हिंदी पत्र पत्रिकाओं की सूची | hindi ptrikaon ki list

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हिंदी पत्र-पत्रिकाओं की सूची

30 मई 1826 को कलकत्ता से पंडित जुगल किशोर शुक्ल के संपादन में निकलने वाले ‘उदन्त्त मार्तण्ड’ को हिंदी का पहला समाचार पत्र माना जाता है। इस समय इन गतिविधियों का चूँकि कलकत्ता केन्‍द्र था। इसलिए यहाँ पर सबसे महत्‍वपूर्ण पत्र-पत्रिकाएँ- उदन्त्त मार्तंड, बंगदूत, प्रजामित्र, मार्तंड तथा समाचार सुधा वर्षण आदि का प्रकाशन हुआ। प्रारम्‍भ के पाँचों साप्‍ताहिक पत्र थे एवं सुधा वर्षण दैनिक पत्र था। इनका प्रकाशन दो-तीन भाषाओं के माध्‍यम से होता था। ‘सुधाकर’ और ‘बनारस अखबार’ साप्‍ताहिक पत्र थे जो काशी से प्रकाशित होते थे। ‘प्रजाहितैषी’ एवं बुद्धि प्रकाश का प्रकाशन आगरा से होता था। ‘तत्‍वबोधिनी’ पत्रिका साप्‍ताहिक थी और इसका प्रकाशन बरेली से होता था। ‘मालवा’ साप्‍ताहिक मालवा से एवं ‘वृतान्‍त’ जम्‍मू से तथा ‘ज्ञान प्रदायिनी पत्रिका’ लाहौर से प्रकाशित होते थे। दोनों मासिक पत्र थे। इन पत्र पत्रिकाओं का प्रमुख उद्‌देश्‍य एवं सन्‍देश जनता में सुधार व जागरण की पवित्र भावनाओं को उत्‍पन्‍न कर अन्‍याय एवं अत्‍याचार का प्रतिरोध/विरोध करना था। हालाँकि इनमें प्रयुक्‍त भाषा (हिंदी) बहुत ही साधारण किस्‍म की (टूटी-फूटी हिंदी) हुआ करती थी।

प्रमुख पत्र-पत्रिकाएं और संपादक (Hindi Ptrikaon ki List)

हिंदी पत्रकारिता का लम्बा इतिहास रहा है, जो हिंदी भाषा और साहित्य के लिए काफी महत्व रखता है। यही वजह है की तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर इससे प्रश्न पूछे जाते हैं। नीचे अधिकतर पत्र पत्रिकाओं (hindi patrikayen) की सूची संपादक और वर्ष के साथ दी गई है-

1. भारतेन्दु पूर्व युग की पत्र-पत्रिकाएँ एवं संपादक (1826-1867 ई.)

हिंदी का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड (30 मई 1826) की प्रति मंगलवार को निकलती थी और मासिक मूल्य 2 रुपये था। इस पत्र में खड़ी बोली का ‘मध्यदेशीय भाषा’ के नाम से उल्लेख किया गया है। 4 दिसम्बर 1827 को इस पत्र की अंतिम प्रति प्रकाशित हुई जिसमें संपादक ने लिखा था-

“आज दिवस लौं उग चुक्यो मार्तण्ड उद्दंत।

अस्ताचल को जात है दिनकर दिन अब अंत।।”

दूसरा पत्र बंगदूत 1929 ई. में कलकत्ते से ही निकला, जो बँगला, फ़ारसी और हिंदी तीन भाषाओं में निकलता था। इसके संपादक नीलरतन हलधर थे। यह पत्र हर रविवार को प्रकाशित होता था और मूल्य 1 रुपये था।

1845  ई. में राजा शिव प्रसाद सिंह ‘सितारे हिंद’ ने ‘बनारस अखबार’ निकाला जिसकी भाषा उर्दू-हिंदी मिश्रित थी। हिंदी प्रदेश से निकलने वाला यह पहला पत्र था। इसकी लिपि नागरी थी। इसके पहले के सभी हिंदी पत्र बंगाल से निकलते थे। बहुत दिनों तक लोग इसे ही हिंदी का प्रथम पत्र समझते रहे।

