राजस्थान सहायक आचार्य हिंदी परीक्षा 2020 की प्रथम प्रश्न पत्र की परीक्षा 23-09-2021 को प्रथम पाली में आयोजित हुई थी। rpsc colleges lecture hindi का 1st peper यहाँ दिया जा रहा है। 2nd Question Papers को भी आप पढ़ सकते हैं।
colleges lecture Hindi Question Papers
1. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने क्रोचे के अभिव्यंजनावाद को भारतीय काव्यशास्त्र के किस सिद्धान्त के निकटतम माना है?
(A) रस सिद्धान्त
(B) वक्रोक्ति सिद्धान्त
(C) अलंकार सिद्धान्त
(D) रीति सिद्धान्त
Ans (B): आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने क्रोचे के अभिव्यंजनावाद को भारतीय काव्यशास्त्र के वक्रोक्ति सिद्धान्त के निकटतम माना है।
2. कॉलरिज की दृष्टि में कल्पना के विषय में असंगत कथन है-
(A) वे कल्पना को ईश्वरीय शक्ति मानते हैं।
(B) वे ललित कल्पना व कल्पना में सहज संबंध मानते हैं।
(C) कविता में समन्वय का विशेष महत्त्व है।
(D) कविता में सामंजस्य कल्पना के माध्यम से घटित होता है।
Ans (B): कॉलरिज ललित कल्पना व कल्पना में सहज संबंध नहीं मानते हैं।
3. क्रोचे के संबंध में असंगत कथन है-
(A) क्रोचे का अभिव्यंजनावाद सिद्धान्त केवल काव्य पर ही लागू नहीं होता, सभी ललित कलाओं के लिए समान रूप से महत्त्व रखता है।
(B) क्रोचे की पुस्तक का शीर्षक ‘एस्थेटिक’ है।
(C) क्रोचे ने मार्क्स द्वारा प्रतिपादित द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद को स्वीकार किया।
(D) क्रोचे मूलत: आत्मवादी दार्शनिक थे।
Ans (C): क्रोचे मार्क्सवाद के कट्टर आलोचक थे।
4. ‘बायोग्राफिया लिटेरेरिया’ के लेखक हैं-
(A) कॉलरिज
(B) लॉजाइनस
(C) प्लेटो
(D) टी.एस. इलियट
Ans (A): ‘बायोग्राफिया लिटेरेरिया’ (1817 ई.) के लेखक कॉलरिज हैं।
5. “इतिहास बोध का अर्थ अतीत के अतीतत्व का ही नहीं अपितु उसके वर्तमानत्व का भी अवगम है।” यह मान्यता किसकी है?
(A) अरस्तू
(B) क्रोचे
(C) कॉलरिज
(D) टी.एस. इलियट
Ans (D): यह मान्यता ‘टी.एस. इलियट’ की है।
6. टी.एस. इलियट का मत नहीं है-
(A) कला की जैविक सत्ता होती है।
(B) कविता का अपना एक अलग स्वतंत्र जीवन है।
(C) काव्यगत संवेदना और कवि के मन की संवेदना भिन्न होती है।
(D) कला का संवेग वैयक्तिक होता है।
Ans (D): टी.एस. इलियट के अनुसार कला का संवेग निर्वैयक्तिक होता है, और निजी भाव या संवेग नहीं रहते।
7. कॉलरिज के कल्पना सिद्धान्त के संबंध में असंगत है-
(A) मुख्य कल्पना समस्त मानवीय प्रत्यक्ष बोध की आद्य अभिकर्ता तथा जीवन्त शक्ति है।
(B) गौण कल्पना मुख्य कल्पना की प्रतिध्वनि है।
(C) वे मुख्य कल्पना को तर्क से तथा गौण कल्पना को समझ से जोड़ते हैं।
(D) मुख्य कल्पना तथा गौण कल्पना में गुण का नहीं, मात्र परिमाण का अन्तर है।
Ans (C): कॉलरिज ने कल्पना सिद्धान्त में मुख्य कल्पना को ‘समझ’ से तथा गौण कल्पना को ‘तर्क’ से जोड़ते हैं।
8. ‘कविता भाव का स्वच्छन्द प्रवाह नहीं, भाव से पलायन है; व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं, उससे मुक्ति का नाम है।’ -मान्यता किसकी है?
(A) प्लेटो
(B) अरस्तू
(C) टी.एस. इलियट
(D) क्रोचे
Ans (C): उपरोक्त मान्यता ‘टी.एस. इलियट’ की है।
9. मार्क्सवादी चिंतन से प्रभावित हिंदी की प्रमुख साहित्य परम्परा है?
(A) नयी कविता
(B) छायावाद
(C) प्रयोगवाद
(D) प्रगतिवाद
Ans (D): मार्क्सवादी चिंतन से प्रभावित हिंदी की प्रमुख साहित्य परम्परा ‘प्रगतिवाद’ है।
10. किस कथन से इलियट सहमत नहीं हैं?
(A) परम्परा में अतीत के प्रति विद्रोह सम्भव नहीं है।
(B) परम्परा के ज्ञान से साहित्यकार को यह जानकारी हो जाती है कि उसे क्या करना चाहिए।
(C) परम्परा के ज्ञान से यह ज्ञात होता है कि साहित्यकार की कृति का मूल्य क्या है।
(D) परम्परा दाय के रूप में स्वयं उपलब्ध नहीं होती उसे प्राप्त करने के लिए सचेष्ट प्रयत्न किया जाना चाहिए।
Ans (A): टी.एस. इलियट परम्परा को रूढ़ि-पालन के रूप में स्वीकार नहीं करते, अतीत के प्रति विद्रोह भी उसमें (परम्परा में) सम्भव मानते हैं।
11. साहित्य के महत्त्व के संबंध में मार्क्सवादी सिद्धान्त विषयक असंगत कथन है-
(A) साहित्य वर्गों के बीच विचारधारात्मक संघर्ष में महत्त्वपूर्ण अंग है।
(B) साहित्य श्रमिक वर्ग व जनसाधारण की शिक्षा और चेतना में योगदान कर सकता है।
(8) साहित्य शोषकों की शक्ति को मजबूत बना सकता है तो उसकी जड़ें भी खोद सकता है।
(D) वर्ग अचल व अपरिवर्तनशील होते हैं तथा उनका आपसी संबंध इतिहास की धारा के साथ बदलता नहीं है।
Ans (D): वर्ग परिवर्तनशील होते हैं तथा उनका आपसी संबंध इतिहास की धारा के साथ बदलता है।
12. “इस मानसिकता का कोई विचारधारात्मक आधार भी नहीं है क्योंकि इसका एक महत्त्वपूर्ण लक्षण विचारधारा-मात्र का निषेध है।” यह कथन साहित्यशात्र की किस आलोचना पद्धति के संदर्भ में उपयुक्त है?
(A) उत्तरआधुनिकता
(B) निर्वैयक्तिकता
(C) मार्क्सवाद
(D) अभिव्यंजनावाद
Ans (A): यह कथन साहित्यशात्र की ‘उत्तरआधुनिकता’ आलोचना पद्धति के संदर्भ में उपयुक्त है।
13. मार्क्सवादी साहित्य चिंतन के अनुसार उपयुक्त कथन नहीं है-
(A) कला अपने सभी रूपों में सर्वोत्तम सामाजिक गतिविधि रही है।
(B) अनुभव या बोध के कलात्मक अंकन की प्रतिभा जन्मजात रूप में प्राप्त नहीं होती।
(C) यथार्थवादी चित्रण यथार्थ की मात्र नकल है।
(D) कला के अभिप्राय, सन्देश, सार तत्त्व व रूप-शिल्प में बदलाव होता रहता है।
Ans (C): मार्क्स तथा एंगेल्स ने इस बात पर जोर दिया कि यथार्थवादी चित्रण यथार्थ की मात्र नकल नहीं है।
14. उत्तरआधुनिकतावादी अवधारणा के प्रभाव के संबंध में असंगत कथन है-
(A) संस्कृति व कलाकृतियाँ भी उत्पाद हो गयीं।
(B) वैशिष्टय का महत्त्व कम व संख्या का महत्त्व अधिक हुआ।
(C) रचनाकार का ध्यान प्रभाव की प्रकृति और गुणवत्ता पर टिका रहता है, प्रसार व सफलता पर नहीं।
(D) आइडियालॉजी की जगह टेक्नॉलॉजी का वर्चस्व बढ़ने लगा।
Ans (C): उत्तरआधुनिकतावादी रचनाकार का ध्यान प्रभाव की प्रकृति और गुणवत्ता पर नहीं बल्कि प्रसार व सफलता पर टिका रहता है।
15. ‘साहित्यिक पाठ व आलोचनात्मक पाठ में कोई भेद नहीं होता।” यह विचार निम्नलिखित में से किस चिंतन दृष्टि के निकट है?
(A) कल्पना सिद्धान्त
(B) विखण्डनवाद
(C) अभिव्यंजनावाद
(D) परम्परा और निर्वेयक्तिकता सिद्धान्त
Ans (B): विखण्डनवाद साहित्यिक पाठ व आलोचनात्मक पाठ में कोई भेद नहीं मानता।
16. साहित्य में विखण्डनवाद के उद्भावक आचार्य माने जाते हैं-
(A) जॉक देरिदा
(B) कॉर्ल मार्क्स
(C) सुधीश पचौरी
(D) एफ.आर. लीविस
Ans (A): साहित्य में विखण्डनवाद के उद्भावक आचार्य ‘जॉक देरिदा’ माने जाते हैं।
17. उत्तरआधुनिकतावादी सोच के विकसित होने के कारणों में शामिल नहीं है-
(A) भूमण्डलीकरण
(B) एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति पर आधिपत्य
(C) सूचना का साम्राज्यवाद
(D) साहित्य का दृढ़ता के साथ स्थापन
Ans (D): साहित्य का दृढ़ता के साथ स्थापन, उत्तरआधुनिकतावादी सोच के विकसित होने के कारणों में शामिल नहीं है।
18. “यह कहानी 16वीं शताब्दी के बाद की लिखी हुई है और रासो में प्रक्षिप्त हुई है।” ‘पद्मावती समय’ के विषय में यह कथन किसका है?
