हरियाणा लोकसेवा आयोग सहायक अध्यापक पाठ्यक्रम | hpsc Assistant Professor Syllabus

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हरियाणा लोकसेवा आयोग सहायक अध्यापक पाठ्यक्रम

इस पोस्ट में हरियाणा लोकसेवा आयोग (hpsc) द्वारा आयोजित सहायक अध्यापक (Assistant Professor) परीक्षा हेतु हिंदी विषय का पाठ्यक्रम (Syllabus) देख और downlod कर सकते हैं । अन्य विषय के पाठ्यक्रम को देखना चाहते हैं तो उसका नीचे लिंक दिया गया है। Syllabus for the Recruitment Test for the post of Assistant Professor (College Cadre) in the subject of Hindi.

विषय – हिन्दी

1.  हिन्दी भाषा और उसका विकास   

अपभ्रंश  अवहट्ट  साहित्य  और  पुरानी  हिन्दी  का  सम्बन्ध,  काव्य  भाषा  के  रूप  में  अवधी का उदय और विकास,  काव्यभाषा के रूप  में ब्रजभाषा का उदय और  विकास, साहित्यिक हिन्दी के रूप में खडी़ बोली का उदय और विकास,  मानक हिन्दी का भाषा वैज्ञानिक विवरण (रूपगत) हिन्दी  की बोलियाँ-  वर्गीकरण तथा क्षेत्र,  नागरी लिपि  का विकास और उसका मानकीकरण।  हिन्दी भाषा-प्रयोग के विविध  रूप-  बोली, मानकभाषा, सम्पर्कभाषा, राजभाषा और राष्ट्रभाषा, संचार माध्यम और हिन्दी।

2.  हिन्दी साहित्य का इतिहास-

हिन्दी साहित्य का इतिहास- दर्शन,  हिन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन की पद्धतियाँ,  हिन्दी साहित्य के प्रमुख इतिहास ग्रन्थ,  हिन्दी के प्रमुख साहित्य केन्द्र,  संस्थाएं  एवं पत्र-पत्रिकाएं,  हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल-विभाजन और नामकरण।  आदिकालः  हिन्दी साहित्य का आरम्भ कब और कैसे?  रासो-साहित्य,  आदिकालीन हिन्दी का जैन  साहित्य,   सिद्ध और नाथ साहित्य,  अमीर खुसरो की हिन्दी कविता, विद्यापति और उनकी पदावली,  आरम्भिक गद्य और लौकिक साहित्य।

मध्यकालः भक्ति आन्दोलन के उदय के सामाजिक-सांस्कृतिक कारण, प्रमुखतया निर्गुण एवं सगुण सम्प्रदाय, वैष्णव भक्ति की सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, आलवार  सन्त, प्रमुख सम्प्रदाय और आचार्य, भक्ति आन्दोलन का अखिल भारतीय स्वरूप और उसका अन्तः  प्रादेशिक वैशिष्ट्य, हिन्दी सन्त काव्य का वैचारिक आधार, प्रमुख निर्गुण सन्त कवि-  कबीर, नानक, दादू,  रैदास, सन्त काव्य की प्रमुख विशेषताएं, भारतीय धर्म साधना में सन्त कवियों का स्थान, कबीरः  भक्ति  भावना, समाज दर्शन, विद्रोह-भावना, काव्य-कला, हिन्दी सूफी काव्य का वैचारिक आधार, हिन्दी के प्रमुख सूफी कवि और काव्य-  मुल्ला दाऊद (चन्दायन),  कुतुबन  (मृगावती),  मंझन (मधुमालती),  मलिक मुहम्मद जायसी (पद्मावत),  सूफी प्रेमाख्यानकों का स्वरूप,  हिन्दी सूफी काव्य की प्रमुख विशेषताएं,  जायसीः प्रेम-भावना,  लोक तत्त्व,  कथानक रूढ़ि,  काव्य-दृष्टि,  हिन्दी  कृष्ण काव्य  के  विविध सम्प्रदाय,  बल्लभ  सम्प्रदाय,  अष्टछाप,  प्रमुख  कृष्ण  भक्त  कवि और काव्य-  सूरदास (सूरसागर), नन्ददास (रास पंचाध्यायी),  भ्रमरगीत परम्परा,  गीति परम्परा और  हिन्दी कृष्ण काव्य,  मीरा और रसखान,  सूरदासः भक्ति-भावना, वात्सल्य-वर्णन, हिन्दी राम काव्य के विविध सम्प्रदाय, राम भक्ति शाखा के कवि और काव्य,  तुलसीदास की  प्रमुख कृतियां,  काव्य रूप और उनका महत्त्व,  तुलसीदास की  भक्ति-भावना,  सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि, लोकमंगल,  काव्य दृष्टि।

