दोस्तों यह हिंदी quiz 23 है। जो 2004 से लेकर 2019 तक के ugc net jrf हिंदी के प्रश्नपत्रों पर आधारित है। कवि और कविता से संबंधित सुमेलन पर आधारित पूछे गए प्रश्नों को इस quiz के माध्यम से दिया जा रहा है। ठीक उसी तरह जैसे आधुनिक काल के कवि एवं उनकी रचनाओं से सुमेलन आधारित दूसरा भाग hindi quiz 22 में दिया गया था।
1. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके रचयिताओं से सुमेलित कीजिए:
(a) नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुड़िया छाइ – (i) लूहिपा(b) काआ तरुवर पंच बिड़ाल – (ii) कण्हपा
(c) कड़वा बोल न बोलिस नारि – (iii) खुसरो
(d) मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल – (iv) नरपति नाल्ह
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iii), (iv)
(iv), (iii), (ii), (i)
(ii), (i), (iv), (iii)
सुमेलित-
नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुड़िया छाइ- कण्हपा,
काआ तरुवर पंच बिड़ाल- लूहिपा,
कड़वा बोल न बोलिस नारि- नरपति नाल्ह,
मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल- खुसरो
नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुड़िया छाइ- कण्हपा,
काआ तरुवर पंच बिड़ाल- लूहिपा,
कड़वा बोल न बोलिस नारि- नरपति नाल्ह,
मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल- खुसरो
(iii), (ii), (i), (iv)
2. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) पंडिअ सअल सत्त बक्खाणई।देहहि बुद्ध बसंत ण जाणअ॥ – (i) रैदास
(b) बाहर बरिस लै कूकर जीएँ
औ तेरह लै जिएं सिया – (ii) सरहपा
(c) बडः कौसल तुअ राधे किनल
कन्हाई लोचन आधे॥ – (iii) जगनिक
(d) जाति औछा पाती ओछा ओछा जनमु हमारा – (iv) विद्यापति
कोड:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iii), (iv), (i)
सुमेलित-
पंडिअ सअल सत्त बक्खाणई- सरहपा,
बाहर बरिस लै कूकर जीएँ- जगनिक,
बडः कौसल तुअ राधे किनल- विद्यापति,
जाति औछा पाती ओछा ओछा जनमु हमारा- रैदास
पंडिअ सअल सत्त बक्खाणई- सरहपा,
बाहर बरिस लै कूकर जीएँ- जगनिक,
बडः कौसल तुअ राधे किनल- विद्यापति,
जाति औछा पाती ओछा ओछा जनमु हमारा- रैदास
(i), (ii), (v), (iii)
(iii), (i), (v), (ii)
(i), (v), (iii), (iv)
3. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों और कवियों को सुमेलित कीजिए।
(a) नैया बिच नदिया डूबति जाय – (i) रहीम(b) अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम – (ii) कबीर
(c) गुरू सुआ जेहइ पंथ देखावा – (iii) मलूकदास
(d) तबलग ही जीबो भलो देबौ होय न धीम – (iv) जायसी
कोड:(a), (b), (c), (d)
(iv), (i), (ii), (iii)
(ii), (iii), (iv), (i)
सुमेलित-
नैया बिच नदिया डूबति जाय- कबीर,
अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम- मलूकदास,
गुरू सुआ जेहइ पंथ देखावा- जायसी,
तबलग ही जीबो भलो देबौ होय न धीम- रहीम
नैया बिच नदिया डूबति जाय- कबीर,
अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम- मलूकदास,
गुरू सुआ जेहइ पंथ देखावा- जायसी,
तबलग ही जीबो भलो देबौ होय न धीम- रहीम
(ii), (iii), (iv), (i)
(ii), (i), (iii), (iv)
4. सुमेलित कीजिए:
(a) बसो मोरे नैनन में नंदलाल – (i) मीराबाई(b) प्रभुजी मोरे अवगुन चित्त न धरो – (ii) कबीर
(c) अब लौ नसानी अब न नसे हों – (iii) सूरदास
(d) अव्वल अल्लह नूर उपाया कुदरत के सब बन्दे – (iv) तुलसीदास
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (iii), (iv), (ii)
सुमेलित-
बसो मोरे नैनन में नंदलाल- मीराबाई,
प्रभुजी मोरे अवगुन चित्त न धरो- सूरदास,
अब लौ नसानी अब न नसे हों- तुलसीदास,
अव्वल अल्लह नूर उपाया कुदरत के सब बन्दे- कबीर
बसो मोरे नैनन में नंदलाल- मीराबाई,
प्रभुजी मोरे अवगुन चित्त न धरो- सूरदास,
अब लौ नसानी अब न नसे हों- तुलसीदास,
अव्वल अल्लह नूर उपाया कुदरत के सब बन्दे- कबीर
(iv), (ii), (iii), (i)
(iii), (iv), (ii), (i)
(ii), (iii), (iv), (i)
5. इनमें से कौन सा उद्धरण रचना और रचनाकार के संबंध से संगत हैं?
