PGT Hindi 2000 का question paper सॉल्ब करें। यदि आप TGT, PGT हिंदी की तैयारी कर रहें हैं तो इन प्रश्नों को जरूर हल कर लें। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, प्रयागराज द्वारा आयोजित पीजीटी हिंदी परीक्षा- 2000 के प्रश्न-पत्र का व्याख्यात्मक हल यहाँ दिया जा रहा है। up pgt hindi previous year question paper के अंतर्गत यह पहला पेपर है।
पीजीटी हिंदी- 2000
1. ‘पंचवटी प्रसंग’ काव्य के रचयिता हैं-
- मैथिलीशरण गुप्त
- निराला
- जयशंकर प्रसाद
- केशवदास
Ans: (2) ‘पंचवटी प्रसंग’ काव्य के रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं। वहीं मैथिलीशरण गुप्त की एक रचना ‘पंचवटी’ नाम से है।
2. ‘बाँधो न नाव इस ठाँव’ के लेखक हैं-
- उपेन्द्र नाथ अश्क
- निराला
- जयशंकर प्रसाद
- मुक्तिबोध
Ans: (2) ‘बाँधो न नाव इस ठाँव’ कविता के लेखक सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं।
3. ‘सुजान चरित’ के रचयिता हैं-
- घनानंद
- बोधा
- सूदन
- मतिराम
Ans: (3) ‘सुजान चरित’ के रचयिता रीतिकालीन कवि सूदन हैं। ‘सुजान हित’ घनानंद की सर्वाधिक लोकप्रिय रचना है, जिसमें 507 पद हैं। जिसमें सुजान के प्रेम, रूप, विरह आदि का वर्णन हुआ है।
4. ‘‘साहित्य मनुष्य के अंतर का उच्छलित आनंद है।’’ यह कथन किसका है?
- आचार्य नंददुलारे बाजपेयी
- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
- डॉ. नगेंद्र
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल
Ans: (2) उपरोक्त कथन आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का है।
5. महिम भट्ट द्वारा प्रतिपादित सिद्वांत है:
- अनुमानवाद
- तात्पर्यवाद
- लक्षणवाद
- अभिव्यंजनावाद
Ans: (1) महिम भट्ट द्वारा प्रतिपादित सिद्वांत ‘अनुमानवाद’ है।
6. चम्पू के दो भेद हैं:
- विरुद और कपालक
- विरुद और कुलक
- विरुद और व्रज्या
- विरुद और करम्भक
Ans: (4) गद्य और पद्य के मिश्रित काव्य को चम्पू कहा जाता है। चम्पू के दो भेद ‘विरुद और करम्भक’ हैं। आचार्य विश्वनाथ के अनुसार ‘विरुद’ में राजस्तुति की जाती है और ‘करम्भक’ विविध भाषाओँ में लिखा जाता है।
7. ‘समास की अधिकता ओज कहलाती है’ (ओजस्समास-भूयस्त्वम्)- यह किसका कथन है?
- भरत
- वामन
- रुय्यक
- दण्डी
Ans: (2) ‘समास की अधिकता ओज कहलाती है।’ यह कथन आचार्य वामन का है।
8. ‘काशिका’ है:
- पतंजलि कृत ‘महाभाष्य’ की टीका
- पतंजलि कृत ‘योगसूत्र’ की टीका
- पाणिनि कृत ‘अष्टाध्यायी’ की टीका
- भर्तृहरि कृत ‘वाक्यपदीय’ की टीका
Ans: (3) ‘काशिका’ पाणिनि कृत ‘अष्टाध्यायी’ की टीका है जिसमें पाणिनि के सूत्रों को सरलता और सहज रूप में उदाहरणों के साथ समझाया गया है। जयादित्य और वामन द्वारा लिखित ‘काशिका’ अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।
9. श्रीलाल शुक्ल के उपन्यास ‘रागदरबारी’ का ‘रंगनाथ की वापसी’ शीर्षक से नाटयान्तर किसने किया है:
- गिरीश रस्तोगी
- कुसुम कुमार
- शोभना भूटानी
- शांति मेहरोत्रा
Ans: (1) श्रीलाल शुक्ल के उपन्यास ‘रागदरबारी’ का ‘रंगनाथ की वापसी’ शीर्षक से नाटयान्तर ‘गिरीश रस्तोगी’ ने किया है।
10. ‘चूलिका’ किसका भेद है:
- पालि
- प्राकृत
- अपभ्रंश
- पारसी
Ans: (2) ‘चूलिका’ प्राकृत का एक भेद है। प्राकृत का अन्य भेद- शौरसेनी, मागधी, पैशाची, महाराष्ट्री, चंडाली, ढक्की, शाबरी और अपभ्रंश आदि (विभाषा) हैं। भरत ने नाट्यशास्त्र में सात प्राकृतों- मागधी, अर्द्धमागधी, शौरसेनी, अवन्निजा, प्राच्या, बहलीला और दक्षिणात्या का वर्णन किया है।
11. मुद्राराक्षस के ‘तिलचट्टा’ नाटक में ‘तिलचट्टा’ प्रतीक है:
- यौन कुण्ठाओं का
- मानव मन की पाशविक प्रवृत्तियों का
- अधिकारी वर्ग का स्वार्थपरता व क्रूरता का
- समाजव्यापी संत्रास का
Ans: (1) मुद्राराक्षस के ‘तिलचट्टा’ नाटक में ‘तिलचट्टा’ यौन कुण्ठाओं का प्रतीक है।
12. किस ग्रंथ में कलचुरि राजवंश के किसी सामंत की सात नायिकाओं का नखशिख वर्णन है:
- वर्ण रत्नाकर
- उक्तिव्यक्ति प्रकरण
- राउलवेल
- कुवलयमाला कथा
Ans: (4) उद्योतन सूरि कृत ‘कुवलयमाला कथा’ में कलचुरि राजवंश के किसी सामंत की सात नायिकाओं का नखशिख वर्णन है। यह ग्रंथ विक्रम संवत् 835 में पूर्ण हुई थी।
13. संत साहित्य में प्रयुक्त ‘बंकनालि’ का पर्याय निम्नांकित में से कौन नहीं है:
- त्रिकुटी
- वक्रनालि
- राजदन्त
- शंखिनी
Ans: (2) संत साहित्य में प्रयुक्त ‘बंकनालि’ का पर्याय त्रिकुटी, राजदन्त और शंखिनी हैं। वहीं ‘बंकनालि’ का पर्याय ‘वक्रनालि’ नहीं है।
14. रहस्य पुरुष का बिम्ब मुक्तिबोध की किस कविता में नहीं है–
- मेरे सहचर मित्र
- अँधेरे में
- इस चौड़े ऊँचे टीले पर
- मुझे पुकारती हुई पुकार
Ans: (2) रहस्य पुरुष का बिम्ब मुक्तिबोध की ‘अँधेरे में’ कविता में नहीं है।
15. ‘भ्रमर गुफा’ के लिए दूसरा उपयुक्त नाम है–
- ब्रह्मरंध्र
- हृदेश
- नाभिचक्र
- मूलाधार
Ans: (1) ‘भ्रमर गुफा’ के लिए दूसरा उपयुक्त नाम ‘ब्रह्मरंध्र’ है।
16. निम्नलिखित में से किस आचार्य ने अलंकार और अलंकार्य में अभेद माना है?
