UP GDC Hindi Solved Question Papers 2013

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उत्तर प्रदेश (UP) द्वारा आयोजित राजकीय महाविद्यालय प्रवक्ता परीक्षा (GDC Hindi) 2013 के प्रश्नपत्र का व्याख्यात्मक हल यहाँ दिया गया है। GDC 2013 की इस परीक्षा का आयोजन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा 27 दिसम्बर 2014 को आयोजित हुई थी। Print के द्वारा आप GDC hindi question papers 2013 का pdf Download कर सकते हैं। यदि आप Higher Education संबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा देना चाहते हैं तो इसे एक बार जरुर पढ़ें। Assistant Professor hindi के अन्य Exam और, PHD Admission तथा NTA UGC NET के लिए भी यह Question Papers महत्वपूर्ण है।

GDC Assistant Professor Hindi 2013

1. ‘उक्तिव्यक्तिप्रकरण’ के रचयिता हैं-
दामोदर शर्मा
‘उक्तिव्यक्तिप्रकरण’ के रचयिता ‘दामोदर शर्मा’ हैं। 12वीं सदी का यह एक व्याकरण ग्रंथ है। दामोदर शर्मा ने इसकी भाषा को अपभ्रंश बताया है लेकिन सुनीति कुमार चटर्जी ने इसकी भाषा को प्राचीन कोशली (अवधी) माना है।
हेमचंद्र
विजयसेन सूरि
शालिभद्र सूरि
2. ‘रणमल्ल छंद’ नामक काव्य के रचयिता हैं?
जगनिक
मधुकर
भट्ट केदार
श्रीधर
‘रणमल्ल छंद’ नामक काव्य के रचयिता ‘श्रीधर’ हैं। रासो परम्परा के इस ग्रंथ में 70 छंद (अध्याय) हैं और इसकी भाषा डिंगल है।
3. हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन में काल-विभाजन और नामकरण का प्रथम प्रयास करने वाले हैं-
डॉ. ग्रियर्सन
हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन में काल-विभाजन और नामकरण का प्रथम प्रयास करने वाले विद्वान् डॉ. ग्रियर्सन हैं। जार्ज ग्रियर्सन ने ‘द मार्डन वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिंदुस्तान’ में 952 कवियों को शामिल किया है। इस इतिहास ग्रंथ का हिंदी अनुवाद 1957 ई. में डॉ. किशोरी लाल गुप्त ने ‘हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास’ शीर्षक से किया।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
डॉ. गणपत चंद्रगुप्त
4. ‘हिंदी नवरत्न’ का रचनाकाल है-
1917
1914
1910
‘हिंदी नवरत्न’ का रचनाकाल 1910 ई. है। मिश्रबंधुओं (गणेश बिहारी, श्याम बिहारी, और शुकदेव बिहारी) ने इसकी रचना की है।
1909
5. ‘चंदनबाला रास’ किसकी रचना है?
मुनि जिन विजय
चंदबरदाई
गोरखनाथ
आसगु
‘चंदनबाला रास’ आसगु की रचना है। जीवदया रास इनका अन्य ग्रंथ है।
6. ‘जंबूस्वामी रास’ के रचयिता हैं-
धर्मसूरि
‘जंबूस्वामी रास’ के रचयिता धर्मसूरि हैं। यह जैन रास परम्परा का काव्य है।
हेमचंद्र सूरि
शालिभद्र सूरि
जिनदत्त सूरि
7. ‘हिंदी नई चाल में ढली’ -यह कथन किसका है?
महावीर प्रसाद द्विवेदी
डॉ. श्याम सुंदर दास
राधा कृष्ण दास
भारतेंदु हरिश्चंद्र
‘हिंदी नई चाल में ढली’- यह कथन भारतेंदु हरिश्चंद्र का है जिसे उन्होंने अपने बलिया वाले व्याख्यान में कहा था।
8. महावीर प्रसाद द्विवेदी ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादक कब बने?
1901 ई.
1903 ई.
महावीर प्रसाद द्विवेदी ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादक वर्ष 1903 ई. में बने और 1920 ई. तक लगातार सरस्वती पत्रिका का संपादन करते रहे।
1904 ई.
1905 ई.
9. ‘पउमचरिउ’ के रचनाकार हैं-
पुष्पदंत
सरहपा
स्वयंभू
‘पउमचरिउ’ के रचनाकार ‘स्वयंभू’ हैं जिसे इनके पुत्र ‘त्रिभुवन’ ने पूरा किया था। रिट्ठणेमि चरिउ तथा स्वयंभू छंद इनके अन्य ग्रंथ हैं।
कण्हपा
10. ‘बीसलदेव रासो’ का अंगीरस है-
श्रृंगार
‘बीसलदेव रासो’ का अंगीरस ‘श्रृंगार’ है। इस ग्रंथ के लेखक नरपति नाल्ह ने इसे ‘स्त्रीरसायण’ कहा है। इस ग्रंथ में बारहमासा का सर्वप्रथम वर्णन मिलता है। यह ग्रंथ 4 भागों में विभाजित है।
वीर
रौद्र
शांत
11. ‘खुमाणरासो’ के रचयिता का नाम है-
जल्हण
जगनिक
दलपत विजय
‘खुमाणरासो’ के रचयिता का नाम दलपत विजय है। इसे हिंदी का प्रथम ‘जय काव्य’ कहा जाता है। 9वीं सदी में रचित इस प्रबंध काव्य का अंगी रस ‘वीर’ और भाषा राजस्थानी है। इसमें 5000 छंद हैं।
नरपति नाल्ह
12. ‘अनुराग बांसुरी’ के रचयिता हैं-
शेख रहीम
नूर मोहम्मद
‘अनुराग बांसुरी’ के रचयिता ‘नूर मोहम्मद’ हैं। अवधी भाषा में रचित इस रूपक काव्य का रचनाकाल 1774 ई. है।
कासिम शाह
मुल्ला दाऊद
13. हिंदी में प्रचलित बारहमासा सबसे पहले किस कृति में मिलता है?
नेमिचरिउ
नेमिनाथ चउपई
हिंदी में प्रचलित बारहमासा सबसे पहले ‘नेमिनाथ चउपई’ कृति में मिलता है। तेरहवीं सती में रचित इस ग्रंथ के लेखक विनयचंद्रसूरि हैं। इस ग्रंथ में 12वें तीर्थंकर नेमिनाथ का जीवनचरित का वर्णन मिलता है।
पउमचरिउ
संदेश रासक
14. कालक्रमानुसार इनमें सबसे पुराने लेखक हैं?
सरदार पूर्ण सिंह
किशोरीलाल गोस्वामी
भारतेंदु हरिश्चंद
कालक्रमानुसार इनमें सबसे पुराने लेखक ‘भारतेंदु हरिश्चंद’ हैं। लेखकों का कालक्रम: भारतेंदु हरिश्चंद (1850-1885 ई.), किशोरीलाल गोस्वामी (1865-1932 ई.), श्यामसुंदर दास (1875-1945 ई.), सरदार पूर्ण सिंह (1881-1921 ई.)
श्यामसुंदर दास
15. भक्तिकाल की कृष्णभक्ति काव्य परम्परा में नहीं है?