1846  ई. में मौलवी नसीरुद्दीन ने कलकत्ते से ही ‘मार्तण्ड’ पत्र निकाला जो 5 भाषाओं- हिंदी, उर्दू, बँगला, फ़ारसी तथा अंग्रेजी में निकलता था।

1858 ई. में कलकत्ते से ‘समाचार सुधावर्षण’ प्रथम हिंदी दैनिक का प्रकाशन हुआ जिसके संपादक श्यामसुंदर सेन थे। इसमें हिंदी और बँगला दोनों भाषाओं का प्रयोग होता था।

यूजीसी केयर में शामिल पत्रिकाओं की सूची

भारतेंदु पूर्व काल के समाचार पत्रों में उर्दू-पत्रों की प्रधानता रही। बहुत सारे पत्रों में उर्दू के साथ हिंदी में भी छाप दिया जाता था। हिंदी के पत्र केवल भाषा प्रेम के लिए निकलते थे, उनमें न भाषा की स्थिरता थी, न वे नियमित तौर पर निकल पाते थे।

भारतेन्दु पूर्व युग की प्रमुख पत्रिकाएँ निम्नलिखित हैं-

पत्रिका एवं संपादकप्रकाशन स्थानवर्ष
उदन्त मार्तंड- जुगल किशोरसाप्ताहिक, कलकत्ता1826
बंग दूत- राजा राम मोहन रायसाप्ताहिक, कलकत्ता1829
प्रजामित्र-साप्ताहिक, कलकत्ता1834
बनारस अख़बार- राजा शिव प्रसाद सिंहसाप्ताहिक, बनारस1845
मार्तंड- मो. नसीरुद्दीनसाप्ताहिक, कलकत्ता1846
सुधाकर- बाबू तारा मोहन मित्रसाप्ताहिक, काशी1850
साम्यदंड मार्तण्ड- पं. जुगलकिशोरसाप्ताहिक, कलकत्ता1850
बुद्ध‌‍ि प्रकाश- मुंशी सदासुखलालसाप्ताहिक, आगरा1852
प्रजा हितैषी- राजा लक्ष्मण सिंहआगरा1855
भारतेन्दु पूर्व पत्रिकाएँ
2. भारतेंदु युग की पत्र-पत्रिकाएँ एवं संपादक (1867-1885 ई.)

हिंदी पत्र पत्रिकाओं के विकास में भारतेंदु युग का महत्वपूर्ण योगदान है। सन्‌ 1868 ई. में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने साहित्‍यिक पत्रिका कवि वचन सुधा का प्रवर्तन किया और यहीं से हिंदी पत्रिकाओं के प्रकाशन में तीव्रता आई। ‘कविवचन सुधा’ में पुराने कवियों की कविताएं छपा करती थीं। भारतेंदु ने 1873 ई. में ‘हरिश्चंद्र मैगज़ीन’ मासिक पत्रिका निकली जो 8 अंक निकलने के बाद ‘हरिश्चंद्र चंद्रिका’ हो गई। हिंदी गद्य का परिष्कृत रूप पहले पहल इसी पत्रिका में हुआ। 1873 ई. में भारतेंदु ने स्त्री शिक्षा के संबंध में ‘बालबोधनी’ नामक पत्रिका निकाली।

1870 ई. में ‘अल्मोडा समाचार’, अल्मोडा से निकलने लगा, जो पहले साप्ताहिक था बाद में द्वैमासिक हो गया। ‘हिंदी प्रदीप’ को बालकृष्ण भट्ट जी ने 33 वर्षों तक निकाला। सरकार की तरफ से प्रतिबंध लगने से उन्हें बंद कर देना पड़ा। बदरी नारायण चौधरी के संपादन में मिर्जापुर से निकलने वाली पत्रिका ‘आनंद कादंबिनी’ में ही पुस्तकों की आलोचना सर्वप्रथम छपी। प्रतापनारायण मिश्र ने 15 मार्च 1183 ई. को ‘ब्राह्मण’ नामक 12 पृष्ठों का मासिक पत्र निकाला। रामकृष्ण वर्मा ने 1884 ई. में ‘भारत जीवन’ पत्र का संपादन किया जिसका नामकरण भारतेंदु ने किया था।

