हिंदी आत्मकथा साहित्य
अन्य गद्य विधाओं की ही भाँति आत्मकथा (hindi aatmkatha) नामक साहित्यिक विधा का भी आगमन पश्चिम से हुआ। वहीं से विस्तारित होकर हिंदी साहित्य में प्रमुख विधा बन गई। aatmkatha के लिए अंग्रेजी में Autobiography शब्द प्रयुक्त होता है। नामवर सिंह ने अपने एक व्याख्यान में कहा था कि ‘अपना लेने पर कोई चीज परायी नहीं रह जाती, बल्कि अपनी हो जाती है।’ हिंदी आत्मकथाकारों ने यही किया। हिन्दी साहित्य में बनारसीदास जैन कृत ‘अर्द्धकथानक’ को हिंदी की पहली आत्मकथा माना जाता है। इसकी रचना सन् 1641 ई. में हुई थी। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इसे निर्विवाद रूप से हिंदी साहित्य में आत्मकथा की विधा की पहली किताब मानते हुए इसका महत्व स्वीकार किया है। नीचे आत्मकथाओं का कालक्रमानुसार सूची दी गई है-
हिन्दी आत्मकथाओं की सूची (कालक्रमानुसार)
हिंदी की प्रमुख aatmkatha और उसके लेखक निम्नलिखित हैं-
लेखक | आत्मकथा |
---|---|
बनारसीदास जैन | अर्द्ध कथानक (ब्रजभाषा पद्य में, 1641) |
दयानन्द सरस्वती | जीवनचरित्र (1860) |
भारतेन्दु हरिश्चंद्र | कुछ आप बीती कुछ जग बीती |
भाई परमानन्द | आपबीती (मेरी राम कहानी, 1921) |
महात्मा गांधी | सत्य के प्रयोग (1923) |
रामविलास शुक्ल | मैं क्रान्तिकारी कैसे बना (1933) |
सुभाष चन्द्र बोस | तरुण के स्वप्न (1935) |
भवानी दयाल संन्यासी | प्रवासी की कहानी (1939) |
श्यामसुन्दरदास | मेरी आत्मकहानी (1941) |
हरिभाऊ उपाध्याय | साधना के पथ पर (1946) |
गुलाब राय | मेरी असफलताएं |
मूलचन्द अग्रवाल | एक पत्रकार की आत्मकथा (1944) |
राहुल सांकृत्यायन | मेरी जीवनयात्रा (5 खंड, 1946, 47, 67) |
राजेन्द्र प्रसाद | आत्मकथा (1947) |
भवानी दयाल संन्यासी | प्रवासी की आत्मकथा (1947) |
वियोगी हरि | मेरा जीवन प्रवाह (1951) |
सत्यदेव परिव्राजक | स्वतन्त्रता की खोज में () |
यशपाल | सिंहावलोकन ( 3 खंड, 1951, 52, 55) |
अजितप्रसाद जैन | अज्ञात जीवन (1951) |
शान्तिप्रिय द्विवेदी | परिव्राजक की आत्मकथा (1952) |
देवेन्द्र सत्यार्थी | चांद सूरज के बीरन |
नील यक्षिणी | |
चतुरसेन शास्त्री | यादों की परछाइयां (1956) |
मेरी आत्मकहानी (1963) | |
सेठ गोविन्ददास | आत्मनिरीक्षण (1957) |
नरदेव शास्त्री | आपबीती जगबीती (1957) |
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी | मेरी अपनी कथा (1958) |
देवराज उपाध्याय | बचपन के वो दिन |
यौवन के द्वार पर | |
पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ | अपनी खबर (1960) |
सुमित्रानन्दन पन्त | साठ वर्ष : एक रेखांकन (1963) |
चतुरसेन शास्त्री | मेरी आत्मकहानी |
सन्तराम बी॰ ए॰ | मेरे जीवन के अनुभव |
आबिदअली | मजदूर से मिनिस्टर (1968) |
हरिवंश राय बच्चन | क्या भूलूँ क्या याद करूं (1969) |
नीड़ का निर्माण फिर (1970) | |
बसेरे से दूर (1978) | |
दशद्वार से सोपान तक (1985) | |
वृन्दावनलाल वर्मा | अपनी कहानी (1970) |
देवराज उपाध्याय | यौवन के द्वार पर (1970) |
चतुभुर्ज शर्मा | विद्रोही की आत्मकथा (1970) |
