हिंदी साहित्य में गुरु-शिष्य परम्परा | prmukh guru-shishy

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हिंदी साहित्य में गुरु-शिष्य परम्परा

हिंदी साहित्य में भी अन्य कलाओं की तरह गुरु-शिष्य की एक लंबी परम्परा रही है। जिसे हम आदिकाल से आधुनिक काल तक देख सकते हैं। परीक्षाओं में कभी-कभी इससे प्रश्न बन जाते हैं। यहाँ पर नीचे प्रमुख गुरु-शिष्य (prmukh guru-shishy) की सूची दी जा रही है-

हिंदी साहित्य में प्रमुख गुरु-शिष्य की सूची

prmukh guru-shishy की सूची निम्नलिखित है-

गुरुशिष्य
शबरपालुईपा
गोविन्द स्वामीशंकराचार्य
मत्स्येंद्रनाथ/मछंदर नाथगोरखनाथ
कांचीपूर्णरामानुजाचार्य
नारद मुनिनिम्बार्कचार्य
राघवानंदरामानंद
रामानंदअनंतानंद, सुरानंद, सुर सुरानंद, सेना, नरहयानंद, भवानंद, पीपा, कबीर, धन्ना, रैदास, पद्मावती, सुरसरी (12 शिष्य)
शेख तकीकबीर (मुसलमानों के अनुसार)
शेख मोहिदी (मुहीउद्दीन)जायसी
शेख बुरहानकुतुबन
हाजीबाबाउसमान
विष्णु स्वामीवल्लभाचार्य
वल्लभाचार्यकुंभनदास, सूरदास, कृष्णदास, परमानंददास
गोस्वामी बिट्ठलनाथगोविन्दस्वामी, छीतस्वामी, नंददास, चतुर्भुजदास
रैदासमीराबाई
दादूरज्जब, सुंदरदास, प्रागदास, जगजीवन, जनगोपाल
बाबा नरहरिदासतुलसीदास
अग्रदासनाभादास
नरहरिदासबिहारी
राजा शिवप्रसाद ‘सितारेहिन्द’भारतेंदु हरिश्न्द्र
महावीर प्रसाद द्विवेदीमैथली शरण गुप्त, प्रेमचंद और ‘निराला’
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