हिंदी के प्रचार-प्रसार में धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं की भूमिका
अंग्रेजों की सत्ता स्थापित होने के बाद राष्ट्रीयता की एक अखिल भारतीय संकल्पना उभर कर आती है। भाषा का मुद्दा प्रमुख हो उठता है।...
पहाड़ी हिंदी की प्रमुख बोलियाँ और विशेषताएँ | pahadi hindi
खश (कुछ नये मतों के अनुसार शौरसेनी) अपभ्रंश से पहाड़ी भाषाएँ निकली हैं। इनकी लिपि देवनागरी है। हिमालय के तराई (निचले) भागों में बोली...
राजस्थानी हिंदी की प्रमुख बोलियाँ और विशेषताएँ | rajasthani
भाषाशास्त्रियों ने राजस्थानी को हिंदी की पाँच उपभाषाओं- पश्चिमी हिंदी, पूर्वी हिंदी, बिहारी, पहाड़ी और राजस्थानी में स्थान दिया है। राजस्थान शब्द का इस प्रांत के लिए...
बिहारी हिंदी की प्रमुख बोलियाँ और विशेषताएँ | bihari hindi
बिहारी हिंदी का विकास मागधी अपभ्रंश से हुआ है। जिसे दो भागों- पूर्वी बिहारी और पश्चिमी बिहारी में विभाजित किया जा सकता है। पूर्वी...
पूर्वी हिंदी की प्रमुख बोलियाँ और विशेषताएँ | purvi hindi
जार्ज ग्रियर्सन ने हिंदी क्षेत्र को दो भागों- पश्चिमी हिंदी और पूर्वी हिंदी में विभाजित किया है। इन्हीं क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोलियों...
पश्चिमी हिंदी की प्रमुख बोलियाँ और विशेषताएँ | pshcimi hindi
शौरसेनी अपभ्रंश से विकसित पश्चिमी हिंदी (pshcimi hindi) के अन्तर्गत पाँच बोलियों आती है- हरियाणी, खड़ी बोली, ब्रजभाषा, कन्नौजी और बुन्देली। डॉ. भोलानाथ तिवारी ने पश्चिमी हिंदी के...
हिंदी भाषा की उपभाषाएँ एवं बोलियाँ
हिंदी भाषा का विकास शौरसेनी, मागधी और अर्धमागधी अपभ्रंशों से पाँच उपभाषाओं- पश्चिमी हिंदी, पहाड़ी, राजस्थानी, बिहारी और पूर्वी हिंदी के रूप में हुआ है। इन उपभाषाओं से...