HPSC Assistant Professor Hindi परीक्षा 2019 हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण भर्ती परीक्षा थी, जिसमें हिंदी साहित्य और व्याकरण के गहन ज्ञान की परख की गई। यह परीक्षा 21 मई 2019 को आयोजित हुई थी और इसमें कुल 100 वस्तुनिष्ठ प्रश्न शामिल थे। सभी प्रश्न क्विज़ के रूप में दिया गया है ताकि आप अपना मूल्यांकन भी कर लें।
यह सामग्री न केवल HPSC के अभ्यर्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि आने वाले वर्षों में हिंदी विषयक अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।
hpsc Assistant Professor (College Cadre) Previous Q. Papers with Answer Key, Subject- Hindi, Exam held on 21.05.2019, Series ‘C’
HPSC सहायक प्रोफेसर प्रश्न पत्र हिंदी 2019
1. असंगत विकल्प को चुनिए:
[A] सिद्ध जीवन की सहजता के विश्वासी थे।[B] सिद्ध चित्त की निर्मलता को सर्वोपरि मानते थे।
[C] सिद्धों के यहाँ करुणा व शून्य का अत्यधिक महत्त्व है।
[D] इनका मानना था ‘जोइ- जोइ पिण्डे सोइ ब्रह्माण्डे’।
उत्तर देखें-
[D] इनका मानना था ‘जोइ- जोइ पिण्डे सोइ ब्रह्माण्डे’।
‘जोइ- जोइ पिण्डे सोइ ब्रह्माण्डे’ एक ‘नाथपंथीय’ सिद्धांत है जिसका अर्थ है कि जो कुछ भी ब्रह्मांड में है, वही हमारे शरीर (पिण्ड) में भी है।
‘जोइ- जोइ पिण्डे सोइ ब्रह्माण्डे’ एक ‘नाथपंथीय’ सिद्धांत है जिसका अर्थ है कि जो कुछ भी ब्रह्मांड में है, वही हमारे शरीर (पिण्ड) में भी है।
2. कीर्तिलता को कवि ने अवहट्ट भाषा में रचा है; यहाँ अवहट्ट का अर्थ है:
[A] डिंगल भाषा[B] पिंगल भाषा
[C] मैथिल युक्त ब्रज भाषा
[D] मैथिल युक्त विकसित अपभ्रंश भाषा
उत्तर देखें-
[D] मैथिल युक्त विकसित अपभ्रंश भाषा
अवहट्ट का अर्थ है- मैथिल युक्त विकसित अपभ्रंश भाषा
अवहट्ट का अर्थ है- मैथिल युक्त विकसित अपभ्रंश भाषा
3. एडविन आर्नल्ड के आख्यान ‘लाइट ऑफ एशिया’ का बुद्धचरित शीर्षक से अनुवाद किसने किया?
[A] आचार्य रामचंद्र शुक्ल[B] हजारी प्रसाद द्विवेदी
[C] महावीर प्रसाद द्विवेदी
[D] प्रतापनारायण मिश्र
उत्तर देखें-
[A] आचार्य रामचंद्र शुक्ल
‘लाइट ऑफ एशिया’ का बुद्धचरित शीर्षक से अनुवाद आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने किया है।
‘लाइट ऑफ एशिया’ का बुद्धचरित शीर्षक से अनुवाद आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने किया है।
4. सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन होता था:
[A] वार्षिक[B] मासिक
[C] पाक्षिक
[D] साप्ताहिक
उत्तर देखें-
[B] मासिक
सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन ‘मासिक’ होता था।
सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन ‘मासिक’ होता था।
5. निम्न में से कौन-सी कृति मैनेजर पाण्डेय द्वारा रचित नहीं है?
[A] शब्द जहाँ सक्रिय है[B] यथाप्रसंग
[C] हिंदी कविता का अतीत और वर्तमान
[D] साहित्य और सामाजिक संदर्भ
उत्तर देखें-
[D] साहित्य और सामाजिक संदर्भ
साहित्य और सामाजिक संदर्भ कृति डॉ. शिवकुमार मिश्र द्वारा रचित है।
साहित्य और सामाजिक संदर्भ कृति डॉ. शिवकुमार मिश्र द्वारा रचित है।
6. ‘संचारिणी’ तथा ‘युग और साहित्य’ आलोचनात्मक कृतियों के रचयिता है:
[A] नंददुलारे वाजपेयी[B] शांतिप्रिय द्विवेदी
[C] डॉ. नगेन्द्र
[D] हजारी प्रसाद द्विवेदी
उत्तर देखें-
[B] शांतिप्रिय द्विवेदी
‘संचारिणी’ तथा ‘युग और साहित्य’ आलोचनात्मक कृतियों के रचयिता ‘शांतिप्रिय द्विवेदी’ हैं।
‘संचारिणी’ तथा ‘युग और साहित्य’ आलोचनात्मक कृतियों के रचयिता ‘शांतिप्रिय द्विवेदी’ हैं।
7. सुमेलित कीजिए:
(a) प्रभाकर माचवे – (i) मैंने कहा, हलो-हलो(b) गोपाल प्रसाद व्यास – (ii) खरगोश के सींग, तेल की पकौड़ियाँ
(c) रघुवीर सिंह – (iii) जीवन कण, जीवन धूलि
(d) इन्द्रनाथ मदान – (iv) आलोचना तथा काव्य, विदा-अलविदा
कूट:(a), (b), (c), (d)
[A] (i), (ii), (iii), (iv)
[B] (ii), (i), (iii), (iv)
[C] (i), (ii), (iv), (iii)
[D] (i), (iv), (ii), (iii)
उत्तर देखें-
[B] (ii), (i), (iii), (iv)
(a) प्रभाकर माचवे- खरगोश के सींग, तेल की पकौड़ियाँ
(b) गोपाल प्रसाद व्यास- मैंने कहा, हलो-हलो
(c) रघुवीर सिंह- जीवन कण, जीवन धूलि
(d) इन्द्रनाथ मदान- आलोचना तथा काव्य, विदा-अलविदा
(a) प्रभाकर माचवे- खरगोश के सींग, तेल की पकौड़ियाँ
(b) गोपाल प्रसाद व्यास- मैंने कहा, हलो-हलो
(c) रघुवीर सिंह- जीवन कण, जीवन धूलि
(d) इन्द्रनाथ मदान- आलोचना तथा काव्य, विदा-अलविदा
8. ‘नींद क्यों रात भर नहीं आती’ एकांकी संकलन के रचनाकार हैं:
[A] सेठ गोविन्ददास[B] डॉ. शंकर शेष
[C] डॉ. सुरेन्द्र वर्मा
[D] विनोद रस्तोगी
उत्तर देखें-
[C] डॉ. सुरेन्द्र वर्मा
‘नींद क्यों रात भर नहीं आती’ एकांकी संकलन के रचनाकार ‘डॉ. सुरेन्द्र वर्मा’ हैं।
‘नींद क्यों रात भर नहीं आती’ एकांकी संकलन के रचनाकार ‘डॉ. सुरेन्द्र वर्मा’ हैं।
9. निम्न में से कौन-सा कहानी-संग्रह नरेन्द्र नागदेव रचित नहीं है?
[A] वापसी के नाखून[B] मैंने कुछ नहीं देखा
[C] उसी नाव में सैलानी
[D] तमाशबीन
उत्तर देखें-
[B] मैंने कुछ नहीं देखा
‘मैंने कुछ नहीं देखा’ कहानी संग्रह के लेखक नवनीत मिश्र हैं।
‘मैंने कुछ नहीं देखा’ कहानी संग्रह के लेखक नवनीत मिश्र हैं।
10. ‘काठ का सपना’ तथा ‘सतह से उठता हुआ आदमी’ किस कहानीकार के चर्चित कहानी संकलन है?
[A] राजेन्द्र यादव[B] मुक्तिबोध
[C] भीष्म साहनी
[D] भैरव प्रसाद गुप्त
उत्तर देखें-
[B] मुक्तिबोध
उपरोक्त दोनों कहानियों के लेखक ‘मुक्तिबोध’ हैं।
उपरोक्त दोनों कहानियों के लेखक ‘मुक्तिबोध’ हैं।
11. निम्नलिखित विकल्पों में से असंगत विकल्प का चयन कीजिए:
[A] 1910-1915 का समय हिंदी कहानी का आरम्भिक युग है।[B] 1909 ई. में काशी से इन्दु पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ।
[C] इन्दु पत्रिका के माध्यम से ही प्रसाद का कहानी-साहित्य में प्रवेश प्रारम्भ होता है।
[D] 1920 ई. में काशी से ‘हिंदी गल्पमाला’ नामक मासिक पत्र प्रकाशित हुआ।
उत्तर देखें-
[D] 1920 ई. में काशी से ‘हिंदी गल्पमाला’ नामक मासिक पत्र प्रकाशित हुआ।
1918 ई. में काशी से ‘हिंदी गल्पमाला’ नामक मासिक पत्र प्रकाशित हुआ।
1918 ई. में काशी से ‘हिंदी गल्पमाला’ नामक मासिक पत्र प्रकाशित हुआ।
12. निम्नलिखित उपन्यासकारों एवं उनकी औपन्यासिक कृतियों में से असंगत विकल्प को छाँटिए:
[A] उलझन, क्षमा, प्रेमपरीक्षा, एकाकिनी– शिवपूजन सहाय[B] निर्धन कन्या, जीवन ज्योति, लीलावती, रमणी रहस्य- जगदीश झा ‘विमल’
[C] दिल्ली का व्यभिचार, दिल्ली का कलंक, सत्याग्रह, रहस्यमयी- ऋषभचरण जैन
[D] आधुनिक चक्र, कसौटी, वेदना, त्यागी युवक- विश्वनाथ सिंह ‘शर्मा’
उत्तर देखें-
[A] उलझन, क्षमा, प्रेमपरीक्षा, एकाकिनी– शिवपूजन सहाय
उलझन (1934), क्षमा (1925), प्रेम परीक्षा (1927), एकाकिनी या अकेली स्त्री (1937) आदि रचनाओं के लेखक ‘श्रीनाथ सिंह’ हैं। एक उपन्यास ‘एकाकिनी’ की लेखिका आशा सहाय भी हैं।
उलझन (1934), क्षमा (1925), प्रेम परीक्षा (1927), एकाकिनी या अकेली स्त्री (1937) आदि रचनाओं के लेखक ‘श्रीनाथ सिंह’ हैं। एक उपन्यास ‘एकाकिनी’ की लेखिका आशा सहाय भी हैं।
13. आदिवासी समस्याओं पर केन्द्रित ‘उलगुलान की औरतें’ कविता किस कवि द्वारा रचित है?
