किसी भी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण, जाति या भाव, दशा आदि के नाम को संज्ञा (sangya) कहते हैं। इसे अंग्रेजी में Noun कहा जाता है। वासुदेवनंदन प्रसाद के अनुसार ‘संज्ञा (noun) उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो।’1 यहाँ ‘वस्तु’ शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है, जो केवल वाणी और पदार्थ का वाचक नहीं, वरन उनके धर्मो का भी सूचक है। साधारण अर्थ में ‘वस्तु’ का प्रयोग इस अर्थ में नहीं होता। अतः वस्तु के अन्तर्गत प्राणी, पदार्थ और धर्म आते हैं। इन्हीं के आधार पर संज्ञा के भेद किये गये हैं।
संज्ञा की परिभाषा:
किसी व्यक्ति, वस्तु स्थान जाति या भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्द को संज्ञा कहते हैं। एक उदाहरण लेते हैं-
‘शाहजहाँ ने कश्मीर में सेबों की सुंदरता देखी।’ उपरोक्त वाक्य में चार नाम हैं जो संज्ञा (noun) को व्यक्त कर रहे, ‘शाहजहाँ’ एक व्यक्ति का, ‘कश्मीर’ एक स्थान का, ‘सेब’ एक वस्तु का, ‘सुंदरता’ एक गुण का नाम है। ये चारों शब्द संज्ञा के उदाहरण हैं।
संज्ञा किसे कहते हैं?
किसी व्यक्ति (दिनेश), वस्तु (मेज), स्थान (दिल्ली), जाति (स्त्री) या भाव (मित्रता) के नाम को sangya कहते हैं।
संज्ञा के भेद:
संज्ञा के भेद या प्रकार पर सभी वैयाकरण एकमत नहीं हैं परंतु अधिकतर संज्ञा के पाँच भेद मानते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- व्यक्तिवाचक
- जातिवाचक
- भाववाचक
- द्रव्यवाचक
- समूहवाचक
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा:
‘जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।’2 जैसे-
- व्यक्तियों का नाम- गाँधीजी, कृष्ण, मोहन, राधा, दिनेश;
- दिशाओं के नाम- उत्तर, पश्चिम, दक्षिण, पूर्व;
- देशों के नाम- भारत, नेपाल, चीन, अफगानिस्तान, फ़्रांस;
- राष्ट्रीय जातियों के नाम- भारतीय, चीनी, पाकिस्तानी, रूसी;
- समुद्रों के नाम- काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर;
- नदियों के नाम- यमुना, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु;
- पर्वतों के नाम- हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम;
- नगरों, चौकों और सड़कों के नाम- वाराणसी, गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक मार्ग।
- पुस्तकों तथा समाचारपत्रों के नाम- रामचरितमानस, गोदान, आलोचना, दैनिक जागरण, अमर उजाला;
- ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम- पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही-विद्रोह, अक्तूबर-क्रान्ति;
- दिनों, महीनों के नाम- जनवरी, मार्च, सितम्बर, बुधवार, रविवार;
- त्योहारों, उत्सवों के नाम- होली, दीवाली, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस आदि।
व्यक्तिवाचक संज्ञा के 10 उदाहरण:
मुकेश, संदीप, गोदावरी, नर्मदा, महानदी, अर्जेंटीना, इटली, आस्ट्रेलिया, डेनमार्क, सैन फ्रांसिस्को, मैनचेस्टर, कोपेनहेगन, पटना, महाभारत, कामायनी, अरावली, कंचनजंघा आदि।
