1936 में प्रगति लेखक संघ के गठन के बाद हिंदी साहित्य लेखन में काफी बदलाव दिखाई देता हैं। सर्वप्रथम शिवदान सिंह ने 1937 में ‘विशाल भारत’ पत्रिका में ‘भारत में प्रगतिशील साहित्य की आवश्यकता’ निबंध लिखा, इसी निबंध से प्रगतिवादी आलोचना की शुरुआत मानी जाती है। प्रगतिवादी आलोचकों में रामविलास शर्मा, शिवदान सिंह चौहान, प्रकाश चंद्र गुप्त, रांगेय राघव, मुक्तिबोध, नामवर सिंह आदि प्रमुख हैं। नीचे प्रमुख प्रगतिवादी आलोचकों और उनके ग्रन्थों की सूची दी जा रही है-
प्रमुख प्रगतिवादी आलोचक और आलोचना ग्रन्थ-
pramukh pragativadi aalochk aur aalochna की सूची निम्नलिखित है-
रामविलास शर्मा-
1. निराला की साहित्य साधना (3 भाग)
2. निराला
3. प्रगति और परम्परा
4. परम्परा का मूल्यांकन
5. प्रगतिशील साहित्य की समस्याएं
6. आस्था और सौन्दर्य
7. भारतेंदु हरिश्चंद्र
8. भारतेंदु युग
9. भारतेंदु युग और हिंदी भाषा की विकास परंपरा
10. भाषा और समाज
11. भारत की भाषा समस्या
12. भारत के प्राचीन भाषा-परिवार और हिंदी (3 भाग)
13. एतिहासिक भाषाविज्ञान और हिंदी भाषा
14. साहित्य और संस्कृति
15. भाषा साहित्य और संस्कृति
16. भारतेंदु हरिश्चंद्र और हिंदी नवजागरण की समस्याएं
17. महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिंदी नवजागरण
18. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिंदी आलोचना
19. प्रेमचंद
20. प्रेमचंद और उनका युग
21. लोकजागरण और हिंदी साहित्य
22. नई कविता और अस्तित्ववाद
23. मार्क्सवाद और प्राचीन साहित्य का मूल्यांकन
24. मार्क्सवाद और प्रगतिशील साहित्य
25. मार्क्स और पिछड़े हुए समाज
26. लोकजीवन और साहित्य
27. स्वाधीनता और राष्ट्रीय साहित्य
28. भाषा युगबोध और कविता
29. हिंदी जाति का साहित्य
30. कथा विवेचना और गद्य शिल्प
31. भारत में अंग्रेजी राज और मार्क्सवाद (2 भाग)
32. भारतीय साहित्य की भूमिका
33. पश्चात्य दर्शन और सामाजिक अंतर्विरोध
रामविलास शर्मा
शिवदान सिंह चौहान-
1. हिंदी गद्य साहित्य
2. प्रगतिवाद
3. हिंदी साहित्य के अस्सी वर्ष
4. साहित्य की परख
5. साहित्यानुशीलन
6. साहित्य की समस्याएं
7. आलोचना के मान
8. आलोचना के सिद्वांत
9. परिपेक्ष्य को सही करते हुए
शिवदान सिंह चौहान
प्रकाशचन्द्र गुप्त-
1. आधुनिक हिंदी साहित्य: एक दृष्टि
2. हिंदी साहित्य की जनवादी परम्परा
3. साहित्यधारा
4. प्रेमचंद
5. नया हिंदी साहित्य
6. आज का हिंदी साहित्य
प्रकाशचन्द्र गुप्त
अमृतराय-
1. साहित्य में सयुंक्त मोर्चा
2. नयी समीक्षा
3. आधुनिक भाव-बोध की संज्ञा
4. सहचिंतन
5. प्रेमचंद की प्रासंगिकता
6. विचारधारा और साहित्य
अमृतराय
रांगेय राघव-
1. भारतीय पुनर्जागरण की भूमिका
2. भारतीय संत परम्परा और समाज
3. संगम और संघर्ष
4. ‘काव्य, यथार्थ और प्रगति’