सूरदास
परमानंद दास
सुंदरदास
भक्तिकाल की कृष्णभक्ति काव्य परम्परा में सुंदरदास नहीं है। सुंदरदास संत काव्य-परम्परा के कवि हैं। संत कवियों में सुंदरदास सबसे ज्यादा शिक्षित थे। ज्ञान समुद्र, सुंदर विलास, स्वप्न प्रबोध, वेद विचार. पञ्च प्रभाव, ज्ञान झुलना आदि हैं।
नंददास
16. आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी रीति ग्रंथों की अखंड परम्परा किससे मानते हैं?
केशवदास
चिंतामणि त्रिपाठी
आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी रीति ग्रंथों की अखंड परम्परा ‘चिंतामणि त्रिपाठी’ से मानते हैं। उनके अनुसार ‘हिंदी रीति ग्रंथों की परम्परा चिंतामणि त्रिपाठी से चली। अंत: रीतिकाल का आरम्भ उन्हीं से मानना चाहिए।
कृपाराम
देव
17. तुलसीदास की ‘विनयपत्रिका’ की भाषा है-
ब्रजभाषा
तुलसीदास की ‘विनयपत्रिका’ की भाषा ‘ब्रजभाषा’ है। तुलसीदास की वैराग्य संदीपनी, कृष्ण गीतावली, गीतावली, दोहावली, कवितावली आदि ग्रंथ भी ब्रजभाषा में हैं।
अवधी
खड़ी बोली
मगही
18. निम्न पंक्ति किसके द्वारा रचित है?
“अखड़ियाँ झांई पड़ी पंथ निहारि निहारि।
जभड़ियाँ छाला पड़ा राम पुकारि पुकारि॥
वैष्णव
सूफी
बौद्ध
संत
उपर्युक्त पंक्ति कबीरदास द्वारा रचित है। यह संत मत को व्यक्त करती है।
19. निम्नलिखित में से निम्बार्काचार्य का किससे संबंध है-
विशिष्टाद्वैतवाद
द्वैतवाद
द्वैताद्वैतवाद
निम्बार्काचार्य का संबंध द्वैताद्वैतवाद से है। इन्होंने अपनी रचना ‘वेदांत पारिजात सौरभ’ में द्वैताद्वैत सिद्वांत का प्रतिपादन किया। भक्ति के प्रचार के लिए इन्होंने द्वैताद्वैतवाद सिद्वांत पर आधारित ‘सनकादि-संप्रदाय’ की स्थापना किया जिसे हंस संप्रदाय, सनातन-संप्रदाय, देवर्षि संप्रदाय भी कहा जाता है।
शुद्धाद्वैतवाद
20. ‘श्रवाकाचार्य’ किसकी रचना है?
देवसेन
‘श्रवाकाचार्य’ देवसेन की रचना है। इसका रचनाकाल 933 ई. है और इसमें 250 दोहों में श्रावक-धर्म का प्रतिपादन किया गया है। डॉ. नगेन्द्र ने इसे हिंदी की प्रथम रचना माना है। नयचक्र, दर्शन सार, भाव संग्रह, आराधनासार, तत्वसार तथा सावय धम्म दोहा आदि देवसेन की अन्य रचनाएँ हैं।
बररुचि
लक्ष्मीधर
श्रीधर
21. ‘अष्टछाप’ की स्थापना करने वाले हैं-
वल्लभाचार्य
विट्ठलनाथ
विट्ठलनाथ ने ‘अष्टछाप’ की स्थापना 1565 ई. में किया था जिसमें 4 वल्लभाचार्य के और 4 विट्ठलनाथ के शिष्य थे।
कुंभनदास
छीत स्वामी
22. ‘कृष्ण गीतावली’ के रचयिता का नाम है-
सूरदास
तुलसीदास
‘कृष्ण गीतावली’ के रचयिता का नाम ‘तुलसीदास’ है। ब्रजभाषा में रचित यह ग्रंथ 61 छंदों का गीतकाव्य है। वेणीमाधव ने इसका रचनाकाल वर्ष 1569 ई. बताया है। रामकुमार वर्मा के अनुसार, ‘जिस प्रकार जानकी मंगल और पार्वती मंगल युग्म हैं, उसी प्रकार राम गीतावली और कृष्ण गीतावली।’ नाभादास ने तुलसीदास को ‘भक्तिकाल का सुमेरु’ तथा ‘कलिकाल का वाल्मीकि’ कहा है।
केशवदास
नाभादास
23. काशी नागरी प्रचारिणी की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
1895 ई.
1993 ई.
1893 ई.
काशी नागरी प्रचारिणी की स्थापना 9 जुलाई 1893 ई. काशी में हुई थी। इसके संस्थापकों में श्यामसुंदर दास, रामनारायण मिश्र तथा शिवकुमार सिंह थे और प्रथम अध्यक्ष बाबू राधाकृष्ण दास थे। इसकी स्थापना हिंदी भाषा और साहित्य तथा देवनागरी लिपि की उन्नति तथा प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से हुई थी। 11 मई 1896 ई. को नागरी प्रचारिणी पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ जिसके प्रथम संपादक वेणी प्रसाद थे। 24 वर्षों तक यह पत्रिका मासिक निकलती रही उसके बाद वर्ष 1920 ई. से त्रैमासिक निकलने लगी।
1757 ई.
24. ‘गोरखबानी’ ग्रंथ के संपादक हैं?
गोरखनाथ
पीतांबर दत्त बड़थ्वाल
‘गोरखबानी’ ग्रंथ के संपादक ‘पीतांबर दत्त बड़थ्वाल’ हैं। इन्होंने गोरखनाथ के 14 ग्रंथों को प्रमाणिक मानकर उसका संपादन गोरखबानी’ नाम से किया।
रामचंद्र शुक्ल
रामनरेश त्रिपाठी
25. निम्नलिखित कवियों में से किसने प्रेमाख्यान काव्य की रचना नहीं की है?
मुल्ला दाऊद
मलिक मोहम्मद जायसी
उसमान
अब्दुल कादिर
अब्दुल कादिर ने प्रेमाख्यान काव्य की रचना नहीं की है।
26. लोकमंगल की भावना के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं-
मलिक मोहम्मद जायसी
तुलसीदास
लोकमंगल की भावना के सर्वश्रेष्ठ कवि ‘तुलसीदास’ हैं। रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है, ‘तुलसीदास लोकमंगल के, सूरदास जीवनोत्सव के तथा जायसी प्रेम के पीर के कवि थे।’, जार्ज ग्रियर्सन, ‘बुद्धदेव के बाद भारत के सर्वाधिक बड़े लोकनायक तुलसीदास हैं।’ और हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार, ‘भारत वर्ष का लोकनायक वही हो सकता है, जो समन्वय करने का अपार धैर्य लेकर आया हो।’
उसमान
केशवदास
27. निम्न पंक्ति के रचयिता हैं?
“केशव कहि न जाय का कहिये।
देखत तव रचना विचित्र अति
समुझि मनहिं रहिए।”
तुलसीदास
उपर्युक्त पंक्ति के रचयिता तुलसीदास हैं।
रहीम
केशवदास
भारतेंदु हरिश्चंद्र
28. रामकथा उत्पत्ति और विकास के लेखक हैं-
राधाचरण गोस्वामी
रामकथा उत्पत्ति और विकास के लेखक ‘कामिल बुल्के’ हैं। कामिल बुल्के बेल्जियम के थे और भारत में एक मिशनरी के रूप में आये थे। इन्हें भारत सरकार द्वारा 1974 ई. में पदम् भूषण से सम्मानित किया गया।
कामिल बुल्के
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
डॉ. नगेंद्र
29. विनय पत्रिका किस भक्त काव्य परंपरा की रचना है?
