हिंदी भाषा का विकास शौरसेनी, मागधी और अर्धमागधी अपभ्रंशों से पाँच उपभाषाओं- पश्चिमी हिंदी, पहाड़ी, राजस्थानी, बिहारी और पूर्वी हिंदी के रूप में हुआ है। इन उपभाषाओं से विभिन्न बोलियाँ विकसित हुईं। अमूमन यह प्रश्न पूछ लिया जाता है की हिंदी की उपभाषाएँ कितनी है? आपका सीधा उत्तर होना चाहिए की hindi ki 5 upabhaashaen हैं। भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से जार्ज ग्रियर्सन ने केवल पश्चिमी हिंदी और पूर्वी हिंदी को ही हिंदी के अन्तर्गत माना है। इस दृष्टि से विचार करने पर हिंदी आठ बोलियों का समूह है- ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुन्देली हरियाणवी, खड़ी बोली, अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी। सुनीति कुमार चटर्जी ने भी पहाड़ी भाषाओं को छोड़ दिया है, उसे हिंदी की बोलियाँ नहीं मानते। वहीं दूसरे भाषा वैज्ञानिक धीरेन्द्र वर्मा ने पहाड़ी भाषाओं को भी हिंदी की बोलियों के अंतर्गत माना है।
प्रायः एक प्रश्न पूछा जाता है की हिंदी भाषा की कितनी बोलियाँ हैं? या हिंदी भाषा में बोलियों की संख्या कितनी है? इसका सर्वमान्य उत्तर यह है की हिंदी की बोलियों की संख्या सत्रह मानी जाती है, परन्तु कुछ विद्वान इसकी संख्या अठारह अथवा उन्नीस मानते हैं।
एक बात और आपको ध्यान रखना है की किस उपभाषा (hindi ki upabhaashaen) के अंतर्गत कौन-कौन सी बोली आती है? जैसे पूर्वी हिंदी की बोलियाँ कौन-कौन हैं?, पश्चिमी हिंदी की बोलियाँ कौन-कौन हैं?, राजस्थानी हिंदी की बोलियाँ कौन-कौन हैं? या बिहारी हिंदी की बोलियाँ कौन-कौन हैं? इस तरह के प्रश्न पूछे जाते रहते हैं। पश्चिमी हिंदी की बोलियों के अंतर्गत- हरियाणी, खड़ी बोली, ब्रजभाषा, बुन्देली, कन्नौजी, निमाड़ी आती हैं। राजस्थानी हिंदी की बोलियों के अंतर्गत- मारवाड़ी, जयपुरी, मेवाती, मालवी आती हैं। पहाड़ी हिंदी की बोलियों के अंतर्गत- पश्चिमी पहाड़ी (नेपाली), मध्यवर्ती पहाड़ी (कुमाऊँनी और गढ़वाली) आती हैं। बिहारी हिंदी की बोलियों के अंतर्गत- भोजपुरी, मगही, मैथिली आती हैं। पूर्वी हिंदी हिंदी की बोलियों के अंतर्गत- अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी आती हैं।आइए अपभ्रंश और हिंदी की उपभाषाओं से विकसित बोलियों को चार्ट के रूप में देखते हैं-
अपभ्रंश | उपभाषा | बोलियाँ |
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शौरसेनी | पश्चिमी हिंदी | 1. हरियाणी, 2. खड़ी बोली, 3. ब्रजभाषा, 4. बुन्देली, 5. कन्नौजी, 6. निमाड़ी |
राजस्थानी | 1. मारवाड़ी, 2. जयपुरी, 3. मेवाती, 4. मालवी | |
पहाड़ी | 1. पश्चिमी पहाड़ी (नेपाली), 2. मध्यवर्ती पहाड़ी (कुमाऊँनी- गढ़वाली) | |
