परिपत्र लेखन | Circular

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paripatra-Circular
सर्कुलर

परिपत्र:

परिपत्र शब्द ‘परि’ उपसर्ग से बना है जिसका अर्थ समग्रता, व्याप्ति, आवरण आदि है। इसे ‘गश्ती’ पत्र भी कहते हैं। परिपत्र को अंग्रेजी में Circular कहा जाता है, जिसका अर्थ है- वृत्ताकार अर्थात एक बिंदु से लेकर घूमता हुआ पुन: उसी बिंदु पर आ जाने वाला पत्र। यह सरकारी पत्राचार का ही एक प्रकार है। सरकार के कामकाज में इसका भी उपयोग होता है।

जब कोई सरकारी पत्र अनेक विभागों / कार्यालयों को एक साथ भेजा जाता है, तब वह परिपत्र कहलाता है। परिपत्र किसी विभाग अथवा प्रधान कार्यालय की ओर से अधीनस्थ कार्यालयों को भी भेजे जाते हैं न की व्यक्तिगत किसी अधिकारी के लिए। दरअसल सर्कुलर व्यक्तिगत पत्र नहीं है और न ही कभी निजी स्तर पर प्रेषित किये जाते हैं।

जब विषय एक हो, प्रेषक एक हो, लेकिन पाने वाले अलग-अलग और अनेक हों, तब सरकारी पत्र ही परिपत्र कहलाने लगते हैं। एक ही आदेश, निर्देश अथवा सूचना का संबंध जब सरकार के कई विभागों से रहता है, तब सब को अलग-अलग पत्र लिखने के बजाय एक परिपत्र भेज दिया जाता है। प्रायः कार्यालयों में सर्कुलर मुद्रित फॉर्म होते हैं जिस पर कार्यालय का नाम मुद्रित रहता है।

“वस्तुतः परिपत्र सरकारी पत्राचार का कोई स्वतंत्र रूप नहीं है। इसकी संरचना अन्य सरकारी पत्रों के समान ही होती है। मात्र किसी सूचना, आदेश, अनुदेश को एक साथ अनेक कर्मचारियों को भेजना हो तो वही परिपत्र बन जाता है।”1 परिपत्र का प्रारूप और रचना शैली सरकारी पत्र जैसी होती है। दोनों में बहुत समानताएं हैं। इसे भेजते समय ऊपर बीचोबीच परिपत्र लिखना आवश्यक है।

परिपत्र की विशेषताएं:

  1. परिपत्र संक्षिप्त एवं स्पष्ट होता है।
  2. इसे भेजने वाला एक होता है, पाने वाले अनेक।
  3. यह एक व्यक्ति के लिए कभी नहीं भेजा जाता बल्कि अनेक व्यक्तियों के लिए भेजा जाता है।
  4. यह उच्च अधिकारियों द्वारा अधीनस्थ अधिकारियों या प्रधान विभाग द्वारा नीचे के विभागों को भेजे जाते हैं।
  5. इसे विभाग की आंतरिक और व्यापक जानकारी के लिए वितरित कराया जाता है।
  6. इसमें संख्या रहती है पर विभागीय होने के नाते संदर्भ, संबोधन और अधोलेख (भवदीय, विश्वासपात्र आदि) नहीं होते।
  7. इसमें उत्तम पुरुष (मैं) शैली और मध्यम पुरुष (आप, तुम) वाची सर्वनामों का प्रयोग नहीं होता। यह प्रायः कर्मवाच्य शैली में लिखा जाता है।
  8. इसके साथ एक सादा पृष्ठ नत्थी रहता है, जिस पर संबद्ध कर्मचारियों से, सूचना से अवगत होने के हस्ताक्षर करा लिए जाते हैं।
  9. कोई वरिष्ठ ही अपने से कनिष्ठ के लिए परिपत्र लिख सकता है।
  10. इसमें प्रेषक का नाम तभी दिया जाता है जब परिपत्र मुख्यालय से बाहर अधीनस्थ कार्यालयों को प्रेषित किया जाता है।
  11. इस पत्र की रचना प्राय: सरकारी पत्रों जैसी होती हैं।

परिपत्र का प्रारूप:

परिपत्र का नमूना- 1:

परिपत्र का नमूना- 2:

FAQ:

Q. परिपत्र किसे कहते हैं?

Ans. परिपत्र एक प्रकार की सूचना है जो कोई विभाग अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को देता है।

Q. परिपत्र किससे संबद्ध होता है?

Ans. परिपत्र विभाग के निदेश या अनुदेश से संबद्ध होता है।

Q. परिपत्र का प्रयोग किसी मंत्रालय, कार्यालय या विभाग द्वारा कब किया जाता है?

Ans. परिपत्र का प्रयोग किसी मंत्रालय, कार्यालय या विभाग द्वारा तब किया जाता है जब अधीनस्थ कार्यालयों या कर्मचारियों से कोई सूचना मांगनी हो अथवा कोई सूचना एक साथ अनेक कार्यालयों या कर्मचारियों को प्रेषित करनी हो।

Q. कोई ज्ञापन परिपत्र कब बन जाता है?

Ans. जब किसी ज्ञापन को किसी मंत्रालय के सभी सभी विभागों, अधीनस्थ कार्यालयों या अधिकारीयों को भेजना हो तो वह परिपत्र बन जाता है।

संदर्भ:

1. कार्यालयी हिंदी- कैलाश नाथ पांडेय, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली- 2013, पृष्ठ- 184

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