बैंकों में प्रचलित पारिभाषिक शब्दावली

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क्या आप कभी बैंक के किसी ब्रांच में गए हैं? बैंक में आपको जरूर ऐसे कई शब्द सुनने को मिलें होंगे जिसे आप पहले कभी भी न सुना हो। क्योंकि उन शब्दों का आम जीवन में प्रयोग न के बराबर होता है। यह बैंकों में प्रचलित पारिभाषिक शब्दावली के कारण होता है। चूँकि बैंकिंग अर्थव्यवस्था की धुरी है इसलिए उसकी पारिभाषिक शब्दावली को जानना और समझना वित्तीय साक्षरता की बुनियादी शर्त है। यह केवल परीक्षाओं के लिए ही नहीं बल्कि रोजमर्रा के वित्तीय निर्णयों में भी उपयोगी होता है। ऑनलाइन बैंकिंग, यूपीआई आदि आने से इसका महत्त्व और भी बढ़ गया है।

पारिभाषिक शब्दों या पदों का प्रयोग विशेष विभाग से जुड़े लोग ही करते हैं। संबंधित विभाग का अध्येता ही उन पारिभाषिक शब्दों के अर्थ जनता है क्योंकि उसे ही अपने विचार को अभिव्यक्त करने के लिए उन शब्दों को प्रयोग करना पड़ता है। सामान्य व्यक्ति या दूसरे विभाग या कार्यालय का व्यक्ति उस शब्दावली से उतना परिचित नहीं होता, न ही उसे ऐसे शब्दों को प्रयोग करने की आवश्यकता ही पड़ती है। “सूक्ष्म विचारों की सही अभिव्यक्ति के प्रयास ने ही पारिभाषिक शब्दावली का आविष्कार किया है।”[1] ताकि कामकाज में किसी प्रकार की गलतफहमी पैदा न हो।

यदि विधि क्षेत्र को उदाहरण के रूप में लें, उसमें अंग्रेजी के ऐसे बहुत सारे शब्द प्रयुक्त होते हैं जिन्हें जिनकी मातृभाषा अंग्रेजी है, वे भी अर्थ नहीं जानते हैं। केवल विधि से जुड़े लोग ही उन शब्दों से परिचित होंगे, क्योंकि उनका सामना उन शब्दों से रोज होता है। call & put जैसे छोटे शब्दों से बहुत से लोग परिचित हैं लेकिन call option & put option शब्द से शेयर बाजार या मंडी से जुड़े लोग ही परिचित होंगे। इसी तरह लाखों अंग्रेजी जानने वाले ग्राहकों में से बिरले ही ऐसे लोग होंगे जो बैंक से जुड़े सभी शब्दावलियों से परिचित हों।

बैंकों में प्रयोग होने वाली हिंदी आम जीवन में प्रयुक्त होने वाली हिंदी से भिन्न होती है। बैंकिंग क्षेत्र में बहुत सारे शब्द ऐसे प्रयुक्त होते हैं जिनका सामान्य ग्राहक से कोई लेना देना नहीं होता। संक्षेप में पारिभाषिक शब्दावली विशेषकर उनके लिए होता है जो उस क्षेत्र का ज्ञाता या अध्येता होते हैं। वह विषय ज्ञान अर्जन के साथ शब्द ज्ञान भी अर्जित कर लेता है। लेकिन दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा सामान्य व्यक्ति दैनंदिन जीवन में बैंकिंग से जुड़ा होता है। इसलिए उसे भी बैंकों के पारिभाषिक शब्दावली से परिचित होना जरूरी हो जाता है।

बैंकिंग शब्दावली क्यों महत्वपूर्ण है?

  • बैंक कर्मचारियों के साथ स्पष्ट संवाद स्थापित करने में मदद मिलती है।
  • विभिन्न बैंकिंग उत्पादों और सेवाओं (जैसे लोन, निवेश) को समझने और उनमें से बेहतर चुनने जैसे वित्तीय निर्णय लेने में आसानी होती है।
  • शब्दों की सही समझ लोगों को धोखाधड़ी और बैंकिंग फ्रॉड से बचाने में मदद करती है।

बैंकों में प्रचलित पारिभाषिक शब्दावली के विभिन्न स्रोत

अप्रचलित शब्दों का पारिभाषिक शब्दावली में अधिक प्रयोग होता है। बैंक की हिंदी भी इसका अपवाद नहीं है।