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2. जातिवाचक संज्ञा:
‘जिन संज्ञाओं से एक ही प्रकार की वस्तुओं अथवा व्यक्तिओं का बोध हो, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।’3 जैसे- नगर, गाँव, घर, आम, तोता, नदी, हाथी, मनुष्य, माता, पहाड़ आदि।
‘घर’ कहने से सभी प्रकार के घर का, ‘नदी’ कहने से सभी प्रकार की नदियों का, ‘हाथी’ कहने से सभी हाथियों का, ‘मनुष्य’ कहने से संसार की मनुष्य-जाति का, ‘पहाड़’ कहने से संसार के सभी पहाड़ों का जातिगत बोध होता हैं।
कुछ उदाहरण और देखे-
- संबंधियों, व्यवसायों, पदों और कार्यों के नाम- मंत्री, बहन, शिक्षक, चोर, धोबी आदि।
- पशु-पक्षियों के नाम- बिल्ली, मैना, बुलबुल, भैंस, गधा, गिलहरी, मोर आदि।
- वस्तुओं के नाम- मेज, किताब, पेन, चारपाई, अलमारी, मकान आदि।
- प्राकृतिक तत्वों के नाम- तूफान, बिजली, भूकंप, ज्वालामुखी, वर्षा आदि।
व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह किसी प्राणी की जाति नहीं बदल सकती, जैसे बैल का उदाहरण लेते हैं- उसकी जाति सदैव बैल ही रहेगी। लेकिन व्यक्तिवाचक संज्ञा बदल सकती है, जैसे- जिस घर में बैल था वे उसे हीरा कह कर पुकारते थे, किसी दूसरे के यहाँ गया तो उसे वो मोती यह शेरू कह कर पुकारने लगे। इस तरह उसका नाम तो बदल सकता है किंतु जाति वही रही, वह न बदली।
जातिवाचक संज्ञा के 10 उदाहरण:
पुरुष, नारी, लड़का, गाय, नदी, पर्वत, देश, मछली, पक्षी, भिंडी, सब्जी, फल, कुर्सी, कागज, कलम, अकाल, ठग, जूता आदि।
3. भाववाचक संज्ञा:
‘जिस संज्ञा-शब्द से व्यक्ति या वस्तु के गुण या धर्म, दशा अथवा व्यापार का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।’4 यहाँ पर ‘धर्म’, ‘गुण’, ‘अर्थ’ और ‘भाव’ प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं। जैसे- लम्बाई, बुढ़ापा, नम्रता, समझ, चाल, मिठास आदि।
हर पदार्थ का धर्म होता है। नींबू में खटास, राजपूतों में वीरता, पानी में शीतलता, आग में गर्मी, मनुष्य में देवत्व और पशुत्व इत्यादि का होना आवश्यक है। पदार्थ का गुण या धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता। घोड़ा है, तो उसमे बल है, वेग है और आकार भी है। व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक संज्ञा से भी किसी एक ही भाव का बोध होता है। इस संज्ञा (noun) का अनुभव हमारी इन्द्रियों को होता है। व्यक्तिवाचक तथा भाववाचक संज्ञाएँ प्रायः बहुवचन में नहीं होती है।
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण:
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया, सर्वनाम और अव्यय में प्रत्यय लगाकर बनाया जाता है।
- जातिवाचक संज्ञा से- बूढ़ा से बुढ़ापा, लड़का से लड़कपन, बच्चा से बचपन, मित्र से मित्रता, पंडित से पंडिताई, दास से दासत्व, वीर से वीरता, राह से राहत आदि।