1883 ई. में ही ‘हिंदुस्तान’ नामक मासिक पत्र का प्रकाशन कालाकांकर (अवध) के राजा रामपालसिंह ने इंगलैण्ड से किया। 1885 ई. तक इंग्लैंड से ही निकलता रहा। यह हिंदी और अंग्रेजी में निकलता था लेकिन बाद में उर्दू में भी छपने लगा और मासिक से साप्ताहिक भी हो गया। हिंदी और अंग्रेजी के लेख राजा साहब लिखते थे लेकिन अंग्रेजी के लेख जार्ज टेम्पल द्वारा लिखे जाते थे। राजा साहब के भारत आगमन पर 1 नवम्बर 1885 ई. से हिंदुस्तान दैनिक पत्र के रूप में केवल हिंदी में निकलने लगा। पं. महामना मदनमोहन मालवीय भी इस पत्र के संपादक रह चुके हैं। बालमुकुंद गुप्त, प्रतापनारायण मिश्र तथा गोपालराम गहमरी आदि सहायक संपादकों में रह चुके हैं।

भारतेन्दु युग की प्रमुख पत्रिकाएँ निम्नलिखित हैं-

पत्रिका एवं संपादकप्रकाशन स्थानवर्ष
कवि वचन सुधा- भारतेंदुमासिक, काशी1868
बिहार बंधु- पं. केशव राम भट्टबिहार प्रांत1871
हरिश्चन्द्र मैगजीन- भारतेंदुमासिक, बनारस1873
बाल बोधनी- भरतेंदुमासिक, बनारस1874
सदादर्श- लाला श्रीनिवास दाससाप्ताहिक, दिल्ली1874
काशी पत्रिका- बलदेव प्रसादसाप्ताहिक, अलीगढ़ 
भारत बंधु- तोता रामसाप्ताहिक, अलीगढ़ 
भारत मित्र- छोटूलाल मिश्र और दुर्गाप्रसाद मिश्रसाप्ताहिक, कलकत्ता1877
हिंदी प्रदीप- बाल कृष्ण भट्टमासिक, प्रयाग1877
आनंद कादम्बिनी- बदरी नारायण चौधरीमासिक, मिर्जापुर1881
ब्राह्मण- प्रताप नारायण मिश्रमासिक, कानपुर1883
भारतेंदु- पं. राधा चरण गोस्वामीवृंदावन1884
भारत जीवन- रामकृष्ण वर्मासाप्ताहिक1884
देवनागरी प्रचारक-मेरठ 
प्रयाग समाचार- देवकी नंदन त्रिपाठीलखनऊ 
हिंदुस्तान- राजा रामपाल सिंहदैनिक, इंग्लैंड 
भारतेन्दु युग की पत्रिकाएँ
3. द्विवेदी युग की पत्र-पत्रिकाएँ एवं संपादक (1885-1918 ई.)

हिंदी पत्र पत्रिकाओं के लिए द्विवेदी युग स्वर्ण काल है। नागरी प्रचारिणी पत्रिका का संपादन गौरीशंकर हीराचंद ओझा, मुंशी देवी प्रसाद, चंद्रधर शर्मा गुलेरी तथा श्यामसुंदर दास ने मिलकर 1896 ई. में निकाला था, रामचंद्र शुक्ल जी और केशव प्रसाद मिश्र भी संपादक रहे।

‘सरस्वती’ का पहला अंक बाबू जगन्नाथ दास रत्नाकर और बाबू श्यामसुंदर दास ने मिलकर निकाला था। दूसरे वर्ष का संपादन श्यामसुंदर दास ने अकेले किया था। 1903 ई. में महावीर प्रसाद द्विवेदी करने लगे और पत्रिका काशी से इलाहाबाद आ गई। रवि वर्मा पौराणिक चित्र तैयार करते और द्विवेदी जी कवियों से उनपर कविताएँ लिखवाया करते।

