कृष्णा सोबती का परिचय
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी की जानी-मानी लेखिका कृष्णा सोबती का 93 की उम्र में 25 जनवरी 2019 (शुक्रवार ) को निधन हो गया। वे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाली हिंदी की 11वीं रचनाकार थीं। उन्हें यह पुरस्कार 2017 में दिया गया था. जानकारी के लिए स्पष्ट कर दें की पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम के लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। सुमित्रानंदन पंत ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले हिंदी के पहले रचनाकार थे। कृष्णा सोबती स्त्री मन की गांठ खोलने वाली कथाकार कथाकार के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने हमेशा अपने कथा शिल्प में नए-नए चरित्रों को गढ़ने का काम किया है। स्त्री की अस्मिता और मुक्ति के सवाल के साथ स्त्री चरित्रों को लेकर निर्भिकता और खुलापन कृष्णा सोबती के रचनाकर्म का अभिन्न अंग रहा है। उन्होंने अपने हर उपन्यास या कहानी का चरित्र अपने पिछले चरित्र से अलग रखा है, कहीं भी दुहराव आप नहीं पा सकते। उन्होंने हिंदी की कथा भाषा को विलक्षण ताज़गी़ प्रदान किया। नीचे आप कृष्णा सोबती (krishna sobati) का संक्षिप्त जीवन परिचय और रचनाएँ देख सकते हैं-
कृष्णा सोबती की रचनाएँ-
krishna sobati की रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
जन्म– | 18 फ़रवरी 1925 ई. गुजरात (सम्बद्ध भाग अब पाकिस्तान में) |
मृत्यु– | 25 जनवरी 2019 |
सम्मान- | |
कछा चुडामणी पुरस्कार | 1999 |
शिरोमणी पुरस्कार | 1981 |
हिन्दी अकादमी अवार्ड | 1982 |
शलाका पुरस्कार | 2000-01 |
साहित्य अकादमी पुरस्कार | 1980 |
साहित्य अकादमी फेलोशिप | 1996 |
ज्ञानपीठ पुरस्कार | 2017 |
प्रकाशित कृतियाँ | |
1. कहानी एंव कहानी संग्रह- | |
बादलों के घेरे | 1980 |
लामा (प्रथम कहानी) | 1950 |
मेरी माँ कहाँ | |
सिक्का बदल गया है | |
दादी-अम्मा | |
2. लम्बी कहानी (आख्यायिका/उपन्यासिका)- | |
डार से बिछुड़ी | 1958 |
मित्रो मरजानी | 1967 |
यारों के यार | 1968 |
तिन पहाड़ | 1968 |
ऐ लड़की | 1991 |
जैनी मेहरबान सिंह | 2007 |
3. उपन्यास- | |
सूरजमुखी अँधेरे के | 1972 |
जिन्दगी़नामा | 1979 |
दिलोदानिश | 1993 |
समय सरगम | 2000 |
गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिंदुस्तान (निजी जीवन को स्पर्श करती औपन्यासिक रचना) | 2017 |
4. विचार-संवाद- | |
सोबती एक सोहबत | |
शब्दों के आलोक में | |
सोबती वैद संवाद | |
मुक्तिबोध : एक व्यक्तित्व सही की तलाश में | 2017 |
लेखक का जनतंत्र | 2018 |
मार्फ़त दिल्ली | 2018 |
5. संस्मरण– | |
हम हशमत (तीन भागों में) | |
6. यात्रा-आख्यान- | |
बुद्ध का कमण्डल : लद्दाख़ |