(A) रामचंद्र शुक्ल
(B) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(C) राहुल सांकृत्यायन
(D) गणपतिचंद्र गुप्त
Ans (B): ‘पद्मावती समय’ के विषय में यह कथन ‘हजारीप्रसाद द्विवेदी’ का है।
19. “मन अति भयो हुलास, बिगसि जनु कोक किरन रवि।
अरुन अधर तिय सधर, बिंब फल जानि कीर छवि।।”
-उक्त काव्यांश में किसके उल्लास का उल्लेख है?
(A) पद्मावती की माता
(B) पद्मावती के पिता
(C) पद्मावती
(D) पद्मावती की सहेली
Ans (C): उक्त काव्यांश में पद्मावती के उल्लास का उल्लेख है। यह भ्रांतिमान अलंकार का उदाहरण है।
20. कम्मान बाँन छूट्टहि अपार।
लागँत लोह इस सारि धार।।
घमसान धान सब वीर षेत।
घन स्रोन बहत अस रकत रेत।।
-उक्त पंक्तियों में किनके मध्य होने वाले युद्ध का वर्णन है?
(A) पृथ्वीराज की सेना व शहाबुद्दीन गौरी की सेना।
(B) शहाबुद्दीन की सेना व कुमोदमणि की सेना।
(8) पृथ्वीराज की सेना व समुद्रशिखर की सेना।
(D) शहाबुद्दीन गौरी की सेना व विजयपाल की सेना।
Ans (C): उक्त पंक्तियों में ‘पृथ्वीराज की सेना व समुद्रशिखर की सेना’ के मध्य होने वाले युद्ध का वर्णन है।
21. साहित्य समीक्षा के क्षेत्र में विखण्डनवाद के उभार का महत्त्वपूर्ण काल निम्नलिखित में से है:
(A) बीसवीं शताब्दी का चौथा दशक
(B) बीसवीं शताब्दी का पाँचवाँ दशक
(C) बीसवीं शताब्दी का छठा दशक
(D) बीसवीं शताब्दी का सातवाँ दशक
Ans (C): साहित्य समीक्षा के क्षेत्र में विखण्डनवाद के उभार का महत्त्वपूर्ण काल बीसवीं शताब्दी का छठा दशक है। साहित्य में विखण्डनवाद के उद्भावक आचार्य ‘जॉक देरिदा’ हैं जिन्होंने 1960 ई. में इसकी स्थापना किया था।
22. “अंषड़ियाँ झाईं पड़ी, पंथ निहारि निहारि।
जीभड़ियाँ छाला पड़्या, राम पुकारि पुकारि।।”
-इस साखी में निम्नलिखित में से किस साधना-पद्धति का मुख्य प्रभाव है?
(A) नाथपंथी साधना
(B) सूफी साधना
(C) सिद्ध साधना
(D) अद्वैत वेदान्त
Ans (B): इस साखी में भावात्मक रहस्यवाद है, जिसमें जीव-परमात्मा को पति-पत्नी के रूप में संबंध स्थापित किया जाता है, विशेषकर सूफी साधना-पद्धति में।
23. ‘दुलहनी गावहु मंगलाचार’, पद में प्रेम का कौन-सा रूप है?
(A) साहचर्यजन्य प्रेम
(B) सहज प्रेम
(C) विषम प्रेम
(D) दाम्पत्य प्रेम
Ans (D): ‘दुलहनी गावहु मंगलाचार’, पद में दाम्पत्य प्रेम या माधुर्य प्रेम का रूप है।
24. “भाषा बहुत परिष्कृत और परिमार्जित न होने पर भी कबीर की उक्तियों में कहीं कहीं विलक्षण प्रभाव और चमत्कार है। प्रतिभा उनमें बड़ी प्रखर थी, इसमें सन्देह नहीं।”
-कबीर के संदर्भ में यह कथन किसका है?
(A) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(B) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(C) बाबू श्यामसुंदर दास
(D) विजयेन्द्र स्नातक
Ans (A): कबीर के संदर्भ में यह कथन ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ का है।
25. मीरां की कविता के संबंध में अनुपयुक्त है-
(A) मीरां के काव्य में बिछोह की तड़पन ज्यादा है।
(B) मीरां का प्रेम परिवार से निरन्तर तिरस्कार पाता है।
(C) मीरां के काव्य में रहस्यानुभूति का रंग है।
(D) मीरां का विद्रोह साध्य है, साधन नहीं।
Ans (D): मीरां का विद्रोह कबीर के विद्रोह की तरह साधन है, साध्य नहीं।
26. ‘या ब्रज में कछु देख्यो री टोना’ -पद में प्रयुक्त पंक्ति ‘ले लेहु री कोई स्याम सलोना’ के माध्यम से संकेतित है-
(A) आवाज़ लगाकर दही बेचना
(B) गुजरिया की विक्रय कुशलता
(C) प्रेमावेग में वर्तमान का विस्मरण
(D) बिरह पीड़ा में कृष्ण को बेचने का भाव
Ans (C): मीरां के उपरोक्त पद में प्रयुक्त पंक्ति ‘ले लेहु री कोई स्याम सलोना’ के माध्यम से ‘प्रेमावेग में वर्तमान का विस्मरण’ संकेतित है।
27. “एक अचम्भा देखा रे भाई, ठाढ़ा सिंघ चरावै गाई।”
पहलैं पूत पीछे भई माँई, चेला कै गुरु लागै पाई।।
जल की मछली तरबर ब्याई, पकरि बिलाई मुरगै खाई।
बैलहि डारि गूंनि घरि आई, कुत्ता कूँ लै गई बिलाई।।
तलि करि साषा ऊपरि करि मूल, बहुत भाँति जड़ लागे फूल।
कहै कबीर या पद को बूझै, ताँकू तीन्यूँ त्रिभुवन सूझै।।
-पद के संदर्भ में असंगत है?
(A) उलटबाँसी
(B) भक्ति की चरम दशा
(C) योग की साधना पद्धति
(D) गेयता
Ans (B): उपरोक्त पद में भक्ति की चरम दशा का संदर्भ नहीं है।
28. ‘गोकुल सबै गोपाल-उपासी।
जोग अंग साधत जे ऊधो, ते सब बसत ईसपुर कासी।।”
में ‘ईसपुर’ से व्यंजित अर्थ है-
(A) शिव की नगरी
(B) विष्णु की नगरी
(C) देवताओं की नगरी
(D) कृष्ण की नगरी
Ans (A): उपरोक्त पद में ‘ईसपुर’ से व्यंजित अर्थ ‘शिव की नगरी, काशी’ है।
29. “आये जोग सिखावन पाँडे x x x x x x
सूरदास तीनों नहिं उपजत धनिया, धान, कुम्हाँडे।”
इस पद में ‘तीनों’ का व्यंग्यार्थ है-
(A) धनिया, धान, कुम्हाँडा।
(B) प्रेमाभक्ति साधना, निर्गुण की साधना, योग साधना।
(C) भक्ति, प्रकृति, ज्ञान
(D) कृषि उपज, हृदय के भाव, साधना।
Ans (B): इस पद में ‘तीनों’ का व्यंग्यार्थ है- प्रेमाभक्ति साधना, निर्गुण की साधना, योग साधना। तीनों साधना एक साथ नहीं हो सकते।
30. “नागरि नारि भलै बूझेगी अपने बचन सुभाव।” पंक्ति से अभिव्यंजित नहीं है–
(A) नगर का चतुराई भरा जीवन
(B) मथुरा की स्त्रियों का स्वभाव
(C) गोपियों का असूया भाव
(D) यशोदा का कृष्ण प्रेम
Ans (D): उपरोक्त पंक्ति से ‘यशोदा का कृष्ण प्रेम’ अभिव्यंजित नहीं है।
31. “जोगी! मत जा, मत जा, मत जा,’ -पंक्ति में ‘जोगी’ से मीरा का अभिप्राय है?
(A) कृष्ण
(B) उद्धव
(C) योगी
(D) गोरखनाथ
Ans (A): उपरोक्त पंक्ति में ‘जोगी’ से मीरा का अभिप्राय ‘कृष्ण’ है।
32. जायसी ने ‘नागमती वियोग खण्ड’ में बारहमासा का प्रारम्भ किस मास से किया है?
(A) चैत्र
(B) वैशाख
(C) ज्येष्ठ
(D) आषाढ़
Ans (D): जायसी ने ‘नागमती वियोग खण्ड’ में बारहमासा का प्रारम्भ ‘आषाढ़’ मास से किया है।
33. “टप टप बूँद परहिं जस ओला। बिरह पवन होइ मारै झोला।”
-पंक्ति में आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रेखांकित अंश से आशय ग्रहण किया है?
(A) वात के प्रकोप से अंग का सुन्न हो जाना।
(B) विरह रूपी पवन से राख बन उड़ जाना।
(C) कृशकाय होने के कारण असंतुलित होना।
(D) शरीर का अत्यधिक कम्पित होना।
Ans (A): आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘मारै झोला’ का आशय ‘वात के प्रकोप से अंग का सुन्न हो जाना’ ग्रहण किया है।
34. “जेहि पंखी के निअर होइ कहै विरह कै बात।
सोई पंखी जाइ जरि तरिवर होइ निपात।।”
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इन पंक्तियों में माना है-
(A) प्रकृति का सुरम्य चित्रण
(B) ऊहात्मक पद्धति
(C) विरह ताप की विशद व्यंजना
(D) अलंकार का उत्कृष्ट उदाहरण
Ans (B): इन पंक्तियों के संदर्भ में आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है की दो-चार जगह ‘ऊहात्मक पद्धति’ दिखाई देता है।
35. “इसमें सगुणोपासना का निरूपण बड़े ही मार्मिक ढंग से- हृदय की अनुभूति के आधार पर, तर्क पद्धति पर नहीं- किया है।”
सूरदास के भ्रमरगीत के संदर्भ में यह कथन किसका है?
(A) नन्ददुलारे वाजपेयी
(B) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(C) रामचंद्र शुक्ल
(D) ब्रजेश्वर वर्मा
Ans (C): सूरदास के भ्रमरगीत के संदर्भ में यह कथन ‘रामचंद्र शुक्ल’ का है।
36. “जानत हौं हरि रूप चराचर मैं हठि नैन न लावौं।
अंजन-केस-सिखा जुबति तहँ, लोचन-सलभ पठावौं।।”
-में रेखांकित अंश से असम्बद्ध अर्थ है?
