प्रेमचंद के साथ दो दिन साक्षात्कार- बनारसीदास चतुर्वेदी
प्रेमचंदजी की सेवा में उपस्थित होने की इच्छा बहुत दिनों से थी। यद्यपि आठ वर्ष पहले लखनऊ में एक बार उनके दर्शन किए थे,...
कविता क्या है निबंध- रामचंद्र शुक्ल | kavita kya hai nibandh
कविता क्या है, भाग- 1
कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है। सृष्टि के पदार्थ या व्यापार-विशेष को कविता इस तरह व्यक्त करती है मानो...
श्रद्धा और भक्ति निबंध- रामचन्द्र शुक्ल | shraddha aur bhakti
किसी मनुष्य में जनसाधारण से विशेष गुण व शक्ति का विकास देख उसके संबंध में जो एक स्थायी आनंदपद्धाति हृदय में स्थापित हो जाती...
शिवशंभु के चिट्ठे निबंध- बालमुकुंद गुप्त
1. बनाम लार्ड कर्जन
माई लार्ड! लड़कपन में इस बूढ़े भंगड़ को बुलबुल का बड़ा चाव था। गाँव में कितने ही शौकीन बुलबुलबाज थे। वह...
आचरण की सभ्यता निबंध- सरदार पूर्ण सिंह
विद्या, कला, कविता, साहित्य, धन और राजस्व से भी आचरण की सभ्यता अधिक ज्योतिष्मती है। आचरण की सभ्यता को प्राप्त करके एक कंगाल आदमी...
मजदूरी और प्रेम निबंध- अध्यापक पूर्ण सिंह | majduri aur prem
हल चलाने वाले का जीवन
हल चलाने वाले और भेड़ चराने वाले प्रायः स्वभाव से ही साधु होते हैं। हल चलाने वाले अपने शरीर का...
धर्म और समाज निबंध- चंद्रधर शर्मा गुलेरी | dharm aur samaj
समाज के लिये धर्म की आवश्यकता है या नहीं? इस प्रश्न पर कुछ अपने विचार प्रकट करना ही आज इस लेख का उद्देश्य है।...
साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है निबंध- बालकृष्ण भट्ट
प्रत्येक देश का साहित्य उस देश के मनुष्यों के हदय का आदर्श रूप है। जो जाति जिस समय जिस भाव से परिपूर्ण या परिप्लुत...
वैष्णवता और भारतवर्ष निबंध- भारतेन्दु हरिश्चंद्र
इस लेख का उल्लेख ‘रामायण का समय’ नामक लेख में पहले ही आ चुका है जो सन् 1884 की रचना है। अतः यह उसके...
धोखा निबंध- प्रताप नारायण मिश्र | dhokha nibandh
इन दो अक्षरों में भी न जाने कितनी शक्ति है कि इनकी लपेट से बचना यदि निरा असंभव न हो तो भी महा कठिन...