आप निबंध- प्रतापनारायण मिश्र | aap- pratap narayan mishra
ले भला बतलाइए तो आप क्या हैं? आप कहते होंगे, वाह आप तो आप ही हैं। यह कहाँ की आपदा आई? यह भी कोई...
मेले का ऊँट निबंध- बालमुकुंद गुप्त | mele ka unth nibandh
बालमुकुंद गुप्त भारतेंदु युग के परवर्ती लेखक हैं। शिवशंभु के चिट्ठे, उर्दू बीबी के नाम चिट्ठी, हरिदास, खिलौना, खेलतमाशा, स्फुट कविता आदि उनके प्रमुख निबंध...
दिल्ली दरबार दर्पण निबंध- भारतेंदु हरिश्चंद्र | dilli darbar darpan
दिल्ली दरबार दर्पण के रचनाकार भारतेंदु हरिश्चंद हैं। भारतेंदु ने दिल्ली दरबार दर्पण निबंध को वर्णात्मक शैली में लिखा है। यहाँ पर भारतेंदु का...
देवरानी जेठानी की कहानी- पं. गौरीदत्त शर्मा
हिन्दी का पहला उपन्यास को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ विद्वान ‘देवरानी जेठानी की कहानी’ (1870) को हिन्दी का पहला उपन्यास मानते हैं,...
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है- भारतेंदु हरिश्चंद्र
‘भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है’ निबंध के लेखक भारतेंदु हरिश्चंद हैं। भारतेंदु जी का यह निबंध (bharat varshonnati kaise ho sakti hai) बहुत महत्वपूर्ण है। इस...
साहित्य का उद्देश्य निबंध- प्रेमचंद | sahitya ka uddeshya
1936 लखनऊ में होने वाले प्रगतिशील लेखक संघ के पहले अधिवेशन में प्रेमचंद द्वारा दिया गया अध्यक्षीय भाषण।
सज्जनों,
यह सम्मेलन हमारे साहित्य के इतिहास में स्मरणीय...
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ!- महादेवी वर्मा
नींद थी मेरी अचल निस्पन्द कण कण में,प्रथम जागृति थी जगत के प्रथम स्पन्दन में,प्रलय में मेरा पता पदचिन्ह जीवन में,शाप हूँ जो बन...
मैं नीर भरी दुख की बदली- महादेवी वर्मा
मैं नीर भरी दुख की बदली!
स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसाक्रन्दन में आहत विश्व हँसानयनों में दीपक से जलते,पलकों में निर्झारिणी मचली!
मेरा पग-पग संगीत भराश्वासों...
फिर विकल हैं प्राण मेरे- महादेवी वर्मा
फिर विकल हैं प्राण मेरे!
तोड़ दो यह क्षितिज मैं भी देख लूं उस ओर क्या है!जा रहे जिस पंथ से युग कल्प उसका छोर...
यह मंदिर का दीप- महादेवी वर्मा
यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दोरजत शंख घड़ियाल स्वर्ण वंशी-वीणा-स्वर,गये आरती वेला को शत-शत लय से भर,जब था कल कंठो का मेला,विहंसे...