विराम चिह्न का प्रयोग और नियम | viram chihn

0
32344
viram-chinh-in-hindi
hindisarang.com

विराम चिह्न का अर्थ

विराम चिह्न को अंग्रेजी में Punctuation Marks कहते हैं। जिसका अर्थ है- ठहरना या रुकना। अर्थात भाषा के लिखित रूप में विराम या रुकने के लिए जिन संकेत चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम चिह्न (viram chihn) कहते हैं। कामता प्रसाद गुरु ने लिखा है कि, “वाक्यों में शब्दों का परस्पर संबंध बताने तथा किसी विषय को भिन्न-भिन्न भागों में बाँटने और पढने में ठहरने के लिए, लेखों में जिन चिह्नों का उपयोग किया जाता है, उन्हें विराम चिह्न कहते हैं।”1 जैसे-

  • उसे जगाओ मत, सोने दो।
  • तुम क्या कर रहे हो?
  • हे राम!

उपरोक्त वाक्यों में ठहराव के लिए अल्प विराम (,), पूर्ण विराम (।), प्रश्नवाचक चिह्न (?) और विस्मयबोधक चिह्न (!) का प्रयोग हुआ है।

विराम चिह्न की आवश्यकता और महत्त्व

जब दो व्यक्ति आपस में बातचीत करते हैं तो सारा वाक्य एक साथ नहीं बोल जाते। बल्कि आवश्यकतानुसार उतार-चढ़ाव और भाव-भंगिमा के साथ अपनी बात रखते हैं। जहाँ उनका थोड़ा अभिप्राय पूरा हो जाता है, वहाँ थोड़ा-सा ठहर जाता है और जहाँ उसका आधा अभिप्राय पूरा हो जाता है, वहाँ वह कुछ अधिक ठहरता है। यदि उसका पूर्ण अभिप्राय पूरा हो जाता है, तो वहाँ वो पूरा ठहर जाता है।

इसी तरह उसे जहाँ शोक, हर्ष, विषाद या विस्मय आदि के भाव प्रगट करना होता है तो वह अपने हांथों, आँखों या मुख द्वारा अभिव्यक्त या संकेत करता है। या जहाँ प्रश्न करना होता है, वहाँ विशेष ढ़ंग से स्वर को ऊँचा-नीचा करता है। कहने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य अपने विचार या भावनाओं को संप्रेषित करते समय शब्दों के अतिरिक्त अपने भाव-भंगिमा का भी सहारा लेता है।

लेकिन यह लिखित भाषा में संभव नहीं है। इसीलिए लिखित भाषा में भी मौखिक भाषा की तरह लेखक के विचार ठीक-ठीक अभिव्यक्त हो सकें, उसके लिए विशेष चिह्न नियत किये गए हैं। जिन्हें विराम चिह्न कहा जाता है। इनके बिना लिखित भाषा में लेखक के अभिप्राय ठीक से व्यक्त नहीं हो सकते। इसलिए विराम चिह्नों की आवश्यकता विश्व की सभी भाषाओं में पड़ती है। यदि इन चिह्नों का प्रयोग न किया जाए, तो भाव या विचार की स्पष्टता में रुकावट पैदा हो जाती है।

viram chihn के आवश्यकता को रेखांकित करते हुए वासुदेवनंदन प्रसाद ने लिखा है- “पाठक के भाव-बोध को सरल और सुबोध बनाने के लिए विरामचिह्नों का प्रयोग होता है।”2 इससे वाक्य का गठन सुंदर और भावाभिव्यक्ति में स्पष्टता आती है, इसीलिए इसीलिए हिंदी व्याकरण में विराम चिह्नों को आवश्यक और उपयोगी माना गया है।

इसे भी देंखें-

भाषा में लेखन की शुद्धता के लिए विराम चिह्नों का बहुत महत्व है। इनसे वक्ता या लेखक को अपने भावों या विचारों को स्पष्ट करने में आसानी होती है। इनके प्रयोग से अर्थ का अनर्थ नहीं होने पाता। साथ ही यदि विराम चिह्न का वाक्य में सही से प्रयोग न किया जाए तो भी वाक्य अर्थहीन और अस्पष्ट या फिर एक दूसरे के विपरीत हो जाता है।

जैसे- लिखो मत पढो।

उपरोक्त वाक्य के दो अर्थ हो सकते हैं-

  • लिखो, मत पढो।
  • लिखो मत, पढो।

इन दोनों वाक्यों के अर्थ एक-दूसरे के विपरीत हैं। ये अर्थ इस बात पर निर्भय कर्ता है की विराम चिह्न (,) कहाँ लगा है, उसी से वाक्य के अर्थ का निर्धारण होगा। यदि विराम चिह्न का उपयोग यहाँ न किया जाए तो पाठक को भ्रम उत्पन्न हो जाएगा।

विराम चिह्न के भेद

विराम चिह्न के नामविराम चिह्न
1. पूर्ण विराम चिह्न (Full Stop)
2. अल्प विराम चिह्न (Comma),
3. अर्द्ध विराम चिह्न (Semi Colon);
4. प्रश्नवाचक चिह्न (Question Mark)?
5. विस्मयादिबोधक चिह्न (Interjection)!
6. अवतरण या उदहारण चिह्न (Inverted Comma)“ ”
7. योजक या विभाजक चिह्न (Hyphen)
8. निर्देशक चिह्न (Dash)
9. अपूर्ण विराम चिह्न (Colon):
10. विवरण चिह्न:-
11. कोष्ठक चिह्न (Bracket)() {} []
12. संक्षेप सूचक/लाघव चिह्न० या .
13. पदलोप चिह्न या + या x
14. समानता सूचक चिह्न=
15. त्रुटिपूरक चिह्न (Oblivion Sign)^
16. दीर्घ उच्चारण चिह्न
17. पुनरुक्ति सूचक चिह्न (Repeat Pointer),,
18. रेखांकन चिह्न (Underline)_
19. विकल्प सूचक चिह्न/
20. पाद बिंदु÷
21.टीका सूचक/तारक/फुट नोट* या + या 1
22. समाप्ति सूचक चिह्न-0-
विराम चिह्न के भेद

