तार किसे कहते हैं?
तार को अंग्रेजी में Telegram कहा जाता है। सरकारी विभागों एवं कार्यालयों में होने वाले पत्राचार का एक रूप तार-प्रेषण होता है। इसे शीघ्रगामी संदेश भी कहा जाता था। जब कोई सूचना बहुत जल्दी पहुंचानी होती थी अथवा कोई जानकारी तत्काल लेनी होती थी तो तब तार का प्रयोग किया जाता था। जब सरकारी पत्र या संबधित अनुस्मारक पत्रों या अर्द्धसरकारी पत्र का कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता तब तार का प्रयोग किया जाता है।
शासकीय कामकाज के अलावा निजी संस्थानों तथा कंपनियों द्वारा भी तार का प्रयोग किया जाता था। आम जनता भी तार का प्रयोग करती रही है। तार का कलेवर संक्षिप्त और स्पष्ट होता है। इसीलिए इसमें औपचारिकता की गुंजाइश नहीं होता। इसमें न तो संबोधन रहता है और न तो निर्देश। अर्थात तार में महोदय, विषय, पत्र संख्या, भवदीय आदि नहीं लिखा जाता।
तार की विशेषता:
- इसके संदेश में संज्ञा सर्वनाम के साथ कारक चिन्हों को लगाकर / मिलाकर भेजा (लिखा) जाता है; जैसे- आपसे, निदेशकने आदि।
- इसके संदेश में विभक्तियों एवं सहायक क्रियाओं को मिलाकर भेजा (लिखा) जाता है; जैसे- पहुँचरहीहै, स्थांतरितकियाजाताहै, केउत्तरमें आदि।
- इसी तरह स्थानों के नाम भी मिलाकर लिखे जाते थे; जैसे नयीदिल्ली, संतविनोवानगर आदि। इससे तार भेजने का खर्चा कम हो जाता था।
- तार में शब्दों तथा वाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले शब्दों तथा समुच्चयबोधक अव्ययों का इस्तेमाल नहीं किया जाता; जैसे- तब, और, किन्तु, परन्तु, इसीलिए, बल्कि, ताकि, क्योंकि, या, अथवा, एवं, तथा, अन्यथा आदि।
- तार के मुख्य भाग में अंक नहीं होने चाहिए, बदले में उन अंकों को शब्दों में लिखना चाहिए।
- पूर्णविराम को निर्देशक चिन्ह (―) की तरह अंकित किया जाना चाहिए।
तार के प्रकार:
तार निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
1. स्पष्टभाषी तार (Enclair Telegram):
जो तार स्पष्ट भाषा में भेजे एवं प्राप्त किए जाते हैं, उन्हें स्पष्टभाषी तार कहा जाता है। इन्हें किसी भी कार्यालय द्वारा डाक के माध्यम से निर्दिष्ट पते पर भेजा जाता है।
2. कूटभाषी तार (Code Telegram):
जिन तारों में कूट भाषा का प्रयोग किया जाता है उन्हें कूटभाषी तार कहते हैं। इसके माध्यम से गोपनीय संदेश भेजे जाते हैं। विदेशों में प्रायः विदेश मंत्रालय द्वारा कूटभाषी तार भेजा जाता है। इसे भेजते समय विदेश मंत्रालय द्वारा निर्धारित अनुदेशों का पालन करना जरुरी होता है। इसका प्रयोग देश के भीतर भी गोपनीय समाचार भेजने के लिए किया जाता है।
3. साधारण तार (Ordinary Telegram):
साधारण तार का प्रयोग सामान्य कार्यव्यवहार के लिए किया जाता है। सरकारी कामकाज में सामान्यतया इसी का प्रयोग किया जाता है।
4. द्रुतगामी तार (Express Telegram):
द्रुतगामी तार का प्रयोग शीघ्रातिशीघ्र उत्तर प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस प्रकार के तार में ऊपर एवं बीच में ‘द्रुतगामी पत्र’ लिखा जाता है। यह पत्र जैसे प्राप्त होता है तत्काल कार्यवाही शुरू हो जाती है।
