महाकाव्य
महाकाव्य लेखन की परम्परा संस्कृत साहित्य से चली आ रही है। संस्कृत के आचार्यों ने महाकाव्य के जो प्रमुख लक्षण निर्धारित किए वे निम्नलिखित हैं- महाकाव्य का कथानक ऐतिहासिक अथवा इतिहासाश्रित होना चाहिए। कथानक का कलवेर जीवन के विविध रूपों एवं वर्णनों से समृद्ध होना चाहिए, उसमें मानव जीवन का पूर्ण चित्र उसके संपूर्ण वैभव, वैचित्र्य एवं विस्तार के साथ उपस्थित होना चाहिए। कथानक की संघटना नाट्य संधियों के विधान से युक्त अर्थात् महाकाव्य के कथानक का विकास क्रमिक होना चाहिए। महाकाव्य के नायक का चरित्र धीरोदात्त गुणों से सम्पन्न होना चाहिए। महाकाव्य में शृंगार, वीर, शांत एवं करुण में से किसी एक रस की स्थिति प्रमुख/अंगी रूप में तथा अन्य रसों की अंग रूप में होनी चाहिए।
हिंदी के प्रमुख महाकाव्य
कवि | महाकाव्य | वर्ष | सर्ग |
---|---|---|---|
चंदबरदाई | पृथ्वीराज रासो | 1400 वि. | 69 समय |
मलिक मुहम्मद जायसी | पद्मावत | 1540 ई. | 57 खंड |
तुलसीदास | रामचरितमानस | 1633 ई. | 7 काण्ड |
आचार्य केशवदास | रामचंद्रिका | 1601 ई. | 39 प्रकास |
मैथिलीशरण गुप्त | साकेत | 1988 ई. | 12 सर्ग |
अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | प्रियप्रवास | 1913 ई. | 17 सर्ग |
द्वारका प्रसाद मिश्र | कृष्णायन | 1942 ई. | – |
जयशंकर प्रसाद | कामायनी | 1936 ई. | 15 सर्ग |
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | उर्वशी | 1961 ई. | – |
रामकुमार वर्मा | एकलव्य | – | – |
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ | उर्मिला | – | – |
हिंदी के महाकाव्य से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य
1. चंदबरदाई कृत पृथ्वीराज रासो को हिंदी का प्रथम महाकाव्य माना जाता है।
2. अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ कृत खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य माना जाता है।
3. पृथ्वीराज रासो को चंद के पुत्र जल्हण द्वारा पूर्ण किया गया है।
4. ‘पृथ्वीराजरासो’ वीर रस का हिंदी का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है।
5. जायसी कृत पद्मावत सूफी परम्परा का प्रसिद्ध महाकाव्य है। अवधी भाषा में रचित इस महाकाव्य की रचना दोहा और चौपाई छन्द में है।
6. पद्मावत में दोहों की संख्या 653 है।
7. तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना का आरम्भ अयोध्या में वि. सं. 1631 (1574 ई.) को रामनवमी के दिन (मंगलवार) किया था। उन्होंने रामचरितमानस को 2 वर्ष 7 माह 26 दिन में पूरा किया। इसकी भाषा अवधी है।
8. रामचरित मानस में 7 काण्ड हैं- बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड। जिसमें बालकाण्ड और किष्किन्धाकाण्ड क्रमशः सबसे बड़े और छोटे काण्ड हैं।
9. मानस में अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग हुआ है।
10. रामचंद्रिका में कुल 1717 छंद हैं।
11. केशव को रामचंद्रिका में संवाद-योजना, अलंका-योजना एवं छंद-योजना में अधिक सफलता मिली है। इसकी भाषा संस्कृत प्रधान ब्रजभाषा है।
12. साकेत महाकाव्य के लिए मैथिलीशरण गुप्त को 1932 ई. में मंगलाप्रसाद पारितोषिक प्राप्त हुआ था।
13. साकेत महाकाव्य रामकथा पर आधारित है, परंतु कथा के केन्द्र में लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला है।
14. प्रियप्रवास एक विरहकाव्य है। यह महाकाव्य कृष्ण काव्य की परंपरा में होते हुए भी, उससे भिन्न है क्योंकि यहाँ कृष्ण कोई ईश्वर न होकर एक महापुरुष के रूप में चित्रित हुए हैं।
15. द्वारका प्रसाद मिश्र ने ‘कृष्णायन’ महाकाव्य की रचना 1942 में जेल में रहते हुए की थी।
16. ‘कृष्णायन’ महाकाव्य में कृष्ण के जन्म से लेकर स्वर्गारोहण तक की कथा कही गई है।
17. कामायनी महाकाव्य की रचना जयशंकर प्रसाद ने 15 सर्गों में की है, जो निम्न हैं- चिन्ता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा, कर्म, ईर्ष्या, इडा (तर्क, बुद्धि), स्वप्न, संघर्ष, निर्वेद (त्याग), दर्शन, रहस्य, आनन्द
इन सर्गों को याद करने का सूत्र-
a. चिंता की आशा से श्रद्धा ने काम वासना को लज्जित किया
b. कर्म की ईर्ष्या से इड़ा ने स्वप्न में संघर्ष किया
c. निदरआ (निद्रा)
18. कामायनी के प्रमुख पात्र मनु, श्रद्धा, इडा, किलात-आकुलि, श्वेत वृषभ आदि क्रमशः मन, बुद्धि, मानव, आसुरी भाव, धर्म के प्रतीक हैं।
19. उर्वशी महाकाव्य में दिनकर ने उर्वशी और पुरुरवा के प्राचीन आख्यान को एक नये अर्थ संदर्भों से जोड़ा है।
20. ‘उर्वशी’ राष्ट्रवाद और वीर रस प्रधान रचना है। यह प्रेम और सौन्दर्य का काव्य है।
21. उर्वशी महाकाव्य के लिए दिनकर को 1972 ई. में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।