उत्तर प्रदेश (UP) द्वारा आयोजित राजकीय महाविद्यालय प्रवक्ता परीक्षा (GDC Hindi) 2012 के प्रश्नपत्र का व्याख्यात्मक हल यहाँ दिया गया है। GDC 2012 की इस परीक्षा का आयोजन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा 24 मार्च 2013 में आयोजित की गई थी। Print माध्यम से आप GDC hindi question papers 2012 को pdf Download कर सकते हैं। यदि आप Higher Education संबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा देना चाहते हैं तो इसे जरुर पढ़ें। Assistant Professor hindi के अन्य Exam और, PHD Admission तथा NTA UGC NET के लिए भी यह Question Papers महत्वपूर्ण है।
GDC Assistant Professor Hindi 2012
1. आलवार संतो की भाषा कौन-सी थी?
तमिल
आलवार संतो की भाषा तमिल थी। आलवार संतो को भक्ति आंदोलन का जनक माना जाता है। उत्तर भारत में भक्ति के प्रचार-प्रसार में आलवार संतों का ही योगदान है। आलवार संतो की संख्या 12 है, ‘दिव्य प्रबंधम्’ इनके पदों का संकलन है।
तेलुगु
कन्नड़
मलयालम
2. निम्नलिखित में से किस रीतिमुक्त कवि ने प्रेम के मार्ग को ‘तरवारि की धार पै धावनो है’- कहा है?
घनानंद
बोधा
रीतिमुक्त कवि बोधा ने प्रेम के मार्ग को ‘तरवारि की धार पै धावनो है’ कहा है। विवारिश और इश्कनामा इनके प्रमुख ग्रंथ हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इन्हें भावुक एवं रसज्ञ कवि कहा है।
ठाकुर
आलम
3. यह दोहा ‘रामचरितमानस’ के किस काण्ड से संबद्ध है?
‘सजल नयन तन पुलक निज इष्ट देउ पहिचानि।परेउ दण्ड-जिमि धरनि तल दसा न जाइ बखानि॥’
बाल काण्ड
अयोध्या काण्ड
उपर्युक्त दोहा ‘रामचरितमानस’ के अयोध्या काण्ड से संबद्ध है। रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने संवत 1631 में 2 वर्ष 7 महीने 26 दिन में किया था। इस महाकाव्य में सात कांड हैं- बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुंदरकांड, लंकाकांड, उत्तरकांड।
अरण्य काण्ड
सुंदर काण्ड
4. यह मान्यता किसकी है?
‘हिंदी के मध्य काल का भक्ति-आंदोलन भारतीय चिंतन धारा का स्वाभाविक विकास है।’ आचार्य रामचंद्र शुक्ल
डॉ. रामकुमार वर्मा
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
‘हिंदी के मध्य काल का भक्ति-आंदोलन भारतीय चिंतन धारा का स्वाभाविक विकास है।’ यह मान्यता आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की है। वहीं रामचंद्र शुक्ल और रामकुमार वर्मा ने भक्ति आंदोलन की उत्पत्ति का कारण इस्लाम आक्रमण तथा पराजित मनोवृत्ति को माना है।
राहुल सांकृत्यायन
5. किस सूफी कवि की रचना में दोहा-चौपाई के स्थान पर बरवै-चौपाई छंद बंध का प्रयोग हुआ है?
मुल्ला दाऊद
कासिम शाह
कुतुबन
नूर मुहम्मद
सूफी कवि ‘नूर मुहम्मद’ की रचना ‘अनुराग बाँसुरी’ में दोहा-चौपाई के स्थान पर बरवै-चौपाई छंद बंध का प्रयोग हुआ है। रामचंद्र शुक्ल ने अनुराग बाँसुरी को सूफी पद्धति का अंतिम ग्रंथ माना है।
6. यह किस कवि की रचना है?
‘कत देखाय कामिनि दई, दामिनि को यह बाँह।थरथराति सो तन फिरै, फरफराति घन माँहि।’
अर्ब्दुरहीम खानखाना
बिहारी लाल
सैयद गुलाम नबी ‘रसलीन’
उपर्युक्त काव्य पंक्ति सैयद गुलाम नबी ‘रसलीन’ द्वारा रचित है। अंग दर्पण और रस प्रबोध इनके दो प्रमुख ग्रंथ हैं। हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इनका यश रस विवेचन के कारण नहीं बल्कि मनोहर सूक्तियों एवं चित्ताकर्षक भाव योजनाओं के कारण है।
भिखारी दास
7. बल्लभाचार्य द्वारा चयनित कवियों में से इनमें वह विशिष्ट कवि कौन है, जो उनसे दीक्षित नहीं था?
सूरदास
कुंभनदास
नंददास
बल्लभाचार्य द्वारा चयनित कवियों में से नंददास उनसे दीक्षित नहीं थे बल्कि उनके पुत्र विट्ठलनाथ के शिष्य थे। विट्ठलनाथ ने 1565 ई. में अष्टछाप की स्थापना किया जिसमें बल्लभाचार्य और अपने चार-चार शिष्यों को शामिल किया- बल्लभाचार्य के शिष्य- कुंभनदास, सूरदास, कृष्णदास, परमानंद दास; विट्ठलनाथ के शिष्य- गोविंद स्वामी, छीत स्वामी, नंददास, चतुर्भुज दास
कृष्णदास
8. निम्नलिखित प्रेमाख्यानपरक काव्यों में से कौन-सी रचना प्रेमाख्यान होते हुये भी सूफी मान्यताओं से भिन्न प्रकार की है?
चन्दायन
रस-रतन
प्रेमाश्रयी शाखा के सूफी कवि पुहकर की रचना ‘रस-रतन’ (1618 ई.) प्रेमाख्यान काव्य होते हुये भी सूफी मान्यताओं से भिन्न प्रकार की है।
मृगावती.
हंस-जवाहिर
9. ये उक्ति किस कवि की है?
‘आगे के सुकवि रीझिहैं, तौ कविताई न तौ।राधिका-कन्हाई सुमिरन को बहानो है॥’
भिखारीदास
उपर्युक्त काव्य पंक्ति रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि भिखारीदास द्वारा रचित है।
केशवदास
बिहारीलाल
मतिराम
10. निम्नलिखित रचनाकारों को उनके मूल नाम से सुमेलित कीजिये:
(a) रसलीन – (i) सैयद इब्राहिम(b) रसखान – (ii) जयशंकर प्रसाद
(c) जकी – (iii) सैयद गुलाम नबी
(d) कलाधर – (iv) जगन्नाथ दास
कूट:(a), (b), (c), (d)
(ii), (i), (iii), (iv)
(iii), (i), (iv), (ii)
रसलीन का मूल नाम ‘सैयद गुलाम नबी’, रसखान का ‘सैयद इब्राहिम’, जकी का ‘जगन्नाथ दास’ और कलाधर का ‘जयशंकर प्रसाद’ था।
(iii), (ii), (iv), (i)
(iv), (iii), (i), (ii)
11. ‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ के रचनाकार हैं-
गोकुलनाथ
‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ के रचनाकार गोकुलनाथ हैं। ब्रजभाषा में रचित इस ग्रंथ में बल्लभाचार्य के पुष्टि मार्ग के शिष्यों की कथाएं संकलित हैं। इनका दूसरा ग्रंथ ‘दो सौ बावन वैष्णव की वार्ता’ है, जो ब्रजभाषा गद्य की आरंभिक रचना है।
नाभादास
बल्लभाचार्य
नंददास
12. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिकाल का प्रवर्तक किसे माना है?
कुलपति मिश्र को
आचार्य केशवदास को
भिखारीदास को
चिंतामणि त्रिपाठी को
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिकाल का प्रवर्तक ‘चिंतामणि त्रिपाठी’ को माना है। वहीं श्यामसुंदर दास, श्याम बिहारी मिश्र, बाबू गुलाब राय तथा डॉ. नगेंद्र ने केशवदास को रीतिकाल का प्रवर्तक माना है।
13. यह दोहा किस कवि का है?