[A] सुशीला टांकभौरे[B] रमणिका गुप्ता
[C] अनुज लुगुन
[D] महादेव टोप्पो
उत्तर देखें-
[C] अनुज लुगुन
‘उलगुलान की औरतें’ कविता ‘अनुज लुगुन’ द्वारा रचित है।
‘उलगुलान की औरतें’ कविता ‘अनुज लुगुन’ द्वारा रचित है।
14. निम्न में से असंगत विकल्प का चयन कीजिए:
[A] मूक माटी की मुखरता– डॉ. पुरुषोत्तम सत्यप्रेमी[B] गूंगा नहीं था मैं- जयप्रकाश कर्दम
[C] मूक नहीं मेरी कविताएँ- माताप्रसाद
[D] सिंधु घाटी बोल उठी- सोहनपाल सुमनाक्षर
उत्तर देखें-
[C] मूक नहीं मेरी कविताएँ- माताप्रसाद
मूक नहीं मेरी कविताएँ कविता संग्रह के लेखक ‘ललचंद्र राही’ हैं।
मूक नहीं मेरी कविताएँ कविता संग्रह के लेखक ‘ललचंद्र राही’ हैं।
15. 1991 ई. में प्रकाशित ‘इसी दुनिया में’ काव्य संग्रह किस कवि द्वारा रचित है?
[A] अरुण कमल[B] वीरेन डंगवाल
[C] ऋतुराज
[D] मंगलेश डबराल
उत्तर देखें-
[B] वीरेन डंगवाल
1991 ई. में प्रकाशित ‘इसी दुनिया में’ काव्य संग्रह ‘वीरेन डंगवाल’ द्वारा रचित है।
[B] क्या यह जीवन? सागर में जलधार मुखर भर देना- सुमित्रानंदन पंत
[C] निशा प्रिय उस शयन मुख धन, सार था कि असार?– निराला
[D] पतझड़ था झाड़ खड़े थे सूखे-से फुलवारी में– प्रसाद उत्तर देखें- [A] जल उठा स्नेह दीपक-सा, नवनीत हृदय था मेरा- महादेवी वर्मा
‘जल उठा स्नेह दीपक-सा, नवनीत हृदय था मेरा’ यह पंक्ति जयशंकर प्रसाद के ‘आँसू’ कविता की है।
1991 ई. में प्रकाशित ‘इसी दुनिया में’ काव्य संग्रह ‘वीरेन डंगवाल’ द्वारा रचित है।
16. निम्न में से असंगत को विलग कीज़िए:
[A] जल उठा स्नेह दीपक-सा, नवनीत हृदय था मेरा- महादेवी वर्मा[B] क्या यह जीवन? सागर में जलधार मुखर भर देना- सुमित्रानंदन पंत
[C] निशा प्रिय उस शयन मुख धन, सार था कि असार?– निराला
[D] पतझड़ था झाड़ खड़े थे सूखे-से फुलवारी में– प्रसाद उत्तर देखें- [A] जल उठा स्नेह दीपक-सा, नवनीत हृदय था मेरा- महादेवी वर्मा
‘जल उठा स्नेह दीपक-सा, नवनीत हृदय था मेरा’ यह पंक्ति जयशंकर प्रसाद के ‘आँसू’ कविता की है।
17. महादेवी वर्मा के द्वारा रचित काव्य ग्रंथों में भावों की दृष्टि से एक क्रमबद्धता और साम्य है; उनकी अधोलिखित रचनाओं को कालक्रमानुसार व्यवस्थित कीजिए:
[A] नीरजा, नीहार, रश्मि, सांध्यगीत[B] नीहार, नीरजा, रश्मि, सांध्यगीत
[C] रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, नीहार
[D] नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत
उत्तर देखें-
[D] नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत
महादेवी वर्मा की कालक्रमानुसार रचनाएं- नीहार (1929), रश्मि (1932), नीरजा (1933), सांध्यगीत (1935), दीपशिखा (1942), प्रथम आयाम (1980), अग्निरेखा (1988), यामा (1940)
महादेवी वर्मा की कालक्रमानुसार रचनाएं- नीहार (1929), रश्मि (1932), नीरजा (1933), सांध्यगीत (1935), दीपशिखा (1942), प्रथम आयाम (1980), अग्निरेखा (1988), यामा (1940)
18. ‘आदिम एकान्त’ किस कवि के गीतों का संकलन है?
[A] जगदीश गुप्त[B] हरिवंशराय बच्चन
[C] सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
[D] रघुवीर सहाय
उत्तर देखें-
[A] जगदीश गुप्त
‘आदिम एकान्त’ जगदीश गुप्त के गीतों का संकलन है।
‘आदिम एकान्त’ जगदीश गुप्त के गीतों का संकलन है।
19. ‘दोआब’ शमशेर द्वारा रचित किस विधा की रचना है?
[A] कविता[B] निबंध
[C] नाटक
[D] गद्य कविता
उत्तर देखें-
[B] निबंध
‘दोआब’ शमशेर द्वारा रचित ‘निबंध’ विधा की रचना है।
‘दोआब’ शमशेर द्वारा रचित ‘निबंध’ विधा की रचना है।
20. नरेश मेहता विरचित ‘प्रार्थना पुरुष’ खण्डकाव्य किस युगपुरुष पर आधारित है?
[A] रविन्द्रनाथ टैगोर[B] महात्मा गाँधी
[C] सुभाषचंद्र बोस
[D] स्वामी विवेकानंद
उत्तर देखें-
[B] महात्मा गाँधी
नरेश मेहता विरचित ‘प्रार्थना पुरुष’ खण्डकाव्य ‘महात्मा गाँधी’ पर आधारित है।
नरेश मेहता विरचित ‘प्रार्थना पुरुष’ खण्डकाव्य ‘महात्मा गाँधी’ पर आधारित है।
21. मुक्तिबोध की लम्बी कविता ‘अँधेरे में का पहला प्रकाशन ‘कल्पना’ में 1964 में किस शीर्षक से हुआ?
[A] पीड़ा के द्वीप अँधेरे में[B] आशंका के द्वीप अँधेरे में
[C] संशय के दीप अँधेरे में
[D] निराशा के द्वीप अँधेरे में
उत्तर देखें-
[B] आशंका के द्वीप अँधेरे में
मुक्तिबोध की लम्बी कविता ‘अँधेरे में का पहला प्रकाशन ‘कल्पना’ में 1964 में ‘आशंका के द्वीप अँधेरे में’ शीर्षक से हुआ था।
मुक्तिबोध की लम्बी कविता ‘अँधेरे में का पहला प्रकाशन ‘कल्पना’ में 1964 में ‘आशंका के द्वीप अँधेरे में’ शीर्षक से हुआ था।
22. नई कविता के संबंध में कौन-सा कथन असंगत है?
[A] जगदीश गुप्त एवं ज्योतिस्वरूप चतुर्वेदी के सम्पादकत्व में इलाहाबाद से निकलने वाली ‘नई कविता’ पत्रिका का नई कविता आंदोलन में विशेष योगदान है।[B] हैदराबाद से निकलने वाली ‘कल्पना’ पत्रिका का भी नई कविता आंदोलन के निर्माण और विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है।
[C] नई कविता की पृष्ठभूमि में प्रगतिशील कविता के मूल्य और प्रवृत्तियाँ समावेशित थे।
[D] नई कविता की एक महत्त्वपूर्ण प्रवृत्ति वादमुक्तता है।
उत्तर देखें-
[A] जगदीश गुप्त एवं ज्योतिस्वरूप चतुर्वेदी के सम्पादकत्व में इलाहाबाद से निकलने वाली ‘नई कविता’ पत्रिका का नई कविता आंदोलन में विशेष योगदान है।
जगदीश गुप्त, रामस्वरूप चतुर्वेदी और विजयदेव नारायण साही के सम्पादकत्व में इलाहाबाद से निकलने वाली ‘नई कविता’ पत्रिका का नई कविता आंदोलन में विशेष योगदान है।
जगदीश गुप्त, रामस्वरूप चतुर्वेदी और विजयदेव नारायण साही के सम्पादकत्व में इलाहाबाद से निकलने वाली ‘नई कविता’ पत्रिका का नई कविता आंदोलन में विशेष योगदान है।
23. ‘प्रयोग का कोई वाद नहीं है……. प्रयोग अपने आप में इष्ट नहीं है, वह साधन और दुहरा साधन है, क्योंकि एक तो वह उस सत्य को जानने का साधन है, जिसे कवि प्रेषित करता है, दूसरे वह उस प्रेषण की क्रिया को और उसके साधनों को न है।’
प्रयोगवाद के नामकरण के संबंध में उक्त वक्तव्य किस तारसप्तक की भूमिका में दिया गया है?