विराम चिह्न के प्रकार

viram chihn के निम्नलिखित प्रकार हैं-

1. पूर्ण विराम चिह्न (।)

पूर्ण विराम को अंग्रेजी में Full Stop कहा जाता है। इसके चिह्न को हिंदी में () खाड़ी पाई कहा जाता है। पूर्ण विराम का अर्थ है, भली भांति रुकना या ठहरना। अर्थात जब वाक्य का आशय पूर्ण हो जाता है, तब वहाँ पूर्ण विराम लगता है। जहाँ वाक्य की गति अंतिम रूप ले ले, विचार के तार टूट जाएँ, वहाँ ‘पूर्ण विराम’ का प्रयोग होता है। इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है―

(i) प्रश्नों और विस्मयबोधक वाक्यों को छोड़कर सभी सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्यों के अंत में; जैसे-

  • ‘रीता खेलती है। बालक लिखता है। यह पुस्तक अच्छी है।’

उपरोक्त उदाहरण के प्रत्येक वाक्य एक दूसरे से अलग या स्वतंत्र हैं। सबके विचार अपने में पूर्ण हैं। इसीलिए सबके अंत में पूर्ण विराम लगा हुआ है।

(ii) किसी व्यक्ति या वस्तु का सजीव वर्णन करते समय वाक्यांशों के अंत में; जैसे―

  • गोरा बदन।
  • चौड़ा छाती।
  • सिर के बाल न अधिक बड़े, न अधिक छोटे।

(iii) दोहा, सोरठा, चौपाई, सवैया आदि में पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है। जहाँ पहले चरण के अंत में एक पूर्ण विराम (।) लगता है वहीं दूसरे चरण के अंत में दो पूर्ण विराम (॥) लगता है; जैसे―

चलती चक्की देखि के दिया कबीरा रोय।
दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय॥

(iv) अप्रत्यक्ष कथन के अंत में; जैसे―

आपनें अब तक बताया नहीं कि आप क्या खाने वाले हैं।

(v) कुछ लोग और समाचार पत्रों में आजकल अंग्रेजी के अनुकरण में पूर्ण विराम चिह्न (।) की जगह (.) का प्रयोग करते हैं; जैसे―

  • तुम जा रहे हो.
  • मैं आदमी हूँ.

2. अल्प विराम चिह्न (,)

अंग्रेजी शब्द Comma के अर्थ में अल्प विराम प्रयुक्त होता है। इसका अर्थ होता है- थोड़ी देर के लिए रुकना या ठहरना। अल्प विराम के लिए , चिह्न का प्रयोग किया जाता है। वाक्य में जिस स्थान पर बहुत ही कम ठहरना हो, वहाँ अल्प विराम लगाया जाता है। सामान्यत: अल्प विराम का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है―

(i) जहाँ एक तरह से कई पद, शब्द, वाक्यांश या वाक्य एक साथ आते हैं; जैसे―

  • रमेश, सुरेश, महेश और वीरेन्द्र घूमने गए।
  • युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम तीनों कुंती के पुत्र थे।
  • खाओ, पियो और मौज करो।
  • वह रोज आता है, पढ़ता है और चला जाता है।

(ii) जहाँ एक ही शब्द या वाक्यांश की पुनरावृत्ति हो और भावों पर विशेष बल दिया जाए; जैसे―

  • सुनो, ध्यान से सुनो, कोई गा रहा है।
  • चलो, चलो निकलो यहाँ से।
  • नहीं, नहीं, ऐसा कभी नहीं हो सकता।

(iii) जब हाँ या नहीं को शेष वाक्यों से अलग किया जाता है; जैसे―

  • हाँ, मैं कविता लिखूँगा।
  • नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।

(iv) उक्ति या उद्धरण चिह्न (“ ”) से पूर्व; जैसे―

  • राम ने श्याम से कहा, “अपना काम करो।”
  • भरत ने कहा, “मुझे राम से अधिक राज्य प्यारा नहीं है।”

(v) वह, यह, तब, तो, या और अब आदि के लोप होने पर; जैसे―

  • जब जाना ही है, जाओ। (तो)
  • जब हम स्कूल पहुँचे, प्रार्थना शुरू हो गई थी। (तब)
  • जो किताब हमने तुम्हें भेजी थी, कहाँ है? (वह)
  • कहना था सो कह दिया, तुम जानो। (अब)

(vi) संख्या के आँकड़ों में इकहरे या दुहरे अंकों के बीच में; जैसे― 1, 14, 26, 40 आदि।

(vii) महीने की तारीख तथा वर्ष आदि को अलग करने के लिए; जैसे―

2 अक्टूबर, 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म हुआ था।

(viii) छंदों में यति के पश्चात्; जैसे―

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।

(ix) क्योंकि, बल्कि, परन्तु, इसलिए, पर, किंतु, अपितु, अतएव, तभी, जैसे आदि समुच्चयबोधकों से आरंभ होने वाले उपवाक्यों के पूर्व; जैसे―

  • वह विद्यालय न जा सका, क्योंकि यह बीमार था।
  • उसके सामने कोई विकल्प नहीं था, अतः उसने पढ़ाई छोड़ दी।
  • मेरी असफलता निश्चित थी, परन्तु अंतिम समय में आकर उन्होंने मेरी रक्षा की।
  • वह कर्ज नहीं लेता, इसलिए सिर ऊँचा करके चलता है।

(x) समानाधिकरण संज्ञा और सर्वनाम शब्दों के बीच में; जैसे―

मैं, रंजन पाण्डेय, वादा करता हूँ कि…

(xi) समानपदी शब्दों को अलग करने के लिए; जैसे―

राजीव अपनी संपत्ति, भूमि, प्रतिष्ठा और मान-मर्यादा सब खो बैठा।

(xii) मध्य में, किसी वाक्यांश/उपवाक्य को पृथक् करने के लिए; जैसे―

शिक्षा नीति बदल जाने से, मैं समझता हूँ, परीक्षा परिणाम सुधरेगा।

(xiii) पत्र में अभिवादन और समापन में; जैसे― पूज्य माताजी, भवदीय,

(xiv) जहाँ किसी व्यक्ति को संबोधित किया जाए, उसके बाद अल्प विराम का प्रयोग होता है; जैसे―

