साहित्य अकादेमी पुरस्कार
साहित्य अकादेमी पुरस्कार सन् 1954 से ही प्रदान किया जाता है। Sahitya Akademi प्रतिवर्ष प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। वर्तमान समय में यह award 24 भाषाओं- असमिया, बर, डोगरी, अंग्रेजी, गुजरती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकड़ी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओड़िया, पंजाबी, राजस्थानी, संस्कृत, संताली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बांग्ला आदि में प्रदान किया जा रहा है।
Sahitya Akademi Award में प्रत्येक विजेता को एक-एक लाख रुपये, एक प्रशस्ति पत्र (ताम्रफलक) और शॉल दिए जाते हैं। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में बढ़ाकर 10,000/- रुपए कर दी गई, फिर सन् 1988 में बढ़ाकर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए की गई तथा सन् 2010 से यह राशि 1,00,000/- रुपए कर दी गई है।
Sahitya Akademi का विधिवत् उद्धाटन भारत सरकार द्वारा 12 मार्च 1954 को किया गया था। हालाँकि अकादेमी की स्थापना सरकार द्वारा की गई है, फिर भी यह एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में कार्य करती है। संस्था पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत इस संस्था का पंजीकरण 7 जनवरी 1956 को किया गया।
साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2023
हिंदी के प्रसिद्ध वरिष्ठ कथाकार संजीव सहित कुल 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों को साहित्य अकादेमी पुरस्कार- 2023 देने की घोषणा की गई। संजीव को उनके उपन्यास ‘मुझे पहचानो’ के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2023 दिया गया है। दुनिया की सबसे हसीन औरत, प्रेतमुक्ति, प्रेरणास्रोत और अन्य कहानियाँ, ब्लैक होल, खोज, दस कहानियाँ, गति का पहला सिद्धांत, गुफा का आदमी, आरोहण (कहानी संग्रह); किशनगढ़ के अहेरी, सर्कस, सावधान! नीचे आग है, धार, पाँव तले की दूब, जंगल जहाँ शुरू होता है, सूत्रधार, आकाश चम्पा, अहेर, फाँस, प्रत्यंचा (उपन्यास), रानी की सराय (किशोर उपन्यास), डायन और बाल-साहित्य आदि उनकी प्रमुख रचनाएं हैं।
हिंदी में दिए गए साहित्य अकादमी पुरस्कारों की सूची
वर्ष | लेखक | कृति | विधा |
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1955 | माखनलाल चतुर्वेदी | हिमतरंगिनी | काव्य |
1956 | वासुदेव शरण अग्रवाल | पद्मावत संजीवनी व्याख्या | व्याख्या |
1957 | आचार्य नरेन्द्र देव | बौध धर्म दर्शन | दर्शन |
1958 | राहुल सांकृत्यायन | मध्य एशिया का इतिहास | इतिहास |
1959 | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | संस्कृति के चार अध्याय | भारतीय संस्कृति |
1960 | सुमित्रानंदन पंत | कला और बूढ़ा चाँद | काव्य |
1961 | भगवतीचरण वर्मा | भूले बिसरे चित्र | उपन्यास |
1962 | — | — | — |
1963 | अमृत राय | प्रेमचंद: कलम का सिपाही | जीवनी |
1964 | अज्ञेय | आँगन के पार द्वार | काव्य |
1965 | डॉ॰ नगेन्द्र | रस सिद्धांत | विवेचना |
1966 | जैनेन्द्र कुमार | मुक्तिबोध | उपन्यास |
1967 | अमृतलाल नागर | अमृत और विष | उपन्यास |
1968 | हरिवंशराय बच्चन | दो चट्टाने | काव्य |
1969 | श्रीलाल शुक्ल | राग दरबारी | तपन्यास |
1970 | राम विलास शर्मा | निराला की साहित्य साधना | जीवनी |
1971 | नामवर सिंह | कविता के नये प्रतिमान | आलोचना |
1972 | भवानीप्रसाद मिश्र | बुनी हुई रस्सी | काव्य |
1973 | हजारी प्रसाद द्विवेदी | आलोक पर्व | निबंध |
1974 | शिवमंगल सिंह सुमन | मिट्टी की बारात | काव्य |
1975 | भीष्म साहनी | तमस | उपन्यास |
1976 | यशपाल | मेरी तेरी उसकी बात | उपन्यास |
1977 | शमशेर बहादुर सिंह | चुका भी हूँ मैं नहीं | काव्य |
1978 | भारत भूषण अग्रवाल | उतना वह सूरज है | काव्य |
1979 | सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ | कल सुनना मुझे | काव्य |
1980 | कृष्णा सोबती | ज़िन्दगीनामा – ज़िन्दा रुख़ | उपन्यास |
1981 | त्रिलोचन | ताप के ताये हुए दिन | काव्य |
1982 | हरिशंकर परसाई | विकलांग श्रद्धा का दौर | व्यंग |
1983 | सर्वेश्वरदयाल सक्सेना | खूँटियों पर टँगे लोग | काव्य |
1984 | रघुवीर सहाय | लोग भूल गये हैं | काव्य |
1985 | निर्मल वर्मा | कव्वे और काला पानी | कहानी संग्रह |
1986 | केदारनाथ अग्रवाल | अपूर्वा | काव्य |
1987 | श्रीकांत वर्मा | मगध | काव्य |
1988 | नरेश मेहता | अरण्या | काव्य |
