वाद-विवाद और आंदोलन की परम्परा
हिंदी साहित्य के इतिहास में समय-समय पर अनेक वाद और आंदोलन होते रहे हैं, जिसका व्यापक प्रभाव हिंदी साहित्य पर रहा है। क्योंकि इन आंदोलनों ने साहित्य की दशा और दिशा को बदल कर रख दिया। मित्रों प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी साहित्य में चले प्रमुख वाद और आंदोलन से सीधे सवाल बनते रहे हैं, उसी को ध्यान में रखते हुए यहाँ प्रमुख वाद और आंदोलन की सूची दी जा रही है।
प्रमुख वाद/आंदोलन और उसके प्रवर्तक
हिंदी साहित्य के प्रमुख vad और aandolan के प्रवर्तक निम्नलिखित हैं-
| प्रमुख वाद/आंदोलन | प्रवर्तक |
|---|---|
| रीतिवाद | केशवदास(शुक्ल के अनुसार चिंतामणि) |
| स्वच्छंदतावाद | श्रीधर पाठक |
| छायावाद | जयशंकर प्रसाद |
| हालावाद | हरिवंश राय ‘बच्चन’ |
| प्रयोगवाद | अज्ञेय |
| प्रपद्यवाद या नकेनवाद | नलिन विलोचन शर्मा, केसरी कुमार, नरेश |
| मांसलवाद | रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ |
| अकविता | श्याम परमार |
| अस्वीकृत कविता | श्री राम शुक्ल |
| बीट जैनरेशन (बीट पीढ़ी) | राजकमल चौधरी |
| युयुत्सावादी कविता | श्री राम सिंह |
| नव प्रगतिशील | नवल किशोर |
| आज की कविता | हरीश मदानी |
| वाम /प्रतिबद्ध कविता | परमानंद श्रीवास्तव |
| सनातन सुर्योदयी | वीरेंद्र कुमार जैन |
| सहज कविता | रविन्द्र भ्रमर |
| साम्प्रदायिक कविता | श्याम नारायण |
| ताजी कविता | लक्ष्मी कांत वर्मा |
| टटकी कविता | राम वचन राय |
| समकालीन कविता | विश्वम्भर नाथ उपाध्याय |
| कैप्सूल/सूत्र कविता | ओंकार नाथ त्रिपाठी |
| नवगीत | अज्ञेय |