  • अखिलेश, अब तुम विद्यालय जा सकते हो।
  • सज्जनों, समय आ गया है, तैयार हो जाओ।
  • वीरेन्द्र, तुम यहीं ठहरो।

(xv) संबोधन शब्द मध्य में हो तो उसके पहले और बाद में अल्प विराम आता है; जैसे―

यहाँ से जाओ, आदित्य, मेरी बात मानो।

(xvi) शब्द-युग्मों में अलगाव दिखाने के लिए; जैसे―

रात और दिन, सच और झूठ

(xvii) समानाधिकरण शब्द/पदबन्ध उपवाक्य के बीच में; जैसे―

सवेरा हुआ, सूरज निकला, पक्षी चह-चहाने लगे।

(xviii) प्रधान वाक्यों के बीच कोई आश्रित वाक्य आ जाने से; जैसे―

यह लड़का, आपने भी देखा होगा, समझदार नहीं है।

नोट- कुछ लोग ‘कि’ के बाद अल्प विराम लगाते हैं, जो सही नहीं है क्योंकि ‘कि’ स्वयं अल्प विराम है।

3. अर्द्ध विराम चिह्न ( ; )

अर्द्ध विराम को अंग्रेजी में Semi Colon कहा जाता है। इसका का अर्थ है- आधा विराम। जहाँ पूर्ण विराम की तुलना में कम और अल्प विराम से अधिक रुकना होता है, वहाँ अर्द्ध विराम का प्रयोग होता है। इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है―

(i) जहाँ संयुक्त वाक्यों के मुख्य उपवाक्यों में परस्पर विशेष संबंध नहीं होता, वहाँ अर्द्ध विराम द्वारा उन्हें अलग किया जाता है; जैसे―

उसने अपने माल को बचाने के लिए अनेक उपाय किए; परन्तु वे सब निष्फल हुए।

(ii) समानाधिकार वाक्यों के मध्य में; जैसे―

राम ऑफिस से सीधे घर पहुँचा; हाथ धोकर खाना खाया; फिर अमेजन प्राइम देखा और सो गया।

(iii) अनेक उपाधियों को एक साथ लिखने में, उनमें अलग-अलग अर्थ प्रकट करने के लिए अर्द्ध विराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे―

डॉ. संदीप यादव, एम.ए.; पी.एच.डी.।

(iv) मिश्र वाक्यों में प्रधान वाक्य के साथ अलग अर्थ प्रकट करने के लिए; जैसे―

जब मेरे पास रूपये होंगे; तब मैं आपकी सहायता करूँगा।

(v) मिश्र वाक्यों और संयुक्त वाक्यों में विरोधपूर्ण कथन अथवा विपरीत अर्थ प्रकट करने वाले उपवाक्यों के बीच में; जैसे―

  • जो उसे गालियाँ देते हैं; वह उन्हें भी प्यार करता है।
  • वह माफी माँगता रहा; लोग उसे पीटते रहे।

(vi) नियम के पश्चात् आने वाले उदाहरणसूचक शब्द ‘जैसे’ शब्द के पहले; जैसे―

वाक्य के अंत में पूर्ण विराम लगाते हैं; जैसे- वह गीत गाता है।

(vii) मिश्र वाक्य में प्रधान उपवाक्य तथा कारण वाचक क्रिया-विशेषण उपवाक्य के बीच में; जैसे―

तुम्हारे दबाव से एक व्यक्ति भी नहीं टूट सकता; क्योंकि तुम्हारा पक्ष असत्य पर टिका है।

4. प्रश्नवाचक चिह्न (?)

प्रश्नवाचक चिह्न को अंग्रेजी में Question Mark कहा जाता है। जिन वाक्यों में प्रश्नात्मक भाव (प्रश्न पूछने या करने का बोध) हो, उसके अन्त में प्रश्नवाचक चिह्न (?) लगाया जाता है। प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित अवस्थाओं में होता है―

(i) प्रश्नवाचक वाक्यों (क्या, कहाँ, कब, कैसे, क्यों) के अंत में; जैसे―

  • तुम्हारा क्या नाम है?
  • तुम कब आओगे?
  • क्या आप गया से आ रहे हैं?

(ii) अनिश्चय अथवा संदेह प्रकट होने की स्थिति में; जैसे―

  • क्या कहा, वह धनवान (?) है।
  • आप शायद मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं?

(iii) व्यंग्यात्मक भाव प्रकट करने के लिए; जैसे―

  • भ्रष्टाचार इस सदी का सबसे बड़ा शिष्टाचार है, है न?
  • भाई तुम्हारे तो जलवे हैं (?)

(iv) प्रश्नवाचक चिह्न सीधे वाले प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में लगता है, अप्रत्यक्ष कथन वालों में नहीं। क्योंकि इनमें उत्तर की अपेक्षा नहीं रहती; जैसे―

  • मैं यह नहीं जानता कि मैं क्या चाहता हूँ।
  • उसने पूछा कि वह कहाँ है।

5. विस्मयादिबोधक चिह्न (!)

