दोस्तों यह हिंदी quiz 82 है। यहाँ पर यूजीसी नेट जेआरएफ हिंदी की परीक्षा के प्रश्नों को दिया जा रहा है। यहाँ पर 2004 से लेकर 2007 तक के ugc net हिंदी के प्रश्नपत्रों में अनुच्छेद वाले प्रश्नों का पहला भाग दिया जा रहा है। ठीक उसी तरह जैसे स्थापना और तर्क वाले प्रश्नों का आठवां भाग nta ugc net hindi quiz 81 में दिया गया था।
नोट: निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर प्रश्न संख्या 1 से 3 के उत्तर दीजिए। (दिसम्बर, 2004, II)
प्रसाद जी अपने युग की राष्ट्रीय भावनाओं को प्रतिबिंबित करते थे पर उनका इतिहास-बोध सिर्फ भावनात्मक नहीं था। भारतीय इतिहास का उनका ज्ञान बहुत गहरा था और उसके बारे में अपनी निर्मोह सत्यशोधक दृष्टि से चलते उनकी विचारणा बहुत मौलिक और स्वतंत्र थी। इस मामले में वे ‘प्रियंब्रूयात्’ के कतई कायल नहीं थें। वास्तविकता यह है कि लोकप्रिय भावनाओं का इस्तेमाल उन्होंने अपनी उस बेहद आत्मालोचनापूर्ण दृष्टि को प्रस्तुत करने के लिए ही किया। वे भारतीय जीवन ही नहीं, भारतीय आचरण के भी प्रखर द्रष्टा आलोचक थे। उनके नाटकों में हमें इतिहास का गौरव ही नहीं, उसकी कुंठा, त्रास और ऊब का भी उतना ही हिलानेवाला साक्षात्कार मिलता है। उनके नाटकों की दुनिया में जो उथल-पुथल और हाहाकार है, वह सिर्फ घटना-चक्र में ही नहीं उनके पात्रों के अंतर्जीवन में भी है। उनके नाटकों में चरित्र अक्सर चरित्र से ज्यादा मनोवैज्ञानिक वृत्तियों और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करने लगते हैं। यही वह सदाबहार, सदा प्रासंगिक जीवन है जो उनके नाट्य-लेखन की असली प्रेरणा है; न कि एक तथाकथित अतीत के तथाकथित प्रसिद्ध नायक-नायिकाएँ।
1. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सत्य है?
(A) प्रसादजी की रचनाओं में उनकी भावनाएँ व्यक्त हुई हैं
(B) उनका लेखन ऐतिहासिक भावभूमि पर आधारित नहीं है
(C) उनके इतिहास-बोध में वैचारिकता का समावेश है ✅
(D) उनका इतिहास-बोध उनकी युगीन दृष्टि का पोषक नहीं हैं
2. अनुच्छेद की शैली में:
(A) प्रभावाभिव्यंजकता है ✅
(B) विवेचन-विश्लेषण प्रमुख है
(C) अंलकरण की प्रधानता हैं
(D) वर्णनात्मकता हैं
3. अनुच्छेद का लक्ष्य हैं।
(A) प्रसाद के साहित्यिक अवदान से परिचित कराना
(B) प्रसाद की राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना से परिचित कराना ✅
(C) प्रसाद साहित्य के छायावाद की विशेषताओं का निरूपण करना
(D) प्रसाद के साहित्य की कलागत विशेषताओं का परिचय देना
निर्देश: निम्नलिखित गद्य अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उससे सम्बन्धित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 4 से 8 तक) के उत्तरों के दिए गए बहुविकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें। (जून, 2005, II)