- विशेषण से- गर्म से गर्मी, सर्द से सर्दी, वीर से वीरता, महा से महिमा, कठोर से कठोरता, धीर से धैर्य, गरम से गरमी, पीला से पीलापन, मीठा से मिठास, चतुर से चतुराई, अच्छा से अच्छाई, लम्बा से लम्बाई, बड़ा से बड़ापन, अंधा से अंधापन, सुंदर से सुंदरता और सौंदर्य आदि।
- क्रिया से- घबराना से घबराहट, छटपटाना से छटपटाहट, सजाना से सजावट, चढ़ना से चढ़ाई, बहना से बहाव, मारना से मार, काटना से काट, दौड़ना से दौड़, वंच से वंचना आदि;
- सर्वनाम से- अपना से अपनापन और अपनत्व, आप से आपा, मम से ममता और ममत्व, अहं से अहंकार, निज से निजत्व आदि;
- अव्यय से- दूर से दूरी, समीप से समीप्य, शाबाश से शाबाशी, वाहवाह से वाहवाही, परस्पर से पारस्पर्य, निकट से नैकट्य आदि।
- धातु से- पढ़ना से पढ़ाई, लिखना से लिखाई, हँसना से हँसाई, लड़ना से लड़ाई आदि।
भाववाचक संज्ञा बनाते समय शब्दों के अंत में प्रायः पन, त्व, ता आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
भाववाचक संज्ञा के 10 उदाहरण:
ईमानदारी, प्रेम, सच्चाई, बचपन, सुंदरता, योग्यता, जवानी, शत्रुता, सीधापन, ऊँचाई, दृढ़ता, न्यूनता आदि।
4. समूहवाचक संज्ञा:
समूहवाचक संज्ञा को समुदायवाचक संज्ञा भी कहते हैं। ‘जिस संज्ञा से वस्तु अथवा व्यक्ति के समूह का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।’5 जैसे- व्यक्तियों का समूह- सेना, भीड़, झुंड, जनता, सभा, गिरोह, दल; वस्तुओं का समूह- गुच्छा, कुंज, मण्डल, घौद आदि।
समूहवाचक संज्ञा के 10 उदाहरण:
समिति, संघ, शृंखला, ढेर, पुंज, पुलिस, मंत्रिमंडल, गुच्छा, जुलूस, कक्षा, पुस्तकालय, परिवार, मण्डली, सेना आदि।
5. द्रव्यवाचक संज्ञा:
‘जिस संज्ञा से नाप-तौल वाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।’6 कहने का तात्पर्य यह है की द्रव्यवाचक संज्ञा से किसी ऐसी वस्तु का बोध होता है, जो पदार्थ तो है परंतु उसे गिना नहीं जा सकता, उसका परिणाम हो सकता है। द्रव्यवाचक संज्ञा का प्राय: बहुवचन नहीं होता है। जैसे- दूध, लोहा, पीतल, चावल, पेट्रोल, घी, तेल, सोना, चाँदी आदि।
नोट- समूहवाचक और द्रव्यवाचक संज्ञाएँ भी जातिवाचक संज्ञाओं के अंतर्गत आ सकती हैं, इसीलिए कई वैयाकरण इसे पृथक नहीं मानते हैं।7
द्रव्यवाचक संज्ञा के 10 उदाहरण:
मिट्टी, लकड़ी, ऊन, ताँबा, जस्ता, पानी, शहद, चाय, कॉफी, अन्न, हीरा, पेट्रोल, डीजल आदि।
संज्ञाओं का प्रयोग:
संज्ञाओं (noun) के प्रयोग में कभी-कभी उलटफेर भी हो जाया करता है। कुछ उदाहरण यहाँ दिये जा रहे है-
1. जातिवाचक : व्यक्तिवाचक
कुछ जातिवाचक संज्ञा शब्द रूढ़ हो जाते हैं और किसी व्यक्ति विशेष को निर्दिष्ट करते हैं; जैसे-
- ‘गुप्त जी’ (मैथिलीशरण गुप्त) की कविता ओजपूर्ण है।
- ‘पंडित जी’ (जवाहरलाल नेहरु) हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
यद्यपि भारत में लाखों व्यक्तियों की जाति ‘गुप्त’ और ‘पंडित’ है, किंतु यहाँ ‘गुप्त’ और ‘पंडित’ शब्द जाति का बोधक न होकर एक व्यक्ति विशेष के लिए प्रयुक्त हुआ है।