(A) नेत्रों में काजल लगाए हुए
(B) पर्वत शिखर से बहते अग्नि झरने के समान
(C) सटकारे काले केश वाली
(D) दीपक की ज्योति के समान कामिनी
Ans (B): उपरोक्त पंक्तियों में ‘अंजन-केस-सिखा जुबति’ अंश का संबंध ‘पर्वत शिखर से बहते अग्नि झरने के समान’ से नहीं है।
37. “भलो पोच राम को कहैं मोहिं सब नरनारी।” में ‘पोच’ से अभिप्राय है?
(A) नीच
(B) उत्कृष्ट
(C) भक्त
(D) अनुगामी
Ans (A): उपरोक्त पंक्तियों में ‘पोच’ का अभिप्राय ‘नीच’ है।
38. “पिउ सौं कहेहु सँदेसड़ा, हे भौंरा! हे काग!
सो धनि बिरहै जरि मुई, तेहि क धुवाँ हम्ह लाग।।
-में भौंरे व काग को अलग-अलग संबोधित करने की व्याख्या के प्रसंग में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का कथन है-
(A) यह अलंकार का प्रभाव है।
(B) रंग की समानता से यही सम्भव है।
(C) आवेग की दशा में यही उचित है।
(D) छंद की पाद-पूर्ति हेतु किया गया है।
Ans (C): भौंरे व काग को अलग-अलग संबोधित करने की व्याख्या के प्रसंग में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का कथन है- आवेग की दशा में यही उचित है।
39. वियोगी हरि ने तुलसीदास को किस संप्रदाय में परिगणित किया है?
(A) स्मार्त वैष्णव
(B) वेदान्ती
(8) निम्बार्की
(D) रामानन्दी
Ans (A): वियोगी हरि ने तुलसीदास को ‘स्मार्त वैष्णव संप्रदाय’ में परिगणित किया है।
40. “मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाईं परैं, स्यामु हरित-दुति होइ॥”
में रेखांकित अंश से संकेतित नहीं है?
(A) मन के कलुष का दूर होना
(B) गौरवर्णीय राधा का श्यामवर्णी होना
(C) श्याम रंग का हरित वर्ण होना
(D) कृष्ण की कान्ति कम होना
Ans (B): उपरोक्त पंक्तियों में ‘स्यामु हरित-दुति होइ’ अंश में ‘गौरवर्णीय राधा का श्यामवर्णी होना’ संकेतित नहीं है।
41. “गज उधारि, हरि थप्यो विभीषन, ध्रुव अविचल कबहुँ न टरै।
अंबरीष की साप सुरति करि, अजहुँ महामुनि ग्लानि गरै॥
-में महामुनि से आशय है?
(A) वाल्मीकि
(B) वसिष्ठ
(C) दुर्वासा
(D) अम्बरीष
Ans (C): उपरोक्त पंक्ति में महामुनि से आशय ‘दुर्वासा’ है।
42. “तो पर वारौं उरबसी, सुनि राधिके सुजान।
तू मोहन कैं उरबसी ह्वैं उरबसी – समान॥”
-में रत्नाकरजी ने ‘उरबसी’ का क्रमश: अर्थ किया है?
(A) अप्सरा विशेष, उर में बसी, भूषण विशेष
(B) उर में बसी, अप्सरा विशेष, भूषण विशेष
(C) भूषण विशेष, उर में बसी, अप्सरा विशेष
(D) अप्सरा विशेष, भूषण विशेष, उर में बसी
Ans (A): उपरोक्त पंक्ति में रत्नाकरजी ने ‘उरबसी’ का क्रमश: अर्थ- ‘अप्सरा विशेष, उर में बसी, भूषण विशेष’ किया है।
43. बिहारी के किस दोहे में भक्ति का संदर्भ नहीं है?
(A) जम-करि-मुँह-तरहरि परयौ, इहिं धरहरि चित लाउ।
विषय-तृषा परिहरि अर्जौं, नरहरि के गुन गाउ॥
(B) मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाईं परैं, स्यामु हरित-दुति होइ॥
(C) अजौं तरयौना हीं रहौ श्रुति सेवत इक रंग।
नाक-बास बेसरि लह्यौ बसि मुकुतनु कैं संग॥
(D) फिरि फिरि चितु उत हीं रहतु टुटी लाज की लाव।
अंग अंग छबि झौंर मैं भयौ भौंर की नाव॥
Ans (D): ‘फिरि फिरि चितु उत हीं रहतु टुटी लाज की लाव। / अंग अंग छबि झौंर मैं भयौ भौंर की नाव॥’ बिहारी के इस दोहे में भक्ति का संदर्भ नहीं है। इसमें नायक-नायिका से संबंधित श्रृंगार का संदर्भ है।
44. “सनि कज्जल चख झख लगन उपज्यौ सुदिन सनेहु।
क्यों न नृपति ह्वै भोगवै लहि सुदेसु सबु देहु॥”
इस दोहे में बिहारी के किस विशिष्ट ज्ञान का परिचय प्राप्त होता है?
(A) भक्ति विषयक ज्ञान
(B) चिकित्सा विषयक ज्ञान
(C) ज्योतिष विषयक ज्ञान
(D) प्रकृति विषयक ज्ञान
Ans (C): इस दोहे में बिहारी के ‘ज्योतिष विषयक’ विशिष्ट ज्ञान का परिचय प्राप्त होता है।
45. “मीत सुजान अनीत करौ जिन, हा हा न हूजियै मोहि अमोही।
डीठि कौं और कहूं नहिं ठौर, फिरी दृग रावरे रूप की दोही।
एक बिसास की टेक गहे लगि आस रहे बसि प्रान बटोही।
हौं घनआनन्द जीवनमूल, दई कित प्यासनि मारत मोही।”
उक्त सवैये के संदर्भ में किस विकल्प में विरोधी भाव नहीं है?
(A) मीत – अनीत
(B) मोही – अमोही
(C) जीवनमूल – प्यासनि
(D) डीठि – ठौर
Ans (D): उक्त सवैये के संदर्भ में ‘डीठि और ठौर’ में विरोधी भाव नहीं है। दोनों का अर्थ क्रमशः दृष्टि और स्थान है।
46. “स्वच्छन्द प्रवाह के प्रमुख कर्त्ताओं में रसखानि, आलम, ठाकुर, घनानन्द, बोधा और द्विजदेव का नाम लिया जा सकता है। x x x x x x x इन सब में श्रेष्ठ घनानन्द ही प्रतीत होते हैं।”
यह कथन किसका है?
(A) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
(B) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(C) मनोहरलाल गौड़
(D) डॉ. नगेंद्र
Ans (A): यह कथन ‘विश्वनाथ प्रसाद मिश्र’ (हिंदी साहित्य का अतीत) का है।
47. “जब तें निहारे घनआनन्द सुजान प्यारे
तब तें अनोखी आगि लागि रही चाह की”
-में विरह का कारण है?
(A) मान
(B) प्रवास
(C) पूर्वराग
(D) करुण
Ans (C): उपरोक्त पंक्ति में विरह का कारण ‘पूर्वराग’ है।
48. “कामायनी की यह कथा केवल एक फैंटेसी है।” कामायनी के संदर्भ में यह कथन किसका है?
(A) द्वारिकाप्रसाद सक्सेना
(B) गजानन माधव मुक्तिबोध
(C) रामस्वरूप चतुर्वेदी
(D) डॉ. नगेंद्र
Ans (B): कामायनी के संदर्भ में यह कथन ‘गजानन माधव मुक्तिबोध’ का है।
49. “आस ही अकास मधि अवधि गुनै बढाय
चोपनि चढाय दीनौ कीनौ खेल सो यहै।
निपट कठोर ये हो ऐंचत न आप ओर
लाडिले सुजान सों दुहेली दसा को कहै।
अचिरजमई मोहिं भई घनआनन्द यौं
हाथ साथ लाग्यौ पै समीप न कहूँ लहै।
विरह समीप की झकोरनि अधीर, नेह—
नीर भीज्यौ जीव तऊ गुड़ी लौं उड़यौ रहै॥”
में अलंकार नहीं है-
(A) रूपक
(B) अपहृति
(C) व्यतिरेक
(D) उपमा
Ans (B): उपरोक्त पंक्ति में अपहृति अलंकार नहीं है जबकि रूपक, व्यक्तिरेक, उपमा, विभावना, विरोधाभास आदि अलंकार हैं।
50. कामायनी के दर्शन का केन्द्रीय आधार है?
(A) प्रत्यभिज्ञा दर्शन
(B) वेदान्त दर्शन
(C) बौद्ध दर्शन
(D) सांख्य दर्शन
Ans (A): कामायनी के दर्शन का केन्द्रीय आधार ‘प्रत्यभिज्ञा दर्शन’ है।
51. ‘और उस मुख पर वह मुसक्यान!
रक्त किसलय पर ले विश्राम।
अरुण की एक किरण अम्लान
अधिक अलसाई हो अभिराम।’
-के संदर्भ में अनुपयुक्त व्याख्या है?
(A) मुस्कान का बिम्बपरक अंकन
(B) श्रद्धा का सौन्दर्य वर्णन
(C) अस्ताचलगामी सूर्य की एक किरण से तुलना
(D) गेयता
Ans (C): उपरोक्त पंक्तियों में अस्ताचलगामी सूर्य की एक किरण से तुलना नहीं किया गया है।
52. ‘हृदय की अनुकृति बाह्य उदार
एक लम्बी काया, उन्मुक्त;
मधु पवन क्रीडित ज्यों शिशु साल
सुशोभित हो सौरभ संयुक्त।’
-के संदर्भ में असंगत है?
(A) हृदय की उदात्तता का वर्णन
(B) देहयष्टि का वर्णन
(C) मादकता का वर्णन
(D) मनु का सौन्दर्य वर्णन
Ans (D): उपरोक्त पंक्तियों में मनु का सौन्दर्य वर्णन नहीं है।
53. ‘राम की शक्ति पूजा’ कविता मूलतः किस संकलन में है?