मागधी | बिहारी | 1. भोजपुरी, 2. मगही, 3. मैथिली |
अर्धमागधी | पूर्वी हिंदी | 1. अवधी, 2. बघेली, 3. छत्तीसगढ़ी |
यहाँ पर हिंदी की उपभाषाओं से विकसित बोलियों को संक्षेप में दिया गया है यदि आप विस्तार से इन बोलियों के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गये लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं-
हिंदी भाषा की बोलियों के अन्य नाम एवं उसकी उपबोलियाँ
हिंदी भाषा की बोलियों के कई नाम प्रचलन में हैं जिसे यहाँ एक साथ दिया गया है, ताकि याद करने में सहूलियत हो। जिस प्रकार हिंदी की उपभाषाओँ से कई बोलिओं का विकास हुआ उसी तरह इन बोलियों से कई उपबोलियों का विकास होता है। यहाँ पर हिंदी के बोलियों के अन्य नाम और उनकी उपबोलियों को आप यहाँ पढ़ सकते हैं। हिंदी भाषा की बोलियों के अन्य नाम एवं उसकी उपबोलियाँ निम्नांकित हैं-
बोली | अन्य नाम | उपबोलियाँ |
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हरियाणी | बाँगरू, देसवाली | जाटू, केंद्रीय हरियाणी, चमरवा, अहिरवाटी |
खड़ी बोली | कौरवी, हिन्दुस्तानी या जनपदीय हिन्दुस्तानी, सिरहिंदी, सरहिंदी, वर्नाकुलर हिन्दुस्तानी | पश्चिमी खड़ी बोली, पूर्वी खड़ी बोली, पहाड़ताली, बिजनौरी |
ब्रजभाषा | अन्तर्वेदी, माथुरी, नागभाषा | भुक्सा, जादोवाटी या जादोवारी, डांगी, भरतपुरी, कठेरिया, गाँववारी, ढोलपुरी, सिकरवाड़ी |
कन्नौजी | कन्नौजिया, कनउजी | तिरहारी, पचरुआ, भुक्सा (बुक्सा) संडीली, इटावी, बंगराही, शाहजहाँपुरी, पीलीभीती |
बुन्देली | बुन्देलखण्डी | आदर्श बुन्देली, पॉवरी, बनाफरी, निभट्ठा, खटोला, लोघांत्ती, पंवारी, कुंडारी, तिरहारी, भदावरी, लोधी, कुम्भारो |
अवधी | कोशली, बैसवाड़ी, पूर्वी, उत्तरखंडी | जोलहा, गहोरा, जूड़र |
बघेली | रीवाँई, बघेलखंडी | तिरहारी, बुंदेली, गहोरा, जुड़ार, बनाफरी, मरारी, पोंवारी, कुम्भारी, ओझी, गोंडवानी, केवरी |
छत्तीसगढ़ी | खल्टाही, खल्हाटी, खलोटी, लरिया | सुरगुजिया, सदरी कोरवा, बैगानी, बिंझवाली, कलंगा, भुलिया, सतनामी, काँकेरी,बिलासपुरी, हलबी |
भोजपुरी | पूर्वी, भोजपुरिया | उत्तरी भोजपुरी, दक्षिणी भोजपुरी, पश्चिमी भोजपुरी, नगपुरिया, मघेसी, बँघेसी, सरवरिया, सारन बोली, गोरखपुरी |
मगही | मागधी | कुड़माली, खोंटाली, पांच परगनिया, जंगली मगही, टलहा मगही, सोनटती मगही |
मैथिली | देसिल बअना, तिरहुतिया | दक्षिणी मैथिल, पूर्वी मैथिल, छिकाछिकी, पश्चिमी मैथिली, जोलाही मैथिली, केंद्रीय मैथिली |
मारवाड़ी | अगरवाला | मारवाड़ी, मेरवाड़ी, गिरासियानी, ढूंढारी, गोड़वारी, मेवाड़ी, थली, ठटकी, बीकानेरी, शेखावाटी, बागड़ी, गोड़वाटी, सिरोही, देवड़़ावाटी |