(a) संत हृदय नवनीत समाना – (i) रसलीन(b) काहे री नलिनी तू कुम्हिलानी – (ii) बिहारी
(c) अमिय हलाहल मद भरे – (iii) तुलसीदास
(d) मेरी भवबाधा हरो – (iv) कबीर
कोड:(a), (b), (c), (d)
(iii), (iv), (i), (ii)
सुमेलित-
संत हृदय नवनीत समाना- तुलसीदास,
काहे री नलिनी तू कुम्हिलानी- कबीर,
अमिय हलाहल मद भरे- रसलीन,
मेरी भवबाधा हरो- बिहारी
संत हृदय नवनीत समाना- तुलसीदास,
काहे री नलिनी तू कुम्हिलानी- कबीर,
अमिय हलाहल मद भरे- रसलीन,
मेरी भवबाधा हरो- बिहारी
(iv), (ii), (i), (iii)
(i), (iii), (ii), (iv)
(i), (iv), (ii), (iii)
6. निम्नलिखित पंक्तियों के साथ उनके कवियों के नाम सुमेलित कीजिए:
(a) जात पांत पूछे नहिं कोई – (i) तुलसीदास(b) गिरा अनयन नयन बिनु बानी – (ii) सूरदास
(c) प्रेम प्रेम ते होय प्रेम ते पारहिं पइए – (iii) जायसी
(d) मानुष प्रेम भयो बैकुंठी – (iv) रामानंद
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iii), (iv)
(ii), (iv), (i), (iii)
(iv), (i), (ii), (iii)
सुमेलित-
जात पांत पूछे नहिं कोई- रामानंद,
गिरा अनयन नयन बिनु बानी- तुलसीदास,
प्रेम प्रेम ते होय प्रेम ते पारहिं पइए- सूरदास,
मानुष प्रेम भयो बैकुंठी- जायसी
जात पांत पूछे नहिं कोई- रामानंद,
गिरा अनयन नयन बिनु बानी- तुलसीदास,
प्रेम प्रेम ते होय प्रेम ते पारहिं पइए- सूरदास,
मानुष प्रेम भयो बैकुंठी- जायसी
(i), (iii), (ii), (iv)
7. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके रचनाकारों से सुमेलित कीजिए:
(a) ओनई घटा, परी जग छाहाँ – (i) सूरदास(b) आवत जात पनहियाँ टूटी – (ii) कुंभनदास
(c) अति मलीन वृषभानु कुमारी – (iii) तुलसीदास
(d) कोरति भनिति भूतिभल सोई – (iv) जायसी
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (iii), (iv), (ii)
(i), (ii), (iii), (iv)
(ii), (i), (iv), (iii)
(iv), (ii), (i), (iii)
सुमेलित-
ओनई घटा, परी जग छाहाँ- जायसी,
आवत जात पनहियाँ टूटी- कुंभनदास,
अति मलीन वृषभानु कुमारी- सूरदास,
कोरति भनिति भूतिभल सोई- तुलसीदास
ओनई घटा, परी जग छाहाँ- जायसी,
आवत जात पनहियाँ टूटी- कुंभनदास,
अति मलीन वृषभानु कुमारी- सूरदास,
कोरति भनिति भूतिभल सोई- तुलसीदास
8. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों और कवियों को सुमेलित कीजिए:
(a) अति सूधौ सनेह कौ मारग है – (i) तुलसीदास(b) अब लौं नसानी अब न नसैहों – (ii) सूरदास
(c) सटपटाति-सी ससि मुखी मुख घूँघट पर ढाँकि – (iii) बिहारी
(d) ऊधौ मन न भए दस-बीस – (iv) घनानंद
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iii), (iv)
(iv), (i), (iii), (ii)
सुमेलित-
अति सूधौ सनेह कौ मारग है- घनानंद,
अब लौं नसानी अब न नसैहों- तुलसीदास,
सटपटाति-सी ससि मुखी मुख घूँघट पर ढाँकि- बिहारी,
ऊधौ मन न भए दस-बीस- सूरदास
अति सूधौ सनेह कौ मारग है- घनानंद,
अब लौं नसानी अब न नसैहों- तुलसीदास,
सटपटाति-सी ससि मुखी मुख घूँघट पर ढाँकि- बिहारी,
