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रीतिकालीन प्रबंध एवं मुक्तक काव्य तथा अलंकार, छंद, रस एवं काव्यांग निरूपक ग्रंथ

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यहाँ पर रीतिकालीन मुक्तक काव्य, प्रबंध काव्य, अलंकार निरूपक ग्रंथ, छंद निरूपक ग्रंथ, रस निरुपक ग्रंथ तथा काव्यांग निरूपक ग्रंथ का विवरण प्रस्तुत किया...
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हिन्दी आचार्यों एवं समीक्षकों की रस विषयक दृष्टि

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हिन्दी आचार्यों की रस विषयक दृष्टि हिन्दी के रीतिकालीन आचार्यों की रस-दृष्टि संस्कृत आचार्यों द्वारा निर्दिष्ट रस-सिद्धान्त पर ही आधारित है। वे अभिनव गुप्त, मम्मट, विश्वनाथ आदि...
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साधारणीकरण सिद्धान्त | saadhaaraneekaran sidhant

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साधारणीकरण की अवधारणा  भट्ट नायक ने सर्वप्रथम ‘साधारणीकरण’ की अवधारणा प्रस्तुत की। इसीलिए उन्हें साधारणीकरण का प्रवर्तक माना जाता है। उनके अनुसार विभाव, अनुभाव और स्थायीभाव सभी...
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मूल रस | सुखात्मक और दुखात्मक रस | विरोधी रस

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रसों की प्रधानता भरत मुनि ने ‘नाट्यशास्त्र’ में सर्वप्रथम रसों की प्रधानता-अप्रधानता पर विचार किया। उनकी दृष्टि में 4 मुख्य रस और 4 व्युत्पन्न रस...
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रस का स्वरूप और प्रमुख अंग | ras ka swaroop

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रस का स्वरूप (भारतीय दृष्टि) आचार्य विश्वनाथ के अनुसार रस का स्वरूप (ras ka Swaroop) निम्नलिखित है- 1. रस अखंड है। 2. रस स्वप्रकाश है। 3. रस आनंदमय है। 4. रस चिन्मय है। 5. रस ब्रह्मास्वादसहोदर है।§  रस लोकोत्तरचमत्कारप्राण...
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रस सम्प्रदाय और उसके प्रमुख आचार्य | ras siddhant

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रस-सम्प्रदाय (ras siddhant) यद्यपि भारतीय काव्यशास्त्र में रस सिद्धांत सबसे प्राचीन है परंतु इसे व्यापक प्रतिष्ठा बाद में मिली, यही वजह है की सबसे प्राचीन...
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काव्य हेतु | काव्यशास्त्र | kavya hetu

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काय-हेतु काव्य हेतु  का अर्थ है, ‘काव्य के उत्पत्ति का कारण।’ गुलाब राय के अनुसार, ‘हेतु का अभिप्राय उन साधनों से है जो कवि की काव्य रचना में सहायक...
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काव्य प्रयोजन | काव्यशास्त्र | kavya prayojan

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काव्य का प्रयोजन काव्य-प्रयोजन (kavya prayojan) का तात्पर्य है की काव्य रचना का उद्देश्य क्या है? काव्य रचना के उपरांत प्राप्त होने वाला फल क्या है? प्रमुख...
kavya-lakshan

काव्य लक्षण | काव्यशास्त्र | kavya lakshan

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काव्य-लक्षण काव्य का लक्षण निर्धारित करना काव्यशास्त्र का महत्वपूर्ण प्रयोजन रहा है। काव्य-लक्षण के द्वारा वांग्मय के अन्य प्रकारों से काव्य का भेद दर्शाया जाता...
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हिंदी के प्रमुख महाकाव्य | hindi ke prmukh mahakavya

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महाकाव्य महाकाव्य लेखन की परम्परा संस्कृत साहित्य से चली आ रही है। संस्कृत के आचार्यों ने महाकाव्य के जो प्रमुख लक्षण निर्धारित किए वे निम्नलिखित...