कृष्ण भक्ति काव्य परंपरा
राम भक्ति काव्य परंपरा
विनय पत्रिका राम भक्ति काव्य परंपरा की रचना है। तुलसीदास की इस रचना की भाषा ब्रजभाषा है। 279 छंदों में रचित इस गीतिकाव्य में कलिकाल के विरुद्ध के विरुद्ध राम के दरबार में अर्जी प्रस्तुत की गई है।
निर्गुण काव्य परंपरा
शिवभक्त काव्य परंपरा
30. निम्नलिखित में से एक सही युग्म है-
रामानुजाचार्य- द्वैताद्वैतवाद
निंबार्काचार्य- विशिष्टाद्वैतवाद
माध्वाचार्य- अद्वैतवाद
वल्लभाचार्य- शुद्वाद्वैतवाद
सही युग्म- वल्लभाचार्य- शुद्वाद्वैतवाद, रामानुजाचार्य- विशिष्टाद्वैतवाद, निंबार्काचार्य- द्वैताद्वैतवाद, माध्वाचार्य- द्वैतवाद
31. ‘रीतिकाल की भूमिका’ पुस्तक के लेखक हैं?
आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
आचार्य नंददुलारे वाजपेई
डॉ. नगेंद्र
‘रीतिकाल की भूमिका’ पुस्तक के लेखक डॉ. नगेंद्र हैं। सुमित्रानंदन पंत, साकेत: एक अध्ययन, देव और उनकी कविता, रीतिकाव्य की भूमिका, हिंदी साहित्य की प्रवृतियाँ, शैली विज्ञान, आधुनिक हिंदी कविता की मुख्य प्रवृतियाँ, रस सिद्वांत, भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका, साहित्य का समाजशास्त्र आदि उनके अन्य आलोचनात्मक कृतियाँ हैं।
डॉ. गणपत चंद्रगुप्त
32. निम्नलिखित में से रीतिमुक्त काव्य धारा के कवि का नाम बताइए-
बिहारी
केशव
श्रीपति
घनानंद
रीतिमुक्त काव्य धारा के कवि घनानंद हैं। वहीं बिहारी रीतिसिद्ध और केशव व श्रीपति रीतिबद्ध कवि हैं।
33. निम्न पंक्तियाँ किसकी हैं?
एक थाल मोती से भरा। सबसे सिर पर औंधा धरा॥
चारों ओर वह थाली फिरे। मोती उससे एक न गिरे॥
विद्यापति
खुसरो
ये पंक्तियाँ ‘अमीर खुसरो’ की हैं। यह उनकी एक पहेली है।
कबीर
जायसी
34. निम्नलिखित कवियों में से किसे ‘प्रेम का पीर’ का कवि कहा गया है?
विद्यापति
खुसरो
रसखान
घनानंद
घनानंद को ‘प्रेम का पीर’ का कवि कहा गया है? रामचंद्र शुक्ल ने घनानंद के विषय में लिखा है- ‘प्रेम के पीर ही को लेकर इनकी वाणी का प्रादुर्भाव हुआ। प्रेममार्गी का ऐसा प्रवीण और धीर पथिक तथा जबाँदानी का ऐसा दावा रखने वाला ब्रजभाषा का दूसरा कवि नहीं हुआ।’
35. ‘अमिय हलाहल मद भरे स्वेत श्याम रतनार’ किस कवि की पंक्ति है?
बिहारी
केशवदास
रसलीन
‘अमिय हलाहल मद भरे स्वेत श्याम रतनार’ पंक्ति के लेखक ‘रसलीन’ हैं। यह पंक्ति ‘अंगदर्पण’ की है जिसमें 180 दोहे संकलित हैं।
मतिराम
36. निम्नलिखित में से कौन-सा रासो ‘आल्हखंड’ के नाम से प्रसिद्ध है?
पृथ्वीराज रासो
खुमान रासो
परमाल रासो
जगनिक कृत परमाल रासो ‘आल्हखंड’ के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें कालिंजर के राजा परमाल एवं उनके आश्रित दो सरदारों- आल्हा और ऊदल की वीरता का वर्णन है। हजारी प्रसाद द्विवेदी इसे पृथ्वीराज रासो की तरह अर्द्ध प्रमाणिक ग्रंथ मानते हैं।
बीसलदेव रासो
37. ‘जगद्विनोद’ की रचना किस कवि ने की है?
चिंतामणि
तोष
पद्माकर
‘जगद्विनोद’ की रचना रीतिकालीन कवि ‘पद्माकर’ ने की है। ऋतु वर्णन के लिए प्रसिद्ध कवि पद्माकर रीतिकाल में लक्षण ग्रंथ लिखने वाले अंतिम प्रसिद्ध कवि हुए।
रसलीन
38. ‘काव्यविवेक’ के रचनाकार हैं?
देव
मतिराम
चिंतामणि
‘काव्यविवेक’ के रचनाकार ‘चिंतामणि’ हैं। रामचंद्र शुक्ल के अनुसार- ‘हिंदी रीति-ग्रंथों की परम्परा चिंतामणि त्रिपाठी से चली। अंत: रीतिकाल का आरम्भ उन्हीं से मानना चाहिए।’
केशव
39. ‘फागु की भीड़ अभीरन में गोविंद लै गयी भीतर गोरी।’ -इसके रचनाकार हैं-
बिहारी
केशव
पद्माकर
उपरोक्त पंक्ति के रचनाकार रीतिकालीन कवि पद्माकर हैं।
भिखारी
40. ‘कामायनी’ को ‘छायावाद’ का उपनिषद् किसने कहा है?
डॉ. नगेंद्र
गजानन माधव मुक्तिबोध
इंद्रनाथ मदान
शांतिप्रिय दिवेदी
‘कामायनी’ को छायावाद का उपनिषद् शांतिप्रिय दिवेदी ने कहा है। डॉ. नगेंद्र के लिए ‘कामायनी मानव चेतना के विकास का महाकाव्य है’; मुक्तिबोध के लिए ‘कामायनी एक फैंटेसी है’; इंद्रनाथ मदान के लिए ‘कामायनी एक असफल कृति है’; रामचंद्र शुक्ल के लिए ‘कामायनी मानवता का रसात्मक इतिहास है’ तथा नंददुलारे वाजपेयी के लिए ‘कामायनी नये युग का काव्य है।’
41. ‘नीलम देश की राजकन्या’ किस विधा की रचना है?
उपन्यास
कहानी
‘नीलम देश की राजकन्या’ कहानी विधा की रचना है जिसके लेखक जैनेंद्र हैं। इनकी पहली कहानी ‘खेल’ (1928 ई.) विशाल भारत में प्रकाशित हुई थी। परन्तु जैनेंद्र ‘फोटोग्राफी’ को अपनी प्रथम कहानी मानते हैं। जैनेंद्र की कहानियों के माध्यम से पहली बार हिंदी साहित्य में ‘व्यक्ति’ को महत्व मिला।
एकांकी
आत्मकथा
42. ‘तारसप्तक’ काव्य संग्रह का प्रकाशन कब हुआ?
सन् 1939 ई.