ऊधौ मन न भए दस-बीस- सूरदास
(iv), (iii), (i), (ii)
(i), (iv), (ii), (iii)
9. पंक्तियों के साथ कवियों का सुमेलन कीजिए:
(a) सेस महेस गनेस दिनेस – (i) सूरदास(b) मन लेत पै देत छटाँक नहीं – (ii) तुलसीदास
(c) जैसे उंड़ि जहाज को पंछी – (iii) घनानंद
(d) गिरा अनयन नयन बिनु बानी – (iv) रसखान
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iv), (iii)
(iv), (iii), (i), (ii)
सुमेलित-
सेस महेस गनेस दिनेस- रसखान,
मन लेत पै देत छटाँक नहीं- घनानंद,
जैसे उंड़ि जहाज को पंछी- सूरदास,
गिरा अनयन नयन बिनु बानी- तुलसीदास
सेस महेस गनेस दिनेस- रसखान,
मन लेत पै देत छटाँक नहीं- घनानंद,
जैसे उंड़ि जहाज को पंछी- सूरदास,
गिरा अनयन नयन बिनु बानी- तुलसीदास
(iv), (iii), (ii), (i)
(iii), (iv), (i), (ii)
10. निम्नलिखित पंक्तियों के साथ उनके कवियों का नाम सुमेलित कीजिए:
(a) साई के सब जीव हैंकीरी कुंजर दोय – (i) विद्यापति
(b) देसिल बयना सबजन मिट्ठा – (ii) कबीर
(c) भूषन बिनु न बिराजई,
कविता बनिता मित्त – (iii) पद्माकर
(d) नैन नचाय कही मुसकाय,
लला फिर आइयो खेलन होरी – (iv) केशव
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (iv), (iii), (ii)
(i), (ii), (iii), (iv)
(i), (ii), (v), (iv)
(ii), (i), (iv), (iii)
सुमेलित-
साई के सब जीव हैं- कबीर,
देसिल बयना सबजन मिट्ठा- विद्यापति,
भूषन बिनु न बिराजई- केशव,
नैन नचाय कही मुसकाय- पद्माकर
साई के सब जीव हैं- कबीर,
देसिल बयना सबजन मिट्ठा- विद्यापति,
भूषन बिनु न बिराजई- केशव,
नैन नचाय कही मुसकाय- पद्माकर
11. निम्नलिखित उक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग – (i) घनानंद(b) अनबूड़े बूड़े तिरे, जे बूडे सब अंग – (ii) मीराबाई
(c) अति सूधो सनेह को मारग है – (iii) तुलसी
(d) बसो मेरे नैनन में नंद लाल – (iv) बिहारी
कोड:(a), (b), (c), (d)
(iv), (iii), (i), (ii)
(iii), (iv), (i), (ii)
सुमेलित-
गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग- तुलसी,
अनबूड़े बूड़े तिरे, जे बूडे सब अंग- बिहारी,
अति सूधो सनेह को मारग है- घनानंद,
बसो मेरे नैनन में नंद लाल- मीराबाई
गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग- तुलसी,
अनबूड़े बूड़े तिरे, जे बूडे सब अंग- बिहारी,
अति सूधो सनेह को मारग है- घनानंद,
बसो मेरे नैनन में नंद लाल- मीराबाई
(ii), (iv), (iii), (i)
(i), (iv), (ii), (iii)
12. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) केशव कहि न जाइ का कहिए – (i) सूर(b) अविगत गति कछु कहत न आवै – (ii) कबीर
(c) राम भगति अनियारे तीर – (iii) जायसी
(d) जोरी लाइ रकत कै लेई – (iv) तुलसी
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iii), (iv)
(iv), (i), (iii), (ii)
(iv), (i), (ii), (iii)
सुमेलित-
केशव कहि न जाइ का कहिए- तुलसी,
अविगत गति कछु कहत न आवै- सूरदास,
राम भगति अनियारे तीर- कबीर,