‘सरस्वती’ के बाद सर्वाधिक ख्याति बनारसीदास चतुर्वेदी की ‘विशाल भारत’ पत्र को प्राप्त हुआ। इसने ‘कला अंक’ और ‘राष्ट्रीय अंक’ जैसे महत्वपूर्ण विशेषांक निकाले। अज्ञेय और मोहनसिंह सेंगर, श्रीराम शर्मा भी इसके संपादकों में रह चुके हैं। ‘विशाल भारत’ के द्वारा ही चतुर्वेदी जी ने ‘घासलेटी साहित्य’ के विरुद्ध आंदोलन खड़ा किया। कस्मै देवाय? के द्वारा भी उन्होंने साहित्यिकों के सामने यह प्रश्न रखा कि वे किसके लिए लिखें। चतुर्वेदी जी ने टीकमगढ़ से ‘मधुकर’ नामक पत्र निकाल कर बुंदेलखंड की संस्कृति और उसके लोक साहित्य से हिंदी जगत को परिचित कराया।

‘सरस्वती’ और ‘विशाल भारत’ के बाद हंस पत्रिका का महत्वपूर्ण स्थान है। 1933 ई. में इसने अपना ‘काशी विशेषांक’ प्रकाशित किया। 1936 ई. के बाद जैनेंद्र कुमार और शिवरानी देवी ने ‘हंस’ का संपादन किया। बाद में शिवदानसिंह चौहान और श्रीपति राय इसके संपादकों में रहे। हिंदी साहित्य में रिपोर्ताज लिखने की प्रथा भी इसी पत्र के द्वारा ही पड़ी।

मर्यादा पत्रिका का संपादन से कृष्ण कांत मालवीय, संपूर्णानंद और प्रेमचंद जुड़े रहे। यह पत्रिका भी बहुत महत्वपूर्ण थी। ‘प्रभा’ पत्रिका का प्रकाशन कालू राम ने 1913 ई. में खंडवा से किया था उसे बाद में बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ और माखनलाल चतुर्वेदी ने कानपुर से निकाला।

‘विश्ववाणी’ के संस्थापक सुंदरलाल थे। संपादन इलाचंद्र जोशी ने किया। इसका ‘बौद्ध संस्कृति अंक’ महादेवी के संपादकत्व में निकला था। बाद में ‘सोवियत संस्कृति अंक’, ‘चीन अंक’, ‘अंतरराष्ट्रीय अंक’ जैसे कई महत्वपूर्ण अंक इसमें निकले।

द्विवेदी युग की प्रमुख पत्रिकाएँ निम्नलिखित हैं-

पत्रिका एवं संपादकप्रकाशन स्थानवर्ष
नागरी नीरद- बदरी नारायण चौधरीसाप्ताहिक, मिर्जापुर1893
नागरी प्रचारिणी पत्रिकात्रैमासिक, काशी1896
उपन्यास- गोपाल राम गहमरीमासिक, काशी1898
सरस्वती- चिंतामणि घोषमासिक, काशी1900
सुदर्शन- देवकीनंदन/ माधवमासिक, काशी1900
समालोचक- गुलेरी,मासिक, जयपुर1902
अभ्युदय- मदन मोहन मालवीय,साप्ताहिक, प्रयाग 
इंदु- अम्बिका प्रसाद गुप्तमासिक, काशी1909
मर्यादा- कृष्ण कांत मालवीयमासिक, प्रयाग1909
प्रताप- गणेश शंकर विद्यार्थीसाप्ताहिक, कानपुर1913
प्रभा- कालू रामखंडवा1913
पाटलिपुत्र- काशीप्रसाद जायसवालपटना1914
श्री शारदा- नर्मदा प्रसाद मिश्र 1916
द्विवेदी युग की पत्रिकाएँ
4. छायावादी युग की पत्र-पत्रिकाएँ एवं संपादक (1918-1925 ई.)

