व्यास सम्मान (vyas samman) भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार (Gyanpeeth Award) के बाद दूसरा सबसे बड़ा साहित्य-सम्मान है। इस पुरस्कार को 1991 ई. में के. के. बिड़ला फाउंडेशन ने प्रारंभ किया था। इस पुरस्कार में 4 लाख रुपए नकद, प्रशस्ति पत्र और एक प्रतीक चिह्न प्रदान किया जाता है। प्रथम व्यास सम्मान 1991 ई. में प्रगतिवादी आलोचक रामविलास शर्मा को उनकी रचना ‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी’ को प्रदान किया गया था।
व्यास सम्मान संबंधित प्रमुख तथ्य
1. व्यास सम्मान के. के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है।
2. यह पुरस्कार किसी भी साहित्यिक रचना को प्रदान किया जाता है जो पिछले 10 वर्षों के भीतर प्रकाशित हुई हो।
3. यह सम्मान किसी भी भारतीय नागरिक की हिन्दी की उत्कृष्ट साहित्य कृति के लिए प्रदान किया जाता है।
4. व्यास सम्मान साहित्यकार के किसी एक रचना को प्रदान किया जाता है न कि उसके सम्पूर्ण लेखन पर।
5. सृजनात्मक साहित्य के आलावा अन्य विधा पर भी यह पुरस्कार प्रदान किया जा सकता है।
6. कोई भी साहित्यकार केवल एक बार ही पुरस्कार प्राप्त कर सकता है, दुबारा विचार नहीं किया जाता।
7. यह सम्मान रचनाकार के मरणोपरांत प्रदान नहीं किया जाता, यदि रचना पर चयन समिति द्वारा विचार-विमर्श के बाद मृत्यु होती है तो उस पर पुरस्कार दिया जा सकता है।
व्यास सम्मान 2023
के के बिड़ला फ़ाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित व्यास सम्मान पुष्पा भारती को उनके संस्मरण ‘यादें, यादें और यादें‘ के लिए देने की घोषणा हुई है। इस पुस्तक में माखनलाल चतुर्वेदी, महादेवी वर्मा, निराला, अज्ञेय, धर्मवीर भारती, हरिवंश राय बच्चन, राही मासूम रजा, कवि प्रदीप जैसे लेखकों से संबंधित संस्मरण हैं। वर्ष 2016 में प्रकाशित इस संस्मरण को सुप्रसिद्ध विद्वान प्रो. राम जी तिवारी की अध्यक्षता में संचालित एक चयन समिति ने vyas samman 2023 के लिए चयन किया।
व्यास सम्मान 2022
समकालीन हिंदी कथा साहित्य के लेखक डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी को वर्ष 2022 के ‘व्यास सम्मान’ के लिए चुना गया है। डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी को वर्ष 2020 में प्रकाशित उनके उपन्यास ‘पागलखाना’ के लिए वर्ष 2022 का ‘व्यास सम्मान’ दिया गया है। यह निर्णय रामजी तिवारी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने किया। उनका यह पांचवा उपन्यास है। इसमें उन्होंने बाजार की फैंटेसी रचा है और वे मानते हैं कि बाजार के बिना जीवन संभव नहीं है। ज्ञान चतुर्वेदी के ‘नरक यात्रा’, ‘बारामासी’ और ‘हम न मरब’ आदि अन्य उपन्यास हैं।
ज्ञान चतुर्वेदी कोज्ञान चतुर्वेदी को हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट लेखन के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान’, हिंदी अकादमी, दिल्ली का ‘अकादमी सम्मान’, अन्तर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा-सम्मान (लन्दन) और वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।
व्यास सम्मान सूची (vyas samman list)
वर्ष | रचनाकार | रचना | विधा |
---|---|---|---|
2023 | पुष्पा भारती | यादें, यादें और यादें | संस्मरण |
2022 | ज्ञान चतुर्वेदी | पागलखाना | उपन्यास |
2021 | असगर वजाहत | महाबली | नाटक |
2020 | शरद पगारे | पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी | उपन्यास |
2019 | नासिरा शर्मा | कागज की नाव | उपन्यास |
2018 | लीलाधर जगूड़ी | जितने लोग उतने प्रेम | कविता संग्रह |
2017 | ममता कालिया | दुक्खम सुक्खम | उपन्यास |