[A] तारसप्तकप्रयोगवाद के नामकरण के संबंध में उक्त वक्तव्य किस तारसप्तक की भूमिका में दिया गया है?
[B] दूसरा तारसप्तक
[C] तीसरा तारसप्तक
[D] चतुर्थ तारसप्तक
उत्तर देखें-
[B] दूसरा तारसप्तक
अज्ञेय का उक्त वक्तव्य ‘दूसरा तारसप्तक’ की भूमिका में दिया गया है।
अज्ञेय का उक्त वक्तव्य ‘दूसरा तारसप्तक’ की भूमिका में दिया गया है।
24. ‘नाद सौदर्य से कविता की आयु बढ़ती है’, कविता के विषय में ये विचार किस आलोचक के हैं?
[A] डॉ. नगेन्द्र[B] आचार्य रामचंद्र शुक्ल
[C] रामविलास शर्मा
[D] महावीर प्रसाद द्विवेदी
उत्तर देखें-
[B] आचार्य रामचंद्र शुक्ल
उपरोक्त विचार ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ के हैं।
उपरोक्त विचार ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’ के हैं।
25. निम्न में से कौन-सा साहित्यकार ‘देव बड़े की बिहारी’, विवाद से सम्बद्ध नहीं है?
[A] पद्मसिंह शर्मा[B] कृष्णदेव बिहारी मिश्र
[C] लाला भगवानदीन
[D] महावीर प्रसाद द्विवेदी
उत्तर देखें-
[D] महावीर प्रसाद द्विवेदी
महावीर प्रसाद द्विवेदी का ‘देव बड़े की बिहारी’, विवाद से कोई संबंध नहीं है।
महावीर प्रसाद द्विवेदी का ‘देव बड़े की बिहारी’, विवाद से कोई संबंध नहीं है।
26. ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ महादेवी वर्मा का निबंध संकलन है, जिसकी केन्द्रीय विषय-वस्तु है:
[A] स्त्री विमर्श के विविध पक्ष[B] समतावादी समाज की चिंताएँ
[C] लघु मानव की प्रतिष्ठा के स्वर
[D] जीवनानुभूतियों से उपजे दार्शनिक विचार
उत्तर देखें-
[A] स्त्री विमर्श के विविध पक्ष
‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ निबंध संकलन की केन्द्रीय विषय-वस्तु स्त्री विमर्श के विविध पक्ष है।
‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ निबंध संकलन की केन्द्रीय विषय-वस्तु स्त्री विमर्श के विविध पक्ष है।
27. किस साहित्यकार ने ‘प्रभा’ पत्रिका में ‘भादों की भिड़न्त’ नामक लेख लिखकर निराला की कविताओं को रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं की नकल कहकर विवाद खड़ा कर दिया था?
[A] गंगा प्रसाद पाण्डेय[B] प्रभाकर माचवे
[C] रामविलास शर्मा
[D] बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
उत्तर देखें-
[D] बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ ने ‘प्रभा’ पत्रिका में ‘भादों की भिड़न्त’ नामक लेख लिखकर निराला की कविताओं को रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं की नकल कहकर विवाद खड़ा कर दिया था।
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ ने ‘प्रभा’ पत्रिका में ‘भादों की भिड़न्त’ नामक लेख लिखकर निराला की कविताओं को रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं की नकल कहकर विवाद खड़ा कर दिया था।
28. ‘एक भारतीय आत्मा’ उपनाम से किस कवि को जाना जाता है?
[A] माखनलाल चतुर्वेदी[B] रामनरेश त्रिपाठी
[C] बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
[D] रामधारी सिंह ‘दिनकर’
उत्तर देखें-
[A] माखनलाल चतुर्वेदी
‘एक भारतीय आत्मा’ उपनाम से ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ को जाना जाता है।
‘एक भारतीय आत्मा’ उपनाम से ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ को जाना जाता है।
29. हालावाद के संबंध में कौन-सा कथन असंगत है?
[A] हालावाद में प्रयुक्त ‘हाला’ शब्द वस्तुतः व्यवस्था विरोध का प्रतीक है।[B] इस कविता में अनुभूति की प्रधानता मुखर थी।
[C] हालावादी कवियों ने गीत शैली में रचनाएँ लिखी।
[D] हालावादी काव्य-रचनाओं में करुण रस प्रधानतः प्रयुक्त हुआ है।
उत्तर देखें-
[D] हालावादी काव्य-रचनाओं में करुण रस प्रधानतः प्रयुक्त हुआ है।
हालावादी काव्य-रचनाओं में ‘प्रेम व मस्ती की प्रधानतः है।
हालावादी काव्य-रचनाओं में ‘प्रेम व मस्ती की प्रधानतः है।
30. निम्न में से किस कवि को भक्तिकाल व रीतिकाल का समन्वयक कहा जाता है?
[A] सत्यनारायण कविरत्न[B] श्रीधर पाठक
[C] जगन्नाथ दास रत्नाकर
[D] रामनरेश त्रिपाठी
उत्तर देखें-
[C] जगन्नाथ दास रत्नाकर
भक्तिकाल व रीतिकाल के समन्वय के रूप में पंडित जगन्नाथ रत्नाकर को माना जाता है।
भक्तिकाल व रीतिकाल के समन्वय के रूप में पंडित जगन्नाथ रत्नाकर को माना जाता है।
31. निम्नलिखित कृतियों को कालक्रमानुसार व्यवस्थित कीजिए:
[A] झंकार, पंचवटी, जय भारत, विष्णुप्रिया[B] विष्णुप्रिया, झंकार, पंचवटी, जय भारत
[C] पंचवटी, झंकार, जय भारत, विष्णुप्रिया
[D] पंचवटी, जय भारत, झंकार, विष्णुप्रिया
उत्तर देखें-
[C] पंचवटी, झंकार, जय भारत, विष्णुप्रिया
मैथिलीशरण गुप्त के खण्डकाव्य का क्रम- जयद्रथ वध- 1910, भारत-भारती- 1912, पंचवटी- 1925, द्वापर- 1936, किसान- 1917, जय भारत- 1952, झंकार- 1929, विष्णुप्रिया, उर्मिला, प्रदक्षिणा, दिवोदास आदि।
मैथिलीशरण गुप्त के खण्डकाव्य का क्रम- जयद्रथ वध- 1910, भारत-भारती- 1912, पंचवटी- 1925, द्वापर- 1936, किसान- 1917, जय भारत- 1952, झंकार- 1929, विष्णुप्रिया, उर्मिला, प्रदक्षिणा, दिवोदास आदि।
32. अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ के संबंध में कौन-सा कथन असंगत है?
[A] हरिऔध की प्रथम रचना ‘कृष्ण शतक’ है।[B] हरिऔध के रसकलश ग्रंथ में रीति ग्रंथों का परिपाटी का अनुसरण किया गया है।
[C] कृष्ण शतक व रसकलश की भाषा ब्रजभाषा है।
[D] हरिऔध द्वारा रचित ‘प्रियप्रवास’ का रचनाकाल 1916 ई.
उत्तर देखें-
[D] हरिऔध द्वारा रचित खड़ी बोली का पहला महाकाव्य ‘प्रियप्रवास’ का रचनाकाल 1909 से 1913 ई. के बीच है।
33. ‘निज भाषा बोलहु लिखहु पढ़हु गुनहु सब लोग।
करहु सकल विषयन विषै निज भाषा उपजोग॥’
मातृभाषा के संबंध में लिखी गई उक्त पंक्तियों के रचयिता हैं:करहु सकल विषयन विषै निज भाषा उपजोग॥’
[A] मैथिलीशरण गुप्त
[B] ठा. जगमोहन सिंह
[C] श्रीधर पाठक
[D] प्रतापनारायण मिश्र
उत्तर देखें-
[C] श्रीधर पाठक
मातृभाषा के संबंध में लिखी गई उक्त पंक्तियों के रचयिता ‘श्रीधर पाठक’ हैं।
मातृभाषा के संबंध में लिखी गई उक्त पंक्तियों के रचयिता ‘श्रीधर पाठक’ हैं।
34. प्रभाकर माचवे का मानना है कि ‘अर्थशास्त्र’ और ‘देहाती मेले’ से नई कविता का प्रारम्भ हुआ; उक्त दोनों कविताओं के रचयिता हैं:
[A] मनोहर कवि[B] गिरिजा कुमार माथुर
[C] प्रभाकर माचवे
[D] अज्ञेय
उत्तर देखें-
[C] प्रभाकर माचवे
उक्त दोनों कविताओं के रचयिता ‘प्रभाकर माचवे’ हैं।
उक्त दोनों कविताओं के रचयिता ‘प्रभाकर माचवे’ हैं।
35. ‘राम तुम्हें यह देश न भूले।
धाम, घरा, धन जाए भले ही।
यह अपना उद्देश्य न भूले।
निज भाषा, निज भाव न भूले।’
उक्त पंक्तियों के रचनाकार हैं:धाम, घरा, धन जाए भले ही।
यह अपना उद्देश्य न भूले।
निज भाषा, निज भाव न भूले।’
[A] भारतेन्दु हरिशचंद्र
[B] मैथिलीशरण गुप्त
[C] अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
[D] रामनरेश त्रिपाठी
उत्तर देखें-
[B] मैथिलीशरण गुप्त
उक्त पंक्तियों के रचनाकार ‘मैथिलीशरण गुप्त’ हैं। यह पंक्ति उनके ‘निवेदन’ कविता से ली गई है।
उक्त पंक्तियों के रचनाकार ‘मैथिलीशरण गुप्त’ हैं। यह पंक्ति उनके ‘निवेदन’ कविता से ली गई है।
36. निम्न में से कौन-सा कथन अंसगत है?