“फुलवा भार न लै सकै, कहै सखिन सों रोय।ज्यों-ज्यों भीजे कामरी, त्यों-त्यों भारी होय॥”
जायसी
कबीरदास
यह दोहा कबीरदास का है। कबीरदास के वाणियों का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास ने बीजक नाम से किया है, जो तीन खंडों में विभाजित है- बीजक, सबद और रमैनी। हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर को वाणी का डिक्टेटर कहा है। वहीं कबीर की भाषा को रामचंद्र शुक्ल ने ‘सधुक्कड़ी’ और श्यामसुंदर दास ने ‘पंचमेल खिचड़ी’ कहा है।
रहीमदास
बिहारी
14. कालक्रमानुसार इन रचनाओं का सही क्रम इंगित कीजिये:
पद्मावत, मृगावती, चित्रावली, मधु मालती
चित्रावली, मधु मालती, मृगावती, पदमावत
मधु मालती, पद्मावत, मृगावती, चित्रावली
मृगावती, पद्मावत, मधु मालती, चित्रावली
रचनाओं का सही क्रम: मृगावती (1501 ई.)- कुतुबन, पद्मावत (1540 ई.)- जायसी, मधु मालती (1545 ई.)- मंझन, चित्रावली (1613 ई.)- उसमान
15. यह कथन किसका है?
‘सूरदास की रचनाओं में संस्कृत की कोमल कांत पदावली और अनुप्रासों की वह छठा नहीं है, जो तुलसी की रचना में दिखाई पड़ती है।’ मिश्रबन्धु
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
यह कथन आचार्य रामचंद्र शुक्ल का है। रामचंद्र शुक्ल ने यह भी लिखा है कि, ‘सूर की बड़ी भारी विशेषता है नवीन प्रसंगों की उद्भावना। प्रसंगोदभावना करने वाली ऐसी प्रतिभा हम तुलसी में नहीं पाते।’ वहीं हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार- ‘सूरदास जब अपने विषय का वर्णन शुरू करते हैं तो मानों अलंकार शास्त्र हाथ जोड़कर उनके पीछे दौड़ता है। उपमाओं की बाढ़ आ जाती है, रूपकों की वर्षा होने लगती है। संगीत की प्रवाह में व्यक्ति स्वयं बह जाता है।
शिवसिंह सेंगर
16. गोस्वामी तुलसीदास ने ‘रघुनाथ गाथा’ (रामचरितमानस) की रचना किस उद्देश्य से की?
यश के लय
लोकहित के लिये
परम्परानुपालन के लिये
‘स्वान्त: सुख’ के लिये
गोस्वामी तुलसीदास ने ‘रघुनाथ गाथा’ (रामचरितमानस) की रचना ‘स्वान्त: सुखाय’ के लिये किया था उन्होंने मानस में लिखा है- स्वांत: सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा भाषा निबंधमतिमंजुलमात नोति।
17. ‘भाषा इण्डिया’ किस कंपनी का पोर्टल है?
माइक्रो सॉफ्ट
स्टैंडर्ड सॉफ्ट
राजस्थान सॉफ्ट
सीडक
‘भाषा इण्डिया’ सीडैक (C-DAC) कंपनी का पोर्टल है। जिसका फुलफॉर्म- Center for Development of Advanced Computing है। इसकी स्थापना 1988 ई. में हुई थी जिसका मुख्यालय पुणे, महाराष्ट्र में है। यह एक अर्ध सरकारी सॉफ्टवेयर कंपनी है जो भाषाई कम्पूटरिंग संबंधी विकास कार्यो के लिए कार्य करती है।
18. पूर्वी हिंदी का विकास अपभ्रंश के किस रूप से हुआ है?
शौरसेनी अपभ्रंश से
मागधी अपभ्रंश से
अर्द्धमागधी अपभ्रंश से
पूर्वी हिंदी का विकास अपभ्रंश के अर्द्धमागधी रूप से हुआ है। वहीं शौरसेनी अपभ्रंश से पश्चिमी हिंदी; मागधी अपभ्रंश से बिहारी हिंदी, बंगला, उड़िया तथा असमिया और महाराष्ट्री अपभ्रंश से मराठी भाषा का विकास हुआ है। पूर्वी हिंदी के अंतर्गत अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी बोलियाँ आती हैं।
महाराष्ट्री अपभ्रंश से
19. ‘स्वनिम’ का अर्थ है-
वर्ण
अक्षर
शब्द
ध्वनि
‘स्वनिम’ का अर्थ ध्वनि है। स्वनिम उच्चारित भाषा की ऐसी लघुत्तम इकाई है जिससे दो ध्वनियों का अंतर स्पष्ट होता है। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई को कहते है। अक्षर उस ध्वनि या ध्वनि समूह को कहते हैं जिनका उच्चारण एक साँस में किया जा सकता है। शब्द वर्णों के सार्थक समूह को कहते हैं।
20. ‘खल्टाही’ का दूसरा नाम है-
बघेली
बुंदेली
ब्रजी
छत्तीसगढ़ी
‘खल्टाही’ का दूसरा नाम छत्तीसगढ़ी है। छत्तीसगढ़ी तथा बघेली पूर्वी हिंदी और ब्रज तथा बुंदेली पश्चिमी हिंदी की बोलियाँ हैं।
21. ‘Status co’ का सही हिंदी अनुवाद है-
यथाप्रस्तावित
यथानुसार
यथास्थिति
‘Status co’ का सही हिंदी अनुवाद ‘यथास्थिति’ है। वहीं यथाप्रस्तावित As Pproposed का, As Appropriate यथानुसार का और As for as Possible यथासंभव के अनुवाद हैं।
यथासंभव
22. निम्नलिखित में से किस बोली का अपना कोई विशिष्ट साहित्य नहीं है?
बघेली
बघेली बोली का अपना कोई विशिष्ट साहित्य नहीं है। जबकि खड़ी बोली, अवधी और ब्रजभाषा में साहित्य मौजूद हैं।
खड़ी बोली
अवधी
ब्रजभाषा
23. उच्चारण स्थान की दृष्टि से ‘य’ वर्ण है-
दन्त्य
मूर्धन्य
तालव्य
उच्चारण स्थान की दृष्टि से ‘य’ वर्ण तालव्य है। च, छ, ज, झ, ञ, य, श, इ, ई तालव्य वर्ण हैं।
कण्ठ्य
24. निम्नलिखित में से एक तथ्य असत्य है-
कर्मवीर पत्र के संपादक पं. माखन लाल चतुर्वेदी थे।
‘दिनमान’ के प्रथम संपादक रघुवीर सहाय थे।
असत्य कथन- ‘दिनमान’ के प्रथम संपादक रघुवीर सहाय थे। दिनमान एक साहित्यिक पत्रिका थी जो दिल्ली से निकलती थी। इसके प्रथम संपादक अज्ञेय थे, 1965 ई. में इसके संपादक रघुवीर सहाय बने।
‘पहल’ पत्रिका जबलपुर से प्रकाशित होती है।
‘आजकल’ पंत्रिका दिल्ली से प्रकाशित होती है।
25. हिंदी के प्रथम सर्वाधिक आधुनिक, ज्ञान-विज्ञान युक्त, अनुशासन प्रिय और अनेक भाषा-विद् संपादक थे-
डॉ. धर्मवीर भारती
रघुवीर सहाय
प्रभाकर माचवे
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
हिंदी के प्रथम सर्वाधिक आधुनिक, ज्ञान-विज्ञान युक्त, अनुशासन प्रिय और अनेक भाषा-विद् संपादक महावीर प्रसाद द्विवेदी थे।
26. ‘लाठी’ शब्द का अर्थ ‘सहारा’ अर्थ-विकास की किस प्रक्रिया के अंतर्गत होता है?