(A) गीतिका
(B) परिमल
(C) आराधना
(D) अनामिका
Ans (D): ‘राम की शक्ति पूजा’ कविता मूलतः ‘अनामिका’ संकलन में है।
54. ‘राम की शक्ति पूजा’ में प्रयुक्त ‘रवि हुआ अस्त’ पंक्ति की असंगत व्याख्या है-
(A) सूर्य के अस्त होने का वर्णन
(B) राम के निर्बल होने का संकेत
(C) दग्धाक्षर ‘र’ का प्रयोग
(D) लक्ष्मण के मूर्छित होने का संकेत
Ans (D): ‘राम की शक्ति पूजा’ में प्रयुक्त ‘रवि हुआ अस्त’ पंक्ति में ‘लक्ष्मण के मूर्छित होने का संकेत’ नहीं है।
55. “‘अंधेरे में’ कविता की अन्तिम पंक्तियाँ उस अस्मिता या आइडेंटिटी की खोज की ओर संकेत करती हैं जो आधुनिक मानव की सबसे ज्वलन्त समस्या है। निस्सन्देह इस कविता का मूल कथ्य है अस्मिता की खोज।”
‘अंधेरे में’ कविता के विषय में यह कथन किसका है?
(A) रामविलास शर्मा
(B) नामवर सिंह
(C) निर्मला जैन
(D) विश्वनाथ त्रिपाठी
Ans (B): ‘अंधेरे में’ कविता के विषय में यह कथन ‘नामवर सिंह’ का है।
56. डॉ. रामविलास शर्मा ने ‘राम की शक्ति पूजा’ में किन दो कविताओं का सार तत्त्व माना है?
(A) जागो फिर एक बार व बादल राग
(B) तुलसीदास व सरोज स्मृति
(C) सरोज स्मृति व जूही की कली
(D) तुलसीदास व कुकुरमुत्ता
Ans (B): डॉ. रामविलास शर्मा ने ‘राम की शक्ति पूजा’ में ‘तुलसीदास व सरोज स्मृति’ कविताओं का सार तत्त्व माना है।
57. ‘अरे, इन रंगीन पत्थर फूलों से मेरा काम न चझलेगा।’ पंक्ति में मुक्तिबोध का संकेत किस ओर नहीं है?
(A) आत्मपरक जड़ीभूत सौन्दर्याभिरुचि का तिरस्कार
(B) मस्तिष्क शिराओं में तनाव पैदा करने का आग्रह
(C) कविता के कमजोर ज्ञानात्मक आधार का स्वीकार
(D) अभिव्यक्ति के खतरे उठाने का संकल्प
Ans (C): मुक्तिबोध के लिए ‘कविता के कमजोर ज्ञानात्मक आधार का स्वीकार’ नहीं है।
58. “ज़िन्दगी के………
कमरों में अंधेरे
कोई एक लगातार;
लगाता है चक्कर
आवाज पैरों की देती है सुनायी
बार-बार……… बार-बार”
‘अंधेरे में’ कविता की प्रारम्भिक पंक्तियों के संदर्भ में त्रुटिपूर्ण कथन है?
(A) कविता का आरम्भ काव्यशैली का चमत्कार मात्र है।
(B) कविता का आरम्भ रहस्यमय दृश्य से होता है।
(C) नाटकीय आरम्भ है।
(D) वह रहस्यमय व्यक्ति अब तक न पायी गयी रचनाकार की अभिव्यक्ति है।
Ans (A): ‘अंधेरे में’ कविता की प्रारम्भिक पंक्तियाँ काव्यशैली का चमत्कार मात्र नहीं हैं।
59. किस विकल्प के अंतर्गत लिखित कोई एक स्त्री पात्र ‘गोदान’ की कथा में नहीं है?
(A) झुनिया, सिलिया, गोविन्दी
(B) रूपा, चुरिया, नोहरी
(C) धनिया, मालती, वृंदा
(D) सोना, पुन्नी, सरोज
Ans (C): ‘वृंदा’ स्त्री पात्र ‘गोदान’ की कथा में नहीं है।
60. “संसार में गऊ बनने से काम नहीं चलता। जितना दबो, उतना ही लोग दबाते हैं। थाना- पुलिस, कचहरी-अदालत सब हैं हमारी रक्षा के लिए; लेकिन रक्षा कोई नहीं करता। चारों तरफ लूट है।”
‘गोदान’ में यह कथन किसका है?
(A) रामसेवक
(B) धनिया
(C) गोबर
(D) झुनिया
Ans (A): ‘गोदान’ उपन्यास में यह कथन ‘रामसेवक महतो’ का है।
61. ‘मालती बाहर से तितली है, भीतर से मधुमक्खी।’ मालती के व्यक्तित्व के संबंध में यह टिप्पणी किसकी है?
(A) मेहता की
(B) लेखक की
(C) खन्ना की
(D) रायसाहब की
Ans (B): मालती के व्यक्तित्व के संबंध में यह टिप्पणी ‘लेखक’ की है।
62. निम्नलिखित में से ‘त्यागपत्र’ का प्रमुख संदर्भ है-
(A) मनोवैज्ञानिक
(B) राजनैतिक
(C) ऐतिहासिक
(D) आँचलिक
Ans (A): ‘त्यागपत्र’ का प्रमुख संदर्भ ‘मनोवैज्ञानिक’ है।
63. ‘त्यागपत्र’ में प्रमोद के चरित्र से मेल नहीं खाने वाला कथन है-
(A) उसके चिंतन की परिणति आत्मविसर्जन में होती है।
(B) समाज की विषमताओं को देखकर उनके बारे में सोचता है।
(C) समाधान की तलाश में बेचैन रहता है।
(D) आत्मालोचन के माध्यम से सभ्य समाज की विसंगतियों को ढकने का प्रयत्न करता है।
Ans (D): ‘त्यागपत्र’ में प्रमोद के चरित्र से मेल नहीं खाने वाला कथन है- आत्मालोचन के माध्यम से सभ्य समाज की विसंगतियों को ढकने का प्रयत्न करता है।
64. “क्योंकि वह ज़िन्दा था! ज़िन्दा रहने का मतलब समझते हैं न आप? लोग भूल गये हैं ज़िन्दा रहने का मतलब।” ‘महाभोज’ उपन्यास में यह कथन किसका है?
(A) दत्ता बाबू
(B) बिन्दा
(C) दा साहब
(D) महेश शर्मा
Ans (B): ‘महाभोज’ उपन्यास में यह कथन बिन्दा का है जो SP सक्सेना से कहता है।
65. ‘त्यागपत्र’ की मृणाल के व्यक्तित्व के विषय में अनुपयुक्त है-
(A) आत्मपीड़न
(B) पर-दया भाव
(C) अपनी नियति की स्वयं निर्मात्री
(D) समाज को तोड़ने-फोड़ने की चाह
Ans (D): ‘त्यागपत्र’ उपन्यास की मृणाल के व्यक्तित्व में समाज को तोड़ने-फोड़ने की चाह नहीं है, वह सोंचती है कि समाज नहीं बचेगा तो हम कहाँ रहेंगे?
66. हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार नाखून का बढ़ना प्रतीक है-
(A) दैवीय वृत्ति का
(B) पाशवी वृत्ति का
(C) मानवोचित वृत्ति का
(D) स्वनिर्धारित आत्मबन्धन वृत्ति का
Ans (B): हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार नाखून का बढ़ना पाशवी वृत्ति का प्रतीक है।
67. ‘श्रद्धा-भक्ति’ निबंध के अनुसार असत्य कथन है-
(A) श्रद्धा का व्यापार-स्थल विस्तृत है प्रेम का एकान्त।
(B) प्रेम का कारण बहुत कुछ अनिर्दिष्ट व अज्ञात होता है पर श्रद्धा का कारण निर्दिष्ट व ज्ञात होता है।
(C) श्रद्धा एकमात्र अपने अनुभव पर निर्भर रहती है पर प्रेम अपनी सामाजिक विशेषता के कारण दूसरों के अनुभव पर भी जगता है।
(D) श्रद्धा और प्रेम के योग का नाम भक्ति है।
Ans (C): उल्टा दे दिया है जबकि ‘श्रद्धा-भक्ति’ निबंध का सही कथन यह है- प्रेम एकमात्र अपने ही अनुभव पर निर्भर रहता है; पर श्रद्धा अपनी सामाजिक विशेषता के कारण दूसरों के अनुभव पर भी जगती है।
68. मन्नू भण्डारी कृत ‘महाभोज’ उपन्यास का प्रथम प्रकाशन वर्ष है?