बैंक की पारिभाषिक शब्दावली विभिन्न स्रोतों से ली गई है। इसका विकास आम को ध्यान में रखकर इस प्रकार किया गया है कि इससे सामान्य व्यक्ति को समझने या प्रयोग करने में कोई कठिनाई पैदा न हो। बैंक की हिंदी पारिभाषिक शब्दावली में विदेशी, संकर और संस्कृत भाषा के शब्द लिए गए हैं, परंतु इससे बैंक की हिंदी कठिन या अबूझ नहीं हो पाई है।

1. बैंकों में प्रचलित विदेशी शब्दों (अंग्रेज़ी, अरबी-फारसी आदि) का भी पारिभाषिक शब्दावली के रूप में प्रयोग किया जाता है, जैसे- अमानत, नुकसान, खपत, ट्रेड यूनियन, रेंट कंट्रोल, गबन, बेदखली, वसीयत, कंपनी, जालसाजी, कूपन; बजट, किश्त, पेशगी, मुआवजा, पार्सल, रकम, नीलाम, दलाल, बकाया, बैंकर, सौदा, अदायगी, दावा, सिक्का आदि।

2. पारिभाषिक शब्दावली के रूप में संस्कृत और प्रचलित शब्द का साथ-साथ प्रयोग भी देखने को मिलता है, जैसे- अग्रिम पेशगी, राशि-रकम, कारोबार-व्यवसाय, मुआवजा क्षतिपूर्ति, क्रय करना-खरीदना, क्रेता-खरीदार, प्रतिष्ठा-हैसियत, कर-टैक्स, सांविधिक-कानूनी. क्षति-नुकसान, आवेदन-अर्जी, शेष-बाकी, मूल्य-कीमत, संपत्ति-जायदाद आदि।

3. कुछ संकर शब्दों का प्रयोग भी बैंकों में होता है, जैसे- चुकौती पत्र, दैनिक मिलान, रद्द नोट, नगदी प्रमाण पत्र, वसूली प्रभार, लेखा शीर्ष, बैंक उधार, संशोधित बजट, नीलाम, कमीशन, शेयरधारी आदि।

4. देशी बैंकिंग परंपरा में जो शब्द पहले से चले आ रहे थे, का भी व्यापक स्तर पर पारिभाषिक शब्दावली के रूप में देखने को मिलता है, जैसे- फुटकर, चूँगी, वसूली, बोली (बिड), पट्टा, उधार, चालान, हुँडी, गिरवी, दरें, बट्टा, घाटा, बीजक, बेबाकी पत्र, साख, कटौती, निपटान आदि।

5. बैंकों में प्रयुक्त होने वाले उन शब्दों के लिए जिनका हिंदी में कोई पर्याय उपलब्ध नहीं था, उनके लिए नए पारिभाषिक शब्द भी निर्मित किए गए। जैसे- निविदा (टेंडर), देयता (लाइबिलिटी), शीर्ष (एपेक्स), तदर्थ (एड-हॉक) आदि। लेकिन गढ़े हुए शब्द अपरिचय होने के कारण कठिन प्रतीत होते हैं।

6. बैंकिंग में बहुत सारे अंग्रेजी शब्दों के शब्दानुवाद को पारिभाषिक शब्द के रूप में प्रयोग किया जाता है, जैसे- वार्षिक लेखा (Annual account), वित्तीय (Financial), मुक्त अर्थव्यवस्था (Free economy), स्वर्ण मान (Gold standard), निर्यातोन्मुखी (Export oriented), कराधान (Taxation), अनधिकृत (Unauthorised) आदि।

7. संस्कृत भाषा में अद्भुत शक्ति है कि उससे कितने भी शब्द निर्माण किया जा सकता है। ‘इस शक्ति का लाभ हमें हिंदी की प्रत्येक प्रयुक्ति की पारिभाषिक शब्दावली के विकास में मिला है।’ जहाँ अंग्रेजी में भिन्न-भिन्न शब्दों का प्रयोग होता है वहीं संस्कृत के एक शब्द से अनेक शब्द निर्मित किया जा सकता है, जैसे- आदेश (आर्डर), अनुदेश (इंसट्रक्शन), अध्यादेश (ऑर्डिनेंस), समादेश (रिट), धनादेश (मनीऑर्डर) आदि।

