हिंदी यात्रा-वृत्तान्त
जब कोई लेखक किसी यात्रा का कलात्मक एवं साहित्यिक विवरण प्रस्तुत करता है तो उसे यात्रावृत्त कहा जाता है। हिन्दी साहित्य में यात्रा-वृत्तान्त लिखने की परम्परा का सूत्रपात भारतेन्दु से माना जाता है। इनके यात्रावृत्त विषयक रचनाएँ कविवचन सुधा में प्रकाशित होती थीं। राहुल सांकृत्यायन, अज्ञेय और नागार्जुन को आधुनिक हिंदी साहित्य का ‘घुमक्कर बृहतत्रयी’ कहा जाता है। प्रमुख यात्रा-वृत्तान्त की सूची निम्नलिखित है-
यात्रा-वृत्तान्त की सूची
hindi yatra vrittant list-
लेखक | यात्रा-वृत्तान्त |
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भारतेन्दु | सरयू पार की यात्रा |
मेंहदावल की यात्रा | |
लखनऊ की यात्रा | |
प्रताप नारायण मिश्र | विलायत यात्रा |
राहुल सांकृत्यायन | मेरी तिब्बत यात्रा |
मेरी लद्दाख यात्रा | |
किन्नर देश में | |
रूस में पच्चीस मास | |
घुमक्कड़ शास्त्र | |
यात्रा के पन्ने | |
एशिया के दुर्गम भूखंड | |
चीन में कम्यून | |
चीन में क्या देखा | |
राहुल यात्रावली | |
रामबृक्ष बेनीपुरी | पैरों में पंख बांधकर |
उड़ते चलो-उड़ते चलो | |
यशपाल | लोहे की दीवार के दोनों ओर |
राह बीती | |
काका कलेलकर | हिमालय की यात्रा |
सूर्योदय का देश | |
अज्ञेय | अरे यायावर रहेगा याद? |
एक बूँद सहसा उछली | |
बहता निर्मल पानी | |
भगवतशरण उपाध्याय | कलकत्ता से पोलिंग |
सागर की लहरों पर | |
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | देश-विदेश |
मेरी यात्राएं | |
प्रभाकर माचवे | गोरी नज़रों में हम |
मोहन राकेश | आखिरी चट्टान तक |
रघुवंश | हरी घाटी |
निर्मल वर्मा | चीड़ों पर चाँदनी |
हँसती घाटी दहकते निर्जन | |
धर्मवीर भारती | यादें यूरोप की |
यात्रा चक्र | |
ठेले पर हिमालय | |
विष्णु प्रभाकर | हँसते निर्झर: दहकती भट्टी |
ज्योति पुंज हिमालय | |
हमसफर मिलते रहे | |
अमृता प्रीतम | इक्कीस पत्तियों का गुलाब |
नगेन्द्र | तंत्र लोक से यंत्र लोक तक |
अप्रवासी की यात्राएं | |
श्रीकान्त शर्मा | अपोलो का रथ |
गोविन्द मिश्र | धुन्ध भरी सुर्खी |
कमलेश्वर | खण्डित यात्राएं |
कश्मीर रात के बाद | |
आँखों देखा पाकिस्तान | |
बलराज साहनी | रुसी सफरनामा |
कर्ण सिंह चौहान | यूरोप में अंतर्यात्राऐं |
रामदरश मिश्र | तना हुआ इन्द्र धनुष |
मोर का सपना | |
पड़ोरा की खुशबू | |
मंगलेश डबराल | एक बार आयोवा |
विश्वनाथ प्रसाद तिवारी | आत्मा की धरती |
अंतहीन आकाश | |
एक नाव के यात्री | |
रमेश चन्द्र शाह | एक लम्बी छाह |
कृष्णदत्त पालीवाल | जापान में कुछ दिन |
नरेश मेहता | कितना अकेला आकाश |
नासिरा शर्मा | जहाँ फव्वारे लहू रोते हैं |
मनोहर श्याम जोशी | क्या हाल है चीन के |
पश्चिमी जर्मनी पर उड़ती नज़र | |
निर्मला जैन | दिल्ली: शहर-दर-शहर |
असगर वजाहत | चलते तो अच्छा था |
रास्ते की तलाश में | |
पाकिस्तान का मतलब क्या | |
कृष्णा सोबती | बुद्ध का कमण्डल: लद्दाख |
ज्ञानरंजन | कबाड़खाना |
पंकज विस्ट | खरामा-खरामा |
रमणिका गुप्ता | लहरों की लय |
पुरुषोत्तम अग्रवाल | हिंदी सराय: अस्त्राखान वाया येरेवान |
उर्मिलेश | क्रिस्टेनिया मेरी जान |
विनोद तिवारी | नाज़िम हिकमत के देश में |
पदमा सचदेव | मैं कहती हूँ आँखिन देखी |
हरिराम मीणा | जंगल-जंगल जलियांवाला |
साइबर सिटी से नंगे आदिवासियों तक | |
आदिवासी लोक की यात्राएँ | |
सांवरमल सांगानेरिया | अपना क्षितिज, अपना सूरज |
देवेन्द्र मेवाड़ी | दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ |
अमृतलाल वेगड़ | तीरे-तीरे नर्वदा |
अलोक रंजन | सियाहत |
फूलचन्द मानव | मोहाली से मेलबर्न |
अनुराधा बेनीवाल | आज़ादी मेरा ब्रांड |
- अज्ञेय का यात्रा वृतांत ‘अरे यायावर रहेगा याद?’ स्वदेश यात्रा से संबंधित है और ‘एक बूँद सहसा उछली’ विदेश यात्रा से संबंधित है।