अर्थापकर्ष
अर्थोत्कर्ष
मूर्तीकरण
अमूर्तीकरण
‘लाठी’ शब्द का अर्थ ‘सहारा’ अर्थ-विकास की ‘अमूर्तीकरण’ प्रक्रिया के अंतर्गत आता है।
27. ये वाक्यांश हिंदी की किस बोली के हैं?
“एक जन के दो छोरा हे। …. तब बाको बड़ो छोरा खेत पै हो। …… हौं अठकै अपने काका के ढोरे जातूँ ओर वा से कहूँगौ…..।” खड़ीबोली
ब्रजभाषा
उपर्युक्त वाक्यांश पश्चिमी हिंदी के अंतर्गत आने वाली बोली ब्रजभाषा के अंतर्गत आता है।
कन्नौजी
बुंदेली
28. संविधान के किस अनुच्छेद के तहत हिंदी को ‘संघ की राजभाषा’ घोषित किया गया है?
अनुच्छेद 340
अनुच्छेद 343
14 सितम्बर 1949 को संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को ‘संघ की राजभाषा’ घोषित किया गया। भारत के संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा संबंधी प्रावधान दिया गया है।
अनुच्छेद 342
अनुच्छेद 346
29. सागर क्षेत्र की बोली है-
ब्रजभाषा
खड़ी बोली
कन्नौजी
बुंदेली
सागर (मध्य प्रदेश) क्षेत्र की बोली बुंदेली है। बुंदेली सागर के आलावा विदिशा, दमोह, छत्तरपुर, ग्वालियर, दतिया, जबलपुर, जालौन, कटनी, रीवा, सतना, बाँदा, महोबा, पन्ना, चित्रकूट, सीधी आदि जिलों में बोली जाती है।
30. ‘रीति विज्ञान’ कृति के लेखक हैं-
डॉ. किशोरीलाल
डॉ. धीरेन्द्र वर्मा
डॉ. भोलानाथ
डॉ. विद्यानिवास मिश्र
‘रीति विज्ञान’ कृति के लेखक डॉ. विद्यानिवास मिश्र हैं। तुम चंदन हम पानी, छितवन की छाह, गाँव का मन, आंगन का पंछी, भ्रमरानंद के पत्र, आदि उनके अन्य ग्रंथ हैं।
31. ‘बादाम’ शब्द हिंदी में किस रूप में प्रचलित है?
तत्सम
विदेशी
‘बादाम’ शब्द हिंदी में विदेशी रूप में प्रचलित है। यह तुर्की भाषा का शब्द है।
तद्भव
देशज
32. भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन ‘वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग’ की स्थापना किस ई. सन् में हुई?
1960
1961
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन ‘वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग’ की स्थापना 1961 ई. में हुई।
1962
1963
33. यह परिभाषा किसकी है?
“भाषा वह साधन है- जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचार दूसरों पर भली-भाँति प्रकट कर सकता है और दूसरों के विचारों को स्पष्टत: समझ सकता है।” कामता प्रसाद गुरु
भाषा के संबंध में उपरोक्त परिभाषा ‘कामता प्रसाद गुरु’ की है। बाबू श्यामसुंदर दास के अनुसार, ‘मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के बीच वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति का आदान-प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि संकेतों का जो व्यवहार होता है उसे भाषा कहते हैं।’
आचार्य किशोरीदास बाजपेयी
बाबू श्यामसुंदर दास
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
34. ‘संरचनात्मक भाषा-विज्ञान’ के जनक कौन थे?
बाबूराम सक्सेना
जॉर्ज प्रियर्सन
लेनार्ड ब्लूमफील्ड
‘संरचनात्मक भाषा-विज्ञान’ के जनक लेनार्ड ब्लूमफील्ड थे। आधुनिक भाषा विज्ञान के अध्ययन-विश्लेष्ण को व्यवस्थित रूप प्रदान करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इनकी पुस्तक ‘लैंग्वेज’ (1993 ई.) को भाषा विज्ञान का बाइबिल (मामबर्ग) कहा जाता है।
ए.बी. कीथ
35. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिये तथा दिये गये कूट से सही उत्तर का चयन कीजिये:
(a) ‘मैं रुपक हूँ दबी हुई दूब का।’ – (i) अज्ञेय(b) ‘कोठारी में लौ जलाकर दीप की। – (ii) भवानी प्रसाद मिश्र
गिन रहा होगा महाजन सेंत की।’
(c) ‘मगर समय गवाह है कि – (iii) नागार्जुन!
मेरी बेचैनी के आगे भी राह है।’
(d) ‘इन दिनों की दुहस है कवि धन्धा। – (iv) धूमिल
हैं दोनों चीजें व्यस्त कलम कंधा।’
कूट:(a), (b), (c), (d)
(iii), (i), (iv), (ii)
a- iii, b- i, c- iv, d- ii
(i), (iv), (ii), (iii)
(iii), (ii), (iv), (i)
(iv), (i), (iii), (ii)
36. निराला कृत ‘राम की शक्तिपूजा’ नामक प्रसिद्ध रचना का प्रेरणा-श्रोत है-
रामचरित मानस
कृतिवास रामायण
निराला कृत ‘राम की शक्तिपूजा’ नामक प्रसिद्ध रचना का प्रेरणा-श्रोत कृतिवास रामायण है। निराला कृत ‘राम की शक्ति पूजा’ (1936 ई.) लम्बी कविता का उपजीव्य बांग्ला ग्रंथ ‘कृतिवास रामायण’ है। छायावादी कवि निराला मुक्त छंद के प्रवर्तक माने जाते हैं।
बाल्मीकि रामायण
अध्यात्म रामायण
37. सुमित्रानंदन पंत को उनकी किस कृति पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था?
चिंदम्बरा
सुमित्रानंदन पंत को उनकी कृति ‘चिंदम्बरा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था। हिंदी साहित्य में पहली बार चिंदम्बरा को 1968 ई. में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। चिंदम्बरा को पंत ने ‘दुधमुहाँ प्रयास’ और ‘बाल कल्पना’ कहा है।
वीणा
पल्लव
गुंजन
38. प्रगतिशील लेखक संघ का प्रथम अधिवेशन भारत में कब हुआ?
सन् 1947 में
सन् 1950 में
सन् 1945 में
सन् 1936 में
प्रगतिशील लेखक संघ का प्रथम अधिवेशन भारत में सन् 1936 में लखनऊ में हुआ था जिसके अध्यक्ष प्रेमचंद थे। प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना 1935 ई. में लंदन में हुई थी जिसके प्रणेता सज्जाद जहीर थे। वहीं भारत में इसकी स्थापना 1936 ई. में हुई थी।
39. काव्य क्षेत्र में इनमें किसका समावेश किसी सप्तक में नहीं किया गया?
प्रभाकर माचवे
शमशेर बहादुर सिंह
दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार का समावेश किसी सप्तक में नहीं किया गया है। जबकि प्रभाकर माचवे, शमशेरबहादुर सिंह और केदारनाथ सिंह क्रमश: तारसप्तक, दूसरा सप्तक और तीसरे सप्तक के कवि हैं। अज्ञेय ने तारसप्तक का संपादन सात कवियों को लेकर 1943 ई. में किया। उनके संपादन में कुल 4 सप्तक प्रकाशित हुए- तारसप्तक (1943 ई.), दूसरा सप्तक (1951 ई.), तीसरा सप्तक (1959 ई.) और चौथा सप्तक (1969 ई.)।
केदारनाथ सिंह
40. इनमें भारतीय नवजागरण का अग्रदूत कवि कौन रहा है?
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
भारतेंदु हरीशचंद्र
भारतेंदु हरीशचंद्र को भारतीय नवजागरण का अग्रदूत कवि कहा जाता है। वहीं अन्य तीनों भारतीय राष्ट्रीय चेतना के कवि हैं।
आचार्य नाथूराम शर्मा शंकर
41. ये पंक्तियाँ किस कवि की हैं?