रीतिकाल: सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य, रीतिकाव्य के मूल  स्रोत, रीतिकाल  की प्रमुख प्रवृत्तियां,  रीतिकालीन कवियों का आचार्यत्व, रीतिकाल के प्रमुख कवि-  केशवदास, मतिराम,  भूषण, बिहारीलाल, देव, घनानन्द और पद्माकर, रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त  काव्यधारा,  रीतिकाव्य में  लोकजीवन, केशवः काव्य-दृष्टि, संवाद-योजना, बिहारीः सौन्दर्य-भावना, बहुज्ञता, काव्य-कला, भूषण- युगबोध, अन्तर्वस्तु, काव्य-कला, घनानन्दः स्वच्छंद योजना, प्रेम-व्यंजना, काव्य-दृष्टि।

आधुनिक कालः हिन्दी गद्य का उद्भव और विकास। भारतेन्दु  पूर्व  हिन्दी  गद्य, आधुनिकताः अवधारणा और  उसके  उदय  की  पृष्ठभूमि, 1857 की राज्य क्रान्ति और सांस्कृतिक पुनर्जागरण,  हिन्दी पुनर्जागरण और भारतेन्दु। भारतेन्दु और उनका मण्डल, 19वी शताब्दी के उत्तरार्द्ध की हिन्दी पत्रकारिता।

द्विवेदी  युगः महावीर प्रसाद द्विवेदी और उनका युग, हिन्दी  नवजागरण और सरस्वती, महावीर प्रसाद द्विवेदीः  नवजागरण, काव्य भाषा  के रूप में  खड़ी बोली की  प्रतिष्ठा, राष्ट्रीय काव्यधारा के प्रमुख कवि और उनका काव्य, स्वच्छन्दतावाद के प्रमुख कवि और उनका काव्य।

छायावाद  और  उसके  बादः छायावादः सामाजिक- सांस्कृतिक दृष्टि, वैचारिक  पृष्ठभूमि, स्वाधीनता  की चेतना, छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताएं, छायावाद के प्रमुख कवि- प्रसाद- जीवन-दर्शन, सौन्दर्य चेतना। निराला- सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि, प्रगति चेतना, मुक्त  छंद, पन्त- प्रकृति-चित्रण, काव्य-यात्रा, काव्य-भाषा। महादेवी- वेदना तत्त्व,   प्रगीत, प्रतीक-योजना। राष्ट्रीय काव्य-धारा, प्रगतिवादी काव्य और उसके प्रमुख कवि, प्रयोगवादः व्यष्टि-चेतना, अज्ञेय- प्रयोगधर्मिता और काव्य-भाषा, प्रयोगवाद और नई  कविता, नयी  कविताः व्यष्टि-समिष्ट-बोध, मुक्तिबोध- समाज-बोध, फन्तासी। नई कविता के कवि, समकालीन कविता- काल संसक्ति और लोक संसक्ति, रघुवीर सहाय- राजनीतिक चेतना, काव्य-भाषा, कुंवर नारायण- मिथकीय चेतना, काव्य दृष्टि, समकालीन साहित्यिक पत्रकारिता।

3.  हिन्दी साहित्य की गद्य विधाएं

हिन्दी उपन्यासः प्रेमचन्द पूर्व हिन्दी उपन्यास- परीक्षागुरु, चन्द्रकांता- वस्तु और शिल्प। प्रेमचन्द युगीन उपन्यास- गोदान- मुख्य पात्र, यथार्थ और आदर्श, वस्तु-शिल्प वैशिष्ट्य।

प्रेमचन्दोत्तर उपन्यासः शेखर एक जीवनी- वस्तु-शिल्पगत  वैशिष्ट्य, मैला आँचल- वस्तु-शिल्प, आंचलिकता। बाणभट्ट की आत्मकथा-  इतिहास और संस्कृति  चेतना, भाषा-शिल्प वैशिष्ट्य।