[A] इण्डियन प्रेस की स्थापना 7 अगस्त 1887 में हुई।[B] इण्डियन प्रेस की स्थापना चिंतामणि घोष ने की।
[C] इण्डियन प्रेस भारत का पुराना एवे प्रसिद्ध प्रकाशन गृह है।
[D] सरस्वती पत्रिका और हिंदी शब्द सागर सदृश प्रसिद्ध पुस्तकों का प्रकाशन इण्डियन प्रेस से हुआ है।
उत्तर देखें-
[A] इण्डियन प्रेस की स्थापना 7 अगस्त 1887 में हुई।
इण्डियन प्रेस, प्रयाग की स्थापना 04 जून, 1884 ई. में हुई।
इण्डियन प्रेस, प्रयाग की स्थापना 04 जून, 1884 ई. में हुई।
37. ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ की स्थापना में निम्न में से कौन शामिल नहीं थे?
[A] रामनारायण मिश्र[B] श्यामसुन्दर दास
[C] शिव कुमार सिंह
[D] लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय
उत्तर देखें-
[D] लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय
‘नागरी प्रचारिणी सभा’ की स्थापना में रामनारायण मिश्र, श्यामसुन्दर दास और शिव कुमार सिंह शामिल थे।
‘नागरी प्रचारिणी सभा’ की स्थापना में रामनारायण मिश्र, श्यामसुन्दर दास और शिव कुमार सिंह शामिल थे।
38. आम आदमी से जुड़ी हुई कहानी या ‘समानान्तर कहानी’- का प्रारम्भ कबसे माना जाता है?
[A] 1972 ई.[B] 1973 ई.
[C] 1974 ई.
[D] 1975 ई.
उत्तर देखें-
[C] 1974 ई.
समानांतर कहानी आंदोलन का प्रारम्भ कमलेश्वर के द्वारा वर्ष 1971 में अकहानी आंदोलन की प्रतिक्रिया में हुआ था।
समानांतर कहानी आंदोलन का प्रारम्भ कमलेश्वर के द्वारा वर्ष 1971 में अकहानी आंदोलन की प्रतिक्रिया में हुआ था।
39. भारतेन्दु के संबंध में कौन-सा तथ्य असंगत है?
[A] इनका मूल नाम हरिशचंद्र था तथा भारतेन्दु उपाधि इन्हें तत्कालीन साहित्यकारों द्वारा 1880 ई. में प्रदान की गई।[B] भारतेन्दु ने ‘तदीय समाज’ की स्थापना 1875 ई. में की।
[C] उन्होंने ‘बंदरसभा’ नाटक की रचना इंदरसभा के अनुकरण पर की।
[D] ‘दशरथ विलाप’ कविता खड़ी बोली में लिखी गई है।
उत्तर देखें-
[B] भारतेन्दु ने ‘तदीय समाज’ की स्थापना 1875 ई. में की।
भारतेन्दु ने ‘तदीय समाज’ की स्थापना 1873 ई. में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य वैष्णव भक्ति के प्रचार-प्रसार में सहायता करना था।
भारतेन्दु ने ‘तदीय समाज’ की स्थापना 1873 ई. में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य वैष्णव भक्ति के प्रचार-प्रसार में सहायता करना था।
40. वार्ता-साहित्य के संबंध में कौन-सा मत असम्बद्ध है?
[A] चौरासी वैष्णवन की वार्ता और दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता; वार्ता साहित्य ग्रंथ श्रंखला के महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं।[B] इन दोनों वार्ताग्रंथों के रचयिता गोसाई गोकुलनाथ हैं।
[C] वार्ता-साहित्य श्रृंगारात्मक अधिक है, प्रचारात्मक कम।
[D] इस साहित्य की भाषा में तत्सम और अर्ध तत्सम शब्दों का बाहुल्य है।
उत्तर देखें-
[C] वार्ता-साहित्य श्रृंगारात्मक अधिक है, प्रचारात्मक कम।
वार्ता साहित्य का मूल उद्देश्य आध्यात्मिक और वैचारिक प्रचार करना था।
वार्ता साहित्य का मूल उद्देश्य आध्यात्मिक और वैचारिक प्रचार करना था।
41. अलंकारों की संख्या 124 मानने वाले आचार्य कवि हैं:
[A] भामह[B] जयदेव
[C] रुद्रट
[D] अप्पय दीक्षित
उत्तर देखें-
[D] अप्पय दीक्षित
अलंकारों की संख्या 124 मानने वाले आचार्य अप्पयदीक्षित हैं, इन्होंने अपने ग्रंथ ‘कुवलयानन्द’ में 124 अलंकारों का विवेचन किया है।
अलंकारों की संख्या 124 मानने वाले आचार्य अप्पयदीक्षित हैं, इन्होंने अपने ग्रंथ ‘कुवलयानन्द’ में 124 अलंकारों का विवेचन किया है।
42. भारत में सबसे कम बोला जाने वाला भाषायी समूह या परिवार है:
[A] अंडमान-निकोबार द्वीप समूह[B] द्रविड़ भाषा परिवार
[C] हिन्द-आर्य भाषा परिवार
[D] चीनी-तिबती भाषा परिवार
उत्तर देखें-
[D] चीनी-तिबती भाषा परिवार
भारत में सबसे कम बोला जाने वाला भाषायी समूह चीनी-तिबती भाषा परिवार है।
भारत में सबसे कम बोला जाने वाला भाषायी समूह चीनी-तिबती भाषा परिवार है।
43. ‘जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सारु।
जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥’
इस दोहे के रचनाकार का नाम है।जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥’
[A] देवसेन
[B] बिहारी
[C] कबीर
[D] रहीम
उत्तर देखें-
[A] देवसेन
इस अपभ्रंश दोहे के रचनाकार ‘देवसेन’ हैं, यह उनके ‘श्रावकाचार’ ग्रंथ से लिया गया है, जिसमें गृहस्थ धर्म के कर्तव्यों का वर्णन है।
इस अपभ्रंश दोहे के रचनाकार ‘देवसेन’ हैं, यह उनके ‘श्रावकाचार’ ग्रंथ से लिया गया है, जिसमें गृहस्थ धर्म के कर्तव्यों का वर्णन है।
44. अमीर खुसरो द्वारा रचित मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की मुख्य भाषा है:
[A] ब्रजभाषा[B] अवधी
[C] बिहारी
[D] खड़ी बोली
उत्तर देखें-
[D] खड़ी बोली
अमीर खुसरो द्वारा रचित मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की मुख्य भाषा ‘खड़ी बोली’ है।
अमीर खुसरो द्वारा रचित मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की मुख्य भाषा ‘खड़ी बोली’ है।
45. ‘तन्मयत्वं रसः’ कहकर किस आचार्य ने रस-सिद्धान्त के अन्तर्गत तन्मयतावाद की स्थापना की?
[A] मम्मट[B] अभिनव गुप्त
[C] विश्वनाथ
[D] दण्डी
उत्तर देखें-
[B] अभिनव गुप्त
‘तन्मयत्वं रसः’ कहकर आचार्य अभिनव गुप्त ने रस-सिद्धान्त के अन्तर्गत तन्मयतावाद की स्थापना की।
‘तन्मयत्वं रसः’ कहकर आचार्य अभिनव गुप्त ने रस-सिद्धान्त के अन्तर्गत तन्मयतावाद की स्थापना की।
46. भट्टनायक की रस संबंधी विवेचना किस दर्शन से प्रभावित है?
[A] न्याय[B] वैशेषिक
[C] सांख्य
[D] चार्वाक
उत्तर देखें-
[C] सांख्य
भट्टनायक की रस संबंधी विवेचना ‘सांख्य’ दर्शन से प्रभावित है।
भट्टनायक की रस संबंधी विवेचना ‘सांख्य’ दर्शन से प्रभावित है।
47. हिंदी साहित्य में सर्वप्रथम व्यास सम्मान प्राप्त करने वाले लेखक हैं:
[A] डॉ. नगेन्द्र[B] डॉ. रामविलास शर्मा
[C] श्रीलाल शुक्ल
[D] धीरेन्द्र वर्मा
उत्तर देखें-
[B] डॉ. रामविलास शर्मा
डॉ. रामविलास शर्मा को वर्ष 1991 में उनकी साहित्यिक कृति ‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी’ के लिए दिया गया था।
डॉ. रामविलास शर्मा को वर्ष 1991 में उनकी साहित्यिक कृति ‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी’ के लिए दिया गया था।
48. राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
[A] बालगंगाधर तिलक[B] बालगंगाधर खेर
[C] पुरुषोत्तमदास टंडन
[D] श्यामलाल चतुर्वेदी
उत्तर देखें-
[B] बालगंगाधर खेर
राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष ‘बालगंगाधर खेर’ थे।
राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष ‘बालगंगाधर खेर’ थे।
49. नवलेखन पुरस्कार से पुरस्कृत काव्य कृति ‘प्रेम गिलहरी दिल अखरोट’ की लेखिका हैं:
[A] अनामिका[B] सुजाता
[C] बाबुषा कोहली
[D] उपासना झा
उत्तर देखें-
[C] बाबुषा कोहली
नवलेखन पुरस्कार से पुरस्कृत काव्य कृति ‘प्रेम गिलहरी दिल अखरोट’ की लेखिका ‘बाबुषा कोहली’ हैं।
नवलेखन पुरस्कार से पुरस्कृत काव्य कृति ‘प्रेम गिलहरी दिल अखरोट’ की लेखिका ‘बाबुषा कोहली’ हैं।
50. ‘चरम व्यक्तिवाद ही प्रयोगवाद का केन्द्रबिन्दु है’, उक्त कथन किस आलोचक का है?
