पाश्चात्य काव्यशास्त्र के प्रमुख सिद्धांत और उनके प्रवर्तक

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पाश्चात्य काव्यशास्त्र के प्रमुख वाद और उसके प्रवर्तक

पाश्चात्य काव्यशास्त्र

पाश्चात्य काव्यशात्र का इतिहास काफी समृद्ध है। 8वीं शदी ईसा पूर्व से ही काव्यशास्त्र संबंधी साक्ष्य उपलब्ध होने लगते हैं परंतु व्यवस्थित विचार विमर्श प्लेटो के आगमन के बाद ही प्रारंभ होता है। उसके बाद प्लेटो का शिष्य अरस्तू ने न केवल इस परम्परा को आगे बढाया बल्कि साहित्य को स्थापित करने का भी काम किया। पश्चात् काव्यशास्त्र भारतीय काव्यशास्त्र जितना पुराना नहीं है परंतु काव्यशास्त्र पर व्यापक रूप से लिखा गया है। यहाँ पर पाश्चात्य काव्यशास्त्र के प्रमुख वाद/सिद्धांत और उसके प्रवर्तकों के साथ उत्तर आधुनिकतावाद की प्रमुख घोषणाएँ, कला वादी एवं प्रतीकवादी आंदोलन के प्रवर्तकों की भी सूची दी गई है, जो हिंदी साहित्य से संबंधित परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

पाश्चात्य काव्यशास्त्र के प्रमुख सिद्धांत/ वाद और उसके प्रवर्तक

पाश्चात्य काव्यशात्र में विभिन्न सिद्धांत और वाद हुए हैं, जिनकी सूची यहाँ दी जा रही है-

प्रवर्तकप्रमुख सिद्धांत/ वाद
प्लेटोप्रत्ययवाद, अनुकरण सिद्धांत, दैवी ईश्वरीय प्रेरणा का सिद्धांत
अरस्तूअनुकृति, विवेचन, त्रासदी
लोंगिनुसउदात्त
रिचर्ड्ससंप्रेषण, मूल्य सिद्धांत, काव्यभाषा सिद्धांत
इलियटवस्तुनिष्ठ समीकरण, निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत, संवेदनशीलता का असाहचर्य, परम्परा की परिकल्पना,  व्यक्तिप्रज्ञा का सिद्धांत
क्रोचेअभिव्यंजनावाद
कोलरिजकल्पना सिद्धांत
हीगेलद्वन्द्ववाद
कार्लमार्क्सद्वन्द्वात्मक भौतिकवाद
स्केलोवस्कीअजनबीपन
जार्ज लूकाचमहान यथार्थवाद
नार्थप फ्राईमिथकीय समीक्षा
बर्ड्सवर्थस्वच्छंदतावाद, काव्यभाषा सिद्धांत
क्लींच बुक्सअंतर्विरोध
वादलेयरप्रतीकवाद
सस्यूरसंरचनावाद
ज्याक देरिदाबिखंडनवाद, उत्तरसंरचनावाद
क्लींथ ब्रुक्सविडम्बना और विसंगति, अंतर्विरोध
रार्बट पेन वारेनविरोधाभास (आइरनी)
ईपालीत तेनसाहित्य का समाजशास्त्र
कार्वे एवं फ्लावेयरयथार्थवाद
एमिली जोलाप्राकृतिक रूपी यथार्थवाद
एलेन टेटतनाव
विलियम एम्पसनएम्बीगुईटी, अनेकार्थकता
लारेंसअन्तश्चेतनावादी यथार्थवाद
फ्रायडफ्रायडियन यथार्थवाद, मनोवैज्ञानिक यथार्थवाद
फ्लावर्टकुत्सित यथार्थवाद
डेकार्ट और लॉकदार्शनिक यथार्थवाद
होरेसऔचित्य सिद्धांत
टी. ई. ह्यूमबिम्बवाद
पाश्चात्य काव्यशास्त्र के प्रमुख वाद और प्रवर्तक

उत्तर आधुनिकतावाद की प्रमुख घोषणाएँ

अन्य वादों की तरह उत्तर आधुनिकता का जन्म पश्चिमी देशों में नहीं हुआ। भूखी पीढ़ी आंदोलन के प्रवर्तक मलय राय चौधरी के अनुसार ‘उत्तर आधुनिकता का जन्म यूरोप या अमेरिका में नहीं, बल्कि तीसरी दुनिया के गरीब देश निकारागुआ में हुआ, जहाँ के स्पैनिश कवि फेदेरिको दे वेनिस (ओनिस- 1934) ने अपने कविता संग्रह की भूमिका में सर्वप्रथम पोस्टमॉर्डन कविता की व्याख्या की।’ लेकिन इसके सारे महत्वपूर्ण विचारक पश्चिमी देशों के ही हुए। इन उत्तर आधुनिकतावादियों ने कई सारी घोषणाएँ की जो परीक्षाओं की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं। ये घोषणाएँ निम्नलिखित हैं-

घोषणाकर्ताघोषणा
डैनियल बेलविचार धारा का अंत
जैक देरिदामनुष्य की मृत्यु
रोलां बार्थलेखक की मृत्यु
लायन ट्रिलिंगलेखक का अंत
एडमंड विल्सनपरम्परागत शैलियों की मरती हुई विधाएँ
इलियट उपन्यास का अंत
उत्तर आधुनिकतावाद की प्रमुख घोषणाएँ

‘कला के लिए कला’ आंदोलन का प्रवर्तन करने वाले प्रमुख लेखक

कला किसके लिए हो? इस विषय पर बहुत से विचारकों ने विचार किया है, इस विषय को लेकर काफी विवाद भी हुआ है। काफी विद्वान् यह धारणा रखते हैं की कला को कला के रूप में देखना चाहिए, और उसका मूल्यांकन भी उसी रूप में होना चाहिए। इस आंदोलन का प्रवर्तन करने वाले लेखकों में निम्न नाम प्रमुख हैं-

इसे भी देखें- भारतीय काव्यशास्त्र के प्रमुख आचार्य एवं उनके ग्रंथ

1. फ्रांस- मदाम द स्ताल, थियोफिल गोतिए, पियरे शार्ल बॉदलेअर, स्ताफेन मलामें

2. इंग्लैण्ड- जेम्स ह्विस्लर, आस्कर वाइल्ड, वाल्टर पेटर, कार्लाइल, एडमंड गूज

3. अमेरिका- इमरसन, एडगर एलेन पोप

‘प्रतीकवादी’ आंदोलन के प्रमुख लेखक

प्रतीकवाद का आंदोलन पश्चिमी देशों में बहुत तेजी से फैला था। प्रमुख प्रतीकवादी आंदोलन के लेखक निम्नलिखित हैं-

1. फ्रांस- चार्ल्स वादलेयर, पॉल वर्लेन, अर्थर रिम्बद, स्टीफेन मलामें

2. इंग्लैण्ड- जार्जमूर, आस्कर वाइल्ड, आर्थर साइमंस, अर्नेस्ट डाउसन

3. जर्मनी- स्टीफेन जार्ज

4. अमेरिका- एमी लावैल

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