सन् 1940 ई.
सन् 1942 ई.
सन् 1943 ई.
‘तारसप्तक’ काव्य संग्रह का प्रकाशन सन् 1943 ई. में हुआ जिसके संपादक अज्ञेय थे। इस संग्रह में 7 कवियों की कविताएँ संग्रहीत हैं।
43. ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिंदी नवजागरण’ के लेखक हैं?
नामवर सिंह
मैनेजर पांडे
केदारनाथ सिंह
रामविलास शर्मा
‘महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिंदी नवजागरण’ के लेखक ‘रामविलास शर्मा’ हैं। प्रगति और परम्परा, प्रेमचंद और उनका युग, प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ, भाषा और समाज, नयी कविता और अस्तित्ववाद आदि उनके अन्य आलोचनात्मक ग्रंथ हैं।
44. निम्नलिखित रचनाओं में से ‘दिनकर’ को किस रचना पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ?
हुंकार
रेणुका
सामधेनी
उर्वशी
‘दिनकर’ को उर्वशी रचना पर 1972 ई. में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। उर्वशी को दिनकर ने ‘कामाध्यात्म’ कहा है। इस गीतिनाट्य में पुरुरवा और उर्वशी की कथा है।
45. किस कवि की कृति को छायावाद का घोषणा पत्र कहा गया है?
सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत की रचना ‘पल्लव की भूमिका’ को छायावाद का घोषणा पत्र कहा गया है। क्योंकि इसी में सर्वप्रथम छायावाद के बहिरंग की परीक्षा हुई।
जयशंकर प्रसाद
डॉ. ओम प्रकाश सिंह तथा डॉ. विश्वनाथ तिवारी
डॉ. ललित शुक्ल तथा डॉ. विनोद तिवारी
46. ‘नवगीत दशक’ के संपादक हैं-
रामदरश मिश्र
शंभूनाथ सिंह
‘नवगीत दशक’ के संपादक शंभूनाथ सिंह हैं। रूपरश्मि, माताभूमि, छायालोक, उदयांचल, दिवालोक, जहाँ दर्द नीला है, वक्त की मीनार पर आदि उनके गीत संग्रह हैं।
उमाकांत मालवीय
सोम ठाकुर
47. ‘सैरन्ध्री’ के रचनाकार हैं-
सियारामशरण गुप्त
मैथिलीशरण गुप्त
‘सैरन्ध्री’ (1926 ई.) के रचनाकार मैथिलीशरण गुप्त हैं। यह महाभारत के आख्यान पर आधारित रचना है जिसमें आज्ञातवास के समय सैरन्ध्री छद्मनाम धारण कर द्रोपदी एवं कीचक की की कथा का वर्णन है। इसका अंगी रस करुण है।
माखनलाल चतुर्वेदी
नरेश वर्मा
48. ‘हिमकिरीटिनी’ के रचयिता हैं-
माखनलाल चतुर्वेदी
‘हिमकिरीटिनी’ (1943 ई.) के रचयिता ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ हैं। हिमतरंगिनी, माता, समर्पण आदि उनकी अन्य रचनाएँ तथा पुष्प की अभिलाषा व कैदी और कोकिला प्रसिद्ध कविताएँ हैं।
भवानी शंकर मिश्र
नरेंद्र शर्मा
मैथिलीशरण गुप्त
49. प्रयोगवाद के प्रवर्तक का नाम लिखिए-
रामधारी सिंह दिनकर
अज्ञेय
प्रयोगवाद के प्रवर्तक का नाम अज्ञेय है। प्रयोगवाद का आरम्भ वर्ष 1943 ई. में अज्ञेय के संपादकत्व में प्रकाशित ‘तारसप्तक’ से माना जाता है। प्रयोगवाद शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम नंददुलारे वाजपेयी ने ‘प्रयोगवादी रचनाएँ’ शीर्षक निबंध में किया था। नंददुलारे वाजपेयी के लिए ‘प्रयोगवाद बैठे ठाले का धंधा है’; नगेंद्र के लिए ‘प्रयोगवाद शैलीगत विद्रोह है’; केशरी कुमार के लिए ‘प्रयोगवाद दृष्टिकोण का अनुसंधान है’; रघुवीर सहाय के लिए ‘प्रयोगवाद कलात्मक अनुभव का क्षण है’ और रामस्वरूप चतुर्वेदी के लिए ‘समाज के हित में जैसी क्रांति का सतत प्रक्रिया काव्य है, वैसे ही रचना के हित में प्रयोग की’ है।
धूमिल
त्रिलोचन शास्त्री
50. इनमें से साठोत्तरी कवि कौन है?
जयशंकर प्रसाद
हरिऔध
आलोक धन्वा
आलोक धन्वा साठोत्तरी कवि हैं। दुनिया रोज बनती है, जनता का आदमी, गोली दागो पोस्टर, कपड़े के जूते आदि उनकी रचनाएँ हैं।
शांतिप्रिय द्विवेदी
51. निम्नलिखित कवियों में से भारतेंदु युगीन कौन है?
वंशीधर शुक्ल
बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन
बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन भारतेंदु युगीन कवि हैं। भारतेंदु मंडल के कवि प्रेमघन भी थे।
माखनलाल चतुर्वेदी
सोहनलाल द्विवेदी
52. प्रसाद की गीत कला का उत्कृष्ट रूप उनके किस संकलन में दिखाई देता है?
झरना
आँसू
तरंग
लहर
प्रसाद की गीत कला का उत्कृष्ट रूप उनके ‘लहर’ संकलन में दिखाई देता है।
53. ‘अज्ञेय’ ने कुल कितने सप्तकों का प्रकाशन किया?
पाँच
चार
‘अज्ञेय’ ने कुल चार सप्तकों का प्रकाशन किया- तारसप्तक- 1943 ई., दूसरा सप्तक- 1951 ई., तीसरा सप्तक- 1959 ई., चौथा सप्तक- 1979 ई.।
तीन
दो
54. कौन मिश्रबंधुओं में नहीं है?
गणेशबिहारी मिश्र
श्यामबिहारी मिश्र
कृष्णबिहारी मिश्र
कृष्णबिहारी मिश्र मिश्रबंधुओं में नहीं हैं। मिश्रबंधुओं में गणेशबिहारी मिश्र, श्यामबिहारी मिश्र और सुकदेवबिहारी मिश्र आते हैं। मिश्रबंधुओं ने ‘मिश्रबंधु विनोद’ नामक इतिहास ग्रंथ लिखा जो 4 भागों में विभक्त है। जिसके प्रथम तीन भाग का प्रकाशन वर्ष 1913 ई. में तथा चौथे भाग का 1934 ई. में प्रकाशन हुआ। इस ग्रंथ में 4591 कवियों का जीवनवृत्त वर्णित है।
सुकदेवबिहारी मिश्र
55. ‘ठलुआ क्लब’ किसकी रचना है?
