हिंदी व्याकरण क्विज 01 | hindi vyakaran Quiz 01

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दोस्तों हिंदी व्याकरण से संबंधित क्विज O1 यहाँ दिया गया है। व्याकरण संबधित ये प्रश्न nvs (नवोदय विद्यालय समिति) द्वारा आयोजित परीक्षा 2016 में पूछें गयें हैं। इसमें हिंदी व्याकरण, भाषा, रस, अलंकार शब्द शक्ति आदि से संबंधित प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उत्तर आयोग की उत्तर कुंजी से लिए गए हैं। इसमें कुल 27 mcq questions हैं। hindi vyakaran quiz 01 कैसा लगा कमेंट कर जरुर बताएं।

‘टिकटघर’ का सही शब्द-भेद है?
तत्सम
तद्भव
विदेशी
संकर
‘टिकटघर’ संकर शब्द है।
‘सूर्य’ का समानार्थी शब्द नहीं है-
आदित्य
दिनेश
अरुण
मयंक
‘सूर्य’ का समानार्थी शब्द आदित्य, दिनेश, अरुण है।
निम्नलिखित में से अविकारी शब्द होते हैं-
संज्ञा शब्द
विशेषण शब्द
क्रिया शब्द
क्रियाविशेषण शब्द
क्रियाविशेषण शब्द अविकारी होते हैं।
निम्नलिखित में से विशेषण शब्द है-
चतुरता
चातुर्य
चातुरी
चतुर
‘चतुर’ विशेषण शब्द है।
किस कधन में ‘अच्छा’ पद संज्ञा-रूप में आया है?
वह अच्छा लड़का है।
वह लड़का अच्छा है।
अच्छे बनो।
अच्छों का साथ अच्छा है।
इस वाक्य में अच्छा पद संज्ञा रूप में आया है।
‘कुसुमकोमल’ समस्त पद का सही विग्रह है-
कोमल कुसुम
कुसुम के लिए कोमल
कोमल मानो कुसुम
कुसुम के समान कोमल
यह कुसुमकोमल का सही विग्रह है।
‘शायद वह आज आए’ – अर्थ के आधार पर यह वाक्य है-
विधानवाचक
इच्छार्थक
आज्ञार्थक
संदेहार्थक
अर्थ के आधार पर यह संदेहार्थक वाक्य है।
निम्नलिखित में से संस्कृत प्रत्यय है-
ऐत
आर
एरा
कार
‘कार’ संस्कृत प्रत्यय है।
‘प्रत्यागमन’ शब्द का संधि-विच्छेद है-
प्रत्य+ आगमन
प्रति + गमन
प्रत्या + गमन
प्रति + आगमन
‘प्रत्यागमन’ शब्द का संधि-विच्छेद ‘प्रति + आगमन’ है।
निम्नलिखित में किस शब्द में ‘अन्‌’ उपसर्ग का प्रयोग नहीं हुआ?
अनंत
अनंग
अनुपम
अनाम
अनाम में ‘अ’ उपसर्ग है।
निम्नलिखित शब्दों में से किसमें ई + इ स्वरों का मेल है?
कवीन्द्र
रविन्द्र
अतीव
महीन्द्र
महींद्र शब्द में ई + इ स्वरों का मेल है।
चौपाई छंद की विशेषताएँ हैं-
पहले और दूसरे चरण में 15-16 मात्राएँ
अंतिम चरण में एक गुरु वर्ण
पहले चरण के अंत में एक गुरु वर्ण
दोनों चरणों में 16-16 मात्राएँ
चौपाई छंद के दोनों चरणों में 16-16 मात्राएँ और चरण के अंत में दो गुरु वर्ण होते हैं।
नवरस में शामिल रस नहीं है-
हास्य
अद्भुत
भयानक
वात्सल्य
नवरस में वात्सल्य रस शामिल नहीं है।
निम्नलिखित में से काव्य-दोष नहीं है-
दुष्क्रमत्व
क्लिष्टत्व
न्यूनपदत्व
श्लिप्टत्व
श्लिप्टत्व काव्य-दोष नहीं है।
‘निरंतर बहता हुआ जल स्वच्छ होता है।’
वाक्य में ‘संज्ञा पदबंध’ है-
जल
बहता हुआ जल
स्वच्छ होता है।
निरंतर बहता हुआ जल
यह संज्ञा पदबंध है।
‘वह बाजार गया क्योंकि उसे पुस्तकें खरीदनी थीं।’
उपर्युक्त वाक्य है-
सरल
जटिल
मिश्रित
संयुक्त
उपर्युक्त वाक्य संयुक्त वाक्य है।
‘मैं अपना काम स्वयं करती हूँ।’
उपर्युक्त वाक्य में ‘काम’ पद के परिचय का सह विकल्प है-
संज्ञा – जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक
विशेषण- गुणवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, मैं विशेष्य
संज्ञा- भाववाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक
संज्ञा- भाववाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक
यही काम पद का सही विकल्प है।
‘जो गरीब हैं, उनकी कोई नहीं सुनता।’
उपर्युक्त वाक्य का सरल वाक्य में रूपांतरण होगा-
उनकी कोई नहीं सुनता, क्योंकि वे गरीब हैं।
कौन गरीब की बात सुनता है!
गरीबों की बात सुनो!
गरोबों की कोई नहीं सुनता।
यह सरल वाक्य है।
‘गद्दी का वारिस लौटा था
राम कहाँ लौटे थे वन से।’
उपर्युक्त पंक्तियों में प्रयुक्त शब्द-शक्ति है-
अभिधा
लक्षणा
आर्थी लक्षणा
व्यंजना
उपर्युक्त पंक्तियों में व्यंजना शब्द-शक्ति है।
‘लैकै सुघरु खुरपिया पिय कै साथ।
छइबै एक छतरिया बरखत पाथ॥’
उपर्युक्त पंक्तियों में रस है-
करुण
अद्भुत
शृंगार
हास्य
उपर्युक्त पंक्तियों में हास्य रस है।
‘यादों के बिंब ये सुनहरे हैं, शिखरों पर केतु सदृश फहरे हैं।’
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
रूपक
उत्प्रेक्षा
श्लेष
उपमा
उपर्युक्त पंक्तियों में उपमा अलंकार है।
‘सूरज की पहली किरण
जीवन-ज्योति जगाती सी
शैल शिखरों के गले में
अद्भुत स्वर्णहार पहनाती सी’
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा गुण समाहित है?
माधुर्य
ओज
समाधि
प्रसाद
उपर्युक्त पंक्तियों में प्रसाद गुण समाहित है।