जोरी लाइ रकत कै लेई- जायसी
केशव कहि न जाइ का कहिए- तुलसी,
अविगत गति कछु कहत न आवै- सूरदास,
राम भगति अनियारे तीर- कबीर,
जोरी लाइ रकत कै लेई- जायसी
(ii), (iii), (i), (iv)
13. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को उनके कवियों से सुमेलित कीजिए:
(a) जाके कुटुंब सब ढोर ढोवंतफिरहिं अजहूं बानारसी आसपासा – (i) जायसी
(b) जेई मुख देखा तेइ हँसा
सुना ते आयउ आँसु – (ii) सूरदास
(c) हरि हैं राजनीति पढ़ि आए समुझी बात
कहत मधुकर जो समाचार कछु पाए। – (iii) रैदास
(d) संतन को कहा सीकरी सो काम – (iv) कुंभनदास
कोड:(a), (b), (c), (d)
(iv), (iii), (i), (ii)
(ii), (iii), (iv), (i)
(iii), (i), (ii), (iv)
सुमेलित-
जाके कुटुंब सब ढोर ढोवंत- रैदास,
जेई मुख देखा तेइ हँसा- जायसी,
हरि हैं राजनीति पढ़ि आए समुझी बात- सूरदास,
संतन को कहा सीकरी सो काम- कुंभनदास
जाके कुटुंब सब ढोर ढोवंत- रैदास,
जेई मुख देखा तेइ हँसा- जायसी,
हरि हैं राजनीति पढ़ि आए समुझी बात- सूरदास,
संतन को कहा सीकरी सो काम- कुंभनदास
(i), (ii), (iv), (iii)
14. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) हौ सब कबिन्ह केर पछिलगा – (i) सूरदास(b) कबित्त बिवेक एक नहिं मोरे – (ii) जायसी
(c) प्रभुजी, हौं पतितन कौ टीको – (iii) मलूकदास
(d) अब तो अजपा जपु मन मेरे – (iv) तुलसीदास
कोड:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iv), (i), (iii)
सुमेलित-
हौ सब कबिन्ह केर पछिलगा- जायसी,
कबित्त बिवेक एक नहिं मोरे- तुलसीदास,
प्रभुजी, हौं पतितन कौ टीको- सूरदास,
अब तो अजपा जपु मन मेरे- मलूकदास
हौ सब कबिन्ह केर पछिलगा- जायसी,
कबित्त बिवेक एक नहिं मोरे- तुलसीदास,
प्रभुजी, हौं पतितन कौ टीको- सूरदास,
अब तो अजपा जपु मन मेरे- मलूकदास
(iv), (i), (ii), (iii)
(iii), (ii), (iv), (i)
(i), (iv), (iii), (ii)
15. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) जेहि पंखी के नियर होइ, करै बिरह कै बात।सोई पंखी जाइ जरि, तरिवर होइ निपात॥ – (i) तुलसीदास
(b) हमको सपनेहू में सोच।
जा दिन तें बिछुरे नंदनंदन ता दिन ते यह पोच। – (ii) रहीम
(c) अब जीवन की है कपि आस न कोय।
कनगुरिया की मुदरी कंगना होय॥ – (iii) सूरदास
(d) जिभिया ऐसी बावरी कहि गई सरग-पताल।
आपुहिं कहि भीतर रही, जूती खात कपाल॥ – (iv) जायसी
कोड:(a), (b), (c), (d)
(iv), (iii), (i), (ii)
सुमेलित-
जेहि पंखी के नियर होइ, करै बिरह कै बात- जायसी,
हमको सपनेहू में सोच- सूरदास,
अब जीवन की है कपि आस न कोय- तुलसीदास,
जिभिया ऐसी बावरी कहि गई सरग-पताल- रहीम
जेहि पंखी के नियर होइ, करै बिरह कै बात- जायसी,
हमको सपनेहू में सोच- सूरदास,
अब जीवन की है कपि आस न कोय- तुलसीदास,
जिभिया ऐसी बावरी कहि गई सरग-पताल- रहीम
(iii), (iv), (ii), (i)
(iii), (i), (iv), (ii)
(ii), (i), (iii), (iv)
16. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके रचयिताओं के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) जाके मुँह माथा नहीं रूप-कुरूप – (i) मलिक मुहम्मद जायसी(b) औ मन जानि कबित/ अस कीन्हा मकु यह/ रहै जगत महँ चीन्हा – (ii) सूरदास
(c) हरि हैं राजनीति पढ़ि आए – (iii) कबीर
(d) नमामीशमीशान निर्वाण रूपं।/ विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं। – (iv) तुलसीदास
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iii), (iv)
(ii), (iii), (iv), (i)
(iv), (iii), (ii), (i)
(iii), (i), (ii), (iv)
सुमेलित-
जाके मुँह माथा नहीं रूप-कुरूप- कबीर,
औ मन जानि कबित- जायसी,
हरि हैं राजनीति पढ़ि आए- सूरदास,
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं।- तुलसीदास
जाके मुँह माथा नहीं रूप-कुरूप- कबीर,
औ मन जानि कबित- जायसी,
हरि हैं राजनीति पढ़ि आए- सूरदास,
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं।- तुलसीदास
17. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके छंदों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) जब मैं था तब हरि नहीं,अब हरि हैं मैं नाहिं। – (i) सवैया
(b) राम को रूप निहारत जानकी,
कंकन के नग की परिछाहीं। – (ii) कवित्त
(c) जानत है वह सिरजन हारा
जो कछु है मन मरम हमारा। – (iii) चौपाई (अर्द्वाली)
(d) अधर लगे हैं आनि करिकै प्रयान-प्रान
चाहत चलन ये सँदेसो लै सुजान को। – (iv) दोहा
कोड:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iv), (i), (iii)
(iv), (iii), (ii), (i)
(iv), (ii), (iii), (i)
(iv), (i), (iii), (ii)
सुमेलित-
जब मैं था तब हरि नहीं- दोहा,
राम को रूप निहारत जानकी- सवैया,
जानत है वह सिरजन हारा- चौपाई (अर्द्वाली),
अधर लगे हैं आनि करिकै प्रयान-प्रान- कवित्त
जब मैं था तब हरि नहीं- दोहा,
राम को रूप निहारत जानकी- सवैया,
जानत है वह सिरजन हारा- चौपाई (अर्द्वाली),
अधर लगे हैं आनि करिकै प्रयान-प्रान- कवित्त
18. निम्नलिखित पंक्तियों और कवियों का सुमेलन कीजिए।
(a) कनक कदलि पर सिंह समारल ता पर मेरु समाने – (i) घनानंद(b) नैन नचाय कही मुसकाय, लला फिर आइयो खेलन होरी – (ii) रसखान
(c) अति सूधो सनेह को मारग है – (iii) विद्यापति
(d) मोर पखा सिर ऊपर राखि हों, गुंज की माल गले पहिरौगी – (iv) पदमाकर
कोड:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iii), (i), (iv)
(iii), (iv), (i), (ii)
सुमेलित-
कनक कदलि पर सिंह समारल- विद्यापति,
नैन नचाय कही मुसकाय- पदमाकर,
अति सूधो सनेह को मारग है- घनानंद,
मोर पखा सिर ऊपर राखि हों- पदमाकर
कनक कदलि पर सिंह समारल- विद्यापति,
नैन नचाय कही मुसकाय- पदमाकर,
अति सूधो सनेह को मारग है- घनानंद,
मोर पखा सिर ऊपर राखि हों- पदमाकर
(iv), (ii), (i), (iii)
(iv), (iii), (ii), (i)
19. इन काव्य पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) अति सूधो सनेह को मारग है – (i) पद्माकर(b) साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि – (ii) भिखारी दास
