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छायावादी युग के कवि और उनकी रचनाएं | Chhayavadi kavi

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छायावाद की कालावधि 1920 या 1918 से 1936 ई. तक मानी जाती है। वहीं इलाचंद्र जोशी, शिवनाथ और प्रभाकर माचवे ने छायावाद का आरंभ लगभग 1912-14...
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भारतेंदु युग के कवि और उनकी रचनाएँ

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हिन्दी साहित्य के इतिहास में आधुनिक काल के प्रथम चरण को ‘भारतेंदु युग’ के नाम से जाना जाता है। भारतेंदु हरिश्चंद्र को हिन्दी साहित्य...
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द्विवेदी युग के कवि और उनकी रचनाएँ

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आधुनिक कविता के दूसरे पड़ाव (सन् 1903 से 1916) को द्विवेदी-युग के नाम से जाना जाता है। डॉ. नगेन्द्र ने द्विवेदी युग को ‘जागरण-सुधार काल’ भी कहा जाता है...
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संज्ञा की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

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किसी भी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण, जाति या भाव, दशा आदि के नाम को संज्ञा (sangya) कहते हैं। इसे अंग्रेजी में Noun कहा जाता है। वासुदेवनंदन प्रसाद के अनुसार ‘संज्ञा...
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पीएचडी पाठ्यक्रम में हुआ बदलाव, एडमिशन अब और हुआ कठिन

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी पाठ्यक्रम में दो क्रेडिट कोर्स और जोड़ दिए हैं। यह निर्णय आयोग की 543वीं बैठक में लिया गया। यूजीसी द्वारा सभी विश्वविद्यालयों के...
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sahitya akademi award 2019 | साहित्य अकादेमी पुरस्कार

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साहित्य अकादेमी, नई दिल्‍ली ने 18 दिसंबर 2019 को 23 भाषाओं में अपने वार्षिक sahitya akademi award की घोषणा कर दिया। इस वर्ष सात कविता-संग्रह, चार उपन्यास, छह कहानी-संग्रह, तीन निबंध संग्रह, एक-एक कथेतर...
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हिंदी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियाँ | hindi sahity itihas lekhan ki paddhati

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हिंदी साहित्येतिहास (hindi sahity ka itihas) लेखन प्रमुख रूप से 5 दृष्टियों/पद्धतियों को आधार बनाकर लिखा गया है जो निम्न हैं-1.   वर्णानुक्रम पद्धति 2.   कालानुक्रम पद्धति 3.   वैज्ञानिक पद्धति 4.   विधेयवादी पद्धति 5.   नारीवादी पद्धति उपरोक्त पद्धतियों (itihas lekhan ki paddhati) का विस्तार से...
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अलंकार सिद्धांत और उसके प्रमुख आचार्य

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अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य भामह हैं। हलांकि आचार्य भरत मुनि ने अलंकार संबंधी कई स्थापनाएं प्रस्तुत किया परंतु उन्होंने रस सिद्धांत को ही प्रमुखता...
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Peer Reviewed Journal | पीयर-रिव्यू पत्रिकाओं की सूची

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विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता पर नए यूजीसी राजपत्र नियमों के अनुसार यूजीसी केयर...
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पाश्चात्य काव्यशास्त्र के प्रमुख सिद्धांत और उनके प्रवर्तक

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पाश्चात्य काव्यशास्त्र पाश्चात्य काव्यशात्र का इतिहास काफी समृद्ध है। 8वीं शदी ईसा पूर्व से ही काव्यशास्त्र संबंधी साक्ष्य उपलब्ध होने लगते हैं परंतु व्यवस्थित विचार...