इसी प्रकार ‘पुरी’ से जगत्राथपुरी का ‘देवी’ से दुर्गा का, ‘दाऊ’ से कृष्ण के भाई बलदेव का, ‘संवत्’ से विक्रमी संवत् का, ‘गाँधी जी’ से मोहनदास कर्मचन्द गाँधी का, नेता जी’ से सुभाषचंद्र बोस का, ‘भारतेन्दु’ से बाबू हरिश्चन्द्र का और ‘गोस्वामी’ से तुलसीदास जी का बोध होता है।
इसी तरह बहुत-सी योगरूढ़ संज्ञाएँ मूल रूप से जातिवाचक होते हुए भी प्रयोग में व्यक्तिवाचक के अर्थ में चली आती हैं। जैसे- गणेश, हनुमान, हिमालय, गोपाल इत्यादि।
2. व्यक्तिवाचक : जातिवाचक
कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक (अनेक व्यक्तियों के अर्थ) में होता है। ऐसा किसी व्यक्ति का असाधारण गुण या धर्म दिखाने के लिए किया जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा में बदल जाती है; जैसे-
- गाँधी इस युग के बुद्ध थे;
- वह अभिनव कालिदास है;
- यशोदा हमारे घर की लक्ष्मी है;
- वह कलियुग के भीम हैं।
- आज भी हरिश्चंद्रों की कमी नहीं है।
- हमें जयचंदों से बचना चाहिए।
कहने का तात्पर्य यह है की जब व्यक्तिवाचक संज्ञा एक से अधिक का बोध कराये, तो वह जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आएगी; जैसे- हमारे देश में विभीषणों की कमी नहीं है।
उपरोक्त वाक्य में विभीषणों का अर्थ ‘देशद्रोही’ है, जो व्यक्तिवाचक नहीं बल्कि जातिवाचक शब्द है।
3. भाववाचक : जातिवाचक
जब भाववाचक संज्ञा पद बहुवचन के रूप में प्रयुक्त होती हैं तो वह जातिवाचक संज्ञा हो जाती हैं; जैसे-
- बुराइयों से सदा दूर रहिए।
- आजकल दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं।
- ये सब कैसे अच्छे पहरावे है।
यहाँ बुराई, दूरी और पहरावा भाववाचक संज्ञा है, किन्तु प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में हुआ।
संज्ञा के रूपान्तर (लिंग, वचन और कारक में संबंध)
संज्ञा (noun) विकारी शब्द है। विकार शब्दरूपों को परिवर्तित अथवा रूपान्तरित करता है। संज्ञा के रूप लिंग, वचन और कारक चिह्नों (परसर्ग) के कारण बदलते हैं।
1. लिंग के अनुसार:
- नर खाता है- नारी खाती है।
- लड़का खाता है- लड़की खाती है।
इन वाक्यों में ‘नर’ पुंलिंग है और ‘नारी’ स्त्रीलिंग। ‘लड़का’ पुंलिंग है और ‘लड़की’ स्त्रीलिंग। इस प्रकार, लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपांतर होता है।
2. वचन के अनुसार:
- लड़का खाता है- लड़के खाते हैं।
- लड़की खाती है- लड़कियाँ खाती हैं।
- एक लड़का जा रहा है- तीन लड़के जा रहे हैं।
इन वाक्यों में ‘लड़का’ शब्द एक के लिए आया है और ‘लड़के’ एक से अधिक के लिए। ‘लड़की’ एक के लिए और ‘लड़कियाँ’ एक से अधिक के लिए व्यवहृत हुआ है। यहाँ संज्ञा के रूपांतर का आधार ‘वचन’ है। ‘लड़का’ एकवचन है और ‘लड़के’ बहुवचन में प्रयुक्त हुआ है।
3. कारक-चिह्नों के अनुसार:
- लड़का खाना खाता है- लड़के ने खाना खाया।
- लड़की खाना खाती है- लड़कियों ने खाना खाया।