(c) गुलगुली गिल में गलीचा है गुनीजन हैं – (iii) भूषण
(d) आगे के कवि रीझिहै तो कविताई न तो
सधिका कन्हाई सुमिरन कौं बहानौ है – (iv) घनानंद
कोड:(a), (b), (c), (d)
(iv), (i), (iii), (ii)
(ii), (iii), (iv), (i)
(ii), (iv), (i), (iii)
(iv), (iii), (i), (ii)
सुमेलित-
अति सूधो सनेह को मारग है- घनानंद,
साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि- भूषण,
गुलगुली गिल में गलीचा है गुनीजन हैं- पद्माकर,
आगे के कवि रीझिहै तो कविताई न तो- भिखारी दास
अति सूधो सनेह को मारग है- घनानंद,
साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि- भूषण,
गुलगुली गिल में गलीचा है गुनीजन हैं- पद्माकर,
आगे के कवि रीझिहै तो कविताई न तो- भिखारी दास
20. निम्नलिखित पंक्तियों के साथ कवियों का सुमेलन कीजिए:
(a) ज्यों ज्यों निहारिये नेरे ह्वौ नैननि – (i) पद्माकर(b) ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहनवारी – (ii) घनानंद
(c) नैन नचाइ कह्वौ मुसकाइ – (iii) मतिराम
(d) रावरे रूप की रीति अनूप – (iv) भूषण
कोड:(a), (b), (c), (d)
(iii), (iv), (i), (ii)
सुमेलित-
ज्यों ज्यों निहारिये नेरे ह्वौ नैननि- मतिराम,
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहनवारी- भूषण,
नैन नचाइ कह्वौ मुसकाइ- पद्माकर,
रावरे रूप की रीति अनूप- घनानंद
ज्यों ज्यों निहारिये नेरे ह्वौ नैननि- मतिराम,
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहनवारी- भूषण,
नैन नचाइ कह्वौ मुसकाइ- पद्माकर,
रावरे रूप की रीति अनूप- घनानंद
(ii), (iii), (iv), (i)
(iv), (ii), (i), (iii)
(i), (ii), (iii), (iv)
21. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) कौन परी यह बानि, अरी।नित नीर भरी गगरी ढरकावै॥ – (i) द्विजदेव
(b) यह प्रेम को पंथ कराल महा।
तरवारि की धार पै धावनौ है। – (ii) प्रताप साहि
(c) चोजिन के चोजी, मौजिन के महाराज
हम कविराज हैं, पैचाकर चतुर के – (iii) बोधा
(d) चांदनी के भारन दिखात उनयो सो चंद,
गंध ही के भारन बहत मंद मंद पौन॥ – (iv) ठाकुर
कोड:(a), (b), (c), (d)
(ii), (iii), (iv), (i)
सुमेलित-
कौन परी यह बानि, अरी।- प्रताप साहि,
यह प्रेम को पंथ कराल महा- बोधा,
चोजिन के चोजी, मौजिन के महाराज- ठाकुर,
चांदनी के भारन दिखात उनयो सो चंद- द्विजदेव
कौन परी यह बानि, अरी।- प्रताप साहि,
यह प्रेम को पंथ कराल महा- बोधा,
चोजिन के चोजी, मौजिन के महाराज- ठाकुर,
चांदनी के भारन दिखात उनयो सो चंद- द्विजदेव
(i), (iv), (iii), (ii)
(iii), (iv), (ii), (i)
(iv), (ii), (i), (iii)
22. निम्नलिखित काव्यपंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) कौन परी यह बानि अरी नितनीरभरी गगरी ढरकावै। – (i) देव
(b) गुलगुली गिल मैं गलीचा हैं
गुनी जन हैं चाँदनी है चिक हैं
चिरागन की माला हैं। – (ii) पद्माकर
(c) सेवर सिपाही हम उन रजपूतन
के दान जूद्ध जुरिबे में नेकु जे न मुरके। – (iii) ठाकुर