रामवृक्ष बेनीपुरी
रामधारी सिंह दिनकर
श्रीलाल शुक्ल
बाबू गुलाब राय
‘ठलुआ क्लब’ बाबू गुलाब राय की रचना है। फिर निराशा क्यों, मेरी असफलताएँ, कुछ उथले कुछ गहरे आदि उनके अन्य निबंध हैं।
56. कोलकाता में स्थापित फोर्ट विलियम कॉलेज के संस्थापक का नाम है-
वारेन हेस्टिग
जॉन गिलक्राइस्ट
कोलकाता में स्थापित फोर्ट विलियम कॉलेज के संस्थापक ‘जॉन गिलक्राइस्ट’ हैं। इसकी स्थापना 1800 ई. में कोलकाता में हुआ था जिसके प्रथम अध्यक्ष जॉन गिलक्राइस्ट थे। उन्होंने 2 भारतीयों- लल्लू लाल (भाषा मुंशी) और सदल मिश्र (भाषा अधिकारी) की नियुक्ति किया था।
लल्लू लाल
रवींद्र नाथ टैगोर
57. घनानंद को ‘साक्षात् रसमूर्ति’ किसने माना है?
लाला भगवानदीन
आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
घनानंद को ‘साक्षात् रसमूर्ति’ आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने माना है। उन्होंने लिखा है कि, ‘ये साक्षात् रसमूर्ति और ब्रजभाषा काव्य में मौन मादी पुकार हैं।’ वहीं दिनकर के अनुसार- ‘विरह तो घनानंद के काव्य की पूँजी है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
58. ‘ग्यारह वर्ष का समय’ कहानी के लेखक हैं?
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
‘ग्यारह वर्ष का समय’ (1903 ई.) कहानी के लेखक ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ हैं। लक्ष्मीनारायण लाल ने शिल्प विधि की दृष्टि से आचार्य शुक्ल के इस कहानी को हिंदी की प्रथम कहानी माना है। वहीं स्वयं शुक्ल जी किशोरीलाल गोस्वामी की कहानी ‘इंदुमती’ (1900 ई.) को हिंदी की प्रथम कहानी मानते हैं।
चंद्र शर्मा गुलेरी
महावीर प्रसाद द्विवेदी
भारतेंदु हरिश्चंद्र
59. निम्नलिखित में से वृंदावनलाल वर्मा की रचना कौन है?
गढ़ कुंडार
‘गढ़ कुंडार’ वृंदावनलाल वर्मा की रचना है। यह उनका ऐतिहासिक उपन्यास है जिसका प्रकाशन 1928 ई. में हुआ था। वर्मा जी को हिंदी में ‘सर वाल्टर स्काट’ की उपाधि दी जाती है।
साहित्य सहचर
वरुण के बेटे
सुनीता
60. ‘मारेसि मोहि कुठाँव’ के लेखक हैं-
बालकृष्ण भट्ट
चंद्रधर शर्मा गुलेरी
‘मारेसि मोहि कुठाँव’ निबंध के लेखक ‘चंद्रधर शर्मा गुलेरी’ हैं। उनका दूसरा प्रसिद्ध निबंध ‘कछुआ धर्म’ है।
उदय शंकर भट्ट
रामवृक्ष बेनीपुरी
इसे भी देख्ने-
UP GDC Hindi Question Papers 2008
UP GDC Hindi Question Papers 2012
UP GDC Hindi Question Papers 2017

61. भारतेंद्र समग्र के संपादक हैं-
जगन्नाथप्रसाद शर्मा
हरिवंशराय शर्मा
हेमंत शर्मा
भारतेंद्र समग्र के संपादक ‘हेमंत शर्मा’ हैं।
शंकरदेव विद्यालंकार
62. चिंतामणि भाग- 4 के संपादक हैं?
कुसुम चतुर्वेदी तथा डॉ. ओम प्रकाश सिंह
चिंतामणि भाग- 4 के संपादक ‘कुसुम चतुर्वेदी तथा डॉ. ओम प्रकाश सिंह’ हैं। इस निबंध संग्रह में 1902 से 1939 तक के कुल 47 निबंध संकलित हैं। वहीं चिंतामणि भाग- 1 का सं. रामचंद्र शुक्ल ने 1939 ई. में; चिंतामणि भाग- 2 का सं. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने 1945 ई. में तथा चिंतामणि भाग- 3 का सं. नामवर सिंह ने 1983 ई. में किया
कुसुम चतुर्वेदी तथा डॉ. विश्वनाथ तिवारी
डॉ. ओम प्रकाश सिंह तथा डॉ. विश्वनाथ तिवारी
डॉ. ललित शुक्ल तथा डॉ. विनोद तिवारी
63. ‘रश्मिलोक’ के रचयिता हैं-
माखनलाल चतुर्वेदी
नागार्जुन
रामधारी सिंह दिनकर
‘रश्मिलोक’ के रचयिता रामधारी सिंह दिनकर हैं। दिनकर को ‘अधैर्य का कवि’ और ‘समय सूर्य’ कहा जाता है।
हरिवंशराय बच्चन
64. अज्ञेय द्वारा संपादित चार तारसप्तकों में तीन कवियित्रियाँ भी संकलित हैं-
शकुंतला माथुर, कीर्ति चौधरी, सुमन राजे
शकुंतला माथुर कीर्ति चौधरी, सुमन राजे
शकुन्त माथुर, कीर्ति चौधरी, सुमन राजे
अज्ञेय द्वारा संपादित चार तारसप्तकों में तीन कवियित्रियाँ- शकुन्त माथुर, कीर्ति चौधरी, सुमन राजे भी संकलित हैं। शकुन्त माथुर दूसरे सप्तक में, कीर्ति चौधरी तीसरे सप्तक में और सुमन राजे चौथे सप्तक में संकलित हैं।
शकुन्त माथुर, कीर्ति चौधरी, होमवती देवी
65. इनमें से पुरानी कहानी कौन है?
रानी केतकी की कहानी
इनमें से सबसे पुरानी कहानी ‘रानी केतकी की कहानी’ है। इस कहानी को ‘उदयभान चरित नाम से भी जाना जाता है। जिसके लेखक इंशा अल्ला खाँ हैं।
टोकरी भर मिट्टी
दुलाईवाली
ग्यारह वर्ष का समय
66. आधुनिक काल को ‘गद्यकाल’ नाम किसने दिया है?
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
आधुनिक काल को ‘गद्यकाल’ नाम ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ ने दिया है। वहीं हजारी प्रसाद द्विवेदी, गणपतिचंद्र गुप्त और रामकुमार वर्मा ने ‘आधुनिक काल’; महावीर प्रसाद द्विवेदी ने ‘पुनर्जागरण’; मिश्रबंधु ने- ‘परिवर्तन युग’ तथा राहुल सांकृत्यायन ने ‘नवजागरण काल’ नाम दिया है।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
डॉ. रामकुमार वर्मा
डॉ. गणपतिचंद्र गुप्त
67. ‘रानी केतकी की कहानी’ के लेखक हैं-
रामप्रसाद निरंजनी
लल्लू लाल
सदल मिश्र
इंशा अल्ला खाँ
‘रानी केतकी की कहानी’ के लेखक इंशा अल्ला खाँ हैं। इस कहानी को ‘उदयभान चरित’ नाम से भी जाना जाता है।
68. ‘कामायनी’ किसकी पुत्री थी?
श्रद्धा
मनु
काम
‘कामायनी’ किसकी पुत्री थी। जयशंकर प्रसाद के कामायनी महाकाव्य की प्रमुख पात्र श्रद्धा काम की पुत्री थी, जिसके कारण उसे कामायनी भी कहा जाता है।
इड़ा
69. शोषक वर्ग के प्रति घृणा का भाव किस युग की कविता की मुख्य प्रवृत्ति रही है?