जयपुरी | मध्य पूर्वी राजस्थानी, ढुँढाड़ी, झाड़साही, काईं कुईं | मानक जयपुरी, तोड़ावरी, काठेरा, चौरासी, नागरचाल, राजावाटी, किशनगढ़ी |
मेवाती | मानक मेवाती, राठी मेवाती, नहेड़ा मेवाती, कठेर मेवाती | |
मालवी | आवंती, दक्षिण-पूर्वी राजस्थानी, अहीरी | डांगी, सोंडवाडी, रांगडी, धोलेवाडी, मोयारी, पाटनी, करियाई, उमठवाडी, मन्दसौरी, रतलामी, डंगेसरी |
कुमायूँनी | खसपरजिया, कुमैयाँ, फल्दकोटिया, पछाई (पछाहीं), चोगरखिया, गंगोला, दानपुरिया (दनपुरिया), सिराली (सिरयाली या सिरखाली), सोरियाली (सोराली), अस्कोटी, भोटिया, जोहारी, रउचौभैसी, छखातिया, रामगढ़िया, बाजारी | |
गढ़वाली | राठी, लोहब्या (लोबयाली), बधानी (बधाणी), दसौलया, माँझ-कुमैयाँ, नगपुरिया, सलानी, टेहरी | |
डिंगल | भाटभाषा | |
पिंगल | नागभाषा |
हिंदी की प्रमुख बोलियों के नामकरण कर्ता
आपने उपर देखा होगा की हिंदी की बोलियों के लिए कई नाम प्रचलित हैं। यहाँ पर उन बोलियों के नामों की सूची दी गई है जिसे विशिष्ट विद्वानों ने दिए हैं। हिंदी की प्रमुख बोलियों के नामकरण कर्ता निम्नलिखित हैं-
बोली | नामकरण कर्ता |
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कौरवी | राहुल सांकृत्यायन |
ब्रजबुली | ईश्वरचन्द्र गुप्त |
राजस्थानी | ग्रियर्सन |
डिंगल | बाँकीदास |
बिहारी | ग्रियर्सन |
भोजपुरी | रेमण्ड |
मैथिली | कोलबुक |
हिंदी की प्रमुख बोलियों का क्षेत्र
हिंदी की बोलियों का अपना-अपना क्षेत्र हैं, प्रत्येक बोली विशेष क्षेत्र में ही बोली जाती हैं। हिन्दी भाषी क्षेत्र, हिन्दी क्षेत्र या हिन्दी पट्टी क्षेत्र पश्चिम में अम्बाला (हरियाणा) से लेकर पूर्व में पूर्णिया (बिहार) तक तथा उत्तर में बद्रीनाथ–केदारनाथ (उत्तराखंड) से लेकर दक्षिण में खंडवा (मध्य प्रदेश) तक बोली जाती है। इसे ही हिन्दी भाषी क्षेत्र या हिन्दी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र के अंतर्गत 9 राज्य क्रमशः उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश तथा 1 केन्द्र शासित प्रदेश (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) दिल्ली आता है। यहाँ पर हिंदी की बोलियों का क्षेत्रवार विवरण दिया जा रहा है। हिंदी की प्रमुख बोलियों का क्षेत्र निम्नलिखित है-
बोली | क्षेत्र |
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हरियाणी | करनाल, रोहतक, पानीपत, कुरुक्षेत्र, जींद, हिसार, दिल्ली का देहाती भाग |
खड़ी बोली | बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, दिल्ली, गाजियाबाद |
ब्रजभाषा | मथुरा, आगरा, अलीगढ़, बरेली, बदायूँ, हाथरस, एटा, मैनपुरी, गुड़गाँव, भरतपुर, धौलपुर, करौली |
कन्नौजी | फर्रुखाबाद, इटावा, हरदोई, पीलीभीत, शाहजहाँपुर, कानपुर |