“शैल निर्झर न बना हतभाग्य, गल नहीं सका जो कि हिमखंडदौड़कर मिला न जलनिधि अंक, आह! वैसा ही हूँ पाषण्ड।”
सुमित्रानंदन पंत
जयशंकर प्रसाद
उपरोक्त पंक्तियाँ जयशंकर प्रसाद की हैं, जो कामायनी के श्रद्धा सर्ग में संकलित हैं।
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
महादेवी वर्मा
42. इन पंक्तियों के लेखक हैं-
‘लोक नायक वही हो सकता है, जो समन्वय करने का अपार धैर्य लेकर आया हो। उनका सारा काव्य समन्वय की विराट चेष्टा है’ आचार्य रामचंद्र शुक्ल
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
उपरोक्त पंक्तियों के लेखक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं जिसे उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास के संदर्भ में कहा है।
आचार्य नंद दुलारे बाजपेयी
डॉ. नगेन्द्र
43. केदारनाथ अग्रवाल की प्रसिद्ध कविताएँ ‘माझी न बजाओ वंशी’ और ‘वसंती हवा’ किस काव्य-संकलन में संगृहीत हैं?
युग की गंगा
गुल मेंहदी
फूल नहीं रंग बोलते हैं
केदारनाथ अग्रवाल की ‘माझी न बजाओ वंशी’ और ‘वसंती हवा’ प्रसिद्ध कविताएँ ‘फूल नहीं रंग बोलते हैं’ काव्य-संकलन में संगृहीत हैं। युग की गंगा, नींद के बादल, फूल नहीं रंग बोलते हैं, गुलमेंहदी, अपूर्वा, बसंत में हुई प्रसन्न पृथ्वी आदि उनके काव्य संग्रह हैं।
नींद के बादल
44. ‘अध्यात्म रामायण’ का खड़ी बोली में रूपान्तरण, फोर्ट विलियम कॉलेज से सम्बद्ध, किस रचनाकार ने किया था?
सदासुखलाल
इंशा अल्ला खाँ
लल्लू लाल
सदल मिश्र
‘अध्यात्म रामायण’ का खड़ी बोली में ‘रामचरित’ (1806 ई.) में रूपान्तरण, फोर्ट विलियम कॉलेज से सम्बद्ध, ‘सदल मिश्र’ ने किया था।
45. ‘शहर अब भी संभावना है’ -किस कवि की रचना है?
दुष्यन्त कुमार
वीरेन्द्र कुमार जैन
अशोक वाजपेयी
‘शहर अब भी संभावना है’ कवि अशोक वाजपेयी की रचना है। एक पलंग अनंत में, इतने से, तत्पुरुष, थोड़ी सी जगह, घास में दुबका आकाश आदि उनके काव्य संग्रह हैं।
कुँअर नारायण
46. निम्नलिखित कवियों में से कौन कवि ‘एक भारतीय आत्मा’ उपनाम से विख्यात है?
मैथिलीशरण गुप्त
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
राजाराम शास्त्री
माखनलाल चतुर्वेदी
राष्ट्रकवि उपाधि से सम्मानित कवि माखनलाल चतुर्वेदी ‘एक भारतीय आत्मा’ उपनाम से विख्यात है। हिमतरंगिणी, हिमकिरीटिनी, समपर्ण आदि उनके काव्य संग्रह हैं।
47. निम्नलिखित में से यह कथन किसका है?
“समालोचना का सूत्रपात हिंदी में एक प्रकार से भट्ट और चौधरी ने किया था।” आचार्य हजारी प्रसाद द्विवीदी
डॉ. नगेन्द्र
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
उपरोक्त कथन आचार्य रामचंद्र शुक्ल का है।
बाबू श्यामसुंदर दास
48. इन पंक्तियों के रचयिता हैं-
“भीतर-भीतर सब रस चूसै, हँसि-हँसि के तन मन धन मूसै।” भारतेंदु हरिश्चंद्र
उपरोक्त पंक्तियों के रचयिता भारतेंदु युग के प्रणेता भारतेंदु हरिश्चंद्र हैं। भक्ति सर्वस्व, प्रेम-मलिक, कार्तिक स्नान, वैशाख महात्म्य, प्रेम सरोवर, प्रेमाश्रुवर्षण, प्रेम माधुरी, प्रेम तरंग आदि उनकी काव्य कृतियाँ हैं।
प्रताप नारायण मिश्र
अम्बिका दत्त व्यास
बदरी नारायण चौधरी ‘प्रेमघन’
49. किस कवि के काव्य में छायावाद, प्रगतिवाद एवं अन्तश्चेतना वाद का क्रमिक विकास परिलक्षित होता है?
जयशंकर प्रसाद
सुमित्रानंदन पंत
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत के काव्य में छायावाद, प्रगतिवाद एवं अन्तश्चेतना वाद का क्रमिक विकास परिलक्षित होता है।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
महादेवी वर्मा
50. इस झण्डागीत के रचयिता हैं-
‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा/ झण्डा ऊँचा रहे हमारा’ बालकृष्ण शर्मा नवीन
सोहनलाल द्विवेदी
श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’
उपर्युक्त झण्डागीत के रचयिता कानपुर के श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ हैं। इस झंडागीत को वर्ष 1936 ई. के कांग्रेस अधिवेशन में स्वीकार किया गया था।
माखनलाल चतुर्वेदी
51. यह अभिमत किसका है?
“मानव अथवा प्रकृति के सूक्ष्म किन्तु व्यक्त सौन्दर्य में आध्यात्मिक छाया का, भान मेरे विचार से छायावाद की एक सर्वमान्य व्याख्या हो सकती है।” डॉ. नगेन्द्र का
मुकुटधर पाण्डेय का
डॉ. रामकुमार वर्मा का
नंददुलारे वाजपेयी का
छायावाद के संदर्भ में यह अभिमत ‘नंददुलारे वाजपेयी’ का है।
52. कविता के रचनाकार हैं-
“इस महान शत्ताब्दी परमहान शताब्दी के महान इरादों पर
महान शब्दों और महान वादों पर
दो मिनट का मौन”!
त्रिलोचन
नागार्जुन
केदारनाथ सिंह
उपर्युक्त कविता के रचनाकार ‘केदारनाथ सिंह’ हैं। अकाल में सारस, अभी बिलकुल अभी, जमीन पक रही है, उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ आदि उनके काव्य संग्रह हैं।
धूमिल
53. उत्तर आधुनिक कथा-शिल्प का उपन्यास है-
अपने-अपने अजनबी
पचपन खम्भे लाल दीवारें
अनामदास का पोथा
हरिया हरक्यूलीज की हैरानी
उत्तर आधुनिक कथा-शिल्प का उपन्यास ‘हरिया हरक्यूलीज की हैरानी’ है जिसके लेखक मनोहर श्याम जोशी हैं। कुरु कुरु स्वाहा, कसप, टा टा प्रोफेसर, हमजाद, क्याप आदि उनके अन्य उपन्यास हैं।
54. सुधा और चंदर किस उपन्यास के पात्र हैं?