- भामह
- कुन्तल
- विश्वनाथ
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल
Ans: (4) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अलंकार और अलंकार्य में अभेद माना है।
17. कालक्रमानुसार संगति क्रम क्या होगा–
- कुवलयमाला, उक्तिव्यक्ति प्रकरण, राउलवेल, कीर्तिलता
- कुवलयमाला, राउलवेल, उक्तिव्यक्ति प्रकरण, कीर्तिलता
- राउलवेल, कुवलयमाला, उक्तिव्यक्ति प्रकरण, कीर्तिलता
- उक्तिव्यक्ति प्रकरण, राउलवेल, कुवलयमाला, कीर्तिलता
Ans: (2) कालक्रमानुसार संगति क्रम-
(i) कुवलयमाला- 778 ईस्वी, जैन मुनि उधोतन सूरी
(ii) राउलवेल- 10 वीं सदी, रोडा कवि
(iii) उक्तिव्यक्ति प्रकरण- 12वीं शती का पूर्वार्द्ध, पंडित दामोदर शर्मा
(iv) कीर्तिलता- 14 वीं शताब्दी, विद्यापति
18. छायावाद में ‘वक्रता का वैभव’ मिलता है। ‘प्रसाद’ के काव्य में निम्नलिखित में से किसका उत्कर्ष मिलता है:
- विदग्धता
- अभिव्यंजना
- चारुता
- चमत्कार
Ans: (2) छायावाद में ‘वक्रता का वैभव’ मिलता है। ‘जयशंकर प्रसाद’ के काव्य में ‘अभिव्यंजना’ का उत्कर्ष मिलता है।
19. सिद्धों की साधना में ‘शून्य’ का पूरक तत्व था:
- वज्र
- अग्नि
- चित्र
- ज्ञान
Ans: (4) सिद्धों की साधना में ‘शून्य’ का पूरक तत्व ज्ञान था। सिद्ध साहित्य में ‘शून्य समाधि’ का वर्णन उलटबाँसी शैली में हुआ है।
20. ‘उबटन’ शब्द का तत्सम रूप है-
- उर्द्वतन
- उपलेपन
- उप: लेपन
- उद्वर्तन
Ans: (4) ‘उबटन’ शब्द का तत्सम रूप ‘उद्वर्तन’ है।
21. ‘धूसर’ किसका पर्याय है:
- अश्व
- मेघ
- गर्दभ
- अजा
Ans: (3) ‘गर्दभ’ का पर्याय शब्द ‘धूसर’ है।
‘गर्दभ’ का पर्यायवाची शब्द- खर, गधा, धूसर, शीतलावाहन, चक्रीवान, वैशाखनंदन
22. ‘द्वार-द्वार भटकना’ में प्रयुक्त द्विरुक्ति ‘द्वार-द्वार’ है:
- पारस्परिक संबंध बताने के अर्थ में
- अतिशयता प्रकट करने के अर्थ में
- भेद बताने के अर्थ में
- समग्रता प्रकट करने के अर्थ में
Ans: (1) ‘द्वार-द्वार भटकना’ में प्रयुक्त द्विरुक्ति ‘द्वार-द्वार’ पारस्परिक संबंध बताने के अर्थ में है।
23. निम्नलिखित में कौन गलत सुमेलित है:
- अँगूठे पर मारना– परवाह न करना
- कान काटना– मात करना
- नजर करना– भेंट करना
- नजर पर चढ़ना– आँख बचाना
Ans: (4) उपरोक्त में गलत सुमेलित जोड़ा- नजर पर चढ़ना का अर्थ- आँख बचाना है। जबकि ‘नजर पर चढ़ना’ का सही अर्थ- ‘खटकना’ या ‘संदेह हो जाना’ है।
24. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है:
- ओझा- उपाध्याय
- कपास- कर्पट
- केला- कदली
- पसीना- प्रस्विन्न
Ans: (2) उपरोक्त में ‘कपास- कर्पट’ युग्म सुमेलित नहीं है। क्योंकि ‘कपास’ का तत्सम शब्द ‘कर्पास’ है। अन्य तद्भव-तत्सम युग्म सही सुमेलित हैं।
25. निम्नलिखित में से कौन-सा विपरीतार्थक युग्म सही सुमेलित है:
- उद्योगी- अनुद्यत
- औरस- जारज
- उन्मत्त- विमुख
- उच्छवास- अनुच्छिष्ट
Ans: (2) उपरोक्त में ‘औरस- जारज’ विपरीतार्थक युग्म सुमेलित है। अन्य शब्दों के विपरीतार्थक शब्द- उद्योगी- अनुद्योगी, उन्मत्त- अनुन्मत्त और उच्छ्वास- निःश्वास है।
26. ‘जूतियो में दाल बाँटना’ मुहावरे का सही अर्थ है:
- दु:खी होना
- अपमान करना
- चापलूसी करना
- लड़ाई-झगड़ा हो जाना
Ans: (4) ‘जूतियो में दाल बाँटना’ मुहावरे का सही अर्थ है- लड़ाई-झगड़ा हो जाना है। जबकि अन्य मुहावरे का अर्थ ‘जी भर आना- दुखी होना’, ‘नीचा दिखाना- अपमान करना’ और ‘अंगूठा चूमना- चापलूसी करना’ होता है।
27. ‘लालतारा’ की विधा है:
- रेखाचित्र
- संस्मरण
- जर्नल
- यात्रावृत्त
Ans: (1) ‘लालतारा’ की विधा ‘रेखाचित्र’ है जिसके लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी हैं। माटी की मूरतें, गेहूँ और गुलाब तथा मिल के पत्थर इनके अन्य प्रमुख रेखाचित्र हैं। रामवृक्ष बेनीपुरी के रेखाचित्रों में यथार्थ के साथ कल्पना और भावुकता का समन्वय दिखाई देता है।
28. ‘बाजे पाइलिया के घुघरू’ के लेखक है:
- कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर
- कन्हैया लाल ओझा
- कन्हैया लाल मणिक लाल मुंशी
- सोहन लाल द्विवेदी
Ans: (1) ‘बाजे पाइलिया के घुघरू’ के लेखक कन्हैया लाल मिश्र ‘प्रभाकर’ है। यह सहज, सरस संस्मरणात्मक शैली में लिखी गयी रचना है।
29. प्रिंस आफ वेल्स की भारत यात्रा का विस्तृत और ब्यौरेवार वर्णन ‘युवराज की यात्रा’ शीर्षक से किसने किया है:
- सत्यदेव परिव्राजक
- मौलवी महेश प्रसाद
- चंडी प्रसाद सिंह
- भगवानदीन दुबे