[A] डॉ. नामवर सिंह[B] रामविलास शर्मा
[C] डॉ. नगेन्द्र
[D] डॉ. बच्चन सिंह
उत्तर देखें-
[A] डॉ. नामवर सिंह
प्रयोगवाद के संदर्भ में उक्त कथन ‘डॉ. नामवर सिंह’ का है।
प्रयोगवाद के संदर्भ में उक्त कथन ‘डॉ. नामवर सिंह’ का है।
51. ‘शिखर से सागर तक’ जीवनी किस व्यक्तित्व पर आधारित है?
[A] प्रसाद[B] निराला
[C] अज्ञेय
[D] विष्णु प्रभाकर
उत्तर देखें-
[C] अज्ञेय
‘शिखर से सागर तक’ जीवनी ‘अज्ञेय’ के व्यक्तित्व पर आधारित है, इसके लेखक रामकमल राय हैं।
‘शिखर से सागर तक’ जीवनी ‘अज्ञेय’ के व्यक्तित्व पर आधारित है, इसके लेखक रामकमल राय हैं।
52. बेनीमाधव कृत कविदर्शन किस विधा में लिखी गई कृति है?
[A] यात्रावृत्त[B] संस्मरण
[C] रेखाचित्र
[D] साक्षात्कार
उत्तर देखें-
[D] साक्षात्कार
बेनीमाधव कृत कविदर्शन ‘साक्षात्कार’ विधा में लिखी गई कृति है।
बेनीमाधव कृत कविदर्शन ‘साक्षात्कार’ विधा में लिखी गई कृति है।
53. तुलनात्मक आलोचना का प्रारम्भ किस आलोचनात्मक कृति से माना जाता है?
[A] हिंदी नवरत्न[B] बिहारी और देव
[C] देव और बिहारी
[D] बिहारी और शेख सादी
उत्तर देखें-
[D] बिहारी और शेख सादी
तुलनात्मक आलोचना का प्रारम्भ पदम सिंह शर्मा के ‘बिहारी और शेख सादी’ आलोचनात्मक कृति से माना जाता है।
तुलनात्मक आलोचना का प्रारम्भ पदम सिंह शर्मा के ‘बिहारी और शेख सादी’ आलोचनात्मक कृति से माना जाता है।
54. कमलेश्वर को ‘कितने पाकिस्तान’ उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार किस वर्ष प्राप्त हुआ?
[A] 2001 ई.[B] 2002 ई.
[C] 2003 ई.
[D] 2005 ई.
उत्तर देखें-
[C] 2003 ई.
कमलेश्वर को ‘कितने पाकिस्तान’ उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार 2003 ई. में प्राप्त हुआ।
कमलेश्वर को ‘कितने पाकिस्तान’ उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार 2003 ई. में प्राप्त हुआ।
55. किस उपन्यास में कबीलाई जीवन जीने वाले नटों के जीवन का चित्रण है?
[A] वृंद और समुद्र[B] सागर, लहरें और मनुष्य
[C] शैलूष
[D] सावधान नीचे आग है।
उत्तर देखें-
[C] शैलूष
‘शैलूष’ उपन्यास में कबीलाई जीवन जीने वाले नटों के जीवन का चित्रण है, इसके लेखक डॉ. शिवप्रसाद सिंह हैं।
‘शैलूष’ उपन्यास में कबीलाई जीवन जीने वाले नटों के जीवन का चित्रण है, इसके लेखक डॉ. शिवप्रसाद सिंह हैं।
56. ‘कजरीवन के राजहंस’ निबंध के रचयिता हैं:
[A] विद्यानिवास मित्र[B] कुबेरनाथ राय
[C] शांतिप्रिय द्विवेदी
[D] रामवृक्ष बेनीपुरी
उत्तर देखें-
[B] कुबेरनाथ राय
‘कजरीवन के राजहंस’ निबंध के रचयिता ‘कुबेरनाथ राय’ हैं।
‘कजरीवन के राजहंस’ निबंध के रचयिता ‘कुबेरनाथ राय’ हैं।
57. मोहन राकेश कृत ‘आषाढ़ का एक दिन’ का रचनाकाल है।
[A] 1956 ई.[B] 1957 ई.
[C] 1958 ई.
[D] 1959 ई.
उत्तर देखें-
[C] 1958 ई.
मोहन राकेश कृत ‘आषाढ़ का एक दिन’ का रचनाकाल 1958 ई. है।
मोहन राकेश कृत ‘आषाढ़ का एक दिन’ का रचनाकाल 1958 ई. है।
58. भवानीप्रसाद मिश्र की काव्य-रचनाओं का प्रकाशन वर्ष के अनुसार सही अनुक्रम है।
[A] चकित है दुःख, बुनी हुई रस्सी, अँधेरी कविताएँ, अनाम तुम आते हो[B] चकित है दुःख, अँधेरी कविताएँ, बुनी हुई रस्सी, अनाम तुम आते हो
[C] चकित है दुःख, बुनी हुई रस्सी, अनाम तुम आते हो, अँधेरी कविताएँ
[D] अँधेरी कविताएँ, चकित है दुःख, बुनी हुई रस्सी, अनाम तुम आते हो
उत्तर देखें-
[B] चकित है दुःख, अँधेरी कविताएँ, बुनी हुई रस्सी, अनाम तुम आते हो
भवानीप्रसाद मिश्र की काव्य-रचनाओं का अनुक्रम- चकित है दुःख (1968), अँधेरी कविताएँ (1968), बुनी हुई रस्सी (1971), अनाम तुम आते हो (1979)।
भवानीप्रसाद मिश्र की काव्य-रचनाओं का अनुक्रम- चकित है दुःख (1968), अँधेरी कविताएँ (1968), बुनी हुई रस्सी (1971), अनाम तुम आते हो (1979)।
59. युयुत्सावादी कविता के प्रवर्तक हैं:
[A] केसरी कुमार[B] शलभ श्रीराम
[C] नरेश कुमार
[D] जगदीश गुप्त
उत्तर देखें-
[B] शलभ श्रीराम
युयुत्सावादी कविता के प्रवर्तक ‘शलभ श्रीराम’ हैं, इसका संबंध युयुत्स नामक पत्रिका से था। यह कविता साठोत्तरी हिंदी कविता के प्रमुख आन्दोलनों में से एक है।
युयुत्सावादी कविता के प्रवर्तक ‘शलभ श्रीराम’ हैं, इसका संबंध युयुत्स नामक पत्रिका से था। यह कविता साठोत्तरी हिंदी कविता के प्रमुख आन्दोलनों में से एक है।
60. कामायनी को ‘मानव चेतना के विकास का महाकाव्य’ किसने कहा है?
[A] डॉ. नगेन्द्र[B] हजारी प्रसाद द्विवेदी
[C] रामविलास शर्मा
[D] डॉ. नामवर सिंह
उत्तर देखें-
[A] डॉ. नगेन्द्र
कामायनी को ‘मानव चेतना के विकास का महाकाव्य’ डॉ. नगेन्द्र ने कहा है।
कामायनी को ‘मानव चेतना के विकास का महाकाव्य’ डॉ. नगेन्द्र ने कहा है।
61. मुकुटधर पाण्डेय की ‘कुररी के प्रति’ कविता जो छायावाद की प्रथम कविता मानी जाती है; का प्रकाशन सरस्वती में किस वर्ष हुआ?
[A] अप्रैल, 1920 ई.[B] मई, 1920 ई.
[C] जून, 1920 ई.
[D] जुलाई, 1920 ई.
उत्तर देखें-
[D] जुलाई, 1920 ई.