नदी के द्वीप
सुनीता
गुनाहों के देवता
सुधा और चंदर ‘गुनाहों के देवता’ उपन्यास के पात्र हैं जिसके लेखक धर्मवीर भारती हैं। वहीं ‘नदी के द्वीप’ (अज्ञेय) का भुवन, गौरा, रेखा; ‘सुनीता’ (जैनेन्द्र) के सुनीता, श्रीकांत, हरिप्रसन्न और ‘नीला चाँद’ (शिव प्रसाद सिंह) के कीर्ति वर्मा, मंत्री अनंत पात्र हैं।
नीला चाँद
55. औद्योगीकरण के बढ़ते कुप्रभाव का स्पष्ट संकेत मिलता है-
गोदान में
कर्मभूमि में
रंगभूमि में
औद्योगीकरण के बढ़ते कुप्रभाव का स्पष्ट संकेत प्रेमचंद के ‘रंगभूमि’ उपन्यास में मिलता है। प्रेमचंद के इस उपन्यास में औद्योगिकीकरण के दोष, पूंजीपतियों की शोषणकारी नीति, अंग्रेजों के अत्याचार एवं भारतीय शिक्षितों की चारित्रिक हीनता का विश्लेषणात्मक चित्रण किया गया है। वहीं प्रेमचंद के अन्य उपन्यासों- गोदान में किसान जीवन की त्रासदी; कर्मभूमि में हिंदू-मुस्लिम एकता, अछूतोद्वार एवं दलित-किसानों के उत्थान की कथा और गबन में मध्यवर्गीय जीवन की विसंगतियों का चित्रण मिलता है।
गबन में
56. वैदिक काल के वातावरण को आधार बनाकर लिखा गया वृन्दावन लाल वर्मा का उपन्यास है-
भुवन विक्रम
वैदिक काल के वातावरण को आधार बनाकर लिखा गया वृन्दावन लाल वर्मा का उपन्यास ‘भुवन विक्रम’ है। गढ़कुंडार, विराट की पद्मिनी, मृगनयनी, झाँसी की रानी, रामगढ की रानी आदि उनके अन्य ऐतिहासिक उपन्यास हैं।
मृगनयनी
टूटे काँटे
कचनार
57. चंद्रधर शर्मा गुलेरी की प्रथम कहानी कब प्रकाशित हुई?
सन् 1915 में
चंद्रधर शर्मा गुलेरी की प्रथम कहानी ‘सुखमय जीवन’ वर्ष 1911 ई. में प्रकाशित हुई। बुद्धू का कांटा (1914 ई.) और उसने कहा था (1915 ई.) उनकी दो अन्य महत्वपूर्ण कहानियाँ हैं।
सन् 1909 में
सन् 1905 में
सन् 1907 में
58. अमृतलाल नागर का कौन-सा उपन्यास महाकवि सूरदास पर आधारित है?
बूँद और समुद्र
खंजन नयन
अमृतलाल नागर का ‘खंजन नयन’ उपन्यास महाकवि सूरदास पर आधारित है। वहीं उनके अन्य उपन्यासों- ‘बूँद और समुद्र’ में लखनऊ के चौक के रूप में भारत की विभिन्न छवि का चित्रण; ‘अमृत और विष’ में भारतीय गणतंत्र के 15 वर्षों का राजनीतिक एवं सामाजिक चित्रण और ‘मानस का हंस’ में तुलसीदास की जीवनी और व्यक्तित्व का चित्रण किया गया है।
अमृत और विष
मानस का हंस
59. यह कथन गोदान के किस पात्र का है?
“भिक्षुक जब तक दस द्वार न जाय, उसका पेट कैसे भरेगा? मैं ऐसे भिक्षुओं को मुँह नहीं लगाती। ऐसे तो गली-गली में मिलते हैं। फिर देता क्या है, असीस! असीसों से तो किसी का पेट नहीं भरता।” गोबर
मालती
धनियाँ
झुनिया
यह कथन गोदान के नायक गोबर की पत्नी ‘झुनिया’ का है।
60. प्रजातंत्र और लोकतंत्र के नाम पर हमारे चारों ओर फलने-फूलने वाली राजनीतिक संस्कृति के प्रतिनिधि पात्र वैद्यजी किस उपन्यासकार की सृष्टि हैं?
अमृतलाल नागर
राही मासूम रजा
शिवप्रसाद सिंह
श्रीलाल शुक्ल
प्रजातंत्र और लोकतंत्र के नाम पर हमारे चारों ओर फलने-फूलने वाली राजनीतिक संस्कृति के प्रतिनिधि पात्र वैद्यजी उपन्यासकार श्रीलाल शुक्ल की सृष्टि हैं। उन्होंने ‘रागदरबारी’ उपन्यास में ‘शिवपालगंज’ गाँव का यथार्थवादी चित्रण किया है।
इसे भी देख्ने-
UP GDC Hindi Question Papers 2008
UP GDC Hindi Question Papers 2013
UP GDC Hindi Question Papers 2017
61. निम्नलिखित में से कौन-सी रचना ऐसी है जो भारत-पाकिस्तान विभाजन से संबंधित नहीं है?
तमस
बलचनमा
नागार्जुन का ‘बलचनमा’ उपन्यास किसान जीवन पर आधारित है। वहीं तमस (भीष्म साहनी), आधा गाँव (राही मासूम रजा) और कितने पाकिस्तान (कमलेश्वर) भारत-पाकिस्तान विभाजन से संबंधित उपन्यास हैं।
आधा गाँव
कितने पाकिस्तान
62. ‘समांतर कहानी’ के प्रस्तावक रहे हैं-
धर्मवीर भारती
जैनेंद्र
फणीश्वरनाथ रेणु
कमलेश्वर
‘समांतर कहानी’ के प्रस्तावक कमलेश्वर रहे हैं। कमलेश्वर नयी कहानी आंदोलन के कर्ता धर्ता भी रहें हैं, बाद में उन्होंने 1972 ई. में समांतर कहानी आंदोलन चलाया जो ‘समांतर सिनेमा’ से प्रभावित था।
63. बहुत कम कहानियाँ लिखकर भी सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त कहानीकार निम्नलिखित में से कौन हैं?
सुदर्शन
चंद्रधर शर्मा गुलेरी
बहुत कम कहानियाँ लिखकर भी सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त कहानीकार चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ हैं। उनकी 3 कहानियाँ- ‘सुखमय जीवन’, ‘बुद्धू का काँटा’ और ‘उसने कहा था’ हैं जो उनकी ख्याति का कारण बनी। हालाँकि उनकी कुछ और कहानियाँ मरणोपरांत प्रकाशित हुई हैं।
विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक
भगवती प्रसाद बाजपेयी
64. पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ को किसने ‘घासलेटी साहित्यकार’ कहा था?
बनारसीदास चतुर्वेदी ने
पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ को बनारसीदास चतुर्वेदी ने ‘घासलेटी साहित्यकार’ कहा था।
आचार्य नंददुलारे वाजपेयी ने
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने
आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने
65. ‘सूरदास’ प्रेमचंद के किस उपन्यास का पात्र है?
गोदान
गबन
रंगभूमि
‘सूरदास’ प्रेमचंद के रंगभूमि उपन्यास का पात्र है। वहीं प्रेमचंद के अन्य उपन्यासों में ‘गोदान’ के होरी-धनिया, गोबर, झुनिया, भोला; ‘गबन’ के जालपा, रामनाथ, रतन, जोहरा; ‘रंगभूमि’ के सूरदास, सोफिया, भरत सिंह, महेंद्र और ‘कर्मभूमि’ के अमरकांत, समरकांत, मैना, सुखदा प्रमुख पात्र हैं।
कर्मभूमि
66. निम्नलिखित में से एक कृति ‘आंचलिक उपन्यास’ की श्रेणी में गण्यमान नहीं है:
परती परिकथा
बलचनमा
सागर-लहरें और मनुष्य
ढेढ़े मेढ़े रास्ते
ऐतिहासिक उपन्यासकार भगवतीचरण वर्मा का ‘ढेढ़े मेढ़े रास्ते’ कृति ‘आंचलिक उपन्यास’ की श्रेणी में गण्यमान नहीं है। जबकि परती परिकथा (फणीश्वर नाथ ‘रेणु’), बलचनमा (नागार्जुन) और सागर-लहरें और मनुष्य (उदय शंकर भट्ट) आंचलिक उपन्यास हैं।
67. ‘बोल्गा से गंगा’ विधा की दृष्टि से है-
नाटक
कथा-संग्रह
‘बोल्गा से गंगा’ विधा की दृष्टि से राहुल सांकृत्यायन का ‘कथा-संग्रह’ (कहानी संग्रह) है।
निबंध-संग्रह
यात्रा संस्मरण
68. जयशंकर प्रसाद के किस नाटक का प्रारम्भ उक्त पंक्तियों से होता है?