(A) सन् 1978
(B) सन् 1979
(C) सन् 1980
(D) सन् 1981
Ans (B): मन्नू भण्डारी कृत ‘महाभोज’ उपन्यास का प्रथम प्रकाशन सन् 1979 ई. है।
69. ‘उसने कहा था’ कहानी के संबंध में असंगत है-
(A) रचना के धरातल व परिवेश व चेतना असम्पृक्त है।
(B) भाषा व परिवेश की एकरूपता इस कहानी की शक्ति है।
(C) आदर्श के एक बिन्दु से प्रारम्भ होकर यथार्थ का विस्तार कहानी में समाहित है।
(D) कहानी का अन्त बलिदान के रूप में आदर्शवादिता लिए हुए है।
Ans (A): ‘उसने कहा था’ कहानी रचना के धरातल व परिवेश व चेतना के स्तर पर गहरे रूप से सम्पृक्त है।
70. ‘कफन’ कहानी के संबंध में असंगत है-
(A) कफन प्रेमचन्द की कथा चेतना और संरचना में बदलाव उपस्थित करने वाली महत्त्वपूर्ण कहानी है।
(B) कफन कहानी अपनी संरचना को नैतिक समाधानमूलक अन्तिम बिन्दु के शासन से मुक्त करती है।
(C) कहानी अर्थमूलक यथार्थ के कई जटिल आयामों को एक साथ उद्घाटित करती है।
(D) कहानी निर्दिष्ट अन्तिम बिन्दु की ओर नाटकीयता से पहुँचने का प्रयत्न करती है।
Ans (B): असंगत कथन- कफन कहानी अपनी संरचना को नैतिक समाधानमूलक अन्तिम बिन्दु के शासन से मुक्त करती है।
71. “राम मनुष्य हैं पर मनुष्यता का वरण उन्होंने उसी सीमा तक किया है जहाँ तक …… है।”
कुबेर राय के निबन्ध ‘राघव: करुणो रसः’ के आधार पर राम के संबंध में रिक्त स्थान हेतु उपयुक्त विकल्प है-
(A) शील और करुणा का संबंध
(B) कर्म के प्रति निरासक्ति
(C) स्व का अन्वेषण
(D) अनासक्ति और तटस्थता
Ans (A): राम मनुष्य हैं पर मनुष्यता का वरण उन्होंने उसी सीमा तक किया है जहाँ तक शील और करुणा का संबंध है।
72. अज्ञेय की कहानी ‘रोज़’ का प्रारम्भिक नाम है-
(A) नीली हँसी
(B) छाया
(C) गैंग्रीन
(D) अभिशापित
Ans (C): अज्ञेय की कहानी ‘रोज़’ का प्रारम्भिक नाम ‘गैंग्रीन’ है।
73. ‘उजाले के मुसाहिब’ कहानी में ‘उजाले’ से व्यंजित नहीं है-
(A) स्वर्ग का प्रत्यक्ष रूप
(B) अन्तस की अकलुष स्थिति
(C) परब्रह्म की अनुभूति
(D) पानी की भाँति उलीचना
Ans (D): ‘उजाले के मुसाहिब’ कहानी में ‘उजाले’ से ‘पानी की भाँति उलीचना’ व्यंजित नहीं हो रहा है।
74. ‘टार्च उठाकर देखा- दीवार- सिरहाने और दाहिनी बगल दोनों ही लाल चलित बिन्दुओं से सुशोभित हो रही है।”
‘मेरी तिब्बत यात्रा’ में लेखक ने ‘लाल चलित बिन्दु’ किसके लिए प्रयुक्त किया है?
(A) लाल चीटियाँ
(B) चुहिया
(C) तिलचट्टा
(D) खटमल
Ans (D): ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ में लेखक ने ‘लाल चलित बिन्दु’ खटमल के लिए प्रयुक्त किया है।
75. ‘पुरस्कार’ कहानी के संदर्भ में असंगत कथन है-
(A) नायिका का देश के प्रति प्रेम-भाव
(B) स्वयं को पीड़ा देकर दूसरों को आलोकित करने का भाव
(C) नायिका का प्रिय के प्रति प्रेम भाव
(D) देशप्रेम व प्रियतम-प्रेम का द्वन्द्
Ans (B): जयशंकर प्रसाद के ‘पुरस्कार’ कहानी में स्वयं को पीड़ा देकर दूसरों को आलोकित करने का भाव नहीं मिलता है।
76. राहुल सांकृत्यायन को तिब्बत यात्रा के दौरान तीर्थंकर महावीर की मूर्त्ति दिखाई दी थी-
(A) चि-दोंड् प्रासाद में स्थित देवालय में
(B) फुन् – छोग् – फो – ब्रङ् स्थित प्रासाद में
(8) स क्य के ल्ह-खङ्-छेन्-मो स्थित स्तूप में
(D) छु-शोर-ग्य-पोन् गाँव के देवालय में
Ans (A): राहुल सांकृत्यायन को तिब्बत यात्रा के दौरान तीर्थंकर महावीर की मूर्त्ति ‘चि-दोंड् प्रासाद में स्थित देवालय’ में दिखाई दी थी।
77. नङ्-रचे गाँव में भोटिया सरदार द्वारा घी-मक्खन मिलाई चाय को उठाकर फेंकने का कारण था-
(A) खच्चर के गले के घुँघरू का चाय में गिर जाना।
(B) ठण्डी जगह के कारण चाय का बेहद ठण्डी हो जाना।
(C) लेखक के चोगे के नीचे के दामन का प्याले से छू जाना।
(D) ख-चे द्वारा चाय के प्याले को छू लेना।
Ans (C): नङ्-रचे गाँव में भोटिया सरदार द्वारा घी-मक्खन मिलाई चाय को उठाकर फेंकने का कारण लेखक के चोगे के नीचे के दामन का प्याले से छू जाना था।
78. ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ में फुन्-दो के, ब्रह्मपुत्र की शाखा के तट के संबंध में वर्णित वृतान्त में शामिल नहीं है-
(A) यहाँ आदमियों के लिए लोहे की सांकल पर चमड़े से बाँधी लकड़ियों का झूला है।
(B) यहाँ सामान के लिए लकड़ी की नाव का इन्तजाम है।
(C) यहाँ जानवरों के लिए तैर कर पार होना पड़ता है।
(D) यह मंगोलिया और कन-सू (चीन) की ओर का प्रधान रास्ता है।
Ans (B): ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ में फुन्-दो के, ब्रह्मपुत्र की शाखा के तट के संबंध में वर्णित वृतान्त में चमड़े की नाव का उल्लेख मिलता है, लकड़ी की नाव का नहीं।
79. हिंदी (17 बोलियाँ) का उद्भव अपभ्रंश के किस रूप से सम्बद्ध नहीं है?
(A) शौरसेनी अपभ्रंश
(B) अर्द्धमागधी अपभ्रंश
(C) मागधी अपभ्रंश
(D) पैशाची अपभ्रंश
Ans (D): हिंदी का उद्भव अपभ्रंश के पैशाची अपभ्रंश रूप से संबंध नहीं है।
80. ब्रजभाषा का स्थानीय रूप नहीं है-
(A) जादोबाटी
(B) डांगी
(C) सिपाड़ी
(D) सिकरवाड़ी
Ans (C): सिपाड़ी मारवाड़ी की उपबोली है।
81. भोजपुरी बोली के संबंध में असत्य कथन है-
(A) दक्षिणी भोजपुरी, भोजपुरी का परिनिष्ठित रूप है।
(B) भोजपुरी बोली की उत्पत्ति अर्द्धमागधी अपभ्रंश से मानी जांती है।
(C) भोजपुरी बोली के लिए नागरी व कैथी लिपि का प्रयोग होता है।
(D) भोजपुरी बोली का क्षेत्र गोरखपुर, बनारस, बलिया आदि हैं।
Ans (B): भोजपुरी बोली की उत्पत्ति ‘मागधी अपभ्रंश’ से मानी जांती है।
82. आदिकालीन हिंदी के संबंध में उपयुक्त नहीं है-
(A) संयोगात्मकता की ओर झुकाव
(B) ‘ड़’ ध्वनि का विकास
(C) ‘ढ़’ ध्वनि का विकास
(D) संयुक्त स्वर ‘ऐ’ का प्रयोग
Ans (A): आदिकालीन हिंदी वियोगात्मकता की ओर झुकाव है।
83. राजस्थानी भाषा के संबंध में असंगत है-
(A) ‘ख’ ध्वनि के लिए प्राचीन राजस्थानी साहित्य में प्राय: ‘ष’ लिपि चिह्न का प्रयोग हुआ है।
(B) डॉ. भोलानाथ तिवारी राजस्थानी का संबंध शौरसेनी के एक रूप नागर अपभ्रंश से मानते हैं।
(C) राजस्थानी को मरुभाषा, मरुबानी आदि कहा गया है।
(D) राजस्थानी भाषा-भाषी क्षेत्र वर्तमान राजस्थान की भौगोलिक सीमा तक ही सीमित है।
Ans (D): राजस्थानी भाषा-भाषी क्षेत्र वर्तमान राजस्थान की भौगोलिक सीमा तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि मध्यप्रदेश (इंदौर, रतलाम, देवास, भोपाल) जैसे राज्यों में भी बोली जाती है।
84. पिंगल मिश्रित भाषा की रचना है?
(A) मुँहणोत नैणसी री ख्यात
(B) पृथ्वीराज रासो
(C) अचलदास खींची री वबचनिका
(D) पाबूजी रा दूहा
Ans (B): ‘पृथ्वीराज रासो’ पिंगल मिश्रित भाषा की रचना है।
85. उत्तरी-पूर्वी राजस्थानी की प्रमुख बोली है-
(A) मेवाती
(B) मारवाड़ी
(C) हाड़ैती
(D) ढूंढाड़ी
Ans (A): ‘मेवाती’ उत्तरी-पूर्वी राजस्थानी की प्रमुख बोली है।
86. इनमें से अवधी की प्रारम्भिक कृति मानी जाती है?
(A) चन्दायन
(B) मधुमालती
(9) मृगावती
(D) चित्रावली
Ans (A): मुल्ला दाऊद कृत ‘चन्दायन’ (1379 ई.) को अवधी की प्रारम्भिक कृति मानी जाती है।
87. राजस्थानी वर्ग की मालवी बोली का क्षेत्र नहीं है-
(A) रतलाम
(B) देवास
(C) उज्जैन
(D) रायपुर
Ans (D): ‘रायपुर’ छत्तीसगढ़ी बोली का क्षेत्र है।
88. ‘वागड़ी’ बोली को निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रभावित करने वाली भाषा/बोली है:
(A) पंजाबी
(B) बघेली
(C) ब्रज
(D) गुजराती
Ans (D): ‘वागड़ी’ बोली को सर्वाधिक प्रभावित करने वाली भाषा ‘गुजराती’ है, खासकर डूंगरपुर और बांसवाड़ा में।
89. ‘संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी।’ संविधान के किस अनुच्छेद में वर्णित है?