Ans: (3) प्रिंस आफ वेल्स की भारत यात्रा का विस्तृत और ब्यौरेवार वर्णन ‘युवराज की यात्रा’ शीर्षक से रचना ‘चंडी प्रसाद सिंह’ ने किया है। यह ग्रंथ रिपोर्ताज शैली में लिखा गया है।
30. ‘दशरथ के पुत्र राम ने रावण को मारा।’ इस वाक्य में कौन-सा पद कारक बनने की सबसे कम योग्यता रखता है:
- राम
- रावण
- दशरथ
- पुत्र
Ans: (1) ‘दशरथ के पुत्र राम ने रावण को मारा।’ इस वाक्य में ‘राम’ पद कारक बनने की सबसे कम योग्यता रखता है।
31. ‘रीतिकाल’ को ‘कला काल’ किसने कहा:
- आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
- डॉ. रमाशंकर शुक्ल रसाल
- मिश्र बन्धु
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल
Ans: (2) ‘रीतिकाल’ को ‘कला काल’ डॉ. रमाशंकर शुक्ल रसाल ने कहा है। जबकि ‘रीतिकाल’ को आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने ‘श्रृंगार काल’, मिश्र बन्धुओं ने ‘अलंकृत काल’ और आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘रीतिकाल’ कहा है।
32. ठेठ हिंदी में उपन्यास लिखने वाले कौन हैं:
- निराला
- प्रेमचंद
- प्रसाद
- हरिऔध
Ans: (4) ठेठ हिंदी में उपन्यास लिखने वाले अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’हैं।इनके प्रमुख उपन्यास ठेठ हिंदी का ठाठ (1899) तथा अधखिला फूल (1907) हैं।
33. निम्नलिखित में से कौन श्रीकृष्ण भक्ति का सम्प्रदाय नहीं है:
- श्रीवल्लभ सम्प्रदाय
- हरिदासी सम्प्रदाय
- तत्सुखी सम्प्रदाय
- गौड़ी सम्प्रदाय
Ans: (3) ‘तत्सुखी सम्प्रदाय’ श्रीकृष्ण भक्ति का सम्प्रदाय नहीं है। जबकि अन्य सभी का संबंध श्रीकृष्ण भक्ति का सम्प्रदाय से है। तत्सुखी सम्प्रदाय के प्रवर्तक जीवाराम, श्रीवल्लभ सम्प्रदाय के प्रवर्तक बल्लभाचार्य, हरिदासी या सखी सम्प्रदाय के प्रवर्तक स्वामी हरिदास और गौड़ी या चैतन्य सम्प्रदाय के प्रवर्तक चैतन्य महाप्रभु हैं।
34. सतसई काव्य-परम्परा को आगे बढ़ाने वालों में कौन है:
- गयाप्रसाद शुक्ल स्नेही
- अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
- वियोगी हरि
- अनूप शर्मा
Ans: (3) सतसई काव्य-परम्परा को आगे बढ़ाने वालों में वियोगी हरि जी है। इनके ग्रंथ का नाम ‘वीर सतसई’ है जो दोहा छंद में लिखा गया है। इसमें प्रमुख भारतीय वीरों की प्रशस्तियाँ हैं। इनकी अन्य प्रमुख रचनाएँ- प्रेमशतक, प्रेम पथिक, प्रेमांजली, चरखे की गूंज, चरखा स्रोत, असहयोग वीणा आदि हैं।
35. एलियट का मूर्त्तविधान भारतीय काव्यशास्त्र के किस तत्त्व से तुलनीय है:
- साधारणीकरण
- रीति
- विभावन-व्यापार
- प्रतिभा
Ans: (1) एलियट का मूर्त्तविधान भारतीय काव्यशास्त्र के साधारणीकरण से तुलनीय है।
36. किन दो साहित्यकारों ने ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से रचना दी है:
- हरिऔध – माखनलाल चतुर्वेदी
- विष्णु प्रभाकर – हरिऔध
- दिनकर – बच्चन
- विष्णु प्रभाकर – दिनकर
Ans: (4) विष्णु प्रभाकर और दिनकर ने ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से रचना की है। विष्णु प्रभाकर ने सन् 1992 में ‘अर्धनारीश्वर’ उपन्यास लिखा जिस पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। वहीं रामधारी सिंह दिनकर ने ‘अर्धनारीश्वर’ नाम से निबंध लिखा है।
37. आचार्य किशोरी दास बाजपेयी के मत से हिंदी में कितने कारक है:
- 6
- 7
- 8
- 5
Ans: (1) आचार्य किशोरी दास बाजपेयी के अनुसार हिंदी में 6 कारक हैं।
38. ‘पाण्डव’ शब्द में कैसा प्रत्यय है:
- कृदन्त
- तद्धित
- स्त्री
- प्रत्यय नहीं है
Ans: (2) ‘पाण्डव’ शब्द में तद्धित प्रत्यय है और यह पांडु शब्द से बना है।
39. ‘धनुर्बाण’ में किस तरह का समास है:
- तत्पुरूष
- बहुब्रीहि
- कर्मधारय
- द्वन्द्व
Ans: (4) ‘धनुर्बाण’ में द्वंद्व समास है तथा इसका विग्रह ‘धनुष’ और ‘बाण’ है। जिस समास में दो पद होते हैं और दोनों प्रधान होते हैं, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। यहाँ भी दोनों पद प्रधान हैं, इसलिए द्वंद्व समास होगा।
40. ‘केवल सूक्ष्मगत सौंदर्य सत्ता का राग’ कहकर ‘छायावाद’ का किसने विरोध किया था-
- आचार्य शुक्ल
- महादेवी वर्मा
- सुमित्रानंदन पंत
- अज्ञेय
Ans: (2) ‘केवल सूक्ष्मगत सौंदर्य सत्ता का राग’ कहकर ‘छायावाद’ का विरोध महादेवी वर्मा ने किया था। महादेवी वर्मा के अनुसार ‘छायावाद तत्वता: प्रकृति के बीच जीवन का उद्गीथ है।’ इनका मूल दर्शन सर्वात्मवाद है।
41. ‘प्रयोगवाद’ की जन्मदात्री पत्रिका है:
- तारसप्तक
- प्रतीक
- नये पत्ते
- नयी कविता