“अधिकार सुख कितना मादक और सारहीन है। अपने को नियामक और कर्ता समझंने की बलवती स्पृहा उससे बेगार कराती है” चंद्रगुप्त
ध्रुवस्वामिनी
स्कन्दगुप्त
जयशंकर प्रसाद के स्कन्दगुप्त नाटक का प्रारम्भ उक्त पंक्तियों से होता है।
अजातशत्रु
69. ‘कल्याणी’ जयशंकर प्रसाद के किस नाटक की पात्र है?
अजातशत्रु
ध्रुवस्वामिनी
स्कन्दगुप्त
चंद्रगुप्त
‘कल्याणी’ जयशंकर प्रसाद के चंद्रगुप्त नाटक की पात्र है। चाणक्य, चंद्रगुप्त, सिंहरण, सुवासिनी, अलका, मालविका, कार्नेलिया चंद्रगुप्त नाटक के अन्य पात्र हैं।
70. उपर्युक्त कथन किस निबंध का है?
“गुण प्रत्यक्ष नहीं होता, उसके आश्रय और परिणाम प्रत्यक्ष होते हैं। अनुभवात्मक मन को आकर्षित करने वाला आश्रय और परिणाम हैं, गुण नहीं।” करुणा
क्षात्रधर्म
श्रद्धा-भक्ति
उपर्युक्त कथन आचार्य रामचंद्र शुक्ल के ‘श्रद्धा-भक्ति’ निबंध का है।
क्रोध
71. ‘कलम के सिपाही’ किस विधा की रचना है?
आत्मकथा
रेखाचित्र कर
यात्रा-वृतांत
जीवनी
‘कलम के सिपाही’ (1962 ई.) जीवनी विधा की रचना है। यह प्रेमचंद की जीवनी है जिसे उनके पुत्र अमृतराय ने लिखा है। वहीं प्रेमचंद पर उनकी पत्नी शिवरानी देवी ने ‘प्रेमचंद घर में’ (1944 ई.) और मदन गोपाल ने ‘कलम का मजदूर’ (1964 ई.) नाम से जीवनी लिखी है।
72. ‘डिसलायलिटी’ किस नाटक की पात्र है?
नील देवी
भारत दुर्दशा
‘डिसलायलिटी’ भारतेंदु हरिश्चंद्र के ‘भारत दुर्दशा’ नाटक की पात्र है। दुर्देव, मदिरा लोभ, अहंकार, सत्यनाशी, फौज भारत दुर्दशा नाटक के अन्य पात्र हैं।
अंधेर नगरी
चंद्रवली नाटिका
73. ‘प्लाट का मोर्चा’ किस विधा की रचना है?
गीतिनादय
आत्मकथा
डायरी
रिपोर्ताज
‘प्लाट का मोर्चा’ (1952 ई.) रिपोर्ताज विधा की रचना है जिसके लेखक शमशेर बहादुर सिंह हैं।
74. ‘कुट्टिचातन’ नाम से हिंदी के किस साहित्यकार ने निबंध लिखे हैं?
हजारी प्रसाद द्विवेदी
जैनेन्द्र कुमार
अज्ञेय
‘कुट्टिचातन’ नाम से हिंदी में ‘अज्ञेय’ ने निबंध लिखे हैं। त्रिशंकु, सब रंग और कुछ राग, आत्मनेपद, लिखि कागद कोरे, अद्यतन उनके अन्य निबंध संग्रह हैं।
वासुदेव शरण अग्रवाल
75. ‘स्मृति-लेखा’ किस लेखक की रचना है?
भवानी प्रसाद मिश्र
धर्मवीर भारती
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
इनमें से किसी की नहीं
‘स्मृति-लेखा’ अज्ञेय की रचना है। यह संस्मरण विधा की रचना है।
76. निम्नलिखित रचनाकारों को उनके द्वारा लिखित यात्रा-संस्मरण विधा की कृतियों के साथ सुमेलित कीजिये तथा दिये गये कूट से सही उत्तर का चयन कीजिये:
(A) मोहन राकेश – (i) बस्ती खिले गुलाबों की(B) केदारनाथ अग्रवाल – (ii) पृथ्वी प्रदक्षिंणा
(C) निर्मल वर्मा – (iii) आखिरी चद्ठान तक
(D) बाबू शिवप्रसाद गुप्त – (iv) चीड़ों पर चाँदनी
कूटः(a), (b), (c), (d)
(iv), (i), (ii), (iii)
(iii), (i), (iv), (ii)
मोहन राकेश- आखिरी चद्ठान तक, केदारनाथ अग्रवाल- बस्ती खिले गुलाबों की, निर्मल वर्मा- चीड़ों पर चाँदनी, बाबू शिवप्रसाद गुप्त- पृथ्वी प्रदक्षिंणा
(iii), (ii), (i), (iv)
(i), (iii), (iv), (ii)
77. ‘पेपर वेट’ कृति में इन दो विधाओं की रचनायें संगृहित हैं:
उपन्यास और कहानी-संग्रह
उपन्यास और कविता-संग्रह
उपन्यास और निबंध
कहानी और नाटक
‘पेपर वेट’ कृति में ‘कहानी’ और ‘नाटक’ विधाओं की रचनायें संगृहित हैं। पेपर वेट कहानी के लेखक गिरिराज किशोर तथा पेपर वेट नाटक के लेखक रमेश उपाध्याय हैं। इसी तरह ‘अर्धनारीश्वर’ उपन्यास के लेखक विष्णु प्रभाकर हैं और ‘अर्धनारीश्वर’ निबंध के लेखक रामधारी सिंह दिनकर हैं।
78. ‘अन्या से अनन्या’ किसकी कृति है?
प्रभा खेतान की
‘अन्या से अनन्या’ प्रभा खेतान की कृति है। यह उनकी आत्मकथा है जो वर्ष 2007 में प्रकाशित हुई थी।
मंजुल भगत की
नासिरा शर्मा की
अलका सरावगी की
79. ‘मित्र-संवाद’ जिन दो साहित्यकारों के मध्य होने वाले पत्र-व्यवहार का संग्रह है, वे साहित्यकार हैं-
पं. विद्यानिवास मिश्र और अज्ञेय
कमलेश्वर और मोहन राकेश
डॉ. धर्मवीर भारती और नरेन्द्र कोहली
डॉ. रामविलास शर्मा और डॉ. केदारनाथ अग्रवाल
‘मित्र-संवाद’ डॉ. रामविलास शर्मा और डॉ. केदारनाथ अग्रवाल के मध्य होने वाले पत्र-व्यवहार का संग्रह है।
80. ‘कृष्णार्जुन युद्ध’ नाटक के रचनाकार हैं-
माखनलाल चतुर्वेदी
‘कृष्णार्जुन युद्ध’ (1918 ई.) नाटक के रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी हैं।
चंद्रगुप्त विद्यालंकार
लक्ष्मी नारायण मिश्र
लक्ष्मी नारायण लाल
81. इनमें रेडियो नाटक में सबसे चर्चित लेखक रहे हैं-
लक्ष्मी नारायण मिश्र
पाण्डेय बेचन शर्मा उग्र
चिरंजीत
रेडियो नाटक में सबसे चर्चित लेखक ‘चिरंजीत’ रहे हैं।
विपिन कुमार अग्रवाल
82. इन रचनाओं का सही कालक्रम है-
नहुष – द्रोणपर्व – हनुमन्नाटक – उत्तरप्रियदर्शी
द्रोणपर्व – हनुमन्नाटक – उत्तरप्रियदर्शी – नहुष
हनुमन्नाटक – उत्तरप्रियदर्शी – द्रोणपर्व – नहुष
हनुमन्नाटक – द्रोणपर्व – नहुष – उत्तरप्रियदर्शी
रचनाओं का सही क्रम: हनुमन्नाटक (1610 ई.)- प्राणनाथ चौहान, द्रोणपर्व (1680 ई.)- कुलपति मिश्र, नहुष (1859 ई.)- गोपालचंद्र गिरिधर दास, उत्तरप्रियदर्शी (1967 ई.)- अज्ञेय
83. उक्त कथन किस लेखक का है?