कवि-वाणी के प्रसार से हम संसार के सुख-दुःख, आनन्द-क्लेश आदि का शुद्ध स्वार्थमुक्त रूप में अनुभव करते हैं। इस प्रकार के अनुभव के अभ्यास से हृदय का बन्धन खुलता है और मनुष्यता की उच्च भूमि की प्राप्ति होती है। किसी अर्थपिशाच कृपण को देखिए। जिसने केवल अर्थलोभ के वशीभूत होकर क्रोध, दया, श्रद्धा, भक्ति, आत्माभिमान आदि भावों को एकदम दबा दिया है और संसार के मार्मिक पक्ष से मुँह मोड़ लिया है। न सृष्टि के किसी रूपमाधुर्य को देख वह पैसों का हिसाब-किताब भूल कभी मुग्ध होता है, न किसी दीन-दुखिया को देख कभी करुणा से द्रवीभूत होता है; न कोई अपमानसूचक बात सुनकर क़ुद्ध या क्षुब्ध होता है। यदि उससे किसी लोभहर्षक अत्याचार की बात कही जाय तो वह मनुष्य धर्मानुसार क्रोध या घृणा प्रगट करने के स्थान पर रुखाई के साथ कहेगा कि “जाने दो, हमसे क्या मतलब; चलो अपना काम देखें।” यह महा भयानक मानसिक रोग है। इससे मनुष्य आधा मर जाता है।
4. कविता मनुष्य के हृदय को उदार बनाती है।
(A) यह कथन सत्य है ✅
(B) यह कथन गलत है
(C) यह कथन अंशतः सत्य है
(D) यह कथन अंशतः गलत है
5. लोभी व्यक्ति का भाव-जगत संकुचित हो जाता है।
(A) यह कथन गलत है
(B) यह कथन सत्य है ✅
(C) यह कथन अंशत: सत्य है
(D) यह कथन अंशतः गलत है
6. अत्याचार की बात सुनकर क्या करना चाहिए?
(A) उदासीन हो जाना चाहिए
(B) दूर भाग जाना चाहिए
(C) उसका सक्रिय विरोध करना चाहिए
(D) दूसरों का ध्यान उधर आकर्षित करना चाहिए ✅
7. उदासीनता किस प्रकार का रोग है?
(A) स्थायी रोग है
(B) अस्थायी रोग है
(C) शारीरिक रोग है
(D) मानसिक रोग है ✅
8. कवि वाणी से जीवन निर्वाह करना कहाँ तक सम्भव है?
(A) कुछ लोगों के लिए संभव है ✅
(B) सभी लोगों के लिए संभव है
(C) सभी लोगों के लिए कुछ दिन के लिए संभव है
(D) सभी लोगों के शानदार जीवन निर्वाह के लिए संभव है
निर्देश: निम्नलिखित गद्य अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उससे सम्बन्धित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 9 से 13 तक के उत्तरों के दिए गए बहु-विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव करें। (दिसम्बर, 2005, II)
कविता विश्व का अन्तरतम संगीत है, उसके आनंद का रोमहास है, उसमें हमारी सूक्ष्मतम दृष्टि का मर्म प्रकाश है। जिस प्रकार कविता में भावों का अन्तरस्थ हृत्स्पन्दन अधिक गंभीर, परिस्फुट तथा परिपक्व रहता है उसी प्रकार छंदबद्ध भाषा में भी राग का प्रभाव, उसकी शक्ति, अधिक जाग्रत, प्रबल तथा परिपूर्ण रहती है। राग-ध्वनि लोक की कल्पना है। जो कार्य भाव जगत में कल्पना करती, वह कार्य शब्द जगत में राग; दोनों अभिन्न हैं। यदि किसी भाषा के छंदों में, भारती के प्राणों में शक्ति तथा स्फूर्ति संचार करने वाले उसके संगीत को अपनी उन्मुक्त झंकारों के पंखों में उड़ने के लिए प्रशस्त क्षेत्र तथा विशदाकाश न मिलता हो, वह पिंजरबद्ध कीर की तरह, छंद के अस्वाभाविक बंधनों से कुण्ठित हो, उड़ने की चेष्टा में छटपटाकर गिर पड़ता हो; तो उस भाषा में छंदबद्ध काव्य का प्रयोजन ही क्या? प्रत्येक भाषा के छंद उसके उच्चारण संगीत के अनुकूल होने चाहिएँ। जिस प्रकार पतंग डोर के लघु-गुरु संकेतों की सहायता से और भी ऊँची ऊँची उड़ती जाती है, उसी प्रकार कविता का राग भी छंद के इंगितों से दृप्त तथा प्रभावित होकर अपनी ही उन्मुक्ति में अनंत की ओर अग्रसर होता जाता है। हमारे साधारण वार्तालाप में भाषा संगीत को जो यथेष्ट क्षेत्र नहीं प्राप्त होता, उसी की पूर्ति के लिए काव्य में छंदों का प्रादुर्भाव हुआ है। कविता में भावों के प्रगाढ़ संगीत के साथ भाषा का संगीत भी पूर्ण परिस्फुट होना चाहिए तभी दोनों में संतुलन रह सकता है।