महिला समस्या और समाज सुधार को लेकर निकलने वाले पत्रों में सर्वाधिक ख्याति ‘चाँद’ ने प्राप्त की। इसने ‘फाँसी अंक’ और ‘मारवाड़ी अंक’ निकाल कर समाज में हलचल मचा दी।

दुलारे लाल भार्गव ने जिस ‘माधुरी’ को लखनऊ से निकालते थे उसे बाद में रूप नारायण पांडेय, कृष्ण बिहारी मिश्र और प्रेमचंद (1928-31 ई.) ने भी संपादक के रूप में जुड़े थे। सन 1923 में कलकत्ता से निकलने वाली ‘मतवाला’ पत्रिका के संपादन से महादेव प्रसाद सेठ के बाद शिव पूजन सहाय और निराला भी जुड़े।

पियर रिव्यू पत्रिकाओं की सूची

1920-21 के असहयोग आंदोलन के आस-पास अनेक पत्र प्रकाशित हुए जिसमें ‘कर्मवीर’ और ‘स्वराज’ खंडवा से, स्वदेश गोरखपुर से तथा ‘राजस्थान केसरी’ वर्धा से प्रमुख थे। गाँधी जी का ‘हिंदी नवजीवन’ महत्वपूर्ण साप्ताहिक पत्र था जो बाद में ‘हरिजन सेवक’ नाम से निकलने लगा था। जिसका कुछ दिन तक संपादन वियोगी हरि ने किया। 

छायावादी पत्र पत्रिकाओं की सूची- निम्नलिखित हैं-

पत्रिका एवं संपादकप्रकाशन स्थानवर्ष
चाँद- महादेवी वर्मासप्ताहिक, प्रयाग1920
देश- राजेन्द्र प्रसादसाप्ताहिक, पटना1920
नवजीवन- गाँधीसाप्ताहिक, अहमदाबाद1921
माधुरी- दुलारे लाल भार्गवलखनऊ1922
मतवाला- महादेव प्रसाद सेठसाप्ताहिक, कलकत्ता1923
कर्मवीर- माखनलाल चतुर्वेदीसाप्ताहिक, जबलपुर1924
कल्याण- हनुमान प्रसाद पोद्दारमासिक, गोरखपुर1925
सुकवि- मोहन प्यारे शुक्लमासिक, कानपुर1927
विशाल भारत- बनारसीदास चतुर्वेदीमासिक, कलकत्ता1928
सुधा- दुलारेलाल भार्गवमासिक, लखनऊ1929
हंस- प्रेमचंदमासिक, बनारस1930
माया- क्षितिन्द्र मोहन मित्रप्रयाग1930
आदर्श & मौजी- शिव पूजन सहायकलकत्ता 
जागरण- शिव पूजन सहायसाप्ताहिक, बनारस1932
छायावादी पत्र-पत्रिकाएं
5. छायावादोत्तर युग की पत्र-पत्रिकाएँ एवं संपादक

यशपाल ने ‘विप्लव’ का संपादन लखनऊ से नवंबर 1938 ई. से किया जिसके मुख्यपृष्ठ पर ‘तुम करो शांति-समता प्रसार, विप्लव गा अपना अनल गान’ नीति-वाक्य छपा रहता था। ‘विप्लव’ का उर्दू संस्करण ‘बागी’ नाम से निकला था। ‘विप्लव’ का फरवरी 1939 का अंक ‘चंद्रशेखर आज़ाद अंक’ था, जो क्रांति-गाथाओं से भरा हुआ था। अप्रैल 1940 तक मासिक पत्रिका ‘विप्लव’ सफलतापूर्वक प्रकाशित होती रही, किंतु आगे चलकर अंग्रेजी सरकार के वज्रपात अत्यधिक होने पर यह पत्रिका बंद हो गई। चूंकि ‘विप्लव’ से मई 1940 में सरकार द्वारा बारह हजार रुपये की जमानत मांगी गई जिसके कारण उसे असमय ही बंद करना पड़ा। इसके स्थान पर यशपाल ने ‘विप्लवी ट्रेक्ट’ का प्रकाशन शुरू किया जो ‘विप्लव’ का ही परिवर्तित रूप था जिसका  जून 1940 में पहला अंक आया।