‘चित्तवृत्तियों की परम्परा को परखते हुये साहित्य परम्परा के साथ सामंजस्य दिखाना ही साहित्य का इतिहास कहलाता है।’ जॉर्ज एब्राहम ग्रियर्सन
मिश्रबन्धु
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
उक्त कथन आचार्य रामचंद्र शुक्ल का है जिसे उन्होंने ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ में साहित्य के इतिहास को परिभाषित करते हुए लिखा है।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
84. ‘स्वयंभू’ को ‘अपभ्रंश का वाल्मीकि’ किसने कहा है?
रामचंद्र शुक्ल
हजारी प्रसाद द्विवेदी
राहुल सांकृत्यायन
‘स्वयंभू’ को ‘अपभ्रंश का वाल्मीकि’ राहुल सांकृत्यायन ने कहा है। वहीं रामकुमार वर्मा ने स्वयंभू को जैन कथा का प्रथम कवि कहा है।
नगेन्द्र
85. ‘रिट्ठणेमि चरिउ’ (अरिष्ठनेमिचरित) किसकी रचना है?
धवल
‘रिट्ठणेमि चरिउ’ (अरिष्ठनेमिचरित) धवल की रचना है।
कनकामर
देवसेन
पदमकीर्ति
86. भोजपुरी लोकगीतों का सर्वप्रथम वैज्ञानिक पद्धति से संग्रह किसने किया?
रविशंकर उपाध्याय
कृष्णदेव उपाध्याय
भोजपुरी लोकगीतों का सर्वप्रथम वैज्ञानिक पद्धति से संग्रह ‘कृष्णदेव उपाध्याय’ ने किया।
हरिशंकर उपाध्याय
इनमें से कोई नहीं
87. ‘भरतेश्वर बाहुबली रास’ के रचयिता हैं-
जिनदत्त सूरि
शालिभद्र सूरि
‘भरतेश्वर बाहुबली रास’ के रचयिता शालिभद्र सूरि हैं।
विज़य सेन सूरि
अम्बदेव सूरि
88. ‘मिश्रबन्धु’ द्वारा लिखित ‘हिंदी नवरत्न’ में निम्नलिखित में से किस कवि को स्थान नहीं मिला है?
गोस्वामी तुलसीदास को
सूरदास को
मलिक मोहम्मद जायसी को
‘मिश्रबन्धु’ द्वारा लिखित ‘हिंदी नवरत्न’ में ‘मलिक मोहम्मद जायसी को स्थान नहीं मिला है। ‘मिश्रबन्धु’ द्वारा ‘हिंदी नवरत्न’ को तीन त्रयी में विभाजित किया गया है: वृह्त्त्रयी- तुलसीदास, सूरदास, देव; मध्यत्रयी- बिहारी, भूषण, केशव; लघुत्रयी- मतिराम, चंदबरदाई, भारतेंदु हरिश्चंद्र
आचार्य केशवदास को
89. ‘गाथा सप्तसती’ किस भाषा की रचना है?
पालि
प्राकृत
‘गाथा सप्तसती’ प्राकृत भाषा की रचना है जिसके लेखक कवि हाल हैं।
अपभ्रंश
संस्कृत
90. ‘हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास’ किसकी कृति है?
डॉ. बच्चन सिंह की
‘हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास’ डॉ. बच्चन सिंह की कृति है।
डॉ. गणपतिचंद्र गुप्त की
डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी की
डॉ. रामकुमार वर्मा की
91. ‘सन्देश रसक’ के रचयिता हैं-
अमीर खुसरो
जठमल
खुमाण
अद्दहमाण
‘सन्देश रसक’ के रचयिता अद्दहमाण (अब्दुर्रहमान) हैं।
92. महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने ‘आदिकाल’ को क्या नाम दिया था?
चारण काल
वीरगाथा काल
सन्धि काल
सिद्ध सामंतकाल
महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने ‘आदिकाल’ को ‘सिद्ध सामंतकाल’ नाम दिया था। वहीं जार्ज ग्रियर्सन- चारणकाल; रामचंद्र शुक्ल- वीरगाथा काल; रामकुमार वर्मा- संधि काल; राहुल सांकृत्यायन- सिद्ध सामंतकाल; हजारी प्रसाद द्विवेदी ने- आदिकाल कहा है।
93. ‘नाथ पंथ’ को सुव्यवस्थित रूप किसने प्रदान किया?
जालंधरनाथ
गोरखनाथ
‘नाथ पंथ’ को सुव्यवस्थित रूप गोरखनाथ ने प्रदान किया था जबकि इसकी स्थापना गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्र नाथ ने की थी।
चौरंगीनाथ
मत्स्येन्द्रनाथ
94. ‘दोहा कोष’ किसकी रचना है?
गोरखनाथ
सरहपाद
‘दोहा कोष’ सरहपाद की रचना है। सरहपाद को हिंदी का प्रथम कवि माना जाता है। इन्हें चौरासी सिद्वों में प्रथम सिद्ध भी माना जाता है।
लुईपाद
कण्हपा
95. हिंदी साहित्य के किस इतिहासकार ने इतिहास को ‘तीसरी आँख’ कहा है?
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध इतिहासकार ‘आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी’ ने इतिहास को ‘तीसरी आँख’ कहा है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
डॉ. रामकुमार वर्मा
डॉ. रामविलास शर्मा
96. हिंदी में किस कवि ने लोक काव्य रूप ‘मुकरी’ को साहित्यिक रूप प्रदान किया?
आलम ने
मंझन ने
अमीर खुसरो ने
हिंदी में आदिकालीन कवि अमीर खुसरो ने लोक काव्य रूप ‘मुकरी’ को साहित्यिक रूप प्रदान किया।
मुल्ला दऊद ने
97. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रंथ विरह-काव्य का उत्कृष्ट उदाहरण है?
खुमान रासो
परमाल रासो
पृथ्वीराज रासो
बीसलदेव रासो
नरपति नाल्ह कृत ‘बीसलदेव रासो’ ग्रंथ विरह-काव्य का उत्कृष्ट उदाहरण है। जबकि अन्य तीनों वीरतापूर्ण ग्रंथ हैं।
98. ‘साहित्य का इतिहास दर्शन’ ग्रंथ के लेखक हैं-
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
नलिन विलोचन शर्मा
‘साहित्य का इतिहास दर्शन’ ग्रंथ के लेखक ‘नलिन विलोचन शर्मा’ हैं।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
डॉ. रामकुमार वर्मा
99. ‘ईसुरी’ किस लोक-विधा के लिये विख्यात है?
बिदेसिया
रसिया
फाग
‘ईसुरी’ लोक-विधा ‘फाग’ के लिये विख्यात है।
खयाल
100. लोक साहित्य की दृश्य विधा है-
लोकगीत
लोककथा
लोकगाथा
लोकनाट्य
‘लोकनाट्य’ लोक साहित्य की दृश्य विधा है। वहीं अन्य लोक विधाएं- लोकगीत, लोककथा, लोकगाथा श्रव्य विधाएं हैं।
101. यह किसकी उक्त्ति है?
“अभिधा उत्तम काव्य है मध्य लक्षणा लीन।अधम व्यंजना रस बिरस, उल्टी कहत नवीन॥”
आचार्य केशवदास
आचार्य चिंतामणि त्रिपाठी
आचार्य भिखारीदास
कविवर देव
यह कविवर ‘देव’ की उक्त्ति है।
102. ‘निर्वैयक्तिकता’ का सिद्धांत किसका है?
