UGC NET Hindi old Question Paper Quiz 85

0
1854
nta-ugc-net-hindi-quiz
NTA UGC NET Hindi Mock Test

दोस्तों यह हिंदी quiz 85 है। यहाँ पर यूजीसी नेट जेआरएफ हिंदी की परीक्षा के प्रश्नों को दिया जा रहा है। यहाँ पर 20014 से लेकर 2016 तक के ugc net हिंदी के प्रश्नपत्रों में अनुच्छेद वाले प्रश्नों का चौथा भाग दिया जा रहा है। ठीक उसी तरह जैसे अनुच्छेद वाले प्रश्नों का तीसरा भाग nta ugc net hindi quiz 84 में दिया गया था।

निर्देश: निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उससे संबंधित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 1 से 5) के दिये गये बहुविकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें: (जून, 2014, II)

शासन की पहुँच प्रवृत्ति और निवृत्ति की बाहरी व्यवस्था तक ही होती है। उनके मूल या मर्म तक उनकी गति नहीं होती। भीतरी या सच्ची प्रवृत्ति-निवृत्ति को जागरित रखनेवाली शक्ति कविता है जो धर्मक्षेत्र में शक्ति भावना को जगाती रहती है। भक्ति धर्म की रसात्मक अनुभूति है। अपने मंगल और लोक के मंगल का संगम उसी के भीतर दिखाई पड़ता है। इस संगम के लिए प्रकृति के क्षेत्र के बीच मनुष्य को अपने हृदय के प्रसार का अभ्यास करना चाहिए। जिस प्रकार ज्ञान नरसत्ता के प्रसार के लिए है उसी प्रकार हृदय भी। रागात्मिका वृत्ति के प्रसार के बिना विश्व के साथ जीवन का प्रकृत सामंजस्य घटित नहीं हो सकता। जब मनुष्य के सुख और आनंद का मेल शेष प्रकृति के सुख-सौंदर्य के साथ हो जायेगा, जब उसकी रक्षा का भाव तृणगुल्म, वृक्ष-लता, पशु-पक्षी, कीट-पतंग, सब की रक्षा के भाव के साथ समन्वित हो जायेगा, तब उसके अवतार का उद्देश्य पूर्ण हो जायेगा और वह जगत्‌ का सच्चा प्रतिनिधि हो जायेगा।

1. स्व और लोक दोनों के मंगल का मिलन-बिंदु किसके भीतर है?

(A) भक्ति ✅

(B) ज्ञान

(C) योग

(D) कर्म

2. नरसत्ता के प्रसार के लिए उपयुक्त हैं:

(A) ज्ञान-हृदय ✅

(B) ज्ञान

(C) हृदय

(D) कर्म

3. जीवन का सामंजस्य विश्व के साथ स्थापित करने के लिए आवश्यक है

(A) प्रकृति

(B) ज्ञानात्मिका वृत्ति

(C) बैराग्य

(D) रागात्मिका वृत्ति ✅

4. सच्ची प्रवृत्ति-निवृत्ति जागरित रखने की शक्ति किसमें होती है?

(A) कविता ✅

(B) विज्ञान

(C) दर्शन

(D) समाजशास्त्र

5. मनुष्य के अवतार का उद्देश्य कब पूर्ण कहा जायेगा?

(A) सिर्फ मनुष्य समाज के साथ सामंजस्य स्थापित होने से

(B) मनुष्य समाज का शेष प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित होने से ✅

(C) पशु-पक्षियों के साथ सामंजस्य स्थापित होने से

(D) वृक्ष-लता के साथ सामंजस्य स्थापित होने से

निर्देश: निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उससे संबंधित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 6 से 10) के दिये गये बहुविकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें: (दिसम्बर, 2014, II)

