Hindi Sahitya से संबंधित quiz यहाँ पर दिया जा रहा है जो UGC NET / JRF, PGT, TGT और प्रवक्ता जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण हैं. इस क्विज में कुल 30 MCQs दिया गया है. हिंदी साहित्य संबंधित इन प्रश्नों के अभ्यास से आपको को तैयारी में मदद जरुर मिलेगी.
निम्नलिखित में से आर्य भाषाओं में शामिल नहीं है:
फारसी
संस्कृत
अंग्रेजी
अरबी
(आर्य भाषाओं में ‘अरबी’ शामिल नहीं है। यह ‘सामी भाषा परिवार’ की एक भाषा है।)
हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार हेमचंद्राचार्य ने कितने प्रकार के अपभ्रंशों की चर्चा की है?
तीन
चार
पांच
दो
हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार हेमचंद्राचार्य ने 2 प्रकार के अपभ्रंशों की चर्चा की है।
जन्म-काल की दृष्टि से निम्नलिखित कवियों का सही अनुक्रम है:
कबीर, जायसी, सूरदास, मीरांबाई
जायसी, कबीर, मीराबाई, सूरदास
कबीर, सूरदास, मीरांबाई, जायसी
कबीर, सूरदास, जायसी, मीरांबाई
जन्म-काल की दृष्टि से जन्म-काल की दृष्टि से- कबीर (1398 ई.), 1478 ई (1478 ई.), जायसी (1492 ई.), मीरांबाई (1498 ई.)
विद्यापति निम्नलिखित में से किस राजा के यहाँ विद्यमान थे?
गणपति ठाकुर
कीर्ति सिंह
रानी लखिमा देवी
राजा शिव सिंह
विद्यापति राजा राजा शिव सिंह के यहाँ विद्यमान थे।
रामचंद्र शुक्ल के अनुसार हिंदी कहानी के संदर्भ में कौन-सी बात सही नहीं है?
गीत की तरह कथा कहानी भी मनुष्य के स्वभाव के अंतर्गत है
कहानी का चलन सभ्य असभ्य सब जातियों में चला आ रहा है
घटना-प्रधान और मार्मिक, उनके ये स्थूल भेद भी बहुत पुराने हैं
आधुनिक ढंग की कहानियों के स्वरूप का विकास इस भेद के आधार पर नहीं हुआ है
निम्नलिखित में से कौन-सी पुस्तक आई.ए. रिचर्ड्स की नहीं है?
कोलरिज आन इमेजिनेशन
द फ़िलोसोफी ऑफ़ रिहटौरिकि
प्रिंसिपल्स ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज्म
द मैन एंड हिज वर्क
द मैन एंड हिज वर्क पुस्तक के लेखक मैक्स ब्रांड है, लेकिन उनका मूल नाम फ्रेडरिक फॉस्ट (अमेरिका) है।
निम्नलिखित में से कौन-सा छंद ‘पृथ्वीराज रासो’ में प्रयुक्त मुख्य छंद नहीं है?
कवित्त
दूहा
त्रोटक
चौपाई
पृथ्वीराज रासो में 68 प्रकार के छंद देखने को मिलते हैं, जिसमें कवित्त, दूहा, त्रोटक आदि मुख्य छंद हैं। लेकिन चंदबरदाई का प्रिय छंद ‘छप्पय’ है। इसे आदिकाल में रचित ‘छंदों का पिटारा’ या ‘छंदों का अजायबघर’ कहा जाता है।
रामचंद्र शुक्ल के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सी बातें गुरु नानक के बारे में सही नहीं हैं?