9. कविता का राग छंद से दृप्त होता है।
(A) यह कथन भ्रामक है
(B) यह कथन गलत है
(C) यह कथन सही है ✅
(D) यह कथन अस्पष्ट है
10. कविता में छंदों का अस्वाभाविक बंधन।
(A) उचित है
(B) उसका निषेध करना चाहिए ✅
(C) अनुचित है
(D) उससे बचना चाहिए
11. राग और कल्पना में क्या संबंध है?
(A) परस्पर अभिन्न हैं ✅
(B) परस्पर पूरक हैं
(C) परस्पर विपरीत हैं
(D) परस्पर समानार्थी हैं
12. छंद के इंगित से कविता का राग
(A) बाधित होता है
(B) कुंठित होता है
(C) स्पष्ट होता है
(D) अनन्त की ओर अग्रसर होता है ✅
13. भाषा का संगीत किस का उपकारक है?
(A) कल्पना का
(B) भावों के संगीत का
(C) छंद का ✅
(D) सूक्ष्म दृष्टि का
निर्देश: निम्नलिखित गद्य अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उससे सम्बन्धित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 14 से 18 तक) के उत्तरों के दिए गए बहु विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव करें। (जून, 2006, II)
श्रद्धा एक सामाजिक भाव है, इससे अपनी श्रद्धा के बदले में हम श्रद्धेय से अपने लिए कोई बात नहीं चाहते। श्रद्धा धारण करते हुए हम अपने को उस समाज में समझते है जिस के किसी अंश पर- चाहे हम व्यष्टि रूप में उसके अन्तर्गत न भी हो- जान बूझ कर उसने कोई शुभ प्रभाव डाला। श्रद्धा स्वयं ऐसे कामों के प्रतिकार में होती है जिनका शुभ प्रभाव अकेले हम पर नहीं बल्कि सारे मनुष्य समाज पर पड सकता है। श्रद्धा एक ऐसी आनन्दपूर्ण कृतज्ञता है जिसे हम केवल समाज के प्रतिनिधि रूप में प्रकट करते हैं। सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध या घृणा प्रकट करने के लिए समाज ने प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिनिधत्व प्रदान कर रखा है। यह काम उसने इतना भारी समझा है कि उसका भार सारे मनुष्यों को बाँट दिया है, दो चार माननीय लोगों के ही सिर पर नहीं छोड़ रखा है। जिस समाज में सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध प्रकट करने के लिए जितने ही अधिक लोग तत्पर पाए जाएँगे, उतना ही वह समाज जाग्रत समझा जएगा। श्रद्धा की सामाजिक विशेषता एक इसी बात से समझ लीजिए कि जिस पर हम श्रद्धा रखते हैं उस पर चाहते हैं कि और लोग भी श्रद्धा रखें पर जिस पर हमारा प्रेम होता है उससे और दस पाँच आदमी प्रेम रखें इसकी हमें परवाह क्या, इच्छा ही नहीं होती, क्यों कि हम प्रिय पर लोभवश एक प्रकार का अनन्य अधिकार या इजारा चाहते है। श्रद्धालु अपने भाव में संसार को भी सम्मिलित करना चाहता है पर प्रेमी नहीं।
14. उपर्युक्त गद्य अवतरण का शीर्षक हो सकता है?