(A) अनुच्छेद 342
(B) अनुच्छेद 343
(C) अनुच्छेद 344
(D) अनुच्छेद 345
Ans (B): संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में वर्णित है कि ‘संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी।’
90. ढूंढाड़ी बोली को इस नाम से नहीं जाना जाता है-
(A) जयपुरी बोली
(B) झाड़साही बोली
(C) अहीरवाटी बोली
(D) काई कुईं की बोली
Ans (C): अहीरवाटी बोली का संबंध हरियाणी ‘बांगरु’ से है।
91. वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत-सरकार द्वारा देवनागरी वर्णमाला सारणी के मानकीकृत स्वीकृत रूप में सम्मिलित नहीं किया जाने वाला लिपि चिह्न है-
(A) ख
(B) ळ
(C) लृ
(D) ड़
Ans (C): वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत-सरकार द्वारा देवनागरी वर्णमाला सारणी के मानकीकृत स्वीकृत रूप में सम्मिलित नहीं किया जाने वाला लिपि चिह्न ‘लृ’ है।
92. वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा मानक हिंदी वर्तनी मानकीकरण के अनुसार ‘हाइफन’ का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए-
(A) कठिन संधियों से बचने के लिए
(B) सामान्यतः तत्पुरुष समासों में
(C) सा, जैसा आदि से पूर्व
(D) द्वंद्व समास में पदों के मध्य
Ans (B): ‘हाइफन’ (-) को योजन या समास चिन्ह कहते हैं। वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा मानक हिंदी वर्तनी मानकीकरण के अनुसार ‘हाइफन’ का प्रयोग सामान्यतः तत्पुरुष समासों में नहीं किया जाना चाहिए।
93. हिंदी का मानक रूप किस बोली के सर्वाधिक निकट है?
(A) खड़ीबोली
(B) बांगरू
(C) कन्नौजी
(D) अवधी
Ans (A): हिंदी का मानक रूप खड़ीबोली (मेरठ) के सर्वाधिक निकट है।
94. हिंदी वर्तनी के मानक रुप की दृष्टि से अशुद्ध शब्द है-
(A) बुड्ढा
(B) चाहिए
(C) स्थाई
(D) वाङ्मय
Ans (C): स्थाई का शुद्ध रूप- ‘स्थायी’ है।
95. किस विकल्प के सभी शब्द ‘परा’ उपसर्ग से निर्मित हैं?
(A) परास्त, परामर्श, पराग
(B) पराश्रय, पराभव, परायण
(C) परावर्त, परार्थ, पराक्रम
(D) पराजय, पराशर, पराधीन
Ans (*):
96. किस विकल्प के सभी शब्द सन्तानवाची प्रत्यय से निर्मित हैं?
(A) राघव, कौरव, लाघव
(B) पुष्पित, हर्षित, पल्लवित
(C) शैव, पार्थिव, गौरव
(D) काश्यप, वासुदेय, पार्थ
Ans (D): काश्यप, वासुदेय और पार्थ शब्द सन्तानवाची प्रत्यय से निर्मित हैं।
97. वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा वर्तनी लेखन सम्बन्धी नियमों के अनुसार अशुद्ध प्रयोग है-
(A) खड़ी पाई बाले व्यंजनों का संयुक्त रूप खड़ी पाई को हटाकर बनाया जाना चाहिए।
(B) पूर्वकालिक प्रत्यव ‘कर’ क्रिया से मिलाकर लिखा जाए।
(C) ‘द’ व ‘ह’ के संयुक्ताक्षर ‘हल’ लिपि संकेत लगाकर बनाए जाएँ।
(D) ‘तक’ अव्यव सदैव पूर्ववर्ती शब्द के साथ लिखा जाए।
Ans (D): अशुद्ध प्रयोग- ‘तक’ अव्यव सदैव पूर्ववर्ती शब्द के साथ लिखा जाए।
98. किस विकल्प के सभी शब्द ‘तत्पुरुष समास’ से निर्मित हैं?
(A) हरदिन, आशातीत, कविश्रेष्ठ
(B) गृहस्थ, हरफनमौला, कपड़छन
(C) हररोज, देशभक्ति, ग्रामवास
(D) राजपुत्र, अकालपीड़ित, हाथोंहाथ
Ans (B): गृहस्थ, हरफनमौला और कपड़छन शब्द ‘तत्पुरुष समास’ से निर्मित हैं।
99. वाक्य के संबंध में अनुपयुक्त कथन है–
(A) वाक्य के मुख्य दो अवयव होते हैं- उद्देश्य और विधेय
(B) जिस वस्तु के विषय में कुछ कहा जाता है, उसे सूचित करने वाले शब्दों को विधेय कहते हैं।
(C) जिस वाक्य में एक उद्देश्य व एक विधेय रहता है, उसे साधारण वाक्य कहते हैं।
(D) रचना के अनुसार वाक्य तीन प्रकार के होते हैं।
Ans (B): जिस वस्तु के विषय में कुछ कहा जाता है, उसे सूचित करने वाले शब्दों को उद्देश्य कहते हैं।
100. अर्थ के अनुसार वाक्य का प्रकार नहीं है–
(A) संबंधबोधक
(B) आज्ञार्थक
(C) संकेतार्थक
(D) सन्देहसूचक
Ans (A): अर्थ के अनुसार वाक्य का प्रकार नहीं है- संबंधबोधक।
101. किस विकल्प के सभी शब्द स्वर-संधि से निर्मित हैं?
(A) अधोगति, स्वागत, षडानन
(B) मनोयोग, देवेन्द्र, सदानन्द
(C) वार्तालाप, चन्द्रोदय, देवर्षि
(D) महोत्सव, वयोवृद्ध, प्रमाण
Ans (C): वार्तालाप, चन्द्रोदय और देवर्षि शब्द स्वर-संधि से निर्मित हैं।
102. अशुद्ध शब्द नहीं है-
(A) याज्ञवलक्य
(B) मंत्रीपरिषद्
(C) पुनरपि
(D) ज्योत्सना
Ans (C): शुद्ध शब्द है- पुनरपि। वहीं-
- याज्ञवलक्य का शुद्ध शब्द- याज्ञवल्क्य
- मंत्रीपरिषद्का शुद्ध शब्द- मंत्रिपरिषद्
- ज्योत्सना का शुद्ध शब्द- ज्योत्स्ना
103. शुद्ध वाक्य नहीं है-
(A) इसी बहाने हमें दर्शन हो गये।
(B) अश्वमेध का घोड़ा पकड़ा गया।
(C) उपस्थित लोगों ने संकल्प किया।
(D) आपका यह मत ग्राह्ययोग्य है।
Ans (D): अशुद्ध वाक्य- आपका यह मत ग्राह्ययोग्य है। जबकि इसका शुद्ध वाक्य होगा- आपका यह मत ग्राह्य है।
104. अशुद्ध वाक्य नहीं है-
(A) बह अपराधी दण्ड देने योग्य है।
(B) वह पुत्रवत् अपनी प्रजा का पालन करता था।
(C) विद्यार्थियों की मेले में अनेकों टोलियाँ थी।
(D) जैन साहित्य प्राकृत में लिखा गया है।
Ans (D): शुद्ध वाक्य- जैन साहित्य प्राकृत में लिखा गया है।
105. सार्वनामिक विशेषणयुक्त वाक्य है-
(A) इतने गुणज्ञ और रसिक लोग एकत्र हैं।
(B) दोनों के दोनों लड़के मूर्ख निकले।
(C) राम का सिर कुछ भारी-सा हो गया।
(D) उसे दवा दो-दो घंटे के बाद दी जाए।
Ans (D): सार्वनामिक विशेषणयुक्त वाक्य है- उसे दवा दो-दो घंटे के बाद दी जाए।
106. किस विकल्प के सभी शब्द शुद्ध हैं?
(A) स्वादिष्ठ, दुरबस्था, दिवारात्र
(B) छत्रछाया, कवयित्री, कुमुदिनी
(C) उच्छवास, मात्रिच्छा, दुष्कर्म
(D) स्रोत, घनिष्ठ, ऐन्द्रजालिक
Ans (D): शुद्ध शब्द- स्रोत, घनिष्ठ, ऐन्द्रजालिक।
107. समुच्चयबोधक अव्यय का प्रयोग नहीं हुआ है-
(A) चोर ऐसा भागा कि उसका पता ही न लगा।
(B) राजा ने समुद्र पर्यन्त राज्य बढ़ाया।
(C) न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी।
(D) यद्यपि हम वनवासी हैं तो भी लोक के व्यवहारों को भली-भाँति जानते हैं।
Ans (B): ‘राजा ने समुद्र पर्यन्त राज्य बढ़ाया।’ वाक्य में समुच्चयबोधक अव्यय का प्रयोग नहीं हुआ है।
108. ‘रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्द: काव्यम्।’ काव्य की यह परिभाषा देने वाले आचार्य हैं-
(A) आचार्य मम्मट
(B) आचार्य विश्वनाथ
(C) आचार्य पण्डितराज जगन्नाथ
(D) आचार्य कुन्तक
Ans (C): काव्य की यह परिभाषा देने वाले आचार्य ‘पण्डितराज जगन्नाथ’ हैं।
109. “अंतःकरण की वृत्तियों के चित्र का नाम कविता है।” कहकर कविता की परिभाषा देने वाले आचार्य हैं-
(A) रामचंद्र शुक्ल
(B) महावीरप्रसाद द्विवेदी
(C) बाबू गुलाबराय
(D) बाबू श्यामसुन्दर दास
Ans (B): कविता की यह परिभाषा देने वाले आचार्य ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी’ हैं।
110. किस विकल्प में अकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है?
(A) राजा ने दान दिया।
(B) नौकर चिट्ठी लाया।
(C) नौकर बीमार रहा।
(D) पण्डित कथा सुनाते हैं।
Ans (C): ‘नौकर बीमार रहा।’ वाक्य में अकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है।
111. भट्ट तौत के अनुसार काव्य हेतु ‘प्रतिभा’ की व्याख्या है-
(A) प्रज्ञा नवनवोन्मेषशालिनी प्रतिभा मता।
(B) प्रतिभा नवनवोल्लेखशालिनी प्रज्ञा।
(C) अपूर्व वस्तु निर्माण क्षमा प्रज्ञा।
(D) क्षणं स्वरूपस्पर्शोत्था प्रज्ञैव प्रतिभा कवे:।
Ans (A): भट्ट तौत अभिनव गुप्त के गुरु थे। ‘काव्य कौतुक’ इनका प्रसिद्ध ग्रंथ है। इनके अनुसार ‘प्रज्ञा नवनवोन्मेषशालिनी प्रतिभा मता।’ काव्य हेतु ‘प्रतिभा’ की व्याख्या है।
112. आचार्य और काव्य प्रयोजन का सुमेलन नहीं है-
(A) सहृदयों की प्रियता, धनार्जन – दण्डी
(B) रस की निष्पत्ति, चतुर्वग फल की प्राप्ति – आनन्दवर्धन
(C) लोक व्यवहार का ज्ञान, लोकोत्तर आनन्द लाभ – कुन्तक
(D) कीर्त्ति व प्रीति – विश्वनाथ
Ans (B): रस की निष्पत्ति भरतमुनि की अवधारणा है। आचार्य भामह ने चतुर्वग फल की प्राप्ति को काव्य प्रयोजन माना है।
113. निम्नलिखित में से कौन-सा काव्य हेतु नहीं है?