Ans: (1) ‘प्रयोगवाद’ की जन्मदात्री पत्रिका तारसप्तक है, जिसका संपादन अज्ञेय ने 1943 ई. में किया था। मूलत: यह पत्रिका न होकर काव्य संग्रह है जिसमें 7 कवियों की रचनाएँ संग्रहित हैं।
42. सूफी मत में वर्णित साधक की चार अवस्थाओं- शरीअत, तरीकत, मारिफत, हकीकत- की भारतीय भक्तिमार्ग के साथ सही क्रम में संगति होगी:
- आचरण, उपासना, सिद्धावस्था, सत्यबोध
- सत्यबोध, आचरण, उपासना, सिद्धावस्था
- आचरण, उपासना, सत्यबोध, सिद्धावस्था
- सत्यबोध, उपासना, आचरण, सिद्धावस्था
Ans: (3) सूफी मत में वर्णित साधक की चार अवस्थाओं- शरीअत, तरीकत, मारिफत, हकीकत- की भारतीय भक्तिमार्ग के साथ सही क्रम में संगति होगी- आचरण, उपासना, सत्यबोध, सिद्धावस्था।
43. ‘भाषा संवर्धिनी सभा’ के संस्थापक थे:
- रामप्रसाद निरंजनी
- जार्ज ग्रियर्सन
- बाबू तोताराम
- सदासुख लाल
Ans: (3) ‘भाषा संवर्धिनी सभा’ के संस्थापक ‘बाबू तोताराम’ थे। इन्होंने अलीगढ़ से ‘भारत बंधु’ नामक साप्ताहिक पत्र निकाला और लायल लाइब्रेरी भी स्थापित किया था।
44. ग्रियर्सन कृत ‘द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ नार्दर्न हिन्दुस्तान’ का हिंदी अनुवाद किसने किया:
- डॉ. किशोरीलाल गुप्त
- डॉ. रामकुमार वर्मा
- डॉ. लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय
- डॉ. जगदीश गुप्त
Ans: (1) ग्रियर्सन कृत ‘द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ नार्दर्न हिन्दुस्तान’ का हिंदी अनुवाद डॉ. किशोरीलाल गुप्त ने किया है। वहीं डॉ. लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय ने गार्सा-द-तासी कृत ‘इस्तवार द ला लितरेत्यूर ऐदुई ऐंदुस्तानी’ का हिंदी में अनुवाद किया है।
45. बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का सर्वप्रथम प्रकाशित काव्य संग्रह है:
- क्वसि
- रश्मिरेखा
- उर्मिला
- कुंकुम
Ans: (4) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का सर्वप्रथम प्रकाशित काव्य संग्रह ‘कुंकुम’ (1939 ई.) है। उर्मिला, अपलक, रश्मि रेखा, क्वसि तथा हम विषपायी जनम के आदि उनके अन्य काव्य संग्रह हैं। इन्होंने प्रभा और प्रताप पत्रों का संपादन भी किया था।
46. आंग्ल भाषा में लिखा गया हिंदी साहित्य का इतिहास ‘स्केच ऑफ हिंदी लिटरेचर’ के लेखक हैं:
- पादरी एफ.ई.के.
- पादरी एडसिन ग्रीब्ज
- गार्सा-द-तासी
- जार्ज ग्रियर्सन
Ans: (2) आंग्ल भाषा में लिखा गया हिंदी साहित्य का इतिहास ‘स्केच ऑफ हिंदी लिटरेचर’ के लेखक पादरी एडसिन ग्रीब्ज हैं। यह इतिहास ग्रंथ 1918 ई. में प्रकाशित हुआ। वहीं पादरी एफ.ई.के. द्वारा लिखित ‘ए हिस्ट्री ऑफ हिंदी लिटरेचर’ 1920 ई., गार्सा-द-तासी द्वारा फ्रेंच भाषा में ‘इस्तवार द ला लितेरात्यूर ऐंदुई ऐंदुस्तानी’ दो भागों में सन् 1839 तथा 1846 ई. में और जार्ज ग्रियर्सन कृत ‘द माडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिंदुस्तान’ 1822 ई. में प्रकाशित हुआ था।
47. भारतेंदु का खड़ी बोली में रचित कविताओं का संग्रह किस नाम से प्रसिद्ध है:
- फूलों का गुच्छा
- प्रेमतरंग
- प्रेम सरोवर
- प्रेम माधुरी
Ans: (1) भारतेंदु का खड़ी बोली में रचित कविताओं का संग्रह ‘फूलों का गुच्छा’ और ‘दशरथ विलाप’ नाम से प्रसिद्ध है। जबकि उनके अधिकतर काव्य ब्रजभाषा में रचित हैं, कुछ उर्दू शैली में भी हैं। भारतेंदु के काव्य कृतियों की संख्या लगभग 70 है जिसमें प्रेम सरोवर, प्रेम फुलवारी, प्रेम मलिक, वर्षा विनोद, वेणुगीत, गीत गोविंदानंद आदि प्रमुख हैं।
48. काव्य-संप्रदायों का सही विकास-क्रम क्या होगा:
- रस-ध्वनि-अलंकार-रीति-वक्रोक्ति-औचित्य
- रस-अलंकार-रीति-वक्रोक्ति-ध्वनि-औचित्य
- अलंकार-रस-रीति-वक्रोक्ति-ध्वनि-औचित्य
- रस-रीति-ध्वनि-अलंकार-वक्रोक्ति-औचित्य
Ans: (2) भारतीय काव्य-संप्रदायों का सही विकास-क्रम- रस-अलंकार-रीति-वक्रोक्ति-ध्वनि-औचित्य है। रस संप्रदाय के प्रवर्तक भरत मुनि ने ई.पू. प्रथम या दूसरी शती ई. के बीच, अलंकार संप्रदाय का भामह ने पाँचवी-छठीं शती के मध्य, रीति संप्रदाय का वामन ने 8वीं-9वीं शती के बीच, वक्रोक्ति संप्रदाय का कुंतक ने 10वीं-11वीं शती बीच, ध्वनि संप्रदाय का आनंदवर्धन ने 9वीं शती परंतु स्थापित 11वीं शती और औचित्य संप्रदाय का क्षेमेंद्र ने 11वीं शती में किया।
49. ‘वेपथु’ कैसा अनुभाव है:
- आंगिक
- वाचिक
- सात्विक
- बौद्धिक
Ans: (2) ‘वेपथु’ वाचिक अनुभाव है। भाव-दशा के कारण वचन में आये परिवर्तन को वाचिक अनुभाव कहते हैं।
