सामान्यत: 17वीं शती के मध्य से 19वीं शती के मध्य तक रीतिकाल की अवधि मानी जाती है। रीतिकाल के नामकरण, विभाजन और प्रवर्तकों को लेकर विद्वानों में काफ़ी मतभेद रहा है। यहाँ पर उन विवादों एवं मतों को यहाँ पर संक्षेप में दिया जा रहा है।
‘रीतिकाल‘ का नामकरण
‘रीतिकाल’ का नामकरण विभिन्न विद्वानों के अनुसार निम्न है-
नाम | प्रस्तोता |
रीतिकाव्य | जार्ज ग्रियर्सन |
अलंकृत काल | मिश्रबंधु |
रीतिकाल | रामचंद्र शुक्ल |
श्रृंगार काल | विश्वनाथ प्रसाद मिश्र |
कलाकाल | डॉ. रमाशंकर शुक्ल ‘रसाल’ |
अन्धकार काल | त्रिलोचन |
रीतिकाल के प्रवर्तक
रीतिकाल के प्रवर्तक के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है जो निम्नलिखित हैं-
प्रवर्तक | रचना काल | आधार ग्रंथ | प्रस्तोता | कारण |
कृपाराम | 1541 ई. | हिततरंगिणी | – | कालक्रम की दृष्टि से |
केशवदास | 1555-1617 ई. | रसिकप्रिया, कविप्रिया | नगेन्द्र | रचनाकार–व्यक्तित्व की दृष्टि से |
चिंतामणि | 1643 ई. | रसविलास, श्रृंगारमंजरी आदि | रामचंद्र शुक्ल | अखण्ड परमपरा चलाने की दृष्टि से |
रीतिकाल का विभाजन
रीतिकाल का विभाजन ‘रीति’ को आधार बना कर किया गया है-
1. रीतिबद्ध, 2. रीतिसिद्ध, 3. रीतिमुक्त
1. रीतिबद्ध:
इस वर्ग में वे कवि आते हैं जो रीति के बंधन में बंधे हुए हैं, अर्थात जिन कवियों ने शास्त्रीय ढंग पर लक्षण उदाहरण प्रस्तुत कर अपने ग्रंथों की रचना की है। लक्षण ग्रन्थ लिखने वाले इन कवियों में प्रमुख हैं- चिंतामणि, मतिराम, देव, जसवन्त सिंह, कुलपति मिश्र, मंडन, सुराति मिश्र, मारतों में सोमनाथ, भिखारी दास, दूलह, पुनाथ रशिगोविन्द, प्रतापसिंह, दिल्ली के ग्वाल आदि।
2. रीतिसिद्ध:
रीतिसिद्ध में वे कवि आते हैं जिन्होंने रीति ग्रन्थ नहीं लिखे किन्तु ‘रीति’ की उन्हें भली-भांति जानकारी थी। वे रीति में पारंगत थे। इन्होंने इस जानकारी का पूरा-पूरा उपयोग अपने काव्य ग्रन्थों में किया। इस वर्ग के प्रतिनिधि कवि हैं- बिहारी।
3. रीतिमुक्त:
इस वर्ग में वे कवि आते हैं जो ‘रीति’ के बन्धन से पूर्णतः मुक्त हैं अर्थात इन्होने काव्यांग निरूपण करने वाले ग्रन्थों लक्षण ग्रन्थों की रचना नहीं की तथा हृदय की स्वतन्त्र वृत्तियों के आधार पर काव्य रचना किया। इन कवियों में प्रमुख हैं- घनानन्द, बोधा, आलम और ठाकुर।
विभिन्न आलोचकों द्वारा रीतिकाल के कवियों का वर्गीकरण
रामचंद्र शुक्ल का विभाजन
रामचंद्र शुक्ल ने रीतिकाल को दो भागों में विभाजित किया है-
1. रीतिग्रंथकार
2. अन्य कवि
रामचंद्र शुक्ल ने रीतिग्रंथकार कवि के अंतर्गत 57 कवियों का उल्लेख किया है।
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र का विभाजन
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र द्वारा रीतिकालीन कवियों का वर्गीकरण निम्नलिखित है-
1. रीतिबद्ध:
केशवदास, सेनापति, जसवंत सिंह, मतिराम, देव, भिखारीदास, पद्माकर
2. रीतिसिद्ध:
वे कवि जिन्होंने रीतिग्रंथों की रचना न करके काव्य सिद्धांतों या लक्षणों के अनुसार काव्य रचना किए, उन्हें विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिसिद्ध कवियों के अंतर्गत् रखा है- बिहारीलाल
3. रीतिमुक्त:
शेख आलम, घनानन्द, ठाकुर, रसखान, बोधा, द्विजदेव
बच्चन सिंह का विभाजन
बच्चन सिंह द्वारा रीतिकालीन कवियों का वर्गीकरण निम्नलिखित है-
1. बद्धरीति कवि-
(क) रीतिचेतस: चिन्तामणि, जसवंत सिंह, भिखारीदास, प्रताप साहि, ग्वाल
(ख) काव्य चेतस: भूषण, मतिराम, देव, पद्माकर
2. मुक्तरीति:
(क) क्लासिकल काव्यधारा: बिहारीलाल
(ख) स्वच्छन्द काव्यधारा: आलम, घनानन्द, ठाकुर, बोधा, द्विजदेव
नगेन्द्र का विभाजन
नगेन्द्र द्वारा रीतिकालीन कवियों का वर्गीकरण निम्नलिखित है-
1. रीति कवि
§ सर्वांगनिरूपक कवि
चिंतामणि, कुलपति मिश्र, कुमारमणि, सोमनाथ, भिखारीदास, रसिक गोविंद, देव, अमीरदास, ग्वाल कवि, प्रताप साहि
§ विशिष्टांगनिरूपक कवि
(क) अलंकार निरूपक कवि: भूषण, मतिराम, जसवंत सिंह, गोप, रसिक सुमित, रघुनाथ बंदीजन, दूलह, रसरूप, पद्माकर, सेवादास, गिरधरदास
(ख) छंदों निरूपक कवि: भूषण, मतिराम, सुखदेव मिश्र, माखन, दशरथ, रामसहाय
(ग) श्रंगार रस निरूपक कवि: मतिराम, कृष्ण भट्ट देव ऋषि
(घ) सर्व रस निरूपक कवि: तोष, सुखदेव मिश्र, रसलीन, पद्माकर, रामसिंह, उजियारे, चंद्रशेखर वाजपेयी, याकूब खां, बेनी प्रवीन
2. रीतिमुक्त कवि: शेख आलम, घनानन्द, बोधा, ठाकुर, द्विजदेव
3. रीतिसिद्ध कवि: सेनापति, बिहारीलाल, रसनिधि, वृन्द, नृमशंभु, नेवाज, कृष्णकवि, हठी जी, विक्रमादित्य, रामसहाय, पजनेस, बेनी वाजपेयी, विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के अनुसार जो ‘रीतिसिद्ध कवि’ हैं, वे नगेन्द्र के अनुसार ‘रोतिबद्ध कवि’ हैं।
Riti kal ke baree
Comments are closed.