(A) श्रद्धा और परोपरकार
(B) श्रद्धा एक व्यक्तिगत भाव
(C) श्रद्धा का स्वरूप ✅
(D) श्रद्धा और स्वार्थ
15. श्रद्धा और प्रेम में क्या अंतर है?
(A) श्रद्धा सामाजिक है और प्रेम व्यक्तिगत है ✅
(B) श्रद्धा के मूल में व्यक्तिगत कारण होते हैं
(C) प्रेम में दुनियादारी का भाव होता है
(D) प्रेम और श्रद्धा का एक ही धरातल होता है
16. श्रद्धा एक आनन्दपूर्ण कृतज्ञता है क्योंकि
(A) इससे हमारा स्वार्थ सिद्ध होता हैं
(B) इससे श्रद्धेय की भलाई होती हैं
(C) हम व्यक्तिगत रूप से श्रद्धा प्रकट करते हैं
(D) हम समाज के प्रतिनिधि के रूप में इसे प्रकट करते हैं ✅
17. उपर्युक्त गद्यांश का निष्कर्ष है:
(A) श्रद्धा एक वैयक्तिक भाव है
(B) श्रद्धा एक सामाजिक भाव है ✅
(C) श्रद्धा से श्रद्धाकर्ता का महत्व बढ़ता है
(D) श्रद्धा भाव केवल श्रद्धालु तक सीमित है
18. जाग्रत साज का क्या लक्षण है?
(A) केवल सदाचार पर श्रद्धा करना
(B) केवल अत्याचार पर श्रद्धा करना
(C) सदाचार और अत्याचार पर उदसीन रहना
(D) सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध करना ✅
निर्देश: निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उससे संबंधित प्रश्नों (प्रश्न सं 19 से 23) के उत्तरों के दिए गए बहुविकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें। (दिसम्बर, 2006, II)
शासन की पहुँच प्रवृत्ति और निवृत्ति की बाहरी व्यवस्था तक ही होती है। उनके मूल या मर्म तक उनकी गति नहीं होती। भीतरी या सच्ची प्रवृत्ति-निवृत्ति को जागरित रखने वाली शक्ति कविता है जो धर्म क्षेत्र में शक्ति भावना को जगाती रहती है। भक्ति धर्म की रसात्मक अनुभूति है। अपने मंगल और लोक के मंगल का संगम उसी के भीतर दिखाई पड़ता है। इस संगम के लिए प्रकृति के क्षेत्र के बीच मनुष्य को अपने हृदय के प्रसार का अभ्यास करना चाहिए। जिस प्रकार ज्ञान नरसत्ता के प्रसार के लिए है उसी प्रकार हृदय भी। रागात्मिका वृत्ति के प्रसार के बिना विश्व के साथ जीवन का प्रकृत सामंजस्य घटित नहीं हो सकता। जब मनुष्य के सुख और आनन्द का मेल शेष प्रकृति के सुख-सौन्दर्य के साथ हो जाएगा। जब उसकी रक्षा का भाव तृणगुल्म, वृक्ष लता, पशु-पक्षी, कीट-पतंग सब की रक्षा के भाव के साथ समन्वित हो जाएगा, तब उसके अवतार का उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा और वह जगत का सच्चा प्रतिनिधि हो जाएगा। काव्य योग की साधना इसी भूमि पर पहुंचाने के लिए है।
19. भक्ति किसे कहते हैं?