छायावादी
प्रगतिवादी
शोषक वर्ग के प्रति घृणा का भाव प्रगतिवादी युग की कविता की मुख्य प्रवृत्ति रही है। प्रगतिवाद का सैद्धांतिक आधार कार्ल मार्क्स का द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद है। राजनीतिक क्षेत्र में जो समाजवाद या साम्यवाद है, साहित्य के क्षेत्र में वही प्रगतिवाद है।
प्रयोगवादी
उत्तर आधुनिकतावादी
70. निम्नलिखित में से कौन-सी विशेषता नई कविता की नहीं है?
क्षणवादिता
बौद्धिकता
अतिशय वैयक्तिकता
मार्क्सवादी दर्शन
मार्क्सवादी दर्शन नई कविता की विशेषता नहीं है। यह प्रगतिवाद की विशेषता है। अन्य सभी नयी कविता की विशेषता हैं।
71. ‘जानकी मंगल’ नाटक के लेखक हैं-
शीतला प्रसाद त्रिपाठी
‘जानकी मंगल’ नाटक के लेखक ‘शीतला प्रसाद त्रिपाठी’ हैं। आधुनिक हिंदी का पहला अभिनीत नाटक शीतला प्रसाद त्रिपाठी का जानकी मंगल नाटक है। इसे 1868 ई. में काशी में खेला गया जिसमें लक्ष्मण का अभिनय भारतेंदु हरिश्चंद्र ने किया था।
भारतेंदु हरिश्चंद्र
प्रताप नारायण मिश्र
बालकृष्ण भट्ट
72. भुनेश्वर निम्नलिखित में से किसके लिए प्रसिद्ध हैं?
ऐतिहासिक नाटक
समस्या नाटक
सामाजिक नाटक
असंगत नाटक
भुनेश्वर निम्नलिखित में से ‘असंगत नाटक’ के लिए प्रसिद्ध हैं। हिंदी में असंगत (विसंगति) नाटकों की शुरूआत भुवनेश्वर के लघु नाटक ‘ऊसर’ (1938 ई.) से माना जाता है। वहीं डॉ. गिरीश रस्तोगी एवं डॉ. मदान ने हिंदी में विसंगति नाटकों की शुरुवात भुवनेश्वर के नाटक ‘ताँबें के कीड़े’ (1946 ई.) से माना है। हिंदी के विसंगति नाटकों पर सर्वाधिक प्रभाव एब्सर्ड नाटककार सैमुअल ब्रेक्त के बेटिंग फॉर गोदो और एडगेम नाटक का पड़ा है।
73. निम्नलिखित में से कौन पारसी नाटककार नहीं है?
आगाहशु काश्मीरी
राधेश्याम कथावाचक
विपिनकुमार अग्रवाल
विपिनकुमार अग्रवाल पारसी नाटककार नहीं हैं, अन्य तीनों पारसी नाटककार हैं। विपिनकुमार अग्रवाल ने तीन एब्सर्ड नाटक- तीन अपाहिज, लोटन और खोए हुए की तलास लिखा है।
नारायणप्रसाद ‘बेताब’
74. ‘औरंगजेब की आखिरी रात’ के रचनाकार हैं?
रामकुमार वर्मा
‘औरंगजेब की आखिरी रात’ के रचनाकार रामकुमार वर्मा हैं। कौमिदी महोत्सव, विजय पर्व आदि उनके अन्य नाटक हैं।
लक्ष्मीनारायण लाल
लक्ष्मीनारायण मिश्र
शंकर शेष
75. ‘इंदरसभा’ के लेखक हैं-
आगाहशु ‘कश्मीरी’
अमानत
‘इंदरसभा’ के लेखक अमानत हैं। अमानत कृत इंदरसभा का प्रकाशन 1853 ई. में हुआ था। यह एक गीतिनाट्य (आपेरा) है जिसकी भाषा ब्रजभाषा है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र
प्रतापनारायण मिश्र
76. ‘हिंदी नाटक उद्भव और विकास’ के लेखक हैं?
डॉ. दशरथ ओझा
‘हिंदी नाटक उद्भव और विकास’ के लेखक डॉ. दशरथ ओझा हैं।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
राजेंद्र अवस्थी
इनमें से कोई नहीं
77. ‘तिलचट्टे’ के नाटककार हैं?
विपिन कुमार अग्रवाल
भुवनेश्वर
मुद्राराक्षस
‘तिलचट्टे’ के नाटककार मुद्राराक्षस हैं। योर्सफेथफुली, मरजीवा, तेंदुआ, प्रथम प्रस्तुति, आला अफसर, संतोला आदि उनके अन्य नाटक हैं।
लक्ष्मी नारायण लाल
78. भिखारी ठाकुर का ‘बिदेशिया’ है-
लोकगीत
लोककथा
लोकगाथा
लोकनाटक
भिखारी ठाकुर का ‘बिदेशिया’ लोकनाटक है। भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता हैं। भाई विरोध, कलयुग प्रेम, गबर घिचोर, गंगा स्नान, विधवा विलाप, पुत्रवध, ननद-भौजाई, राधेश्याम बहार आदि उनके अन्य लोकनाटक हैं।
79. साहित्य की किस विधा में रंग निर्देशन होता है?
कविता
कहानी
नाटक
साहित्य की ‘नाटक’ विधा में रंग निर्देशन होता है।
उपन्यास
80. ‘अतिरंजना’ किस नाट्य परम्परा की प्रमुख प्रवृत्ति रही है?
ऐतिहासिक नाटक
सामाजिक नाटक
समस्या नाटक
पारसी नाटक
‘अतिरंजना’ पारसी नाट्य परम्परा की प्रमुख प्रवृत्ति रही है। नारायण प्रसाद ‘बेताब’, आगा हश्र काश्मीरी, राधेश्याम ‘कथावाचक’, तुलसीदास शैदा प्रमुख पारसी नाटककार हैं।
81. मोहन राकेश के किस नाटक में ‘विलोम’ नामक पात्र है?
आषाढ़ का एक दिन
मोहन राकेश के नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ में ‘विलोम’ नामक पात्र है। कालिदास, मातुल, देतुल, अंबिका, मल्लिका आदि इसके अन्य पात्र है।
लहरों का राज हंस
आधे-अधूरे
पैर तले जमीन
82. ‘रूठी रानी’ उपन्यास के लेखक हैं?
प्रेमचंद
‘रूठी रानी’ उपन्यास के लेखक प्रेमचंद हैं। प्रेमचंद ने इस उपन्यास की रचना वर्ष 1907 ई. में की थी।
अंबिकादत्त व्यास
प्रताप नारायण मिश्र
भगवती चरण वर्मा
83. ‘उदंत मार्तंड’ समाचार पत्र के संपादक थे-
प्रताप नारायण मिश्र
भारतेंदु हरिश्चंद्र
जुगल किशोर शुक्ल
‘उदंत मार्तंड’ समाचार पत्र के संपादक ‘जुगल किशोर शुक्ल’ थे। हिंदी की यह प्रथम पत्रिका है जो 30 मई 1826 ई. में कोलकाता से प्रकाशित हुई थी। इसी को आधार बनाकर 30 मई को ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ मनाया जाता है।
बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’
84. उदंत मार्तंड का प्रकाशन किस तिथि से हुआ?
30 मई 1924 ई.
30 मई 1925 ई.
30 मई 1926 ई.
