अर्द्धसरकारी पत्र लेखन| Demi official letter

0
6976
ardh-sarkari-patra
Demi official letter

अर्द्धसरकारी पत्र:

सरकार के कामकाज में प्रयोग होने वाले पत्रों का एक दूसरा रूप होता है- अर्द्धसरकारी पत्र। इसे सरकारी पत्र का ही एक उपभेद कहा जा सकता है। इसे अंग्रेजी में Demi official letter कहते हैं। इसका प्रयोग भी सरकार के काम-काज में ही होता है। इस पत्र का प्रयोग कम होता है, विशेष स्थितियों में यह भेजे जाते हैं। जब किसी आवश्यक काम की ओर संबंधित अधिकारी का ध्यान तुरंत आकृष्ट करना हो, किसी आदेश का परिपालन शीघ्रता से करना हो, किसी विभाग से कोई जानकारी तुरंत लेनी हो तब अर्द्धसरकारी पत्र भेजे जाते हैं। इन पत्रों में औपचारिकता का पालन नहीं किया जाता है। काम की जल्दी को ध्यान में रखकर ही ऐसे पत्र संबंधित अधिकारी के व्यक्तिगत नाम से भेजे जाते हैं।

इस प्रकार अर्द्धसरकारी पत्र वे पत्र होते हैं जो सरकारी अधिकारियों के बीच औपचारिकता का परित्याग कर व्यक्तिगत ढंग से लिखे जाते हैं। “सरकारी कार्य के संदर्भ में एक अधिकारी दूसरे अधिकारी को किसी तथ्य कि ओर ध्यान दिलाने, आपस में सलाह मशविरा करने तथा स्पष्टीकरण एवं सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए अर्द्धसरकारी पत्र लिखता है।”1 इसका प्रयोग सरकारी अधिकारियों के बीच होता ही है, गैर सरकारी संस्थाओं के अधिकारियों के लिए भी होता है। अर्द्धसरकारी पत्र के द्वारा किसी तरह के विधिक आदेश नहीं दिए जाते।

सामान्यतः अर्द्धसरकारी पत्र का प्रयोग निम्न प्रयोजनों से किया जाता है-

  1. किसी मामले की ओर व्यक्तिगत रूप से किसी गूढ़ या विशेष समस्या की ओर अधिकारी का ध्यान आकर्षित करने के लिए।
  2. यदि किसी मामले में आनावश्यक विलम्ब हो रहा और अनुस्मारक भेजने के बावजूद भी उत्तर न मिले तो अधिकारी का उस ओर ध्यान दिलाने के लिए।
  3. किसी विषय पर अधिकारी की निजी अभिमत के लिए।
  4. सामान स्तर के राजपत्रित अधिकारियों के आपसी पत्र व्यवहार में सलाह-मशविरा, विचारों एवं सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए। कोई भी अधिकारी अपने से बड़े स्तर के अधिकारी को अर्द्धसरकारी पत्र नहीं लिख सकता।
  5. किसी विषय में गोपनीयता बनाए रखने के लिए भी इस पत्र का प्रयोग होता है।

अर्द्धसरकारी पत्र की भाषा:

अर्द्धसरकारी पत्र की भाषा सरल और स्पष्ट होती है। इसमें एकवचन (Singular Number), उत्तम पुरुष (First Person) का प्रयोग किया जाता है। इसकी भाषा वैयक्तिक एवं मित्रवत होती है। इसमें आपका सहयोग चाहता हूँ, आभारी रहूँगा, कृतार्थ करें आदि क्रिया रूपों का प्रयोग होता है। आज्ञा या अनुरोध रहित वाक्यों में ‘किया जा रहा है’ या ‘किया जा चुका है’ आदि का प्रयोग किया जाता है।

अर्द्धसरकारी पत्र की विशेषता:

  1. इसका स्वरूप व्यक्तिगत और उद्देश्य सरकारी होता है।
  2. इस पत्र में आदेशात्मक भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता है।
  3. इसे किसी अधिकारी के पास व्यक्तिगत नाम से भेजा जाता है।
  4. इसे व्यक्तिगत शैली में लिखा जाता है अर्थात ‘मैं’ या ‘आप’ का प्रयोग होता है।
  5. अर्द्धसरकारी पत्र में पृष्ठांकन या परांकन नहीं किया जाता।
  6. यह एक वचन एवं उत्तम पुरुष में लिखा जाता है।
  7. इसका प्रयोग सामान स्तर के अधिकारियोंके बीच, केंद्रीय मंत्रियों के बीच या राज्य मंत्रियों के बीच होता है। अपने से श्रेष्ठ अधिकारी को यह पत्र नहीं भेजा जाता।
  8. अर्द्धसरकारी पत्र में पाने वाले का नाम, पता बायीं तरफ लिखा जाता है।
  9. पत्र संख्या बाएं तरफ या बीचोबीच होती है।
  10. पत्र के अंत में दायीं तरफ प्रेषक अधिकारी का नाम कोष्टक में तो लिखा जाता है, किन्तु नाम के नीचे पदनाम नहीं लिखा जाता।
  11. कभी-कभी यह पत्र गोपनीय भी होता है।

सरकारी और अर्द्धसरकारी पत्र में अंतर:

सरकारी और अर्द्धसरकारी पत्रों में कुछ अंतर होता है जो निम्नलिखित हैं-

  1. इन दोनों में मूल अंतर उद्देश्य को लेकर होता है। सरकारी पत्रों का उद्देश्य सामान्य होता है, जबकि अर्द्धसरकारी पत्र किसी काम को जल्दी कराने के विशेष उद्देश्य से भेजे जाते हैं।
  2. सरकारी पत्र पूरी तरह से औपचारिक होते हैं, अर्द्धसरकारी पत्र अनौपचारिक होते हैं।
  3. सरकारी पत्र में पाने वाले अधिकारी का पदनाम (Designation) ही लिखा जाता है, व्यक्तिगत नाम कभी नहीं लिखा जाता। इसके विपरीत अर्द्धसरकारी पत्र में पाने वाले अधिकारी का व्यक्तिगत नाम और पद दोनों ही लिखा जाता है।
  4. सरकारी पत्र में धन्यवाद, सभार, सादर आदि का प्रयोग नहीं होता जबकि अर्द्धसरकारी पत्र में होता है।
  5. अर्द्धसरकारी पत्र में ‘प्रेषक’, ‘सेवा में’ आदि नहीं लिखा जाता।
  6. सरकारी पत्र में पाने वाले के लिए ‘महोदय’ संबोधन रहता है जबकि अर्द्धसरकारी पत्र में पाने वाले का उपनाम प्रिय या श्री लगाकर लिखा जाता है, महोदय लगाकर नहीं; जैसे- प्रिय शर्मा जी, प्रिय वर्मा जी।
  7. सरकारी पत्रों में पत्र की समाप्ति पर दायीं ओर ‘भवदीय’ लिखा जाता है, अर्द्धसरकारी पत्र में इसकी जगह ‘आपका’ लिखते हैं।
  8. सरकारी पत्र हमेशा अन्य पुरुष (वे) में लिखे जाते हैं। इसके विपरीत अर्द्धसरकारी पत्र उत्तम पुरुष (में, हम) में लिखे जाते हैं। जैसे- सरकारी पत्र में- मुझे यह कहने का निदेश हुआ है…, अर्द्धसरकारी पत्र में- मैं यह सूचित करना चाहूँगा कि…
  9. सरकारी पत्र में पृष्ठांकन होता है, जबकि अर्द्धसरकारी पत्र में पृष्ठांकन नहीं होता।
  10. सरकारी पत्र में पत्र संख्या बाएं या बीच में डाली जाती है जबकि अर्द्धसरकारी पत्र में दाहिनी ओर डाली जाती है।

अर्द्धसरकारी पत्र के अंग:

अर्द्धसरकारी पत्र के निम्नलिखित अंग हैं-

1. संख्या:

अर्धसरकारी पत्र के आरंभ में दायें तरफ ‘अर्द्ध.शा.सं.’ या ‘अ.स.सं.’ लिखने के बाद क्रमांक लिखा जाता है; जैसे-

अ.स. संख्या- 112/2022-23

2. प्रेषक:

क्रमांक लिखने के तत्काल बाद दायीं ओर प्रेषक और उसका पद तथा कार्यालय का नाम अथवा सरकार और विभाग का नाम लिखा जाता है, परंतु ‘प्रेषक’ शब्द नहीं लिखा जाता; जैसे-

शोभाकांत

भारत सरकार

मानव संसाधन विकास मंत्रालय

शिक्षा विभाग

3. स्थान एवं तिथि:

सरकार तथा मंत्रालय के उल्लेख के बाद दायीं ओर स्थान एवं तिथि का उल्लेख किया जाता है; जैसे-

दिल्ली, अगस्त 23, 2023

4. विषय:

अर्द्धसरकारी पत्र में विषय का उल्लेख नहीं होता परंतु अत्यंत आवश्यक होने पर स्थान एवं तिथि के बाद विषय लिखा जाता है।

5. संबोधन:

प्रेषक का नाम एवं पदनाम लिखने के बाद बायीं तरफ संबोधन लिखा जाता है। अर्द्धसरकारी पत्र में संबोधन पत्र भेजने और पाने वाले के संबंधों पर निर्भय करता है। यदि प्रेषक प्रेषित से परिचित नहीं है तो प्रिय श्री/ प्रिय महोदय लिखा जाता है। यदि परिचित हैं तो प्रियवर लिखा जाता है। यदि दोनों के बीच घनिष्टता है तो प्रिय/प्रियवर के साथ प्रेषित का नाम भी लिखा जाता है और अंत में ‘जी’ लगा दिया जाता है। संबोधन में कभी भी प्रेषित का पूरा नाम नहीं लिखा जाता है। संबोधन में कभी भी ‘सेवा में’ शब्द नहीं लिखा जाता।

प्रिय श्री सक्सेना,

6. कलेवर या विषयवस्तु:

संबोधन के बाद कलेवर या विषयवस्तु लिखा जाता है। यह पत्र का मुख्य भाग होता है जिसमें विषयवस्तु का विवरण होता है। यह उत्तम पुरुष एवं एकवचन में लिखा जाता है।

7. आभार प्रदर्शन:

विषयवस्तु के बाद आभार प्रदर्शन होता है। इसके अंतर्गत बायीं ओर से थोडा हट कर सादर, साभार या सधन्यवाद लिखा जाता है; जैसे-

साभार,

8. स्वनिर्देश:

आभार प्रदर्शन के नीचे दायीं तरफ स्वनिर्देश लिखा जाता है। स्वनिर्देश घनिष्ठता सूचक होता है इसलिए भवदीय के स्थान पर ‘आपका’, ‘आपका सद्भावी’ या ‘आपका ही’ लिखा जाता है; जैसे-

आपका

9. हस्ताक्षर:

स्वनिर्देश के ठीक नीचे दायीं तरफ ही प्रेषक का हस्ताक्षर होता है। यह प्रेषक के नाम के ऊपर होता है। हस्ताक्षर में या तो प्रेषक के नाम का पहला भाग; जैसे- नरेश या नाम के पहले भाग का पहला अक्षर और उपनाम लिखा जाता है; जैसे- न. शर्मा।

10. प्रेषित:

पत्र के अंत में बायीं तरफ प्रेषित का नाम, पदनाम और विभाग लिखा जाता है; जैसे-

श्री सर्फराज अहमद

निदेशक,

शिक्षा निदेशालय

नई दिल्ली

अर्द्धसरकारी पत्र का प्रारूप:

अर्द्धसरकारी पत्र का नमूना:

संदर्भ:

1. हिंदी औपचारिक लेखन- अनीता देवी, श्री नटराज प्रकाशन, दिल्ली- 2023, पृष्ठ- 68