(d) अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लक्षणा लीन।
अधम व्यंजना रस विरस, उलटी कहत नवीन। – (iv) प्रताप साहि
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iii), (iv)
(iv), (ii), (iii), (i)
सुमेलित-
कौन परी यह बानि अरी नित- प्रताप साहि,
गुलगुली गिल मैं गलीचा हैं- पद्माकर,
सेवर सिपाही हम उन रजपूतन- ठाकुर,
अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लक्षणा लीन- देव
कौन परी यह बानि अरी नित- प्रताप साहि,
गुलगुली गिल मैं गलीचा हैं- पद्माकर,
सेवर सिपाही हम उन रजपूतन- ठाकुर,
अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लक्षणा लीन- देव
(ii), (i), (iv), (iii)
(iii), (iv), (i), (ii)
23. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) पराधीन रहकर अपना सुख शोक न कह सकता है।वह अपमान जगत में केवल पशु ही सह सकता है। – (i) मैथिलीशरण गुप्त
(b) धरती हिल कर नींद भगा दे।
वज्रनाद से व्योम जगा दे।
दैव, और कुछ लाग लगा दे। – (ii) जगन्नाथदास रत्नाकार
(c) दिवस का अवसान समीप था
गगन था कुछ लोहित हो चला। – (iii) अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
(d) भेजे मनभावन के ऊधव के आवन की,
सुधि ब्रज-गाँवनि मैं पावन जबै लगीं। – (iv) रामनरेश त्रिपाठी
कोड:(a), (b), (c), (d)
(iv), (i), (iii), (ii)
सुमेलित-
पराधीन रहकर अपना सुख शोक न कह सकता है- रामनरेश त्रिपाठी,
धरती हिल कर नींद भगा दे- मैथिलीशरण गुप्त,
दिवस का अवसान समीप था- हरिऔध,
भेजे मनभावन के ऊधव के आवन की- जगन्नाथदास रत्नाकार
पराधीन रहकर अपना सुख शोक न कह सकता है- रामनरेश त्रिपाठी,
धरती हिल कर नींद भगा दे- मैथिलीशरण गुप्त,
दिवस का अवसान समीप था- हरिऔध,
भेजे मनभावन के ऊधव के आवन की- जगन्नाथदास रत्नाकार
(i), (iii), (ii), (iv)
(iv), (i), (iii), (ii)
(ii), (i), (iv), (iii)
24. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) दोनों ओर प्रेम पलता है – (i) महादेवी(b) धिक् जीवन जो पाता ही आया विरोध – (ii) तुलसीदास
(c) परहित सरिस धर्म नहीं भाई – (iii) निराला
(d) बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ – (iv) मैथिलीशरण गुप्त
कोड:(a), (b), (c), (d)
(ii), (i), (iii), (iv)
(iii), (ii), (i), (iv)
(iv), (iii), (ii), (i)
सुमेलित-
दोनों ओर प्रेम पलता है- मैथिलीशरण गुप्त,
धिक् जीवन जो पाता ही आया विरोध- निराला,
परहित सरिस धर्म नहीं भाई- तुलसीदास,
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ- महादेवी
दोनों ओर प्रेम पलता है- मैथिलीशरण गुप्त,
धिक् जीवन जो पाता ही आया विरोध- निराला,
परहित सरिस धर्म नहीं भाई- तुलसीदास,
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ- महादेवी
(iii), (ii), (iv), (i)
25. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को कवियों से सुमेलित कीजिए।
