वीर भारत तलवार के शब्दों में हिंदी साहित्य में स्त्रीविमर्श से दयनीय कोई दूसरा विमर्श नहीं है, तब भी स्त्रीविमर्श पर काफी लिखा पढ़ा गया। अन्य विषयों और विधाओं की तरह पश्चिमी नारी आंदोलनों और मुक्ति का प्रभाव हमारे लेखक-लेखिकाओं पर भी पढ़ा। या कहें इसके सिद्धांत एवं दर्शन मुख्य रूप से पश्चिमी मूल्यों एवं दर्शन पर आधारित रहे हैं। स्त्रीविमर्श से सम्बन्धित आलोचनात्मक ग्रन्थों की सूची नीचे दी जा रही है।
स्त्रीविमर्श (stri-vimarsh) से सम्बन्धित पुस्तक-सूची-
| लेखिका/लेखक | पुस्तक |
|---|---|
| राधा कुमार | स्त्री संघर्ष का इतिहास |
| प्रभा खेतान | उपनिवेश में स्त्री, स्त्री उपेक्षिता (अनु.) |
| राजेन्द्र यादव | आदमी के निगाह में औरत, औरत उत्तर कथा |
| राजेन्द्र यादव, अर्चना वर्मा | अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य |
| राजकिशोर | स्त्री-पुरुष: कुछ पुनर्विचार, स्त्री के लिए जगह, स्विमिंग पूल पर टॉपलेस, स्त्रीत्व का उत्सव, स्त्री, परंपरा और आधुनिकता |
| डॉ. धर्मवीर | सीमन्तनी उपदेश |
| अरविंद जैन | औरत होने की सजा, उतराधिकार बनाम पुत्राधिकार, औरत: अस्तित्व और अस्मिता, न्यायक्षेत्रे अन्यायक्षेत्रे, यौन हिंसा और न्याय की भाषा, बचपन से बलात्कार |
| कमला प्रसाद, अरविंद जैन | स्त्री: मुक्ति का सपना |
| देवेन्द्र इस्सर | स्त्रीमुक्ति के प्रश्न |
| भवदेव पाण्डेय | बंग महिला: नारी मुक्ति का संघर्ष |
| सुधीश पचौरी | नारी देह के विमर्श |
| मन्मथनाथ गुप्त | स्त्री-पुरुष सम्बन्धों का रोमांचकारी इतिहास |
| जगदीश्वर चतुर्वेदी | स्त्रीवादी साहित्य विमर्श |
| मृदुला गर्ग | चुकते नहीं सवाल |
| मृणाल पांडे | देह की राजनीति से देश की राजनीति तक, परिधि पर स्त्री |
| लीला दुबे | लिंगभाव का मानव वैज्ञानिक अन्वेषण: प्रतिच्छेदी क्षेत्र |
| कात्यायनी | दुर्ग द्वार पर दस्तक |
| मैत्रेयी पुष्पा | खुली खिड़कियाँ, सुनो मालिक सुनो |
| अनामिका | स्वाधीनता का स्त्री-पक्ष, स्त्रीत्व का मानचित्र, स्त्री विमर्श का लोकपक्ष, पानी जो पत्थर पीता है |
| नासिरा शर्मा | औरत के लिए औरत |
| रोहिणी अग्रवाल | हिंदी उपन्यास का स्त्री-पाठ, साहित्य की ज़मीन और स्त्री-मन के उच्छ्वास, स्त्री-लेखन: स्वरूप और संकल्प |
| क्षमा शर्मा | स्त्रीवादी विमर्श: समय और साहित्य, स्त्रीत्ववादी विमर्श: समाज और साहित्य, समकालीन स्त्री विमर्श, स्त्री का समय |
| सरला माहेश्वरी | नारी प्रश्न, सामान नागरिक संहिता |
| नमिता सिंह | स्त्री-प्रश्न |
| तसलीमा नसरीन | औरत के हक में, औरत का कोई देश नहीं |
| महाश्वेता देवी | स्त्री-पर्व |
| गीताश्री | सपनों की मंडी |
| अनुपमा राय | नागरिकता का स्त्री-पक्ष |
| के.एम. मालती | स्त्री विमर्श: भारतीय परिप्रेक्ष्य |
| इलीना सेन | संघर्ष के बीच संघर्ष के बीज |
| दिव्या जैन | हौवा की बेटी |
| सुमन कृष्णकांत | इक्कीसवीं सदी की ओर |
| दिनेश नंदिनी डालमिया | नए आयामों को तलाशती नारी |
| उर्मिला प्रकाश मिश्र | प्राचीन भारत में नारी |
| जया मित्रा | जो मारे जायेंगे |
| सुधा बालकृष्णन | नारी: अस्तित्व की पहचान |
| नताशा अरोड़ा | प्राचीन भारत में न्याय व्यवस्था |
| प्रियदर्शिनी विजयश्री | देवदासी या धार्मिक वेश्या एक पुनर्विचार |
| नूतन सिन्हा | साम्प्रदायिक दंगे और नारी |
| गीतेश शर्मा | धर्म के नाम पर |
| ममता कालिया | भविष्य का स्त्री विमर्श |
| जर्मन ग्रीयर | बधिया स्त्री |
| सीमोन द बुआ | एक गुमशुदा औरत की डायरी |
| लुइज़ ब्राउन | यौन दासियाँ: एशिया का सेक्स बाज़ार |
| वर्जीनिया वुल्फ | अपना कमरा |
| लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी | मैं हिजड़ा… मैं लक्ष्मी! |