इन वाक्यों में ‘लड़का खाता है’ में ‘लड़का’ पुंलिंग एकवचन है और ‘लड़के ने खाना खाया’ में भी ‘लड़के’ पुंलिंग एकवचन है, पर दोनों के रूप में भेद है। इस रूपांतर का कारण कर्ता कारक का चिह्न ‘ने’ है, जिससे एकवचन होते हुए भी ‘लड़के’ रूप हो गया है। इसी तरह, लड़के को बुलाओ, लड़के से पूछो, लड़के का कमरा, लड़के के लिए चाय लाओ इत्यादि वाक्यों में संज्ञा (लड़का-लड़के) एकवचन में आयी है। इस प्रकार, संज्ञा बिना कारक-चिन्ह के भी होती है और कारक चिह्नों के साथ भी। दोनों स्थितियों में संज्ञाएँ एकवचन में अथवा बहुवचन में प्रयुक्त होती है। उदाहरणार्थ-
(i) बिना कारक-चिह्न के:
- लड़के खाना खाते हैं। (बहुवचन)
- लड़कियाँ खाना खाती हैं। (बहुवचन)
(ii) कारक-चिह्नों के साथ:
- लड़कों ने खाना खाया।
- लड़कियों ने खाना खाया।
- लड़कों से पूछो।
- लड़कियों से पूछो।
इस प्रकार, संज्ञा का रूपांतर लिंग, वचन और कारक के कारण होता है।
संज्ञा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
Ans. संज्ञा वह सार्थक, विकारी शब्द है, जिससे किसी वास्तविक या काल्पनिक, जड़ या चेतन पदार्थ, स्थान, गुण, भाव, दशा, दिशा एवं व्यापार के नाम का बोध होता है; जैसे- किताब, मुंबई, सीधापन, थकावट, पूर्व, राम आदि।
Ans. संज्ञा के 5 भेद होते हैं- व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक, द्रव्यवाचक, समूहवाचक आदि।
Ans. जिससे किसी विशेष व्यक्ति, देश, शहर, प्रांत, अन्य भूस्थल, दिशा आदि के नाम का बोध होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- विराट कोहली, क्रिस्टियानो रोनाल्डो, अमेरिका, भारत, दिल्ली, लंदन, गंगा, हिमालय, उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर आदि।
Ans. जिससे किसी जड़ या चेतन पदार्थ की संपूर्ण जाति का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- लड़का, गाय, फल, कुर्सी, तूफान आदि।
Ans. जिससे किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के गुण, धर्म, दशा, व्यापार आदि का इंद्रियगत बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- मित्रता, दासता, चतुराई, गहराई, खटास, अपनत्व, थकावट, खेल, चाल आदि।
Ans. जिससे वस्तुओं एवं व्यक्तियों के समुदाय का बोध होता है, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- दूध, दही, चीनी लोहा, चाँदी, तेलआदि।
Ans. नापतौल वाली वस्तुओं, जिनकी गणना संभव न हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- सेना, संसद, गिरोह, गुच्छा आदि।
MCQ’s Sangya:
संदर्भ ग्रंथ:
- आधुनिक हिंदी व्याकरण और रचना- वासुदेवनंदन प्रसाद, पृष्ठ-72 ↩︎
- वही, पृष्ठ- 73 ↩︎
- वही, पृष्ठ- 73 ↩︎
- वही, पृष्ठ-74 ↩︎
- वही, पृष्ठ-74 ↩︎
- वही, पृष्ठ-74 ↩︎
- व्यवहारिक हिंदी व्याकरण तथा रचना- हरदेव बाहरी, पृष्ठ- 62 ↩︎
Very nice post Sir
[…] संज्ञा की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण […]
Very helpful
संज्ञा से रिलेटेड आपकी पोस्ट में संपूर्ण जानकारी है जो हमें पढ़कर भरपूर मजा आया आप ऐसी पोस्ट देखते रहिए।
धन्यवाद शिव। पर अब बैकलिंक और स्पैमिंग पर गूगल की नजर है। उसका कोई फायदा नहीं है।
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