पाश्चात्य काव्यशास्त्र
पाश्चात्य काव्यशास्त्र के उद्भव ईसा के आठ शताब्दी पूर्व से मिलने लगते हैं। होमर और हेसिओड जैसे कवियों के काव्य में पाश्चात्य काव्यशास्त्रीय चिंतन के प्रारम्भिक बिंदु मौजूद हैं। समीक्षा की दृष्टि से उस समय की फ़्राग्स तथा क्लाउड्स जैसी कुछ नाट्यकृतियाँ काफ़ी महत्त्वपूर्ण और उल्लेखनीय हैं। फ़्राग्स में कविता को लेकर यह प्रश्न किया गया है कि वह उत्कृष्ट क्यों मानी जाती है? काव्य समाज को उपयोगी प्रेरणा तथा मनोरंजन के कारण महत्त्वपूर्ण हैं या आनंद प्रदान करने तथा मनोरंजन के कारण? इस तरह से काव्यशास्त्रीय चिंतन-सूत्र यूनानी समाज में बहुत पहले मौजूद रहे। परंतु विधिवत काव्य-समीक्षा की शुरुआत प्लेटो से हुई।
पाश्चात्य काव्यशास्त्र के प्रमुख ग्रंथ
पाश्चात्य काव्यशास्त्र (वेस्टर्न पोएटिक्स) के प्रमुख ग्रंथ और उसके लेखक निम्नलिखित हैं-
प्लेटो (427-347 ई.पू.) | गणतंत्र (रिपब्लिक), लॉज, इयोन, क्रातिलुस, गोर्गीआस, फेद्रुस, फिलेबुस, विचार-गोष्ठी (symposium), पोलितेइया, नोमोई, सिंपोसियोन, |
अरस्तू (384-322 ई.पू.) | पेरिपोइटिकेस (अंग्रेजी- ऑन-पोएटिक्स, हिंदी- काव्यशास्त्र), तेखनेस रितोरिकेस (भाषाशास्त्र), वसीयतनामा |
लोंजाइनस/ लोंगिनुस (प्रथम या तृतीय शताब्दी ई.) | पेरिहुप्सुस (भाषणशास्त्र- रिटोरिक) |
विलियम वर्डसवर्थ (1770- 1850 ई.) | लिरिकल बैलेड्स (कविता-संग्रह) की भूमिका, ऐन इवनिंग वॉक ऐंड डिस्क्रिप्ट स्केचेज, द प्रिल्यूड |
सैमुअल टेलर कॉलरिज(1772-1834 ई.) | बायोग्राफिया लिटरेरिया (1817 ई.), द फ्रेंड, एड्स टू रिफ्लेक्शन, चर्च एंड स्टेट, कंफेशंज ऑफ़ इन इंक्वायरिंग स्पिरिट, ऑन इमजिनेशन |
बेनेदेत्तो क्रोचे (1866-1952 ई.) | एस्थेटिक (न्यू एसेज आँन एस्थेटिक) |
इलियट (1888-1965 ई.) | द वेस्टलैंड, ऐसेज एशेंट एंड मॉडर्न, द सेक्रेट वुड (1920 ई.), द यूज ऑफ़ पोएट्री एंड द यूज ऑफ़ क्रिटिसिज्म, सेलेक्टेड एसेज, नॉलेज एंड एक्सपीरिएंस, होमेंज टू जॉन डाइडन, एलिजाबेथेन एसेज |
ईवर आर्मस्टोंग रिचर्ड्स (1893-1979 ई.) | दि प्रिंसिपल ऑफ़ लिटरेरी क्रिटिसिज्म (1924 ई.), प्रैक्टिकल क्रिटिसिज्म (1929 ई.), दि फिलासफी ऑफ़ रेटारिक (1936 ई.), साइंस एंड पोएट्री (1926 ई.), कालरिज ऑन इमेजिनेशन, वियोड, एक्सपेरीमेंट्स इन मल्टिपिल डेफिनिशन, बेसिक रूल्ज ऑफ रीजन, इंटरप्रटेशन इन टीचिंग, दस्पेक्युलेटिव इंस्ट्रूमेंट्स, पोएट्रिज: देयर मिडिया एंड एंड्स, हाउ टू रीड ए पेजसहलेखन-दि फाउन्डेशन ऑफ ईस्थेतिक (1922 ई.), दि मीनिंग ऑफ मीनिंग (1923 ई.) |
जॉन ड्राइडन | एन एस्से ऑफ ड्रेमेटिक पोएजी (नाट्य-काव्य)- 1668 ई. |
नयी आलोचना के प्रमुख आलोचक और आलोचना ग्रंथ