यूरोप और अमरीका में जो आधुनिकता फैली है, उसका असली कारण वैज्ञानिक दृष्टिकोण की प्राथमिकता और प्राबल्य है। यह दृष्टि उद्योग और टेक्नालॉजी से नहीं उत्पन्न हुईं है, बल्कि टेक्नालॉजी और उद्योग ही इस दृष्टि के परिणाम हैं। यूरोप और अमरीका का सबसे बड़ा लक्षण वैज्ञानिक दृष्टि है, निष्ठुर होकर सत्य को खोजने की व्याकुलता है और इस खोज के क्रम में श्रद्धा, विश्वास, परम्परा और धर्म, किसी भी बाधा को बुद्धि स्वीकार करने को तैयार नहीं है। आधुनिक मनुष्य के बारे में सामान्य कल्पना यह है कि अपने चिंतन में वह निर्मम होता है, निष्ठुर और निर्भीक होता है। जो बात बुद्धि की पकड़ में नहीं आ सकती, उसे वह त्रिकाल में भी स्वीकार नहीं करेगा और जो बातें बुद्धि से सही दिखाई देती हैं, उनकी वह खुली घोषणा करेगा, चाहे वे धर्म के विरुद्ध पड़ती हों, नैतिकता के खिलाफ जाती हों अथवा उनसे मानवता का चिरपोषित विश्वास खंड-खंड हो जाता हो।

6. वैज्ञानिक दृष्टि कब धर्मनैतिकता और विश्वास का विरोध करती है?

(A) जब वे उसकी दृष्टि से सही हों

(B) जब वे मानवता की विरोधी हों

(C) जब वे समाज के मूल्यों के संरक्षक हों

(D) जब वे उसकी दृष्टि से गलत हों ✅

7. आधुनिक मनुष्य के संदर्भ में वैज्ञानिक दृष्टि की सबसे बड़ी सिद्धि है:

(A) तथ्यों के प्रति मन की प्रतिक्रिया

(B) तथ्यों के प्रति हृदय की अनुभूति

(C) तथ्यों का वस्तुगत परीक्षण और निष्कर्ष ✅

(D) तथ्यों के प्रति लोगों की क्रिया-प्रतिक्रिया

8. यूरोप और अमरीका में आधुनिकता के फैलने का कारण है

(A) उद्योग और टेक्‍नालॉजी का जन्म

(B) औद्योगिक वस्तुओं का उपयोग

(C) भौतिक दृष्टि का त्याग

(D) वैज्ञानिक दृष्टिकोण की प्रधानता और प्रबलता ✅

9. टेक्‍नालॉजी-उद्योग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बीच संबंध है?

(A) कार्य और कारण का ✅

(B) कारण और कार्य का

(C) आधार और अधिरचना का

(D) जनक और जन्य का

10. यूरोप और अमरीका किस संदर्भ में श्रद्धाविश्वासपरम्पराधर्म आदि किसी भी बाधा को मानने के लिए तैयार नहीं हैं?

(A) दार्शनिक सत्य की खोज के संदर्भ में

(B) वैज्ञानिक सत्य की खोज के संदर्भ में ✅

(C) सामाजिक वधार्थ के अनुसंधान के संदर्भ में

(D) साहित्यिक अनुसंधान के संदर्भ में

निर्देश: निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उससे संबंधित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 11 से 15) के दिए गए बहुविकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए: (जून, 2015, II)

कविता ही मनुष्य के हृदय को स्वार्थ-संबंधों के संकुचित मंडल से ऊपर उठाकर लोक-सामान्य भावभूमि पर ले जाती है, जहाँ जगत्‌ की नाना गतियों के मार्मिक स्वरूप का साक्षात्कार और शुद्ध अनुभूतियों का संचार होता है, इस भूमि पर पहुँचे हुए मनुष्य को कुछ काल के लिए अपना पता नहीं रहता। वह अपनी सत्ता को लोकसत्ता में लीन किये रहता है। उसकी अनुभूति सबकी अनुभूति होती है या हो सकती है। इस अनुभूति-योग के अभ्यास से हमारे मनोविकार का परिष्कार तथा शेष सृष्टि के साथ हमारे रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है। जिस प्रकार जगत्‌ अनेक रूपात्मक है उसी प्रकार हमारा हृदय भी अनेक भावात्मक है। इन अनेक भावों का व्यायाम और परिष्कार तभी समझा जा सकता है जबकि इनका प्रकृत सामंजस्य जगतू के भिन्न-भिन्न रूपों, व्यापारों या तथ्यों के साथ हो जाय। इन्हीं भावों के सूत्र से मनुष्य-जाति जगत्‌ के साथ तादात्म्य का अनुभव चिरकाल से करती चली आई है।

11. भावों का व्यायाम और परिष्कार कब संभव है?