मुकुटधर पाण्डेय की ‘कुररी के प्रति’ कविता जो छायावाद की प्रथम कविता मानी जाती है; का प्रकाशन जुलाई, 1920 ई. को सरस्वती पत्रिका में हुआ था।
मुकुटधर पाण्डेय की ‘कुररी के प्रति’ कविता जो छायावाद की प्रथम कविता मानी जाती है; का प्रकाशन जुलाई, 1920 ई. को सरस्वती पत्रिका में हुआ था।
62. ‘श्याम सनेही’ खण्डकाव्य के रचयिता हैं:
[A] बोधा[B] आलम
[C] सेनापति
[D] ठाकुर
उत्तर देखें-
[B] आलम
‘श्याम सनेही’ खण्डकाव्य के रचयिता आलम कवि हैं। इनकी अन्य दो हैं- माधवानल कामकंदला (खंडकाव्य) और आलम के कवित्त या आलमकेलि (मुक्तक) है।
‘श्याम सनेही’ खण्डकाव्य के रचयिता आलम कवि हैं। इनकी अन्य दो हैं- माधवानल कामकंदला (खंडकाव्य) और आलम के कवित्त या आलमकेलि (मुक्तक) है।
63. असंगत युग्म का चयन कीजिए:
[A] छत्रप्रकाश– लालकवि[B] व्यंग्यार्थ कौमुदी- प्रताप साहि
[C] नवरस तरंग- बेनी प्रवीन
[D] साहित्य सुधानिधि- दूलह
उत्तर देखें-
[D] साहित्य सुधानिधि- दूलह
‘साहित्य सुधानिधि’ (मुजफ्फरपुर से प्रकाशित) जगन्नाथदास रत्नाकर द्वारा संपादित एक मासिक पत्र था, जो 1893 ई. में प्रकाशित हुआ था। दूलह कवि ने ‘कंठाभरण’ नामक एक ग्रंथ की रचना की थी, जिसे रत्नाकर जी ने संपादित किया है।
‘साहित्य सुधानिधि’ (मुजफ्फरपुर से प्रकाशित) जगन्नाथदास रत्नाकर द्वारा संपादित एक मासिक पत्र था, जो 1893 ई. में प्रकाशित हुआ था। दूलह कवि ने ‘कंठाभरण’ नामक एक ग्रंथ की रचना की थी, जिसे रत्नाकर जी ने संपादित किया है।
64. ‘रस भावों के वश है और कविता शब्दार्थ के’, उक्त मत के प्रस्तोता हैं:
[A] भिखारीदास[B] देव
[C] भूषण
[D] पद्माकर
उत्तर देखें-
[B] देव
उक्त मत के प्रस्तोता कवि ‘देव’ हैं।
उक्त मत के प्रस्तोता कवि ‘देव’ हैं।
65. निम्न में से कौन-सा भारतेन्दु कृत मौलिक नाटक नहीं है?
[A] चंद्रावली[B] भारत दुर्दशा
[C] कर्पूर मंजरी
[D] सती प्रताप
उत्तर देखें-
[C] कर्पूर मंजरी
भारतेन्दु हरिश्चंद्र के मौलिक नाटक- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति (1873), प्रेमजोगिनी (1875), श्री चंद्रावली (1876), भारत दुर्दशा (1880), नीलदेवी (1881), अंधेर नगरी (1881), और सती प्रताप (1883)। ‘सती प्रताप’ अपूर्ण नाटक था जिसे राधाकृष्णदास ने पूरा किया।
भारतेन्दु हरिश्चंद्र के मौलिक नाटक- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति (1873), प्रेमजोगिनी (1875), श्री चंद्रावली (1876), भारत दुर्दशा (1880), नीलदेवी (1881), अंधेर नगरी (1881), और सती प्रताप (1883)। ‘सती प्रताप’ अपूर्ण नाटक था जिसे राधाकृष्णदास ने पूरा किया।
66. राजा लक्ष्मण सिंह ने आगरा से प्रजाहितैषी पत्र किस वर्ष में निकाला?
[A] 1856 ई.[B] 1860 ई.
[C] 1862 ई.
[D] 1865 ई.
उत्तर देखें-
[A] 1855 ई.
राजा लक्ष्मण सिंह ने आगरा से प्रजाहितैषी पत्र 1855 ई. में निकाला था। विकल्प में 1856 दिया है।
राजा लक्ष्मण सिंह ने आगरा से प्रजाहितैषी पत्र 1855 ई. में निकाला था। विकल्प में 1856 दिया है।
67. स्थापना (Assertion) (A): रीतिकाल में काव्यांग निरूपण रचना का निमित्त मात्र है।
तर्क (Reason) (R): विकसित गद्य का अभाव वास्तविक काव्यांग निरूपण न हो पाने का कारण है।
कूट:तर्क (Reason) (R): विकसित गद्य का अभाव वास्तविक काव्यांग निरूपण न हो पाने का कारण है।
[A] A सही, R गलत
[B] A गलत, R सही
[C] A सही, R सही
[D] A गलत, R गलत
उत्तर देखें-
[C] A सही, R सही
स्थापना और तर्क दोनों सही हैं।
स्थापना और तर्क दोनों सही हैं।
68. ‘लोगिन्ह कवित्त कीन्हों खेल करि जान्यो है’, पंक्ति के रचयिता है:
[A] बोधा[B] ठाकुर
[C] घनानन्द
[D] गंग कवि
उत्तर देखें-
[B] ठाकुर
रीतिमुक्त कवि ठाकुर ने ‘लोगिन्ह कवित्त कीन्हों खेल करि जान्यो है’ लिखकर उन्होंने अपने काल की ह्रासोन्मुखी कविता पर तीखा व्यंग्य भी किया है।
रीतिमुक्त कवि ठाकुर ने ‘लोगिन्ह कवित्त कीन्हों खेल करि जान्यो है’ लिखकर उन्होंने अपने काल की ह्रासोन्मुखी कविता पर तीखा व्यंग्य भी किया है।
69. स्थापना (Assertion) (A): बिहारी रीतिकाल के प्रतिनिधि कवि है तथा इन्होंने काव्यांग निरूपण नहीं किया।
तर्क (Reason) (R): बिहारी की रचनाओं में काव्य-रीति रची-बसी है।
कूट:तर्क (Reason) (R): बिहारी की रचनाओं में काव्य-रीति रची-बसी है।
[A] A सही R गलत
[B] A गलत R सही
[C] A सही R सही
[D] A गलत R गलत
उत्तर देखें-
[C] A सही R सही
स्थापना और तर्क दोनों सही हैं।
स्थापना और तर्क दोनों सही हैं।
70. स्थापना (Assertion) (A): तुलसी के राम ब्रह्म भी हैं और मानव भी।
तर्क (Reason) (R): तुलसी के राम उनके व्यक्तिगत संघर्ष की उपज हैं।
कूट:तर्क (Reason) (R): तुलसी के राम उनके व्यक्तिगत संघर्ष की उपज हैं।
[A] A सही R गलत
[B] A गलत R सही
[C] A सही R सही
[D] A गलत R गलत
उत्तर देखें-
[A] A सही R गलत
स्थापना सही लेकिन तर्क गलत हैं।
स्थापना सही लेकिन तर्क गलत हैं।
71. पद्मावत के संबंध में असंगत कथन का चयन कीजिए:
[A] पद्मावत अवधी में रचित काव्य है।[B] पद्मावत में हठयोग, कुंडलिनी योग, रसायन-साधना का पर्याप्त प्रभाव है।
[C] इसमें तत्सम शब्दों का प्रयोग भी बहुतायत से किया गया है।
[D] जायसी का प्रिय अलंकार हेतूत्प्रेक्षा है।
उत्तर देखें-
[C] इसमें तत्सम शब्दों का प्रयोग भी बहुतायत से किया गया है।
पद्मावत ठेठ अवधी का प्रयोग हुआ है, तत्सम शब्दों का प्रयोग बहुत ही कम किया गया है।
पद्मावत ठेठ अवधी का प्रयोग हुआ है, तत्सम शब्दों का प्रयोग बहुत ही कम किया गया है।
72. कबीर की काव्य भाषा के संबंध में असंगत कथन का चयन कीजिए।
[A] कबीर की साखियों में पश्चिमी प्रयोग अधिक है जिसे स्थानीय प्रभाव जानना चाहिए।[B] रमैनी और सबद में पूर्वी प्रयोग अधिक देखने को मिलते हैं।
[C] अंतस्साधनात्मक और वैष्णव प्रपत्तिवाद की पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग कबीर के काव्य में खूब मिलता है।
[D] कबीर के पदों में अवतारवाद में आस्था के बीज दिखाई देते हैं।
उत्तर देखें-
[C] अंतस्साधनात्मक और वैष्णव प्रपत्तिवाद की पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग कबीर के काव्य में खूब मिलता है।
73. ‘रुद्र संप्रदाय’ के संबंध में निम्न में से कौन-सा विचार असंगत है?
[A] इसके प्रवर्तक विष्णुस्वामी थे।[B] यह सम्प्रदाय वल्लभाचार्य के पुष्टि सम्प्रदाय के रूप में हिंदी में जीवित है।
[C] चैतन्य महाप्रभु इसी सम्प्रदाय से दीक्षित हुए थे।
[D] सूरदास एवं अष्टछाप के कवियों पर इसी सम्प्रदाय का स्पष्ट प्रभाव है।
उत्तर देखें-
[C] चैतन्य महाप्रभु इसी सम्प्रदाय से दीक्षित हुए थे।
चैतन्य महाप्रभु वैष्णव संप्रदाय में दीक्षित हुए थे। उन्होंने गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय की नींव रखी, जो भगवान कृष्ण की भक्ति पर आधारित है।
चैतन्य महाप्रभु वैष्णव संप्रदाय में दीक्षित हुए थे। उन्होंने गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय की नींव रखी, जो भगवान कृष्ण की भक्ति पर आधारित है।
74. ‘भगवविषयक रति एवं अनन्यता’ किस प्रकार की भक्ति का प्रमुख लक्षण है?
