शुक्लोत्तर युगीन आलोचक और उनके आलोचनात्मक ग्रंथों की सूची

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शुक्लोत्तर आलोचक और आलोचना

शुक्लोत्तर आलोचना में सबसे महत्वपूर्ण आलोचक के रूप में हजारी प्रसाद द्विवेदी हमारे सामने आते हैं। जो शुक्ल जी से हट कर दूसरी परम्परा की शुरुआत करते हैं। शुक्लोत्तर आलोचना में दूसरे सबसे महत्वपूर्ण आलोचक नंददुलारे वाजपेयी हैं जिन्हें छायावाद का पहला प्रभावशाली आलोचक माना जाता है। नीचे शुक्लोत्तर युगीन आलोचक और उनके आलोचनात्मक ग्रंथों की सूची दी जा रही है- 

शुक्लोत्तर युगीन आलोचक और उनके आलोचनात्मक ग्रंथों की सूची- 

नंददुलारे वाजपेयी
1. हिंदी साहित्य- बीसवीं सदी2. नया साहित्य- नए प्रश्न
3. आधुनिक साहित्य4. राष्ट्रीय साहित्य
5. प्रकीर्णिका6. प्रेमचंद: एक साहित्यिक विवेचन
7. जयशंकर प्रसाद8. महाकवि सूरदास
9. हिंदी साहित्य- बीसवीं सदी10. नया साहित्य- नए प्रश्न
11. आधुनिक साहित्य12. राष्ट्रीय साहित्य
13. प्रकीर्णिका14. प्रेमचंद: एक साहित्यिक विवेचन
15. जयशंकर प्रसाद16. महाकवि सूरदास
17. कवि निराला18. राष्ट्रभाषा की समस्या
19. आधुनिक काव्य रचना और विचार20. नयी कविता
21. कवि सुमित्रानंदन पंत22. रस सिद्धांत
23. साहित्य का आधुनिक युग24. आधुनिक साहित्य सृजन और समीक्षा
25. रीति और शैली
नंददुलारे वाजपेयी
हजारी प्रसाद द्विवेदी
1. नाथ सम्प्रदाय2. मध्यकालीन बोध का स्वरूप
3. मध्यकालीन धर्म साधन4. सहज साधना
5. कबीर6. सूर साहित्य
7. हिंदी साहित्य8. हिंदी साहित्य की भूमिका
9. हिंदी साहित्य का आदिकाल10. साहित्य सहचर
11. कालिदास की लालित्य योजना12. लालित्य मीमांसा
13. साहित्य का मर्म14. आधुनिक साहित्य पर विचार
15. मृत्युंजय रविन्द्र16. प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद
17. मेघदूत : एक पुरानी कहानी18. सूर और उनका काव्य
19. अपभ्रंस का रसात्मक काव्य20. सिक्ख गुरुओं का पुण्य स्मरण
21. महापुरुषों का स्मरण22. साहित्य का साथ
23. नाट्यशास्त्र की भारतीय परम्परा और दशरूपक24. संदेश रासक
25. आलोक पर्व26. विचार प्रवाह
27. कल्पलत
हजारी प्रसाद द्विवेदी
डॉ० नगेंद्र
1. सुमित्रानंदन पंत2. साकेत: एक अध्ययन
3. रस-सिद्धांत4. विचार और अनुभूति
5. विचार और विवेचन6. विचार और विश्लेषण
7. रीतिकाव्य की भूमिका8. देव और उनकी कविता
9. मिथक और साहित्य10. आधुनिक हिंदी नाटक
11. आधुनिक हिंदी कविता की मुख्य प्रवृत्तियाँ12. कामायनी के अध्ययन की समस्यायें
13. नयी समीक्षा- नये संदर्भ14. भारतीय सौन्दर्यशास्त्र की भूमिका
15. भरतीय काव्यशास्त्र की भूमिका16. पाश्चात्य काव्यशास्त्र की परम्परा
17. अरस्तू का काव्यशास्त्र18. काव्य में उदात्त तत्व
19. शैली विज्ञान20. भारतीय समीक्षा और आचार्य शुक्ल की काव्य-दृष्टि
21. अनुसंधान और आलोचना22. आलोचक की आस्था
23. काव्य विम्ब24. चेतना के बिम्ब
25. आस्था के चरण26. तंत्रालोक से यंत्रालोक तक
27. नयी समीक्षा नये संदर्भ28.समस्या और समाधान
29. शैली विज्ञान30. मिथक और साहित्य
31. साहित्य का समाजशास्त्र32. भारतीय समीक्षा और  आचार्य शुक्ल की काव्य दृष्टि
33. मैथिलीशरण गुप्त का काव्य : पुनर्मुल्यांकन34. मैथिलीशरण गुप्त काव्य- संदर्भ कोष
35.   प्रसाद और कामायनी36. मूल्यांकन का प्रश्न
37. तुलसी संदर्भ38. पुनर्वाक्
डॉ० नगेंद्र
परशुराम चतुर्वेदी
1. उत्तरी भारत की संत परम्परा2. भारतीय प्रेमाख्यान की परम्परा
3. संत साहित्य की भूमिका4. संत साहित्य की परख
5. कबीर साहित्य की परख6. कबीर साहित्य चिंतन
7. वैष्णव धर्म8. मध्यकालीन श्रृंगारिक प्रवृत्तियाँ
9. मध्यकालीन प्रेम साधना
परशुराम चतुर्वेदी
रामधारी सिंह ‘दिनकर’
1. काव्य की भूमिका2. पंत, प्रसाद और मैथिलीशरण गुप्त
3. शुद्ध कविता की खोज4. मिट्टी की ओर
5. साहित्य और समाज6. श्री अरविंद: मेरी दृष्टि में
दिनकर
अन्य आलोचक-
आलोचकआलोचनात्मक ग्रंथ
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’रवींद्र कविता काननपंत और पल्लव
सुमित्रानंदन पंतगद्यपथ
शिल्प और दर्शन
छायावाद: पुनर्मूल्यांकन
पल्लव की भूमिका
महादेवी वर्मामीरा और मीरा
गंगाप्रसाद पाण्डेयमहाप्राण निराला
महीयसी महादेवी
छायावाद के आधार स्तम्भ
हिंदी कथा- साहित्य
नलिन विलोचन शर्माहिंदी उपन्यास : विशेषत: प्रेमचंद
जैनेंद्रकहानी अनुभव और शिल्प
प्रेमचंद एक कृती व्यक्तित्व
राहुल सांकृत्यायनपाली साहित्य का इतिहास
हिंदी काव्यधारा
रामनरेश त्रिपाठीआधुनिक कवि
श्रीरामचरितमानस
शुक्लोत्तर युगीन आलोचना
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