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्रश्न सं. 23 से 27) के उत्तर दीजिए-

आज हम भौतिक वस्तुओं में मैचिंग ढूँढ़ते हैं। मेल खाते कपड़े और दीवारों के रंग से मिलते परदे- यह सब इसलिए कि जीवन एक अंतहीन दौड़ में पड़कर बेमेल हो गया है, अंदर के रंग फीके हो गए हैं। जीवन से उत्सवधर्मिता विलुप्त हो गई है। आज सारा संघर्ष भीतर और बाहर में सामंजस्य बिठाने का है। अगर यह संभव हो गया तो हर दिन दीपावली है। दीपपर्व हमें इसे संभव करने का रास्ता बताता है। घरों, कार्यालयों को ही साफ नहीं करना, मन के उन कोने-अंतरों को भी स्वच्छ करना है, जो बेकार की चीजों से भर गए हैं। व्यर्थ की अभिलाषाएँ वहाँ भरी पड़ी हैं, उन्हें उठाकर बाहर फेंकना है। अपने लिए नए संकल्प करने हैं और उन्हें पूरा करने के लिए जुट जाना है। जो इच्छाएँ पूरी नहीं हो सकीं, उनकी जगह नए सपने देखने हैं। उन सपनों को कर्म से अर्थ देना है। कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरता है। वह अंतहीन है। जब व्यक्ति में यह संकल्प जागता हैं तो क्रांति घटित हो जाती है। मन में रंग फूट पड़ते हैं। ये ऐसे रंग हैं जो उजले हैं। उन अँधेरे कोनों में भी दीपक जलाना है, जहाँ सदियों पुरानी अप्रसन्‍नता का अँधेरा पसरा है; एक छोटा सा दीया उसे हटाने में समर्थ है। सत्य को कितना ही अकेला कर दिया जाए आखिरकार विजय सत्य की ही होती है। असत्य का अँधेरा क्षणभर का ही होता है। यही कारण है कि असत्य सत्य के सामने थरथराता है। उसकी गर्जना निर्णायक क्षणों में गिड़गिड़ाहट में बदल जाती है। असत्य अंतत: नष्ट हो जाता है। अंतर में पैठ गए अज्ञानता और भय के दशानन को भी बार-बार जलाना होता है। जलना और राख होना उसकी नियति है, इसलिए डर कैसा?

23. ‘संकल्प जागता है तो क्रांति घटित हो जाती है।’
यहाँ ‘क्रांति’ से क्‍या तात्पर्य है?
युगांत
विद्रोह
विध्वंस
परिवर्तन
यहाँ ‘क्रांति’ से तात्पर्य परिवर्तन है।
24. ‘रंग फूट पड़ना’ का अर्थ है-
रंगों का उद्गम
रंगों का बहना
चंचल होना
उत्साह छाना
‘रंग फूट पड़ना’ का अर्थ उत्साह छाना है।
25. ‘दशानन’ शब्द में समास है-
द्वंद्व
तत्पुरुष
अव्ययीभाव
बहुव्रीहि
‘दशानन’ शब्द में बहुव्रीहि समास है।
26. ‘नियति’ का पर्याय है-
परिणाम
अंत
तर्क
भाग्य
‘नियति’ का पर्याय भाग्य है।
27. ‘जीवन एक अंतहीन दौड़ में पड़कर बेमेल हो गया है।’ में ‘बेमेल’ का आशय है-
भौतिकतावादी
अकेला
फीका
सामंजस्य रहित
उपर्युक्त पंक्ति में ‘बेमेल’ का आशय सामंजस्य रहित है।

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