बुंदेली | झाँसी, उरई, जालौन, हमीरपुर, बाँदा, सागर, ओरछा, दतिया, होशंगाबाद, नृसिंहपुर, सिवनी, ग्वालियर, दमोह, जबलपुर |
अवधी | अयोध्या, लखीमपुर खीरी, बहराइच, गोंडा, बाराबंकी, लखनऊ, सीतापुर, बस्ती, हरदोई, उन्नाव, फैजाबाद, सुल्तानपुर, रायबरेली, फतेहपुर, इलाहाबाद, प्रतापगढ़ |
बघेली | रीवाँ, दमोह, शहडोल, सतना, मैहर, नागौर कोठी, जबलपुर, मण्डला, मिर्जापुर, बालाघाट, बाँदा, फतेहपुर, हमीरपुर |
छत्तीसगढ़ी | रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, संभलपुर, कांकेर, नंदगाँव, कोरबा, खैरागढ़, चुइखदान, कवर्धा, सुरगुजा, बालाघाट, सारंगढ़, जशपुर, बस्तर |
भोजपुरी | भोजपुर, शाहाबाद, सारन, छपरा- चम्पारण, रांची, जशपुर, पलामू, मुजफ्फरपुर जौनपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, गोरखपुर, देवरिया, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी |
मगही | गया, पटना, हजारीबाग, मुंगेर, पालामाऊ, भागलपुर, रांची, सारन |
मैथिली | पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, उत्तरी मुंगेर, उत्तरी भागलपुर, दरभंगा, पूर्णिया के कुछ भाग, नेपाल- रौताहट, सरलारी, सप्तरी, मोहतरी, मोरंग |
मारवाड़ी | मारवाड़, मेवाड़, जोधपुर, अजमेर, किशनगढ़, मेवाड जैसलमेर, बीकानेर |
जयपुरी | जयपुर, किशनगढ़, इंदौर, अलवर, अजमेर, मेरवाड़ा |
मेवाती | मेवात, अलवर, भारतपुर, हरियाणा, गुड़गाँव |
मालवी | इंदौर, उज्जैन, देवास, रतलाम, भोपाल, होशंगाबाद, प्रतापगढ़ |
पश्चिमी पहाड़ी (नेपाली) | शिमला, मण्डी, चम्बा, जौनसार, सिरमौर |
कुमायूँनी | कुमायूँ, नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत, पिथौड़गढ़, चमोली, उत्तर-काशी |
गढ़वाली | टिहरी, अल्मोड़ा, देहरादून, उत्तरकाशी, बदरीनाथ, श्रीनगर (गढ़वाल) |
दक्खिनी | दक्षिण भारत (बीजापुर, गोलकुण्डा, अहमद नगर, हैदराबाद) |
यदि आप हिंदी की बोलियों का क्षेत्र विस्तार से जानना चाहते हैं तो नीचे दिए गये लिंक जाएँ-
हिंदी की प्रमुख बोलियों का भौगोलिक क्षेत्र
हिंदी की प्रमुख बोलियों की विशिष्टता
हिंदी की बोलियों की कुछ अपनी विशिष्टता है जो उन्हें एक दूसरे से अलग करती है, उनकी अपनी अलग पहचान निर्धारित करती है। यहाँ पर उन्हीं विशिष्टताओं की चर्चा की गई है। जैसे आकार, ओकार, इकार या उदासीन बाहुल कौन-कौन सी बोलियाँ है? या ट वर्ग प्रधान कौन-सी बोली है? हिंदी की प्रमुख बोलियों की विशिष्टता निम्नलिखित है-
विशिष्टता | बोली |
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आकार बहुला | खड़ीबोली, हरियाणी, दक्खिनी |
ओकार बहुला | ब्रजभाषा, बुंदेली, कन्नौजी, मारवाड़ी, मालवी, कुमाऊनी, गढ़वाली |
ट वर्ग बहुला | मारवाड़ी, जयपुरी, मेवाती, मालवी |
उदासीन आकार बहुला | अवधी, बघेली |