इसके अलावा पारिभाषिक शब्दावली निर्माण में बहुत सारे संस्कृत से निर्मित शब्दों का भी प्रयोग हुआ है, जैसे- वाहक, उद्योग, संयुक्त, निधि, संचय, आवंटन, अनुबंध, असंगत. धारक, निकाय, ऋण, विलेख, अवमूल्यन, विगद, उद्यम, प्राक्कलन, अतिदेय, स्वामित्व. संसाधन आदि।

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि बैंकों की हिंदी की पारिभाषिक शब्दावली विभिन्न स्रोतों के होने के बावजूद सरल और सहज है।

प्रमुख बैंकिंग पारिभाषिक शब्द

बैंकों में प्रचलित पारिभाषिक शब्दावली के कुछ महत्त्वपूर्ण शब्द निम्नलिखित है:

1. खाता संबंधी शब्दावली

  • शाखा (Branch): बैंक की शाखा, जहाँ खाता खुलवाया जा सकता है।
  • पासबुक (Bank Passbook): खाते की लेन-देन की जानकारी को रिकॉर्ड करने वाला बैंक द्वारा प्रदान किया गया पासबुक।
  • बैंक विवरण (Bank Statement): खाते की लेन-देन का सारांश और विवरण, जो एक निश्चित अवधि के लिए जारी किया जाता है।
  • खाता (Account): बैंक में खाता एक व्यक्ति या संगठन के वित्तीय लेन-देन का एक हिस्सा होता है।
  • बचत खाता (Saving Account): व्यक्तिगत बचत के लिए उपयोग में लाया जाने वाला खाता, जिसमें जमा राशि पर ब्याज मिलता है।
  • चालू-खाता (Current Account): व्यापारियों और व्यवसायिक संस्थाओं द्वारा उपयोग किया जाने वाला खाता है, जिसमें बड़ी मात्रा में लेन-देन की सुविधा होती है। इसमें न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता होती है और यह लेन-देन के लिए अधिक उपयुक्त है। प्रायः ब्याज नहीं मिलता।
  • फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit): इसे सावधि जमा के नाम से भी जाना जाता है। यह निश्चित समयावधि के लिए बैंक में जमा की गई राशि होती है, जिस पर नियत ब्याज मिलता है। यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प है जो ब्याज की दृष्टि से भी अच्छा हो सकता है।
  • जमा (Deposit): पैसों को खाते में जमा करने की प्रक्रिया को जमा कहा जाता है।
  • बैलेंस (Balance): खाते में उपलब्ध पैसों का शेष या बैलेंस होता है।
  • आवर्ती जमा (Recurring Deposit): इसे आवर्ती जमा भी कहा जाता है। यह नियमित अंतराल पर निश्चित राशि जमा करने की सुविधा है जिस पर अंत में ब्याज सहित पूरी राशि वापस मिलती है। यह वित्तीय योजना एक सुरक्षित तथा निर्दिष्ट लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक अच्छा विकल्प है।
  • सावधि जमा (FD– Fixed deposit): निश्चित अवधि हेतु जमा, तय ब्याज दर के साथ।
  • मासिक आय योजना (Monthly Income Scheme): इसमें नियमित अंतराल पर जमा की गई राशि पर मासिक ब्याज प्राप्त होता है, जिससे नियमित मासिक आय होती है।
  • पेंशन योजना (Pension Scheme): वृद्धावस्था में सुरक्षित जीवन बिताने के लिए यह योजना राशि प्रदान करती है जिसमें नियमित दिनचर्या के लिए धन जमा किया जा सकता है।
  • विद्यार्थी बचत खाता (Student Savings Account): छात्रों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया खाता, जिससे वे बचत और वित्तीय गुणवत्ता की अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
  • वेतन-खाता (Salary Account): यह विशेषतः नौकरशाही लोगों के लिए है जिसमें वेतन क्रेडिट और अन्य लाभ शामिल हैं।
  • सम्पत्ति-बैंकिंग (Wealth Banking): यह खाता विशेष रूप से बड़ी धनराशि और अन्य वित्तीय सेवाओं के लिए है, जिससे धन को सुरक्षित रखने और वृद्धि करने में मदद मिलती है।
  • जीवन-बीमा (Life Insurance): यह वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है और बीमाधारक के परिवार को उनकी मृत्यु के बाद वित्तीय समर्थन सुनिश्चित करता है।
  • न्यूनतम बैलेंस (Minimum Balance): वह न्यूनतम राशि जो खाते में बनाए रखना अनिवार्य होता है, अन्यथा बैंक शुल्क लगा सकता है।

