हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ है।
जॉर्ज ग्रियर्सन ने कवियों और लेखकों को कालक्रमानुसार वर्गीकृत किया है।
117. यह उक्ति किसकी है?
“इतिहास का इतिवृत्तात्मक लेखन सबसे प्रथम मिश्रबंधुओं के ‘विनोद’ में पाया जाता है।” आचार्य रामचंद्र शुक्ल
डॉ. रामकुमार वर्मा
यह उक्ति ‘डॉ. रामकुमार वर्मा’ की है।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
डॉ. नगेंद्र
118. ‘मिश्रबंधु विनोद’ के विषय में कौन-सा विवरण सही नहीं है?
इसमें अनेक कवि, जो अज्ञात थे, प्रकाश में लाए गए हैं और उनकी साहित्यिक महत्व का मूल्य आँका गया है।
इसके प्रथम तीन भाग सं. 1970 वि. में और चतुर्थ भाग सं. 1991 वि. में प्रकाशित हुए।
चतुर्थ भाग साहित्य के वर्तमान काल से संबंधित है।
इसके चारों भागों में लगभग तीन हजार कवियों का विवरण मिलता है।
‘मिश्रबंधु विनोद’ के चारों भागों में लगभग पांच हजार कवियों का विवरण मिलता है। इसीलिए रामचंद्र शुक्ल ने इसको ‘महावृत्त संग्रह’ कहा है। शुक्ल जी ने कवियों का विवरण इसी ग्रंथ से लिया है।
119. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का यह कथन किस कृति के संदर्भ में है?
“इस पुस्तक की भाषा को कवि ने स्वयं अवहट्ट कहा था। इसमें बीच-बीच में मैथिली भाषा के प्रयोग आ गए हैं। भाषा के अध्ययन की दृष्टि से इस पुस्तक का महत्व है ही।” विद्यापति पदावली
कीर्तिपताका
कीर्तिलता
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का यह कथन विद्यापति के ‘कीर्तिलता’ कृति के संदर्भ में है।
वर्ण रत्नाकर
120. हिंदी के प्रारंभिक काल विषयक यह कथन किस विद्वान का है?
“साधारणत: सन् ईसवी की दसवीं से लेकर चौदहवीं शताब्दी के काल को ‘हिंदी साहित्य का आदिकाल’ कहा जाता है।” हजारी प्रसाद द्विवेदी
हिंदी के प्रारंभिक काल विषयक यह कथन ‘हजारी प्रसाद द्विवेदी’ का है।
रामचंद्र शुक्ल
रामकुमार वर्मा
डॉ. नगेंद्र
121. यह कथन किसका है?
“काल पवित्ति का निर्णय प्राप्त ग्रंथों की संख्या द्वारा नहीं निर्णीत हो सकता, बल्कि उस काल की मुख्य प्रेरणादायक वस्तु के आधार पर ही हो सकता है।” रामचंद्र शुक्ल
हजारी प्रसाद द्विवेदी
यह कथन ‘हजारी प्रसाद द्विवेदी’ का है।
डॉ. नगेंद्र
रामकुमार वर्मा
122. यह कथन किसका है?
“अपभ्रंश के कवियों को विस्मरण करना हमारे लिए हानि की वस्तु है। यही कवि हिंदी काव्य-धारा के प्रथम स्रष्टा थे।” राहुल सांकृत्यायन
यह कथन ‘राहुल सांकृत्यायन’ का है।
मिश्रबंधु
शिवसिंह सेंगर
हजारी प्रसाद द्विवेदी
123. असंगत विकल्प चुनिए:
हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास- बच्चन सिंह
हिंदी साहित्य बीसवीं शताब्दी- बाबू श्यामसुंदर दास
‘हिंदी साहित्य बीसवीं शताब्दी’ के लेखक नंददुलारे वाजपेयी हैं।
हिंदी साहित्य का इतिहास- लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय
हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास- रामकुमार वर्मा
124. नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित ‘हिंदी साहित्य का बृहत् इतिहास’ के ‘प्रथम भाग’ का शीर्षक है-
हिंदी भाषा का विकास
हिंदी साहित्य का उद्भव और विकास
हिंदी साहित्य का अभ्युत्थान
हिंदी साहित्य की पीठिका
नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित ‘हिंदी साहित्य का बृहत् इतिहास’ के ‘प्रथम भाग’ का शीर्षक ‘हिंदी साहित्य की पीठिका’ है।
125. हिंदी के भक्ति आंदोलन के संदर्भ में यह कथन किसका है?