50. उत्तर आधुनिक चिंतन की एक निष्पत्ति निम्नलिखित में से क्या है:
- एकार्थता
- अनेकार्थता
- सर्वार्थता
- अर्थ-निरपेक्षता
Ans: (4) उत्तर आधुनिक चिंतन की एक निष्पत्ति ‘अर्थ-निरपेक्षता’ है।
51. ‘रिक्शा’ शब्द किस भाषा का है:
- अंग्रेजी
- उर्दू
- तुर्की
- जापानी
Ans: (4) ‘रिक्शा’ शब्द जापानी भाषा का है। झम्पान भी जापानी भाषा का शब्द है जो हिंदी में प्रयुक्त होता है। ऐसे शब्दों को विदेशी शब्द कहते हैं।
52. हिंदी आलोचना में ‘जातीय’ शब्द का राष्ट्रीय अर्थ में सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया:
- भारतेंदु हरिश्चंद्र
- महावीर प्रसाद द्विवेदी
- डॉ. रामविलास शर्मा
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल
Ans: (2) हिंदी आलोचना में ‘जातीय’ शब्द का राष्ट्रीय अर्थ में सर्वप्रथम प्रयोग ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी’ ने किया। बाद में डॉ. रामविलास शर्मा ने इस पर विस्तार से शोधपूर्ण कार्य किया।
53. आचार्य शुक्ल का निबंध संग्रह ‘चिन्तामणि’ सर्वप्रथम किस नाम से प्रकाशित हुआ:
- विचार-कौस्तुभ
- विचार-मणि
- विचार-बैन
- विचार-वीथी
Ans: (4) आचार्य शुक्ल का निबंध संग्रह ‘चिंतामणि’ सर्वप्रथम ‘विचार-वीथी’ नाम से 1930 ई. में प्रकाशित हुआ था। चिंतामणि के चार भाग हैं-
- चिंतामणि, भाग-1 (1939 ई.) सं. रामचंद्र शुक्ल
- चिंतामणि, भाग-2 (1945 ई.) सं. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
- चिंतामणि, भाग-3 (1983 ई.) संपादन का नामवर सिंह
- चिंतामणि, भाग-4 (2004 ई.) सं. ओम प्रकाश सिंह तथा कुसुम चतुर्वेदी
54. विश्वनाथ के अतिरिक्त किस आचार्य ने ‘साहित्य’ शब्द को अपने ग्रंथ-नाम में प्रयुक्त किया है:
- भामह
- राजशेखर
- रुय्यक
- आनंदवर्धन
Ans: (3) विश्वनाथ के अतिरिक्त आचार्य ‘रुय्यक’ ने ‘साहित्य’ शब्द को अपने ग्रंथ-नाम में प्रयुक्त किया है।
55. काव्य के अर्थ-वैज्ञानिक विवेचन का शुभारम्भ किसने किया:
- वामन
- महिमभट्ट
- मम्मट
- आनंदवर्धन
Ans: (1) काव्य के अर्थ-वैज्ञानिक विवेचन का शुभारम्भ आचार्य वामन ने किया।
56. रस को नाट्य तक सीमित रखने का सर्वप्रथम विरोध किसने किया:
- भामह
- रुद्रट
- आनंदवर्धन
- अभिनवगुप्त
Ans: (4) रस को नाट्य तक सीमित रखने का सर्वप्रथम विरोध अभिनवगुप्त ने किया। अभिनवगुप्त के अनुसार रस नाटक या काव्य रचना का कोई एक अंग या तत्व नहीं हैं, अपितु वह समस्त रचना में व्याप्त सर्वांगीण तत्व है। जैसे शरीर में प्राण कोई एक अवयव या तत्व नहीं है वैसे ही रस भी साहित्य का कोई एक अवयव या तत्व नहीं है।
57. ‘गुण्डा’ कहानी ‘प्रसाद’ के किस कहानी-संग्रह में संकलित है:
- इन्द्रजाल
- आकाशदीप
- प्रतिध्वनि
- आँधी
Ans: (1) ‘गुण्डा’ कहानी ‘प्रसाद’ के ‘इन्द्रजाल’ कहानी-संग्रह में संकलित है। ‘इन्द्रजाल’ कहानी संग्रह में प्रसाद की कुल 14 कहानियाँ संकलित हैं- इंद्रजाल, सलीम, छोटा जादूगर, नूरी, परिवर्तन, संदेह, भीख में, चित्रवाले पत्थर, चित्र-मंदिर, गुंडा, अनबोला, देवरथ, विराम-चिह्न, सालवती।
58. ‘सतह से उठता आदमी’ की विधा है–
- काव्य
- कहानी
- नाटक
- काव्य नाट्य
Ans: (2) ‘सतह से उठता आदमी’ की विधा कहानी है। इसके लेखक गजानन माधव मुक्तिबोध हैं। इस संग्रह में मुक्तिबोध की कुल 9 कहानियाँ संकलित हैं।
59. वेणी संहार नाटक का अंगी रस है:
- वीर
- श्रृंगार
- रौद्र
- शांत
Ans: (1) वेणी संहार नाटक का अंगी रस ‘वीर रस’ है। इसके रचनाकार भट्टनारायण हैं। इस नाटक में कुल 6 अंक है।
60. ‘वीथी’ क्या है-
- वृत्ति
- संधि
- अभिनय
- रूपक
Ans: (4) ‘वीथी’ रूपक है। यह दृश्य काव्य या रूपक के 27 भेदों में से एक भेद है। वीथी एक ही अंक का होता है और इसमें एक ही नायक रहता है।
61. ‘किरातार्जुनीयम्’ के प्रत्येक सर्ग का अंतिम पद है:
- लक्ष्मी
- विभु
- शिव
- श्री
Ans: (1) ‘किरातार्जुनीयम्’ के प्रत्येक सर्ग का अंतिम पद लक्ष्मी है। इसके रचनाकार महाकवि भारवि हैं।
62. उतिष्ठ जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत- यह किस उपनिषद् का मंत्र है:
- कठ
- छान्दोग्य
- प्रश्न
- मुण्डक
Ans: (1) उतिष्ठ जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत- यह कठ उपनिषद् का मंत्र है। इसमें यम नचिकेता के प्रश्न-प्रतिप्रश्न के रुप में है।
63. ‘सहसा विदधीत न क्रियाम्’- इस सूक्ति से युक्त रचना है:
- शिशुपालवधम्
- किरातार्जुनीयम्
- नैषधीय चरितम्
- कुमार सम्भव