(A) भावों का स्वाभाविक संबंध मानव-जगत्‌ से स्थापित होने पर

(B) भावों का स्वाभाविक संबंध प्रकृति-जगत्‌ से स्थापित होने पर

(C) भावों का स्वाभाविक संबंध मानवेतर जगत्‌ से स्थापित होने पर

(D) भावों का स्वाभाविक संबंध विश्व के विविध रूपों-व्यापारों के साथ स्थापित होने पर ✅

12. अनेक रूपात्मक जगत्‌ की तरह हमारा हृदय अनेक भावात्मक हैक्योंकि:

(A) जगत्‌ की सत्ता से हमारी हृदय की सत्ता निरपेक्ष है

(B) अनेक रूपात्मक जगत्‌ की आंतरिक अभिव्यक्ति हमारे हृदय द्वारा संभव है ✅

(C) अनेक भावात्मक हृदय कारण है और जगत्‌ उसकी अभिव्यक्ति

(D) अनेक रूपात्मक जगत्‌ और हमारे हृदय में प्रस्तुत-अप्रस्तुत संबंध है

13. मनुष्य जाति जगतू के साथ तादात्म्य का अनुभव किसके कारण करती रही है?

(A) बुद्धि के सामंजस्य के कारण

(B) मन के सामंजस्य के कारण

(C) अहंकार के सामंजस्य के कारण

(D) हृदय के सामंजस्य के कारण ✅

14. शुद्ध अनुभूतियों का संचार कब होता है?

(A) लोक सामान्य की भावभूमि से हृदय को मिलाने से ✅

(B) लोक सामान्य की भावभूमि से हृदय को मुक्त करने से

(C) हृदय को लोकजगतू्‌ में सिर्फ मनुष्य जगत्‌ से संबंद्ध रखने से

(D) हृदय को लोकजगतू्‌ में सिर्फ चेतन जगत्‌ से संबंद्ध रखने से

15. हमारे मनोविकार का परिष्कार किस दशा में संभव है?

(A) लोकसत्ता से अपनी सत्ता को विशिष्ट समझते रहने से

(B) लोकसत्ता से अपनी सत्ता को निरर्थक समझते रहने से

(C) लोकसत्ता के सामने अपनी सत्ता का समर्पण कर देने के अभ्यास से ✅

(D) लोकसत्ता के सामने अपनी सत्ता को तुच्छ मानकर अलग रखने से

निर्देश: निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उससे संबंधित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 16-20) के दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए। (दिसम्बर, 2015, II)

अतीत की स्मृति में मनुष्य के लिए स्वाभाविक आकर्षण है। अर्थपरायण लाख कहा करें कि ‘गड़े मुर्दे उखाड़ने से क्‍या फायदा’ पर हृदय नहीं मानता; बार-बार अतीत की ओर जाता है; अपनी यह बुरी आदत नहीं छोड़ता। इसमें कुछ रहस्य अवश्य है। हृदय के लिए अतीत एक मुक्ति लोक है जहाँ वह अनेक प्रकार के बंधनों से छूटा रहता है और अपने शुद्ध रूप में विचरता है। वर्तमान हमें अंधा बनाए रहता है; अतीत बीच-बीच में हमारी आँखें खोलता रहता है। मैं तो समझता हूँ कि जीवन का नित्य स्वरूप दिखाने वाला दर्पण मनुष्य के पीछे रहता है; आगे तो बराबर खिसकता हुआ दुर्भेद्य परदा रहता है। बीती बिसारने वाले ‘आगे की सुध रखने का दावा’ किया करें, परिणाम अशांति के अतिरिक्त और कुछ नहीं। वर्तमान को संभालने और आगे की सुध रखने का डंका पीटने वाले संसार में जितने ही अधिक होते जाते हैं, संघ-शक्ति के प्रभाव से जीवन की उलझनें उतनी ही बढ़ती जाती हैं। बीता बिसारने का अभिप्राय है जीवन की अखंडता और व्यापकता की अनुभूति का विसर्जन; सहदयता भावुकता का भंग- केवल अर्थ की निष्ठुर क्रीड़ा।

16. अतीत की स्मृति में मनुष्य के लिए स्वाभाविक आकर्षण हैक्योंकि:

(A) मनुष्य अतीत जीवी होता है

(B) मनुष्य वर्तमान से भागना चाहता है

(C) वहाँ मनुष्य अनेक प्रकार के बंधनों से मुक्त रहता है ✅

(D) मनुष्य अर्थपरायण नहीं होता है

17. ‘वर्तमान हमें अंधा बनाए रहता है’– इसका भाव है:

(A) वर्तमान में बहुत-सी समस्याएँ रहती हैं

(B) हम वर्तमान की समस्याओं में ही उलझे रहते हैं ✅

(C) हमारी सारी समस्याएँ वर्तमान से संबद्ध रहती हैं

(D) हमें वर्तमान से प्रेम होता है

18. अशांति किसका परिणाम है?