[A] सगुण भक्ति[B] निर्गुण भक्ति
[C] कृष्ण भक्ति
[D] सगुण व निर्गुण भक्ति
उत्तर देखें-
[D] सगुण व निर्गुण भक्ति
‘भगवविषयक रति एवं अनन्यता’ सगुण व निर्गुण भक्ति का प्रमुख लक्षण है।
‘भगवविषयक रति एवं अनन्यता’ सगुण व निर्गुण भक्ति का प्रमुख लक्षण है।
75. आदिकालीन काव्य-रचनाओं के संबंध में असंगत विकल्प का चुनाव कीजिए:
[A] हेमचंद्र के प्राकृत पैंगलम् में अपभ्रंश के दोहे संकलित हैं।[B] दोहा, पद्धड़िया, गेयपद अपभ्रंश काल के प्रमुख छंद है।
[C] प्रबंध चिंतामणि में जैनेत्तर रचनाएँ भी संकलित हैं।
[D] पउमचरिउ कड़वक-बद्ध शैली में नहीं लिखा गया है।
उत्तर देखें-
[D] पउमचरिउ कड़वक-बद्ध शैली में नहीं लिखा गया है।
पउमचरिउ अपभ्रंश का महाकाव्य है जो कड़वक-बद्ध शैली में नहीं लिखा गया है।
पउमचरिउ अपभ्रंश का महाकाव्य है जो कड़वक-बद्ध शैली में नहीं लिखा गया है।
76. ‘कहानी छोटे मुंह बड़ी बात करती है।’ उक्त कथन किसका है?
[A] नगेन्द्र[B] प्रेमचंद
[C] प्रसाद
[D] नामवर सिंह
उत्तर देखें-
[D] नामवर सिंह
‘कहानी छोटे मुंह बड़ी बात करती है।’ उक्त कथन नामवर सिंह का है।
‘कहानी छोटे मुंह बड़ी बात करती है।’ उक्त कथन नामवर सिंह का है।
77. प्रकृतिवाद के प्रवर्तक हैं:
[A] जोला[B] दे त्रासी
[C] मिलर
[D] देरिदा
उत्तर देखें-
[A] जोला
प्रकृतिवाद के साहित्यिक प्रवर्तक- एमिल ज़ोला, दार्शनिक प्रवर्तक- जीन-जैक्स रूसो और प्राचीन प्रवर्तक- डेमोक्रिटस हैं।
प्रकृतिवाद के साहित्यिक प्रवर्तक- एमिल ज़ोला, दार्शनिक प्रवर्तक- जीन-जैक्स रूसो और प्राचीन प्रवर्तक- डेमोक्रिटस हैं।
78. किसका संबंध स्वप्न और अवचेतन मन में घटित होने वाली घटनाओं की विघटित बिम्बावलियों से है?
[A] बिम्ब[B] फैंटेसी
[C] रूपक
[D] अभिव्यंजना
उत्तर देखें-
[B] फैंटेसी
फैंटेसी का संबंध स्वप्न और अवचेतन मन में घटित होने वाली घटनाओं की विघटित बिम्बावलियों से है।
फैंटेसी का संबंध स्वप्न और अवचेतन मन में घटित होने वाली घटनाओं की विघटित बिम्बावलियों से है।
79. संरचनावाद के संबंध में असंगत विचार है:
[A] हर वस्तु का एक अवयव तथा उसके अपने घटक होते हैं।[B] संरचना के बीज तत्व रूपी रूपवाद में दिखाई देते हैं।
[C] घटक अंग है तो संरचना अंगी।
[D] जयाँ पेजे ने इसके पाँच घटकों का उल्लेख किया है।
उत्तर देखें-
[D] जयाँ पेजे ने इसके पाँच घटकों का उल्लेख किया है।
जियाँ पेजे (या पिएजे) एक संज्ञानवादी थे, उन्होंने संज्ञानात्मक विकास के चार स्तरों का उल्लेख किया है। संरचनावाद से उनका कोई संबंध नहीं है।
जियाँ पेजे (या पिएजे) एक संज्ञानवादी थे, उन्होंने संज्ञानात्मक विकास के चार स्तरों का उल्लेख किया है। संरचनावाद से उनका कोई संबंध नहीं है।
80. अरस्तु के अनुसार काव्यानंद के संबंध में असंगत विकल्प है।
[A] वह आध्यात्मिक आनंद है।[B] वह प्रत्यक्ष ऐन्द्रिय आनंद नहीं है।
[C] वह बौद्धिक आनन्द नहीं है।
[D] वह प्रत्यभिज्ञान का आनन्द है किंतु प्रत्यक्ष प्रत्यभिज्ञान न होकर कल्पनात्मक प्रत्यभिज्ञान का।
उत्तर देखें-
[A] वह आध्यात्मिक आनंद है।
अरस्तू के अनुसार काव्य का आनंद आध्यात्मिक न होकर भौतिक आनंद है। काव्यानंद न कोरा ऐन्द्रिय आनंद है, न बौद्धिक आनंद है, न सामान्य आनंद है और न आध्यात्मिक आनंद है। यह तो अनुकरण-जन्य प्रत्यभिज्ञान का आनंद है।
अरस्तू के अनुसार काव्य का आनंद आध्यात्मिक न होकर भौतिक आनंद है। काव्यानंद न कोरा ऐन्द्रिय आनंद है, न बौद्धिक आनंद है, न सामान्य आनंद है और न आध्यात्मिक आनंद है। यह तो अनुकरण-जन्य प्रत्यभिज्ञान का आनंद है।
81. ‘शब्दार्थों सहितौ काव्यं गद्यं पद्यञ्च तद्विधा’ उक्त कथन है:
[A] मम्मट का[B] विश्वनाथ का
[C] भामह का
[D] जगन्नाथ का
उत्तर देखें-
[C] भामह का
उक्त कथन आचार्य भामा का है। जिसका अर्थ है शब्द और अर्थ से युक्त, गद्य और पद्य (दोनों रूपों में) काव्य है।
उक्त कथन आचार्य भामा का है। जिसका अर्थ है शब्द और अर्थ से युक्त, गद्य और पद्य (दोनों रूपों में) काव्य है।
82. असंगत विकल्प का चयन कीजिए
[A] मुख्यार्थ बाधा के बिना लक्षणा का प्रवेश वर्जित है।[B] व्यंजना मुख्यार्थ बाधा के बिना भी प्रतीयमान अर्थ का बोध करा सकती है।
[C] व्यंग्यार्थ की प्रतीति अभिधार्थ या लक्ष्यार्थ के पूर्व हो जाती है।
[D] लक्षणा में जो प्रयोजन का बोध होता है वह भी व्यंजना के द्वारा ही होता है।
उत्तर देखें-
[C] व्यंग्यार्थ की प्रतीति अभिधार्थ या लक्ष्यार्थ के पूर्व हो जाती है।
व्यंग्यार्थ की प्रतीति अभिधार्थ या लक्ष्यार्थ के बाद होती है, पूर्व नहीं।
व्यंग्यार्थ की प्रतीति अभिधार्थ या लक्ष्यार्थ के बाद होती है, पूर्व नहीं।
83. ‘साधू चरित सुभ सरिस कपासू।
निरस विसद गुनमय फल जासू॥’
उक्त पद में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त हुआ है?निरस विसद गुनमय फल जासू॥’
[A] शब्द श्लेष
[B] अर्थ श्लेष
[C] समासोक्ति
[D] प्रतिवस्तूपमा
उत्तर देखें-
[B] अर्थ श्लेष
तुलसीदास के उक्त पद में अर्थ श्लेष अलंकार प्रयुक्त हुआ है। इस चौपाई में नीरस, विशद और गुणमय तीन एकार्थक शब्दों का प्रयोग हुआ है, जो साधु और कपास दोनों के प्रसंग में अपना अर्थ देते हैं।
तुलसीदास के उक्त पद में अर्थ श्लेष अलंकार प्रयुक्त हुआ है। इस चौपाई में नीरस, विशद और गुणमय तीन एकार्थक शब्दों का प्रयोग हुआ है, जो साधु और कपास दोनों के प्रसंग में अपना अर्थ देते हैं।
84. ‘विषमय यह गोदावरी, अमृतन को फल देत।
केशव जीवन हार की असेस दुख हरि लेत॥’
उक्त पद में किस अलंकार का प्रयोग हुआ है?केशव जीवन हार की असेस दुख हरि लेत॥’
[A] विभावना
[B] अतिशयोक्ति
[C] विरोधाभास
[D] विशेषोक्ति
उत्तर देखें-
[C] विरोधाभास
उक्त पद में विरोधाभास अलंकार का प्रयोग हुआ है। क्योंकि यहाँ पहले ‘विषमय गोदावरी’ का वर्णन किया गया है, फिर उसे ‘अमृतन को फल देत’ और ‘दुख असेस हरि लेत’ जैसी बातें कहकर विरोध का आभास कराया गया है।
उक्त पद में विरोधाभास अलंकार का प्रयोग हुआ है। क्योंकि यहाँ पहले ‘विषमय गोदावरी’ का वर्णन किया गया है, फिर उसे ‘अमृतन को फल देत’ और ‘दुख असेस हरि लेत’ जैसी बातें कहकर विरोध का आभास कराया गया है।
85. भाषा अनिवार्य रूप से रूपकात्मक होती है, उक्त कथन है:
[A] कीट्स का[B] ड्राइडन का
[C] शैली का
[D] टिण्डेल का
उत्तर देखें-
[C] शैली का
उक्त कथन शेली का है। उन्होंने इसे अपने प्रसिद्ध निबंध ‘अ डिफेंस ऑफ पोएट्री’ में लिखा था।
उक्त कथन शेली का है। उन्होंने इसे अपने प्रसिद्ध निबंध ‘अ डिफेंस ऑफ पोएट्री’ में लिखा था।
86. निम्न में से कौन-सा कथन असंगत है?