गुरु नानक आरंभ ही से भक्त थे।
हिंदू और मुसलमान दोनों को समान रूप में ग्राह्य उपासना के स्वरूप के प्रति उनके मन में स्वाभाविक आकर्षण था
उन्होंने घर-बार छोड़ बहुत दूर-दूर के देशों में भ्रमण किया।
विभिन्न स्थानों में भ्रमण करने से भी उनकी उपासना पद्धति का रूप स्थिर न हो सका।
निम्नलिखित में कृष्ण भक्तिधारा के कवि हैं:
नाभादास और ह्रदयराम
ह्रदयराम और हितहरिवंश
ह्रदयराम, हितहरिवंश और धुवदास
हितहरिवंश, धुवदास और परमानंददास
हितहरिवंश, धुवदास और परमानंददास कृष्ण भक्तिधारा के कवि हैं।
निम्नलिखित में केशवदास की रचनाएँ हैं:
कविप्रिया, काव्य विवेक और रसिकप्रिया
रसिकप्रिया, रतनबावनी और नवरसतरंग
रसिकप्रिया, नवरसतरंग और वीरसिंहदेवचरित
कविप्रिया, रसिकप्रिया और वीरसिंहदेवचरित
कविप्रिया, रसिकप्रिया और वीरसिंहदेवचरित आदि केशवदास की रचनाएँ हैं।
“गुरु परसाद होत यह दरसन सरसठ बरस प्रवीन।” – काव्य पंक्ति के रचयिता हैं:
पद्माकर भट्ट
मीराबाई
रसखान
सूरदास
कृष्णभक्ति परम्परा के बारे में सही कथन हैं:
उनके लोकपक्ष का समावेश उसमें है।
इन कृष्ण भक्तों के कृष्ण प्रेमोन्मत्त गोपिकाओं से घिरे हुए गोकुल के कृष्ण नहीं हैं।
बड़े-बड़े भूपालों के बीच लोकव्यवस्था की रक्षा करते हुए द्वारका के श्रीकृष्ण हैं।
इसमें श्रीकृष्ण की प्रेममयी मूर्ति को ही लेकर बड़े विस्तार के साथ व्यंजना हुई है।
‘गौड़ीय संप्रदाय’ के प्रवर्तक हैं:
हरिदास
विष्णु स्वामी
रामानंद
चैतन्य महाप्रभु
चैतन्य संप्रदाय को गौड़ीय संप्रदाय भी कहा जाता है, इसके प्रवर्तक चैतन्य महाप्रभु हैं।
रामचंद्र शुक्ल ने सूरदास के बारे में कहा है:
सूरदास के यहाँ सुंदर उपालम्भ काव्य का अभाव है।
केवल तुलसी में ही सूर के समान प्रसंगोद्भावना करने वाली प्रतिभा है।
सूर की बड़ी भारी विशेषता है नवीन प्रसंगों की उद्भावना।
सूरसागर का सबसे मर्मस्पर्शी और वाग्वैदग्धपृर्ण अंश ‘कृष्ण की बाल-लीला’ है।
सूरसागर का सबसे मर्मस्पर्शी और वाग्वैदग्धपृर्ण अंश ‘भ्रमरगीत’ है।
निम्नलिखित में से सुमेलित नहीं है:
माधवी- भीष्म साहनी
मादा कैक्टस- लक्ष्मीनारायण लाल
एक दूनी एक- सुरेन्द्र वर्मा
रक्त बीज- मणि मधुकर
रक्त बीज (1978 ई.) नाटक के लेखक शंकर शेष हैं।
‘कही ईसुरी फाग’ किसका उपन्यास है?
नासिरा शर्मा
उपा प्रियंवदा
मृदुला गर्ग
मैत्री पुष्पा
‘कही ईसुरी फाग’ (2004 ई.) मैत्री पुष्पा का उपन्यास है।
‘प्रणयिनी परिणय’ के रचनाकार हैं:
बालकृष्ण भट्ट
राधाकृष्ण दास
भारतेंदु हरिश्चंद्र
किशोरीलाल गोस्वामी
‘प्रणयिनी परिणय’ (1890 ई.) के रचनाकार किशोरीलाल गोस्वामी हैं।
निम्नलिखित कवियों में से ‘नखशिख’ नाम से रचना किस कवि ने नहीं की है?
बलभद्र मिश्र
सूरति मिश्र
तोषनिधि
चिंतामणि
नखशिख नाम से चिंतामणि ने कोई रचना नहीं लिखी है।
‘रेल का विकट खेल’ नाटक के लेखक हैं-
भारतेंदु हरिश्चंद्र
बालमुकुंद गुप्त
प्रतापनारयण मिश्र
बालकृष्ण भट्ट
‘रेल का विकट खेल’ नाटक के लेखक बालकृष्ण भट्ट हैं।
“नूर मुहम्मद फारसी के अच्छे आलिम थे और इनका हिंदी काव्यभाषा की भी ज्ञान और सब सूफी कवियों से अधिक था।” -किस विद्वान ने लिखा है?
नन्ददुलारे वाजपेयी
रामकुमार वर्मा
विजयदेव नारायण साही
रामचंद्र शुक्ल
निम्नलिखित रचनाओं और रचनाकारों में सुमेलित नहीं है:
जायसी- अखरावट
कासिमशाह- हंस जवाहिर
नूर मुहम्मद- इंद्रावती
उसमान- मधुमालती
मधुमालती के लेखक मंझन हैं जबकि उसमान की रचना चित्रावली है।
‘वैराग्य संदीपनी’ के रचनाकार है:
नंददास
रामानंद
रामानुजाचार्य
तुलसीदास
‘वैराग्य संदीपनी’ के रचनाकार तुलसीदास हैं, चार भागों में विभाजित इस ग्रंथ की रचना चौपाई और दोहों में हुई है।
निम्नलिखित में से कौन-सी रचना मतिराम की नहीं है?
रसराज
ललितललाम
छंदसार
रसविलास
‘रस विलास’ रीतिकाल के कर्म कांडी कवि देव की रचना है।
‘काश्मीर कुसुम’ और ‘बादशाह दर्पण’ किसके द्वारा लिखित रचनाएँ हैं?