कहानी, नई कहानियाँ और उपन्यास जैसी पत्रिकाओं का संपादन भैरव प्रसाद गुप्त ने किया था। आलोचना पत्रिका का महत्वपूर्ण भूमिका छायावादोत्तर पत्रिकाओं में है, यह पत्रिका राजकमल प्रकाशन, दिल्ली के द्वारा निकाली जाती है। शिवदान सिंह चौहान इसके प्रथम संपादक थे बाद के संपादकों में धर्मवीर भारती, रघुवंश, साही, नंददुलारे वाजपेयी, नामवर सिंह आदि प्रमुख रहे।

छायावादोत्तर पत्रिकाओं में सारिका पत्रिका भी काफी चर्चित रही जिसके संपादकों में रतनलाल, कमलेश्वर तथा कन्हैयालाल नंदन प्रमुख हैं, यह पत्रिका दिल्ली और मुंबई से निकलती थी।

छायावादोत्तर पत्र पत्रिकाओं की सूची-

पत्रिका एवं संपादकप्रकाशन स्थानवर्ष
साहित्य सन्देश- बाबू गुलाब रायमासिक, आगरा1937
भारत- नंद दुलारे वाजपेयीअर्धसप्ताहिक, इलाहाबाद –
सैनिक- कृष्ण दत्त पालीवालआगरा– 
रूपाभ- पन्त/ नरेंद्र शर्मामासिक1938
विप्लव- यशपाललखनऊ,  मासिक1938 
विश्वभारती- हजारी प्रसाद द्विवेदीत्रैमासिक, बंगाल1942
आजकल- प्रवीन कुमार उपाध्यायमासिक, दिल्ली1945
प्रतीक- अज्ञेयद्वैमासिक, इलाहाबाद1947
दृष्टिकोण- नालिनविलोचन शर्मापटना1948
चिनगारी- कुशवाहा ‘कांत’मासिक, मिर्जापुर1948
कल्पना- आर्येन्द्र शर्माद्वैमासिक, हैदराबाद1949
धर्मयुग- धर्मवीर भारतीसाप्ताहिक, बम्बई1950
आलोचना- शिवदान सिंह चौहानत्रैमासिक, दिल्ली1951
नये पत्ते- लक्ष्मी कान्त वर्मा & रामस्वरूप चतुर्वेदीइलाहाबाद1953
नयी कविता- जगदीश गुप्त & रामस्वरुप चतुर्वेदीअर्द्धवार्षिक, इलाहाबाद1954
ज्ञानोदय- कन्हैया लाल मिश्रमासिक, कलकत्ता,1955
निकष- धर्मवीर भारती & लक्ष्मीकांत वर्मासाप्ताहिक, इलाहाबाद1956
कृति- नरेश मेहतादिल्ली1958
समालोचक- रामविलास शर्मामासिक, आगरा1958
पहल- ज्ञानरंजनत्रैमासिक, जयपुर1960
सारिका- रतनलालदिल्ली1960
क ख ग- रघुवंश, लक्ष्मीकांत वर्मा & रामस्वरूप चतुर्वेदीत्रैमासिक, इलाहाबाद1963
दिनमान- रघुवीर सहायसाप्ताहिक, दिल्ली1965
पूर्वाग्रह- अशोक वाजपेयीमासिक, भोपाल1974
समास- अशोक वाजपेयीमासिक, भोपाल1974
समकालीन भारतीय साहित्य- इंद्रनाथ चौधरीद्वैमासिक, साहित्य अकादमी1980
हंस- राजेंद्र यादवमासिक, दिल्ली1984
वर्तमान साहित्य- विभूति नारायण रायइलाहाबाद1984
कथादेश- हरि नारायणमासिक, दिल्ली1997
नया खून- मुक्तिबोधमध्य प्रदेश –
नया ज्ञानोदय- रवीन्द्र कालियामासिक, दिल्ली2003
छायावादोत्तर पत्र-पत्रिकाएं