2016 | सुरेंद्र वर्मा | काटना शमी का वृक्ष: पद्मपखुरी की धार से | उपन्यास |
2015 | सुनीता जैन | क्षमा | कविता संग्रह |
2014 | कमल किशोर गोयनका | प्रेमचंद की कहानियों का काल-क्रमानुसार अध्ययन | आलोचना |
2013 | विश्वनाथ त्रिपाठी | व्योमकेश दरवेश | संस्मरण |
2012 | नरेन्द्र कोहली | न भूतो न भविष्यति | उपन्यास |
2011 | रामदरश मिश्रा | आम के पत्ते | कविता संग्रह |
2010 | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी | फिर भी कुछ रह जायेंगा | कविता संग्रह |
2009 | अमरकांत | इन्हीं हथियारों से | उपन्यास |
2008 | मन्नू भंडारी | एक कहानी यह भी | आत्मकथा |
2007 | कृष्णा सोबती | समय सरगम | उपन्यास |
2006 | परमानंद श्रीवास्तव | कविता का अर्थात | आलोचना |
2005 | चंद्रकांता | कथा सरित्सागर | उपन्यास |
2004 | मृदुला गर्ग | कठगुलाब | उपन्यास |
2003 | चित्रा मुद्गल | आवां | उपन्यास |
2002 | कैलाश बाजपेजी | पृथ्वी का कृष्णपक्ष | आलोचना |
2001 | रमेश चंद्र शाह | आलोचना का पक्ष | आलोचना |
2000 | गिरिराज किशोर | पहला गिरमिटिया | उपन्यास |
1999 | श्रीलाल शुक्ल | बिसरामपुर का संत | उपन्यास |
1998 | गोविन्द मिश्र | पाँच आँगनों वाला घर | उपन्यास |
1997 | केदारनाथ सिंह | उत्तर कबीर तथा अन्य कविताएँ | कविता संग्रह |
1996 | राम स्वरूप चतुर्वेदी | हिन्दी साहित्य और संवेदना का विकास | इतिहास |
1995 | कुँवर नारायण | कोई दूसरा नहीं | कविता संग्रह |
1994 | धर्मवीर भारती | अंधायुग | नाटक |
1993 | गिरिजाकुमार माथुर | मैं वक़्त के हूँ सामने | कविता संग्रह |
1992 | शिव प्रसाद सिंह | नीला चाँद | उपन्यास |
1991 | रामविलास शर्मा | भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी | आलोचना |
के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार
कृष्ण कुमार बिड़ला ने सन् 1991 में के.के. बिड़ला फाउंडेशन की स्थापना किया था। फाउंडेशन का उद्देश्य साहित्य (विशेष रूप से हिन्दी साहित्य) और कलाओं के विकास को प्रोत्साहित करना है। इसके साथ ही यह शिक्षा एवं सामाजिक कार्य के क्षेत्र में भी काम करता है। इस फाउन्डेशन द्वारा व्यास सम्मान के आलावा कई और भी पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं, जिसमें से प्रमुख हैं-
- सरस्वती सम्मान
- बिहारी पुरस्कार
- व्यास सम्मान
- शंकर पुरस्कार
- वाचस्पति पुरस्कार
- घनश्यामदास बिड़ला पुरस्कार
इसे भी देखें-
Ans. ‘व्यास सम्मान’ की स्थापना 1991 ई. में के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा किया गया था।
Ans. के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा स्थापित ‘व्यास सम्मान’ प्रत्येक वर्ष हिंदी भाषा में दिया जाता है।
Ans. व्यास सम्मान पाने वाली प्रथम महिला ‘चित्रा मुद्गल’ हैं, उन्हें यह पुरस्कार वर्ष 2003 में उनके उपन्यास ‘आवां’ पर मिला था।
Ans. व्यास सम्मान से सम्मानित प्रथम लेखक ‘कौन थे?’रामविलास शर्मा’ हैं, उन्हें यह पुरस्कार वर्ष 1991 में उनके आलोचना ग्रंथ ‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी’ पर मिला था।
Ans. डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी को 32वां ‘व्यास सम्मान’ उनके उपन्यास ‘पागलखाना’ पर प्रदान किया गया है।
Ans. पुष्पा भारती को उनके संस्मरण ‘यादें, यादें और यादें’ के लिए वर्ष 2023 का व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया।
Ans. के.के. बिरला फाउंडेशन की ओर से सरस्वती सम्मान, बिहारी पुरस्कार, व्यास सम्मान, शंकर पुरस्कार, वाचस्पति पुरस्कार और घनश्यामदास बिड़ला पुरस्कार प्रदान किया जाता है?