विस्मयादिबोधक चिह्न के लिए अंग्रेजी में Interjection शब्द प्रचलित है। कामता प्रसाद गुरु ने इसे ‘आश्चर्य चिह्न’ कहा है। आश्चर्य, करुणा, घृणा, भय, विषाद, हर्ष, विस्मय आदि मनोविकार सूचक भावों को व्यक्त करने के लिए विस्मयादिबोधक चिह्न (!) का प्रयोग किया जाता है। विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है―

(i) विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग हर्ष, घृणा, आश्चर्य आदि मनोविकारों को व्यक्त करने के लिए वाक्य के अंत में प्रयुक्त होता है; जैसे―

  • अरे! वह पास हो गया।
  • वाह! तुम धन्य हो।

(ii) विनय, व्यंग्य, उपहास, आदर आदि को व्यक्त करने वाले वाक्यों के अन्त में पूर्ण विराम के स्थान पर इसी चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे―

  • आप तो! हरिश्चंद्र हैं। (व्यंग्य)
  • हे भगवान! दया करो। (विनय)
  • वाह! वाह! फिर साइकिल चलाइए। (उपहास)
  • आपका स्वागत है! (स्वागत)

(iii) सम्बोधन शब्दों के बाद विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे―

  • मित्रों! बोला था की नहीं बोला था?
  • भाइयों और बहनों! मैं आपके लिए सन्देश लाया हूँ।

(iv) हँसी-ख़ुशी और मनोवेग जहाँ प्रदर्शित होता है, वहाँ विस्मयवाचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे―

  • एक या दो दिन का शोक! महाशोक!! घोषित किया गया।
  • तुम्हारी जीत होकर रही, शाबाश!

6. अवतरण या उद्धरण चिह्न (“ ”)

अवतरण चिह्न को अंग्रेजी में Inverted Comma कहा जाता है। इसे (“ ”) तथा (‘ ’) चिह्न से व्यक्त करते हैं। इसका प्रयोग संधि कथन एवं कहावत आदि को लिखने के लिए किया जाता है। उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं- इकहरे / एकाकी चिह्न (‘ ’) और दोहरे चिह्न (“ ”)। उद्धरण चिह्नों का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है―

(i) कोई विशेष शब्द, पद, वाक्य-खंड आदि का उदाहरण देने के लिए इकहरे उद्धरण चिह्न लगता है; जैसे―

  • ‘मैला आँचल’ उपन्यास की समीक्षा लिखिए।
  • ‘विराम चिह्न’ के लेखक हैं।

(ii) उद्धरण के अन्तर्गत कोई दूसरा उद्धरण होने पर इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे―

  • डॉ. वर्मा ने कहा, “निराला जी की कविता ‘वह तोड़ती पत्थर’ बड़ी मार्मिक है।”
  • रामचंद्र शुक्ल के अनुसार, “कबीर को ‘राम-नाम’ रामानंद जी से ही प्राप्त हुआ।”

(iii) जब किसी वाक्य, अवतरण या कथन को ज्यों-का-त्यों उद्धत करना होता है, तब दोहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे―

  • सरदार पूर्ण सिंह का कथन है “हल चलाने वाले और भेड़ चराने वाले स्वभाव से ही साधु होते हैं।”
  • “साहित्य राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है।”- प्रेमचंद्र

(iv) पुस्तक, समाचार पत्र, शीर्षक, उपनाम आदि में भी इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे―

  • ‘रामचरित मानस’ एक धर्मिक ग्रंथ है।
  • ‘दैनिक जागरण’ एक हिंदी दैनिक पत्र है।
  • ‘मुझको न मिला रे प्यार’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
  • गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ हिंदी के प्रमुख कवि हैं।

7. योजक या विभाजक चिह्न (–)

योजक चिह्न को सामासिक, संयोजक या विभाजक चिह्न भी कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में Hyphen कहा जाता है। दो शब्दों को जोड़ने के लिए योजक चिह्न (-) का प्रयोग किया जाता है। दोनों मिलकर एक समस्त पद बनाते हैं, किंतु दोनों का स्वतंत्र अस्तित्व बना रहता है। दो सहचर अथवा विपरीतार्थ शब्दों के मध्य यह चिह्न लगता है। योजक चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है―

(i) विलोम शब्दों के बीच में; जैसे― रात-दिन, गरीब-अमीर, लाभ-हानि आदि।

(ii) द्वन्द्व समास के बीच में, जिनके अर्थ प्राय: समान होते हैं; जैसे― भूल-चुक, शोर-गुल, चाल-चलन आदि।

(iii) समानार्थी शब्दों की पुनरुक्ति के बीच में; जैसे― घर-घर, रात-रात, दूर-दूर आदि।

(iv) तुलनावाचक शब्द सा, सी, से के पूर्व; जैसे― तुम-सा मूर्ख कोई और नहीं होगा।

(v) मध्य के अर्थ में; जैसे― राम-रावण युद्ध, राम-परशुराम संवाद आदि।

(vi) अक्षरों में लिखी जाने वाली संख्याओं के बीच में; जैसे― एक-तिहाई, तीन-चौथाई आदि।

(vii) जब दो विशेषण संज्ञा के अर्थ में प्रयुक्त हों; जैसे― भूखा-प्यासा, अंधा-बहरा आदि।

(viii) जब एक शब्द सार्थक और दूसरा निर्थक हो; जैसे― पानी-वानी, उलटा-पुलटा, अनाप-सनाप आदि।

(xi) शुद्ध संयुक्त क्रियाओं के बीच; जैसे― मारना-पीटना, आना-जाना, कहना-सुनना आदि।

(x) प्रेरणार्थक क्रियाओं के बीच; जैसे― जिताना-जितवाना, डराना-डरवाना, कराना-करवाना आदि।

(xi) जब निश्चित संख्यावाचक विशेषण के दो पद एक साथ प्रयुक्त हों; जैसे― दो-चार, पहला-दूसरा, चार-चार आदि।

(xii) जब अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण में ‘सा’, ‘से’ आदि जोड़े जाएँ; जैसे― थोड़ा-सा काम, कम-से-कम, बहुत-से लोग आदि।

(xiii) गुणवाचक विशेषण में ‘सा’ जोड़कर; जैसे― बड़ा-सा पेड़, बड़े-से-बड़े लोग आदि।

(xiv) द्विरुक्त शब्दों के बीच में; जैसे― जल्दी-जल्दी, राम-राम, चलते-चलते, कुछ-कुछ पानी-पानी आदि।