“मैं इस्लाम की महत्व को भूल नहीं रहा हूँ, लेकिन जोर देकर कहना चाहता हूँ कि अगर इस्लाम ना आया होता तो भी इस साहित्य का बारह आना वैसा ही होता, जैसा आज है।” आचार्य रामचंद्र शुक्ल
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
हिंदी के भक्ति आंदोलन के संदर्भ में यह कथन ‘आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी’ का है।
डॉ. रामकुमार वर्मा
डॉ. नगेंद्र
126. इतिहासकारों द्वारा मान्य ‘हिंदी का प्रथम कवि’ को सुसंगत कीजिए:
(a) शिवसिंह सेंगर – (i) स्वयंभू(b) रामकुमार वर्मा – (ii) सरहपा / सरहपाद
(c) राहुल सांकृत्यायन – (iii) शालिभद्रसूरि
(d) गणपतिचंद्र गुप्त – (iv) पुष्पदंत/पुण्य/पुंड
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iv), (ii), (i), (iii)
(iii), (i), (iv), (ii)
(ii), (iii), (i), (iv)
(iv), (i), (ii), (iii)
शिवसिंह सेंगर- पुष्पदंत/पुण्य/पुंड, रामकुमार वर्मा- स्वयंभू, राहुल सांकृत्यायन- सरहपा/सरहपाद, गणपतिचंद्र गुप्त- शालिभद्रसूरि
127. कौन-सा विकल्प सुमेलित नहीं है?
श्रावकाचार्य- देवसेन
नेमिनाथरास- सुमति मणि
भरतेश्वर-बाहुबलीरास- शालिभद्रसूरि
रेवंत गिरिरास- जिनधर्मसूरि
‘रेवंत गिरिरास’ विजयसेनसूरि की रचना है। जिनधर्मसूरि की रचना ‘स्थूलिभद्र रास’ है।
128. सरहपा से संबंधित कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
वे सिद्ध साहित्य के प्रारंभकर्ता थे।
‘दोहाकोश’ उनकी प्रसिद्ध रचना है।
उनकी भाषा सर्वत्र सीधी सरल मानी जाती है।
सरहपा की भाषा सर्वत्र सीधी सरल नहीं है।
उन्होंने अंतस्साधना पर जोर देते हुए पंडितों को फटकार लगाई।
129. हजारी प्रसाद द्विवेदी की यह उक्ति किसके विषय में है?
“शंकराचार्य के बाद इतना प्रभावशाली और इतना महिमान्वित महापुरुष भारतवर्ष में दूसरा नहीं हुआ।” सरहपा
गोरखनाथ
हजारी प्रसाद द्विवेदी की यह उक्ति ‘गोरखनाथ’ के विषय में है।
रामानंद
तुलसीदास
130. डॉ. दशरथ शर्मा आदि कुछ विद्वान ‘पृथ्वीराज रासो’ के किस संस्करण को मूल रासो मानते हैं?
प्रथम संस्करण (16306 छंद)
मध्य संस्करण (7000 छंद)
लघु संस्करण (35000 छंद)
सबसे छोटा संस्करण (1300 छंद)
डॉ. दशरथ शर्मा आदि कुछ विद्वान ‘पृथ्वीराज रासो’ के सबसे छोटा/लघुत्तम संस्करण (1300 छंद) को मूल रासो मानते हैं।
131. ‘बीसलदेव रासो’ के संपादनकर्ता इनमें से हैं:
आचार्य शुक्ल एवं दशरथ शर्मा
दशरथ शर्मा एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी
माता प्रसाद गुप्त एवं अगर चंद नाहटा
‘बीसलदेव रासो’ के संपादनकर्ता माता प्रसाद गुप्त एवं अगर चंद नाहटा हैं।
हजारी प्रसाद द्विवेदी एवं अगर चंद नाहटा
132. आदिकालीन हिंदी कवि अमीर खुसरो विषयक कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
उनकी पहेलियाँ, मुकरियाँ और दो सूखने हिंदी साहित्य में प्रसिद्ध हैं।
उनकी रचनाओं में खड़ी बोली काव्य भाषा बनने का प्रयास कर रही थी।
उन्होंने जनजीवन के साथ घुल-मिलकर काव्य रचना की है।
उनका लक्ष्य जनता को धर्मोंपदेश देना मात्र था।
अमीर खुसरो का लक्ष्य जनता को धर्मोंपदेश देना नहीं बल्कि मनोरंजन करना था।
133. आचार्य शुक्ल के अनुसार किस रचना के आधार पर विद्यापति ‘मैथिल कोकिल’ कहलाए?
पदावली
आचार्य शुक्ल के अनुसार ‘पदावली’ रचना के आधार पर विद्यापति ‘मैथिल कोकिल’ कहलाए।
कीर्ति लता
कीर्ति पताका
लिखनावली
134. इनमें से कौन-सा विवरण सही नहीं है?