ठाकुर जगमोहन सिंह
रामनरेश त्रिपाठी
श्रीधर पाठक
भारतेंदु हरिश्चंद्र
‘काश्मीर कुसुम’ (कश्मीर के राजाओं का क्रम से विवरण) और ‘बादशाह दर्पण’ (दिल्ली के बादशाहों का विवरण) भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित रचनाएँ हैं, ये दोनों ग्रंथों का रचनाकाल 1884 ई. है।
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन लाला श्रीनिवास दास के नाटकों के बारे में सही नहीं है?
‘परीक्षा गुरु’ एक शिक्षाप्रद उपन्यास है
‘संयोगिता स्वयंवर’ नाटक लाला श्रीनिवास दास का सबसे बाद का नाटक है
भारतेंदु के समसामयिक लेखकों में लाला श्रीनिवास दास का विशेष स्थान था
‘प्रहलाद चरित’ 15 दृश्यों का एक बड़ा नाटक है
लाला श्रीनिवास दास कृत ‘प्रह्लाद चरित्र’ 11 दृश्यों का एक बड़ा नाटक है।
‘फिलहाल’ पुस्तक के लेखक हैं:
नामवर सिंह
शिवदान सिंह चौहान
नंददुलारे वाजपेयी
अशोक वाजपेयी
‘फिलहाल’ (1979 ई.) पुस्तक के लेखक अशोक वाजपेयी हैं।
निम्नलिखित ग्रंथों का काल के अनुसार सही अनुक्रम है-
ध्वन्यालोक, काव्यादर्श, काव्यप्रकाश, साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण, काव्यादर्श, ध्वन्यालोक, काव्यप्रकाश
काव्यादर्श, काव्यप्रकाश, साहित्य दर्पण, ध्वन्यालोक
काव्यादर्श, ध्वन्यालोक, काव्यप्रकाश, साहित्य दर्पण
सही अनुक्रम- काव्यादर्श (दंडी), ध्वन्यालोक (आनंदवर्धन), काव्यप्रकाश (मम्मट), साहित्य दर्पण (विश्वनाथ)
काल के अनुसार निम्नलिखित आचार्यों का सही अनुक्रम है-
भोजराज, वामन, रुय्यक, विश्वनाथ
वामन, रुय्यक, विश्वनाथ, भोजराज
रुय्यक, भोजराज, विश्वनाथ, वामन
वामन, भोजराज, रुय्यक, विश्वनाथ
आचार्यों का सही अनुक्रम- वामन (8वीं-9वीं शती), भोजराज (11वीं शती), रुय्यक (12वीं शती), विश्वनाथ (14वीं)
जन्म-काल के अनुसार निम्नलिखित रचनाकारों का सही अनुक्रम है:
भारतेंदु हरिश्चंद्र, बालकृष्ण भट्ट, लाला श्रीनिवासदास, प्रतापनारायण मिश्र
लाला श्रीनिवासदास, भारतेंदु हरिश्चंद्र, प्रतापनारायण मिश्र, बालकृष्ण भट्ट
भारतेंदु हरिश्चंद्र, प्रतापनारायण मिश्र, बालकृष्ण भट्ट, लाला श्रीनिवासदास
बालकृष्ण भट्ट, भारतेंदु हरिश्चंद्र, लाला श्रीनिवासदास, प्रतापनारायण मिश्र
जन्म-काल के अनुसार क्रम- बालकृष्ण भट्ट (3 जून, 1844 ई.), भारतेंदु हरिश्चंद्र (9 सितंबर, 1850 ई.), लाला श्रीनिवासदास (1851 ई.), प्रतापनारायण मिश्र (24 सितंबर, 1856 ई.)
जन्म-काल के अनुसार निम्नलिखित रचनाकारों का सही अनुक्रम है:
महावीरप्रसाद द्विवेदी, रामनेरश त्रिपाठी, मैथिलीशरण गुप्त, श्रीधर पाठक
रामनेरश त्रिपाठी, श्रीधर पाठक, महावीरप्रसाद द्विवेदी, मैथिलीशरण गुप्त
मैथिलीशरण गुप्त, श्रीधर पाठक, महावीरप्रसाद द्विवेदी, रामनेरश त्रिपाठी
श्रीधर पाठक, महावीरप्रसाद द्विवेदी, मैथिलीशरण गुप्त, रामनेरश त्रिपाठी
श्रीधर पाठक (11 जनवरी, 1858 ई.), महावीरप्रसाद द्विवेदी (15 मई 1864 ई.), मैथिलीशरण गुप्त (3 अगस्त, 1886 ई.), रामनेरश त्रिपाठी (4 मार्च, 1889 ई.)
हिंदी सारंग पर आते रहें, यह Quiz सीरीज आगे भी चलती रहेगी…