योजक चिह्न का प्रयोग कहाँ नहीं करना चाहिए―

(i) नगरों, संस्थाओं, दुकानों, समितियों, आयोगों, कल-कारखानों और पत्र-पत्रिकाओं के नाम में; जैसे― संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, संयुक्त राष्ट्रसंघ, उड़ीसा सहकारी समिति, केंद्रीय भंडार, संगीत नाटक आकादमी, शिक्षा आयोग, कॅालेज पत्रिका, टाटा स्टील कंपनी आदि।

(ii) तत्पुरुष समास में; जैसे― आपबीती, राष्ट्रभाषा, तिलचट्टा आदि।

(iii) कर्मधारय समास में; जैसे― चरणकमल, गोबरगणेश, धर्मशाला आदि।

(iv) अव्ययीभाव समास में; जैसे― दिनरात, यथाशक्ति, आजकल आदि।

(v) द्विगुसमास में; जैसे― पंचवटी, सतसई, चौमासा आदि।

(vi) जिन शब्दों के अंत में पूर्वक, पूर्ण, मय, युक्त, व्यापी, द्वारा, रूपी, गण, भर, मात्र, स्वरूप आदि जोड़े जाएँ; जैसे― श्रद्धापूर्वक, दिनभर, परिषद द्वारा, परिणामस्वरूप, मानवमात्र आदि।

(vii) विशेष्य और विशेषण के बीच; जैसे― अहिंदीभाषी, मातृभाषा, हिंदी फिल्म, शुभ समाचार आदि।

(viii) शब्द के आरम्भ में लगने वाले उपसर्गों के बीच; जैसे― उपकुलपति, उपसभापति, असहयोग, उपकार आदि।

8. निर्देशक या रेखिका चिह्न (―)

निर्देशक चिह्न अंग्रेजी में Dash नाम से जाना जाता है। किसी विषय विचार अथवा विभाग के मन्तव्य को सुस्पष्ट करने के लिए निर्देशक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। यह योजक चिह्न से थोड़ा लंबा होता है। निर्देशक चिह्नों का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है―

(i) उद्धत वाक्य से पहले; जैसे―

तुलसीदास जी ने कहा―“परहित सरिस धरम नहिं भाई।”

(ii) विवरण प्रस्तुत करने करने के लिए; जैसे―

वर्णों के आधार पर संधि के तीन भेद होते हैं― स्वरसंधि, व्यंजनसंधि और विसर्गसंधि।

(iii) संवादों या वार्तालापों में; जैसे―

टीटीतुम्हारा टिकट कहाँ तक का है?

छात्रमेरा टिकट पटना तक का है।

(iv) जैसे, यथा और उदाहरण आदि शब्दों के का बाद; जैसे―

संस्कृति की ‘स’ ध्वनि फारसी में ‘ह’ हो जाती है; जैसे―असुर > अहुर।

(v) वाक्य में टूटे हुए विचारों को जोड़ने के लिए; जैसे―

आज ऐसा लग रहा है― मैं घर पहुँच गया हूँ।

(vi) अवतरण के अंत में रचनाकार का नाम देने से पूर्व; जैसे―

आप जिस तरह बोलते हैं, बातचीत करते हैं, उसी तरह लिखा भी कीजिए। भाषा बनावटी नहीं होनी चाहिए। महावीर प्रसाद द्विवेदी

(vii) एक विचार के बीच में दूसरे विचार के आ जाने पर; जैसे―

तुम्हे―मैं साफ कहता हूँ―बाद में पछतावा होगा।

(viii) निम्नलिखित / निम्नांकित शब्द के बाद; जैसे―

  • निम्नलिखित प्रश्नों को हल कीजिए―
  • निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए―

(ix) किसी पद के अर्थ को अधिक स्पष्ट करने के लिए दोहराने वाले पदबंधों के बीच; जैसे―

रोहित मेरा मित्र है―घनिष्ठतम मित्र।

9. अपूर्ण विराम चिह्न (:)

अंग्रेजी का Colon शब्द हिंदी में अपूर्ण विराम है। इसे ‘उपविराम’ के नाम से भी जाना जाता है। कामता प्रसाद गुरु ने इसका जिक्र नहीं किया है। अपूर्ण विराम चिह्न विसर्ग की तरह दो बिन्दुओं के रूप में होता है, इसलिए कभी-कभी विसर्ग का भ्रम होता है। जब बोलने और लिखने में अल्प विराम से अधिक ठहराव आता है, तो वहाँ उप विराम होता है। इसका प्रयोग किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में बताने के लिए, किसी कथन को अलग दिखाने के लिए किया जाता है। अर्थात अपूर्ण विराम का स्वतंत्र प्रयोग किसी शीर्षक को उसी के आगे स्पष्ट करने में होता है; जैसे―

  • तुलसीदास: एक अध्ययन
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप

10. विवरण चिह्न (:-)

वाक्यांश में जानकारी, सूचना या निर्देश आदि को दर्शाने या विवरण देने के लिए ‘विवरण’ चिह्न’ का प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः विवरण चिह्न का प्रयोग निर्देशक चिह्न की तरह होता है। विशेष रूप से जब किसी विवरण को प्रारम्भ करना होता है या किसी कथन को विस्तार से देना होता है, तब विवरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे―

(i) निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर निबंध लिखिए:-

  • साहित्य और समास
  • स्वतंत्रता आंदोलन

(ii) वाक्यांशों के विषय में कोई सूचक देने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है; जैसे―

वचन के दो भेद होते हैं:- एकवचन और बहुवचन

(iii) कुछ लोग अपूर्ण विराम चिह्न (:) का प्रयोग भी विवरण चिह्न (:-) की तरह करते हैं।

11. कोष्ठक चिह्न () {} []

कोष्ठक चिह्न को अंग्रेजी में Bracket नाम से जाना जाता है। वाक्य में किसी शब्द, कथन अथवा वाक्यांश का अर्थ स्पष्ट / सुस्पष्ट करने के लिए कोष्ठक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। कोष्ठकों का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में होता है―

(i) जब किसी भाव या शब्द की व्याख्या करना चाहते हैं, किन्तु उस अंश को मूल वाक्य से अलग ही रखना चाहते हैं, तो कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है; जैसे―

उन दिनों में राम नरेश दिल्ली विश्वविद्यालय (अब प्रोफेसर) में शोधार्थी थे।

(ii) नाटक या एकांकी में निर्देश के लिए कोष्ठक का प्रयोग होता है; जैसे― राजा का प्रवेश (पटाक्षेप)

(iii) किसी वर्ग के उपवर्गों अथवा क्रम सूचक अंकों या अक्षरों को लिखते समय वर्णों या संख्याओं को कोष्ठकों में लिखा जाता है; जैसे― (क), (ख), (1), (2), (i), (ii) आदि।

(iv) कठिन शब्द को स्पष्ट करने के लिए भी कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है; जैसे―

लौकिक (सांसारिक) मनुष्य सुखों के पीछे भागता है।

12. संक्षेप सूचक/लाघव चिह्न (० या .)