(A) प्रेम की आनन्दात्मक अनुभूति को
(B) भगवान के प्रति प्रेमानुभूति को
(C) लोक को आनन्दात्मक अनुभूति को
(D) धर्म की रसात्मक अनुभूति को ✅
20. अपने मंगल और लोक के मंगल के संगम के लिए मनुष्य को अपने हृदय के प्रसार का अभ्यास कहाँ करना चाहिए?
(A) सांसारिक जीवन में
(B) प्रकृति के क्षेत्र में ✅
(C) लोक जीवन में
(D) राजनीतिक जीवन में
21. शासन की पहुंच कहाँ तक होती है?
(A) प्रवृत्ति-निवृत्ति की बाहरी व्यवस्था तक ✅
(B) शासन की पहुंच हर क्षेत्र में होती है
(C) प्रवृत्ति-निवृत्ति के मर्म तक
(D) प्रवृत्ति-निवृत्ति की संपूर्ण व्यवस्था तक
22. किस वृत्ति के प्रसार से संसार के साथ जीवन का प्रकृत सामंजस्य घटित होता है?
(A) आनंदवृत्ति के प्रसार से
(B) धर्म वृत्ति के प्रसार से
(C) रागात्मिका वृत्ति के प्रसार से ✅
(D) कर्म वृत्ति के प्रसार से
23. धर्म के क्षेत्र में शक्ति भावना किससे जागती है?
(A) भक्ति भावना से
(B) धर्म भावना से
(C) सामाजिक भावना से
(D) कविता शक्ति से ✅
निर्देश: निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उससे संबंधित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 24 से 28 तक) के उत्तरों के दिए गए बहुविकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें। (जून, 2007, II)
शील हृदय की वह स्थायी स्थिति है जो सदाचार की प्रेरणा आप से आप करती है। सदाचार ज्ञान द्वारा प्रवर्तित हुआ है या भक्ति द्वारा, इसका पता यों लग सकता है कि ज्ञान द्वारा प्रवर्तित जो सदाचार होगा, उसका साधन बड़े कष्ट से- हृदय को पत्थर के नीचे दबाकर- किया जायेगा; पर भक्त द्वारा प्रवर्तित जो सदाचार होगा, उसका अनुष्ठान बड़े आनन्द से, बड़ी उमंग के साथ, हृदय से होता हुआ दिखाई देगा। उसमें मन को मारना न होगा, उसे और सजीव करना होगा। कर्तव्य और शील का वही आचरण सच्चा है जो आनन्दपूर्वक हर्षपुलक के साथ हो।
24. सदाचार किन से प्रवर्तित होता है?
(A) प्रेम और भक्त द्वारा
(B) भक्ति और धर्म द्वारा
(C) धार्मिक भावना द्वारा
(D) ज्ञान और भक्ति द्वारा ✅
25. भक्त द्वारा प्रवर्तित सदाचार का अनुष्ठान कैसे होता है?
(A) आनन्द से और हृदय से ✅
(B) कष्ट से किन्तु हृदय से
(C) ज्ञान और हृदय से
(D) भक्ति और ज्ञान से
26. ज्ञान द्वारा प्रवर्तित सदाचार का पता कैसे लगता है?
(A) हृदय को साथ लेकर
(B) कष्टपूर्वक हृदय को दबाकर ✅
(C) प्रेमपूर्वक हृदय को दबाकर
(D) बुद्धि के प्रयोग द्वारा
27. कर्तव्य और शील का कौन-सा आचरण सच्चा है?
(A) जो ज्ञान और बुद्धि से युक्त हो
(B) जो हृदय और बुद्धि से युक्त हो
(C) जो आनन्द और हर्ष से युक्त हो ✅
(D) जो कर्तव्य ज्ञान से युक्त हो
28. हृदय की वह कौन-सी स्थायी दशा है जो सदाचार को प्रेरित करती है?