अरस्तू का
इलियट का
‘निर्वैयक्तिकता’ का सिद्धांत टी.एस. इलियट का है। वहीं अरस्तू का अनुकरण सिद्धांत, रिचर्ड का संप्रेषण सिद्धांत और क्रोचे का अभिव्यंजनावाद है।
क्रोचे का
रिचईस का
103. इन पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
“बाँधा था विधु को किसने इन काली जंजीरों से,मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ हीरों से”
उपमा
रूपक
रूपकातिशयोक्ति
जयशंकर प्रसाद की इन पंक्तियों में रूपकातिशयोक्ति अलंकार है। रूपकातिशयोक्ति अलंकार में उपमान का उल्लेख करके उपमेय का स्वरूप उपस्थित किया जाता है।
उत्प्रेक्षा
104. यह कथन किसका है?
“काव्य का काम कल्पना में बिम्ब (इमेज) या मूर्त्त भावना उपस्थित करना है, बुद्धि के सामने कोई विचार (कॉसेप्ट) लाना नहीं” डॉ. नगेन्द्र
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
यह कथन आचार्य रामचंद्र शुक्ल का है।
आचार्य नंददुलारे वाजपेयी
डॉ. रामविलास शर्मा
105. ‘जयप्रकाश कर्दम’ किस विमर्श से संबंधित हैं?
स्त्री-विमर्श से
आदिविवासी-विमर्श
दलित-विमर्श से
‘जयप्रकाश कर्दम’ दलित-विमर्श से संबंधित हैं। ‘छप्पर’ (1994 ई.) इनका उपन्यास है जिसे हिंदी का प्रथम दलित उपन्यास माना जाता है।
इनमें से किसी विमर्श से नहीं
106. ‘सम्प्रेषणीयता’ का संबंध किससे है?
आई.ए. रिचर्ड्स
‘सम्प्रेषणीयता’ का संबंध ‘आई.ए. रिचर्ड्स’ से है।
मार्क्स
हरबर्ट रीड
सार्त्र
107. ‘अस्त्विवाद’ के प्रथम पुरस्कृर्ता कौन हैं?
किर्के गार्ड
‘अस्त्विवाद’ के प्रथम पुरस्कृर्ता किर्के गार्ड हैं। वहीं सार्त्र, डार्विन और नीत्से अस्त्विवाद के प्रबल समर्थक थे।
सार्त्र
डार्विन
नीत्से
108. लौंजाइनस ने औदात्य का मूलाधार किसे माना है?
भाषाज्ञान को
व्याकरण की जानकारी को
कवि की प्रतिभा को
लौंजाइनस ने औदात्य का मूलाधार ‘कवि की प्रतिभा’ को माना है।
कवि की शैली को
109. भरत मुनि के रस-सूत्र की अनुमितिवाद पर आधारित व्याख्या किस आचार्य की है?
भट्टलोल्लट
शंकुक
भरत मुनि के रस-सूत्र की अनुमितिवाद पर आधारित व्याख्या आचार्य शंकुक ने की है। वहीं भट्टलोल्लट ने उत्पत्तिवाद या आरोपवाद, भट्टनायक ने भोगवाद या भुक्तिवाद और अभिनवगुप्त ने अभिव्यक्तिवाद पर आधारित व्याख्या की है।
भट्टनायक
अभिनवगुप्त
110. रत्री-विमर्श पर आधारित कृति ‘तृब्दील निगाहें’ किस लेखिका की रचना है?
कृष्णा सोबती
ऊषा प्रियंवदा
चित्रा मुद्गल
मैत्रेयी पुष्पा
रत्री-विमर्श पर आधारित कृति ‘तृब्दील निगाहें’ मैत्रेयी पुष्पा की रचना है।
111. निम्नलिखित में से संस्कृत के किस आचार्य ने ‘विशेषो गुणात्मा’ सूत्र के आधार पर रीति और गुण में अभेद माना है?
वामन
आचार्य वामन ने ‘विशेषो गुणात्मा’ सूत्र के आधार पर रीति और गुण में अभेद माना है। उन्होंने ‘रीतिरात्मा काव्यस्य’ कहकर रीति को काव्य की आत्मा स्वीकार किया। ‘काव्यालंकार सूत्र’ वामन ग्रंथ का ग्रंथ है।
क्षेमेन्द्र
कुंतक
राजशेखर
112. व्याकरण विरुद्ध प्रयोग से उत्पन्न दोष को कहते हैं:
च्युत संस्कृति दोष
व्याकरण विरुद्ध प्रयोग से उत्पन्न दोष को ‘च्युत संस्कृति दोष’ कहते हैं। च्युत संस्कृति दोष का अर्थ संस्कृति से चुक जाना अर्थात जहाँ किसी पद का प्रयोग व्याकरण के प्रतिकूल हो, को कहते हैं।
ग्राम्यत्व दोष
क्लिष्टत्व दोष
दुष्क्रमत्व दोष
113. पाश्चात्य समीक्षा में ‘कला-कला के लिये’ सिद्धांत का सबसे प्रबल समर्थक कौन है?
विलियम वर्ड्सवर्थ
इलियट
डॉ. व्रैडले
पाश्चात्य समीक्षा में ‘कला -कला के लिये’ सिद्धांत का सबसे प्रबल समर्थक कौन है।
आई.ए. रिचरईस
114. निम्नलिखित कथनों को, संबंधित आचार्यों के साथ सुमेलित कीजिये तथा दिये गये कूट से सही उत्तर का चयन कीजिये:
(a) सौन्दर्यमलंकारः – (i) पंडितराज जगन्नाथ(b) शब्दार्थों सहितौं काव्यम् – (ii) वामन
(c) रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्द: काव्यम् – (iii) आनन्द वर्द्धन
(d) काव्यस्थात्मा ध्वनि: – (iv) भामह
कूट:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iv), (i), (iii)
सौन्दर्यमलंकारः- वामन, शब्दार्थों सहितौं काव्यम्- भामह, रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्द: काव्यम्- पंडितराज जगन्नाथ, काव्यस्थात्मा ध्वनि- आनन्द वर्द्धन
(ii), (iii), (i), (iv)
(iii), (ii), (iv), (i)
(i), (iv), (iii), (ii)
115. पश्चिम के किस विचारक ने ‘अनुकरण’ का तात्पर्य प्रतिकृति (नकल) न मानकर पुन: सृजन तथा पुनर्निर्माण माना है?
प्लेटो
अरस्तू
पश्चिम के विचारक अरस्तू ने ‘अनुकरण’ का तात्पर्य प्रतिकृति (नकल) न मानकर पुन: सृजन तथा पुनर्निर्माण माना है।
इलियट
होरेस
116. क्रोचे के अभिव्यंजनावाद को वक्रोक्ति-सिद्धांत का ‘बिलायती संस्करण’ किसने कहा था?
श्यामसुंदर दास
नंददुलारे वाजपेयी
गुलाब राय
रामचंद्र शुक्ल
रामचंद्र शुक्ल ने क्रोचे के अभिव्यंजनावाद को वक्रोक्ति-सिद्धांत का ‘बिलायती संस्करण’ कहा था।
117. ‘स्थिति विपर्यय’ का मूल यूनानी शब्द है:
मिमेसिस
कथारसिस
अनग्नोरिसिस
पेरिपेतेइआ
‘स्थिति विपर्यय’ का मूल यूनानी शब्द ‘पेरिपेतेइआ’ है।
118. ‘विरुद्धों का सामंजस्य’ विषयक सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया है?
डॉ. नगेन्द्र ने
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने
‘विरुद्धों का सामंजस्य’ विषयक सिद्धांत ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ ने प्रतिपादित किया है।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने
आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने
119. निम्नलिखित में से किस सिद्धांत का प्रसार रामानुजाचार्य ने किया?
द्वैतवाद
द्वैताद्वैतवाद
विशिष्टाद्वैतवाद
विशिष्टाद्वैतवाद सिद्धांत का प्रसार रामानुजाचार्य ने किया।
अद्वैतवाद
120. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने किस रचना को ‘ध्वनि काव्य’ माना है?
सूरदास कृत भ्रमरगीत को
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने सूरदास कृत भ्रमरगीत को ‘ध्वनि काव्य’ माना है।
सूर सागर को
सूर सारावली को
साहित्य लहरी को