द्विवेदी युगीन प्रमुख आलोचक और आलोचना ग्रंथ

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द्विवेदी युगीन आलोचक और आलोचना ग्रंथ

द्विवेदी युग में आलोचना का रूप भरतेंदु युग के बरक्स आधिक निखरा हुआ है, साथ में आलोचना की कई नई पद्वातियाँ भी विकसित होती हैं। जैसे जगन्नाथप्रसाद भानु और लाला भगवानदीन ने संस्कृत काव्यशात्र के अनुकरण करके सैद्वान्तिक आलोचना के ग्रन्थ लिखे, वहीं दूसरी ओर पद्मसिंह शर्मा और मिश्र बन्धुओं (गणेश बिहारी, शुकदेव बिहारी और श्याम बिहारी) ने ‘हिन्दी नवरत्न’ तथा ‘मिश्रबन्धु विनोद’ की रचना कर हिन्दी में पहली बार तुलनात्मक आलोचना की शुरुआत किया। जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’ जैसे आलोचकों ने पाश्चात्य समीक्षकों के आलोचनात्मक कृतिओं का अनुवाद भी प्रस्तुत किया।
द्विवेदी युग में बिहारी और देव को लेकर काफी विवाद रहा, पंडित पद्यमसिंह शर्मा ने ‘बिहारी सतसई की टीका’ में बिहारी को श्रृंगार रस का सर्वश्रेष्ठ कवि माना है। तदुपरान्त कृष्ण बिहारी मिश्र ने ‘देव और बिहारी’ नामक पुस्तक लिखकर देव को श्रेष्ठ माना, वहीं लाला भगवान दीन ने ‘बिहारी और देव’ लिखकर इसका जमकर विरोध किया।

द्विवेदी युगीन प्रमुख आलोचक और आलोचना ग्रंथों की सूची-

dwivedi yugeen hindi aalochna list यहाँ देखीं जा सकती है. नीचे द्विवेदी युगीन आलोचक और आलोचना ग्रंथों की सूची दी जा रही है-

आलोचकआलोचनात्मक ग्रंथ
लाला भगवानदीन ‘दीन’अलंकार मंजूषा,
बिहारी और देव,
‘दोहावली, कवितावली, छत्रसाल दशक, रामचन्द्रिका, केशव कौमिदी, मानस’ आदि पर टीका,
ठाकुर-ठसक (सं.)
कृष्ण बिहारी मिश्रदेव और बिहारी
मिश्रबंधुहिंदी नवरत्न  
शुकदेव बिहारी मिश्रसाहित्य परिजात
पद्मसिंह शर्माबिहारी सतसई की टीका
जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’बिहारी रत्नाकर
समालोचनादर्श (पोप के ‘ऐस्से आन क्रिटिसिज्म’ का अनुवाद)
जगन्नाथप्रसाद भानुकाव्य प्रभाकर
सेठ गोविन्ददासनाट्यकला मीमांसा
श्यामसुंदर दास-साहित्यालोचन,
रूपक रहस्य
भाषा रहस्य,
भाषा विज्ञान,
हिंदी भाषा का विकास,
हिंदी भाषा और साहित्य,
हिंदी गद्य के निर्माता (2 भागों में)
महावीर प्रसाद द्विवेदीरसज्ञ रंजन,
कालिदास की निरंकुशता, 
कालिदास और उनकी कविता,
सुकवि संकीर्तन,
साहित्य संदर्भ,
साहित्य सीकर,
आलोचनांजलि,
समालोचना-समुच्चय,
हिंदी भाषा की उत्पत्ति,
साहित्य विचार
ब्रजरत्नदासभारतेंदु मंडल
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