6. वर्तमान पत्र पत्रिकाओं की सूची-

पत्रिका एवं संपादकप्रकाशन स्थान
हंस- संजय सहायमासिक, दिल्ली
पाखी- अपूर्व जोशीमासिक, दिल्ली
बया- गौरीनाथमासिक
पहल- ज्ञानरंजन 
अंतिम जन- दीपक श्री ज्ञान 
लमही- विजय राय 
पक्षधर- विनोद तिवारीअर्द्ध वार्षिक, गाज़ियाबाद
आलोचना- संजीव कुमार& आशुतोष कुमारत्रैमासिक, दिल्ली
नया ज्ञानोदय- लीलाधर मंडलोई 
बहुवचन- अशोक मिश्रा 
व्यंग्य यात्रा- प्रेम जनमेजय 
समालोचन- अरुण देव 
वांग्मय पत्रिका- डॉ. एम. फ़िरोज़. एहमद 
परिकथा- विजय राय 
गगनांचल- डॉ. हरीश नवल 
अक्षर वार्ता- प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा 
साखी (त्रैमासिक)- सदानंद शाही 
पल प्रतिपल- देश निर्मोही 
समकालीन भारतीय साहित्य- ब्रजेन्द्र कुमार त्रिपाठी 
अनभै सांचा- द्वारिका प्रसाद चारुमित्र 
तदभव- अखिलेश 
नया पथ- संपादक- मुरली मनोहर प्रसाद सिंह/चंचल चौहान, 
साक्षात्कार- हरीश भटनागर 
  
वर्तमान पत्र-पत्रिकाएं
7. प्रमुख दैनिक पत्र और उसके संपादक
  1. आगरा अखबार- जॉन एण्डसन, 1832 ई. (फारसी में, 1833 ई. में अंग्रेजी में भी)
  2. मालवा अखबार, 1849 ई.
  3. मारवाड़ गजट- होरीलाल, जोधपुर, 1866 ई.
  4. भारतोदय- सीताराम शर्मा, कानपुर, 1885 ई.
  5. आज- बाबू विष्णुराव परांड़कर, वाराणसी, 1920 ई.
  6. जनसत्ता- दिल्ली, 1930 ई.
  7. हिंदुस्तान- सत्यदेव विद्यालंकार, दिल्ली, 1933 ई.
  8. नवजीवन- भगवती चरण वर्मा, लखनऊ, 1947 ई.
  9. रविवार- एम.जे. अकबर/सुरेंद्र प्रताप सिंह/उदयन शर्मा, 1977 ई.
  10. अमर उजाला- डोरीलाल अग्रवाल ‘आनंद’, बेलनगंज आगरा
  11. आज- श्रीप्रकाश, 1920, काशी (संस्थापक- शिवप्रसाद गुप्त, अन्य संपादक- बाबूराव विष्णु पराड़कर)
  12. जागरण- झांसी, 1932 ई.
  13. नई दुनिया- कृष्णकांत व्यास, इंदौर
  14. नवभारत- जंगबहादुर सिंह, दिल्ली

हिंदी की प्रमुख पत्र पत्रिकाओं की सूची यहाँ पर दी जा रही है। हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत बंगाल से हुई जिसमें सबसे प्रथम 1780 ई. में प्रकाशित ‘बंगाल गजट’ है। बंगाल गजट भारतीय भाषा का पहला समाचार पत्र है। इस समाचार पत्र के संपादक गंगाधर भट्टाचार्य थे। इसके अलावा राजा राममोहन राय ने मिरातुल, संवाद कौमुदी, बंगाल हैराल्ड पत्र भी निकाले और लोगों में चेतना फैलाई। 

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  1. अति सराहनीय कदम

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