[A] बिम्ब स्वतः संभव होते है; जबकि प्रतीकों का निर्माण सचेष्ट क्रिया है।[B] बिम्ब द्वारा सम्प्रेषित अर्थ गूढ़ और सबके लिए भिन्न-भिन्न होता हैं।
[C] बिम्ब का प्रमुख धर्म है, ऐन्द्रियता’।
[D] बिम्ब का सीधा सम्बन्ध मानस पटल पर उभरने वाले चित्रों से है।
उत्तर देखें-
[B] बिम्ब द्वारा सम्प्रेषित अर्थ गूढ़ और सबके लिए भिन्न-भिन्न होता हैं।- यह असंगत है।
87. हास्य के स्रोत आनंददायक होने चाहिए अर्थात आनंददायक व्यक्ति, आनंददायक शब्द और कार्य’, अरस्तू के ये विचार किससे संबंधित हैं?
[A] विरेचन[B] त्रासदी
[C] कामदी
[D] अनुकरण
उत्तर देखें-
[C] कामदी
अरस्तू के ये विचार कामदी से संबंधित हैं।
अरस्तू के ये विचार कामदी से संबंधित हैं।
88. अतियथार्थवाद के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
[A] अतियथार्थवाद किसी बहिर्गत प्रतिबन्ध को स्वीकार नहीं करता।[B] यह आंशिक प्रतिबन्धता का हामी है।
[C] मानवतावाद और अतियथार्थवाद में कोई साम्य नहीं है।
[D] अतियथार्थवाद मनोविश्लेषण के सिद्धान्तों से सम्बद्ध होते हुए भी भिन्न है।
उत्तर देखें-
[B] यह आंशिक प्रतिबन्धता का हामी है।
अतियथार्थवाद आंशिक प्रतिबद्धता का हामी नहीं है, बल्कि यह एक क्रांतिकारी आंदोलन था जो पूरी तरह से सामाजिक, राजनीतिक और कलात्मक मुक्ति के लिए प्रतिबद्ध था।
अतियथार्थवाद आंशिक प्रतिबद्धता का हामी नहीं है, बल्कि यह एक क्रांतिकारी आंदोलन था जो पूरी तरह से सामाजिक, राजनीतिक और कलात्मक मुक्ति के लिए प्रतिबद्ध था।
89. ‘सच्ची भाषा वह है जो मनुष्य भावावेग के क्षणों में बोलता है’, उक्त विचार किस पाश्चात्य विचारक के हैं?
[A] लौंजायनस[B] टी.एस. इलियट
[C] विलियम वर्ड्सवर्थ
[D] क्रोचे
उत्तर देखें-
[C] विलियम वर्ड्सवर्थ
उक्त विचार पाश्चात्य विचारक ‘विलियम वर्ड्सवर्थ’ के हैं।
उक्त विचार पाश्चात्य विचारक ‘विलियम वर्ड्सवर्थ’ के हैं।
90. गिरिराज किशोर द्वारा रचित उपन्यास जिस पर उन्हें व्यास सम्मान प्राप्त हुआ।
[A] कथासतीसर[B] पहला गिरमिटिया
[C] इन्हीं हथियारों में
[D] न भूतो न भविष्यम्
उत्तर देखें-
[B] पहला गिरमिटिया
गिरिराज किशोर द्वारा रचित उपन्यास ‘पहला गिरमिटिया’ पर उन्हें व्यास सम्मान प्राप्त हुआ।
गिरिराज किशोर द्वारा रचित उपन्यास ‘पहला गिरमिटिया’ पर उन्हें व्यास सम्मान प्राप्त हुआ।
91. ‘जालपा’ पात्र प्रेमचंद के किस उपन्यास का है?
[A] निर्मला[B] गबन
[C] कायाकल्प
[D] सेवासदन
[B] गबन
उत्तर देखें-
‘जालपा’ पात्र प्रेमचंद के ‘गबन’ उपन्यास का है।
92. इनमें से लक्ष्मीकांत वर्मा का काव्य-संग्रह कौन-सा है?
[A] कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ[B] इतने पास अपने
[C] दीप देहरी द्वार
[D] लोग भूल गए हैं
उत्तर देखें-
[C] दीप देहरी द्वार
‘दीप देहरी द्वार’ लक्ष्मीकांत वर्मा का काव्य-संग्रह है।
‘दीप देहरी द्वार’ लक्ष्मीकांत वर्मा का काव्य-संग्रह है।
93. मीरा के काव्य-वैशिष्ट्य के संबंध में कौन-सा कथन असंगत है?
[A] मीरा के काव्य में राजस्थान, व्रज और गुजरात का सांस्कृतिक ऐक्य है।[B] कबीर की ही तरह मीरा की काव्य-भाषा में भी कई बोली-रूप मिश्रित हैं।
[C] मीरा के काव्य में उर्दू-फारसी शब्दावली का प्रयोग भी मिलता है।
[D] मीरा के काव्यभाषा में सर्जनात्मक क्षमता अपेक्षाकृत कम है।
उत्तर देखें-
[C] मीरा के काव्य में उर्दू-फारसी शब्दावली का प्रयोग भी मिलता है।
मीरा के काव्य में उर्दू-फारसी शब्दावली का प्रयोग नहीं मिलता है। उनके काव्य में मुख्य रूप से राजस्थानी, ब्रज और गुजराती भाषाओं का मिश्रण है।
मीरा के काव्य में उर्दू-फारसी शब्दावली का प्रयोग नहीं मिलता है। उनके काव्य में मुख्य रूप से राजस्थानी, ब्रज और गुजराती भाषाओं का मिश्रण है।
94. ‘एक नीला आइना
बेठोस-सी यह चाँदनी
और अंदर चल रहा हूँ मैं
उसी के महातल मौन में।’
किसकी पंक्तियाँ हैं?बेठोस-सी यह चाँदनी
और अंदर चल रहा हूँ मैं
उसी के महातल मौन में।’
[A] रघुवीर सहाय
[B] शमशेर बहादुर सिंह
[C] मलयज
[D] केदारनाथ सिंह
उत्तर देखें-
[B] शमशेर बहादुर सिंह
उक्त पंक्तियाँ शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘एक नीला आईना बेठोस’ की हैं।
उक्त पंक्तियाँ शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘एक नीला आईना बेठोस’ की हैं।
95. ‘ऐसे क्षण अंधकार घन में जैसे विद्युत।
जागी पृथ्वी-तनया-कुमारिका-छवि, अच्युत॥’
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों के रचयिता है:जागी पृथ्वी-तनया-कुमारिका-छवि, अच्युत॥’
[A] नरेश मेहता
[B] निराला
[C] अज्ञेय
[D] नरेश सक्सेना
उत्तर देखें-
[B] निराला
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों के रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं, जो ‘राम की शक्ति पूजा’ कविता से ली गई है।
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों के रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं, जो ‘राम की शक्ति पूजा’ कविता से ली गई है।
96. निम्न में से कौन-सा एकांकी संग्रह उपेन्द्रनाथ अश्क का है?
[A] स्त्री का हृदय[B] देवताओं की छाया में
[C] चोर के घर छिछोर
[D] अपनी टेक निबाही
उत्तर देखें-
[B] देवताओं की छाया में
‘देवताओं की छाया में’ एकांकी संग्रह उपेन्द्रनाथ अश्क का है।
‘देवताओं की छाया में’ एकांकी संग्रह उपेन्द्रनाथ अश्क का है।
97. निम्न में से कौन-सा आलोचक अमेरिकी नई समीक्षा से संबंधित है?
[A] क्लस्थ बुक्स[B] एजरा पाउंड
[C] वाल्टर बेंजामिन
[D] लेनिन
उत्तर देखें-
[A] क्लस्थ बुक्स
आलोचक ‘क्लस्थ बुक्स’ अमेरिकी नई समीक्षा से संबंधित है।
आलोचक ‘क्लस्थ बुक्स’ अमेरिकी नई समीक्षा से संबंधित है।
98. ‘समय गवाह है, बैचेनी आगे की राह है’ किस कवि की पंक्ति है?
[A] विजयदेव नारायण साही[B] चंद्रकांत देवताले
[C] राजकमल चौधरी
[D] मुक्तिबोध
उत्तर देखें-
[C] राजकमल चौधरी
उक्त पंक्ति ‘राजकमल चौधरी’ की है जो ‘पटकथा’ कविता से ली गई है।
उक्त पंक्ति ‘राजकमल चौधरी’ की है जो ‘पटकथा’ कविता से ली गई है।
99. ‘नई समीक्षा’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया?
[A] डॉ. मोल्टन[B] स्कॉट जेम्स
[C] जोएल स्पिनगार्ग
[D] थॉमस हॉब्स
उत्तर देखें-
[C] जोएल स्पिनगार्ग
‘नई समीक्षा’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ‘जोएल स्पिनगार्ग’ ने किया था।
‘नई समीक्षा’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ‘जोएल स्पिनगार्ग’ ने किया था।
100. कॉलरिज के कल्पना सिद्धान्त को विश्लेषित करने वाली प्रसिद्ध कृति है:
[A] द ग्रेट क्रिटिक्स[B] लिरिकल बैलेड्स
[C] बायोग्रेफिया लिटरेरिया
[D] अ हिस्ट्री ऑफ मॉडर्न क्रिटिसिज्म
उत्तर देखें-
[C] बायोग्रेफिया लिटरेरिया
कॉलरिज के कल्पना सिद्धान्त को विश्लेषित करने वाली प्रसिद्ध कृति ‘बायोग्रेफिया लिटरेरिया’ है।
कॉलरिज के कल्पना सिद्धान्त को विश्लेषित करने वाली प्रसिद्ध कृति ‘बायोग्रेफिया लिटरेरिया’ है।