Ans: (2) ‘सहसा विदधीत न क्रियाम्’- इस सूक्ति से युक्त रचना भारवि कृति ‘किरातार्जुनीयम्’ है। इनका वास्तविक नाम ‘दामोदर’ था और ‘भारवि’ उपाधि।
64. ‘हे प्रभो’ में ‘प्रभु’ शब्द में कौन-सी विधि है:
- वृद्धि
- दीर्घ
- गुण
- सम्प्रसारण
Ans: (4) ‘हे प्रभो’ में ‘प्रभु’ शब्द में ‘सम्प्रसारण’ विधि है।
65. ‘अनुज्झितधवलतापि सरागैव भवति यूनां दृष्टि’- यह सूक्ति किस ग्रंथ से संबंध रखती है:
- नीतिशतकम्
- उत्तररामचरितम्
- कादम्बरी-शुकनासोपदेश
- स्वप्नवासवदत्तम्
Ans: (3) ‘अनुज्झितधवलतापि सरागैव भवति यूनां दृष्टि’- यह सूक्ति ‘कादम्बरी-शुकनासोपदेश’ ग्रंथ से संबंध रखती है।
66. ‘वेत्सि’ आख्यात पद में कौन-सा अलंकार है:
- लट्
- लोट्
- लुट्
- लड्
Ans: (1) ‘वेत्सि’ आख्यात पद में ‘लट्’ अलंकार है।
67. निम्नलिखित शब्द में नञ् तत्पुरूष समास कौन है:
- रोगमुक्त:
- राजपुरूष:
- अभाव:
- पुत्रहितम्
Ans: (3) निम्नलिखित शब्दों में नञ् तत्पुरूष समास ‘अभाव:’ है। वहीं ‘रोगमुक्त:’ में अपादान तत्पुरुष, ‘राजपुरूष:’ में संबंध तत्पुरुष और ‘पुत्रहितम्’ में संप्रदान तत्पुरुष समास है।
68. सही जोड़ी कौन है:
- रमायाम् – प्रथमा बहुवचन
- गौर्या: – पंचमी एकवचन
- वारिणि- द्वितीया द्विवचन
- गाव: – षष्ठी एकवचन
Ans: (2) गौर्या: पंचमी एकवचन का शब्द रूप है।
69. ‘दुह्’ धातु के लट् लकार, मध्यम पुरूष-एकवचन का रूप है:
- धोक्षि
- दोहि
- दुग्धसि
- दुहसि
Ans: (1) ‘दुह्’ धातु के लट् लकार, मध्यम पुरूष-एकवचन का रूप ‘धोक्षि’ है।
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70. निम्नलिखित वाक्यों में शुद्ध है:
- मातरं निलीयते कृष्ण:
- मातरि निलीयते कृष्ण:
- मातुर्निलीयते कृष्ण:
- मात्रा निलीयते कृष्ण:
Ans: (3) निम्नलिखित वाक्यों में ‘मातुर्निलीयते कृष्ण:’ शुद्ध है।
71. निम्नलिखित वाक्यों में से कौन-सा भाव वाक्य है-
- स: गृहं गतवान्
- तेन गृहं गतम्
- स: गृह: अगच्छत्
- तेन गृहं गतानि
Ans: (1) निम्नलिखित वाक्यों में से ‘स: गृहं गतवान्’ भाव वाक्य है।
72. वर्णिक छंदों में किसका विचार होता है:
- वर्ण का
- मात्रा और वर्ण का
- मात्रा का
- वर्ण की गुरुता का
Ans: (1) वर्णिक छंदों में ‘वर्ण’ का विचार होता है। वहीं मात्रिक छंदों में ‘मात्रा’ और ‘मुक्त छंद’ में ‘लय’ का ध्यान रखा जाता है।
73. कामार्ता हि प्रकृतिकृपणावश्चेतनाचेतनेषु- यह पंक्ति किस ग्रंथ से है:
- नीतिशतकम्
- श्रृंगारशतकम्
- मेघदूतम्
- रघुवंशम्
Ans: (3) कामार्ता हि प्रकृतिकृपणावश्चेतनाचेतनेषु- यह पंक्ति ‘मेघदूतम्’ ग्रंथ से है। यह महाकवि कालिदास द्वारा रचित दूतकाव्य है जो दो खंडों में विभक्त है- पूर्वमेघ और उत्तर मेघ। इसमें एक यक्ष की कथा है जिसे कुबेर अलकापुरी से निष्कासित कर देता है।
74. ‘बाण’ का पर्याय है:
- हय
- अर्चि
- उर्वी
- आशुग
Ans: (4) ‘बाण’ का पर्याय शब्द- तीर, शर, आशुग, सायक, शिलीमुख, इषु, नाराच, विशिख आदि हैं।
75. निम्नलिखित में से कौन व्याकरण ग्रंथ के रूप में प्रतिष्ठित है:
- राउलवेल
- उक्तिव्यक्ति प्रकरण
- वर्णरत्नाकर
- कुवलयमाला
Ans: (2) निम्नलिखित में से ‘उक्तिव्यक्ति प्रकरण’ व्याकरण ग्रंथ के रूप में प्रतिष्ठित है। उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण के रचनाकार दामोदर शर्मा हैं।
76. ‘सामयिक वार्ता’ पत्रिका के संपादक हैं:
- किशन पटनायक
- रमेश उपाध्याय
- पंकज विष्ट
- नीलाभ
Ans: (1) ‘सामयिक वार्ता’ पत्रिका के संस्थापक संपादक किशन पटनायक हैं। वर्तमान में इसके संपादक अफलातून हैं।
77. आधुनिक व्याकरण की दृष्टि से ‘ब्’ वर्ण का वैशिष्ट्य है:
- ओष्ठय, स्पर्श, अल्पप्राण, अघोष, निरनुनासिक
- द्वयोष्ठय, स्पर्श, अल्पप्राण, घोष, निरनुनासिक
- द्वयोष्ठय, स्पर्श-संघर्षी, अल्पप्राण, अघोष, निरनुनासिक
- ओष्ठय, स्पर्श, महाप्राण, सघोष, निरनुनासिक
Ans: (2) आधुनिक व्याकरण की दृष्टि से ‘ब्’ वर्ण का वैशिष्ट्य- द्वयोष्ठय, स्पर्श, अल्पप्राण, घोष, निरनुनासिक है।
78. पाणिनीय शिक्षा में ध्वनियों को वर्गीकृत करने के कौन से पाँच आधार स्वीकार किए गए हैं:
- स्वर, काल, स्थान, संवाद, नाद
- स्वर, स्थान, काल, प्राण, सुर
- काल, प्रयत्न, स्थान, प्राण, अनुदात्त
- स्वर, काल, स्थान, प्रयत्न, अनुप्रदान
Ans: (4) पाणिनीय शिक्षा में ध्वनियों को वर्गीकृत करने के लिए- ‘स्वर, काल, स्थान, प्रयत्न, अनुप्रदान’ पाँच आधार स्वीकार किए गए हैं।
79. ‘‘वह शर इधर गाण्डीय गुण से भिन्न जैसे ही हुआ।
धड़ से जयद्रथ का उधर सिर छिन्न वैसे ही हुआ।’’
-उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सी अतिशयोक्ति है:
- असम्बन्धातिशयोक्ति
- सम्बन्धातिशयोक्ति
- अक्रमातिशयोक्ति
- अत्यन्ताशियोक्ति
Ans: (3) उपर्युक्त पंक्ति में ‘अक्रमातिशयोक्ति’ अलंकार है। जहाँ पर कार्य-कारण एक साथ घटित दिखाया जाए वहाँ ‘अक्रमातिशयोक्ति’ अलंकार होता है।
जहाँ कारण उपस्थित होने से पूर्व ही कार्य सम्पन्न हो जाए वहाँ अत्यन्ताशियोक्ति अलंकार होता है। जहाँ संबंध रहने पर भी युक्ति पूर्व कथन द्वारा असंबंध प्रकट किया जाए वहाँ सम्बन्धातिशयोक्ति अलंकार होता है और इसके ठीक विपरीत स्थिति में असम्बन्धातिशयोक्ति अलंकार होता है।
80. ‘तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
झुके कूल सो जल परमन हित मनहुँ सुहाएII’
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है:
- उत्प्रेक्षा
- वृत्यानुप्रास
- शब्दार्थालकार
- स्वभावोक्ति
Ans: (2) उपर्युक्त पंक्तियों में ‘वृत्यानुप्रास’ अलंकार है। जब एक या एक से अधिक वर्ण एक ही क्रम में दो से अधिक बार आएँ, तब ‘वृत्यानुप्रास’ अलंकार होता है।
81. ‘‘जिहि सुमिरत सिधि होइ। गेननायक करिवर बदन।
करहु अनुग्रह सोइ। बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।’’
उपर्युक्त पंक्तियों में छंद है:
- दोहा
- सोरठा
- बरवै
- रोला
Ans: (2) उपर्युक्त पंक्तियों में ‘सोरठा’ छंद है। यह मात्रिक अर्द्ध सम छंद है। इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ एवं द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। इसके प्रथम और तृतीय चरण में ‘तुक’ भी होता है। इस प्रकार ‘सोरठा’ छंद ‘दोहे’ का ठीक उल्टा होता है।
82. ‘‘अराति-सैन्य सिंधु में सुबाड़वाग्नि से जलो,
प्रवीर हो जयी बनो, बढे चलो, बढ़े चलो।।’’
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन से गण हैं:
- जगण रगण जगण रगण जगण गुरु
- रगण जगण तगण तगण जगण गुरु
- रगण रगण जगण जगण मगण गुरु
- मगण भगण नगण तगण तगण गुरु
Ans: (1) उपर्युक्त पंक्तियों में जगण रगण जगण रगण जगण गुरु नामक गण हैं। जगण के मध्य में ‘गुरु’ होता है, रगण के मध्य में लघु और अंत में गुरु होता है। गुरु का चिंह ‘S’ और लघु का ‘I’ है। यह पंक्ति जयशंकर प्रसाद के प्रयाणगीत का अंश है।
83. ‘सरसी’ छंद में होती है:
- 27 मात्राएँ, 16, 11 पर यति, अंत में लघु- गुरु
- 28 मात्राएँ, 16, 12 पर यति, अंत में लघु- गुरु
- 28 मात्राएँ, 16, 12 पर यति, अंत में गुरु- लघु
- 27 मात्राएँ, 16, 11 पर यति, अंत में गुरु- लघु
Ans: (4) ‘सरसी’ छंद के प्रत्येक चरण में 27 मात्राएँ होती हैं। 16 तथा 11 पर यति होती है और अंत में गुरु- लघु होता है।
84. ‘समांतर कहानी’ के पुरस्कर्त्ता कमलेश्वर का मूल नाम है-
- नीरज सक्सेना
- कैलाश सक्सेना
- गोपाल दास सक्सेना
- प्रभाकर सक्सेना
Ans: (1) ‘समांतर कहानी’ के पुरस्कर्त्ता कमलेश्वर का मूल नाम ‘नीरज सक्सेना’ है।
85. ‘डॉक्टर’ नामक कृति का विधा है:
- नाटक
- प्रहसन
- कहानी
- गीति परक
Ans: (1) ‘डॉक्टर’ नामक कृति की विधा नाटक है जिसके लेखक विष्णु प्रभाकर हैं।
86. ‘भक्ति विवेक’ निम्नलिखित में से किसकी रचना है-
- मलूकदास
- सुंदरदास
- नाभादास
- दादू दयाल
Ans: (1) भक्ति विवेक ‘मलूकदास’ रचना है। इनकी अन्य रचनाएँ- ज्ञानबोध, रतन खान, राम अवतार लीला, ब्रजलीला, बारह खड़ी, ध्रुव चरित, सुखसागर, ज्ञानपरोहि, भक्त बच्छावली आदि हैं।
87. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने प्रेमाख्यान परम्परा का हिंदी में प्रवर्तक/ प्रथम कवि किसे माना है-
- कुतुबन
- ईश्वरदास
- मुल्ला दाउद
- असाइत
Ans: (1) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने प्रेमाख्यान परम्परा का हिंदी में प्रवर्तक/ प्रथम कवि कुतुबन को माना है। कुतुबन ने मृगावती की रचना 1501 ई. में किया। इस ग्रंथ में कवि ने प्रेममार्ग के त्याग और कष्ट का निरूपण करके साधक के भगवत प्रेम का स्वरूप दिखाया है।
88. कबीर की वाणी का संग्रह ‘बीजक’ कहलाता है, इसके कितने भाग हैं-
- दो
- तीन
- चार
- पाँच
Ans: (2) कबीर की वाणी का संग्रह ‘बीजक’ कहलाता है, इसके तीन भाग हैं- रमैनी, सबद और साखी। जहाँ साखी का अर्थ साक्षी है।
89. ‘पद्मावत’ में पद्मिनी प्रतीक है-
- साधक का
- शैतान की
- परम सत्ता की
- प्रकृति की
Ans: (3) ‘पद्मावत’ में पद्मिनी ‘परम सत्ता’ की प्रतीक है। वहीं रतनसेन साधक का और राघव चेतन शैतान का प्रतीक है।
90. ‘बंगदूत’ नामक पत्र हिंदी में किसके द्वारा निकाला गया?
- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
- राजा राम मोहन राय
- ईश्वर चंद विद्या सागर
- पं. जुगुल किशोर
Ans: (2) ‘बंगदूत’ नामक पत्र हिंदी में ‘राजा राम मोहन राय’ के द्वारा निकाला गया था। बंगदूत 1829 ई. में प्रकाशित साप्ताहिक (रविवारीय) पत्रिका थी जो कलकत्ता से प्रकाशित होती थी। यह एकसाथ चार भाषाओं- बांग्ला, हिंदी, उर्दू व अंग्रेजी में निकलती थी।
91. ‘हिंदी प्रदीप’ नामक पत्र निम्न में से किसके द्वारा निकाला गया-
- प्रताप नारायण मिश्र
- बालकृष्ण भट्ट
- ठाकुर जगमोहन सिंह
- इनमें से कोई नहीं
Ans: (2) ‘हिंदी प्रदीप’ नामक पत्र ‘बालकृष्ण भट्ट’ के द्वारा निकाला गया। यह एक मासिक पत्रिका थी जिसका प्रथम अंक 1877 ई. में इलाहाबाद से प्रकाशित हुआ था।
92. पंडित किशोरी लाल गोस्वामी का उपन्यास निम्नलिखित में से कौन नहीं है-
- तरुण तपस्विनी
- रजिया बेगम या रंगमहल में हलाहल
- राज कुमारी
- भोजपुर का ठग
Ans: (4) पंडित किशोरी लाल गोस्वामी का उपन्यास ‘भोजपुर का ठग’ नहीं है। भोजपुर का ठग’ उपन्यास के लेखक गोपालराम गहमरी हैं। अदभुत लाश, बेकसूर की फांसी, सर-कटी लाश, डबल जासूस, भयंकर चोरी, खूनी की खोज तथा गुप्तभेद आदि इनके अन्य उपन्यास हैं। गहमरी ने जासूसी उपन्यास-लेखन की परंपरा को जन्म दिया। इन्होंने ‘जासूस’ नामक एक मासिक पत्रिका भी निकाली।
93. ‘हार की जीत’ कहानी का लेखक कौन है?
- विश्वंभरनाथ शर्मा ‘कौशिक’
- प्रेमचंद
- सुदर्शन
- डॉ. रामविलास शर्मा
Ans: (3) ‘हार की जीत’ कहानी के लेखक ‘सुदर्शन’ हैं। यह सुदर्शन जी की पहली कहानी है और 1920 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।
94. सूरदास जी को ‘जीवनोत्सव’ का कवि किसने कहा?
- पं. रामचंद्र शुक्ल
- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
- पं. महावीर प्रसाद द्विवेद्वी
- मैथिली शरण गुप्त
Ans: (1) आचार्य रामचंद्र शुक्ल सूरदास जी को ‘जीवनोत्सव’ का कवि, तुलसी को ‘लोकमंगल’ का कवि और जायसी को ‘प्रेम की पीर’ का कवि कहा है।
95. ‘एक बूँद सहसा उछली’ किसके द्वारा लिखित यात्रा वृत्रांत है-
- अज्ञेय जी
- राहुल सांकृत्यायन
- यशपाल
- रामवृक्ष बेनीपुरी
Ans: (1) ‘एक बूँद सहसा उछली’ अज्ञेय जी द्वारा लिखित यात्रा वृत्रांत है। इनका दूसरा यात्रा वृत्रांत ‘अरे यायावर रहेगा याद’ है।
96. ‘आमिष’ का विलोम शब्द होगा-
- सानिष
- निरामिष
- मांसाहारी
- शाकाहारी
Ans: (2) ‘आमिष’ का विलोम शब्द ‘निरामिष’ होगा।
97. वह भाई जो अन्य माता से उत्पन्न हुआ हो कहलाता है-
- अन्योदर
- दूरस्थ
- औरस
- सहोदर
Ans: (1) वह भाई जो अन्य माता से उत्पन्न हुआ हो वह ‘अन्योदर’ कहलाता है।
98. ‘घड़ो पानी पड़ना’ मुहावरे का अर्थ होगा-
- नहाना
- काँपना
- लज्जित होना
- सर्दी लगना
Ans: (3) ‘घड़ो पानी पड़ना’ मुहावरे का अर्थ ‘लज्जित होना’ होगा।
99. जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि-
- कवि बहुत तर्क शील होते हैं
- कवि बहुत भाव प्रवण होते हैं
- कवि बहुत विचारशील होते हैं
- कवि बहुत कल्पनाशील होते हैं
Ans: (4) जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि मुहावरे का अर्थ है- कवि बहुत कल्पनाशील होते हैं।
100. पढ़े फारसी बेचे तेल, यह देखो कुदरत का खेल-
- शिक्षित होकर बेकार रहना
- योग्यता होते हुए भी विवशता के कारण निम्न स्तर का कार्य करना
- विद्या का अपमान करना
- फारसी पढ़े लोगों का प्राय: तेल बेचना पड़ता है
Ans: (2) पढ़े फारसी बेचे तेल, यह देखो कुदरत का खेल कहावत का अर्थ- योग्यता होते हुए भी विवशता के कारण निम्न स्तर का कार्य करना है।
UP PGT Hindi Previous Year Question Paper-