संक्षेप सूचक या लाघव चिह्न अंग्रेजी में Abbreviation Sign कहलाता है। अंग्रेजी में इसका खूब चलन है। इसका प्रयोग किसी नाम या शब्द के संक्षिप्त रूप के साथ होता है। अर्थात पूरे शब्द की जगह प्रतीक रूप में आदिवर्ण लिखकर अंत में लाघव चिह्न लगा दिया जाता है। शून्य चिह्न (०) अधिक स्थान घेरता है। इसलिए अब इसके स्थान पर बिन्दु (.) का भी प्रयोग किया जाता है; जैसे―

  • डॉक्टर के लिए (डॉ०)
  • प्रोफेसर के लिए (प्रो.)
  • दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए (दि० वि०)
  • मास्टर ऑफ आर्ट्स के लिए (एम.ए.)
  • डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी के लिए (पी.एच.डी.)

13. पदलोप चिह्न (… या + x + x +)

पदलोप चिह्न को ‘लोप चिह्न’ या ‘लोप सूचक चिह्न’ भी कहा जाता है। कामता प्रसाद गुरु इसे ‘स्थान पूरक चिह्न’ कहते हैं। जब किसी अवतरण का पूरा उद्धरण न देकर कुछ अंश छोड़ दिया जाता है, तब लोप सूचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे―

(क)

राम के रूप निहारति जानकी,
+     x     +     x
+     x     +     x
कर टेकि रही पल टारत नाहीं।

(ख) मित्र वही है जो सदैव सुख-दुःख में समान रूप से शामिल रहता है। + x + x + x + जो संकल्पों को दृढ़ करने में सहायक होता है। वही सच्चा मित्र है। जिससे संकल्प शक्ति क्षीण होती है, वह मित्र नहीं है।

14. समानता सूचक चिह्न (=)

समानता सूचक या तुल्यता सूचक चिह्न अंग्रेजी में Equivalence indicator symbol कहलाता है। किसी शब्द का अर्थ अथवा भाषा के व्याकरणिक विश्लेषण में समानता सूचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे―

  • कृतघ्न = उपकार न मानने वाला।
  • तपः + वन = तपोवन
  • च्छाई = बुराई
  • आ = बा
  • 12 + 25 = 37

15. त्रुटिपूरक चिह्न (^)

त्रुटिपूरक चिह्न को अंग्रेजी में Oblivion Sign कहते हैं। इसे विस्मरण चिह्न, हंसपद चिह्न, त्रुटिबोधक, त्रुटिविराम आदि नामों से जाना जाता है। वाक्य में त्रुटिपूरक चिह्न का प्रयोग तब किया जाता है, जब कोई शब्द आदि छूट जाता है; जैसे-

               कई

  • मेरे कमरे में ^ सामान्य वस्तुएँ हैं।

              जीव का बोध

  • जो नाम एक ही ^ कराये, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

16. दीर्घ उच्चारण चिह्न (ऽ)

हिंदी में प्लुत स्वरों के उच्चारण में इसका प्रयोग किया जाता है। जब वाक्य में किसी विशेष शब्द के उच्चारण में अन्य शब्दों की अपेक्षा अधिक समय लगता है तो वहां पर दीर्घ उच्चारण चिह्न (ऽ) का प्रयोग किया जाता है। कामता प्रसाद गुरु ने इसकी चर्चा नहीं की है। छंदों में वर्ण की गणना के लिए इसका प्रयोग अधिक होता है; जैसे―

रहिमन पानी राखिये,
 ||||  SS   S|S = 13 मात्राएँ
बिन पानी सब सून।
 ||   SS  ||  S|  = 11 मात्राएँ
पानी गये न ऊबरे,
 SS  |S |  S|S  = 13 मात्राएँ
मोती, मानुष, चून॥
 SS   S||   S|  = 11 मात्राएँ

नोट: | को एक मात्रा तथा S को 2 मात्रा माना जाता है, जिसे क्रमशः लघु और दीर्घ (गुरु) कहते हैं।

17. पुनरुक्ति सूचक चिह्न ( ” )

पुनरुक्ति सूचक चिह्न को अंग्रेजी में Repeat Pointer Symbol कहते हैं। पुनरुक्ति सूचक चिह्न ( ” ) का प्रयोग ऊपर लिखे किसी वाक्य के अंश को दोबारा लिखने से बचने के लिए किया जाता है; जैसे―

साहित्यकारविधा
नामवर सिंहआलोचक
मुक्तिबोधकवि
अज्ञेय,,
रामचंद्र शुक्लनिबंधकार
पुनरुक्ति सूचक चिह्न

उपरोक्त टेबल में मुक्तिबोध के ठीक नीचे अज्ञेय का नाम है, दोनों मूलतः कवि हैं इसलिए अज्ञेय के सामने दोबारा कवि न लिखकर पुनरुक्ति सूचक चिह्न का प्रयोग किया गया है।

18. रेखांकन चिह्न (_)

अंग्रेजी का Underline हिंदी में रेखांकन चिह्न कहलाता है। किसी भी वाक्य में महत्त्वपूर्ण शब्द, पद, वाक्य को रेखांकित करने के लिए रेखांकन चिह्न (_) का प्रयोग किया जाता है; जैसे―

