भरतेंदु युगीन प्रमुख आलोचक और आलोचना ग्रंथ

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भरतेंदु युगीन प्रमुख आलोचक और आलोचना ग्रंथ

भारतेंदु को आधुनिक हिंदी आलोचना का जन्मदाता माना जाता है, उन्होंने 1883 ई. में ‘नाटक’ शीर्षक से आलोचनात्मक लेख लिखा। इसी लेख से हिंदी में सैद्धांतिक-समीक्षा का श्रीगणेश हुआ। भरतेंदु युग में ही बालकृष्ण भट्ट ने लाला श्रीनिवास दास के नाटक ‘संयोगिता स्वयंवर’ की समीक्षा अपने पत्र ‘हिंदी प्रदीप’ में किया। नीचे भरतेंदु युगीन प्रमुख आलोचकों और उनके आलोचना ग्रंथो की सूची दी गई है-

भरतेंदु युगीन आलोचक और आलोचना ग्रंथ सूची-

आलोचकआलोचनात्मक ग्रंथ
भारतेंदुनाटक
जगन्नाथप्रसादछंद प्रभाकर
प्रताप नारायण सिंहरस कुसुमाकर
शिवसिंह सेंगरशिवसिंह सरोज
लल्लूलाललाल चंद्रिका (बिहारी सतसई पर)
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’रसकलस
बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’‘संयोगिता स्वयंवर’ की समीक्षा
बालकृष्ण भट्टसच्ची समालोचना
भरतेंदु युगीन आलोचना
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