5. राजकीय तार (State Telegram):
जब कोई तार किसी राज्य की ओर से भेजा जाता है तो उसे राजकीय तार कहते हैं। इसका प्रयोग शासकीय कार्यों के लिए किया जाता है। इसे वही अधिकारी भेज सकते हैं जिन्हें सरकार द्वारा ऐसे तार भेजने का अधिकार दिया है। इस प्रकार के पत्र में ऊपर एवं बीच में ‘राजकीय’ या ‘सरकारी’ लिखा जाता है।
6. अंतर्देशीय तार (Inland Telegram):
जो तार देश के भीतर भेजे जाते उन्हें अंतर्देशीय तार या ‘तार’ कहते हैं।
7. समुद्री तार (Overseas Telegram):
जो तार विदेशों को भेजे जाते हैं उन्हें समुद्री तार कहते हैं।
तार के अंग:
1. तार का उल्लेख:
सबसे ऊपर एवं सबसे पहले ‘तार’ लिखा जाता है।
2. अग्रता तथा राजकीय होने का उल्लेख:
‘तार’ लिखने के बाद उसी पंक्ति में ‘सरकारी / राज्य’ लिखा जाता है फिर अग्रता सूचक शब्द जैसे- साधारण / द्रुत, तात्कालिक / अति तात्कालिक आदि लिखा जाता है।
3. प्रेषित का पता:
अग्रता लिखने के बाद तार पाने वाले का पता संक्षेप में लिखा जाता है। यदि उसका कोई पंजीकृत (Registered) तार का पता है तो फिर वही लिखा जाता है । शासकीय तार में अधिकारी का पद तथा मंत्रालय या विभाग का नाम अथवा मंत्रालय के तार का पता लिखा जाता है।
4. कलेवर:
तार के कलेवर में सबसे पहले क्रम संख्या लिखकर निर्देशक चिह्न (―) लगा दिया जाता है। इसके बाद छोटे-छोटे वाक्यांशों या शब्दों में विषयवस्तु का उल्लेख किया जाता है। तार में विराम-चिह्न का प्रयोग नहीं होता, उसके बदले में ‘आ आ आ’ संकेत का प्रयोग होता है।
5. प्रेषक का पता:
कलेवर के समाप्त होने के बाद दाईं ओर को प्रेषक का नाम लिखा जाता है। सरकारी तारों में नाम के स्थान पर अधिकारी के पदनाम, विभाग या तार के पते का उल्लेख होता है।
6. तार घर के लिए जानकारी:
प्रेषक के पता लिखने के बाद उसके नीचे बाएं से दाएँ एक रेखा खींच दी जाती है। रेखा के नीचे ‘तार में सम्मिलित नहीं किया जाए’ का वक्यांस लिखकर और डेश लगाकर पत्रांक और दिनांक लिख दिया जाता है। यह जानकारी तार घर के अपने रिकार्ड के लिए है तथा न तो प्रेषिती के पास भेजी जाती है और न इसके लिए कोई पैसे लिए जाते हैं।
तार का प्रारूप:
तार का का नमूना:
तारपुष्टि पत्र (Confirmation Letter of Telegram):
शासकीय कार्यालय द्वारा तार की प्रतिलिपि तार भेजने के बाद तुरंत डाक से पुष्टि के लिए भेजी जाती है। मूल तार का प्रारूप तैयार करते समय ही इसे तैयार कर लिया जाता है। तार की पुष्टि के लिए प्रारूप की तीन प्रतियाँ टंकित करके एक प्रति प्रेषित को भेजी जाती हैं।
प्रतिलिपि में सबसे पहले मूल तार हू-ब-हू लिखने के बाद एक रेखा खींच कर ‘तार की पुष्टि हेतु डाक द्वारा प्रेषित’ वाक्यांस लिखा जाता है। इसके बाद दाईं ओर प्रेषक का हस्ताक्षर, नाम, पदनाम, विभाग आदि का उल्लेख किया जाता है। तत्पश्चात बाई ओर प्रेषित का आदि का उल्लेख किया जाता है।