2. लेन-देन संबंधी शब्दावली

  • नेफ्ट (NEFT- National Electronic Funds Transfer): इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एक बैंक से दूसरे बैंक में धनराशि हस्तांतरित करने की विधि।
  • आरटीजीएस (RTGS– Real Time Gross Settlement): उच्च मूल्य के लेन-देन के लिए वास्तविक समय अंतराल में धनराशि हस्तांतरण की सुविधा।
  • आईएमपीएस (IMPS– Immediate Payment Service): मोबाइल, इंटरनेट और एटीएम के माध्यम से तत्काल धन हस्तांतरण की सेवा।
  • चेक (Cheque): एक बैंकिंग दस्तावेज़ जिसके माध्यम से खाताधारक बैंक को निश्चित राशि का भुगतान करने का निर्देश देता है।
  • डेबिट कार्ड (Debit Card): खाताधारक को अपने बैंक खाते से सीधे वित्तीय लेन-देन के लिए अनुमति देने वाला कार्ड।
  • क्रेडिट कार्ड (Credit Card): यह खाताधारक को आपूर्तिकर्ता से सामान खरीदने के लिए ऋण प्रदान करता है, जिसे बाद में भुगतान करना होता है।
  • एनएफएस (NFS– National Financial Switch): भारत (इंडिया) में विभिन्न बैंकों के बीच इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन की सुविधा प्रदान करने वाला नेटवर्क।
  • आईएफ़एससी (IFSC– Indian Financial System Code): ई-ट्रांसफ़र के लिए बैंक शाखा का विशिष्ट कोड।
  • एटीएम (ATM– Automated Teller Machine): स्वचालित मशीन जो नकदी निकासी, जमा और अन्य बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करती है।
  • मोबाइल-बैंकिंग (Mobile Banking): स्मार्टफोन के माध्यम से बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने की सुविधा।
  • इनवॉइसिंग (Invoicing): व्यापारिक लेन-देन में खुदरा और थोक उद्यमियों के बीच लेन-देन की जानकारी को स्पष्ट और संरचित रूप से प्रस्तुत करने की प्रक्रिया।
  • आदाता (Payee): वह व्यक्ति या संस्था जिसे भुगतान किया जाना है या जिसके नाम पर चेक जारी किया गया है।
  • निकासी (Withdrawal): खाते से पैसे निकालने की प्रक्रिया को निकासी कहा जाता है।
  • UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस): मोबाइल ऐप के माध्यम से तुरंत पैसे भेजने या प्राप्त करने की प्रणाली।
  • QR कोड: एक प्रकार का बारकोड जिसे स्कैन करके तुरंत भुगतान किया जा सकता है।

3. ऋण और व्याज संबंधी शब्दावली

  • ऋण (Loan): बैंक से पैसे उधार लेने की प्रक्रिया, निश्चित शर्तों पर ब्याज सहित वापसी।
  • ब्याज (Interest): ऋण या जमा के पैसों पर प्राप्त होने वाला आय या ब्याज।
  • गृह ऋण (Home Loan): मकान या अपार्टमेंट खरीदने के लिए लिया गया ऋण।
  • वाहन ऋण (Vehicle Loan): वाहन खरीदने के लिए लिया गया ऋण।
  • शिक्षा ऋण (Education Loan): उच्च शिक्षा के लिए लिया गया ऋण।
  • व्यापार ऋण (Business Loan): व्यापार शुरू करने या विस्तार के लिए लिया गया ऋण।
  • व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan): व्यक्ति द्वारा आवश्यकताओं के लिए लिया जाने वाला असुरक्षित ऋण।
  • कृषि ऋण (Agricultural Loan): किसानों को कृषि क्षेत्र में उनकी आवश्यकताओं के लिए दिया जाने वाला ऋण।
  • ऋण सुविधा (Loan Facility): एक विशेष समयावधि में ऋण की उपलब्धता और शर्तें।
  • कार्पोरेट ऋण (Corporate Loan): बड़ी कंपनियों द्वारा व्यापार के लिए लिया जाने वाला ऋण।
  • स्वरोजगार ऋण (Self-Employment Loan): योजना के अनुसार खुद का व्यापार शुरू करने के लिए लिया जाने वाला ऋण।
  • स्वास्थ्य ऋण (Health Loan): चिकित्सा सेवाओं के लिए लिया जाने वाला ऋण।
  • ब्याज दर (Interest rate): उधारी की लागत या जमा पर प्रतिफल का प्रतिशत।
  • ओवरड्राफ्ट (Overdraft): खाते में जमा राशि से अधिक पैसे निकालने की सुविधा, जिस पर बैंक ब्याज लेता है
  • ऋण प्रबंधन (Loan Management): बैंक से लिए गए उधार को सही तरीके से प्रबंधित करना और समय पर किश्तों का भुगतान करना।
  • गारंटर (Guarantor): डिफॉल्ट पर ऋण दायित्व वहन करने वाला सह-उत्तरदायी।
  • ईएमआई (EMI– Equated Monthly Installment): मासिक निश्चित किस्त; मूलधन और ब्याज का मिश्रण।
  • क्रेडिट स्कोर (Credit score): उधार-क्षमता का संख्यात्मक संकेतक (CIBIL आदि) जो दर/स्वीकृति को प्रभावित करता है।