सिद्धों की वाममार्गी भोगसाधना की प्रतिक्रिया में नाथपंथियों की हठ योग साधना प्रारंभ हुई।
जैन साहित्य आचार, रास, फागु और चरित आदि शैलियों में रचा गया।
हिंदी प्रदेश के पूर्वी भाग में जैन साधुओं ने हिंदी कविताओं के माध्यम से जैन मत का प्रचार किया।
काठियावाड़ (गुजरात) के आस-पास जैन साधुओं ने अधिकतर ग्रंथ रचा।
सिद्ध-साहित्य बौद्ध धर्म की वज्रयान उपशाखा से विकसित हुआ।
135. यह स्थापना किसकी है?
“आदि से अंत तक इन्हीं चितवृतियों की परंपरा को परखते हुए साहित्य परंपरा के साथ उनका सामंजस्य दिखाना ही साहित्य का इतिहास कहलाता है।” मिश्रबंधु
विजयदेव नारायण साही
रामकुमार वर्मा
रामचंद्र शुक्ल
यह स्थापना ‘रामचंद्र शुक्ल’ की है।
136. ‘पृथ्वीराज रासो’ विषयक यह स्थापना किसकी है?
“इस संबंध में इसके अतिरिक्त और कुछ कहने की जगह नहीं कि यह पूरा ग्रंथ वास्तव में जाली है।” रामचंद्र शुक्ल
‘पृथ्वीराज रासो’ विषयक यह स्थापना ‘रामचंद्र शुक्ल’ की है।
कविराज श्यामलदास
डॉ. बूलर
गौरीशंकर हीराचंद ओझा
137. रामचंद्र शुक्ल की यह मान्यता किस ग्रंथ के संदर्भ में है?
“इस ग्रंथ में श्रृंगार की ही प्रधानता है, वीर रस का किंचित आभास मात्र है।” पृथ्वीराजरासो
बीसलदेवरासो
रामचंद्र शुक्ल की यह मान्यता ‘बीसलदेवरासो’ के संदर्भ में है। शुक्लजी इसे वीर रस परम्परा का प्राचीन ग्रंथ भी माना है।
खुमाणरासो
विजयपालरासो
138. सिद्धों, नाथों, योगियों की रचनाओं के विषय में यह किसका मत है?
“वे सांप्रदायिक शिक्षा मात्र हैं, अतः शुद्ध साहित्य की कोटि में नहीं आ सकतीं।” जार्ज ग्रियर्सन
डॉ. नगेंद्र
रामचंद्र शुक्ल
सिद्धों, नाथों, योगियों की रचनाओं के विषय में यह मत ‘रामचंद्र शुक्ल’ का है।
मिश्रबंधु
139. ‘राउलवेल’ के विषय में कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
इसका रचयिता रोडा नामक कवि माना जाता है।
यह मूलतः एक शिलांकित रचना है।
यह गद्य-पद्य मिश्रित चंपू काव्य है।
इसमें राउल नामक नायक का शौर्य-वर्णन है।
‘राउलवेल’ संयोग श्रृंगार की रचना है, इसमें राउल नामक नायक का शौर्य-वर्णन नहीं है।
140. भगवान को शगुन मानकर उनकी भक्ति पर बल देने वाले भागवत धर्म के भेदों और उनके संस्थापकों को सुमेलित कीजिए:
(a) श्री संप्रदाय – (i) माध्वाचार्य(b) ब्रह्मा संप्रदाय – (ii) निंबार्काचार्य
(c) रूद्र संप्रदाय – (iii) रामानुजाचार्य
(d) सनकादिक संप्रदाय – (iv) विष्णुस्वामी
कूट:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iii), (i), (iv)
(iii), (i), (iv), (ii)
श्री संप्रदाय- रामानुजाचार्य, ब्रह्मा संप्रदाय- माध्वाचार्य, रूद्र संप्रदाय- विष्णुस्वामी, सनकादिक संप्रदाय- निंबार्काचार्य
(iv), (i), (iii), (ii)
(iii), (ii), (iv), (i)
141. कौन-सा विवरण सही नहीं है?
‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ में वल्लभाचार्य के शिष्यों की कथाएँ संकलित हैं।
‘दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता’ में विट्ठलनाथ के शिष्यों की कथाएँ हैं।
उक्त दोनों वार्ताएँ गोस्वामी विट्ठलनाथ द्वारा लिखी गई हैं।
‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ और ‘दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता’ गोकुल नाथ द्वारा लिखी गई हैं।
इन वार्ताओं में प्राचीन ब्रजभाषा गद्य का रूप मिलता है।
142. अलवार भक्तों/संतो के विषय में कौन-सा तथ्य गलत है?