1930 और 1950 के दशक में अमेरिका में एक प्रमुख आलोचना अभियान चला जिसे नयी आलोचना या समीक्षा कहा गया। नयी आलोचना के प्रमुख आलोचक और आलोचना ग्रंथ निम्नलिखित हैं-
प्रमुख आलोचक | आलोचना ग्रंथ |
फ्रैंक रेमंड लीविस (f.r.leavis) | न्यू बिअरिंग्स इन इंगलिश पोएट्री (1932 ई.), रिवेलुशन: ट्रेडिशन एण्ड डेवलेपमेंट इन इंगलिश पोएट्री (1930 ई.), द ग्रेट ट्रेडिशन (1948 ई.), अन्ना केरनिना एंड अदर एसेज (1967 ई.), डिकेंस द नावलिस्ट (1970 ई.), द कामन पर्सूट (1952 ई.), हाउ टू टीच ए रीडिंग |
मिडलटन मरे | दि प्राब्लम ऑफ स्टाइल (1922 ई.) |
जे. बी. क्रच | दि माडर्न टेंपर |
लायनल ट्रिलिंग | दि माडर्न एलिमेंट इन माडर्न लिटरेचर |
एजरा पाउण्ड | ए. बी. सी. आफ रीडिंग |
विलियम एम्पसन | सेवन टाइप्स ऑफ एंबिगुइटी |
जान क्रो रैंसम | गाड विदाउट थंडर (1930 ई.), द वर्ड्स बाढी (1938 ई.) |
एलेन टेट | ऑन दि लिमिट्स ऑफ पोएट्री (1948 ई.), दि फारलोन डेमन (1955 ई.) |
आर. पी. ब्लैकमर | लैंग्वेज एज जैसचर (1952 ई.), लायन एंड द हनीकोंब (1956 ई.) |
केनेथ बर्क | ए ग्रामर ऑफ मोटिव्स (1948 ई.), पर्मनेस एंड चेंज |
क्वींथ ब्रुक्स | द वेल राट अर्न (1947 ई.) |
नयी आलोचना की प्रमुख पत्रिकाएँ और उसके संपादक
दि क्राइटेरियन (1922 ई.)- सं.- टी. एस. एलियट
स्क्रूटनी (1932 ई.)- एफ. आर. लीविस
द फ्यूजिटिव- जान क्रो रैंसम
कलावादियों की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
लेखक | ग्रंथ |
थियोफिल गोतिए | मेयर पोएजी (1832 ई.) |
एडगर एलेन पो | द फिलासफी ऑफ कम्पोजीशन, द पोएटिक प्रिसिपल (1850 ई.) |
वादलेयर | फ्लावर्स ऑफ द ईविल (काव्य संग्रह) |
वाल्टर पेटर | स्टाइल (निबंध) |
जेम्स ह्विस्लर | टेन ओ क्लाक (1888 ई.) |
पाश्चात्य आलोचना संबंधित प्रमुख पुस्तकें व उनके लेखक
लेखक | ग्रंथ |
सार्त्र | बिइंग एंड नथिंग (1943 ई.) (अस्तित्व और अनस्तित्व), क्रिटिक ऑफ डाइलेक्टिक रीजन (1960 ई.) |
सिमोन द बुआ | द सेकंड सेक्स |
मार्टिन हाइडर | बिइंग एण्ड टाइम |
कामू | मिथ ऑफ सिसिफस |
माओ | प्राबलम्स ऑफ आर्ट एवं लिटरेचर |
देरिदा | दि एण्ड ऑफ मैन, स्पीच एंड फेनोमीना, ऑफ ग्रैमेटोलॉजी, राइट एंड डिफरेंस (1978 ई.) |
रोलां बार्थ | द डेथ ऑफ आथर, द फैशन सिस्टम |
कार्ल मार्क्स | दास कैपिटल |
थामस लव पीकाक | दि फोर एज ऑफ पोएटी |
शेली | दि डिफेंस ऑफ पोएट्री |
सी. डी. लेविस | दि पोएटिक इमेज |
एफ. एस. फ्लिट | हिस्ट्री ऑफ इमेजिज्म |
अर्नेस्ट फिशर | दि नेसेस्सीटी ऑफ आर्ट |
काडवेल | इल्युजन एण्ड रिएलटी |
अलेक्जेंडर पोप | एस्से ऑन क्रिटिसिज्म (1711 ई.) |
जेम्स ज्वायस | यूलिसेस |
जीन फ्रेंकोज ल्योटार्ड | द पोस्ट मॉडर्नकेडीसन |
बोद्रिआ | कंज्यूमर सोसायटी |
पोल डी मन | ब्लाइडनेस एंड इन साईट |
हाइडेगर | बीइंग एंड टाइम |