उदंत मार्तंड का प्रकाशन 30 मई 1826 ई. से हुआ। यह एक साप्ताहिक पत्रिका थी। जिसमें खड़ी बोली को ‘मध्यदेशीय भाषा’ कहा गया है।
30 मई 1827 ई.
85. भाषा की यह परिभाषा किसकी है?
“जिन ध्वनि चिन्हों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय करता है, उसको समष्टि रूप में भाषा कहते हैं।”
आचार्य देवेंद्र नाथ शर्मा
डॉ. मंगल देव शास्त्री
डॉ. बाबूराम सक्सेना
भाषा की यह परिभाषा डॉ. बाबूराम सक्सेना की है।
डॉ. श्यामसुंदर दास
86. ‘ण’ व्यंजन है-
तालव्य
मूर्धन्य
‘ण’ मूर्धन्य व्यंजन है।
दंत्य
दंत्योष्ठ्य
87. ‘आ’ स्वर है-
विवृत
‘आ’ विवृत स्वर है। जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार पूरा खुलता है उन्हें विवृत स्वर कहते हैं।
अर्द्धविवृत
संवृत
अर्द्धसंवृत
88. अक्षर अथवा अक्षरों से निर्मित सार्थक एवं स्वतंत्र ध्वनि अथवा ध्वनिसमूह को कहते हैं?
वर्णमाला
लिपि
शब्द
अक्षर अथवा अक्षरों से निर्मित सार्थक एवं स्वतंत्र ध्वनि अथवा ध्वनिसमूह को शब्द कहते हैं। वहीं ‘वर्णों के क्रमबद्ध व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं।’; ‘ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उसे लिपि कहते हैं।’ तथा ‘दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं’।
वाक्य
89. जिस वाक्य से किसी के होने का बोध हो, उसे कहते हैं-
विधिवाचक वाक्य
जिस वाक्य से किसी के होने का बोध हो, उसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे- मैंने पानी पिया।
निषेधात्मक वाक्य
आज्ञावाचक वाक्य
इच्छावाचक वाक्य
90. राजभाषा आयोग के गठन का वर्ष है-
सन् 1950
सन् 1955
राजभाषा आयोग के गठन सन् 1955 ई. में हुआ था, जिसके अध्यक्ष बाल गंगाधर (B.G.) खेर थे। इस आयोग में कुल 21 सदस्य थे। राजभाषा आयोग ने अपना प्रतिवेदन 1956 ई. में दिया जो संसद के समक्ष 1957 ई. में रखा गया।
सन् 1956
सन् 1960

91. ‘सर्कुलर’ का हिंदी शब्द है-
कार्यालय आदेश
परिपत्र
‘सर्कुलर’ का हिंदी शब्द ‘परिपत्र’ है। जब कोई सरकारी पत्र, कार्यालय ज्ञापन या ज्ञापन एक साथ अनेक प्रेषितों को भेजा जा रहा हो, तब उसे ‘परिपत्र’ कहते हैं।
आख्या
अनुस्मारक
92. ‘रिपोर्ताज’ किस भाषा का शब्द है?
अंग्रेजी
पालि-प्राकृत
फ्रांसीसी
‘रिपोर्ताज’ फ्रांसीसी भाषा का शब्द है। रूसी साहित्यकार इलिया एहरेनवर्ग को रिपोर्ताज का जनक माना जाता है। वहीं हिंदी में रिपोर्ताज के जनक शिवदान सिंह चौहान को माना जाता है।
हिंदी
93. क्षेत्र विशेष में बोली जाने वाली भाषा को कहते हैं-
राष्ट्रभाषा
राजभाषा
परिनिष्ठित भाषा
बोली
क्षेत्र विशेष में बोली जाने वाली भाषा को ‘बोली’ कहते हैं; जैसे मेवाती, छत्तीसगढ़ी, बघेली, भोपुरी, अवधी आदि।
94. ‘बाबूराम विष्णु पराड़कर’ किस दैनिक के संपादक थे?
विश्वमित्र
सन्मार्ग
आज
बाबूराम विष्णु पराड़कर ‘आज’ दैनिक पत्र के संपादक थे जो वर्ष 1920 ई. से वाराणसी से प्रकाशित होता था।
गांधी
95. ‘मुझसे उठा नहीं गया’ वाक्य में कौन-सा वाच्य है?
कर्तृवाच्य
कर्मवाच्य
भाववाच्य
‘मुझसे उठा नहीं गया’ वाक्य में कौन-सा भाव वाच्य है। क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि वाक्य में कर्ता या कर्म के बजाय भाव की प्रधानता है, उसे भाववाच्य कहते हैं।
इनमें से कोई नहीं
96. ‘ज्ञापन’ के लिए अंग्रेजी शब्द है-
Memorialist
Methodology
Memo
‘ज्ञापन’ के लिए अंग्रेजी शब्द ‘Memo’ है। वहीं प्रार्थना पत्र लिखने वाला’ का अंग्रेजी शब्द Memorialist, ‘कार्यप्रणाली’ अंग्रेजी शब्द Methodology, तथा ‘उपयुक्त’ अंग्रेजी शब्द Applicable है।
Applicable
97. ‘अवैतनिक’ के लिए अंग्रेजी शब्द है-
Honoraium
Honorary
‘अवैतनिक’ के लिए अंग्रेजी शब्द Honorary है। वहीं ‘अनुदान’ के लिए अंग्रेजी शब्द Grant और ‘मानदेय’ के लिए अंग्रेजी शब्द Honoraium है।
Grant
इनमें से कोई नहीं
98. उच्चारण के आधार पर ‘अ’ है-
ओष्ठ्य
मूर्धन्य
तालव्य
कंठ्य
उच्चारण के आधार पर ‘अ’ कंठ्य है।
99. Agenda के लिए हिंदी शब्द है-
निविदा
कार्य
कार्यसूची
Agenda के लिए हिंदी शब्द ‘कार्यसूची’ है। वहीं Tender के लिए हिंदी शब्द ‘निविदा’, Work के लिए हिंदी शब्द ‘कार्य’ तथा Adhoc के लिए हिंदी शब्द ‘तदर्थ’ होता है।
तदर्थ
100. राजस्थानी भाषा का उद्भव जिस क्षेत्रीय अपभ्रंश से हुआ उसका नाम है-
मगधी अपभ्रंश
शौरसेनी अपभ्रंश
राजस्थानी भाषा का उद्भव जिस क्षेत्रीय अपभ्रंश से हुआ उसका नाम ‘शौरसेनी अपभ्रंश’ है। इसी अपभ्रंश से पश्चिमी हिंदी, पहाड़ी और गुजराती भाषा का उद्भव भी हुआ।
महाराष्ट्री अपभ्रंश
ब्राचड़ अपभ्रंश
101. भरत के अनुसार रसों की संख्या है?
11
10
9
8
भरत के अनुसार रसों की संख्या 8 है। श्रृंगार, हास्य, करूण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स और अद्भुत रस को भरत ने नाट्यशास्त्र में उल्लेख किया है।
102. निम्नलिखित में से कौन संचारीभाव नहीं है-
स्वरभंग
‘स्वरभंग’ संचारीभाव नहीं है, यह अनुभाव है। वहीं अन्य विकल्प संचारीभाव के भेद हैं। संचारीभावों की संख्या 33 मानी जाती है।
अवहित्था
उन्माद
ब्याधि
103. ‘वाक्यं रसात्मकं काव्यम्’ किसका सूत्र है?