ये सुदूर दक्षिण के वैष्णव भक्त थे।
इनकी संख्या 12 थी।
ये सभी उच्च वर्ण-जाति के थे।
अलवार भक्तों में कई निम्न वर्ण-जाति के भी थे।
आलवारों में आंडाल नाम की एक महिला भक्त भी थी।
143. भक्ति-आंदोलन विषयक यह उक्ति किसकी है?
“हम अपने को ऐसे धार्मिक आंदोलन के सामने पाते हैं, जो उन सब आंदोलनों से कहीं अधिक विशाल हैं, जिन्हें भारतवर्ष ने कभी देखा है।” हजारी प्रसाद द्विवेदी
रामचंद्र शुक्ल
मिश्रबंधु
जार्ज ग्रियर्सन
भक्ति-आंदोलन विषयक यह उक्ति ‘जार्ज ग्रियर्सन’ की है।
144. यह कथन किसका है?
“जिस साहित्य में केवल धार्मिक उपदेश हों, उससे वह साहित्य निश्चित रूप से भिन्न है जिसमें धर्म भावना प्रेरक शक्ति के रूप में काम कर रही हो… धार्मिक साहित्य होने मात्र से कोई रचना साहित्यिक कोटि से अलग नहीं की जा सकती।” हजारी प्रसाद द्विवेदी
यह कथन ‘हजारी प्रसाद द्विवेदी’ का है।
रामचंद्र शुक्ल
रामकुमार वर्मा
मिश्रबंधु
145. किस आचार्य के दार्शनिक सिद्धांत को ‘भेदाभेदवाद’ के नाम से भी जाना जाता है?
रामानुजाचार्य
निंबार्काचार्य
निंबार्काचार्य के दार्शनिक सिद्धांत ‘द्वैताद्वैतवाद’ को ‘भेदाभेदवाद’ के नाम से भी जाना जाता है।
मध्वाचार्य
विष्णुस्वामी
146. वल्लभाचार्य के विषय में कौन-सा कथन सही नहीं है?
इनका दार्शनिक सिद्धांत शुद्वाद्वैतवाद कहलाता है।
इनके मत को पुष्टिमार्ग कहा जाता है।
इन्होंने अणुभाष्य, सुबोधिनी टीका आदि ग्रंथों की रचना की।
मूलतः इनका संबंध रामानुजाचार्य के श्री संप्रदाय से स्थिर किया जाता है।
असत्य कथन- मूलतः इनका संबंध रामानुजाचार्य के श्री संप्रदाय से स्थिर किया जाता है।
147. उक्त कथन किसका है?
“सच पूछा जाए तो मध्ययुग की समग्र स्वाधीन चिंता के गुरु रामानंद ही थे।” गोविंद त्रिगुणायन
रामचंद्र शुक्ल
हजारी प्रसाद द्विवेदी
उक्त कथन ‘हजारी प्रसाद द्विवेदी’ का है।
पीतांबरदत्त बड़थ्वाल
148. यह कथन किसका है?
“सिद्ध-सामंत युग की कविताओं की सृष्टि आकाश में नहीं हुई। वे हमारे देश की ठोस धरती की उपज हैं।” रामचंद्र शुक्ल
हजारी प्रसाद द्विवेदी
मिश्रबंधु
राहुल सांकृत्यायन
यह कथन ‘राहुल सांकृत्यायन’ (हिंदी काव्यधारा) का है।
149. हिंदी के प्रारंभिक काल की भाषा के बारे में यह कथन किसका है?
“विक्रम की सातवीं से ग्यारहवीं शताब्दी तक अपभ्रंस की प्रधानता रही और फिर वह पुरानी हिंदी में परिणत हो गई।” महावीर प्रसाद द्विवेदी
हजारी प्रसाद द्विवेदी
चंद्रधर शर्मा गुलेरी
हिंदी के प्रारंभिक काल की भाषा के बारे में यह कथन ‘चंद्रधर शर्मा गुलेरी’ का है।
रामकुमार वर्मा
150. नंददास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है?
वे गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे।
अष्टछाप के कवियों में वे ही सर्वाधिक प्रसिद्ध हुए हैं।
अष्टछाप के कवियों में सूरदास सर्वाधिक प्रसिद्ध हुए हैं। बाललीला में सर्वाधिक प्रसिद्ध कवि- 1. सूरदास, 2. परमानंददास, 3. नंददास; काव्यसौंदर्य में सर्वाधिक प्रसिद्ध कवि- 1. सूरदास, 2. नंददास
उनकी सर्वोत्कृष्ट रचनाएँ ‘रासपंचाध्यायी’ और ‘भँवरगीत’ है।
‘रसमंजरी’ नायक-नायिका-भेद से संबंधित रचना है।
Aapane bahut badhiya jankari di hai
Comments are closed.