(A) प्रेम दशा
(B) शील दशा ✅
(C) ज्ञान दशा
(D) भक्ति दशा
निर्देश: निम्नलिखित गद्य अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उससे संबंधित प्रश्नों (प्रश्न संख्या 29 से 33 तक) के उत्तरों के लिए दिये गये बहु विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव करें। (दिसम्बर, 2007, II)
आरंभ में मानवतावाद मानवता को शोषण और बंधन से मुक्त करने के महान और उदार आदर्शों से चालित हुआ था। तत्वचिंतकों और साहित्य मनीषियों के मन में इस आदर्श का रूप बहुत ही उदार था, पर व्यवहार में मनुष्य की उदारता केवल एक ही राष्ट्र के मनुष्यों की मुक्ति तक सीमित होकर रह गई। धीरे-धीरे राष्ट्रीयता नामक देवी का जन्म हुआ। यह एक हद तक प्रगतिशील विचारों की ही उपज थी। हमारे देश में भी नये जीवन-साहित्य के स्पर्श से नवीन जीवन-आदर्श जाग पड़े। मानवतावाद भी आया, दलितों, अधःपतितों और उपेक्षितों के प्रति सहानुभूति का भाव भी आया; और साथ-ही-साथ राष्ट्रीयता भी आई। पश्चिमी देशों में राष्ट्रीय भावना के बहुल प्रचार ने एक राष्ट्र के भीतर सुविधाभोगी और सुविधा के जुटाने वाले दो वर्गों के व्यवधान को बढ़ाने में सहायता पहुँचाई। जिन लोगों के पास संपत्ति है और जिनके पास संपत्ति नहीं है, उनका अंतर भयंकर होता गया। एक तरफ तो विषमता बढ़ती गयी और दूसरी तरफ राष्ट्रीयता की देवी युवावस्था की दहेली पर पहुँच कर ऐसी ईर्ष्यालु रमणी साबित हुई, जो सारे परिवार को ही ले डूबती है। इन विकृत विचारों ने ठाँय-ठाँय दो महायुद्धों को भू-पृष्ठ पर उतार दिया। इस प्रकार मनुष्यता की महिमा भी विकृत रूप में भयंकर हो उठी।
29. मानवता के उदय का प्रेरणा स्रोत क्या था?
(A) मानवता को शोषण और बन्धन से मुक्त करना ✅
(B) मानव के लिए सुख-सुविधाएँ जुटाना
(C) मानवता को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करना
(D) मनुष्य के मन में राष्ट्रीय भावना जगाना
30. राष्ट्रीयता का जन्म कैसे हुआ?
(A) जब आधुनिक युग में देश राष्ट्र का रूप लेने लगे
(B) जब मानवता के स्थान पर राष्ट्रीयता का महत्व बढ़ गया
(C) जब उदार मानवतावाद एक राष्ट्र की परिधि में सीमित हो गया ✅
(D) जब लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना प्रबल हो गयी
31. संकुचित राष्ट्रीय भावना का दुष्परिणाम क्या निकला?
(A) आंतरिक कलह के कारण कई राष्ट्रों का बँटवारा होता गया
(B) राष्ट्रीयता ने मानवता की भावना को कुचल दिया
(D) राष्ट्रों में, परस्पर श्रेष्ठता को होड़ लग गयी ✅
(C) मानवता, धनी और निर्धन-दो वर्गों में बँट गयी
32. मनुष्यता की महिमा किन कारणों से विकृत हो उठी?
(A) संकुचित राष्ट्रीय भावना और परिणामतः महायुद्ध ✅
(B) राष्ट्रों की अतिशय महत्वाकांक्षाएँ
(C) मानव मूल्यों का हास और राष्ट्रों का विघटन
(D) मनुष्य के शोषण के प्रति बढ़ता हुआ रुझान
33. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(A) मानवतावादी राष्ट्रीय भावना
(B) राष्ट्रीय भावना के विविध रूप
(C) मानवता से राष्ट्रीयता की ओर ✅
(D) राष्ट्रीयता से मानवतावाद की ओर