(क) हमारे तुम्हारे भी सभी काम बात पर निर्भर हैं।

(ख) सड़क सुरक्षा के प्रति स्वयं लोगों को यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।

(ग) हिंदी गद्य में साक्षात्कार विधा काफी समृद्धि है। इसके प्रवर्तक बनारसीदास चतुर्वेदी हैं।

इस प्रकार हम देखते हैं कि विराम चिह्न हिंदी व्याकरण का कितना महत्वपूर्ण विषय है, इसीलिए बहुधा परीक्षाओं में पूछा जाता है। हमें viram chihn के इन प्रकारों को ध्यान में रखना चाहिए, तभी हम हिंदी भाषा को ठीक से लिख-पढ़ सकेंगे।

इनमें से कौन-सा विराम चिह्न ऐसा है जो हिंदी में अंग्रेजी भाषा से नहीं लिया गया है?
,
?
;
अर्द्ध विराम (;) को अंग्रेजी भाषा से नहीं लिया गया है।
राम अयोध्या के राजा थे।’ वाक्य में प्रयुक्त चिह्न है?
विवरण चिह्न
निर्देशक चिह्न
उप विराम
पूर्ण विराम
उपर्युक्त वाक्य में प्रयुक्त चिह्न ‘पूर्ण विराम’ है।
‘हंस पद’ किस विराम का एक और नाम है?
अल्प विराम
उप विराम
अर्द्ध विराम
त्रुटि विराम
‘हंस पद’ त्रुटि विराम का एक और नाम है।
‘चंद्रकांत कहाँ जा रहा है’ इस वाक्य में किस विराम चिह्न का प्रयोग होगा-
:-
?
उपरोक्त वाक्य में प्रश्नवाचक चिह्न (?) का प्रयोग होगा।
‘कामता प्रसाद गुरु’ के अनुसार विराम चिह्नों की संख्या है-
23
14
17
20
‘कामता प्रसाद गुरु’ के अनुसार विराम चिह्नों की संख्या 20 है।
पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है?
जहाँ वाक्य और उपवाक्य पूरी तरह असंबद्ध हों
सहचर शब्दों के बीच
जब थोड़ी देर का ठहराव आए
वाक्य के अंत में
पूर्ण विराम का प्रयोग वाक्य के अंत में किया जाता है।
किस विराम चिह्न का प्रयोग सर्वाधिक होता है?
प्रश्नवाचक
अर्द्ध विराम
उपविराम
अल्प विराम
पूर्ण विराम के बाद सर्वाधिक प्रयोग अल्प विराम का होता है।
योजक चिह्न (-) को कहते हैं?
तुल्यता सूचक
विकल्प सूचक
अवतरण चिह्न
समासिक चिह्न
योजक चिह्न (-) को ‘समासिक चिह्न’ कहते हैं।
संक्षेप सूचक चिह्न को कहा जाता है-
उपविराम
हंसपद
विस्मयादिबोधक
लाघव चिह्न
संक्षेप सूचक चिह्न को ‘लाघव चिह्न’ कहा जाता है।
नोटबंदी किसके शासनकाल में हुई? वाक्य में प्रयुक्त विराम चिह्न है-
टीकासूचक
पूर्ण विराम
समाप्ति सूचक
प्रश्नवाचक
उपर्युक्त वाक्य में प्रश्नवाचक चिह्न (?) प्रयुक्त हुआ है।
विस्मयादिबोधक चिह्न है-
!
विस्मयादिबोधक चिह्न है- (!)
वक्ता के कथन का यथावत उद्धृत करने के लिए प्रयोग किया जाता है?
कोष्ठक चिह्न
एकाकी उद्धरण चिह्न
समासिक चिह्न
दुहरे उद्धरण चिह्न
वक्ता के कथन का यथावत उद्धृत करने के लिए ‘दुहरे उद्धरण चिह्न’ का प्रयोग किया जाता है।
किसी कथन को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त होता है?
अल्पविराम चिह्न
लोप चिह्न
उप विराम
कोष्ठक चिह्न
किसी कथन को स्पष्ट करने के लिए ‘कोष्ठक चिह्न’ प्रयुक्त होता है।
जहाँ शब्दों की पुनरावृत्ति की गई हो, वहाँ भावों पर विशेष बल देने के लिए प्रयोग किया जाता है-
पूर्ण विराम चिह्न (।)
संयोजक चिह्न (-)
अर्द्ध विराम चिह्न (;)
अल्प विराम चिह्न (,)
जहाँ शब्दों की पुनरावृत्ति की गई हो, वहाँ भावों पर विशेष बल देने के लिए ‘अल्प विराम चिह्न’ (,) का प्रयोग किया जाता है।
संधि, कथन एवं कहावत आदि को लिखने के लिए प्रयोग किया जाता है?
कोष्ठक चिह्न
विवरण चिह्न
योजक चिह्न
उद्धरण चिह्न
संधि, कथन एवं कहावत आदि को लिखने के लिए ‘उद्धरण चिह्न’ का प्रयोग किया जाता है।
त्रुटि विराम, त्रुटिबोधक एवं विस्मरण चिह्न आदि नामों से जाना जाता है-
प्रश्नवाचक (?)
लोप चिह्न (xxx…..+++)
पुनरुक्ति सूचक चिह्न (” ”)
हंसपद (^)
हंसपद को त्रुटि विराम, त्रुटिबोधक एवं विस्मरण चिह्न आदि नामों से जाना जाता है।
‘रोहित, दीना और मार्तण्ड खेल रहे हैं’ वाक्य में प्रयुक्त चिह्न है?
योजक
लाघव
लोप
अल्प विराम
उपर्युक्त वाक्य में ‘अल्प विराम’ चिह्न प्रयुक्त हुआ है।
वाक्यांश में जानकारी, सूचना या निर्देश आदि का विवरण देने के लिए प्रयोग किया जाता है?
अर्द्ध विराम
अल्प विराम
निर्देशक चिह्न
विवरण चिह्न
वाक्यांश में जानकारी, सूचना या निर्देश आदि का विवरण देने के लिए विवरण चिह्न (:-) का प्रयोग किया जाता है।
पूर्ण विराम चिह्न को हिंदी में कहते हैं-
पाई
बिंदु
रेखा
खड़ी पाई
पूर्ण विराम चिह्न को हिंदी में ‘खड़ी पाई’ कहते हैं।
दीर्घ उच्चारण चिह्न है-
^
दीर्घ उच्चारण चिह्न है- (ऽ)
कोष्ठक चिह्न () का प्रयोग किया जाता जाता है?
किसी शब्द के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए
क्रमांक को घेरने के लिए
नाटकों में रंग संकेतों के लिए
इनमें से सभी के लिए
कोष्ठक चिह्न का प्रयोग इनमें से सभी के लिए किया जाता जाता है।
आश्चर्य चिह्न (!) का प्रयोग किस भाव की अभिव्यक्ति में नहीं होता-
उत्साह
घृणा
क्रोध
प्रपंच
आश्चर्य चिह्न का प्रयोग मनोविकार सूचक शब्दों के लिए होता है।
द्विरुक्त शब्दों के बीच में प्रयुक्त चिह्न है?
पाद बिंदु
पुनरुक्ति चिह्न
कोष्ठक
योजक चिह्न
द्विरुक्त शब्दों के बीच में योजक चिह्न प्रयुक्त होता है।
निम्नलिखित में विकल्प सूचक चिह्न है-
\
/
विकल्प सूचक चिह्न है- ( / )
अल्प विराम का शाब्दिक अर्थ है?
रुकना
ठहराव
संक्षेप सूचक
थोड़ी देर के लिए रुकना
अल्प विराम का शाब्दिक अर्थ- थोड़ी देर के लिए रुकना।
‘माँ मेरा कल्याण करो’ वाक्य में किस विराम चिह्न का प्रयोग होगा?
;
:
,
संबोधन कारक के बाद अल्प विराम लगता है।
छंदों में एक चरण की समाप्ति पर किस विराम चिह्न का प्रयोग होता है?
:
,
छंदों में एक चरण की समाप्ति पर अल्प विराम चिह्न का प्रयोग होता है।
सही विराम चिह्नों वाला वाक्य कौन है-
छि: तुमने! तो नाम ही डुबो दिए।
छि: तुमने तो, नाम ही डुबो दिया?
छि: तुमने तो नाम ही डुबो दिया।
छि:! तुमने तो नाम ही डुबो दिया।
सही विराम चिह्न वाला वाक्य यही है।
किसी बड़े अंश का संक्षिप्त रूप दर्शाने के लिए किस चिह्न का प्रयोग किया जाता है?
अल्प विराम
अर्द्ध विराम
कोष्ठक
लाघव
किसी बड़े अंश का संक्षिप्त रूप दर्शाने के लिए लाघव चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
योजक चिह्न से थोड़ा लंबा होता है?
विवरण चिह्न
लाघव चिह्न
विकल्प सूचक चिह्न
निर्देशक चिह्न
निर्देशक चिह्न योजक चिह्न से थोड़ा लंबा होता है ।