4. बैंकिंग संचालन संबंधी शब्दावली

  • केवाईसी (KYC– Know Your Customer): ग्राहक की पहचान और पते का सत्यापन करने की प्रक्रिया।
  • ई-केवाईसी/वी-केवाईसी (e-KYC/v-KYC): इलेक्ट्रॉनिक/वीडियो-आधारित ग्राहक सत्यापन।
  • डिजिटल बैंकिंग (Digital Banking): इंटरनेट और मोबाइल डिवाइस के माध्यम से किए गए बैंकिंग लेनदेन ।
  • इंटरनेट बैंकिंग (Internet Banking): ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से बैंक सेवाओं का उपयोग करना।
  • मोबाइल बैंकिंग (Mobile Banking): स्मार्टफोन एप्लिकेशन के द्वारा बैंक सेवाओं का उपयोग करना।
  • बैंक शुल्क (Bank Charges): विभिन्न बैंक सेवाओं के लिए लागू किए जाने वाले शुल्क।
  • बैंक स्टेटमेंट (Bank Statement): खाते के लेन-देन का विवरण और सारांश।
  • पैसा भेजने की सेवा (Remittance Service): एक स्थान से दूसरे स्थान पर धनराशि हस्तांतरित करने की सेवा।
  • दो-कारक प्रमाणीकरण (2FA– Two-factor authentication): PIN/OTP/बायोमेट्रिक से बहु-स्तरीय सुरक्षा।
  • फ़िशिंग/स्मिशिंग/विषिंग (Phishing/Smishing/Vishing): धोखाधड़ी वाले ईमेल/एसएमएस/कॉल से डेटा चोरी।

5. नियामक और संरचनात्मक

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI- Reserve Bank of India): केंद्रीय बैंक; मौद्रिक नीति, पर्यवेक्षण, भुगतान विनियमन।
  • नकद आरक्षित अनुपात (CRR- Cash Reserve Ratio): जमा का भाग जो RBI के पास नकद रूप में रखना होता है।
  • सांविधिक तरलता अनुपात (SLR- Statutory Liquidity Ratio): जमा का हिस्सा जो तरल/सरकारी आस्तियों में रखना होता है।
  • प्राथमिक/निजी/स्मॉल फाइनेंस/पेमेंट्स बैंक (PSB/Private/SFB/Payments bank): स्वामित्व, उद्देश्य और स्वीकृत गतिविधियों के आधार पर बैंक प्रकार।
  • एनपीसीआई (NPCI- National Payments Corporation of India): UPI/IMPS/BBPS/NACH जैसी खुदरा भुगतान अवसंरचनाओं का संचालन।
  • स्विफ्ट (SWIFT): सीमा-पार वित्तीय संदेश प्रणाली, बैंक-से-बैंक संचार मानक।
  • साख पत्र (LC- Letter of Credit): आयात-निर्यात में बैंक-आधारित भुगतान आश्वासन, दस्तावेज़ी शर्तों पर निर्भर।

क्या आपको बैंकिंग की कोई और पारिभाषिक शब्दावली पता है? कृपया कमेंट कर हमें भी बताएं।


[1] विधि की शब्दावली और विधि का अनुवाद- बृजकिशोर शर्मा, पृष्ठ- 231

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