मोरार जी देसाई | मेरा जीवन-वृत्तान्त ( 2 भाग, 1972, 74) |
बलराज साहनी | मेरी फ़िल्मी आत्मकथा |
कृष्णचन्द्र | आधे सफ़र की पूरी कहानी (1979) |
रामविलास शर्मा | घर की बात (1983) |
मुडेर पर सूरज | |
देर सबेर | |
आपस की बात | |
अपनी धरती अपने लोग (1996) | |
विश्वनाथ लाहिरी | एक पुलिस अधिकारी की आत्मकथा (1984) |
रामदरश मिश्र | जहां मैं खड़ा हूँ (1984) |
रौशनी की पगडंडिया | |
टूटते-बनते दिन | |
उत्तर पक्ष | |
फुरसत के दिन (2000) | |
सहचर है समय (1991) | |
शिवपूजन सहाय | मेरा जीवन (1985) |
अमृतलाल नागर | टुकड़े-टुकड़े दास्तान (1986) |
हंसराज रहबर | मेरा सात जन्म ( 3 खंड ) |
यशपाल जैन | मेरी जीवनधारा (1987) |
डॉ॰ नगेन्द्र | अर्धकथा (1988) |
रेणु | आत्मपरिचय (1988) |
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर | तपती पगडंडियों पर पदयात्रा (1989) |
गोपाल प्रसाद व्यास | कहो व्यास कैसी कटी (1994) |
मनोहरश्याम जोशी | लखनऊ मेरा लखनऊ |
कमलेश्वर | जो मैंने जिया (1992) |
यादों के चिराग़ (1997) | |
जलती हुई नदी (1999) | |
रवीन्द्र कालिया | ग़ालिब छुटी शराब (2000) |
राजेन्द्र यादव | मुड़-मुड़ कर देखता हूं (2001) |
भगवतीचरण वर्मा | कहि न जाए का कहिए |
अखिलेश | वह जो यथार्थ था (2001) |
भीष्म साहनी | आज के अतीत (2003) |
अशोक वाजपेयी | पावभर जीरे में ब्रह्मभोज (2003) |
स्वदेश दीपक | मैंने मांडू नहीं देखा |
विष्णु प्रभाकर | पंखहीन (2004) |
मुक्त गगन में | |
पंछी उड़ गया | |
रवीन्द त्यागी | वसन्त से पतझड़ तक |
राजकमल चौधरी | भैरवी तंत्र |
कन्हैयालाल नन्दन | गुज़रा कहां-कहां से (2007) |
कहना ज़रूरी था (2009) | |
मैं था और मेरा आकाश (2011) | |
रामकमल राय | एक अन्तहीन की तलाश |
दीनानाथ मलहोत्रा | भूली नहीं जो यादें |
देवेश ठाकुर | यों ही जिया |
कृष्ण बिहारी | सागर के इस पार से उस पार तक (2008) |
हृदयेश | जोखिम |
एकान्त श्रीवास्तव | मेरे दिन मेरे वर्ष |
मिथिलेश्वर | पानी बीच मीन प्यासी |
और कहां तक कहें युगों की बात (2012) | |
नरेन्द्र मोहन | कमबख़्त निन्दर (2013) |
पुरुषोतम दास टंडन | राख की लपटें |
हरिशंकर परसाई | हम इक उम्र से वाकिफ हैं |
- कमलेश्वर ने ‘गर्दिश के दिन’ (1980) में भारतीय भाषाओं के 12 साहित्यकारों के आत्मकथ्य का सम्पादन किया है।
- विष्णुचन्द्र शर्मा ने 1984 में ‘मुक्तिबोध की आत्मकथा’ लिखा।
- सूर्यप्रसाद दीक्षित ने ‘निराला की आत्मकथा’1970 में लिखा है।
आत्मकथा विधा से संबंधित कुछ प्रश्न
1. हिंदी की प्रथम आत्मकथा उसके लेखक का नाम है-
(A) अर्द्ध कथानक- बनारसीदास जैन ✅
(B) जीवनचरित्र- दयानन्द सरस्वती
(C) सत्य के प्रयोग- महात्मा गांधी
(D) मेरी राम कहानी- भाई परमानन्द
2. ‘अपनी खबर’ आत्मकथा के लेखक कौन है-
(A) भीष्म साहनी
(B) श्यामसुंदर दास
(C) रामविलास शर्मा
(D) पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ ✅
3. वृन्दावनलाल वर्मा की आत्मकथा है:
(A) अपनी खबर
(B) तिरस्कृत
(C) अपनी कहानी ✅
(D) मुक्त गगन में
4. ‘अर्धकथानक’ किस भाषा की रचना है?