आनंदवर्धन
मम्मट
जगन्नाथ
विश्वनाथ
‘वाक्यं रसात्मकं काव्यम्’ सूत्र आचार्य विश्वनाथ का है। इनके ग्रंथ का नाम ‘साहित्य दर्पण’ है।
104. काव्य में कल्पना सिद्धांत के प्रतिपादक थे?
प्लेटो
अरस्तु
कॉलरिज
टी.एस. इलियट
काव्य में कल्पना सिद्धांत के प्रतिपादक टी.एस. इलियट थे। इनके अनुसार काव्य-सर्जना का मूलाधार कल्पना है।
105. किस आलोचक ने आलोचना को मनोविज्ञान की शाखा कहा है?
प्लेटो
अरस्तु
लौंजाइनस
रिचर्ड्स
रिचर्ड्स ने आलोचना को मनोविज्ञान की शाखा कहा है। उन्होंने जीवनानुभूति और काव्यानुभूति को एक माना है। रिचर्ड्स के अनुसार संप्रेषण ही आलोचना का चरम लक्ष्य है।
106. भट्टनायक का ‘भुक्तिवाद’ किस दर्शन पर आधारित है?
मीमांसादर्शन
शैवदर्शन
न्यायदर्शन
सांख्यदर्शन
भट्टनायक का भुक्तिवाद ‘सांख्यदर्शन’ दर्शन पर आधारित है।
107. ‘दशरूपक’ किस प्रकार का ग्रंथ है?
भाषाविज्ञान संबंधी
इतिहास संबंधी
नाट्य संबंधी
‘दशरूपक’ नाट्य संबंधी ग्रंथ है जिसके लेखक धनंजय हैं। ध्वनि विरोधी आचार्य धनंजय के दशरूपक में चार प्रकाश तथा 300 कारिकाएँ हैं। इनके अनुज ‘धनिक’ ने दशरूपक की टीका ‘अवलोक’ नाम से लिखा है।
काव्य संबंधी
108. आलंबन और उद्दीपन विभावों के कारण उत्पन्न भावों को बाहर प्रकाशित करने वाले कार्य कहलाते हैं-
विभाव
अनुभाव
आलंबन और उद्दीपन विभावों के कारण उत्पन्न भावों को बाहर प्रकाशित करने वाले कार्य ‘अनुभाव’ कहलाते हैं। अनुभाव चार प्रकार के होते हैं- कायिक, सात्विक (मानसिक), वाचिक, आहार्या।
संचारीभाव
स्थायीभाव
109. वीर रस का स्थाई भाव है-
क्रोध
शोक
उत्साह
वीर रस का स्थाई भाव उत्साह है। वहीं रौद्र रस का ‘क्रोध’, करूण रस का ‘शोक’ और वीभत्स रस का स्थायीभाव ‘जुगुप्सा’ होता है।
जुगुप्सा
110. जहाँ एक व्यंजन की आवृत एक या अनेक बार हो, वहाँ होता है-
छेकानुप्रास अलंकार
वृत्यनुप्रास अलंकार
जहाँ एक व्यंजन की आवृत एक या अनेक बार हो, वहाँ ‘वृत्यनुप्रास अलंकार’ होता है; जैसे- ‘कंकन किंकिन नूपुर धुनी सुनी। कहत लखत सन राम ह्रदय गुनी॥’
लाटानुप्रास अलंकार
यमक अलंकार
111. जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना की जाए वहाँ होता है-
उपमा अलंकार
रूपक अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार
जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना की जाए वहाँ ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ होता है।
अतिश्योक्ति अलंकार
112. निम्नलिखित में से कौन विशेषता लोक साहित्य में नहीं होती?
इसमें शास्त्रीयता होती है
शास्त्रीयता लोक साहित्य की विशेषता नहीं है। अन्य सभी विकल्प लोक साहित्य की विशेषता बतलाते हैं।
यह मौखिक होता है
यह परंपरा में प्रचलित रहता है
इसमें सहायता और स्वाभाविकता होती है
113. इसमें अलंकार है?
‘एक म्यान में दो तलवारें कभी नहीं रह सकती हैं।
किसी और पर प्रेम नारियाँ पति का, क्या सह सकती हैं?’
विरोधाभास
अतिश्योक्ति
दृष्टान्त
उपर्युक्त पंक्तियों में दृष्टांत अलंकार है।
व्यक्तिरेक
114. साहित्य में दलित रचनाकारों का पहला बड़ा और कारगर हस्तक्षेप किस भाषा में हुआ?
हिंदी
मराठी
साहित्य में दलित रचनाकारों का पहला बड़ा और कारगर हस्तक्षेप मराठी भाषा में हुआ।
गुजराती
राजस्थानी
115. दलित विमर्श पर आधारित कृति ‘जूठन’ किस लेखक की आत्मकथा है?
मोहनदास नैमिशराय
ओमप्रकाश बाल्मीकि
दलित विमर्श पर आधारित कृति ‘जूठन’ ओमप्रकाश बाल्मीकि की आत्मकथा है।
सूरजपाल चौहान
कौशल्या बैसंती
116. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘शब्दसागर’ में लिखित किस शीर्षक लेख को परिवर्तित तथा परिमार्जित कर ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ लिखा?
हिंदी साहित्य की भूमिका
हिंदी साहित्य का इतिहास
हिंदी साहित्य का विवेचन
हिंदी साहित्य का विकास
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘शब्दसागर’ में लिखित ‘हिंदी साहित्य का विकास’ शीर्षक लेख को परिवर्तित तथा परिमार्जित कर ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ 1929 ई. में लिखा।
117. निम्नलिखित कृतियों में से कौन उपेंद्रनाथ अश्क द्वारा रचित नहीं है?
शतरंज के मोहरे
शतरंज के मोहरे उपन्यास अमृतलाल नागर द्वारा रचित है। अन्य तीनों उपेंद्रनाथ अश्क के उपन्यास हैं।
सितारों का खेल
गर्म राख
शहर में घूमता है
118. ‘थियरी ऑफ इस्थेटिक’ किस समालोचक की रचना है?
अरस्तु
कॉलरिज
क्रोचे
‘थियरी ऑफ इस्थेटिक’ समालोचक क्रोचे की रचना है। न्यू एसेज ऑन एस्थेटिक और डिफेंस ऑफ पोएट्री उनकी अन्य रचनाएँ हैं।
टॉलस्टाय
119. हिंदी में स्त्री विमर्श की अवधारणा को चर्चा में लाने का श्रेय किस कथाकार को दिया जाता है?
कमलेश्वर
भीष्म साहनी
राजेंद्र यादव
हिंदी में स्त्री विमर्श की अवधारणा को चर्चा में लाने का श्रेय कथाकार राजेन्द्र यादव को दिया जाता है।
काशीनाथ सिंह
120. ‘अपने अपने पिंजरे’ किस दलित लेखक की आत्मकथा है?
मोहन नैमिशराय
‘अपने अपने पिंजरे’ दलित लेखक मोहन नैमिशराय की आत्मकथा है। 1955 ई. में प्रकाशित यह रचना हिंदी की पहली दलित आत्मकथा है।
ओमप्रकाश बाल्मीकि
सूरजपाल चौहान
डॉ. एन. सिंह
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