viram chihn FAQ:

Q. विराम चिह्न का शाब्दिक अर्थ है?

Ans. विराम चिह्न का शाब्दिक अर्थ ‘ठहराव या रुकना’ है।

Q. विराम चिह्न किसे कहते हैं?

Ans. पढ़ने या लिखने के दौरान ठहरने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम चिह्न कहते हैं।

Q. विराम चिह्न को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

Ans. विराम चिह्न को अंग्रेजी में Punctuation Marks कहते हैं।

Q. हिंदी भाषा में विराम चिह्न कहाँ से आए हैं?

Ans. पूर्ण विराम (।) को छोड़कर बाकी विराम चिह्न अंग्रेजी से आए हुए हैं।

Q. पूर्ण विराम किसे कहते हैं?

Ans. वाक्य को समाप्त करने के लिए जिस चिह्न का प्रयोग किया जाता है उसे पूर्ण विराम (।) कहते हैं।

Q. अल्प विराम किसे कहते हैं और इसका प्रयोग कहाँ होता है?

Ans. किसी वाक्य में जब बहुत कम समय के लिए रुकना या ठहराना हो तो वहाँ अल्प विराम (,) का प्रयोग होता है।

Q. अर्द्ध विराम का प्रयोग कब किया जाता है?

Ans. जहाँ अल्प विराम से कुछ अधिक एवं पूर्ण विराम से कम समय के लिए ठहरते हैं, वहाँ पर अर्द्ध विराम (;) का प्रयोग किया जाता है।

Q. प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग कहाँ किया जाता है?

Ans. जहाँ प्रश्न करने या पूछे जाने का बोध हो, ऐसे वाक्यों के अंत में प्रश्नवाचक चिह्न (?) का प्रयोग किया जाता है। अर्थात प्रश्नवाचक वाक्य के अंत में पूर्ण विराम के स्थान पर इसका प्रयोग किया जाता है।

Q. दुहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग क्यों किया जाता है?

Ans. वक्ता के कथन को यथावत उद्धृत करने के लिए दुहरे उद्धरण चिह्न (” “) का प्रयोग किया जाता है।

Q. विस्मयादिबोधक चिह्न क्या होता है?

Ans. मनोविकार सूचक शब्दों, वाक्यांशों तथा वाक्य के अंत में विस्मयादिबोधक चिह्न (!) का प्रयोग किया जाता है।

Q. संक्षेप सूचक चिह्न को क्या कहा जाता है?

Ans. संक्षेप सूचक चिह्न को लाघव चिह्न (.) कहा जाता है। इसका प्रयोग किसी बड़े नाम या शब्द को संक्षेप में (छोटा करके) लिखने के लिए किया जाता है।

  1. भाषा विज्ञान- कामता प्रसाद गुरु ↩︎
  2. आधुनिक हिंदी व्याकरण और रचना- वासुदेवनंदन प्रसाद, पृष्ठ-57 ↩︎
Previous articleUGC NET Hindi old Question Paper Quiz 69
Next articleUGC NET Hindi old Question Paper Quiz 70