5. काव्यकला और शास्त्र
6. महाकाव्य विवेचन
7. प्रगतिशील साहित्य के मानदंड गोरखनाथ और उनका युग(शोध-प्रबंध)
8. आधुनिक हिंदी कविता में विषय और शैली
9. आधुनिक हिंदी कविता में प्रेम और श्रृंगार
10. समीक्षा और आदर्श
11. काव्य यथार्थ और प्रगति काव्य के मूल विवेच्य
रांगेय राघव
गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’-
1. कामायनी: एक पुनर्विचार
2. नयी कविता का आत्म संघर्ष तथा अन्य निबंध
3. नए साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र
4. एक साहित्यिक की डायरी
5. शेष-अशेष
6. जब प्रश्न बौखला उठे
मुक्तिबोध
नामवर सिंह-
1. हिंदी के विकास में अपभ्रंस का योग
2. आधुनिक साहित्य की प्रवृतियाँ
3. छायावाद
4. पृथ्वीराज रासो: भाषा और साहित्य
5. इतिहास और आलोचना
6. कहानी नई कहानी
7. कविता के नए प्रतिमान
8. दूसरी परम्परा की खोज
9. वाद-विवाद-संवाद
10. पुरानी राजस्थानी
11. साहित्य की पहचान
12. साथ-साथ
13. सम्मुख
14. हिंदी का गद्य पर्व
15. जबाने से दो दो हाँथ
16. प्रेमचंद और भारतीय समाज
17. कविता की जमीन और जमीन की कविता
18. कार्ल मार्क्स: कला और साहित्य चिंतन
19. आधुनिक हिंदी उपन्यास (2 भाग)
20. आलोचना और संवाद (सं. आशीष त्रिपाठी)
21. पूर्वरंग (सं. आशीष त्रिपाठी)
22. आलोचना और विचारधारा (सं. आशीष त्रिपाठी)
23. ‘छायावाद: प्रसाद, निराला, महादेवी और पंत’ (सं. ज्ञानेंद्र कुमार संतोष)
24. हिंदी समीक्षा और आचार्य शुक्ल (सं. ज्ञानेंद्र कुमार संतोष)
25. रामविलास शर्मा (सं. ज्ञानेंद्र कुमार संतोष)
26. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जय यात्रा (सं. ज्ञानेंद्र कुमार संतोष)
27. नामवर के नोट्स (प्र. शैलेश, मधुप, नीलम सिंह)
28. आलोचक के मुख से (सं. खगेन्द्र ठाकुर)
नामवर सिंह
विश्वंभर नाथ उपाध्याय-
1. ‘महाकवि निराला- काव्य, कला और कृतियाँ’
2. पंत जी का नूतन काव्य और दर्शन
3. हरिऔध जी और प्रिय प्रवास
4. हिंदी साहित्य की दार्शनिक पृष्ठभूमि
5. संत वैष्णव काव्य पर तांत्रिक प्रभाव
6. जलते और उबलते प्रश्न
7. द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के आलोक में भारतीय काव्यशास्त्र का अध्ययन
8. मीमांसा और पुर्नमुल्यांकन
9. बिंदु प्रति बिंदु
10. समकालीन सिद्धांत और साहित्य
11. स्वातन्त्र्योत्तर हिंदी कथा साहित्य
12. समकालीन कविता की भूमिका
13. समकालीन कहानी की भूमिका
14. विचारधारा और समकालीन लेखन
विश्वंभर नाथ उपाध्याय
शिव कुमार मिश्र-
1. प्रगतिवाद
2. मार्क्सवादी साहित्य चिंतन: इतिहास तथा सिद्धांत
3. यथार्थवाद
4. प्रगतिवाद
5. साहित्य और सामाजिक संदर्भ
6. प्रेमचंद: विरासत का सवाल
7. भक्तिकाव्य और लोकजीवन
8. दर्शन साहित्य और समाज
9. हिंदी आलोचना की परम्परा और आचार्य रामचंद्र शुक्ल