(A) व्युत्पत्ति
(B) अभ्यास
(C) प्रेरणा
(D) समाधि
Ans (D): ‘समाधि’ काव्य हेतु नहीं है।
114. आचार्य जयदेव ने ‘अंगीकरोति यः काव्यम्………’ कहकर किस आचार्य के काव्य लक्षण को चुनौती दी है?
(A) क्षेमेंद्र
(B) मम्मट
(C) भामह
(D) अप्यय दीक्षित
Ans (B): आचार्य जयदेव ने ‘अंगीकरोति यः काव्यम्………’ कहकर ‘आचार्य मम्मट’ के काव्य लक्षण को चुनौती दी है।
115. ‘जब मन में तमोगुण व रजोगुण दब जाते हैं और सत्त्व गुण का उद्रेक व प्राबल्य होता है तभी रस की अनुभूति होती है।’ रसास्वाद के संबंध में यह विचार है-
(A) रामचंद्र गुणचंद्र
(B) क्षेमेद्र
(C) विश्वनाथ
(D) शारदातनय
Ans (C): रसास्वाद के संबंध में यह विचार आचार्य ‘विश्वनाथ’ का है।
116. “व्यक्ति तो विशेष ही रहता है पर प्रतिष्ठा उसमें ऐसे सामान्य धर्म की रहती है जिसके साक्षात्कार से सब श्रोताओं या पाठकों के मन में एक ही भाव का उदय थोड़ा या बहुत होता है!”
साधारणीकरण के विषय में यह कथन है-
(0) डॉ. नगेद्र
(B) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(C) आचार्य नंददुलारे वाजपेयी
(D) डॉ. राधावल्लभ त्रिपाठी
Ans (B): साधारणीकरण के विषय में यह कथन ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ का है।
117. “साहित्य मनुष्य के अन्तर का उच्छलित आनन्द है जो उसके अन्तर में अटाए नहीं अट सका था। साहित्य का मूल यही आनन्द का अतिरेक है। उच्छलित आनन्द के अतिरेक से उद्भूत सृष्टि ही सच्चा साहित्य है।”
साहित्य संबंधी अवधारणा है-
(A) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(B) आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी
(C) डॉ. नगेंद्र
(D) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
Ans (D): साहित्य संबंधी यह अवधारणा आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का है।
118. ‘रस ध्वनि’ किसे कहा गया है?
(A) अर्थान्तरसंक्रमितवाच्य ध्वनि
(B) अत्यन्ततिरस्कृतवाच्य ध्वनि
(C) संलक्ष्यक्रमव्यंग्य ध्वनि
(D) असंलक्ष्यक्रमव्यंग्य ध्वनि
Ans (D): ‘असंलक्ष्यक्रमव्यंग्य ध्वनि’ को रस ध्वनि कहा गया है।
119. वाच्यार्थ की बांछनीयता एवं उसका व्यंग्यनिष्ठ होना ध्वनि के किस भेद की विशेषता है?
(A) विवक्षितान्यपरवाच्य ध्वनि
(B) अविवक्षितवाच्य ध्वनि
(C) अर्थान्तरसंक्रमितवाच्य ध्वनि
(D) अत्यन्ततिरस्कृतवाच्य ध्वनि
Ans (A): वाच्यार्थ की बांछनीयता एवं उसका व्यंग्यनिष्ठ होना ‘विवक्षितान्यपरवाच्य ध्वनि’ की विशेषता है।
120. कुन्तक ने अलंकारों का विधान वक्रोक्ति के किस भेद के अंतर्गत किया है?
(A) पदपरार्ध वक्रता
(B) प्रकरण वक्रता
(C) वाक्य वक्रता
(D) पदपूर्वार्ध वक्रता
Ans (C): कुन्तक ने अलंकारों का विधान वक्रोक्ति के ‘वाक्य वक्रता’ भेद के अंतर्गत किया है।
121. अभिनवगुप्त के अनुसार रसास्वाद प्रक्रिया के संबंध में अनुपयुक्त कथन है-
(A) साधारणीकरण व्यंजना के विभावन व्यापार का परिणाम नहीं है।
(B) स्थायी भाव अनादि वासना के रूप में सहृदय के हृदय में पूर्वस्थित रहता है।
(C) विभावादि व्यंजक होते हैं और रस व्यंग्य।
(D) रसानन्द अखण्ड होता है।
Ans (A): अभिनवगुप्त के अनुसार रसास्वाद प्रक्रिया साधारणीकरण व्यंजना के विभावन व्यापार का परिणाम है।
122. अलंकार के संबंध में असंगत कथन है-
(A) वर्णनीय रस की अनुकूलता के अनुसार वर्णों का बार-बार व पास-पास प्रयोग होने पर अनुप्रास अलंकार होता है।
(B) सार्थक अथवा निरर्थक भिन्न अर्थ वाले वर्ण समुदाय की क्रमश: आवृत्ति को यमक कहते हैं।
(C) उपमेय व उपमान में भिन्नता के होने पर भी साम्य स्थापन को उपमा कहते हैं।
(D) वक्ता द्वारा अन्य अभिप्राय से कथित वाक्य को काकु से जब श्रोता अन्य अर्थ कल्पित करे तो वहाँ सन्देह अलंकार होता है।
Ans (D): वक्ता द्वारा अन्य अभिप्राय से कथित वाक्य को काकु से जब श्रोता अन्य अर्थ कल्पित करे तो वहाँ ‘वक्रोक्ति अलंकार’ होता है।
123. “सुबरन को ढूँढत फिरैं, कवि कामी अरु चोर।” में अलंकार है-
(A) यमक
(B) श्लेष
(C) रूपक
(D) वयणसगाई
Ans (B): “सुबरन को ढूँढत फिरैं, कवि कामी अरु चोर।” में श्लेष अलंकार है।
124. कौन से आचार्य वक्रोक्ति को अलंकार का मूल मानकर उसके अभाव में अलंकार की कल्पना नहीं करते और इसी कारण हेतु, सूक्ष्म और लेश को अलंकार की श्रेणी में परिगणित नहीं करते?
(A) दण्डी
(B) भामह
(C) वामन
(D) कुंतक
Ans (B): आचार्य भामह वक्रोक्ति को अलंकार का मूल मानकर उसके अभाव में अलंकार की कल्पना नहीं करते और इसी कारण हेतु, सूक्ष्म और लेश को अलंकार की श्रेणी में परिगणित नहीं करते।
125. “पाइ महावर दैंन कौं नाइनि बैठी आइ।
फिरि फिरि जानि महावरी एड़ी मीड़ति जाइ॥”
में अलंकार है-
(A) उपमा
(B) सन्देह
(C) भ्रांतिमान
(D) उत्प्रेक्षा
Ans (C): उपरोक्त पंक्तियों में ‘भ्रांतिमान अलंकार’ है।
126. “सून्य भीति पर चित्र, रंग नहिं, तनु-बिनु लिखा चितरे।
धोये मिटै न, मर्इ भीति, दुख पाइय इहि तनु हेरे॥”
में अलकार है-
(A) अपह्नुति
(B) मानवीकरण
(C) विभावना
(D) वयणसगाई
Ans (C): उपरोक्त पंक्तियों में ‘विभावना अलंकार’ है।
127. “वयणसगाई’ के संबंध में असत्य कथन है-
(A) यह डिंगल का विशिष्ट अलंकार है।
(B) त वर्ग व ट वर्ग की वयणसगाई उत्तम कोटि की होती है।
(C) चरण का प्रथम अक्षर व चरणान्त के अन्तिम शब्द का प्रथम अक्षर समान होता है।
(D) चरण के प्रथम शब्द के आदि वर्ण की आवृत्ति चरणान्त शब्द के अन्त में भी सम्भव है।
Ans (B): असत्य कथन- त वर्ग व ट वर्ग की वयणसगाई उत्तम कोटि की होती है।
128. जहाँ प्रस्तुत में अप्रस्तुत की संभावना होती है वहाँ अलंकार होता है-
(A) उत्प्रेक्षा
(B) सन्देह
(C) भ्रांतिमान
(D) रूपक
Ans (A): जहाँ प्रस्तुत में अप्रस्तुत की संभावना होती है वहाँ ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ होता है।
129. “नेत्र निमीलन करती मानो
प्रकृति प्रबुद्ध लगी होने;
जलधि लहरियों की अंगड़ाई
बार-बार जाती सोने।”
में प्रमुख अलंकार है-
(A) मानवीकरण
(B) अपह्रुति
(C) भ्रांतिमान
(D) श्लेष
Ans (A): उपरोक्त पंक्तियों में ‘मानवीकरण अलंकार’ है।
130. दोहा छंद का उदाहरण नहीं है-
(A) उत्तम मध्यम नीच गति, पाहन सिकता पानि।
प्रीति परिच्छा तिहुँन की, बैर बितिक्रम जानि।
(B) सीता जू रघुनाथ को, अमल कमल की माल।
पहिरायी जनु सबन की, हृदयावलि भूपाल।।
(C) हिम्मत किम्मत होय, बिन हिम्मत किम्मत नहीं
करे न आदर कोय, रद कागद ज्यूं राजिया।
(D) विरह महानल बिकल हिय, पिय पिय कहि बिलखाहि।
आये हू पिय के निकट, तिय पहिचानति नाँहि।
Ans (C): यह दोहे का नहीं सोरठे का उदाहरण है-
“हिम्मत किम्मत होय, बिन हिम्मत किम्मत नहीं
करे न आदर कोय, रद कागद ज्यूं राजिया।”
131. उपमेय का निषेध कर उपमान की स्थापना करने वाला अलंकार है-
(A) रूपक
(B) वक्रोक्ति
(C) सन्देह
(D) अपह्रुति
Ans (D): उपमेय का निषेध कर उपमान की स्थापना करने वाला ‘अपह्रुति अलंकार’ है।
132. “डिगति उर्वि अति गुर्वि, सर्व पब्बै समुद्र-सर।
ब्याल बधिर तेहि काल, बिकल दिगपाल चराचर॥
दिग्गयंद लरखरत परत दसकंधु मुक्ख भर।
सुर-बिमान हिमभानु, भानु संघटित परसपर॥
चौंके बिरंचि संकर सहित, कोलु कमठु अहि कलमल्यौ।
ब्रह्मांड खंड कियो चंड धुनि, जबहिं राम सिवधनु दल्यौ॥”
किस छंद में निबद्ध है?