1989 | केदारनाथ सिंह | अकाल में सारस | काव्य |
1990 | शिव प्रसाद सिंह | नीला चाँद | उपन्यास |
1991 | गिरिजाकुमार माथुर | मैं वक्त के हूँ सामने | काव्य |
1992 | गिरिराज किशोर | ढाई घर | उपन्यास |
1993 | विष्णु प्रभाकर | अर्द्धनारीश्वर | उपन्यास |
1994 | अशोक वाजपेयी | कहीं नहीं वहीं | काव्य |
1995 | कुंवर नारायण | कोई दूसरा नहीं | काव्य |
1996 | सुरेन्द्र वर्मा | मुझे चाँद चाहिये | उपन्यास |
1997 | लीलाधर जगूड़ी | अनुभव के आकाश में चांद | काव्य |
1998 | अरुण कमल | नये इलाके में | काव्य |
1999 | विनोद कुमार शुक्ल | दीवार में एक खिड़की रहती थी | उपन्यास |
2000 | मंगलेश डबराल | हम जो देखते हैं | काव्य |
2001 | अलका सरावगी | कलिकथा वाया बाईपास | उपन्यास |
2002 | राजेश जोशी | दो पंक्तियों के बीच | काव्य |
2003 | कमलेश्वर | कितने पाकिस्तान | उपन्यास |
2004 | वीरेन डंगवाल | दुष्चक्र में सृष्टा | काव्य |
2005 | मनोहर श्याम जोशी | क्याप | उपन्यास |
2006 | ज्ञानेन्द्रपति | संशयात्मा | काव्य |
2007 | अमरकांत | इन्हीं हथियारों से | उपन्यास |
2008 | गोविन्द मिश्र | कोहरे में कैद रंग | उपन्यास |
2009 | कैलाश वाजपेयी | हवा में हस्ताक्षर | काव्य |
2010 | उदय प्रकाश | मोहन दास | कहानी |
2011 | काशीनाथ सिंह | रेहन पर रग्घू | उपन्यास |
2012 | चंद्रकांत देवताले | पत्थर फेंक रहा हूँ | काव्य |
2013 | मृदुला गर्ग | मिलजुल मन | उपन्यास |
2014 | रमेशचन्द्र शाह | विनायक | उपन्यास |
2015 | रामदरश मिश्र | आग की हँसी | काव्य |
2016 | नासिरा शर्मा | पारिजात | उपन्यास |
2017 | रमेश कुंतल मेघ | विश्व मिथक सरित सागर | आलोचना |
2018 | चित्रा मद्गल | पोस्ट बॉक्स नं. 203-नाला सोपारा | उपन्यास |
2019 | नन्दकिशोर आचार्य | छीलते हुए अपने को | कविता |
2020 | अनामिका | टोकरी में दिगंत- थेरीगाथा: 2014 | कविता |
2021 | दया प्रकाश सिन्हा | सम्राट अशोक | नाटक |
2022 | बद्री नारायण | तुमड़ी के शब्द | काव्य |
2023 | संजीव | मुझे पहचानो | उपन्यास |
FAQ
साहित्य अकादेमी का मुख्यालय (प्रधान कार्यालय) रवीन्द्र भवन, 35 फीरोजशाह मार्ग, नई दिल्ली 110001 में स्थित है। इस भवन का निर्माण रवीन्द्रनाथ ठाकुर की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में वर्ष 1961 में हुआ था।
भारत की राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था साहित्य अकादेमी की स्थापना भारत सरकार द्वारा वर्ष 1954 में की गई। साहित्य अकादेमी पुरस्कार की शुरुआत 1955 ई. से हुई, तब से यह सम्मान प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।
वर्तमान में साहित्य अकादेमी पुरस्कार भारत के संविधान में परिगणित 22 भाषाओं के साथ अंग्रेज़ी और राजस्थानी भाषाओं को दिया जाता है। अर्थात कुल 24 भाषाओं में यह पुरस्कार दिया जाता है। यही वह पुरस्कार है जिसे 24 भाषाओं में दिया जाता है।
साहित्य अकादेमी के पहले अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। वहीं इसके वर्तमान अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार हैं, इनको 2018−2022 के लिए साहित्य अकादेमी का अध्यक्ष चुना गया है।
साहित्य अकादमी पुरस्कार, सन् 1955 से प्रत्येक वर्ष 24 भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों को दिया जाता है, जिसमें एक ताम्रपत्र और शाल के साथ 100000 नकद राशि दी जाती है।
हिंदी में प्रथम साहित्य अकादेमी पुरस्कार माखनलाल चतुर्वेदी को उनके काव्य संग्रह ‘हिमतरंगिनी’ को वर्ष 1955 ई. को मिला था।
साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित प्रथम महिला अमृता प्रीतम थीं। पंजाबी भाषा की प्रसिद्ध लेखिका अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 ई. को गुजरांवाला (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। अमृता प्रीतम साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1956 ई.) जीतने वाली पहली महिला थीं। हिंदी भाषा में प्रथम पुरस्कार पाने वाली लेखिका कृष्णा सोबती हैं जिन्हें वर्ष 1980 में उनके उपन्यास ‘जिंदगीनामा’ पर प्रदान किया गया था।
हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार 2023 संजीव को उनके उपन्यास ‘मुझे पहचानो’ को दिया गया है।
लेख में एक स्थान पर साहित्य अकादमी पुरस्कार 2019 के स्थान पर 2029 लिखा गया, इसे संशोधन कर लिखने की आवश्यकता है.
धन्यवाद सुनीता जी, ठीक कर दिया है.
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