(A) अवधी
(B) ब्रज ✅
(C) बुंदेली
(D) राजस्थानी
5. इनमें से कौन-सी रचना आत्मकथा है?
(A) मैं आईना हूँ
(B) पहला पड़ाव
(C) मेरे सात जनम ✅
(D) आत्मदाह
6. निम्नलिखित में से कौन-सी कृति आत्मकथा है?
(A) कलम का सिपाही
(B) चीड़ों पर चाँदनी
(C) अर्द्धकथानक ✅
(D) बाणभट्ट की आत्मकथा
7. रचनाकाल की दृष्टि से निम्नलिखित आत्मकथाओं का सही अनुक्रम है:
(A) मेरी जीवन यात्रा, अर्धकथा, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, टुकड़े-टुकड़े दास्तान
(B) अर्धकथा, मेरी जीवन यात्रा, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, टुकड़े-टुकड़े दास्तान ✅
(C) टुकड़े-टुकड़े दास्तान, मेरी जीवन यात्रा, अर्धकथा, क्या भूलूँ क्या याद करूँ
(D) क्या भूलूँ क्या याद करूँ, टुकड़े-टुकड़े दास्तान, अर्धकथा, मेरी जीवन यात्रा
8. निम्नलिखित आत्मकथाओं को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए:
सूची- I | सूची- II |
(a) दस द्वार से सोपान तक | (i) वृंदावन लाल वर्मा |
(b) मेरी आत्म कहानी | (ii) राहुल सांकृत्यायन |
(c) अपनी कहानी | (iii) श्याम सुन्दर दास |
(d) मेरी जीवन यात्रा | (iv) हरिवंश राय बच्चन |
(v) चंदर सेन |
कोड:
(a) (b) (c) (d)
(A) (iii) (ii) (i) (v)
(B) (iv) (iii) (i) (ii) ✅
(C) (v) (iv) (iii) (i)
(D) (i) (ii) (iii) (iv)
आपकी इस सूची में एक आत्मकथा रह गई है। भारतेंदु युग या कहें उत्तर भारतेंदु युग के पुरोधा साहित्यकार व प्रमुख संपादक लज्जाराम मेहता (1863-1931) की लिखी आत्मकथा ‘आपबीती’ लिखी गईं 1928 में और उनकी मृत्यु 1931 के बाद 1932 में श्रीवेंकटेश्वर प्रेस मुंबई से मुद्रित हुई।
लज्जाराम मेहता, पूर्व प्रेमचंद युग के प्रमुख यथार्थवादी सामाजिक उपन्यासकार थे। उन्होंने 23 पुस्तकें लिखी, सब प्रकाशित हैं। उनका अंतिम उपन्यास ‘आदर्श हिंदू’ 1915 में काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा तीन जिल्दों में मनोरंजन पुस्तकमाला के नं. 4, 5, 6 क्रम में मुद्रित हुआ है। आपकी सभी पुस्तकें भारत के सभी बड़े व पुराने पुस्तकालयों में हैं।
लज्जाराम मेहता ने 1890-1894 में साहित्यिक समाचार पत्र ‘सर्वहित’ का संपादन किया। फिर 1897-1905 में ‘श्रीवेंकटेश्वर समाचार’ मुंबई का संपादन किया। इसमें महावीर प्रसाद द्विवेदी का पहला लेख भी प्रकाशित हुआ।
आशा है कि यह जानकारी आपके Hindi Sarang को समृद्ध करने में सहायक होगी। धन्यवाद।
धीरेन्द्र ठाकोर
हिंदी साहित्य का विस्तार विपुल है, ऐसे में बहुत संभव है कि आत्मकथा में भी कुछ रचनाएँ छूट गयी हों. लेकिन हिंदी साहित्य की समृद्धि में और इनको उचित तरीके से ऑनलाइन मंच और रखने के लिए हिंदी सारंग टीम को दिल से बधाई. आशा है आप आगे भी इस तरह से चीजों को व्यवस्थि रूप से रखते हुए इस मंच की प्रभावशीलता और बढ़ाते रहेंगे और लोगों को लाभान्वित करते रहेंगे.
सादर
मनीष
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