(A) कुण्डलिया
(B) छप्पय
(C) कवित्त
(D) मन्दाक्रान्ता
Ans (B): उपरोक्त पंक्तियाँ छप्पय छंद (रोला + उल्लाला) छंद में निबद्ध है।
133. कुण्डलिय छंद का लक्षण नहीं है-
(A) प्रथम चार पंक्तियाँ रोला व अन्तिम दो पंक्तियाँ दोहा छंद की होती हैं।
(B) मात्रिक विषम छंद है।
(C) यह छंद छह पंक्तियों का होता है।
(D) यह संयुक्त छंद है।
Ans (A): कुण्डलिय छंद में प्रथम दो पंक्तियाँ दोहा व अन्तिम चार पंक्तियाँ रोला छंद की होती हैं।
134. मात्रिक सम छंद नहीं है-
(A) चौपाई
(B) गीतिका
(C) हरिगीतिका
(D) उल्लाला
Ans (D): ‘उल्लाला’ अर्द्धसम मात्रिक छंद है।
135. संसार की समर-स्थली, में धीरता धारण करो।
चलते हुए निज इष्ट पथ पर संकटों से मत डरो।
जीते हुए भी मृतक सम रह कर न केवल दिन भरों।
वीर-वीर बनकर आप अपनी, विध्न बाधाएँ हरो।।”
ये पंक्तियाँ किस छंद में निबद्ध हैं?
(A) गीतिका
(B) उल्लाला
(C) हरिगीतिका
(D) कवित्त
Ans (C): ये पंक्तियाँ ‘हरिगीतिका छंद’ में निबद्ध हैं।
136. मन्दाक्रान्ता छंद का गणक्रम है-
(A) य म न स भ ल ग
(B) न भ भ र
(C) त भ ज ज ग ग
(D) म भ न त त ग ग
Ans (D): मन्दाक्रान्ता छंद का गणक्रम है- म भ न त त ग ग
137. धर्म के मग में अधर्मी से कभी डरना नहीं।
चेत कर चलना, कुमारग में कदम धरना नहीं।
शुद्ध भावों में भयानक भावना भरना नहीं।
बोध-वर्धक लेख लिखने में कमी करना नहीं।।
छंद में निबद्ध है-
(A) गीतिका
(B) हरिगीतिका
(C) द्रुतविलम्बित
(D) कवित्त
Ans (A): ये पंक्तियाँ ‘गीतिका छंद’ में निबद्ध हैं।
138. प्लेटो के संबंध में असत्य कथन है-
(A) कविता ज्ञान से उत्पन्न होती है।
(B) काव्य और नाटक अन्तःप्रेरणा से उत्पन्न होते हैं।
(C) काव्य भाव को उद्दीप्त करता है, तर्क को नहीं।
(D) कवि केवल माध्यम है वास्तविक रचयिता ईश्वर है।
Ans (A): प्लेटो के अनुसार कविता ईश्वरीय प्रेणना, भावों आदि से उत्पन्न होती है।
139. प्लेटो ने नहीं माना है-
(A) कला में अनुकरण की बात
(B) कलाओं के पारस्परिक सम्बन्धों व वर्गीकरण की बात
(C) कलाओं में आदर्श की, न्याय, सौन्दर्य व सत्य की प्रतिष्ठा की बात
(D) चिंतन को कला साधना का आवश्यक अंग न मानना
Ans (C): प्लेटो ने कलाओं में आदर्श, न्याय, सौन्दर्य व सत्य की प्रतिष्ठा की बात नहीं माना है।
140. “प्रबल जो तुम में पुरुषार्थ हो।
सुलभ कौन तुम्हें न पदार्थ हो।
प्रगति के पथ में विचरो उठो।
भुवन में सुख-शान्ति भरो उठो।”
ये पक्तियाँ किस छंद में निबद्ध हैं?
(A) हरिगीतिका
(B) द्रुतविलम्बित
(C) गीतिका
(D) मन्दाक्रान्ता
Ans (B): ये पक्तियाँ ‘द्रुतविलम्बित छंद’ में निबद्ध हैं।
141. अरस्तू के अनुकरण सिद्धान्त के संबंध में असंगत कथन है-
(A) कला प्रकृति की भावनामय तथा कल्पनामय अनुकृति नहीं है।
(B) काव्य का विषय प्रकृति का प्रतीयमान, सम्भाव्य और आदर्श रूप है।
(C) अनुकरण एक सर्जन क्रिया है।
(D) अनुकरण वह तंत्र है जिसके द्वारा कवि अपनी कल्पनात्मक अनुभूति की प्रक्षेपणीय अभिव्यक्ति को अन्तिम रूप प्रदान करता है।
Ans (A): अरस्तू के अनुकरण सिद्धान्त के अनुसार कला प्रकृति की भावनामय तथा कल्पनामय अनुकृति है।
142. अरस्तू ने त्रासदी के अनिवार्य अंग स्वीकार किए हैं-
(A) पाँच
(B) छः
(C) सात
(D) आठ
Ans (B): अरस्तू ने त्रासदी के छः अनिवार्य अंग स्वीकार किए हैं।
143. प्लेटो के विचारों से बेमेल है-
(A) तात्विक दृष्टि से मूल सत्य अमूर्त्त ज्ञान रूप विचार होता है।
(B) वस्तु सत्य अमूर्त्त का ज्ञान-प्रसूत मूर्त्त रूप है।
(C) कलाकृति धारणा-प्रसूत आभास मात्र है।
(D) अमूर्त ज्ञान रूप व धारणा-प्रसूत आभास में अन्तर नहीं होता।
Ans (D): प्लेटो के अनुसार अमूर्त ज्ञान रूप व धारणा-प्रसूत आभास में अन्तर होता।
144. अरस्तू के विरेचन सिद्धान्त के संबंध में असंगत कथन है-
(A) अरस्तू ने ‘विरेचन’ शब्द का ग्रहण साहित्यशास्त्र से इतर स्रोत से किया।
(B) मन की शुद्धि से आत्मा विशद व प्रसन्न होती है।
(C) प्लेटो द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों का समर्थन करने हेतु विरेचन की अवधारणा प्रस्तुत की गयी।
(D) अरस्तु ने विरेचन शब्द का प्रयोग त्रासदी की परिभाषा देते हुए किया।
Ans (C): अरस्तू ने अपने विरेचन सिद्धान्त में प्लेटो द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों का समर्थन नहीं किया है।
145. ‘पेरिइप्सुस’ ग्रंथ के रचयिता हैं-
(A) अरस्तू
(B) लोंजाइनस
(C) क्रोचे
(D) कॉलरिज
Ans (B): ‘पेरिइप्सुस’ ग्रंथ के रचयिता ‘लोंजाइनस’ हैं।
146. त्रासदी के अनिवार्य अंगों के संबंध में उपयुक्त कथन है-
(A) दृश्य-विधान, पदावली व भाषा-परिष्कार अनुकरण के विषय हैं।
(B) पदावली, गीत व चरित्र अनुकरण के विषय हैं।
(C) कथानक, चरित्र व विचार अनुकरण के विषय हैं।
(D) भाषा परिष्कार, दृश्यविधान ब कथानक अनुकरण के विषय हैं।
Ans (C): त्रासदी के अनिवार्य अंगों के संबंध में उपयुक्त कथन है- कथानक, चरित्र व विचार अनुकरण के विषय हैं।
147. लोंजाइनस की उदात्त सम्बन्धी मान्यतानुसार असंगत कथन है-
(A) विषय साधन नहीं साध्य है।
(B) प्राचीन काव्यानुशीलन आवश्यक है।
(C) विशद बिम्बों की योजना उपादेय है।
(D) विषय का विस्तारपूर्ण होना आवश्यक है।
Ans (D): असंगत कथन- विषय का विस्तारपूर्ण होना आवश्यक है।
148. क्रोचे की मान्यता नहीं है-
(A) सहज ज्ञान और प्रत्यक्ष ज्ञान में अभेद है।
(B) स्वयंप्रकाश ज्ञान बौद्धिक ज्ञान से स्वतंत्र व स्वायत्त होता है।
(C) अभिव्यंजना ज्ञान रूप है और काव्यप्रकाशन कर्म रूप है।
(D) कला एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है।
Ans (D): क्रोचे ने कला को एक आत्मिक प्रक्रिया माना है।
149. क्रोचे के अनुसार कला की सृजन प्रक्रिया से जुड़ा अनिवार्य चरण नहीं है-
(A) कलाकार द्वारा उद्दीपक प्रभावों के अंतर्गत अमूर्त्त संवेदना का अनुभव
(B) बिम्ब विधान के माध्यम से मानस स्तर पर अभिव्यंजना की पूर्णता
(C) कल्पना शक्ति के माध्यम से उद्दीपक प्रभावों का संश्लेषण तथा अन्वय
(D) मानस अभिव्यंजना का भौतिक स्तर पर कला आदि के रूप में अवतारण।
Ans (D): क्रोचे के अनुसार मानस अभिव्यंजना का मानसिक एवं आंतरिक कला आदि के रूप में अवतारण होता है।
150. लोंजाइनस के ‘उदात्त के स्रोत’ में सम्मिलित नहीं है-
(A) भावावेश की तीव्रता
(B) गरिमामय रचना विधान
(C) अत्यधिक शब्दाडम्बर
(D) समुचित अलंकार योजना
Ans (C): ‘अत्यधिक शब्दाडम्बर’ लोंजाइनस के ‘उदात्त के स्रोत’ में सम्मिलित नहीं है। क्योंकि यह उदात्त को नष्ट करने वाला है।