प्रेमचन्द के परवर्ती प्रमुख उपन्यासकार– जैनेन्द्र, यशपाल, अमृतलाल नागर, फणीश्वरनाथ रेणु, भीष्म साहनी, कृष्णा सोबती, निर्मल वर्मा, नरेश मेहता, श्रीलाल शुक्ल, राही मासूस रजा, रांगेय राघव तथा मन्नू भंडारी।

हिन्दी कहानीः  बीसवीं सदी की हिन्दी कहानी और प्रमुख कहानी आन्दोलन। कहानी और प्रमुख कहानीकार- प्रेमचन्द और प्रसाद की कहानी-कला, प्रेमचन्दोत्तर हिन्दी कहानी और नयी कहानी, संवेदना और शिल्प।

हिन्दी नाटकः  हिन्दी नाटक और रंगमंच, हिन्दी नाटक और भारतेन्दु- भारत-दुर्दशा, अंधेर नगरी-यथार्थ बोध। प्रसाद के नाटकः चन्द्रग्रुप्त, ध्रुवस्वामिनी, राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चेतना, नाट्य-शिल्प। प्रसादोत्तर नाटकः अंधायुग, आधे-अधूरे- आधुनिकता बोध, प्रयोगधर्मिता और नाट्य-भाषा। हिन्दी एकांकी।

हिन्दी निबन्धः हिन्दी निबन्ध के प्रकार और प्रमुख निबन्धकार- बालकृष्ण भट्ट, रामचन्द्र शुक्ल- चिन्तामणि, अन्तर्वस्तु और शिल्प,  शुक्लोत्तर निबन्ध और निबन्धकार- हजारीप्रसाद द्विवेदी, कुबेरनाथ राय, विद्यानिवास मिश्र, हरिशंकर परसाई- संस्कृति-बोध, लोक-संस्कृति।

हिन्दी आलोचनाः हिन्दी आलोचना का विकास और प्रमुख आलोचक- रामचन्द्र शुक्ल, नन्ददुलारे वाजपेयी, हजारीप्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा,  डॉ. नगेन्द्र, डॉ. नामवर सिंह, विजयदेव नारायण साही।

हिन्दी की अन्य गद्य विधाएं:  रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रा साहित्य, आत्मकथा, जीवनी और रिपोर्ताज।

4.  काव्यशास्त्र और आलोचना हिन्दी काव्य शास्त्र का इतिहास।

काव्य-हेतु और काव्य-प्रयोजन ।

प्रमुख सिद्धान्त- रस, अलंकार, रीति, ध्वनि, वक्रोक्ति और औचित्य-परिचय।

भरतमुनि का रस सूत्र और उसके  प्रमुख व्याख्याकार, रस  के अवयव, रस-निष्पत्ति, साधारणीकरण।

रीति गुण, दोष।

शब्द शक्तियां और ध्वनि का स्वरूप।

अलंकार-यमक,  श्लेष,  वक्रोक्ति,  उपमा,  रूपक,  उत्प्रेक्षा, संदेह, भ्रान्तिमान, अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, समासोक्ति, अत्युक्ति, विशेषोक्ति, दृष्टान्त, उदाहरण, प्रतिवस्तूपमा, निदर्शनाअर्थान्तरन्यास, विभावना, असंगति तथा विरोधाभास।

प्लेटो और अरस्तू का अनुकरण सिद्धान्त तथा अरस्तू का विरेचन सिद्धान्त।

लोंजाइनस : काव्य में उदात्त तत्त्व।

क्रोचे का अभिव्यंजनावाद।

आई. ए. रिचर्ड्स- संप्रेषण सिद्धान्त।

स्वच्छन्दतावाद, यथार्थवाद, संरचनावाद, उत्तर-संरचनावाद, मार्क्सवाद,  मनोविश्लेषणवाद, अस्तित्ववाद और उत्तर-आधुनिकता।

समकालीन आलोचना की कतिपय अवधारणाएं:  विडम्बना  (आयरनी), अजनबीपन (एलियनेशन),  विसंगति (एब्सर्ड), अन्तर्विरोध (पैराडाक्स), विखण्डन (डीकन्स्ट्रक्शन)। 

आधुनिक हिन्दी आलोचना और प्रमुख आलोचक- रामचन्द्र शुक्ल और रस-दृष्टि तथा लोकमंगल की अवधारणा, नन्ददुलारे वाजपेयी- सौष्ठववादी आलोचना। रामविलास शर्मा- मार्क्सवादी समीक्षा।

मिथक, फन्तासी, कल्पना, प्रतीक और बिम्ब।

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