(A) वर्तमान से लगाव का

(B) वर्तमान की उपेक्षा का

(C) भविष्य की चिंता का

(D) अतीत की विस्मृति का ✅

19. केवल अर्थ की क्रीड़ा निष्ठुर हैक्योंकि:

(A) वह उलझनों को बढ़ाती है

(B) वह अतीत की उपेक्षा करती है

(C) वह वर्तमान की अधिक चिंता करती है

(D) वह मनुष्य को सहृदय नहीं रहने देती है ✅

20. जीवन का नित्य स्वरूप दिखाने वाला दर्पण क्‍या है?

(A) अतीत की स्मृति ✅

(B) अतीत का सुख

(C) अतीत का दुख

(D) अतीत का मोह

निर्देश: निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उससे सम्बन्धित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 21 से 25) के दिए गए बहुविकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए: (जून. 2016, II)

श्रद्धा द्वारा हम दूसरे के महत्त्व के किसी अंश के अधिकारी नहीं हो सकते, पर भक्ति द्वारा हो सकते हैं। श्रद्धालु महत्त्व को स्वीकार करता है, पर भक्त महत्व की ओर अग्रसर होता है। श्रद्धालु अपने जीवन-क्रम को ज्यों का त्वों छोड़ता है; पर भक्त उनकी काट-छाँट में लग जाता है। अपने आचरण द्वारा दूसरों की भक्ति के अधिकारी होकर ही संसार के बड़े-बड़े महात्मा समाज के कल्याण-साधन में समर्थ हुए हें। गुरु गोविंद सिंह को यदि केवल दण्डवत्‌ करने वाले और गद्दी पर भेंट चढ़ाने बाले श्रद्धालु ही मिलते, दिन रात साथ रहने वाले- अपने सारे जीवन को अर्पित करने वाले- भक्त न मिलते तो वे अन्याय-दमन में कभी समर्थ न होते। इससे भक्ति के सामाजिक महत्त्व को, इसकी लोक-हितकारिणी शक्ति को स्वीकार करने में किसी को आगा-पीछा नहीं हो सकता। सामाजिक महत्त्व के लिए आवश्यक है कि या तो आकर्षित करो या आकर्षित हो। जैसे इस आकर्षण-विधान के बिना अणुओं द्वारा व्यक्त पिण्डों का आविर्भाव नहीं हो सकता, वैसे ही मानव-जीवन की विशद्‌ अभिव्यक्ति भी नहीं हो सकती।

21. हम दूसरे के महत्त्व के अधिकारी कैसे हो सकते हैं?

(A) श्रद्धा द्वारा

(B) आचरण द्वारा

(C) आस्था द्वारा

(D) भक्त द्वारा ✅

22. महात्मा अन्याय का दमन करने में कैसे समर्थ होते हैं?

(A) लोक कल्याण साधना में सब कुछ समर्पित करने वाले भक्तों के सहयोग से ✅

(B) भेंट चढ़ाने वाले भक्तों की दक्षिणा से

(C) श्रद्धालुओं के सहयोग से

(D) दण्डवत्‌ करने वाले भक्तों के सहयोग से

23. समाज कल्याण संभव हो पाता हैयदि:

(A) अपना आचरण ठीक-ठाक होता है

(B) दूसरों का आचरण ठीक होता है

(C) ऐसा आचरण हो कि दूसरे आप के प्रति भक्ति रखें ✅

(D) दिन रात काम करते रहें

24. भक्त के सामाजिक महत्त्व का अभिप्राय है:

