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परिंदे कहानी की समीक्षा एवं सारांश | निर्मल वर्मा

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परिंदे कहानी और निर्मल वर्मा का परिचय निर्मल वर्मा को प्रायः स्मृति का कहानीकार माना गया है। 1956 ई. में परिदें कहानी का प्रकाशन होता है। इसी...
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राजा निरबंसिया कहानी की समीक्षा एवं सारांश | कमलेश्वर

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राजा निरबंसिया कहानी और कमलेश्वर का परिचय कमलेश्वर नयी कहानी आंदोलन के स्थापकों में रहे, जिसे नयी कहानी त्रयी कहा जाता है। कमलेश्वर के अलावा राजेंद्र यादव...
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गीत-फरोश कविता की व्याख्या और प्रमुख तथ्य

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गीत-फरोश: भवानीप्रसाद मिश्र भवानी प्रसाद मिश्र नई कविता के दौर के कवि हैं। दूसरे सप्तक (1951 ई.) में शामिल भवानी एक गांधीवादी कवि माने जाते हैं। ‘गीत फरोश’ कविता...
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महामारी और अकाल पर आधारित हिंदी साहित्य की प्रमुख रचनाएँ

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कोरोना के बहाने तमाम साहित्यकारों और विद्वानों का ध्यान महामारी और अकाल की तरफ गया है। यह चर्चा-परिचर्चा का प्रमुख विषय बन गया है।...
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हिंदी के प्रचार-प्रसार में राजनीतिक संस्थाओं की भूमिका

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उन्नीसवीं शताब्दी में हुए धार्मिक व सामाजिक आंदोलन के परिणाम स्वरूप शिक्षित भारतीयों के मध्य राजनीतिक चेतना का उदय हुआ। चूँकि उन्नीसवीं शताब्दी में...
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हिंदी भाषा का भौगोलिक या क्षेत्र-विस्तार | kshetr vistar

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हिंदी भाषा के क्षेत्र या भौगोलिक विस्तार पर बात करने से पहले दो-तीन बातों पर विचार कर लेना उपयुक्त होगा। जैसे की आपलोग जानते हैं की...
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कोश की परिभाषा और प्रकार | शब्दकोश

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इस पोस्ट में कोश किसे कहते हैं, कोश की परिभाषा क्या है, कोश निर्माण की प्रक्रिया क्या है, कोश के कितने प्रकार हैं, एकभाषिक कोश-...
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दिल्‍ली दरबार दर्पण निबंध- भारतेंदु हरिश्चंद्र | dilli darbar darpan

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दिल्ली दरबार दर्पण के रचनाकार भारतेंदु हरिश्चंद हैं। भारतेंदु ने दिल्‍ली दरबार दर्पण निबंध को वर्णात्मक शैली में लिखा है। यहाँ पर भारतेंदु का...
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हिंदी के प्रचार-प्रसार में साहित्यिक संस्थाओं की भूमिका

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भारतेंदु युग में हिंदी साहित्य निर्माण का कार्य प्रचुर मात्रा में हुआ, खासकर हिंदी गद्य साहित्य में। हिंदी को मजबूत धरातल प्रदान करने में भारतेंदु और भारतेंदु...
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हिंदी के प्रचार-प्रसार में धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं की भूमिका

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अंग्रेजों की सत्ता स्थापित होने के बाद राष्ट्रीयता की एक अखिल भारतीय संकल्पना उभर कर आती है। भाषा का मुद्दा प्रमुख हो उठता है।...