(a) स्नेह निर्झर बह गया है – (i) प्रसाद(b) ओ! वरुणा की शांत कछार – (ii) हरिऔध
(c) सखि! वे मुझसे कहकर जाते – (iii) निराला
(d) दिवस का अवसान समीप था – (iv) मैथिली शरण गुप्त
कोड:(a), (b), (c), (d)
(i), (ii), (iv), (iii)
(iv), (i), (iii), (ii)
(ii), (iii), (iv), (i)
(iii), (i), (iv), (ii)
सुमेलित-
स्नेह निर्झर बह गया है- निराला,
ओ! वरुणा की शांत कछार- प्रसाद,
सखि! वे मुझसे कहकर जाते- मैथिली शरण गुप्त,
दिवस का अवसान समीप था- हरिऔध
स्नेह निर्झर बह गया है- निराला,
ओ! वरुणा की शांत कछार- प्रसाद,
सखि! वे मुझसे कहकर जाते- मैथिली शरण गुप्त,
दिवस का अवसान समीप था- हरिऔध
26. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
(a) सजनि मधुर निजत्व दे कैसे मिलूं अभिमानिनी मैं – (i) जयशंकर प्रसाद(b) प्रिय के हाथ लगाए जागी, ऐसी मैं सो गई अभागी – (ii) सुमित्रानंदन पंत
(c) तू अब तक सोई है आली, आंखों में भरे विहागरी – (iii) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
(d) कौन तुम रूपसि कौन, व्योम से उतर रही चुपचाप – (iv) महादेवी वर्मा
कोड:(a), (b), (c), (d)
(iv), (iii), (ii), (i)
(iv), (iii), (i), (ii)
सुमेलित-
सजनि मधुर निजत्व दे कैसे मिलूं अभिमानिनी मैं- महादेवी वर्मा,
प्रिय के हाथ लगाए जागी, ऐसी मैं सो गई अभागी- निराला,
तू अब तक सोई है आली, आंखों में भरे विहागरी- जयशंकर प्रसाद,
कौन तुम रूपसि कौन, व्योम से उतर रही चुपचाप- सुमित्रानंदन पंत
सजनि मधुर निजत्व दे कैसे मिलूं अभिमानिनी मैं- महादेवी वर्मा,
प्रिय के हाथ लगाए जागी, ऐसी मैं सो गई अभागी- निराला,
तू अब तक सोई है आली, आंखों में भरे विहागरी- जयशंकर प्रसाद,
कौन तुम रूपसि कौन, व्योम से उतर रही चुपचाप- सुमित्रानंदन पंत
(i), (ii), (iii), (iv)
(iv), (ii), (i), (iii)
27. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों के साथ उनके कवियों को सुमेलित कीजिए:
(a) चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना – (i) महावीर प्रसाद द्विवेदी(b) रूपोद्यान प्रफुल्लप्राय कलिका राकेंदु बिम्बानना – (ii) मैथिलीशरण गुप्त
(c) बेदने! तू भी भली बनी – (iii) महादेवी वर्मा
(d) सुरम्य रम्ये, रस राशि रंजिते – (iv) अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
कोड:(a), (b), (c), (d)
(iii), (iv), (ii), (i)
सुमेलित-
चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना- महादेवी वर्मा,
रूपोद्यान प्रफुल्लप्राय कलिका राकेंदु बिम्बानना- हरिऔध,
बेदने! तू भी भली बनी- मैथिलीशरण गुप्त,
सुरम्य रम्ये, रस राशि रंजिते- महावीर प्रसाद द्विवेदी
चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना- महादेवी वर्मा,
रूपोद्यान प्रफुल्लप्राय कलिका राकेंदु बिम्बानना- हरिऔध,
बेदने! तू भी भली बनी- मैथिलीशरण गुप्त,
सुरम्य रम्ये, रस राशि रंजिते- महावीर प्रसाद द्विवेदी
(iv), (iii), (i), (ii)
(ii), (i), (iii), (iv)
(iii), (ii), (i), (iv)