(A) लोक-हित कारिणी शक्ति को अस्वीकार करना

(B) समाज के प्रति आकर्षित होना

(C) भक्‍त को सर्वोपरि मानना

(D) लोक-हितकारिणी शक्ति को स्वीकार करना ✅

25. मानव जीवन की सार्थक और व्यापक अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक है:

(A) आकर्षण विधान ✅

(B) सामाजिक लगाव

(C) पिण्डों का आविर्भांव

(D) अणुओं का अस्तित्व

निर्देश: निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उससे सम्बन्धित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 26 से 30) के दिए गए बहुविकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए: (दिसम्बर, 2016, II)

भावों को छानबीन करने पर मंगल का विधान करने वाले दो भाव ठहरते हैं- करुणा और प्रेम। करुणा की गति रक्षा की ओर होती है और प्रेम की रंजन की ओर। लोक में प्रथम साध्य रक्षा है। रंजन का अवसर उनके पीछे आता है। अत: साधनावस्था या प्रयत्नपक्ष को लेकर चलने बाले काव्यों का बीजभाव करुणा ही ठहरती हे। इसी से शायद अपने दो नाटकों में रामचरित को लेकर चलने बाले महाकवि भवभूति ने ‘करुणा’ को ही एकमात्र रस कह दिया। रामायण का बीजभाव करुणा है जिसका संकेत क्रौंच को मारने वाले निषाद के प्रति वाल्मीकि के मुँह से निकले वचन द्वारा आरंभ ही में मिलता है। उसके उपरान्त भी बालकाण्ड के 15वें सर्ग में इसका आभास दिया गया है जहाँ देवताओं ने ब्राह्मण से रावण द्वारा पीड़ित लोक की दारुण दशा का निवेदन किया हे। उक्त आदिकाव्य के भीतर लोकमंगल को शक्ति के उदय का आभास ताड़का और मारीच के दमन के प्रसंग में ही मिल जाता हे। पंचवटी से वह शक्ति जोर पकड़ती दिखाई देती है। सीताहरण होने पर उसमें आत्म-गौरव और दाम्पत्य-प्रेम को प्रेरणा का भी योग हो जाता है। लोक के प्रति करुणा जब सफल हो जाती है, लोक जब पीड़ा और विघ्नबाधा से मुक्त हो जाता है तब राम राज्य में जाकर लोक के प्रति प्रेम प्रवर्तन का, प्रजा के रंजन का, उसके अधिकाधिक सुख के विधान का अवकाश मिलता है।

26. साधनावस्था को लेकर चलने वाले काव्यों का बीजभाव करुणा है। क्योंकि:

(A) लोक में प्रथम साध्य रक्षा है ✅

(B) करुणा की गति रक्षा की ओर नहीं है

(C) मंगल विधान में करुणा का अवसर पीछे आता है

(D) करुणा में रंजन का अवसर है

27. लोक में प्रजारंजन के सुख-विधान का अवकाश कब मिलता है?

(A) लोक जब आत्म-गौरव प्राप्त करता है

(B) लोक में जब दाम्पत्व-प्रेम की प्रेरणा का योग होता है

(C) लोक में जब प्रेम-प्रवर्तन होता है

(D) लोक जब पीड़ित अवस्था से मुक्ति पाता है ✅

28. पंचवटी प्रसंग का महत्व किसमें प्रतिष्ठित है?

(A) लोकमंगल की शक्ति के विकास में ✅

(B) लोक रंजन के विकास में

(C) लोक कल्याण से विरक्ति में

(D) लोक संस्कार के विस्तार में

29. उपर्युक्त गद्यांश में ‘सीताहरण’ प्रसंग को क्यों उद्धृत किया गया है?

(A) लोक के प्रति करुणा को व्यक्त करने हेतु

(B) आत्मसम्मान और नैतिकता को व्यक्त करने के लिए

(C) प्रजा-रंजन को विस्तार देने के लिए

(D) लोकमंगल, आत्मगौरव और दाम्पत्य-प्रेम को प्रतिष्ठित करने के लिए ✅

30. लोकमंगल के उदय का आधार कौन-सी घटना है?

(A) निषाद का आचरण

(B) सीताहरण

(C) ताड़का और मारीच का दमन ✅

(D) रावण द्वारा लोक को पीड़ित करना

Previous articleUGC NET Hindi old Question Paper Quiz 84
Next articleUGC NET Hindi old Question Paper Quiz 86